Antarvasna kahani जुआरी
09-25-2018, 01:36 PM,
#11
RE: Antarvasna kahani जुआरी
पायल ने अपनी नज़रें झुका ली और भागकर ड्रेसिंग टेबल से वही जादुई तेल की शीशी निकाल लाई...
तब तक कामिनी अपने बेड पर लेट चुकी थी...

पायल ने तेल उसकी कमर पर उड़ेलकर मालिश करनी शुरू कर दी...



और जैसे ही पायल के सख़्त हाथ उसके नर्म बदन पर पड़े, उसके मुँह से एक मादकता से भरी सिसकारी निकल गयी.

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहहssssssss ''

ऐसा आज तक नही हुआ था, आज से पहले कभी भी कामिनी ने ऐसा उजागर ही नही होने दिया था जिससे लगे की उसे शारीरिक रूप से सुख की प्राप्ति हो रही है...
वो बस चुपचाप लेटी रहती और पायल उसका बदन तेल से मसलकर चली जाती..

पर आज पायल को ना जाने क्यों पहले ही लग गया था की कुछ अलग बात है...
कामिनी इस वक़्त पेट के बल लेटी थी और वो जान बूझकर अपनी गांड वाले हिस्से को उपर की तरफ उभारकर लहरा सी रही थी...
पायल समझ गयी की वो वहां की मालिश ज़्यादा से ज़्यादा करवाना चाहती है, इसलिए उसने एक लंबी तेल की धार उसके सफेद चूतड़ों पर छोड़ी और अपने हाथों से उन गुदाज कुल्हो को मसलना शुरू कर दिया..
और वो भी जल बिन मछली की तरह उसके हाथो को अपनी गांड पर महसूस करके तड़पने लगी..थिरकने लगी...

और थिरकते -2 उसने अपनी गांड के चीरे में पायल की उंगलियों को जकड़ लिया...
पायल को ऐसे लगा जैसे किसी चूने की भट्टी में उसके हाथ फँस गये हैं...
पर उसने उन्हे निकालने की जुर्रत नही की क्योंकि कामिनी ने अपनी गांड की पकड़ उनपर ऐसे बनाई हुई थी जैसे वो यही चाहती हो...

पायल अपनी उंगलियो को धीरे-2 हिलाकर उसकी अंदरूनी दीवारों को मसलने लगी...
कामिनी के शरीर में लाखों वॉट की बिजली दौड़ रही थी, एकदम गर्म सा हो चुका था उसका बदन...
उसका खुद पर जैसे कोई कंट्रोल ही नही रह गया था...
उसे बंद आँखो से सिर्फ़ और सिर्फ़ कुणाल का मोटा लंड दिखाई दे रहा था, जो उसने अपनी पेंट के अंदर अकड़ा कर रखा था, उसे महसूस हुआ की वो लंड उसकी पेंट में नही बल्कि उसकी खुद की गांड में आकर बंद सा हो चुका है, और पायल उसे निकालने की कोशिश कर रही है..
और वो ऐसा हरगिज़ नही होने देना चाहती थी... इसलिए उसने अपना हाथ पीछे करके पायल का हाथ पकड़ा और उसे अपनी चूत की तरफ धकेल दिया...

पायल ने आज से पहले अपनी मालकिन की बुर को हाथ तक नही लगाया था, वो खुद ही नही लगाने देती थी, हालाँकि वो उसके सामने पूरी नंगी होकर मालिश करवाती थी, पर चूत के करीब आते ही वो उसके हाथ को दूर खिसका देती थी...
पर आज ऐसा नही था, वो खुद उसके हाथों को पकड़कर अपनी चूत पर ले गयी और उसकी कड़क उंगलियों को अपनी शहद की शीशी जैसी चूत में डुबो कर सीसीया उठी...

''आआआआआआआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... उम्म्म्मममममममममम....''

और फिर पायल के हाथों को अंदर बाहर करते हुए उसने ये इशारा किया की ऐसे ही करो...
पायल बेचारी पहली बार अपनी मालकिन का ये रूप देख रही थी...
वो अपने दाँये हाथ से उसकी चूत में उंगलियाँ डालकर उसे मसलने लगी...
उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसने वो उंगलियाँ जेम की शीशी में डाली हुई है...
एकदम गाढ़ापन लिए उसकी चूत बहुत बड़िया खुश्बू फेंक रही थी..

अब उसका खुद पर भी कण्ट्रोल नहीं रह गया था

आज कुछ स्पेशल होने वाला था उस कमरे में. 

कामिनी ने आँखे खोल कर देखा की पायल की साँसे तेज होने लगी है, उसका सुडोल सीना उपर नीचे होकर उसकी उत्तेजना का इज़हार कर रहा था..
शुरू से ही शाही शानोंशोकत में पली कामिनी का मन एक बार फिर से डोल गया...
पहले वो पायल के पति कुणाल को देखकर गर्म हो गयी थी और अब उसे देखकर.

ये क्या हो रहा था उसे, ऐसा तो आज तक उसने फील नही किया था...
शायद उसकी हमेशा से कुछ नया ट्राइ करने की आदत ने इस वक़्त उसे बहका सा दिया था, तभी वो पायल को अब खा जाने वाली नज़रों से देख रही थी.



पायल ने एक कॉटन की साड़ी पहनी हुई थी...कामिनी ने उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर नीचे गिरा दिया.

पायल सकपका कर रह गयी, पर अपनी मालकिन के सामने कुछ भी बोलने की हिम्मत नही थी उसकी.

कामिनी अब उसके उठते-गिरते सीने को कसे हुए ब्लाउज़ में सॉफ देख पा रही थी, उसके ब्लाउज़ का कट काफ़ी लो था, जिसकी वजह से उसकी सैक्सी क्लीवेज़ सॉफ दिख रही थी..
कामिनी सोचने लगी पता नही इन ग़रीब लोगो को क्या शॉंक होता है, इस तरह के लो-कट गले के ब्लाउज़ पहनने का, वो खुद अगर ऐसा ब्लाउज़ पहन कर निकल जाए तो शहर में क़त्ले-आम हो जाए.



पर इस वक़्त उसे वही 'ग़रीबी से भरे' बूब्स आकर्षक लग रहे थे...
नीचे उसका सपाट पेट था, पायल ने साड़ी भी नेवल से काफ़ी नीचे पहनी हुई थी...
उसकी अंदर की तरफ़ धँसी हुई नाभि भी आकर्षक लग रही थी..



कुल मिलाकर आज पहली बार उसने पायल की सुंदरता को नोट किया था...
उसका मस्त बदन नंगा होकर कैसा लगेगा, ये सोचकर ही वो वेट हो गयी....और उसकी चूत से निकले इस पानी की गर्माहट पायल ने सॉफ महसूस की.

अचानक कामिनी ने उसके ब्लाउज़ के उपर से ही उसके बूब्स पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए.

''आआआआआआआआअहह....सस्स्स्स्स्स्स्सस्स.... बीबी जी........ई का कर रहे हो.....''

बदले में कामिनी ने उसे अपनी आँखे दिखा दी, बेचारी वहीं चुप सी होकर सिसकती रह गयी.

