Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:16 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
वहीं निशा अपने सामने खड़े एक नकाब पोश को देख कर हैरान परेशान थी, जो अब उसके बंधन खोल रहा था.

बंधन खुलते ही निशा अपनी बहन की ओर दौड़ी, और उससे लिपटकर फुट-फूटकर रोने लगी. 

जल्दी से मेरी रस्सी खोलो निशा, ये वक़्त रोने का नही है मेरी बेहन. 

ट्रिशा ने जब उसको कहा, तब उसको परिस्थिति का भान हुआ और वो उसकी रस्सी खोलने लगी.

तब तक उस नकाब पोश ने भानु के उपर लात घूँसों की बारिस सी कर रखी थी, 5 मिनट की धुलाई में ही वो चीखने चिल्लाने की स्थिति में भी नही था.

अधमरा सा भानु, हिलने डुलने के काबिल भी नही रहा. 

ट्रिशा उसके पास पहुँची और उसके मुँह पर थूक कर बोली - हरजादे मैने तुझे चेताया था, क्यों अपनी शामत बुला रहा है, 

लेकिन अपने घमंड के नशे में चूर, तू ये भी भूल गया कि, इस देश के रक्षकों पर हाथ नही डालना चाहिए.

फिर वो पलट कर अपने रहनुमा, अपने रक्षक उस नकाब पोश के सीने से लग कर फुट-फुट कर रो पड़ी. 

ये देख कर निशा की आँखें चौड़ी हो गयी, वो ये नही समझ पारही थी, कि मरियादा की प्रतिमूर्ति उसकी बड़ी बेहन किसी गैर मर्द के सीने से कैसे लिपट कर रो रही है. 

फिर उस नकाब पोश ने ट्रिशा के सर पर हाथ रख कर उसे चुप कराया और कुछ इशारा किया जिसे ट्रिशा ने समझ लिया और अपने-आप को कंट्रोल करके अपनी बेहन के फटे कपड़ों को एक गुंडे का गम्छा लेकर ढकने लगी.

नकाब पोश ने भानु की मुश्क कस दी और उसे अपने कंधे पर लाद कर बाहर निकल आया, दोनो बहनें उसके पीछे -2 लगभग दौड़ती हुई चल रही थी..!

बाहर का नज़ारा और भी ज़्यादा भिभत्स था, 

सारे गुंडे मरे पड़े थे, सूरज का तो गला ही रेत दिया था एक तेज धार खंजर से. 

निशा ये खौफनाक मंज़र देख ना सकी, और डर के मारे अपनी बड़ी बेहन से लिपट गयी.

वहाँ बाहर खड़ी गाड़ी में भानु के बेहोश शरीर को पटका और ट्रिशा के कान में कुछ कहा जो निशा सुन नही पाई, 

वो उसे कोतवाली लेकर चली गयी, और वो नकाबपोश निशा का हाथ पकड़ कर वहाँ खड़ी दूसरी गाड़ी की तरफ लपका...!
एसपी ट्रिशा अपनी नाइट ड्रेस में ही थी, वो अपने ऑफीस ना जाकर सीधी उस थाने में पहुँची जहाँ से ये वाकीया शुरू हुआ था, 

गाड़ी को गेट पर खड़ा छोड़ कर वो धड़ धडाती हुई अंदर दाखिल हुई.

नाइट ड्रेस में अपनी एसपी को देख कर थाने का पूरा स्टाफ चोंक पड़ा, और उसको गुस्से में देख कर तो सभी में हड़कंप मच गया…

लेकिन फिर भी उन्होने उसे सल्यूट किया, जिसका वो जबाब देती हुई लगभग चीखती हुई दाहडी, यादव, निर्मल कहाँ हो तुम लोग ?

वो दोनो दौड़ते हुए उसके सामने आए, और सल्यूट मार कर बोले- यस मेडम.

ट्रिशा – निर्मल ! बाहर गाड़ी में एक मुजरिम पड़ा है उसको अंदर लाकर हवालात में डालो फ़ौरन.

निर्मल दो सिपाहियों को लेकर बाहर की ओर दौड़ा, और जैसे ही उन्होने भानु को घायल अवस्था में गाड़ी में पड़ा पाया,

वो भोंचक्के रह गये, फिर कुछ सम्भल कर अपने ऑफीसर के आदेश पालन किया.

उन्होने घायल और अर्ध बेहोश भानु के शरीर को हवालात में लाकर पटक दिया…

फिर वो यादव से बोली - इस कुख्यात मुजरिम का ध्यान रखना यादव !, कोई भी कितना ही उपर से प्रेशर आए, छोड़ना नही है, 

अगर तुमने इसे छोड़ने के बारे में सोचा भी, तो पहले ही सोचलेना, उसका अंजाम तुमहरे लिए क्या हो सकता है. 

फिर वो निर्मल को लेकर ऑफीस के अंदर चली गयी और किसी को भी अंदर ना आने देने को ताकीद की, 

कुछ देर तक वो उसे कुछ समझाती रही और फिर अपने घर की ओर चल पड़ी.

उधर निशा रास्ते भर उस नकाब पोश को ही घुरती रही, लेकिन उस नकाब पोश ने एक बार भी उसकी ओर आँख उठा कर भी नही देखा. 

जब घर आ गया तो उसने गाड़ी वहीं बाहर खड़ी की और निशा को अंदर जाने का इशारा किया. 

जब वो कुछ देर तक भी अपनी जगह से नही हिली, तो उसने उसकी आँखों में गुस्से से देखा और गुर्रा कर कहा- सुना नही तुमने ? अंदर जाओ..! 

वो किसी कठपुतली की तरह गाड़ी से उतर कर घर के अंदर चली गयी जहाँ उसके माता-पिता अभी भी बाहर से बंद थे.

बाहर से दरवाजा खोलकर वो जैसे ही अंदर पहुँची, उसे देखते ही उन्होने उसे गले से लगा लिया, फिर उन्होने उसके उपर सवालों की झड़ी सी लगा दी, जिनके सारे जबाब उस बेचारी के पास भी नही थे.

उधर उस नकाब पोश ने निशा के उतरते ही गाड़ी को आगे बढ़ा दिया और करीब 1किमी दूर ले जाकर एक सुनसान से रास्ते पर खड़ा करके वापस पैदल ट्रिशा के घर की ओर चल दिया.

अभी वो उसके गेट पर पहुँचा ही था कि ट्रिशा भी आ पहुँची, दोनो बाहर ही मिल गये, और एक दूसरे से लिपट गये, 

कुछ देर लिपटे रहने के बाद उन्हें लगा कि यहाँ कोई देख ना ले, तो वो अंदर को बढ़ गये.

अंदर निशा अपने मम्मी पापा के साथ सोफे पर बैठ कर अपनी आप बीती कह रही थी, साथ-2 सूबकती भी जा रही थी कि तभी ट्रिशा उस नकाब पोश के साथ अंदर दाखिल हुई.

उसे देख कर वो तीनो लपक कर उससे लिपट गये, और उससे सवाल जबाब करने लगे. 
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12-19-2018, 02:16 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
तभी निशा बोल पड़ी, दीदी ये हमारा रक्षक कॉन है ? जो आज अगर ये समय पर नही पहुँचता तो भगवान ना करे क्या अनर्थ हो जाता.

उसके मम्मी पापा भी सवालिया नज़रों से उसकी ओर देखने लगे. 

ट्रिशा उस नकाब पोश से मुखातिब हुई - अब ये घूँघट हटा भी दो जानेमन..

पहले तो ट्रिशा के इस तरह बोलने पर वो तीनो अवाक रह गये, 

फिर जब उसके चेहरे से नकाब हटा, तो वो उछल ही पड़े, 

निशा तो खुशी के मारे अपने जीजू के गले से लिपट ही गयी, और देखते-2 ताबड-तोड़ 3-4 किस भी जड़ दिए अपने प्यारे जीजू के थोबडे पर.

मैने ट्रिशा को कहा - वाकी सब कुछ बाद में, तुम मेरे साथ आओ और हाँ साथ में अपना लॅपटॉप भी लेलो..

ट्रिशा मौके की नज़ाकत को समझ कर फ़ौरन अपना लॅपटॉप लेकर मेरे साथ लपकी, हम दोनो उसके बेडरूम में आकर बैठ गये, 

मैने उसे कहा - फटाफट अपने लोगों को बोलकर, हॉल के बाहर जितनी भी लाशें पड़ी हैं उनको वहाँ से ठिकाने लगवा दो फ़ौरन.

ट्रिशा - वो में ऑलरेडी निर्मल को बोल चुकी हूँ. अब तक तो उठ भी गयी होंगी.

मे - गुड ! स्मार्ट बेबी ! यॅ..!

ट्रिशा - आख़िर बीबी किसकी हूँ, लेकिन आप ये तो बताओ कि यहाँ पहुँचे कैसे..??

मे - अभी इन बताओं का समय नही है, पहले हमें एक रिपोर्ट बनाके सेंट्रल होम मिनिस्ट्री को भेजनी है वित सीसी टू स्टेट होम अफेर्स.

मैने अपने मोबाइल को लॅपटॉप में कनेक्ट किया, तो उसने पुछा- इसमें क्या है ? 

मैने कहा- उस हॉल का प्रूफ है, कि किस तरह भानु के द्वारा एक एसपी को बंधक बनाया गया, और उसका रेप करने की कोशिश की गयी.

ट्रिशा - क्या..? ये कब किया आपने..?

मैने मुस्कराते हुए कहा - अटॅक से पहले..! और एक चीज़ हमेशा ध्यान में रखो, कभी भी गुस्से में भी दिमाग़ का इस्तेमाल बंद नही होना चाहिए..!

ट्रिशा - ब्रिलियेंट जानू ! यू रियली सच आ वोंडरफुल्ल कॉप..!

मे - थॅंक्स बेबी ! ये कहकर मैने उसके होठों को चूम लिया ! वो खुश हो गयी. 

अब हमारा ध्यान रिपोर्ट बनाने में था, 5-6 पेज की फुल प्रूफ रिपोर्ट एक छोटी सी वीडियो क्लिप के साथ सेंटरल होम मिनिस्ट्री को मैल कर दी, 

स्टेट होम सेक्रेटरी को सीसी में और एनएसए को बीसीसी में रख दिया .

