RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
हम इस तरह की डिसक्यूसषन कर ही रहे थे कि कोई 15-20 मिनट में ही एसपी का फोन आ गया, हमारी समझ में आ गया कि उन्होने इस मामले को सीरियस्ली लिया है.
फोन उठाते ही एसपी ने बताया कि उनकी बात कमिशनर साब से हो चुकी है, उन्होने भी चिंता जताते हुए मीटिंग का समय दे दिया है, अब हमें कल सुबह 10 बजे उनके ऑफीस पहुँचना है.
हम प्रिन्सिपल साब को गुड नाइट बोलके हॉस्टिल आ गये, मेस में खाना खाया और बिस्तर पे लेट गये, थकान की वजह से जल्दी नींद आ गयी.
सुबह मे और प्रिन्सिपल सर उनकी जीप से कमिशनर ऑफीस पहुँचे, एसपी वहाँ पहले से मौजूद थे.
कमिशनर के सामने प्रिन्सिपल ने मेरा परिचय दिया, मुझे देखकर वो बड़े खुश हुए, और हाथ मिलाया.
बैठो आप लोग, और बताओ क्या सिचुयेशन है..? कमिशनर साब बोले.
प्रिंसीपल- सर ये सब अरुण ही बताए तो ज़्यादा उचित होगा.
कमिशनर ने मेरी ओर देखा और बोलने का इशारा किया..हॅम..
मैने उन्हें सारी डीटेल्स नामों के साथ दी, वो कुछ चिंतित हो गये, कुछ देर शांति छाई रही.. फिर एसपी की तरफ रुख़ करके बोले..
कमिश्नर- एसपी , क्या कहना चाहोगे इस मामले मे, देखो पहले ही हम समाज सेवियों की वजह से प्रेशर में हैं, मीडीया भी पीछे लगा है, अब अगर इस मामले में भी कुछ नही किया, तो जबाब देना मुश्किल हो जाएगा.
एसपी कुछ बोल ही नही पाए, कुछ देर इंतजार करने के मैने कहा- सर मे कुछ कहूँ..?
कमिश्नर- हां-हाँ बोलो क्या कहना चाहते हो..?
मे- सर पोलीस का आप देखो, गुण्डों से हम निपट लेते हैं.
कमिश्नर- इतना आसान नही है यंग मॅन..! वो गुंडे बहुत पवरफुल हैं, उनके पास में पवर, मनी पवर, पॉल्टिकल पवर सब कुछ है.. कर पाओगे उनका मुकाबला..?
हमारे महकमे ने कई बार हकीम लुक्का पर हाथ डालने की कोशिश की है, लेकिन ना तो कोई ठोस सबूत मिला और उपर से पोलिटिकल प्रेशर और झेलना पड़ा सो अलग.
मे- उसका कारण भी आपकी पोलीस ही है सर, जिन लोगों को आपने कार्यवाही के लिए भेजा होगा, वो या तो उससे पहले से ही मिले होंगे या उसने खरीद लिया होगा.
और रही बात पावर की, तो सर हमारे पास सच्चाई की पवर है, देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज़्बे की पवर है, आप पोलीस को संभलो, हमारे बीच में ना आए, जहाँ एक बार ये मामला सड़क पे आ गया, नेता भी अपनी साख बचाने के चक्कर में मुँह छिपाके बैठ जाएँगे एक कोने में छिप कर.
कमिश्नर मुँह बाए मेरी तरफ देखने लगे…! कहीं तुम चंद्रशेखर आज़ाद का पूनर जन्म तो नही हो..? वो बोले..तो प्रिन्सिपल और एसपी ठहाका लगाए बिना नही रह सके उनकी बात सुनकर..
मे- मुस्कराते हुए..! नही सर मे उस दिव्यात्मा के पैरों की धूल के बराबर भी नही हूँ, हां एक जज़्बा ज़रूर है कुछ अच्छा करने का.
कमिश्नर- देखो बच्चे, हम तुमसे सहमत हैं, और इसकी इजाज़त भी दे सकते हैं, परंतु ये मामला सड़कों तक ना पहुचे तो हम सबके लिए अच्छा रहेगा.
मे- नही पहुँचेगा सर..! लेकिन उससे पहले जितने करप्ट पुलिस वाले इसमें इन्वॉल्व हैं, उन्हें आपको साइड लाइन करना होगा.
कमिश्नर- एसपी, शहर के सभी थानों की लिस्ट निकालो, आप खुद कंट्रोल रूम से फोर्स लेकर उनपर दबिश दो, जो नाम अरुण ने बताए हैं उन सभी हरामी पुलसियों के खिलाफ आक्षन लो और सेकेंड लाइन को टेम्पररी चार्ज देदो, बाद में अपडेट कर लेंगे.