कामिनी ने उसके बूब्स की कसावट को अच्छे से अपनी हथेलियों के नीचे महसूस किया...
ऐसे कड़क बूब्स तो उसके 16 की उम्र में थे, उसके बाद तो इनपर इतना काम हुआ की वो गुब्बारे जैसे मुलायम होते चले गये..

उसे इस वक़्त उन्हे मसलने में काफ़ी मज़ा आ रहा था, उसने एक-2 करके उसके ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू कर दिए...
बेचारी पायल कुछ भी नही कर पाई और एक ही पल में उसके ब्लाउज़ के दोनो पाट अंदर के दर्शनो के लिए खुल गये.
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09-25-2018, 01:37 PM,
#12
RE: Antarvasna kahani जुआरी
हमेशा की तरह उसने आज भी ब्रा नही पहनी थी...
कामिनी ने उसके ब्लाउज़ को खींचकर नीचे उतार दिया और अब वो टॉपलेस होकर उसने सामने खड़ी थी...
उसके कड़क बूब्स की सुंदरता देखते ही बनती थी..



कामिनी के तो मुँह में पानी सा आ गया, उसने तुरंत उसे अपनी तरफ खींचकर उसके बूब्स पर अपने होंठ रख दिए और उन्हे पागलों की तरह चूसने लगी...

''आआआआआआआआआअहह बीबी जी......... उम्म्म्ममममममममममममममम.... मत करो....ऐसा......अहह... ये ठीक नही है........अहह''

पर उसकी बुदबुदाहट अंदर ही घुट कर रह गयी...
कामिनी उसके कड़क निप्पलों में से ताज़ा क्रीम चूसकर निकालने में लगी थी..

हालाँकि पायल को भी मज़ा मिलना शुरू हो गया था, पर वो अपनी उत्तेजना का इज़हार करके अपनी मालकिन के सामने कोई सीन क्रियेट नही करना चाहती थी.

कामिनी ने एक-एक करके उसके दोनो बूब्स को अच्छे से निचोड़कर पिया, ऐसा करते हुए उसने पायल के हाथ को अपनी चूत से निकलने भी नही दिया... इस तरह से वो दोनो तरफ का मज़ा ले रही थी.

और उसके बूब्स चूसते -2 उसमें पता नही कौनसी चुड़ेल घुस गयी, वो बेड से उठकर बैठ गयी और उसने आनन फानन में उसकी साड़ी खोलकर एक कोने में फेंक दी, और फिर उसके पेटीकोट के नाडे को खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया.

और उसके बाद पायल खड़ी थी उसके सामने
ठीक उसी की तरह
नंगी..
पूरी नंगी



कामिनी तो उसके सुगठित शरीर को देखकर दंग ही रह गयी...
आज तक उसने इस मदहोशी से भरे जिस्म को कपड़ों के नीचे छुपा कर रखा था...
पर आज बेपर्दा होने के बाद वो उसकी सुंदरता की कायल हो गयी..
हालाँकि वो अपनी सुंदरता के आगे किसी को उपर नही मानती थी, पर आज उसका पायल की सुंदरता को देखकर दिल से तारीफ करने का मन कर रहा था.

वो आगे बड़ी और उसने नंगी पायल को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसे बेतहाशा चूमने लगी...
पहले उसकी गर्दन , फिर चेहरा और अंत में आकर उसके रसीले होंठों को.



कामिनी के लिए भी ये पहला मौका था की वो किसी और औरत को इस तरह से प्यार कर रही थी, पर पायल के नंगे बदन में आकर्षण ही ऐसा था की वो खुद को रोक नही पाई और उससे लिपट कर उसे प्यार करने लगी..

प्यार क्या करने लगी उसे खाने को तैयार हो गयी वो तो..

पायल तो जैसे नंगी होकर किसी सदमे में आ गयी थी...
उस गाँव की औरत को क्या पता था की ये लेस्बियन सैक्स क्या होता है...उसे तो बस औरत और मर्द के जिस्मानी रिश्ते के बारे में ही पता था की मर्द का लंड औरत की चूत में जाकर दोनो को मज़ा देता है...
जब उसके पति कुणाल का मोटा लंड उसकी चूत में जाकर हाहाकार मचाता था तो उसे बड़ा मज़ा मिलता था....

पर ये क्या भसूड़ी थी
एक औरत ,दूसरी औरत के जिस्म को प्यार करके भला कैसे संतुष्ट होगी....
सिर्फ़ एक दूसरे की चूत में उंगली करके वो मज़ा तो मिलने से रहा
फिर ये मेमसाहब इतना क्यो उत्तेजित हो रही है ये सब करने को..

पर कुछ ही देर में उसके सारे सवालों के जवाब मिलने शुरू हो गये...

पहले तो कामिनी के इस जंगलिपन से उसके शरीर में वही तरंगे उठनी शुरू हो गयी जो कुणाल से चुदाई कराते वक़्त उठती थी..

और फिर उसके निप्पल पूरी तरह से कड़क से होकर खड़े हो गये..जैसे कुणाल चूसकर उन्हें खड़ा करता था

और जब उसकी चूत से पानी रिसने लगा तब उसे पता चला की ये सब करने में भी मज़ा मिलता है...
या मिलने वाला है.

और उसने पहली बार हिम्मत करके अपनी मालकिन के हाथों को अपने स्तनों से हटाकर अपनी चूत की तरफ कर दिया..

कामिनी भी समझ गयी की बदन से बदन की गर्मी निकली है और आग जल चुकी है...

उसने अपनी नर्म मुलायम लंबी उंगलियों को एक-2 करके उसकी चूत में उतार दिया और बाद में अपनी 4 उंगलियों का कोन बनाकर उसकी चूत को चोदने लगी.

''आआआआआआआहह मालकिन..... ये...ये क्या मज़ा है.....अहह...ऐसा तो आज तक नही सुना....ना देखा.... पर....पर....मज़ा बहुत मिल रहा है...''

कामिनी मे मुस्कुराते हुए उसके हाथ को पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और अब दोनो एक दूसरे की चूत को अपनी-2 उंगलियों से चोदने में लगे थे.

कामिनी : "आआआआहह शाबाश......आआआआआआअहह ऐसे ही करती रह.....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... ऑश यससस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स''

कामिनी को अब इस मज़े को पूरी तरह से महसूस करना था..
उसने पायल को बेड पर धक्का दिया और खुद उसके उपर सवार हो गयी...
69 की पोज़िशन में...
और अपनी चूत को उसके मुँह पर दबाकर खुद उसकी चूत पर टूट पड़ी...

ऐसे टूटी जैसे बरसों बाद उसे फ्रूट से सजी प्लेट मिली हो, और उस फ्रूट प्लेट के हर टुकड़े का वो जी भरकर मज़ा लेना चाहती थी...
ख़ासकर उसमे सजे अंगूर के दाने का...
जब उसने पायल की चूत को चखा तो उसमें से उसे वही खुश्बू आई जैसी कार की पिछली सीट पर कुणाल के लंड से निकले पानी की थी....
दोनों के जूस में वही कड़क स्वाद था
उसे चाटकर भी उसका शरीर झनझना सा गया था और इसे चूसकर भी उसका वही हाल हुआ...
कामिनी का पूरा शरीर काँप सा गया...
जैसे बिजली का हल्का झटका लगा हो.