रिपोर्ट भेजने के बाद अब मेरा काम था एनएसए चौधरी को इम्मीडियेट इनफॉर्म करना, 

सो मैने ट्रिशा को चाइ नाश्ते का बंदोबस्त करने के बहाने बाहर टरका दिया और चौधरी साब को कॉल लगा दी.

जब कॉल रिसीव हुई तो मैने मैल का हवाला देते हुए, उन्हें पूरी घटना मुँह जवानी बयान करदी, और रिक्वेस्ट की, कि भानु किसी भी हालत में अब जैल से बाहर नही आना चाहिए कम से कम कुछ दिनो के लिए.

वो भी शायद ऑन लाइन होकर रिपोर्ट देख रहे थे,

मैने आयेज कहा - सर ! स्टेट गवर्नमेंट उसका फुल सपोर्ट में रहेगी, तो उन्होने कहा – यू डॉन’ट वरी अरुण ! 

ये मामला ही ऐसा है कि अब स्टेट के भी तोते उड़ जाएँगे, और अब अगर उन्होने उसे बचाने की कोशिश की तो उंगली सीधी उनकी क़ानून व्यवस्था पर ही उठेगी.

फिर मैने उन्हें पुराना प्रॉमिस याद दिलाया, और कहा- सर मैने आपसे एक रिक्वेस्ट की थी, शायद आपके ध्यान से निकल गयी होगी..

चौधरी - कोन्सि रिक्वेस्ट.. ?

मे - सर वो ट्रिशा मेरी पत्नी के गुजरात पोस्टिंग वाली..!

चौधरी - ओह ! हां सॉरी, मे बिल्कुल भूल ही गया था, अच्छा हुआ तुमने रिमाइंड करा दिया,

यू डॉन’ट वरी, मे आज ही होम मिनिस्ट्री में जाके पर्षनली ये दोनो काम करवाता हूँ, .. 

फिर कुछ रुक कर वो बोले - अरे हां ! याद आया.. ! मैने वो बात चलाई थी, दो दिन पहले ही होम सेकेट्री ने मुझे बताया भी था.

एक एसीपी तुम्हारे ही शहर का चेंज ओवर लेना चाहता है, तो तुम्हारी ट्रिशा को प्रमोशन के साथ भिजवा देते हैं वहाँ..! 

मैने पुछा - वैसे कितने दिन लग सकते सर इस काम में.

चौधरी - ज़्यादा समय तो नही लगना चाहिए मेरे हिसाब से, मे जल्दी ही बताता हूँ तुम्हें ओके. 

मे - थॅंक यू वेरी मच सर , फॉर युवर काइंड सपोर्ट.

चौधरी - अरे तुम्हें थॅंक यू कहने की ज़रूरत नही है बेटे, 

तुम नही जानते तुम्हारे कामों की सफलता की वजह से मेरा कितना सीना चौड़ा रहता है पूरे सचिवालय में. 

खुद पीएम तुम्हारे गुण गाते नही थकते. 

चलो अब में फोन रखता हूँ, और तुम्हारे काम के लिए निकलता हूँ. ओके बाइ.

मे - बाइ सर, आंड थॅंक्स वन्स अगेन.

मैने अभी कॉल बंद ही किया था कि ट्रिशा चाइ और साथ में कुछ नाश्ता लेकर आ गई, तो मैने कहा – 

चलो वहीं बाहर बैठ कर सबके साथ चाइ पे चर्चा करते हैं. लेकिन उससे पहले एक खुश खबरी सुनलो.

वो मेरी ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी, मैने कहा अब तुम एसपी नही रही..!

वो बोली – तो फिर..?

मे - अरे भाई अब तुम एसीपी बन जाओगी..!

वो - क्या..? सच में..! आपसे किसने कहा..?

मे - काले छोरे ने..! और हां उसने ये भी कहा है कि तुम्हारा ट्रान्स्फर भी हमारे शहर में ही मिल जाएगा.

वो अविश्वास भरे लहजे में बोली - आप बना रहे हो मुझे..! पोलीस डिपार्टमेंट की बातें आपको कैसे पता ?

मे - तुम्हारे डिपार्टमेंट के पापा ने ही मुझे बताया है..!

वो - डिपार्टमेंट के पापा मतलब ??

मे - होम मिनिस्ट्री से तुम्हारा ट्रान्स्फर कम प्रमोशन लेटर निकलने वाला है, 
अब अतिशीघ्र तुम सब लोग अपने बोरिया बिस्तरा गोल करो और मेरे साथ उड़ चलो मेरे देश, मेरे गाँव..! मेरी छमक्छल्लो..! 

इतना कहकर मैने उसको कस कर लपेट लिया अपने बाजुओं में, और अपना सारा प्यार उसके होठों पर उडेल दिया.
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12-19-2018, 02:16 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
वो भी किसी अमरबेल की तरह मेरे आगोश में समा गयी, और मेरे बालों भरे सीने पर एक प्यारा सा चुंबन जड़ दिया…
अभी हम सब सोफे पर बैठे, चाइ नाश्ते का ज़ायक़ा ले ही रहे थे, कि ट्रिशा के ऑफीस से फोन आ ही गया, 

कमिशनर वहाँ उसका इंतजार कर रहे थे, 

भानु प्रताप जैसे आदमी को अरेस्ट कर लिया जाए, वो भी उसी की सल्तनत में और बात उपर तक ना पहुँचे, ये तो मुमकिन ही नही था.

यादव जैसे चाटुकार भरे जो पड़े हैं इस देश के सिस्टम में. 

मैने कहा - ये तो साला होना ही था, पर इतना जल्दी हो जाएगा, ये पता नही था. खैर कोई बात नही, देखते हैं इस कमिशनर को, क्या बोलता है.

मैने ट्रिशा को कोतवाली जाने के लिए बोल दिया और कहा कि कोई भी हो सिस्टम और क़ानून के हिसाब से तुम पीछे मत हटना, तुम्हें किसी भी तरह के प्रेशर में नही आना है…

कोई बड़ी बात नही कि राज्य के सीएम का भी दबाब आ जाए, और अब तुम्हें इस राज्य के किसी भी दबाब में नही आना है. 

तुम बिंदास होकर ऑफीस जाओ, मे अभी आता हूँ, तुम्हारे पीछे-2.

वो आनन फानन में तैयार होकर अपने ऑफीस के लिए निकल गयी…

ट्रिशा को भेज कर मे एक बार फिर लॅपटॉप लेकर ऑनलाइन हो गया. रिपोर्ट वाले मैल पर एक जेंटल रिमाइंडर डाल कर आन्सर का वेट करने लगा.

अभी कोई 30 मिनट ही हुए होंगे कि रिप्लाइ आ गयी, साथ में ये कन्फर्मेशन भी आ गया, कि कुलपरीत के उपर उचित कार्यवाही की जाए.

ये सीधे आदेश सेंटर होम मिनिस्ट्री ने स्टेट को भेज दिए थे.

रिप्लाइ का प्रिंट आउट लेकर मे कोतवाली के लिए निकल पड़ा. 

जब में वहाँ पहुँचा तो उस समय कमिशनर और ट्रिशा में तड़का-भड़की चल रही थी, 

कमिशनर अपने सीनियर होने की धौंस दिखा कर भानु प्रताप को छोड़ने के लिए उस प्रेशर बना रहा था, जिसे ट्रिशा ने सिरे से खारिज़ कर दिया.

कमिश्नर- लुक मिसेज़ ट्रिशा शर्मा, तुम अभी नयी-2 एसपी जाय्न हुई हो अभी तुम्हारा कॅरियर शुरू भी नही हुआ है ठीक से, 

मैने दुनिया देखी है. भानु प्रताप की ताक़त को पहचानो और उसे छोड़ दो, वैसे भी तुमने उनको बहुत नुक्शान पहुँचा दिया है, अब भगवान ही जाने तुम्हारा क्या होगा आने वाले कल में.

ट्रिशा अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली – मेरा जो होगा सो होगा, लेकिन उससे पहले में इस गुंडे को उसकी औकात दिखाकर ही रहूंगी…, चाहे आप मेरा सपोर्ट करो या ना करो…

कमिश्नर – मे तुम्हारा सीनियर होने के नाते ये ऑर्डर देता हूँ, कि तुम भानु प्रताप को अभी, इसी वक़्त रिहा करो…

ट्रिशा – और अगर मे आपके ऑर्डर को ना मानूं तो…?

कमिश्नर – मे अभी खड़े – 2 तुम्हें सस्पेन्ड कर सकता हूँ, लेकिन मे ये करना नही चाहता, इसलिए तुम्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ, 

भानु प्रताप जी इस शहर के एमएलए ही नही, प्रदेश की सरकार में इनकी बहुत उपर तक पहुँच भी है… 

मे फिर कहता हूँ, इनकी ताक़त के आगे तुम कुछ भी नही हो…

मे चुप चाप खड़ा काफ़ी देर तक उन दोनो की बहस सुनता रहा लेकिन फिर मुझसे रहा नही गया उस भडवे कमिशनर के शब्द सुन कर और बीच में बोल पड़ा.

मे - मिस्टर. कमिशनर ! भानु जैसे गुंडे की ताक़त तो आप जैसे ऑफिसर्स हैं, 
पोलीस चाहे तो कोई भानु पैदा ही ना हो पाए, एक न्यू ऑफीसर उसके खिलाफ खड़ी होना चाहती है, 
वहीं उसका ऑफीसर उसकी बहादुरी की तारीफ करने की वजाय उसे डाउन करने की कोशिश कर रहा है, शेम ऑन यू कमिशनर.

कुछ देर कमिशनर मेरे चेहरे की ओर देखता रहा, फिर भड़क कर बोला - हू आर यू टू इंट्रप्ट माइ वर्क..? हाउ डेर यू टू टीच मी माइ ड्यूटी ? 

मैने शांत लहजे में कहा - एक आम आदमी ! जो ये पुछने का अधिकार रखता है, कि जनता के सेवक हमारी हिफ़ाज़त कर भी रहे हैं या खाली दिखावा कर रहे हैं..? और भानु जैसे गुंडे की हिफ़ाज़त.

