Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:31 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मैने सबको एक साथ बिठाया, हम सभी 9 लोग अमीना बी के साथ, क्योंकि वो भी अब हमारे ग्रूप का अहम हिस्सा थी, तो उनको भी सारी बातें पता होनी चाहिए थी.

और वैसे वो भी अपनी बेटियों के साथ मिलकर फिट रहने लायक तो एक्सर्साइज़ करती ही रहती थी.

मैने सबको संबोधित करते हुए कहा – दोस्तो ! अब आप सब लोग एक आम इंसान नही रहे, खास हो चुके हैं और हमने जो भी सीखा है उसको अमल में लाने का समय आ चुका है.

नीति कहती है कि आपका दुश्मन आपके बारे में कुछ जाने या सोचे उससे पहले हमें उसके बारे में सब कुछ सोच विचार कर लेना चाहिए. 

इससे पहले कि वो कोई पहल करे हमें उसे इसका मौका दिए वगैर उसके घर में ही दबोच लेना चाहिए.

हमारा दुशमन कोई बाहरी मुल्क नही है, हमारी ही फौज है, हुकूमत है जो दहशतगर्दों के साथ मिलकर इंसानियत का कत्ल करवा रही है.

कहने को तो हम आज़ाद कश्मीर के बाशिंदे हैं, पर असल में हम क़ैदियों से भी बदतर हालत में हैं. 

हम हुकूमत से सीधे तौर पर तो टकरा नही सकते, लेकिन अगर हम दहशतगर्दी के खिलाफ कुछ करते हैं, 

और उन्हें किसी भी हद तक कमजोर करने में कामयाबी हासिल कर पाते हैं तो ये इस इंसानियत की दुश्मन हुकूमत के लिए किसी चुनौती से कम नही होगी.

और इससे अवाम का साथ भी हमें मिल सकेगा, लोग हम पर भरोसा करने लगेंगे और हमारा साथ देंगे. 

अकरम – लोग हमारा साथ किस कदर देंगे..?

मे – दोस्त ! साथ रहकर गोली चलाना या मार-पीट करना ही साथ देना नही होता, इसके लिए तो हमें आगे चल कर और भी साथी मिल सकते हैं, जैसे तुम लोग मिल गये हमें. 

हमारे बारे में किसी को कुछ ना बताना या वक़्त आने पर हर संभव मदद करना भी साथ देने के बराबर ही है.

रहमत – तो अब आप क्या करने वाले हैं..? 

मे - देखो ! जैसे यहाँ एक बार कुछ फ़ौजी आए, उन्होने दहशत फैलाई, आप लोगों को पकड़ कर ले गये, ऐसे ही किसी मौके का यहाँ बैठ कर इंतेज़ार करना और फिर उन पर हमला करना ये हमारी बहुत बड़ी भूल होगी.

क्योंकि अब अगर ऐसा कुछ भी इस इलाक़े में हुआ, तो हम तुरंत शक़ के घेरे में आ सकते हैं, 

हमारी लोकेशन पता चलते ही हुकूमत अपनी माकूल ताक़त का स्तेमाल करके हमें ख़तम कर देगी.

यही काम हम अपने इलाक़े से दूर अंजाम देंगे तो उनका ध्यान हमारे इलाक़े की तरफ आएगा ही नही, और वो हमें उसी इलाक़े के आस-पास ही ढूँढने की कोशिश करते रहेंगे…

परवेज़ – तो फिर अब हमें क्या करना चाहिए..?


मे - उसी बात पर आ रहा हूँ..! आप लोगों में से किस किस के पास बाइक या दूसरे साधन हैं..? तो सब की ओर देख कर मैने कहना जारी रखा और बोला-

सबसे पहले हमें कम-आज़-कम दो बाइक का और इंतेज़ाम करना होगा. अकरम और परवेज़, आज ही मेरे साथ किसी नज़दीक के शहर चलो, हमें दो बाइक लेनी पड़ेगी. 

और लड़कियों की ओर देख कर, तुम सभी को बाइक चलानी सीखनी होगी, तो आज से ही प्रॅक्टीस शुरू करदो, साथ-2 आप सबको निशाने बाज़ी भी सीखनी है. 

वो चारो एक्शिटेड दिखी ये सब सीखने के लिए. 

फिर मैने रहमत अली को बोला- भाई आप आज से ही इनको शूटिंग करना सिख़ाओ, ध्यान रहे केवल रेवोल्वेर इस्तेमाल करनी हैं, वो भी साइलेनसर लगाकर. ताकि इलाक़े में किसी को इस बात का इल्म ना हो.

कल से बाइक भी आ जाएँगी तो वो भी साथ-2 सीखना है, मैने लड़कियों की ओर देख कर कहा – समझ गये सब लोग, क्या तुम तैयार हो..?

वो सब एक स्वर में बोली – यस सर !

मे – ये सर किसको कह रही हो तुम लोग..?

आईशा मुस्करा कर बोली- अरे आपको और किसको कहेंगे, यहाँ आप ही तो सबके उस्ताद हैं. 

जाहिरा – आपकी बातों ने ही तो हमें उठ खड़ा होना सिखाया है, वरना अब तक तो रोज़ मार-मार के ही जी रहे थे. 

सही मायने में आप ही हमारे सच्चे उस्ताद हो.

मे - चलो ठीक है.. अब तुम लोग जितना जल्दी ट्रेंड हो जाओगी, हमारा काम उतना ही आसान होगा.

वो चारों वॉली- हम सब अपनी पूरी लगान से सीखेंगी.

रहमत – लेकिन भाई जान खर्चा पानी और ये बाइक खरीदने के लिए रकम कहाँ से आएगी..?

उसकी फिकर मत करो, सब हो जाएगा.. और फिर नाश्ता वग़ैरह करके मे अकरम और परवेज़ को लेकर मुज़फ़्फ़राबाद की ओर निकल गया और रहमत उन लड़कियों को शूटिंग सीखने में जुट गया.

हफ्ते दस दिन में ही लड़कियों ने पूरी लगान से काम चलाने लायक निशाने बाज़ी और बाइक चलाना सीख लिया था.

मैने तीन ग्रूप बनाए, 1) मेरे साथ शाकीना और आईशा, 2) अकरम + परवेज़ + जाहिरा, 3) रहमत के साथ रहना. 

इन दोनो को एकांत की नितांत ज़रूरत थी, बहुत दिनो की जुदाई जो झेली थी बेचारों ने.

मैने कहा- अब हम सभी तीन ग्रूप्स में पूरे पीओके के अंदर जितने दहशत गार्दी के कॅंप चल रहे है, उन सब की गुप्त रूप से जानकारी हासिल करेंगे.

सबको एक-2 मोबाइल दिया, उनके नंबर एक दूसरे के फोन में ऑलरेडी फीड थे.

ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे से कॉंटॅक्ट कर सकते हो इस फोन के ज़रिए. 
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:31 AM

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