और ऐसा होता भी क्यो नही, उसकी चूत के पानी में नमक था ही इतना तेज की उसे फिर से वही तीखा टेस्ट याद आ गया जो कार सीट पर चखा था उसने..

फिर तो वो उसे बुरी तरह से चाटने लगी...
चूसने लगी....
खाने लगी.



और वही हाल पायल का भी था....
शहद से मीठी चूत थी उसकी मालकिन की...
पायल ने आज से पहले चूत इतने करीब से नही देखी थी...
आँखो के एकदम सामने लहरा रही चूत और उसमें से निकल रहे रस को देखकर वो सम्मोहित सी हो गयी.



और अपनी जीभ निकाल कर उसने वो रस चख लिया....
और फिर वो भी वैसा ही करने लगी जैसा उसकी मालकिन उसकी चूत के साथ कर रही थी....
और फिर उसे मज़ा मिलना शुरू हो गया....
अपने मुँह में भी और अपनी चूत चुसवाने की वजह से चूत से भी.

और जल्द ही दोनो चीखने चिल्लाने लगी....
अपने-2 ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचकर दोनो अत्यधिक उत्तेजना में भरकर अपने पूरे शरीर को एक दूसरे से रगड़ने लगे...
और अंत में एक जोरदार झटके से दोनो की चूत का फव्वारा फुट गया...
जिसने उन दोनो के चेहरों को बुरी तरह से भिगो दिया.

फ़र्क सिर्फ़ इतना था की एक फुव्वारे से मीठा पानी निकला था और दूसरे से नमकीन.

पर स्वाद दोनो में था, तभी दोनो को एक मिनट भी नही लगा सारा रस सॉफ करने में.

और जल्द ही सब कुछ सॉफ करके दोनो ने एक दूसरे की चूत चमका दी.

और फिर कामिनी हांफती हुई पायल के उपर से नीचे उतर आई...
दोनो अभी भी अपने-2 ओर्गेस्म से उभरने की कोशिश कर रही थी.
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09-25-2018, 01:37 PM,
#13
RE: Antarvasna kahani जुआरी
इस बात से अंजान की उनकी इस पूरी हरकत को दरवाजे के पीछे छुपे कुणाल ने देख लिया है.. 

कुणाल ने जब उन दोनो को ऐसा करते देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा...
वो तो पायल को बुलाने आया था पर उसे क्या पता था की आज पायल और कामिनी की ये जुगलबंदी देखने को मिलेगी उसे...

वो हैरान भी था वो सब देखकर..
कामिनी से ज़्यादा उसे अपनी पत्नी पायल पर हैरानी हो रही थी..
गाँव की भोली भाली औरत, जिसने आज तक सैक्स भी सिर्फ़ सीधे तरीके से ही किया था, उसने आज मालकिन के साथ मिलकर जो जलवे दिखाए थे, उनकी चूत चाटी , अपनी चटवाई...
यानी वो सब किया उसने जो आज तक शायद सुना भी नही होगा उसने
अपनी गाँव से आई बीबी को शहर की चंट औरत कामिनी ने अपने साथ मिलाकर बिगाड़ दिया था.

वो तो पहले से ही कामिनी मेडम का दीवाना था, उनके इस सैक्स एडवेंचर को देखकर उसने पक्का निश्चय कर लिया की अब तो वो उसकी मारकर ही रहेगा...

एक बार तो उसके मन में आया की अभी दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाए और उन्हे रंगे हाथों पकड़ ले..
पर कामिनी मेडम के मूड का उसे अच्छे से पता था
आख़िर वो मालकिन थी, कुछ भी कर सकती थी
उसकी इस हरकत का गुस्सा मानकर अगर वो उन्हे घर से निकाल दे तो हाथ में आने से पहले ही मछली फिसल जाएगी..

पर एक बात वो अच्छे से जान चुका था की वो है एक नंबर की चुद्दक्कड...
और उसे अपने लंड के काँटे से ही फँसाया जा सकता है.

इसलिए अपने दिमाग़ में आगे के लिए योजनाए बनाता हुआ, कामिनी मेडम के नंगे जिस्म को बंद आँखो में उतारकर वो अपने क्वार्टर में आकर लेट गया..

अब कामिनी मेडम को कहीं जाना नही था, इसलिए वो सो गया...और जब उसकी नींद खुली तो पायल के खिलखिलाने की आवाज़ें आ रही थी...वो बाहर किसी से बात कर रही थी...
कुणाल ने टाइम देखा तो 8 बज रहे थे...
वो आँखे मलता हुआ बाहर निकला तो मालिक यानी विजय जी को देखकर हैरान रह गया...
इतने बड़े रुतबे वाले इंसान, जो एक मंत्री भी है, उन्हे अपनी बीबी से इस तरह से हंस-2 कर बातें करते देखकर वो हैरान रह गया.

पर जिस अंदाज से वो पायल को देख रहे थे, उसकी गोलाइयों को घूर रहे थे, और जिस अपनेपन से उसके साथ बातें कर रहे थे, उसे देखकर कुणाल एक ही पल में समझ गया की वो भी उसी की तरह हरामी इंसान है..

वो उनकी बीबी कामिनी की मारने के सपने देख रहा है और ये साहब अपनी हॉट बीबी को छोड़कर उसकी देहाती बीबी के पीछे पड़े हैं...

किसी ने सही कहा है, जो चीज़ जिसके पास होती है उसकी कद्र नही होती...

पर ये एक ऐसी सिचुएशन थी जिसमें दोनो ही अपनी नही बल्कि दूसरे की बीबी की कद्र कर रहे थे...
वैसे ये तो आम बात है हमारे समाज में . इसलिए इन्हे भी दोष देना सही नही है.

कुणाल को आता देखकर विजय बातें करता हुआ रुक सा गया और उससे बोला : "अर्रे, कुणाल, उठ गये तुम... मैं तुम्हे ही बुलाने आया था... वो ज़रा मेमसाहब को कुछ समान लेने अपनी एक फ्रेंड के घर जाना है...तुम ज़रा उन्हे ले जाओ..''

कुणाल जब जाने लगा तो विजय साहब बोले : "और हाँ , आज जो तुमने क्लब में कामिनी की हेल्प की ,उसके लिए थेंक्स ... वो बता रही थी की कैसे तुमने उसे वो खेल जीतने में हेल्प की...गुड वर्क कुणाल...वापिस आओगे तो ज़रा मेरे साथ भी 2-2 हाथ करना, शायद मुझे भी तुमसे कुछ सीखने को मिल जाए...''

कुणाल मुस्कुराया और रात को खेलने की बात करके अंदर चला गया.

कुणाल समझ गया की उसे बुलाने आना तो उसका बहाना था, असल में वो पायल से बाते करना चाहता था...
पर इस वक़्त उसे पायल की फ़िक्र से ज़्यादा कामिनी मेडम का लालच हो रहा था...
वो तुरंत तैय्यार होकर कामिनी मेडम की कार में पहुँच गया.