यही भानु कल को आपकी बहू-बेटी को उठा ले जाए और आपके सामने उसका रेप करने की कोशिश करे, तब आप क्या करेंगे..?

मेरी बात सुनकर कमिशनर के मुँह पर ताला चिपक गया..!

फिर आगे बोलते हुए मैने कहा - अभी-2 आपने जो भानु आरती गाते हुए उसे छोड़ने की बात कही थी, और एसपी साहिबा को धमकाया उसके बाहुबल को बखान करके, क्या ये सब लिख कर दे सकते हैं आप..? नही ना..!

कमिश्नर- तुम्हारी बात एकदम जायज़ है यंगमॅन, लेकिन हमारे हाथ बँधे हुए हैं, इन नेताओं के दबाब के कारण.

मे - तो इन्हें खोलिए..! कब तक बाँधे रखोगे ? 

यकीन मानिए जिस दिन ये हाथ खुल गये, भानु जैसे गुण्डों को छिपने के लिए जगह कम पड़ जाएगी.

कमिश्नर - तुम समझ नही रहे हो, इस राज्य की पूरी सरकार इसके सपोर्ट में है..! अभी देखना कहाँ-2 से किसके-2 फोन आना शुरू हो जाएँगे.

मे - उसका इलाज़ भी हो चुका है, ये देखिए, अब उनके पुरखे भी नही बचा सकते इस गुंडे को, 

एक एसपी के साथ रेप अटेंप्टेड करना खेल तमाशा नही है, ये बात इनको सिखा कर ही दम लेंगे हम.

कमिश्नर - वैसे आप हैं कॉन ? होम मिनिस्ट्री की रिपोर्ट देखते ही कमिशनर के स्वर बदल गये, अब तक जो तुम-2 कर रहा था अब वो आप बोलने लगा था.

मे - बताया तो था.. आम आदमी ! और आम आदमी चाहे तो कुछ भी कर सकता है. 

ट्रिशा कमिशनर की हालत देख कर मंद-2 मुस्करा रही थी.

मैने फिर से कमिशनर को उकसाया. 

आप सिर्फ़ अपने जूनियर्स के साथ खड़े रहिए फिर देखिए, कैसे राज्य की क़ानून व्यवस्था नही सुधरती ? फिर पब्लिक भी आपके साथ होगी.

अभी ये बातें हो ही रही थी कि तभी ऑफीस के फॅक्स पर स्टेट होम सीक्रेटरी के आदेश का फॅक्स आ गया, 
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12-19-2018, 02:16 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
वो भी किसी अमरबेल की तरह मेरे आगोश में समा गयी, और मेरे बालों भरे सीने पर एक प्यारा सा चुंबन जड़ दिया…
अभी हम सब सोफे पर बैठे, चाइ नाश्ते का ज़ायक़ा ले ही रहे थे, कि ट्रिशा के ऑफीस से फोन आ ही गया, 

कमिशनर वहाँ उसका इंतजार कर रहे थे, 

भानु प्रताप जैसे आदमी को अरेस्ट कर लिया जाए, वो भी उसी की सल्तनत में और बात उपर तक ना पहुँचे, ये तो मुमकिन ही नही था.

यादव जैसे चाटुकार भरे जो पड़े हैं इस देश के सिस्टम में. 

मैने कहा - ये तो साला होना ही था, पर इतना जल्दी हो जाएगा, ये पता नही था. खैर कोई बात नही, देखते हैं इस कमिशनर को, क्या बोलता है.

मैने ट्रिशा को कोतवाली जाने के लिए बोल दिया और कहा कि कोई भी हो सिस्टम और क़ानून के हिसाब से तुम पीछे मत हटना, तुम्हें किसी भी तरह के प्रेशर में नही आना है…

कोई बड़ी बात नही कि राज्य के सीएम का भी दबाब आ जाए, और अब तुम्हें इस राज्य के किसी भी दबाब में नही आना है. 

तुम बिंदास होकर ऑफीस जाओ, मे अभी आता हूँ, तुम्हारे पीछे-2.

वो आनन फानन में तैयार होकर अपने ऑफीस के लिए निकल गयी…

ट्रिशा को भेज कर मे एक बार फिर लॅपटॉप लेकर ऑनलाइन हो गया. रिपोर्ट वाले मैल पर एक जेंटल रिमाइंडर डाल कर आन्सर का वेट करने लगा.

अभी कोई 30 मिनट ही हुए होंगे कि रिप्लाइ आ गयी, साथ में ये कन्फर्मेशन भी आ गया, कि कुलपरीत के उपर उचित कार्यवाही की जाए.

ये सीधे आदेश सेंटर होम मिनिस्ट्री ने स्टेट को भेज दिए थे.

रिप्लाइ का प्रिंट आउट लेकर मे कोतवाली के लिए निकल पड़ा. 

जब में वहाँ पहुँचा तो उस समय कमिशनर और ट्रिशा में तड़का-भड़की चल रही थी, 

कमिशनर अपने सीनियर होने की धौंस दिखा कर भानु प्रताप को छोड़ने के लिए उस प्रेशर बना रहा था, जिसे ट्रिशा ने सिरे से खारिज़ कर दिया.

कमिश्नर- लुक मिसेज़ ट्रिशा शर्मा, तुम अभी नयी-2 एसपी जाय्न हुई हो अभी तुम्हारा कॅरियर शुरू भी नही हुआ है ठीक से, 

मैने दुनिया देखी है. भानु प्रताप की ताक़त को पहचानो और उसे छोड़ दो, वैसे भी तुमने उनको बहुत नुक्शान पहुँचा दिया है, अब भगवान ही जाने तुम्हारा क्या होगा आने वाले कल में.

ट्रिशा अपने गुस्से पर काबू करते हुए बोली – मेरा जो होगा सो होगा, लेकिन उससे पहले में इस गुंडे को उसकी औकात दिखाकर ही रहूंगी…, चाहे आप मेरा सपोर्ट करो या ना करो…

कमिश्नर – मे तुम्हारा सीनियर होने के नाते ये ऑर्डर देता हूँ, कि तुम भानु प्रताप को अभी, इसी वक़्त रिहा करो…

ट्रिशा – और अगर मे आपके ऑर्डर को ना मानूं तो…?

कमिश्नर – मे अभी खड़े – 2 तुम्हें सस्पेन्ड कर सकता हूँ, लेकिन मे ये करना नही चाहता, इसलिए तुम्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ, 

भानु प्रताप जी इस शहर के एमएलए ही नही, प्रदेश की सरकार में इनकी बहुत उपर तक पहुँच भी है… 

मे फिर कहता हूँ, इनकी ताक़त के आगे तुम कुछ भी नही हो…

मे चुप चाप खड़ा काफ़ी देर तक उन दोनो की बहस सुनता रहा लेकिन फिर मुझसे रहा नही गया उस भडवे कमिशनर के शब्द सुन कर और बीच में बोल पड़ा.

मे - मिस्टर. कमिशनर ! भानु जैसे गुंडे की ताक़त तो आप जैसे ऑफिसर्स हैं, 
पोलीस चाहे तो कोई भानु पैदा ही ना हो पाए, एक न्यू ऑफीसर उसके खिलाफ खड़ी होना चाहती है, 
वहीं उसका ऑफीसर उसकी बहादुरी की तारीफ करने की वजाय उसे डाउन करने की कोशिश कर रहा है, शेम ऑन यू कमिशनर.

कुछ देर कमिशनर मेरे चेहरे की ओर देखता रहा, फिर भड़क कर बोला - हू आर यू टू इंट्रप्ट माइ वर्क..? हाउ डेर यू टू टीच मी माइ ड्यूटी ? 

मैने शांत लहजे में कहा - एक आम आदमी ! जो ये पुछने का अधिकार रखता है, कि जनता के सेवक हमारी हिफ़ाज़त कर भी रहे हैं या खाली दिखावा कर रहे हैं..? और भानु जैसे गुंडे की हिफ़ाज़त.

यही भानु कल को आपकी बहू-बेटी को उठा ले जाए और आपके सामने उसका रेप करने की कोशिश करे, तब आप क्या करेंगे..?

मेरी बात सुनकर कमिशनर के मुँह पर ताला चिपक गया..!

फिर आगे बोलते हुए मैने कहा - अभी-2 आपने जो भानु आरती गाते हुए उसे छोड़ने की बात कही थी, और एसपी साहिबा को धमकाया उसके बाहुबल को बखान करके, क्या ये सब लिख कर दे सकते हैं आप..? नही ना..!

कमिश्नर- तुम्हारी बात एकदम जायज़ है यंगमॅन, लेकिन हमारे हाथ बँधे हुए हैं, इन नेताओं के दबाब के कारण.

मे - तो इन्हें खोलिए..! कब तक बाँधे रखोगे ? 

यकीन मानिए जिस दिन ये हाथ खुल गये, भानु जैसे गुण्डों को छिपने के लिए जगह कम पड़ जाएगी.

कमिश्नर - तुम समझ नही रहे हो, इस राज्य की पूरी सरकार इसके सपोर्ट में है..! अभी देखना कहाँ-2 से किसके-2 फोन आना शुरू हो जाएँगे.

मे - उसका इलाज़ भी हो चुका है, ये देखिए, अब उनके पुरखे भी नही बचा सकते इस गुंडे को, 

एक एसपी के साथ रेप अटेंप्टेड करना खेल तमाशा नही है, ये बात इनको सिखा कर ही दम लेंगे हम.

कमिश्नर - वैसे आप हैं कॉन ? होम मिनिस्ट्री की रिपोर्ट देखते ही कमिशनर के स्वर बदल गये, अब तक जो तुम-2 कर रहा था अब वो आप बोलने लगा था.

मे - बताया तो था.. आम आदमी ! और आम आदमी चाहे तो कुछ भी कर सकता है. 

ट्रिशा कमिशनर की हालत देख कर मंद-2 मुस्करा रही थी.

मैने फिर से कमिशनर को उकसाया. 

