Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:50 AM,
#70
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
थोड़ी ही देर में वो दो ग्लास में आपल जूस और कुछ स्नेक्क्स ले आई, और मेरे सामने झुक कर सेंटर टेबल पर रखा, झुकने के कारण उसका आँचल धलक गया तो उसके गोल-2 सुडौल खरबूजे और उनके बीच की गहरी खाई नुमाया हो गयी, 



वाह ! क्या खजाना छुपा रखा था उसने टाइट ब्लाउस के अंदर ? मेरी नज़र वहीं जम गयी.

जब उसने मेरी नज़रों का पीछा किया तो शरमा कर अपना पल्लू संभाल कर खड़ी हो गयी और फिर मेरे बाजू में सोफे पर बैठ कर हम दोनो जूस शिप करने लगे.

उसने स्नेक्क्स की प्लेट उठा कर ऑफर की, तो मैने एक दो पीस उसमें से उठा लिए..

थोड़ी देर इधर उधर की बातें की, उसने मुझे डिन्नर के लिए पुछा, मैने मना कर दिया कि मे मेस में ख़ाके आया था.

जब मे चलने के लिए सोफे से उठा, तो पीछे से उसने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया, और मेरी पीठ पर अपना गाल रगड़ते हुए भर्राइ हुई से आवाज़ में बोली..

मुझे ऐसे अकेले छोड़ कर ना जाओ अरुण, मुझे तुम्हारी ज़रूरत है….!

मैने बड़े प्यार से उसके दोनो हाथों को पकड़ के अपने सीने से अलग किया और उसको सामने लाकर उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला…

अपने आपको संभालिए रतीजी… जो आप चाहती हैं वो संभव नही है..

वो- लर्जति हुई आवाज़ में- पर्रर…क्क्यों..? तुम्हें तो मे अच्छी लगी हूँ ना..!

मे- हर अच्छी चीज़ पर हर एक का हक़ नही होता…! मुझे अब चलना चाहिए रात बहुत हो गयी है, आप भी सो जाइए.. और तेज-2 कदमों से मे उसके बंगले से बाहर निकल आया…

अभी तक मेरे दोस्त डेटिंग से लौटे नही थे, मे कमरे में आकर अपने बिस्तर पर लेट गया, शाम को हुई सारी घटनाओ पर गौर करता रहा, सोचता रहा, कि साला पता नही मेरे साथ ही अक्सर ये सब क्यों होता है ?

एक तो साला आदत इतनी खराब, कि किसी के साथ ज़्याददती होते सहन नही होती, उपर से मुझे ही क्यों मिलता है ये सब होते हुए ? क्या मेरी नियती ही है ये..?

सोचते-2 पता नही कब नींद लग गयी, कब वो लोग लौटे. सुबह जब जिम से लौट रहा था तब वो लोग जिम जा रहे थे, मैने कहा क्यों भाई लोग कल तो खूब मस्ती की..क्यों ? कहाँ तक पहुँचा मामला ? किसी का गेम-वेम बजाया की नही..?

कपिल हंसते हुए.. हां यार मस्ती तो की, सिर्फ़ प्रॅक्टीस ही हो पा रही है, अभी फाइनल मॅच नही हो पा रहा..

मे- क्यों..? कोई दिक्कत है क्या..?

रोहन – अरे यार मॅच तो तब हो ना जब कोई ग्राउंड मिले खेलने लायक.. सब नये खिलाड़ी हैं, फाउल वाउल हो गया तो परेशानी में पड़ जाएँगे.. और सब ठहाका मार कर हँसने लगे..!

फिर वो सब जिम चले गये और मे रूम पर आकर कॉलेज के लिए तैयार होने लगा.

लेक्चर अटेंड करने के बाद हम चारों अपने रूम में पहुँचे ही थे, मे एक शॉर्ट और स्पोर्ट्स बनियान में बैठा था, वाकी भी ऐसे ही उन फॉर्मल कपड़ों में ही थे. मेस में लंच के लिए जाने ही वाले थे की गेट पर दस्तक हुई…!

मेरी नज़र खुले गेट पर गयी.. देखा तो एक छोटे से कद का व्यक्ति कोई 5’3” की हाइट का थोड़ा भारी शरीर का आवरेज स्किन कलर, गोल भारी चेहरा, 3/4 ही खोपड़ी पर बाल बचे होंगे खड़ा था. 

मैने सवालिया नज़रों से उससे देखा, वाकी दोस्तों की नज़र भी उसपर पड़ चुकी थी. 

वो- अरुण शर्मा इसी रूम में रहते हैं…?

मे- हां ! मे ही अरुण हूँ..! कहिए क्या सहायता कर सकता हूँ आपकी..?

तब तक एक लेडी सिल्क की साड़ी पहने नुमाया हुई दरवाजे में उसके पीछे से निकल कर..! मे चोंक गया, और बोला.. अरे रीति जी आप..? और यहाँ..?

आइए… आइए… कैसे आना हुआ…? वो एक टक मेरे कसरती शरीर पर नज़र गढ़ाए देखे ही जा रही थी…! जब मैने दुबारा उससे पुकारा.. अरे भाभिजी कहाँ खो गयीं.. तब वो हड़बड़ा गई और बोली.. व वो.. हम तुमें लेने आए हैं.

मे- मुझे लेने आए है..? कहाँ जाने के लिए..? 

वो- अरे.. चलिए तो सही..! अब कोई सवाल नही, उठिए बस..

मे- अच्छा ठीक है, आप दो मिनट रुकिये मे कपड़े पहन कर आता हूँ.

वो- ठीक हम बाहर गाड़ी में बैठे हैं, आप जल्दी से तैयार होकर आइए.

मैने अपने कपड़े पहने, मेरे दोस्त कुछ समझ ही नही पा रहे थे कि आख़िर माजरा क्या है, आख़िर ऋषभ बोल ही पड़ा.. 

अरे भाई, कॉन है ये मेनका..? और कहाँ ले जाना चाहती है तुझे..? क्या-2 गुल खिला रखे हैं तूने..? कुछ हमें भी तो बता दिया कर भाई..?

मे- अरे कुछ नही यार, अभी देर हो रही है, आके सब बताता हूँ, बाइ.. और मे निकल गया रूम से.

मे और रति पीछे की सीट पर थे, आलोक गाड़ी ड्राइव कर रहा था.

रास्ते में आलोक बॅक मिरर से मेरी ओर देखकर बोला- रति ने कल शाम की घटना मुझे बता दी है, सच में अरुण तुमने हम लोगों को बिन मोल खरीद लिया है भाई.. ! हम तुम्हारा ये अहसान कैसे चुका पाएँगे..?

तुमने मेरी पत्नी की इज़्ज़त बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है हम पर.

मे- अरे भाई साब ! थम्बा ! और कितना छोटा बनाएँगे मुझे..? 

मैने आपके उपर कोई अहसान नही किया है..? जिसे आप चुकाने की बात कर रहे हैं, ये सब परिस्थियाँ बन जाया करती हैं. मैने तो बस वही किया जो उस समय मुझे उचित लगा.
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