Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
10-06-2018, 12:57 PM,
#10
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मेने उसकी ब्रा और पैंटी वैसे ही साड़ी के नीचे रख दी और अपने रूम मे चला आया...और फिर सो गया....2 घंटे बाद जब मेरी आँख खुली तो मे उठ कर बाहर आया...तो देखा कपड़े अभी भी कुछ गीले थे और ऊपर छत पर ही थे....क्योंकि सर्दियाँ अब शुरू हो चुकी थी...इसीलिए धूप कम तेज होने के कारण कपड़े देर से सुखते थे.... मे वही दीवार के पास चेयर पर बैठ गया.......

मे जानता था कि, अगर मेरे जल्द ही कुछ नही किया तो.....मुझे वीना से बात करने के लिए भी मोका ढूँढना मुस्किल हो जाएगा...क्योंकि कल उसके पति को घर छोड़ा था....तो इसका मतलब ये नही था कि, वो उस बात को लेकर बार- 2 मेरा शुक्रिया अदा करने के बहाने से बात करे....और वीना के नेचर को देख कर भी ऐसा लग रहा था....कि वो बिना किसी वजह से कम ही बात करती होगी.....

अचानक बैठे-2 मेरे दिमाग़ मे कुछ आया....और मेने उठ कर उसकी साड़ी के नीचे वो ब्लॅक कलर की ब्रा और पैंटी निकाली और अपनी छत की तरफ दीवार के पास नीचे फेंक दी.....और फिर से चेयर पर बैठ गया....और अपने सामने रखे हुए स्टूल पर अपने पैर उठा कर रख कर पीछे की तरफ अपनी पीठ टिका कर अपनी आँखे बंद करके लेट गया...और सोने की आक्टिंग करने लगा.....अब मेरे पास वेट करने के अलावा और कोई चारा नही था...और जब तक वीना ऊपर कपड़े लेने नही आ जाती तब तक मे वहाँ से हिल भी नही सकता था.....

मेरी चेयर से कुछ ही दूरी पर उसकी ब्रा और पैंटी नीचे पड़ी हुई थी.....और मे उसके ऊपर आने का वेट कर रहा था....इंताजार काफ़ी लंबा हो गया था…..पर कहते है ना सबर का फल मीठा होता है और उसी कहावत को याद करके मे वहाँ बैठा हुआ था…..करीब 1 घंटे बाद मुझे उसकी सीडीयों से किसी के ऊपर आने की आहट सुनाई डी….मैने उस तरफ देखा तो वीना छत पर आ चुकी थी….मैने उसी पल अपनी आँखे बंद कर ली…..वो तार पर से कपड़े उतारने लगी….अब मे वेट कर रहा था कि, कब वो बाउंड्री पर रखे हुए कपड़े उठाने आए…..

और जिस पल का मुझे बेसबरी से इंतजार था….वो आ ही गया….वो बाउंड्री के पास और कपड़े उतारने लगी….उसने सारे कपड़े उठा लिए थे….पर जैसे ही उसका ध्यान मेरे घर की तरफ नीचे गिरी हुई उसके ब्रा और पैंटी पर गया तो वो कुछ पल के लिए ठहर गयी….वो झुक कर अपनी ब्रा और पैंटी नही उठा सकती थी….क्योंकि साढ़े 4 फीट की बाउंड्री के दूसरी तरफ खड़े होकर झुक कर अपनी ब्रा और पैंटी उठाना उसके लिए ना मुनकीन था…..या तो वो मुझे आवाज़ देती और मुझे अपनी ब्रा और पैंटी जिसे वो अपनी चूत और मम्मों के ऊपर से पहनती थी….और मुझे उठाने के लिए कहती….

और या फिर वो खुद इस तरफ दीवार फाँद कर आती और खुद ही उठाती….पर क्योंकि मे ठीक उसी बाउंड्री के पास चेयर पर बैठा सोने की आक्टिंग कर रहा था….इसलिए उसे दीवार फान्दने की भी हिम्मत नही हो रही थी…..तभी उसने मुझे धीरे से पुकारा…..”सुनिए…..”