आप सिर्फ़ अपने जूनियर्स के साथ खड़े रहिए फिर देखिए, कैसे राज्य की क़ानून व्यवस्था नही सुधरती ? फिर पब्लिक भी आपके साथ होगी.

अभी ये बातें हो ही रही थी कि तभी ऑफीस के फॅक्स पर स्टेट होम सीक्रेटरी के आदेश का फॅक्स आ गया, 
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12-19-2018, 02:16 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
अभी ये बातें हो ही रही थी कि तभी ऑफीस के फॅक्स पर स्टेट होम सीक्रेटरी के आदेश का फॅक्स आ गया, 

जो सेंटर होम मिनिस्ट्री के आदेश को फॉलो करता था, ट्रिशा ने फॅक्स लेकर कमिशनर के हाथ में पकड़ा दिया और बोली- और कुछ सपोर्ट चाहिए सर.

कमिश्नर - बस करो ऑफीसर, इन मिसटर ने ही बहुत कुछ सुना दिया मुझे, अब आप तो कम-से-कम अपने सीनियर की खिचाई मत करो, 

यू गो अहेड मे आपके साथ हूँ. और उसने एसपी के सिग्नेचर को वेरिफाइ करके भानु के उपर संबंधित धारा के तहत केस चलाने के आदेश दे दिए.

अब भानु को सज़ा से कोई नही बचा सकता था, वैसे ऐसे जालसाज़ और बाहुबली नेताओं से मिले रहने की सरकार की भी अपनी मजबूरी होती है लोक्तन्त्र में, 

लेकिन जब ये फँस जाते हैं, तो वही तन्त्र अपने हाथ खींच भी लेता है.

यही भानु के साथ भी हुआ, जब सेंटर का दबाब पड़ा तो स्टेट ने हाथ खड़े कर दिए और भानु का साम्राज्य ख़तम हो गया. 

लोगों ने भी चैन की साँस ली.

इधर जब कोतवाली से फारिग होकर हम घर लौटे तो अंधेरा घिर चुका था, 

अभी हम घर के गेट पर ही थे कि चौधरी साब का फोन आ गया और उन्होने कन्फर्म कर दिया कि ट्रान्स्फर ऑर्डर दो दिन में पारित हो जाएगा, 

चाहो तो यहाँ आकर कलेक्ट कर सकते हो और महीने के अंत तक कभी भी जाय्न कर सकती है.

मैने ट्रिशा को ये बात बताई तो उसने मेरे होठों का चुंबन करके थॅंक्स कहा.

अंदर आकर हमने दोहरी खुश खबरी जब सबको बताई तो सब खुशी से झूम उठे, 

ट्रिशा के मम्मी पापा की आँखों में तो खुशी के मारे आंशु आ गये. 
उपर से जब ट्रिशा ने बताया कि ये सब आपके दामाद की वजह से हुआ है, तो उन्होने बारी-2 मुझे गले से लगा लिया और बोले- 

हम कितने ग़लत थे बेटी, तुझे कितना रोका था हमने जब तुमने अरुण से शादी के लिए बोला था तब, लेकिन अब हमें तुम्हारे चुनाव पर फक्र हो रहा है.

निशा को तो पता नही नकाब पोश वाले सीन से ना जाने क्या हो गया था, वो तो अपने प्यारे जीजू को बलिहारी वाली नज़रों से निहारे जा रही थी. आख़िर जब नही रहा गया, तो बोल ही पड़ी.

निशा - दीदी आज मुझे आपसे बड़ी जलन हो रही है..!

ट्रिशा ने उसे सवालिया नज़रों से घूरते हुए कहा - क्यों ?? मैने तेरा क्या छीन लिया जो तुझे मुझसे जलन हो रही है.

निशा - इतने प्यारे जीजू को जो हथिया लिया है आपने..!

उसकी बात सुन कर सभी ठहाका लगा कर हसने लगे और निशा झेंप कर रह गयी…!

ऐसे ही हसी-खुशी के वातावरण में हम सब लोगों ने अपना डिन्नर ख़तम किया, कुछ देर गप-सप की, और फिर सब अपने-2 रूम में सोने चले गये..!

आज हम दोनो पति-पत्नी अपने मन की जी भरकर भडास निकालने वाले थे, 
सो बेड पर आते ही शुरू हो गये और ना जाने रात के कोन्से पहर थकान से चूर-चूर होकर हमें नींद ने अपने आगोश में समेट लिया !
तीसरे दिन हम सबने अपना ज़रूरी समान समेटा और देल्ही जाने वाली फ्लाइट पकड़ ली, 

वाकी भारी समान को मवर्स & पॅकर्स को. के हवाले कर दिया जो बाद में पहुँचने वाला था..

देल्ही आकर उन तीनों को एर पोर्ट के रेस्ट रूम में रोका, मे और ट्रिशा सचिवालय की ओर चल पड़े.

अमित चौधरी के ऑफीस पहुँच कर मैने उनसे ट्रिशा को इंट्रोड्यूस कराया और कहा, 

ट्रिशा ये तुम्हारे ससुर जी हैं इनके पैर छुकर इयांका आशीर्वाद लो, इनकी वजह से हम दोनो एक हुए हैं.

ट्रिशा ने पूरी श्रद्धा से उनके पैर छुये तो उन्होने भी स्नेह पूर्वक उसको सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया और कहा- बेटी इस हीरे का हमेशा ख्याल रखना, 

वैसे तो ये इतना मजबूत है कि कोई चट्टान भी इससे टकराए तो वो भी चकनाचूर हो जाएगी, लेकिन जिंदगी का कोई भरोसा नही होता है कब क्या मोड़ ले ले. 

ऐसे ही किसी मोड़ पर अगर ये टूटने लगे तो तुम हमेशा इसके साथ खड़ी रहना, इसे सहारा दे देना बस, ये फिर उठ खड़ा होगा.

ट्रिशा भावुक होते हुए बोली - आप चिंता ना करें सर, आपकी अमानत का में जी जान से ख्याल रखूँगी, जब तक मेरी जान में जान है, इन्हें टूटने नही दूँगी. 

मेरी वजह से ये कभी कमजोर नही पड़ेंगे ये मेरा वचन है आपको.

चौधरी - जीती रहो मेरी बच्ची, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी, और इसी उम्मीद के चलते मैने इस नलायक को तुमसे शादी करने के लिए हां कहा था.

फिर उन्होने अपनी सीक्रेटरी को हमारे साथ होम सीक्रेटरी के पास भेजा वहाँ से ऑर्डर कलेक्ट किए और हम वापस एर पोर्ट पहुँच गये.

शाम होते-2 हम अपने 3 बीएचके वाले फ्लॅट में आ गये, खाना होटेल से बुक कर दिया था. 

ट्रिशा के ऑफीस जाय्न करने तक इसी फ्लॅट में गुज़ारा करना था, उसके बाद तो उसको एसीपी की रंक के हिसाब से आवास मिलना था, जो शायद किसी बंगले से तो कम नही होना चाहिए.

4-5 दिन हमारे साथ रह कर ट्रिशा के मम्मी पापा गाँव वापस लौटने लगे, जब हमने उन्हें और रुकने को कहा तो वो बोले- 

बेटा अब थोड़ा बहुत अपनी ज़मीन जायदाद की देखभाल भी तो करनी पड़ेगी. फिर कोई मौका पड़ेगा तो ज़रूर कुछ दिन रुकेंगे.

ट्रिशा की मम्मी ने उसके चिन पर हाथ रख कर कहा- अब तो बस नवासे का इंतजार है, तभी आएँगे तुम्हारे पास, 

अब ये तुम लोगों पर निर्भर करता है कि कितनी जल्दी बुलाते हो हमें..? क्यों जी..! उन्होने अपने पति को संबोधित करके कहा.

पापा- बिल्कुल ! अब तो जितना जल्दी हो सके अपने नवासे का मुँह देखना है.
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12-19-2018, 02:16 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
ट्रिशा उनकी बात सुन कर शर्मा गयी, तभी निशा चुटकी लेते हुए बोली- इसमें कॉन सी बड़ी बात है मम्मी, जीजू चाहें तो साल के अंदर-2 मे अपने भेनौत को अपनी गोद में लेकर खिला सकती हूँ..! क्यों जीजू..? सही कह रही हूँ ना !

मे - भाई ये सब अपनी बेहन से पुछो, मुझसे क्यों पुछति हो..? फिर थोड़ा सीरीयस होते हुए मैने कहा – 

इसमें अभी वक़्त लगेगा मम्मी जी, ट्रिशा की नयी पोस्टिंग है, कम-से-कम 2-3 साल हम लोग इस बारे में सोच भी नही सकते. 

क्यों ट्रिशा..! सही कह रहा हूँ ना मे..?

ट्रिशा ने भी मेरी बात पर मुन्हर लगाड़ी, तो वो लोग कुछ मायूस से हो होगये..! 
मैने कहा- अरे आप लोग मायूस क्यों होते हो, पहले पोते का तो जुगाड़ करो..! 

पापा बोले - ये बात भी सही है तुम्हारी..! पहले तो पोता आना चाहिए, वैसे भी ऋषभ की शादी को तो एक साल से ज़्यादा हो गया है.

ऐसी ही बातें चलती रही, फिर उन्होने निशा को कहा- बेटा तुम भी अपना सामान पॅक कर्लो, तुम्हारा एमसीए का फाइनल है, तुम्हें भी तो उसकी तैयारी करनी है तो वो बोली-

मे तो अभी दीदी-जीजू के पास ही रहूंगी, यही रह कर तैयारी कर लूँगी, वैसे भी अब मुझे खाली एग्ज़ॅम ही तो देने हैं, क्यों दीदी आपको तो कोई परेशानी नही है ना..?

ट्रिशा - कैसी बात करती है पगली..! मुझे तेरे यहाँ रहने से क्या परेशानी होगी भला..! जब तक तेरा मन करे यहाँ रह, वैसे भी तेरे एग्ज़ॅम के बाद ही तो शादी हो जानी है.

मम्मी-पापा – जैसी तुम लोगों की इक्षा..! अब हमें तो इज़ाज़त दो भाई.

