Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:32 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
अभी हम लगभग 1 घंटे का ही सफ़र तय कर पाए थे, इस समय एक घनी आबादी वाली बस्ती के पास से गुजर रहे थे कि तभी कुछ गोलियों की आवाज़ हमारे कानों में पड़ी.

हमने अपनी बाइक रोक दी और आवाज़ों का अनुमान लगाने लगे. 

फिर बहुत देर तक कोई आवाज़ सुनाई नही दी. 

कुछ देर हम लोग यूँही खड़े रहे लेकिन फिर भी कुछ सुनाई नही दिया, 

अभी हम आगे बढ़ने की सोच ही रहे थे कि कुछ लोगों की चीख पुकार और भागते कदमों की आवाज़ें जो अब हमारी तरफ ही बढ़ती चली आ रही थी कानों में पड़ी.

हमने फ़ौरन अपनी बाइक्स मेन रास्ते से हटाकर घरों की ओट में खड़ी कर दी, और अपने चेहरों को कपड़ों से ढक लिया, हथियारों पर पकड़ अपने आप ही मजबूत हो गयी, और घरों की आड़ लेकर आने वालों का इंतेज़ार करने लगे.

कुछ ही लम्हे बीते होंगे, की 30-40 लोग हमारी ओर बेतहाशा भागते हुए आरहे थे, जिनमें ज़्यादा तार युवतियाँ और कुछ युवक और बच्चे थे.

उनके पीछे एक ओपन टेंपो ट्रॅक्स जीप जिसमें 8 लोग एके-47 लिए जिनका रुख़ इस समय आसमान की तरफ था, बदन पर भारी कपड़े का पठानी सूट और मुँह कपड़ों से ढका हुआ था,

वो जीप के पिछले हिस्से में खड़े थे और ड्राइवर समेत 3 लोग अगले हिस्से में बैठे थे उसी तरह के लिबास में.

ड्राइवर के अलावा उन दोनो के हाथ में भी ऑटोमॅटिक गन थी. 

जीप ने स्पीड बढ़ा कर लोगों को रौंदने की कोशिश की लेकिन ज़्यादातर लोग अगल-बगल को बचने लगे, लेकिन एक-दो बच्चों को फिर भी उसने रौंद दिया.

साइड में बचने वाली एक युवती को आगे बैठे हुए आतंकी ने अपनी बाजू की गिरफ़्त में ले लिया और उसको चलती जीप में उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया. 

वो बेचारी रहम की भीख माँग रही थी जो उन इंसानियत के दुश्मनों के पास देने को नही थी.

अचानक एक गोली हवा में चली और एक भयानक आवाज़ उनमें से एक दहशतगर्द के मुँह से निकली.

सब लोग रुक जाओ वरना सबको भून दिया जाएगा, वो बेचारे सभी लोग एक साथ डर के मारे एक जगह खड़े हो गये.

वो 10 के 10 आतंकी जीप से नीचे आए और उन सभी को घेर कर खड़े हो गये. 

वही आवाज़ फिर गूँजी- बताओ तुम में से किसी ने कल हुए फ़ौजिओं के क़त्ले आम को देखा है..? 

चारों तरफ सन्नाटा पसर गया, कहीं से कोई आवाज़ नही आई.

जब किसी ने उसकी बात का जबाब नही दिया तो उसकी राइफल से एक गोली निकली और भीड़ में खड़े एक आदमी का सीना चीरती हुई निकल गयी.

उस आदमी की लाश देख कर सभी के चेहरे पीले पड़ गये, वो खड़े-2 थर-2 काँप रहे थे.

उनमें से हिम्मत जुटा कर एक आदमी बोला - मई-बाप हम में से किसी ने ये वाकीया नही देखा. हमें मुआफ़ कीजिए.

वो आतंकी जो शायद इस दल का लीडर था, झुंझल कर बोला- ऐसा कैसे हो सकता है, कि कोई इतना बड़ा कांड करके चला गया और आस-पास दूर-2 तक किसी को कुछ पता नही, सारा इलाक़ा कुछ भी बताने को राज़ी नही है.

उस युवती का हाथ अभी भी वो मजबूती से पकड़े हुए था, फिर अपने साथियों से बोला- चलो कहीं दूसरी बस्ती में पता करते हैं और इनमें से एक-2 अच्छे से माल को उठा लो. 

कुछ तो यहाँ आने का फ़ायदा हो, कहीं जंगल में ले जाकर मंगल करके छोड़ देंगे सालियों को.

और खुद उस युवती को घसीटता हुआ फिर से जीप की ओर ले जाने लगा.

उसके साथी तो शायद इसी इंतेज़ार में थे, सुनते ही पहले से सुंदर सी लड़कियों पर नज़रें गढ़ाए हुए थे, फ़ौरन उन्हें उठा लिया और जीप में भूसे की तरह पटक दिया.

वो सभी बेचारी रोती बिलखती रही, दुआ करती रही कि कोई आके बचाए उन्हें. लेकिन ऐसा कॉन था उनके बीच जो उन्हें बचा पता इन दरिंदों से.