हमेशा की तरह कामिनी ने ग़ज़ब की ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमें उसके हर एक अंग को सॉफ देखा जा सकता था..



अंदर बैठते ही कामिनी ने उसे एड्रेस समझाया और वो चल दिया...
बेक मिरर से वो देख पा रहा था की उनके चेहरे पर कितनी चमक है...
वो मोबाइल पर अपनी उसी फ्रेंड से बात कर रही थी, जिसके घर जाना था, और उसके हिलते हुए होंठ देखकर उन्हे चूसने का लालच कुणाल में बढ़ता चला गया..
और अपने इस टाइम को कैसे इस्तेमाल करना है, ये भी वो सोचने लगा.

वहां पहुँचकर कामिनी अपनी गांड मटकाती हुई अंदर चली गयी...
वो भी एक मंत्री का बंगला था...
गाड़ी जब अंदर पहुँची तो कामिनी की फ्रेंड उसे लेने के लिए बाहर तक आ गयी...
और उसे देखकर कुणाल ने पहचाना की ये तो सुबह वाली किटी पार्टी में भी थी...
कुणाल को देखकर वो मुस्कुरा दी...उसने भी सिर झुकाकर उसे नमस्ते किया..
वो भी काफ़ी हॉट लग रही थी.. गुलाबी साड़ी में उसका कसा हुआ शरीर काफ़ी सैक्सी लग रहा था.



कुणाल भी सोचने लगा की ये अमीर लोग भला घर में भी ऐसे सज धजकर क्यो बैठते है.

खैर, कामिनी के जाने के बाद वो करीब 1 घंटा कार में बैठा उसका इंतजार करता रहा...
घर जाकर विजय साहब के साथ ताश का खेल भी तो खेलना था...
उसके पीने का भी टाइम हो गया था...
घर पर एक बॉटल पड़ी थी, बस वो कामिनी का इंतजार कर रहा था ताकि वो जल्द से जल्द घर जा सके.
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09-25-2018, 01:37 PM,
#14
RE: Antarvasna kahani जुआरी
कुछ ही देर में कामिनी बाहर आ गयी, उसके हाथ में एक ब्रीफ़कसे था, वही शायद वो लेने आई थी...
पर कार की तरफ आते हुए वो जिस अंदाज से लड़खड़ा कर चल रही थी उससे सॉफ पता चल रहा था की वो अंदर पेग लगा कर आई है...
कुणाल तो उसके महकते हुए जिस्म और बहकति हुई चाल देखकर कुछ करने के सपने देखने लगा.

जब वो बाहर निकले तो कुछ आगे आकर कामिनी अपनी बहकती हुई आवाज़ में बोली : "कुणाल....मुझे ज़ोर से सुस्सू लगा है....''

उसकी इस बात को सुनकर कुणाल भी हँसे बिना नही रह सका... शायद 'सुस्सू' वर्ड सुनकर

ये काम तो वो अपनी फ्रेंड के घर भी कर सकती थी...
पर वो कहते है ना, चुदाई की भूख और इंसान का सुस्सू कभी भी लग सकता है...
शायद वही हाल कामिनी मेडम का भी हो रहा था.

कुणाल के दिमाग़ में एक शरारत आ चुकी थी...
वो चाहता तो गाड़ी को किसी फेमस रेस्टोरेंट या माल के पास रोक सकता था, जहाँ कामिनी मेडम अपना मूत निकाल सकती थी...
पर उसने ऐसा किया नही...
वो गाड़ी चलाता रहा क्योंकि उसे पता था की रास्ते में एक सुनसान रास्ता भी आता है...जहाँ सड़क के दोनो तरफ पेड़ ही पेड़ है.

वहां पहुँचते-2 कामिनी भी मचलने लगी थी, उसे देखकर सॉफ पता चल रहा था की कितना तेज लगा है उसे..

कुणाल ने एक सुनसान सी जगह देखकर गाड़ी पगडंडी पर उतार दी...
और घने झाड़ के पास पहुँचकर बोला : "मेडम जी...जल्दी से कर लो...यहाँ कोई नही देखेगा...''

ये सुनकर तो कामिनी भी हैरान रह गयी....
कहां वो हाइ सोसायटी में रहने वाली अमीर औरत और ये कुणाल उसे गँवार औरतों की तरह, खुल्ले में मूतने के लिए कह रहा है...
और वो भी ज़मीन पर बैठकर...
आज तक वो बिना कमोड के कहीं बैठी ही नही थी...
इसलिए गुस्सा उसके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.

पर ये वक़्त गुस्सा करने का था ही नही, उसके पास टाइम ही नही था...
उसे लग रहा था की थोड़ी देर और रही तो उसका मूत निकल जाएगा...
इसलिए जगह की परवाह ना करते हुए वो गाड़ी से उतरी और भागकर घनी झाड़ियो के पीछे पहुँच गयी...
पर वहाँ अंधेरा ही इतना था की उसकी फट्ट कर हाथ में आ गयी.

उसने तुरंत कुणाल को आवाज़ लगाई...वो तो गाड़ी से निकल कर जैसे इसी पल की प्रतीक्षा कर रहा था...

कुणाल भागता हुआ उसके करीब आया..

कामिनी : "कुणाल....ये ...ये कैसी जगह है...इतना अंधेरा...मुझे तो बड़ा डर सा लग रहा है.....तुम....तुम....यहीं रुकना ....पर इधर मत देखना.... ओके ...''

और कुणाल के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना ही वो दूसरी तरफ घूमी और अपनी टाइट स्लैक्स को नीचे करके ज़मीन पर मोरनी बनकर बैठ गयी...

कुणाल इतना कमीना था की उसने दूसरी तरफ मुँह किया ही नही था...
और अंधेरे में ही सही पर उसने चाँद को बहुत करीब से देखा...
गोल गुंबद के आकार की कसी हुई गांड, जिसे जीन्स में देखकर उसकी आहह निकल गयी थी, कुणाल से मात्र 2 फीट की दूरी पर थी...
और नीचे बैठकर जब सुरर्र की आवाज़ के साथ उसका गोल्डन पानी बाहर निकला तो उसकी महक से कुणाल अंदर तक सिहर गया....
ऐसी फीलिंग तो देसी पीकर भी नही आती थी.

वो काफ़ी देर तक मूतती रही..सच ही कह रही थी वो,काफ़ी ज़ोर से लगी थी उसे.



और अंत में जब उसका ब्लैडर पूरा खाली हो गया तो वो उठ खड़ी हुई और एक बार फिर से कुणाल ने वो चाँद चमकते देखा...

वो जैसे ही पलटी तो उसने कुणाल को अपनी गांड को घूरते देख लिया...

और उसके तन-बदन में एक बिजली सी कौंध गयी..
ये सोचकर की उसकी नंगी गांड उसके ड्राइवर ने देख ली है.

पर जैसे ही वो गाड़ी की तरफ जाने लगी, कुणाल बोला : "ओ मेडम जी, थोड़ा रूको तो ज़रा...आपको पेशाब करते देखकर मुझे भी लग गया है...मैं भी कर ही लेता हूँ ...''