और उसी दिन वो दोनो निकल गये अपने गाँव, सीधा साधन ट्रेन ही था, रिज़र्वेशन मिल गया तो शाम की ट्रेन में उनको बिठा दिया.

ट्रिशा ने अपना ऑफीस जाय्न कर लिया, उसको डिपार्टमेंट की तरफ से एक अच्छा सा बांग्ला रहने के लिए मिल गया था. मैने सोचा चलो मेरी आब्सेन्स में इन लोगों को भी सेफ्टी रहेगी.

अब ट्रिशा सुबह-2 अपने ऑफीस निकल जाती थी, मेरा कोई इंपॉर्टेन्स नही था, कभी-2 शकल दिखाने चला जाता था कंपनी के ऑफीस.

ऐसे ही एक दिन ट्रिशा ओफिस गयी थी, मे और निशा घर पर अकेले थे, मे एक स्पोर्ट्स टीशर्ट और शॉर्ट पहन कर सोफे पर बैठ कर न्यूज़ सुन रहा था, सुबह की योगा और दूसरी एक्सर्साइज़ करने के बाद चेंज नही किया था. 

कुछ देर बाद निशा भी हाथ में बुक लिए मेरे बाजू में आकर बैठ गयी.

मेरा ध्यान टीवी में था, लेकिन वो लगातार मेरी ओर ही देख रही थी, टीशर्ट थोड़ी फिट थी, सो मेरे कशरति बदन के कट साफ दिख रहे थे. 

जब काफ़ी देर तक मैने उसकी ओर ध्यान नही दिया, तो उससे रहा नही गया और बोली-

जीजू ! ज़रा टीवी से ध्यान हटा कर मेरी ओर देख कर बताएँगे, क्या मे अट्रॅक्टिव नही लग रही..?

उसके अचानक इस तरह के सवाल पर मैने चोंक कर उसकी ओर देखा, वो एक लाल सुर्ख रंग की लोंग स्कर्ट और ब्राउन शर्ट पहने थी, जिसमें से उसके 34डी बूब्स निकलने को उतावले हो रहे थे, 

वो अपनी टाँगों को एक के उपर एक रख कर बैठी थी. मेरा उसको अटेन्षन ना देने का कारण ही उसकी मदमस्त जवानी थी जो ट्रिशा की तुलना में ज़्यादा भारी-भारी थी, जिसे देख कर कोई भी अपना मानसिक संतुलन खो दे.

मैने थोड़ी देर उसके हुश्न का दीदार किया और फिर बोला- अचानक इस तरह का सवाल क्यों किया तुमने..?

निशा - पहले आप मेरे सवाल का जबाब दीजिए.. प्लीज़.

मे थोड़ा मुस्करा उठा उसके सवाल की मंशा जान कर, और बोला - सच कहूँ या झूठ.

निशा - जीजू..! प्लीज़ सच बताओ ना ! क्या मे अटेक्टिव नही लगती ?

मे - सच तो ये है साली साहिबा ! कि कभी-2 मुझे भी डर लगता है, कहीं मे अपना आपा खो कर तुम्हारे उपर झपट ना पडू..! 

इसलिए तुम्हारी तरफ ध्यान देने से बचता रहता हूँ, और शायद इसीलिए तुमने भी ये सवाल जान बूझकर किया है, है ना!

वो अवाक सी मेरे मुँह को ताकती रह गयी..! और फिर बोली - आप कोई तन्त्र मंतरा तो नही जानते..?

मे - क्यों ? ऐसा क्यों लगा तुम्हें..?

निशा - वो आप मेरे मन की बात जान गये इसलिए..!

मे ठहाका लगा कर हंस पड़ा…हाहहाहा…! नही मेरी ब्यूटिफुल साली जी मे कोई तांत्रिक वन्त्रिक नही हूँ, 

जब मैने तुम्हारी ओर ध्यान नही दिया तो नारी स्वाभाव बस तुमसे रहा नही गया और तुमने ये सवाल कर दिया..! क्यों सही है ना..!

निशा - बिल्कुल सही..! लेकिन अब तो सही से जबाब देदो मेरे हॉट..हॉट.. जीजू..!

मे और हॉट..?? हाहहाहा… क्यों मज़ाक करती हो यार !!? वैसे सच कहूँ तो देशी भाषा में तुम एक दम पटाखा लगती हो, जो किसी भी महा पुरुष का भी ईमान डॅग-मगा दे, इसलिए मे तुमसे बचता रहता हूँ.

उसने मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया और अपने बाजू मेरे इर्द-गिर्द लपेट कर बोली - मुझसे क्यों बच रहे हो..? क्या मे कटखनी हूँ..?

मे - कटखनी तुम नही मे हूँ, कहीं मन मचल गया और तुम्हें काट लिया तो तुम्हारी दीदी क्या कहेगी..?

वो मुझे अपनी बाहों में कस्ति हुई बोली - ओह जीजू..! काटो ना मुझे..! दीदी की क्यों परवाह करते हो, वो मुझसे बहुत प्यार करती है, मेरे लिए वो कुछ नही कहेगी.. 

उसके बदन की मादक खुश्बू ने मेरे अंदर हलचल पैदा करदी…

प्लीज़ जीजू मुझे भी एक बार अपनी बाहों में भरके प्यार दो ना.. प्लीज़्ज़ज..!

मे - निशा ! अपने आप को कंट्रोल करो प्लीज़.. तुम दूसरे की अमानत हो, उसको क्या जबाब दोगि, और फिर मे तुम्हारी दीदी के साथ विश्वासघात नही कर सकता..! समझो बात को.

निशा – तो फिर ठीक है, अब दीदी ही आपको मेरे पास लेके आएँगी.. और ये कह कर वो मेरे से अलग होकर अपने रूम में चली गयी.

मे कितनी ही देर बैठा सोचता रहा उसके द्वारा कहे गये शब्दों के बारे में.

ऐसे ही 2 दिन और निकल गये, अब निशा मेरे साथ ज़्यादा फ्लर्ट नही करती थी, लेकिन कुछ उदास सी रहने लगी.

एक रात ट्रिशा जब मेरी बाहों में थी, मैने उसकी गोलाईयों को सहलाते हुए पुछा- 

जान ! तुमने एक बात नोटीस की है, निशा आज कल कुछ अन्मनि सी रहती है, तुमने पता नही किया क्यों रहती है..?

ट्रिशा मेरे सीने को सहलाते हुए बोली - वो पागल लड़की कुछ ऐसा चाहती है, जो मे उसके लिए हां नही कह सकती..!

मे - क्या..? ऐसा क्या चाहती है वो तुमसे, जो तुम दे नही सकती उसे..? 

हालाँकि मुझे पता था कि वो क्या चाहती है, और शायद उसने अपनी बेहन को बोल ही दिया है..! फिर भी मैने ये सवाल किया.

ट्रिशा मेरी चिन को चूमते हुए बोली - वो अपने प्यारे जीजू के प्यार से थोड़ा सा हिस्सा चाहती है..! जिसके लिए मे अपनी तरफ से कैसे हां कह दूं..?

मैने चोन्क्ने की आक्टिंग करते हुए कहा.. क्या..? क्या ऐसा उसने तुमसे कहा..?

ट्रिशा - हां ! क्योंकि हम दोनो बहनें एक दूसरे से बहुत प्यार करती हैं, और कोई भी बात नही छिपाति.

मैने उसके गाउन की डोरी खोल दी, और उसके दोनो पल्लों को अलग करके उसके अनारों पर गोल-2 उंगली घुमाते हुए पुछा – वैसे उसने तुमसे क्या कहा था..?

ट्रिशा अपनी चुचि को मेरे बाजू पर दबाते हुए बोली – पहले तो उसने मुझसे प्रॉमिस लिया, कि क्या वो जो माँगे वो उसे मिलेगा,

मैने सोचा की वैसे ही किसी चीज़ की डिमॅंड करेगी, सो मैने उसे प्रॉमिस कर दिया…लेकिन जो उसने कहा, उसे सुनकर मे सन्न रह गयी..

मे – ऐसा क्या कहा उसने ?

ट्रिशा – वो कुछ देर तो चुप रही, फिर सकुचाते हुए बोली, दीदी मे अपनी वर्जिनिटी जीजू को देना चाहती, प्लीज़ क्या आप बस एक रात के लिए उनका प्यार मेरे साथ शेयर कर सकती हैं…?
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12-19-2018, 02:17 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
उसकी बात सुन कर, कुछ देर तो मे सन्नाटे की स्थिति में चली गयी, लेकिन जब उसने फिर कहा – देखो दीदी, आप प्रॉमिस कर चुकी हो, प्लीज़ बस एक रात के लिए, फिर कभी नही कहूँगी…

मे चाहती हूँ, मेरी फर्स्ट नाइट जीजू जैसे शेरदिल मर्द के साथ में हो…

मे – तो फिर तुमने क्या कहा …?

ट्रिशा – मे क्या कहती, मैने उससे कह दिया कि उनकी वो जानें, मे इस बारे में कुछ नही कह सकती…

बस तभी से वो मायूस हो गयी, और गुम-सूम सी रहने लगी.. मैने उसे काफ़ी समझाने की कोशिश भी की, कि देख ये बात तेरे जीजू कतई नही मानेंगे, लेकिन उसने फिर कोई जबाब नही दिया.. 

बातों बातों में मैने उसके गाउन को उसकी टाँगों से भी हटा दिया था, गुलाबी रंग की पेंटी के उपर से उसकी मुनिया को सहलाते हुए मे बोला - तो तुमने फाइनली उसको क्या जबाब दिया..?

ट्रिशा भी मेरे अंडरवेर के उपर से मेरे लंड को सहलाते हुए बोली - आपके बारे में मे उसको कैसे हां कर देती..? आप इसके लिए तैयार नही हुए तो..?

मे - तो क्या तुम अपने पति को, अपनी बेहन के प्यार के लिए बाँट सकती हो..?

ट्रिशा - मे कॉन होती हूँ आपके बारे में कुछ भी डिसाइड करने वाली..?