मे वैसे ही आँखे बंद करके लेटा रहा…

.”सुनिए…..” इस बार उसने थोड़ा उँचे स्वर मे कहा तो मैने ऐसे दिखाया जैसे मे अभी नींद से जागा हूँ….मैने उसकी तरफ देखा और चेयर से खड़े होते हुए पूछा….”जी कहिए…” मे जान बुझ कर नीचे की तरफ नही देख रहा था….

वीना: वो मेरी साड़ी नीचे गिर गयी है…..पकड़ा दीजिए ना….

मेने नीचे की तरफ देखा और मन ही मन उसके दिमाग़ की दाद दी….साली ने ब्रा और पैंटी के ऊपर जानबूज कर अपनी साड़ी फेंक दी थी…..कि जब मे उसी साड़ी उठा कर पकड़ा दूं तो साथ मे उसके ब्रा और पैंटी भी आ जाएगा…पर दिमाग़ लड़ाने मे तो मैं उसका भी उस्ताद था…मे साड़ी के पास गया और झुक कर साड़ी को ऐसे पकड़ा कि, साथ मे उसकी ब्रा और पैंटी ना आए…फिर मैने साड़ी उठाते ही ऊपर की तरफ फेस कर लिया…

और ऐसे दिखाया कि नीचे छूट गयी ब्रा और पैंटी मैने देखी ही ना हो….मैने उसकी तरफ साड़ी को बढ़ाया तो देखा कि उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे. और वो थोड़ा शरमा भी रही थी….अब उसके पास और कोई चारा नही था….”जी वो भी उठा दीजिए….” उसने इशारा करते हुए कहा….जब मैने नीचे देखा तो उसकी ब्रा और पैंटी को देख कर अपने चेहरे पर भी ऐसे भाव ले आया….जैसे मे उसे देख कर नर्वस हो गया होऊ…..

मैने पहले उसकी ब्रा को उसके स्ट्रॅप्स से पकड़ कर उठाया और उसकी तरफ बढ़ाया….तो उसने अपनी नज़रें झुकाते हुए ब्रा को मेरे हाथ से पकड़ लिया…और अपने दूसरे हाथ मे पकड़ी हुई साड़ी के नीचे छुपा लिया….अब उसके चेहरे पर शरम के मारे मे जो लाली आई थी वो सॉफ दिखाई दे रही थी….पर उसके होंठो पर कोई मुस्कुराहट नही थी….फिर मैने झुक कर उसकी पैंटी को उठाया….मैने पैंटी को नीचे से पकड़ा था…जिस हिस्से से चूत ढँकती है…उस हिस्से के बीच मे अपनी उंगली फँसा कर उठाते हुए उसके चेहरे के सामने ले आया…मेरी उंगली उसकी पैंटी के अंदर उस जगह थी….जहाँ पर उसकी वो पैंटी उसकी चूत के छेद को ढँकती होगी…

अपनी पैंटी को मेरे हाथ की उंगली मे ऐसे लटकते हुए देख उसका चेहरा और लाल हो गया….और उसने अपने सर को झुकाते हुए पैंटी की तरफ हाथ बढ़ाया…मे उसके चेहरे और उसके होंठो को बड़े गोर से देख रहा था….तभी मुझे उसके होंठो पर हल्की सी शर्माहट भरी मुस्कान नज़र आई..और अगले ही पल उसने अपनी पैंटी को पकड़ कर जल्दी से साड़ी के नीचे कर दिया….फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मे मुस्कराते हुए उसकी ओर देख रहा था….उसके होंठो पर भी मुस्कान फैल गयी…और अगले ही पल वो तेज़ी से मूड कर नीचे के तरफ चली गयी…..
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