इतना कहते हुए वो कामिनी के करीब से होता हुआ आगे तक आया और अपना लंड निकाल कर पेशाब करने लगा..

उसने तो कामिनी के कुछ कहने की भी प्रतीक्षा नही की और ना ही इस बात का ध्यान रखा की वो काम थोड़ा छुप के कर ले..
वो जिस एंगल में खड़ा था, उसका मोटा लंड कामिनी को सॉफ दिखाई दे रहा था...
बाहर से निकलती गाड़ियों की रोशनी रुक-2 कर उसके लंड पर पड़ती तो कामिनी को वो सॉफ नज़र आ रहा था...
और ये सब उसने जान बूझकर किया था...
ताकि वो कामिनी को अपना लंड दिखा कर उसे उकसा सके.

और कामिनी पर उसका असर हो भी रहा था...
एक तो पहले से ही वो शर्मिंदगी से गड़ी जा रही थी की उसकी नंगी गांड को कुणाल ने देख लिया है, उपर से कुणाल के इस तरह से बेशर्मी भरे व्यवहार को देखकर, उसे मूतता देखकर,कामिनी को कुछ-2 होने लगा था...
उसकी छूट गीली हो रही थी.

ये तब भी हुआ था जब उसने सुबह कार की सीट पर कुणाल के माल को चखा था...
वही चिर-परिचित सी महक एक बार फिर से फ़िज़ा में फैल रही थी...
शायद कुणाल के लंड पर लगे प्रिकम का कमाल था ये.

मूतने के बाद कुणाल धीरे-2 अपने लंड को मसलने लगा...
और देखते-2 देखते उसका लंड अपने पूरे आकार में आकर फुफ्कार रहा था.

और ये सब देखकर, कामिनी ,जो उससे सिर्फ़ गज भर के फ़ासले पर खड़ी थी, मंत्रमुग्ध सी होकर उसे ही देखने लगी...
उसे मतलब उसके लंड को...
ऐसा लग रहा था जैसे किसी तांत्रिक ने उसे अपने सम्मोहन में बाँध लिया है...

कुणाल भी समझ चुका था की उसकी चाल कामयाब हो रही है...
वो अपनी ही स्पीड से लंड को मसलता रहा....
धीरे-2 मूठ मार रहा था वो कामिनी मेडम की आँखो के सामने.
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09-25-2018, 01:37 PM,
#15
RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी का तो अब ये हाल हो चुका था की उसका मन कर रहा था की आगे बड़े और उसके कड़क लंड को पकड़ ले...
पर उसकी हिम्मत नही हो रही थी...
उसने कुणाल की तरफ देखा तो पाया की वो भी उसी की तरफ देख रहा है.

उसने हड़बड़ाकर आँखे नीचे कर ली

कुणाल बोला : "अरे,क्या बात हो गयी मेडम...जो चीज़ देखने में अच्छी लगे तो उसे पकड़ लेना चाहिए...''

कामिनी का पूरा शरीर एक बार फिर से सुन्न सा होकर रह गया....

ये क्या बात कह दी थी कुणाल ने...
उसके ड्राइवर ने.

पर उसकी इस बदतमीज़ी से भरी बात को सुनकर भी उसका खून नही खोला था, बल्कि चूत का पानी खोल गया, और वो पहले से ज़्यादा गीली होकर रिसने लगी थी.

कुणाल शायद उसकी मनोदशा समझ चुका था, इसलिए खुद ही पहल करके उसके करीब आकर खड़ा हो गया..

इतने करीब कीउसका पेंट से बाहर निकला हुआ लंड , कामिनी की कमर से टच कर रहा था...
कामिनी तो काँप सी गयी...

कुणाल ने उसका हाथ पकड़ कर धीरे से अपने लंड पर रख दिया.

कामिनी के हाथ काँप से रहे थे,एकदम ठंडे हो चुके थे उसके हाथ...
पर जैसे ही वो उसके गर्म डंडे से टकराए, वो सिसक उठी और उसकी मुट्ठी में कुणाल का लंड बंद होता चला गया...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआआआआआअहह ...मेडम जी......... क्या नर्म मुलायम हाथ है आपके....''

कुणाल ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर अपने लंड को एक बार फिर से आगे पीछे करना शुरू कर दिया...

कामिनी तो बिना पलक झपकाए उसके लंड को ही देखे जा रही थी....
और अचानक कुणाल के लंड से फव्वारा निकल कर उसके कपड़ों पर गिरने लगा...

''आआआआआआअहह ओह......मेडम जी.........अहह''

कामिनी के हुस्न का जादू ही इतना गज़ब का था की कुणाल एक मिनट में ही झड़ गया...
शायद इसलिए भी की वो काफ़ी देर से अपने लंड को मसल रहा था...
उपर से कामिनी के हाथ लगने के बाद वो अपने पर कंट्रोल ही नही कर पाया...
और उसके उपर झड़ता चला गया...

जब कामिनी ने उसके लंड को पकड़ा था तो कुणाल ने उसे वहीं चोदने तक की भी योजना बना ली थी...
पर इतनी जल्दी झड़ने के बाद अब उसे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था...
पर अब कुछ नही हो सकता था, क्योंकि जैसे ही कुणाल झड़कर साइड में हुआ, कामिनी मेडम का फोन बजने लगा, वो उनके पति विजय का फोन था...

फोन उठा कर उसने बोला की बस आने ही वाले है, और कुणाल को जल्दी चलने का कहकर वो कार में आकर बैठ गयी...
कुणाल ने पानी की बॉटल निकाल कर अपने हाथ-मुँह सॉफ किए...
पर कामिनी ने वैसा कुछ नही किया.

गाड़ी में बैठकर कुणाल ने देखा की कामिनी के चेहरे के एक्शप्रेशन पहले से ज़्यादा सैक्सी हो चुके हैं...
और वो रह-रहकर अपनी उंगली को चूस रही है...

कहने की ज़रूरत नही थी की वो अपने कपड़ों पर गिरे कुणाल के वीर्य को इकठ्ठा करके चूस रही थी.

कुणाल के लिए इतना ही बहुत था की चिड़िया ने उसका दाना चुग लिया है...
अब जल्दी ही मौका देखकर वो अपना आख़िरी पासा फेंकेंगा..

पर उससे पहले तो आज की रात का जशन भी बाकी था, घर पहुँचकर उसने विजय के साथ जुआ भी तो खेलना था...

वो जुआ जो उसके और विजय के दिल में चल रही इच्छाओं को आख़िरी मुकाम पर पहुँचाने वाला था.

पर उन्हे ये नही पता था की उनके पीछे नेताजी ने क्या खेल, खेल दिया है.