अब मेरे प्रयासों से उसकी पेंटी कमरस से गीली होने लगी थी, तो मैने उसे एक साइड में किया और उसकी गीली पुसी में एक उंगली डाल कर कहा – 

अगर मे ये कहूँ कि तुम्हारी खुशी के लिए मे अपना प्यार उसे देने को तैयार हूँ तो..? 

ट्रिशा सिसकी भरते हुए बोली – सस्सिईईईई….आअहह…सस्साच ! सच में आप उसको अपना प्यार दे सकते हैं..?

मे - तुम्हें कोई एतराज नही होगा इसमें..?

ट्रिशा अपनी कमर हिलाते हुए बोली - मुझे भला क्यों एतराज होगा..? ससिईई…. 

अगर आप अपनी खुशी से उसको प्यार दे रहे हैं तो, मेरी खुशी तो आप दोनो की खुशी में ही है. 

वो फिर अपनी गान्ड उचकते हुए बोली - वैसे अगर वो खुश रहेगी तो मुझे अच्छा लगेगाआ….आआईयईई….सस्सिईइ…

मेरी भी एक्सिटमेंट बढ़ती जा रही थी, सो मैने अपनी दो उंगली उसकी रस से लबरेज़ पुसी में जड़ तक पेल दी.. और अंदर बाहर करके उसे हाथ से ही चोदने लगा…

कुछ ही देर में ट्रिशा की कमर हवा में लहरा उठी, और उसने अपना कामरस छोड़ दिया…

जब वो नॉर्मल हुई, तो उसने मेरे लबों को चूम लिया..

मे उसकी ओर देखता ही रह गया.. कितना त्याग भरा है इस लड़की में, अपनी बेहन की खुशी के लिए.., 

जहाँ एक तरफ समाज में ना जाने ऐसे कितने केसस हैं, कि पति-पत्नी के संबंधों में मात्र शक़ के आधार पर ही खटास आ जाती है, यहाँ तक कि नौबत तलाक़ तक पहुँच जाती है.

वहीं ये लड़की, अपनी बेहन की खुशी के लिए, अपने पति को बाँटने तक को खुशी खुशी तैयार हो गयी…

जब मे कुछ देर उसकी ओर ताज्जुब से देखता रहा तो वो बोली- ऐसे क्या देख रहे हैं जी..?

मे - देख रहा हूँ कि इतना त्याग भी कोई कर सकता है..! लेकिन जान ! उसकी तो कुछ महीनो बाद शादी है, फिर वो अपने पति को कैसे…?? 

मैने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया था.

ट्रिशा - वो उसकी प्राब्लम है, मुझे लगता है वो इस रिस्ते से ज़्यादा खुश नही है, बस भाई की खुशी और बात रखने के लिए राज़ी हुई है.

मे - ठीक है, अगर तुम खुश हो तो मे तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ.

ट्रिशा - ओह जानू ! आप कितने अच्छे हैं.. ? आइ लव यू ! तो मे उसे भेज दूं आपके पास..?

मे - अभी..? 

ट्रिशा - हां..! फिर उसको और ज़्यादा क्यों सताया जाए..?

मैने उसके होठ चूमते हुए कहा – लेकिन इस समय तुम तो अपने हिस्से का प्यार ले लो पहले…

वो मेरे गाल को किस करके बोली – वो तो मे कभी भी ले लूँगी, पहले आप उसको देदो…

मैने उसको अपने सीने से सटा कर कहा - जैसी तुम्हारी मर्ज़ी..! 

ये सुनते ही वो लपक कर पालग से उतरी और खुशी में डूबी हुई निशा के रूम की ओर चली गयी, मेरे चेहरे पर एक रहश्यमयि मुस्कान तैर गयी.

कुछ देर बाद ही दोनो बहनें मेरे पास आई, और पलग पर बैठ गयी, 

निशा की आँखें शर्म से नीचे झुकी हुई थी. उसे बिठा कर ट्रिशा वहाँ से जाने लगी, तो मैने उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा- 

अरे तुम कहाँ चली जानेमन..? 

वो बोली - मे जीजा-साली के बीच कबाब में हड्डी क्यों बनू..? लो सम्भालो अपनी प्यारी साली को और खिल खिला कर हस्ती हुई रूम से बाहर भाग गयी.

निशा अभी भी अपनी नज़रें नीची किए बेड के एक सिरे पर बैठी थी, इस समय वो एक वन पीस झीनी सी गाउन पहने हुए थी जिसके आर-पार उसके अधोवस्त्र भी सॉफ-2 दिखाई दे रहे थे. 

उसके मादक अंगों को गाउन के अंदर से ही तौल कर मेरा पप्पू अंगड़ाई लेने लगा.

मे - निशा ! अब भी नाराज़ हो मुझसे..?

निशा - नही तो ! भला मे आपसे कैसे नाराज़ हो सकती हूँ..?

मे - तो फिर अभी तक इतनी दूर क्यों बैठी हो..? या फिर सिर्फ़ ऐसे ही बैठने के लिए आई हो मेरे पास..?

निशा - ओह जीजू, आपने मुझे जिस तरह से समझाया था ना, तो उस वजह से मुझे अब आपसे शर्म आ रही है. 

मे - ओह ! देखो निशा मे नही चाहता था कि हम दोनो को लेकर हम पति-पत्नी के बीच कोई ग़लत फेहमी पैदा हो इसलिए मैने तुम्हें समझाया था, 

अब जब पत्नी ही अपनी बेहन के प्यार में अपने पति को शेयर करने को तैयार है तो मे तो कब्से तुम्हें लपेटने के चक्कर में था.

निशा - सच..! आप सच कह रहे हैं जीजू..!

मे - बिल्कुल सच..! तुम्हारी जैसी हॉट और सेक्सी लड़की को कॉन नही भोगना चाहेगा..?

निशा - ओह जीजू..! थॅंक यू वेरी मच ! आइ लव यू ! और सारे शर्मो हया बंधन तोड़-ताड़ के वो मेरे उपर चढ़, मेरी गोद में आ बैठी.

उसके उभार मेरे सीने में दबे हुए थे, और वो मेरी आँखों में झाँक रही थी, 

मैने प्यार से उसके रसीले होठों पर अपना अंगूठा फिराया और बोला - ऐसा क्या पसंद आया तुम्हें मेरे अंदर जो इतनी बाबली हो रही हो..?

निशा - क्या नही है आपके अंदर जिसे देख कर कोई भी लड़की फिदा ना हो..? 

सबसे बड़ी आपकी ख़ासियत जो मुझे भा गयी है, वो है आपका मर्दाना अंदाज जो हर लड़की को चाहिए, डेरिंग जो किसी की भी केयर कर सके.

मे - लेकिन ये सब तो तुम्हारे लिए टेम्परेरी ही है ना ! तुम्हारा केरिंग गाइ तो कोई दूसरा ही है ये जानते हुए भी तुम मेरे दो पल के प्यार के लिए मरी जा रही हो. ये पागल पन क्यों निशा..?

निशा - जीजू प्लीज़ ! कैसे-2 करके मैने दीदी को पटाया है, और आप फिर से मुझे बहला रहे हो.. ! मुझे प्यार करो ना! प्लीज़ जीजू.. मेरे प्यारे जीजू.

मैने उसका मुँह बंद करने की गरज से अपने होठ उसके होठों पर रख दिए और उन्हें चूमने-चूसने लगा, 
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12-19-2018, 02:17 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
वो तो थी ही इसी ताक में बस फिर क्या था ! जुट गये एक लंबी स्मूच में.

होत जब अपने काम में लगे हों, तो हाथ कैसे पीछे रहते, कस लिए उसके अनारों को, और जो मसल दिया, निशा किस तोड़ कर सीसीयाने लगी…..

सस्स्सिईईई… आअहह…गंदीए… जिजुउुउ… धीरे… जोरे से नही प्लेआस्ीई… दर्द्द्द…नहियिइ.. ह…उफ़फ्फ़…माआ…

अरे मेरी जान मेरी कबुतरि, तेरे ये अनार हैं ही इतने मस्त की बस मसल्ने को ही जी करता है…! मे बोला.

तो आराम से करो ना..! दर्द क्यों देते हो…?

मे - अरे मेरी रानी, इस दर्द में भी अपना अलग ही मज़ा है…और कपड़े के उपर से ही उसके निपल्स को मरोड़ दिया..

नहियिइ…. जीजू.. आप बहुत गंदे हैं… बहुत सताते हो…! 

फिर मैने उसकी गान्ड को सहलते हुए उसके गाउन को खोल दिया. 

अब उसके गोरे- 2 गोल-मटोल इलाहाबादी अमरूद ब्रा में कसे हुए मेरी आँखों के सामने थे.

उनकी शेप और सुंदरता देख कर मेरी आँखों की चुमक बढ़ गयी और मैने उसकी घाटी के दाएँ बाए अपने दाँत गढ़ा दिए..

ओह जीजू काटो मत.., निशान बन जाएँगे. वो बोली तो मैने कहा- बनने दे ना, इनको ही तो लव बाइट्स कहते हैं मेरी जान, 

जब भी तुम इन निशानों को देखोगी तो मेरी याद आएगी.

वो बोली - आपको तो मे वैसे भी कभी भूलने वाली नही हूँ.

पेंटी और ब्रा में कसा उसका सुडौल गोरा बदन जो ट्रिशा से ज़्यादा भरा हुआ था. उसके चुचे तो कसम से मेरी जान ही निकाले दे रहे थे,

मैने ब्रा के उपर से ही उन्हें अपने मुँह में भर लिया और बुरी तरह चब चबा डाला.

आआईयईई…. नहियीई…जिजुउू… ज़ोर्से नही… प्लीज़…!

मेरे हाथ उसकी गदराई गान्ड का नाप ले रहे थे, और मे उन्हें ज़ोर-2 मसले जा रहा था.

एक भीनी सी मादकता से भरी उसके बदन की महक मेरे नथुनो में समाती जा रही थी, जो मुझे और ज़यादा उत्तेजित कर रही थी.

मैने मदहोशी के आलम में उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा.

निशा के हाथ भी हरकत में आए और उसने मेरे अंडरवेर को निकाल बाहर किया. और फिर वो मेरे घुटनों के बीच बैठ कर मेरे पप्पू को हाथ में लेकर सहलाने लगी, एक बार चूम कर उसने उसे अपने मुँह में ले लिया.

