Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:16 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
अभी ये बातें हो ही रही थी कि तभी ऑफीस के फॅक्स पर स्टेट होम सीक्रेटरी के आदेश का फॅक्स आ गया, 

जो सेंटर होम मिनिस्ट्री के आदेश को फॉलो करता था, ट्रिशा ने फॅक्स लेकर कमिशनर के हाथ में पकड़ा दिया और बोली- और कुछ सपोर्ट चाहिए सर.

कमिश्नर - बस करो ऑफीसर, इन मिसटर ने ही बहुत कुछ सुना दिया मुझे, अब आप तो कम-से-कम अपने सीनियर की खिचाई मत करो, 

यू गो अहेड मे आपके साथ हूँ. और उसने एसपी के सिग्नेचर को वेरिफाइ करके भानु के उपर संबंधित धारा के तहत केस चलाने के आदेश दे दिए.

अब भानु को सज़ा से कोई नही बचा सकता था, वैसे ऐसे जालसाज़ और बाहुबली नेताओं से मिले रहने की सरकार की भी अपनी मजबूरी होती है लोक्तन्त्र में, 

लेकिन जब ये फँस जाते हैं, तो वही तन्त्र अपने हाथ खींच भी लेता है.

यही भानु के साथ भी हुआ, जब सेंटर का दबाब पड़ा तो स्टेट ने हाथ खड़े कर दिए और भानु का साम्राज्य ख़तम हो गया. 

लोगों ने भी चैन की साँस ली.

इधर जब कोतवाली से फारिग होकर हम घर लौटे तो अंधेरा घिर चुका था, 

अभी हम घर के गेट पर ही थे कि चौधरी साब का फोन आ गया और उन्होने कन्फर्म कर दिया कि ट्रान्स्फर ऑर्डर दो दिन में पारित हो जाएगा, 

चाहो तो यहाँ आकर कलेक्ट कर सकते हो और महीने के अंत तक कभी भी जाय्न कर सकती है.

मैने ट्रिशा को ये बात बताई तो उसने मेरे होठों का चुंबन करके थॅंक्स कहा.

अंदर आकर हमने दोहरी खुश खबरी जब सबको बताई तो सब खुशी से झूम उठे, 

ट्रिशा के मम्मी पापा की आँखों में तो खुशी के मारे आंशु आ गये. 
उपर से जब ट्रिशा ने बताया कि ये सब आपके दामाद की वजह से हुआ है, तो उन्होने बारी-2 मुझे गले से लगा लिया और बोले- 

हम कितने ग़लत थे बेटी, तुझे कितना रोका था हमने जब तुमने अरुण से शादी के लिए बोला था तब, लेकिन अब हमें तुम्हारे चुनाव पर फक्र हो रहा है.

निशा को तो पता नही नकाब पोश वाले सीन से ना जाने क्या हो गया था, वो तो अपने प्यारे जीजू को बलिहारी वाली नज़रों से निहारे जा रही थी. आख़िर जब नही रहा गया, तो बोल ही पड़ी.

निशा - दीदी आज मुझे आपसे बड़ी जलन हो रही है..!

ट्रिशा ने उसे सवालिया नज़रों से घूरते हुए कहा - क्यों ?? मैने तेरा क्या छीन लिया जो तुझे मुझसे जलन हो रही है.

निशा - इतने प्यारे जीजू को जो हथिया लिया है आपने..!

उसकी बात सुन कर सभी ठहाका लगा कर हसने लगे और निशा झेंप कर रह गयी…!

ऐसे ही हसी-खुशी के वातावरण में हम सब लोगों ने अपना डिन्नर ख़तम किया, कुछ देर गप-सप की, और फिर सब अपने-2 रूम में सोने चले गये..!

आज हम दोनो पति-पत्नी अपने मन की जी भरकर भडास निकालने वाले थे, 
सो बेड पर आते ही शुरू हो गये और ना जाने रात के कोन्से पहर थकान से चूर-चूर होकर हमें नींद ने अपने आगोश में समेट लिया !
तीसरे दिन हम सबने अपना ज़रूरी समान समेटा और देल्ही जाने वाली फ्लाइट पकड़ ली, 

वाकी भारी समान को मवर्स & पॅकर्स को. के हवाले कर दिया जो बाद में पहुँचने वाला था..

देल्ही आकर उन तीनों को एर पोर्ट के रेस्ट रूम में रोका, मे और ट्रिशा सचिवालय की ओर चल पड़े.

अमित चौधरी के ऑफीस पहुँच कर मैने उनसे ट्रिशा को इंट्रोड्यूस कराया और कहा, 

ट्रिशा ये तुम्हारे ससुर जी हैं इनके पैर छुकर इयांका आशीर्वाद लो, इनकी वजह से हम दोनो एक हुए हैं.

ट्रिशा ने पूरी श्रद्धा से उनके पैर छुये तो उन्होने भी स्नेह पूर्वक उसको सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया और कहा- बेटी इस हीरे का हमेशा ख्याल रखना, 

वैसे तो ये इतना मजबूत है कि कोई चट्टान भी इससे टकराए तो वो भी चकनाचूर हो जाएगी, लेकिन जिंदगी का कोई भरोसा नही होता है कब क्या मोड़ ले ले. 

ऐसे ही किसी मोड़ पर अगर ये टूटने लगे तो तुम हमेशा इसके साथ खड़ी रहना, इसे सहारा दे देना बस, ये फिर उठ खड़ा होगा.

ट्रिशा भावुक होते हुए बोली - आप चिंता ना करें सर, आपकी अमानत का में जी जान से ख्याल रखूँगी, जब तक मेरी जान में जान है, इन्हें टूटने नही दूँगी. 

मेरी वजह से ये कभी कमजोर नही पड़ेंगे ये मेरा वचन है आपको.

चौधरी - जीती रहो मेरी बच्ची, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी, और इसी उम्मीद के चलते मैने इस नलायक को तुमसे शादी करने के लिए हां कहा था.

फिर उन्होने अपनी सीक्रेटरी को हमारे साथ होम सीक्रेटरी के पास भेजा वहाँ से ऑर्डर कलेक्ट किए और हम वापस एर पोर्ट पहुँच गये.

शाम होते-2 हम अपने 3 बीएचके वाले फ्लॅट में आ गये, खाना होटेल से बुक कर दिया था. 

ट्रिशा के ऑफीस जाय्न करने तक इसी फ्लॅट में गुज़ारा करना था, उसके बाद तो उसको एसीपी की रंक के हिसाब से आवास मिलना था, जो शायद किसी बंगले से तो कम नही होना चाहिए.

4-5 दिन हमारे साथ रह कर ट्रिशा के मम्मी पापा गाँव वापस लौटने लगे, जब हमने उन्हें और रुकने को कहा तो वो बोले- 

बेटा अब थोड़ा बहुत अपनी ज़मीन जायदाद की देखभाल भी तो करनी पड़ेगी. फिर कोई मौका पड़ेगा तो ज़रूर कुछ दिन रुकेंगे.

ट्रिशा की मम्मी ने उसके चिन पर हाथ रख कर कहा- अब तो बस नवासे का इंतजार है, तभी आएँगे तुम्हारे पास, 

अब ये तुम लोगों पर निर्भर करता है कि कितनी जल्दी बुलाते हो हमें..? क्यों जी..! उन्होने अपने पति को संबोधित करके कहा.

पापा- बिल्कुल ! अब तो जितना जल्दी हो सके अपने नवासे का मुँह देखना है.
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