दरअसल विजय का कामिनी को भेजने का मकसद ही यही था की वो पायल पर हाथ सॉफ कर सके..
और वैसे जाना उसे ही था उस काम के लिए, जो दरअसल एक बड़े प्रॉजेक्ट से मिली घूस का हिस्सा था, पर विजय ने कामिनी को ये कहकर की वो जाएगा तो किसी को शक हो जाएगा, उसे भेज दिया
वैसे भी दूसरे मंत्री की बीबी, सुरभि, कामिनी की अच्छी दोस्त थी...
और फोन पर विजय ने अपने मंत्री दोस्त को समझा भी दिया था की कामिनी की अच्छे से खातिरदारी करे, दोनो हरामी थे, इसलिए वो मंत्री भी उसकी चाल समझ गया की घर पर ज़रूर कुछ ख़ास इंतज़ाम किया है विजय ने...इसलिए उसने अपनी बीबी को बोलकर, उसे ज़्यादा देर तक रोका भी और उसे वोड्का भी पिलाई...

और पीछे जो विजय बाबू ने किया उसका तो जवाब ही नही था.
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09-25-2018, 01:37 PM,
#16
RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी और कुणाल के निकलते ही विजय भी उठ खड़ा हुआ और बंगले में जाते-2 उसने मुड़कर पायल को देखा और बोला : "मैं उपर वाले रूम में हूँ, मेरे लिए एक कप कॉफ़ी बना कर ले आओ...''

पायल ने मुस्कुराते हुए हाँ कह दी और अपने साहब के पीछे-2 अंदर आ गयी.

उपर आकर विजय ने अपने सारे कपड़े उतारे, सिर्फ़ अंडरवीयर को छोड़कर और एक बाथिंग रॉब पहन कर बालकोनी में बैठ गया..

कुछ ही देर में पायल कॉफ़ी लेकर आ गयी.

विजय : "अच्छा सुनो पायल, तुम मसाज बेड रेडी करो...मुझे मसाज करवानी है तुमसे...''

ये सुनते ही पायल चोंक गयी..

विजय (थोड़ी तेज आवाज़ में) : "क्या बुत्त बनकर खड़ी हो गयी...सुनाई नही दिया...अंदर जाकर बेड तैयार करो...मैं कॉफ़ी पीकर आ रहा हूँ बस...''

अपने मालिक की फटकार सुनकर वो काँप सी गयी...
आज पहली बार उन्होने उसके साथ इस तरह से बात की थी...
अभी कुछ देर पहले तक तो कैसे मीठी आवाज़ में बात कर रहे थे, अचानक उन्हे क्या हो गया है.

और वो सोचने लगी की उन्हे भला मसाज लेने की क्या सूझी...
कामिनी मेडम की मसाज करना अलग बात है, वो एक औरत है...पर साहब तो मर्द है....उन्हे कैसे वो मसाज देगी...क्या वो उसके सामने कामिनी मेडम की तरह नंगे होकर....

ये सोचते ही उसके बदन में झुरझुरी सी दौड़ गयी...
आज तक उसने लाइफ में अपने पति कुणाल और कामिनी मेडम को ही नंगा देखा था...
कुणाल तो उनका पति था, पर कामिनी मेडम के नंगे शरीर को देखकर भी उसे शुरू मे काफ़ी शर्म आती थी...
और कल जो उन्होने पायल के साथ किया था और उससे करवाया था, उसके बाद तो पायल की मसाज के नाम से ही चूत गीली हो जाती थी.

अब साहब को मसाज देते हुए वो क्या सोचेगी, यही सोचकर उसे कुछ -2 हो रहा था

उसने जल्दी से बेड पर एक चादर बिछाई और मसाज के लिए तेल निकाल कर ले आई.

कुछ ही देर में विजय साहब कमरे में आए, और उन्होने पायल को उपर से नीचे तक निहारा, उसने हमेशा की तरह एक काटन की साड़ी पहनी हुई थी.



विजय ने अपनी रॉब खोली और उसे साइड में फेंक दिया....
ना चाहते हुए भी पायल की नज़रें उनकी तरफ उठ गयी.

एकदम गोरे चिट्टे शरीर के मालिक थे वो,उनका रंग कामिनी मेडम से भी सॉफ था...बस थोड़ी सी तोंद निकली हुई थी, वरना शरीर एकदम कसावट लिए हुए था... उनके अंडरवीयर की तरफ देखकर वो सहम सी गयी... आज से पहले उसने सपने में भी नही सोचा था की देश के इतने बड़े मंत्री को , अपने मालिक को, वो इस तरह सिर्फ़ एक छोटे से अंडरवीयर में देखेगी.

उनके उभार को देखकर ही वो समझ गयी की उनके रुतबे की तरह वो भी काफ़ी बड़ा है..



विजय बेड पर उल्टा लेट गया...और पायल ने उनके शरीर पर तेल की धार मारकर मालिश शुरू कर दी.

उसकी नर्म उंगलियाँ और सख़्त हाथ को महसूस करके विजय कराह उठा..

''आआआआआआआआआआहह....... तुम्हारे हाथों में तो जादू है पायल....कामिनी सही कहती है, तुमसे मालिश करवाकर सारी थकान दूर हो जाती है...''

अपनी तारीफ सुनते ही वो गाँव की भोली औरत मंत्रीजी की चाशनी भरी बातों में घिरती चली गयी.

वो बोली : "वो क्या है ना साब, शुरू से ही मुझे हर काम करने का शॉंक है, अब मैने इस मालिश की प्रकटिस तो की नही है..पर कामिनी मेडम की करने से ही पता चला की मैं ये भी कर सकती हूँ ...''

विजय : "ह्म्*म्म्ममममम........करती रहो....मज़ा आ रहा है....''



फिर तो पायल अपनी ही धुन में शुरू हो गयी....
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09-25-2018, 01:37 PM,
#17
RE: Antarvasna kahani जुआरी
तेल की धार मारकर जब वो अपने पंजे से विजय का बदन खुरचती तो उसे ऐसा लगता की स्वर्ग की अप्सरा उसके साथ खिलवाड़ कर रही है...
उसके बदन से आ रही देसी खुश्बू उसे पागल कर रही थी...
मन तो उसका कर रहा था की उसे दबोच ले, और वहीं बेड पर पटककर अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाकर उसकी चूत में उतार दे...
पर उससे पहले वो उसे थोड़ा गर्म करना चाहता था इसलिए वो आराम से लेटा रहा.

अचानक विजय को एहसास हुआ की उसका अंडरवीयर भी पायल ने तेल से गीला कर दिया है..

वो बोला : "अर्रे, तुमने तो मेरे कच्छे में भी तेल भर दिया....निकालो इसे..मेरे पीछे खुजली हो रही है...''

अब ये एक ऐसा काम था , जिसके लिए शायद वो तैयार नही थी...पर ऐसे मौके पर आकर वो अपने मालिक को एक बार फिर से ना कहकर नाराज़ नही करना चाहती थी...अभी कुछ देर पहले की डांट उसे अच्छे से याद थी.

इसलिए उसने काँपते हाथों से उनके अंडरवेर को पकड़ा और उसे नीचे खींचते हुए निकाल दिया...
ऐसा करते हुए जब विजय ने अपनी गांड हवा में उठाई तो उसका खड़ा हुआ लंड गद्दे के सहारे खड़ा हो गया और उसका लंड एक बम्बू सा बन गया और विजय की गांड एक तंबू सी बनकर हवा में लटक गयी...
उसने तुरंत नीचे हाथ डालकर अपने लंड को एडजस्ट किया
और मन ही मन अपने लंड से बोला 'रुक जा मेरे शेर..मेरे चीते...थोड़ा सब्र और कर ले..ये हिरनी की चूत जल्द मारने को मिलेगी..'