उन 10 लड़कियों को अपने पैरों के नीचे दबाए वो लोग जीप लेकर वहाँ से निकल गये, और छोड़ गये गहन सन्नाटा जो वहाँ के बचे-खुचे लोगों के चेहरों पर व्याप्त था.

हम खुले तौर पर अवाम की नज़रों में नही आना चाहते थे, सो उन्हें जाते हुए देखते रहे और जब वो कुछ आगे निकल गये, हमने भी अपनी-2 बाइक निकली और उनके पीछे लग लिए.

कुछ दूर चल कर वो टेंपो ट्रॅक्स सड़क छोड़ कर कच्चे रास्ते पर आ गयी और घने जंगलों की तरफ बढ़ने लगी.

जंगल में थोड़ा चलकर ही उन्होने गाड़ी रोक दी और झाड़ियों के बीच एक छोटे से मैदान में उन लड़कियों को खींच कर ले गये.

वो लड़कियाँ बेजार आँखों से पानी बहाए जा रही थी, लेकिन उन दरिंदों पर उनके आँसुओं का कोई असर नही था, 

वो सबके सब उनके कपड़ों को नोंचने में लग गये, अपनी-2 गन उन्होने जीप में ही छोड़ दी थी.

अभी वो उनके कपड़े उतार ही रहे थे कि हवा में सनसनाती हुई एक गोली उनके लीडर की कनपटी में लगी और उसकी खोपड़ी को खोलती हुई निकल गयी.

सेकेंड के सौवे हिस्से में ही उसकी आत्मा उसके शरीर को छोड़ कर 72 हूरों के साथ मटरगस्ति करने चली गयी. 

वाकी बचे 10 के 10 आतंकी सकते में रह गये, और भौंचक्के से इधर-उधर को देखने लगे, लेकिन उन्हें कोई नज़र नही आया.

अभी वो सदमे से निकल कर जीप की ओर बढ़ने ही वाले थे अपनी गनों को लेने के लिए, कि तभी दो गोलियाँ और चली और जो दो लोग सबसे आगे थे उन दोनो के सीने चीरती हुई निकल गयी.

वाकी के बचे दहशतगर्द वही के वही जमे रह गये मानो उन्हें साँप सूंघ गया हो. 

अपने तीन साथियों के मुर्दा शरीर देख कर उनकी रूह फ़ना हो चुकी थी, वो मौत को अपने सामने देख कर थर-2 काँप रहे थे.

लाचार लोगों में मौत बाँटने वाले दरिंदों की आज अपनी मौत को सामने देख कर गान्ड फट के हाथ में आ गई.

हिम्मत करके उनमें तीन आतकियों ने जीप की तरफ जंप लगा दी, लेकिन उसमें से गन नही उठा सके, 

जीप की आड़ लिए वो हमारी पोज़िशन को भाँपने की कोशिश कर रहे थे, जो अब तक बदलकर तीन दिशाओ में पहुँच चुके थे.

बदनसीबी से उनमें से दो मेरी और मेरे साथ बैठी शाकीना की ओर ही थे उनकी पीठ हमारे निशाने पर थी, 

वो जीप के सहारे-2 आगे बढ़ कर गन उठाने ही वाले थे कि हम दोनो की गानों से एक-एक गोली निकली और उन दोनो की रीढ़ को चीरती हुई निकल गयी.

वो दोनो चीख मारते हुए वहीं ढेर हो गये. 

अपने साथियों का हश्र देख कर उस तीसरे बंदे की हिम्मत जबाब दे गयी जो कि रहमत के साथ रेहाना और आईशा की तरफ था.

उसने सर उठाकर अपने दोनो साथियों की स्थिति का जायज़ा लेना चाहा कि तभी रेहाना की गन ने एक गोली उगल दी जिसने उसकी खोपड़ी को पूरी तरह खोल दिया.

अब वाकी बचे 5 आतंकी खड़े-2 अपने पाजामों को गीला करने के अलावा और कुछ नही कर सके….!

मे और शाकीना अपनी जगह से निकल कर बाहर आ गये, मुँह हमारे अभी भी कपड़ों से ढके हुए थे.

वो लड़कियाँ अब तक अपने-2 कपड़े दुरुस्त कर चुकी थी, कुछ के कपड़े थोड़े बहुत कहीं-2 से फट भी गये थे.

मैने उन पाँचों आतंकियों को अपने-2 कपड़े उतारने को कहा, पहले तो वो ना-नुकर करते रहे, लेकिन जैसे ही मैने गन उनकी ओर की वो फटा फट अपने-2 कपड़े उतारने में जुट गये.

अपने-अपने अंडरवेर को छोड़ वो नंगे खड़े थे, मैने अपनी गन से इशारा करते हुए कहा – इन्हें कॉन उतारेगा..?

मेरी बात सुनकर उन आतंकियों के साथ-साथ मेरे सभी साथी भी चोंक कर मेरी ओर देखने लगे…

मैने सर्द लहजे में फिर से कहा – उतारो इन्हें भी वरना समय से पहले मारे जाओगे..

पाँचों ने तुरंत अपने अंडरवेर भी नीचे खिसका दिए…
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