जो काम ट्रिशा इतने समझाने बुझाने के बाद भी ठीक से नही कर पाई थी वो ये लंड की दीवानी लौंडिया बिना कुछ कहे कर रही थी, इसी से साबित होता था कि वो मेरे लंड के लिए किस कदर ब्याकुल है.

जल्दी ही मेरा लंड स्टील के रोड की तरह शख्त हो गया..., लगता था कि अब वो किसी दीवार में भी छेद कर्दे…!

मैने निशा को पकड़ के बेड पर लिटा दिया, और उसकी ब्रा और पेंटी को भी उसके बदन से अलग कर दिया..! अब वो मेरे सामने अजंता की कोई मूरत पड़ी हो ऐसा लग रहा था.

निशा ने अपनी दोनो टाँगों को विपरीत दिशाओं में फैला लिया और अपनी अन्चुदि परी को मेरे सामने खोल कर रख दिया.

मैने बड़ी प्यारी नज़रों से उसके मदमस्त बदन को बिस्तर पर मचलते हुए देखा और अपने मूसल जैसे लंड पर थूक लगा कर उसके उपर झुक गया.

मैने लंड को उसकी मुनिया की फांकों के बीच रख कर उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा- आर यू रेडी डियर..?

निशा ने जबाब में अपनी टाँगों को मेरी गान्ड के उपर रखा और अपनी ओर खींचने लगी, और फिर बड़े ही शोख अंदाज में बोली- यस माइ डियर जीजू… आइ आम रेडी फॉर युवर हार्डशिप्स.

उसके अपनी ओर खींचने और मेरी गान्ड के दबाब से लंड उसकी चिकनी चूमेली के अंदर सरकता चला गया…

एक पल के लिए तो वो साँस लेना ही भूल गयी मानो…उसे लगा जैसे कोई गरम रोड उसकी चूत में डाल दी हो…


उसे दर्द तो ज़्यादा नही हुआ क्योंकि चूत सिल्परी हो रही थी.., लेकिन उसे ऐसा कुछ लगा मानो कोई गरम चीज़ उसकी चूत में डालकर, अंदर रेंगती हुई चींतियो को भून रही हो. 

पहले जो सुरसूराहट हो रही थी उसकी परी के अंदर अब वो हल्के से दर्द में बदल चुकी थी.

अब उसे ये समझ नही आ रहा था कि चूत चुदने में जब इतना दर्द होता है, तो हर लड़की इस दर्द के लिए मरी क्यों जाती है.

इसका जबाब उसको जल्दी ही मिल जाने वाला था…

अगले ही दो तगड़े धक्कों में मैने अपना पूरा मूसल जैसा लंड उसकी सन्करि गली में उतार दिया…

उसकी गली हर बार ककड़ी की तरह चीरती जा रही थी और अपने अतिथि के लिए रास्ता देती जा रही थी…

अब उसे दर्द की अधिकता महसूस हुई.. और वो चीख पड़ी…

आअहह…. जीजू…. मरररर…गायईयीई…आयईयीई… दर्द हो रहा हाीइ…उफ़फ्फ़.. जीजू निकालो अपने मूसल को…

मैने धीरे-2 लंड को बाहर खींचा, हम दोनो की नज़र उसी पर थी, जब लंड पूरा बाहर निकला तो उसके टोपे पर खून लगा हुआ था.



मैने उसको मुस्करा कर देखा और बोला- कंग्रॅजुलेशन्स डार्लिंग अब तुम लड़की से औरत बन गयी..!

निशा के मुँह से बस एक दर्द युक्त मुस्कान निकली…

अभी वो ठीक से मुस्करा भी नही पाई थी कि फिर चीख पड़ी…क्योंकि एक बार फिर मेरा शेर उसकी गुफा में घुस गया.

आआआहह…..गंदे जीजू……. उफफफ्फ़… निर्दयी कहीं के… मार डाला.., आई…अब ज़यादा मत हिलाओ… प्लीज़….रूको थोड़ा…!

पर मैने उसकी तरफ ज़्यादा ध्यान नही दिया… बस 10 सेकेंड के बाद फिर अपनी कमर को जुम्बिश दी और बाहर खींचा.. और फिर पेल दिया..
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12-19-2018, 02:17 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
2-4 धक्कों के बाद निशा का दर्द कुछ कम हुआ और उसकी जगह उसकी चूत में सुरसूराहट होने लगी…,

अब उसके पैर एक बार फिर मेरी गान्ड के उपर कस गये और अपनी ओर करने लगे.

मैने अपने धक्कों को स्पीड देना शुरू कर दिया…

कुछ देर में ही निशा को मज़ा आने लगा, जो कुछ देर पहले ये सोच रही थी कि दर्द के बबजूद लड़कियाँ क्यों चुदने को मरी जाती हैं, अब जाके उसकी समझ में आया वो राज, और उसके मुँह से मादक सिसकिया फूटने लगी.

कुछ देर बाद मैने निशा को अपने उपर ले लिया, वो अपनी गदराई हुई, गोल गान्ड लेके मेरे लंड पर बैठ गयी, और अपने घुटने मोड़ कर बेड पर रख लिए…उसके बूब मेरे सीने को रगड़ दे रहे थे……..


आह्ह्ह्ह… जीजू…उउम्म्म्म…उऊहह… मज़ा आरहाआ हाइईइ.. बहुत… आहह… चोदो मुझे… और जोरे सी…आयईयी…उउफ़फ्फ़.. हाईए.. अंदर जाकर तो ये और ज़्यादा मज़ा देता है.. चोदो … और जोरे से… चोदो… अपनी … राणििइ.. को…अपनी साली..आधी..घरवाली को..,

अब वो खुलकर चुद रही थी, और पूरा मज़ा लेने की कोशिश कर रही थी…

मैने झुक कर उसके निपल को मुँह में भर लिया और चूसने लगा..

नयी टाइट चूत का एक नुकसान भी होता है, लंड ज़्यादा देर झेल नही पाता और जल्दी पानी छोड़ देता है, यही मेरे साथ भी हुआ…

उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड को इतना जोरे से जकड रखा था कि उसकी रगड़ से झड़ने के करीब पहुँच गया…

लेकिन एन मौके पर मैने अपने लंड को बाहर खींच लिया.

मैने जैसे ही अपना लंड बाहर निकाला, निशा की नयी फटी चूत जो अभी तक भरी-2 सी लग रही थी, एकदम एकदम खाली खाली सी हो गयी..…

निशा को ये पसंद नही आया और उसने गीले लंड को अपनी मुट्ठी में भरके फिर से अपनी चूत के मुँह पर रखा और अपनी गान्ड को उपर की ओर उचका दिया.

लेकिन मैने कमर उपर करके उसके बार को खाली जाने दिया और उसके होठों को चूसने लगा….

कुछ देर उसके होठ चूसने के बाद, निशा की कमर पकड़ कर अपने उपर बिठा लिया और खुद बिस्तर पर लेट गया.

वो अपने दोनो पैरों को मेरे कमर के साइड में करके अपने चूत को मेरे लंड पर रख कर उसके उपर बैठती चली गयी…!

उम्म्म्म…कितना मज़ा है इसमें… अब तक मे इस मज़े से अंजान क्यों रही…? 

अब मुझे रोज चुदना है जीजू आपसे… चोदोगे ना..! आहह… हाईए.. कितना मज़ा है आपके इस लंड में… 

प्लीज़ ज़ोर से घुसाओ इसे.. मेरी चुचि को चूसो…जीजू… खा जाओ इन्हें आअहह..ऊहह..जीजू… मे गाइ….हहूओ…उउउहह… और वो भरभरा कर पानी छोड़ने लगी..

इधर मेरा भी लंड मुंहाने पर ही था.. सो वो भी फुट पड़ा.. और अपनी सारी मलाई उसकी कुप्पी में उडेल दी.

निशा का ये लंड से पहला एनकाउंटर था, अब तक वो शायद अपनी चूत को मसल मसल कर ही मज़ा लेती रही हो.

वो तृप्त हो कर मेरे सीने पर पड़ गई और लंबी-2 साँसें भर कर सीने से चिपकी रही.

कुच्छ देर के बाद वो मेरे उपर से उठी, तब जाकर लंड उसकी चूत से बाहर आया, साथ ही ढेर सारा दोनो का रस भी.

निशा ने तौलिया लेकर अपनी चूत और मेरे लंड को सॉफ किया और फिर उसको हाथ में लेकर उसे चूम लिया और बोली- मेरा राजा बेटा…उूउउम्म्मचह….

फिर हम दोनो नंगे एक दूसरे से लिपटे ही सो गये.

उधर उसकी त्यागमयी बेहन अपने पति के होते हुए, अपनी चूत को हाथ से मसल मसल कर अपना पानी निकाल कर सो गयी ..…

मे जिस डर से बचता आ रहा था वही अब सामने था, 

निशा को एक बार लंड का चस्का क्या लगा, अब तो वो मौके ही ढूदती रहती थी, लेकिन मैने उसको कंट्रोल मे रहने के लिए प्यार से समझा बुझा दिया था, 

जो कुछ-2 उसकी समझ में आ गया, लेकिन फिर भी नयी-2 चुदास, तो समय निकाल कर जब तब करनी पड़ती उसकी भी सर्विस.

ट्रिशा की ड्यूटी शांति पूर्वक चल रही थी, वैसे भी गुजरात में यूपी जैसी अशांति नही थी. तो उसको कोई प्राब्लम नही होनी थी.

कुछ दिन बाद निशा अपने एग्ज़ॅम देने चली गयी, उसके बाद ही उसकी शादी भी हो जानी थी.

इसी दौरान लोक सभा के एलेक्षन हुए, और कोलिशन की सरकार सेंटर में बन गयी, किसी पार्टी को क्लियर मॅनडेट नही मिला था, तो बहुत सारे देश भर के दल मिलकर एक सरकार बना दी गयी.

ये तो जग जाहिर है, कि नेता लोग अपने मन मुतविक अधिकारियों को नियुक्त करते हैं, अब सरकार गयी तो अधिकारियों के काम भी गये. 

