RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
शाम को मेरे दोस्त का मुझे फोन आया....बहुत पुराना दोस्त था….स्कूल टाइम से…….उसका नाम विशाल है…..मैने कॉल पिक की……”हां बे साले आज कैसे याद कर लिया तूने अपने इस ग़रीब दोस्त को….” मैने कॉल पिक करते ही कहा……
.”यार अगर मे याद नही करता तो तुम कॉन से रोज मुझे मिलने आते हो. कहाँ रहता है आज कल कल तेरे घर पर गया था…तो पता चला कि तुमने वहाँ से मकान बेच दिया है…….”
मे: हां यार वो घर बेच दिया है….नया घर लिया है…..
विशाल: कहाँ पर…..
मे: यार उस घर से थोड़ा आगे नई कॉलोनी कटी है वही पर…..
विशाल: और हां सुना है, कि तुम्हारे घर वाले ***** सिटी मे चले गये है….तो क्या तू वहाँ पर अकेला रह रहा है…..
मे: हां अकेला रह रहा हूँ……
विशाल: यार ऐश है तेरी किसी की रोक टोक नही……चल यार आजा नये घर की ख़ुसी मे पार्टी करते है.
मे: चल ठीक है बोल कहाँ मिलना है…..
विशाल: वही अपने पुराने अड्डे पर…..
मे: विशाल तुझे तो पता है मे पीता नही हूँ…..
विशाल: तो साले मे कॉन से कह रहा हूँ कि तू भी पीना….चल तू वहाँ बैठ कर कोल्ड्रींक ही पे लेना……(उसने हंसते हुए कहा…..)
मे: चल ठीक है मे थोड़ी देर मे पहुँचता हूँ……
उसके बाद मे तैयार हुआ और उस अहाते मे पहुँच गया….जहाँ पर अक्सर वो बैठ कर दारू पीता था…. वहाँ पर मुझे विशाल मिला ढेरो बातें हुई….उसने अपनी व्हिश्कि मँगवाई और मेरे लिए कोल्ड्रींक और साथ मे चिकन भी ऑर्डर किया…..”यार तू तो बहुत तगड़ा हो गया सांड़ की तरह…..क्या बात है..” उसने अपना पेग उठाते हुए कहा…..
”कुछ नही यार आज कल फ्री हूँ…..खाने और सोने के सिवाए कोई काम नही है…..इसलिए थोड़ा वेट बढ़ गया है….”
विशाल: नही यार अच्छा लगती है तेरे बॉडी अब…….
हम ऐसे ही इधर उधर की बाते कर रहे थे….घर जाने की भी जल्दी नही थी…..रात के 9 बज गये थे….पर अहाते मे अब लोगो की गिनती बढ़ने लगी थी…..तभी मेरी नज़र अपने से कुछ दूर बैठे हुए उस आदमी पर पड़ी…जो वीना का पति था…..वो उस समय कोई देसी दारू चढ़ा रहा था… तभी बैठे-2 मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया…..” यार ये दारू का टेस्ट कैसा होता है….” मैने विशाल की ओर देखते हुए कहा…..
विशाल: क्यों बे तेरा भी दिल कर रहा है पीना है क्या……?
मे: हां यार सोच रहा हूँ एक बार ट्राइ करके देखु…..
विशाल: श्योर ?
मे: हां….
विशाल ने मुस्कुराते हुए एक ग्लास उठाया और एक पेग बना कर मुझे दिया…..”थोड़ा कड़वा होता है यार…..पर जब ये एक बार अंदर चली जाती है तो फिर पूछ मत यार…..सारी दुनिया अपनी लगने लग जाती है….” उसने हंसते हुए कहा….
.”अच्छा तो फिर तो एक बार ट्राइ करके देख ही लेता हूँ….” मैने एक घूँट भरा…थोड़ा सा ठनका लगा पर फिर अगली बार एक ही घूँट मे पेग खाली कर दिया….”सबाश मेरे शेर..” विशाल ने खुश होते हुए कहा….
” माँ की चूत बेहन्चोद…” मैने मन ही मन कहा…. पहली बार तो सब को टेस्ट खराब लगता ही है…..
खैर दो पेग के बाद ऐसा सरूर चढ़ा कि पूछो ही मत…..मे एक दम मस्त हो चुका था…अब मेरे दिमाग़ मे सिर्फ़ एक ही बात थी….कि वीना के पति को कैसे भी करके अपना दोस्त बनाना है…..अगली सुबह जब मे उठा तो मेरे दिमाग़ मे फूल्लतू प्लान था….मे फ्रेश हुआ और ब्रश करते हुए एक खाली बालटी उठाई और घर से बाहर आया…..और उनके घर का गेट नॉक किया…डोर बेल नही थी…..थोड़ी देर बाद जैसी कि मुझे उम्मीद थी…उसके पति कमलेश ने ही गेट खोला…
.”जी” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा…..
“यार वो मेरे घर पर पानी नही आ रहा…..एक बालटी पानी मिल जाएगा….मे ये पड़ोस मे रहता हूँ….”
कमलेश: जी क्यों नही……उसने झुकते हुए कहा…..आए ना अंदर आए…..
मे: नही मे यही ठीक हूँ…आप भर कर बाहर ही ला दीजिए….
कमलेश अंदर गया और थोड़ी देर बाद बालटी पानी से भर कर बाहर ले आया…
.”शुक्रिया भाई साहब….वैसे आपका नाम क्या है….” मैने उसकी ओर देखते हुए कहा…
.”जी मेरा नाम कमलेश है…”
“और मेरा नाम तुषार है…..” मे पानी लेकर घर आ गया…..एक काम तो हो गया था….अब आगे क्या करना है….वो भी पहले से ही दिमाग़ मे फिट था…..अब मे रात के इंतजार मे था…..रात को 8 बजे मे तैयार होकर घर से निकला रास्ते मे एटीम से पैसे निकलवाए….और उसी अहाते पर पहुँच गया…..यहाँ मे पिछली रात बैठा था…..मे इस उम्मीद के साथ वहाँ आया था कि, शायद आज भी कमलेश दारू पीने वहाँ ज़रूर आएगा……
और मेरा यकीन उसी पल पक्का हो गया….जब 8:30 बजे मेने उसको अहाते के अंदर आते हुए देखा….उसने मेरी तरफ नही देखा था….और वो दूसरे टेबल पर जैसे ही बैठने लगा तो मैने उसे आवाज़ लगा दी…..”कमलेश भाई इधर……” उसने अपना नाम सुन कर पीछे मूड कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए मेरे पास आ गया….”ओह्ह तुषार भाई आप…..”
मे: हां कमलेश भाई…..आज दारू पीने का मूड था….इसलिए चला आया….आइए बैठिए ना साथ मे बैठ कर पेग लगाते है….
कमलेश: भाई आपको कोई दिक्कत तो नही होगी….
मे: यार इसमे दिक्कत वाली क्या बात है…..
कमलेश: वो क्या है ना भाई……कहाँ आप बड़े लोग और कहाँ हम ग़रीब…..आपके पीने का ढंग मुझसे अलग होगा…..
मे: यार कोई बात नही बैठो तो सही…..जैसे तुम्हारा दिल करे वैसे पीना…..
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