Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:39 AM,
#8
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
देर रात तक पड़ा-पड़ा सोचता रहा अपनी बीती जिंदगी के बारे में, जिसे उसके सगे पिता और भाइयों ने तो कभी समझा ही नही, लेकिन दूसरों ने कभी भुलाया नही उसकी अच्छाइयों को…

दिमाग़ में उसके जन्म से संबंधित बातें, जो उसकी माँ और अन्य घरवालों से पता चली थी, घूमने लगी कि किन विषम परिस्थितियों में उसका जनम हुआ था….? और क्यों…?

रोशन जब 12थ स्टॅंडर्ड में थे तभी उनकी शादी कर दी गयी, उस वक्त श्याम की उम्र करीब 1 साल थी, 

बेटे की शादी के 2 साल बाद माँ फिर से गर्भवती हो गयी, ये बात जब उन्होने अपने पति को बताई तो संस्कारी जानकी लाल दुखी हो गये….

ये ठीक नही हुआ पद्मा… बहू क्या सोचेगी हमारे बारे में, लोग कहेंगे कि बुढ़ापे में भी इनको चैन नही है….

अभी तो बहू के बच्चे होने वाले हैं और सास अभी-भी बच्चे पैदा कर रही है…

तो अब क्या करें जी…. पद्मावती पति की बात से सहमत होते हुए बोली…

एक काम करो, तुम गरम चीज़े खाना शुरू करदो, अभी ज़्यादा समय नही हुआ है, हो सकता है गर्भ-पात हो जाए…

ठीक है कोशिश करते है… 

गाओं से 35-40 किमी से पहले कोई बड़ा शहर ही नही था जहाँ उचित डॉक्टर की सलाह ली जा सके, सभी लोग देहाती नुस्खे या वैद-हकीम के पास ही इलाज कराते थे ज़्यादातर, और गाओं के वैद जी भी जानकी लाल के गाओं के रिश्ते के बड़े भाई लगते थे, लेकिन शर्म की वजह से उन्होने उन्हें भी पुछ्ना उचित नही समझा और जो उचित लगा वो सलाह दे दी…

उधर माँ अपने पातिदेव की सलाह ध्यान में रख कर उल्टी-सीधी गरम चीगें कूट-कूट के खाने लगी, हालाँकि उन्हें उसका दुष्प्रभाव भी हुआ, लेकिन क्या कर सकती थी वो.

दिन निकलते गये कोई नतीजा नही निकला, अब तो ये भी संभावना नही थी कि बच्चा जिंदा भी है या नही ? लेकिन गर्भ-पात तो नही हुआ. लिहाजा उन्होने वो सब चीगें खाना बंद कर दिया, लेकिन उसका दुष्प्रभाव तो हो चुका था..

सासू जी के गर्भधान के लगभग 4 महीने बाद ही बहू के पाव भी भारी हो गये, जैसे ही ये बात सास-ससुर को पता लगी, वो दोनो बैचैन हो गये, लेकिन दिखाने के लिए खुशियाँ माननी भी ज़रूरी थी, 

अंततोगत्वा अपने गर्भ की बात भी माँ को उजागर करनी ही पड़ी, और ना चाहते हुए भी सभी लोगों को स्वीकार भी कर लेना पड़ा… 

ख़ासकर उनके दोनों बड़े बेटों को बड़ा बुरा लग रहा था…

अंततः वो समय आ ही गया जब उस अन-चाहे जीव को इस धरती पर आना था..

ज्येष्ठ (मे-जून) का महीना था सुबह के पोने तीन या चार बजे बच्चे का जन्म हुआ, बहुत देर तक बच्चे के मूह से कोई आवाज़ नही निकली, बस थोड़ी सी शरीर में हलचल हुई, और फिर बंद हो गई….

शरीर क्या? बस एक पोना-एक किलो का हल्के पीले कत्थई रंग का बहुत ही पतला सा जैसे कि कोई खिलोना हो और उसपे शरीर के अंग स्केच कर दिए हों बस…

थोड़ी देर टटोल-टटाल ने के बाद दाई को जब कोई प्रतिक्रिया बच्चे की तरफ से नही दिखी, तो उसने उसे मृत घोसित कर दिया…
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:39 AM

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