पर्फॉर्मेन्स नाम की कोई चिड़िया भी होती है, नेताओं को पता ही नही होता है, अजीब सी डेमॉक्रेसी है अपने देश की.

जिनको अपने घर संभालना नही आता वो देश को संभालते हैं. खैर जो होना होता है वही होके रहता है. 

चौधरी साब को भी एनएसए पद से हटा कर किसी दूसरी बेकार सी जगह डाल दिया गया. 

अब देखना होगा कि नये एनएसए महोदय कैसे मॅनेज करते हैं या डॅमेज करते हैं.
Reply
12-19-2018, 02:18 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
अब देखना होगा कि नये एनएसए महोदय कैसे मॅनेज करते हैं या डॅमेज करते हैं.

कुछ दिन बाद ही एक मैल आ गया कि एनएसएसआइ को ख़तम करके रॉ में मर्ज किया जा रहा है, जो अब सीधे होम मिनिस्ट्री को डाइरेक्ट रिपोर्ट करेगी. 

रॉ डाइरेक्टर ने सभी एजेंट्स को लेकर एक मीटिंग बुलाई और सभी के ग्रूप बना कर उन्हें मिसन दे दिए गये.

गनीमत थी कि रॉ में कोई चेंज नही किया गया था, तो कम-से-कम एक अनुभवी आदमी के अंडर काम करने का मौका मिला.

हमारे ग्रूप में 15 लोग थे जिनको देश के अंदर पनप रहे नक्सल बाद पर नज़र रख कर उनके मंसूबों को विफल करने का हर संभव प्रयास करना था.

इस नये मिसन की वजह से मे निशा की शादी भी अटेंड नही कर पाया था, जिसका ट्रिशा के घरवालों को जबाब देना भारी पड़ गया. 

हमें बोलना पड़ा कि कंपनी के काम से मुझे आउट ऑफ कंट्री जाना पड़ा है.

मेरे पुराने मिसन की सफलता के आधार पर मुझे इस टीम का लीडर बना दिया गया, सौभाग्य से विक्रम और रणवीर जो ज़फ़्फरुल्लाह वाले केस में मेरी स्पेशल डिमॅंड पर मेरा साथ देने आए थे वो भी हमारे ग्रूप में ही थे.

सबसे पहले हमने कंट्री के मॅप में उन हिस्सों को हाइ लाइट किया जहाँ नकशलिस्म पनप चुका था जिनमें एंपी का कुछ हिस्सा (जो आज छत्तीसगढ़ में है), बिहार का हिस्सा (जो आज झारखंड में है), वरषा, वेस्ट बंगाल, आंध्रा प्रदेश और तमिलनाडु प्रमुख राज्य थे.

हमने 3-3 लोगों के 5 सब ग्रूप बनाए और हर ग्रूप को एक निर्धारित एरिया सौंपा गया. 

सब ग्रूप (एस) को नंबर से डिफाइन किया जैसे एस1, एस2..लाइक तट..

एस1 को वेस्ट बंगाल का हिस्सा, स2 ओरिसा, स3 बिहार, स4 आंध्र+तमिल नाडु आंड स5 एंपी+ (एंपी+ सम पार्ट ऑफ गुजरात+सम पार्ट ऑफ यूपी).

मेरा ग्रूप स5 था, जिसमें मेरे साथ विक्रम और रणवीर हम तीनों दोस्त थे. ये ग्रूप के डिविषन सर्व सम्मति से ही बनाए गये थे.

हर एक ग्रूप को एक ट्रांसमीटर दिया गया, जो कोडेड था, जिसका मतलब होता कि अगर उस पर कोई कनेक्ट होना था, इसका मतलब कोई अर्जेन्सी है और फ़ौरन कॉंटॅक्ट करना है, साथ ही वो एक दूसरे की दिशा निर्देशन भी करेगा.

वीक वाइज़ हर ग्रूप को प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी थी, जो कंबाइन करके रॉ ऑफीस को भेजनी होती.

ये सब डिसाइड करके हम सब एक दूसरे से अलग हुए. और यथोचित रिज़ल्ट की उम्मीद में मिसन पर लग गये…

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बस्तेर से दंतेवाड़ा के बीच का घना जंगली इलाक़ा, अचानक किसी औरत की दर्दनाक चीखों से दहल उठा, 

चीखें इतनी दर्दनाक थी, कि पत्थर दिल इंसान का दिल भी तड़प उठे, लेकिन वो चार लोग जो उसके साथ कुकृत्य कर रहे थे, उनमें शायद दिल नाम का कोई ऑर्गन्स ही मौजूद नही था.

वो चारों एक विशेष तरह के डार्क ग्रीन मोटे से कपड़े की एक जैसी उनफ़ॉर्म में थे जो शायद महीनों से सॉफ ही ना की हो, 

जिनके सर से बँधा हुआ कपड़ा मुँह को भी ढकने में काम आता था, 

लेकिन इस समय उनके मुँह ढके हुए नही थे पक्के रंग की चमड़ी वाले ये दानव सरिके लोग, जिनके चेहरों पर बढ़ी हुई दाढ़ी, जो शायद महीनों से शेव नही की हो.

अक-47 जैसी राइफल से लेश, जो इस समय पास ही एक पेड़ की जड़ में रखी हुई थी एक युवती को चारों ओर से घेरे हुए.

मध्यम कद की वो युवती पेड़ों के सूखे पत्तों पर पड़ी बिलख-2 कर उनसे छोड़ देने की विनती कर रही थी जिसका उन शैतानों पर कोई असर नही पड़ रहा था. 

वो ज़मीन पर पड़ी नग्न अवस्था मैं निरीह घायल हिरनी की तरह उनसे दया की भीख माँग रही थी.

उनमें से एक शैतान उसके साथ अपनी काम पिपासा शांत करने में जुटा हुआ था और वाकी के तीनों अपने-2 लंड पेंट से बाहर निकाले मसल्ते हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे और साथ-2 युवती के नाज़ुक अंगों को नोचते जा रहे थे. 

वो बेचारी अबला नारी सिवाय चीखने और बिल्खने के अलावा और कुछ भी करने की स्थिति में नही थी. 

जैसे ही पहला वाला शख्स अपनी काम पिपासा शांत करके हटा ही था कि दूसरा लग गया और पूरी ताक़त के साथ उसने अपना मूसल जैसा लंड उसकी छत-विच्छत पहले वाले के वीर्य से सनी योनि में पेल दिया.

आयययययीीईईईईईईईईईईई….. एक दिल दहला देने वाली चीख उस नवयौवना के मुँह से फिर एक बार उबल पड़ी और वो बुरी तरह छटपटाने लगी. 

इस तरह से वो तीन लोग उसके साथ पाशविक तरीक़े से अपनी वासना की आग शांत कर चुके थे.

अब चौथा व्यक्ति उसके उपर आया जिसका लंड शायद उन तीनों से भी लंबा और तगड़ा लग रहा था, वो युवती उसके लंड को देख कर ही अपनी चेतना खो बैठी, 

अभी वो अपने मूसल को उस बेहोश हो चुकी युवती की घायल यौनी में डालने ही वाला था कि एक गोली की आवाज़ हुई और वो चौथा व्यक्ति पीछे की ओर गिरता चला गया.

अपने साथी को इस तरह गिरता देख वो तीनों हक्के-बक्के से अभी खड़े ही हुए थे कि धाय-धाय-ढायं…, और वो तीनों की भी प्राण लीला समाप्त हो गयी.

तभी वहाँ 3 नकाब पोश प्रकट हुए और उस लड़की के पास पहुँचे. 

वो पूरी तरह नग्न अवस्था में थी जिसके सभी नाज़ुक अंगों पर नोच खरोंच के निशान बने हुए थे, जिनमें से खून भी रिसने लगा था.

उन नकाब पोषों ने उस बेहोश युवती को उसके फतेहाल कपड़ों से जैसे-तैसे करके उसको ढका, 

एक ने उसे अपने कंधे पर लादा, और दूर खड़ी अपनी जीप में डालकर बस्तेर की ओर निकल गये…..

ये एक छोटा सा दो कमरों का घर हमने बस्तर शहर के बाहरी इलाक़े में किराए पर ले रखा था, 

जिससे हम आस-पास के जंगलों और इलाक़े की खाक-छान कर जब लौटें तो एक आराम करने के लिए सुरक्षित स्थान हो. 

इसी में हमने उस लड़की के बेहोश शरीर को लाकर रखा, और उसका गुप्त रूप से उपचार करने लगे.

हमें यहाँ रहते हुए 3 महीने बीत चुके थे, और वहाँ के नक्सलियों से संबंध रखती हुई आस-पास की बहुत सी जानकारिया भी हम निकाल चुके थे, 

इसी छान-बीन के चलते ये लड़की वाला हादसा हमारी आँखों के सामने हुआ जिसे हमने उन दरिंदों से बचा तो लिया…

लेकिन उसके साथ हुए हादसे को नही टाल पाए, क्योंकि जब हम सफ़ारी करते हुए सर्च कर रहे थे, तब हमें उसकी चीखें सुनाई पड़ी..

जिन्हें सुनकर हम वहाँ तक पहुँचे थे, लेकिन हमारे पहुँचने तक वो तीन लोग इसके साथ बलात्कार कर चुके थे…

पूरे 24 घंटे बेहोश रहने के बाद उस युवती को होश आया तो उसने अपने आप को एक आरामदायक बिस्तेर पर पाया, अभी भी उसकी आँखें बंद ही थी, 

जिन्हें वो उसके मन मस्तिष्क पर छाये भय के कारण खोलने से भी डर रही थी.

उसकी चेतना अब वापस लौट आई थी लेकिन आँखें अभी भी बंद किए हुए थी, वो अपनी वास्तुस्थिति से परिचित होना चाहती थी. 

उसे अपने पूरे शरीर में दर्द की लहरें सी उठती महसूस हो रही थी, ख़ासकर उसकी जांघों के जोड़े पर अत्यंत पीड़ा हो रही थी, जिस कारण से उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव सॉफ दिखाई दे रहे थे.
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