अपने मालिक की नंगी गांड देखकर पायल को बहुत शर्म आ रही थी...

विजय : ''क्या हुआ..रुक क्यों गयी....अब लगा ले तेल...जितना लगाना है...और अच्छे से रगड़ ...ज़्यादा रगडेगी, तभी मज़ा मिलेगा मुझे...''

ये सुनकर उसे एक बार फिर से जोश आ गया...
अब थी तो वो एक नंबर की बोडम महिला...
विजय के शातिर दिमाग़ की चालाकी वो पकड़ नही पाई.

अब वो बिना किसी हिचक के विजय के चूतड़ों पर भी तेल लगा रही थी...

और अचानक विजय पलट गया...
पायल जो अभी तक उसकी गांड मसल रही थी, अचानक उसके हाथ में विजय का लंड आ गया..

और उसे हाथ में पकड़ते ही वो ऐसे उछली जैसे उसने कोई साँप पकड़ लिया हो..

उसे लगा था की नंगा होने के बाद शायद शर्म के मारे साहब दूसरी तरफ पलटेंगे नही...
पर उन्होने ऐसा नही किया..वो पलट गए.

विजय : "अर्रे, तुम ऐसे क्यों डर रही हो...पहले कभी नही देखा क्या...''

पायल : "जी....जी....देखा है....पति का...कुणाल का ही बस....पर...ऐसे....आपका..''

इतना कहकर उसने आँखे दूसरी तरफ कर ली...पर अपना हाथ नही हटाया.

विजय : "मैं समझता हूँ ...पर अभी तू कुछ और मत सोच...बस मालिश पर ध्यान दे...चल..अपने जादुई हाथों का कमाल इसपर भी दिखा ज़रा..''

अपने मालिक का हुक्म सुनकर वो एक बार फिर शुरू हो गयी...
कच्चे केले जैसा विजय का कड़क लंड उसकी उंगलियों में नाच रहा था...



वो जब अपना हाथ पीछे करने लगती तो विजय फिर से उसे अपने लंड पर लाकर रख देता.

विजय के लंड में लेकरऔर पायल की चूत में कुछ - 2 हो रहा था

और तभी विजय ने अपना हाथ अचानक उसके सपाट पेट पर रख दिया...

ये एक ऐसा पल था जब पायल के शरीर ने उसके दिमाग़ की सुननी ही बंद कर दी...
वो ऐसे काँपी जैसे रज़ाई से निकले गर्म शरीर पर बर्फ़ीले हाथ छुआ दिए हो...
उसका बदन पानी की लहर के जैसे हिचकोले खाने लगा...
एक लंबी सी लहर उसकी छातियों से शुरू होकर उसके पेट से होती हुई चूत पर जाकर ख़त्म हो रही थी...
और उसके हर हिचकोले को विजय महसूस कर रहा था...
पायल के हाथ अपने आप उसके लंड पर और ज़ोर से पकड़ बनाते गये...
ऐसा लग रहा था जैसे वो विजय के लंड का गला ही घोंट देगी.

विजय ने अपने हाथ को धीरे-2 उपर खिसकाना शुरू किया...
और जल्द ही वो उसके नागपुरी संतरों पर जाकर जम गया..

पायल की आँखे बंद थी...
पर वो दबे-2 शब्दों मे गुहार सी लगा रही थी..

''ह्म्*म्म्मम....सा..साआब.....मत्तत्त....करोsssss ....ना......ऐसा.....अहह.....नाआ....''

पर उसके सहरीर को देखकर ऐसा लग नही रहा था की वो इस खेल को एंजाय नही कर रही है...

विजय : "अर्रे...मैने ऐसा क्या किया है...क्या तू ऐसे कपड़े पहन कर कामिनी मेडम की मसाज करती है...नही ना...''

ये एक ऐसा तीर था जो विजय ने इसी वक़्त के लिए संभाल कर रखा हुआ था...
शायद कामिनी ने बातों ही बातों मे उसे बता दिया था की पायल ने उसे B2B (बॉडी टू बॉडी) मसाज की है...
और इसका मतलब वो अच्छे से समझता था..इसलिए उसने आज ये मसाज करवाने का प्रोग्राम बनाया था..

पायल ये सुनते ही चोंक गयी...
उसने आँखे खोल कर विजय को देखा...
फिर सिर झुका कर बोली : "पर...साहब...वो...वो तो .... एक औरत है....उनके सामने अलग बात है....आपके सामने मैं कैसे....इस तरह...''

विजय फिर से गुस्से वाली आवाज़ मे बोला : "देख...हमारे यहाँ ऐसा कुछ नही होता...जो मेडम के साथ किया है...वैसे ही मेरे साथ भी कर...वरना अपनी और कुणाल की नौकरी कही और ढूँढ ले...समझी...''

विजय का इतना कहना था की पायल के हाथ पाँव फूल गये...
वो विजय के पाँव पकड़ कर बोली : "नही साहब ...ऐसा मत करो...मैं सब करूँगी...जो आप कहेंगे...वो सब करूँगी...''

और फिर तो जैसे उसके अंदर एक नयी सफूर्ती आ गयी....
उसने आनन-फानन में अपनी साड़ी उतार फेंकी...
ब्लाउज़ भी खोलकर नीचे गिरा दिया...पेटीकोट का नाडा खोला और उसे भी नीचे गिरा दिया...
एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी उसके सामने..



अब तो विजय का दिमाग़ खराब सा हो गया...
इसी सीन को देखने के लिए वो कब से तड़प रहा था...
पायल के नंगे शरीर को इतने करीब से देखकर वो तो उसका दीवाना सा हो गया...
कुणाल जैसे मर्द से चुदने के बाद भी उसका शरीर एकदम कुँवारी लड़की जैसा था...
कसे हुए मोम्मे , सपाट पेट और एकदम नन्ही सी, बंद गले की चूत , जिसपर चमक रही बूंदे देखकर सॉफ बताया जा सकता था की वो कितनी देर से पनिया रही थी..

अब विजय को इस हाथ लगे मौके का अच्छे से फायदा उठाना था.

उसने पायल को अपने उपर खींचा और अपने शरीर पर लगे तेल को उसके शरीर पर मलने लगा...उसके बदन से रगड़ कर...
पायल के नुकीले निप्पल्स विजय को शूल की तरहा चुभ रहे थे...पर उनकी चुभन को महसूस करके उसे मज़ा ही आ रहा था.

और पायल की चूत में से निकल रही देसी घी की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी...
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09-25-2018, 01:37 PM,
#18
RE: Antarvasna kahani जुआरी
आज से पहले उसने ऐसी मदहोशी से भरी महक महसूस नही की थी.. इसलिए उसने पायल को खिसकाते हुए अपने मुँह पर लाकर बिठा दिया..