एसपी- यस सर, आज शाम 4 बजे तक रिपोर्ट आपके टेबल पर होगी..!
कमिश्नर- गुड.. , तो अरुण अब बोलो तुम्हारा क्या प्लान है..?
मे- सर मेरी रिपोर्ट कल सुबह के न्यूज़ पेपर के ज़रिए आप तक पहुँच जाएगी…!
कमिश्नर- चोन्क्ते हुए…! क्या मतलब..? क्या करने वाले हो..?
मे- अभी सर मे कुछ नही कह सकता.., अपने दोस्तों के साथ प्लान बना के ही कुछ फाइनल करूँगा.. हां इतना कह सकता हूँ, कि हकीम लुक्का कल या तो ईश्वरपूरी पहुँच चुका होगा या मेंटल हॉस्पिटल में.
तीनो अधिकारी गहरी नज़रों से मेरी ओर देखते रह गये, मे अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ… और प्रिन्सिपल से बोला.. चलें सर.
प्रिन्सिपल जैसे नींद से जागे.. आन्ं.. हां चलो, चलते हैं.
मे- रुक कर..! एक मिनट !, एसपी साब एक फेवर करेंगे..?
वो बोले- हां बोलो..
मे- मुझे 8 उन औथराइज्द गन्स चाहिए ! मिलेंगी..? मे वादा करता हूँ वापस कर दूँगा..
वो बोले- नही-2 इसकी कोई ज़रूरत नही है, लेकिन उनका भविष्य में ग़लत इस्तेमाल ना हो…बस.
मे- प्रॉमिस सर..! ग़लत इस्तेमाल ग़लत लोग करते हैं, और विस्वास करिए, हम में से कोई भी ग़लत नही है.
कमिश्नर- हमें तुम पर पूरा भरोसा है माइ बॉय, और फक्र भी. तुम जैसे अगर 5-10% लोग भी इस समाज में हों तो इस तरह की बुराइयाँ पनप ही ना सकें, क्यों प्रिन्सिपल साब में सही कह रहा हूँ ना..
प्रिंसीपल- बिल्कुल सच कहा सर आपने, इस लड़के ने हमारे कॉलेज को बर्बाद होने बचाया ही नही, अपितु नाम रोशन किया है.. पूरा कॅंपस इसका काफ़ी दिनों तक अभारी रहेगा, और शायद ये शहर भी.
एसपी ऑफीस से गन लेके हम निकल पड़े कॅंपस की ओर..
रास्ते में मैने प्रिन्सिपल साब से जीप यूज़ करने की पर्मीशन माँगी, तो उन्होने फ्री ऑफ हॅंड कुछ भी असेट्स उसे करने की अनुमति मुझे देदि.
प्रिन्सिपल साब अपने ऑफीस चले गये, मे अपने क्लास रूम मे चला गया, वहाँ से अपने दोस्तों को पकड़ा, फिर दूसरे चारों को बुलवाया और सभी हॉस्टिल में आ गये.
मे- बी सीरीयस दोस्तो, अब में जो कहने जा रहा हूँ, वो शायद आप लोगों को पसंद ना हो, लेकिन अब पीछे मुड़ने का चान्स नही रहा, अब सिर्फ़ आगे ही बढ़ा जा सकता है.
मुझे पता है कि हम अगर अपनी पूर्ण इक्षा शक्ति का उपयोग करें तो हम 8 जने 20 लोगों के बराबर हैं, और यही कॉन्फिडॅन्स हमें आज दिखाना है, मैने अपने ड्रॉयर से 8 खुकरी (कटार) म्यान के साथ निकाली और सबको 1-1 पकड़ा दी,
फिर 8 मंकी कॅप निकाले वो भी बाँट दिए..
मेरे प्लान के मुताबिक, वैसे तो हमें इन खुक्रियों की शायद ही ज़रूरत पड़े, फिर भी अगर उसे करनी पड़े, तो आप लोग मौके के हिसाब से खुलकर यूज़ कर सकते हो… ध्यान रहे, ज़रूरत पड़े तो.
अब हमें जल्दी से लंच लेके निकलना है, हो सकता है अब हम देर रात या कल सुबह ही लौट पाएँ.
सभी लोग मेरे मुँह की तरफ ही देखे जा रहे थे मानो मे कोई अजूबा हूँ या दूसरे गृह का प्राणी..
फिर भी कपिल से रहा नही गया, तो वो बोला- अरुण वैसे तो हम सब वचन बद्ध हैं, तुम्हारे कंधे से कंधा मिलकर चलने के लिए, फिर भी में चाहता हूँ कि जो भी हमें आज के दिन में करना है, उसे एक बार डीटेल डिसक्यूसषन करलें तो कैसा रहे..
|