RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….
घर पहून्चा तो सिंधु ने दरवाज़ा खोला ..
" वाह रे भाई..इतनी देर तक मेम साहेब के यहाँ क्या हो रहा था..मा बोल रही थी तू उन्हें कार चलाना सीखा रहा है...ह्म्म्म ..कुछ और भी तो नहीं सिखाया उनको भाई..?"
और हँसने लगी ??
" अरे कैसी बातें करती है रे तू..और क्या सिखाउन्गा उन्हें ..? "
" हा हा हा !! अरे मेरे भाई के पास ऐसे ऐसे औज़ार हैं .उन्हें देख किसी भी औरत को उन्हें पकड़ हिलाने को जी मचल उठेगा..कार के गियर को भूल जाएँगी ..."
और उस ने भी वोई किया जो शन्नो ने किया था..मेर लौडे को जाकड़ लिया..
तब तक बिंदु आ गयी ... " अरे बेशरम ..बेचारा इतनी देर बाद तो घर आया है ..ज़रा आराम तो करने दे..जब देख साली उसके लौडे को थाम लेती है ..."
सिंधु बोल उठी " हां मैं थामून्गि..मेरा हथियार है..मेरे को जब मन करेगा थामून्गि ..इतनी देर से मेरे हाथ में खूजली हो रही थी ....उफफफ्फ़ ..भाई ....अब थोड़ा चैन मिला .."
बिंदु भी कहाँ चुप रहती ..उस ने जवाब दिया ..." तू भूल गयी क्या.? मा ने क्या बोला था ..?'"
ये बात सुन ते ही सिंधु ने झट से मेरे लौडे को छोड़ दिया ..मानो किसी जलते अंगारे को हाथ से गिरा दिया हो.....मैं हैरान परेशान हो गया...ये तो आठवाँ अजूबा था मेरे लिए ..सिंधु ने अपनी सब से प्यारी चीज़ को अपने हाथों से दूर कर दिया..आख़िर मा-बेटियों के बीच क्या बात हुई..? कहीं उस ने मेरे और मेम साहेब के बीच के रहस्य का परदा तो नहीं उठा दिया..??आख़िर क्या कहा उस ने ..
मैने सिंधु से पूछा .." क्या हुआ तेरे को..आज तो मेरे लौडे को तू ने इस तरह झटक दिया ..? देख तो बेचारा कितना मायूस हो गया..." और मेरा लौडा सही में बिल्कुल मुरझाया , सिकुडा बेचारा पॅंट के अंदर आँसू बहा रहा था...
सिंधु ने मेरी हालत देख जोरदार ठहाका लगाया..."हा ! हा ! देख रे बिंदु ..मेरे हाथ हटाने से बेचारा कैसा अंदर हो गया .."
मैने दोनो की ओर अपना चेहरा किए पूछा" क्या कहा मा ने...कोई तो बताओ...मैं सही में परेशान हूँ और मुझ से ज़्यादा ये लौडा ...जल्दी बोल ना ..वरना मैं किसी को भी पटक के चोद दूँगा ...चलो जल्दी बताओ.."
और मैं दोनो की ओर बढ़ा ...
दोनो हँसने लगीं ..फिर बिंदु ने कहा " भाई ..मा ने हमें सब कुछ बता दिया है तेरे और मेम साहेब के बारे ...तुम बे फिकर रहो...हम कोई बच्ची नहीं ..सब समझते हैं ...आख़िर इस काम से भलाई तो अपनी ही है ..भाई तुम मेम साहेब को खुश रखो बस ..हमारी चिंता छोड़ो..हम अब तुम्हें ज़रा भी परेशान नहीं करेंगे .."
"हां भाई तुम्हारे हथियार को हम संभाल कर रखेंगे मेम साहेब के लिए ..." सिंधु भी बोल उठी ..
" वाह रे मेरी बहनो..ये खाक संभाल रही है तुम दोनो ..अभी साला अंदर जाने को छटपटा रहा है..साले को चूत चाहिए ..वो भी तुम दोनो की...और तुम हो के इसका ख़याल रख रही हो..ये कैसा ख़याल है..?तुम लोग कान खोल के सुन लो...मुझे अगर तुम दोनो और मा ने अपनी चूत नही दी...........फिर ये लौडा किसी की चूत नहीं लेगा ..बस ये मेरा फ़ैसला है...अरे तुम लोगो के बिना ये किस काम का..?? जिन्हें मैं अपने जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ ..? अरे तुम्हारी चूत के रस से तो इसमें जान आती है रे..वरना ये तो बेजान है..बिल्कुल बेजान...समझी ...??"
दोनो बहेनें मेरी बात सुन मस्त हो गयीं ..उनकी आँखें चमक उठी ..
दोनो ने मुझे गले लगा लिया और मेरे गाल चूमने लगीं
सिंधु बोली..." भाई क्या तू हम से इतना प्यार करता है...? पर क्या करें मा ने हमें सख्ती से मना किया है....चूत देते हैं तो मा नाराज़ होगी और नहीं देते तो तू नाराज़ है...हम क्या करें ..? बिंदु तू बोल ना रे कुछ ...क्या किया जाए ...?"
बिंदु बोली " ठीक है एक काम करते हैं ..भाई तुम हम दोनो को सिर्फ़ उपर उपर से प्यार कर ले ना रे अभी .....अभी चूत रहने दे ना...मा को आ जाने दे फिर उस से बात करते हैं ...ठीक है ना..?? बस थोड़ी देर की तो बात है ....ले मेरी चूची से खेल तब तक ..."
और बिंदु ने अपनी ब्लाउस और ब्रा खोल अपनी भारी भारी पर टाइट सी चूची मेरे हाथों में थमा दी ...और दूसरी तरफ से सिंधु ने अपनी चुचियाँ मेरे मुँह में डाल दी...
मैं दोनो बहनो के प्यार से झूम उठा और उनकी चूचियों से खेलता रहा ..चूस्ता रहा... मस्ती में ...दोनो मेरी गोद में बैठी थी ...
थोड़ी देर में मा आ गयी और किचन के अंदर चली गयीं हमारे खाने की तैय्यारि करने ..
मैं अंदर गया और उस से पूछा "मा ये बिंदु और सिंधु क्या बोल रहीं हैं..तुम ने इन्हें अपनी चूत देने को मना किया है क्या ..??"
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