अब नज़ारा ये था की देश का एक बड़ा मंत्री, अपनी नौकरानी की नंगी चूत को चूस रहा था...
अपने मालिक के मुँह पर बैठकर, उनसे अपनी चूत चुस्वाकार इस वक़्त पायल भी अपने आप को किसी मंत्री से कम नही समझ रही थी..

कामिनी ने भी कल उसकी चूत चूसी थी, पर असली चुसाई कैसे होती है ये एक मर्द ही जानता है...

विजय की लंबी जीभ को वो अपनी अंदरूनी दीवारों पर, अपनी क्लिट पर महसूस करके सिसकारियाँ मार रही थी...
और अपने मालिक के बालों को पकड़ कर उन्हे और अंदर खींचने का प्रयत्न कर रही थी..
सॉफ पता चल रहा था की पायल के देसी बदन में विदेशी भूतनी घुस चुकी है..

अब उसके अंदर भी कुछ-2 हो रहा था, इसलिए वो खुद ही पलटकर विजय पर उल्टी होकर 69 की पोज़िशन में लेट गयी और विजय के फड़कते हुए लंड को मुँह में लेकर उसे जोरों से चूसने लगी..



सैक्सुअल टेन्षन इतनी बढ़ चुकी थी दोनो में की एक मिनट भी नही लगा उन दोनो को एक दूसरे के मुँह के अंदर झड़ने में ..

दोनो एक दूसरे का माल गटागट पी गये.

विजय ने टाइम देखा, करीब डेढ़ घंटा हो चुका था, उसने तुरंत फोन उठा कर कामिनी को फोन किया ताकि उसे पता चल सके की दोबारा लंड खड़ा करके पायल की चूत मारने का टाइम उसके पास है या नही...

पर कामिनी ने जब कहा की वो बस पहुँचने ही वाले है तो उसके सारे प्लान पर पानी फिर गया...

पर आज के लिए भी , जो कुछ भी उसने पायल के साथ किया था, वो भी कम नही था..

इसलिए दोनो ने जल्दी-2 सब समेटा, पायल वापिस अपने क्वार्टर में चली गयी...
और विजय रात के खेल के लिए नयी तरकीबे सोचने लगा.



कामिनी और कुणाल जब वापिस आए तो दोनो के चेहरे बता रहे थे की उनके अंदर क्या चल रहा है...
कामिनी सीधा ड्रॉयिंग रूम में बनी बार में गयी और एक बड़ा सा पेग बना कर गटागट पी गयी.

हर घूँट के साथ उसे महसूस हो रहा था जैसे वो कुणाल के लंड का पानी पी रही है...
वही गर्माहट
वही नशीली स्मेल....

कुणाल के लंड से निकले पानी का ध्यान आते ही उसने अपने हाथों को देखा, जिनपर थोड़ी देर पहले ही कुणाल का वीर्य गिरा था...
उसने हाथ उपर किया और उसे फिर से सूंघने लगी...
और एक बार फिर से उसकी खुश्बू में खो सी गयी.

तभी पीछे से विजय की आवाज़ आई : "ये क्या कर रही हो....ठीक तो हो ना तुम..?''

कामिनी सकपका सी गयी...
और बोली : "या या ...आई एम फाइन...बस ऐसे ही...वहां थोड़ी पी ली थी, इसलिए घर आकर दोबारा मन कर रहा था...सो आई थॉट...''

विजय : "अर्रे इट्स ओके , मैने तुम्हे कभी कुछ करने से रोका थोड़े ही है...इनफॅक्ट मैं भी अभी आने ही वाला था...''

इतना कहकर वो भी साइड वाली चेयर पर आकर बैठ गया और अपना पेग बनाने लगा..

तभी कुणाल की आवाज़ आई : "मेडम....ये ब्रीफ़केस ...आप कार में छोड़ आई थी...''

कामिनी : "ओह्ह ....ये वहीं रह गया था...मैने ध्यान ही नही दिया...''

विजय ने वो बेग लिया और उसे अपने रूम में बनी सेफ में रखने चला गया..

कामिनी की नज़रें विजय से मिली, दोनो की आँखो मे एक ना बुझने वाली आग सॉफ देखी जा सकती थी..

कामिनी : "आओ...तुम भी पी लो आज...''

कुणाल की तो आँखे ही चमक उठी...
आलीशान बार के अंदर एक से बढ़कर एक महँगी शराब की बोतले सजी हुई थी....
उपर से कामिनी मेडम के साथ पीने का मौका वो भला कैसे छोड़ सकता था....

तभी विजय भी अंदर आते हुए बोला : "हाँ , कुणाल...आ जाओ तुम भी...आज 2-2 पेग लगाते है... और वैसे भी तुमने आज ताश खेलनी थी हमारे साथ...आ जाओ, दिवाली तो 2 दिन बाद है, पर ये खेल अभी शुरू करते है...''

कुणाल अंदर आकर बैठ गया...

तभी विजय बोला : "एक काम करो, पायल को भी बुला ही लो यही पर...वो बेचारी क्या करेगी अकेली वहां बैठकर...''

कुणाल ने मन में सोचा 'हाँ साले , तू तो बोलेगा ही ऐसा...तेरी अंदर की मंशा क्या है वो मैं अच्छे से जानता हूँ ...'

पर वो कुछ बोल नही सकता था, एक तो वो नौकर और उपर से उसके मन में भी तो वही हरामीपंति चल रही थी जो इस वक़्त विजय के मन में थी..इसलिए वो चुपचाप जाकर पायल को बुला लाया...

पायल का भी दिल धड़क रहा था एक बार फिर से अपने साहब के सामने जाने से, अभी कुछ देर पहले उन्होने जिस अंदाज में उसकी चूत को निचोड़कर चूसा था, उसके बाद तो उसके पैर भी काँप से रहे थे चलते हुए...
और उनके लंड का ख़याल आते ही उसकी चूत भी गीली हो रही थी बार बार...

सभी सोफे पर आकर बैठ गये...
हालाँकि कुणाल और पायल सोफे पर, अपने मालिक-मालकिन के सामने बैठने से कतरा रहे थे, पर विजय के ज़ोर देने पर दोनो बैठ ही गये...
विजय ने कुणाल के लिए भी एक लार्ज पेग बनाया और ताश की गड्डी लेकर वो वही आ गया और खेल शुरू कर दिया.

सभी की नज़रें ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने-2 माल के उपर थी...
यानी कुणाल की कामिनी पर और विजय की पायल पर.

हालाँकि कामिनी और पायल भी कुणाल और विजय को रह -रहकर देख ही रही थी, पर इतना नही जितना वो दोनो हरामी मर्द..

खैर, खेल शुरू हुआ, विजय ने पत्ते बाँटे, दोनो आपस में ही खेल रहे थे, कामिनी और पायल बैठकर एक दूसरे से बाते करने लगे...

कामिनी थोड़ी सी बोर हो रही थी...
और उसकी चूत में भी थोड़ी बहुत खुजली हो रही थी...
उसका मन पायल से पहले जैसी मसाज करवाने का था, इसलिए उसने पायल से अपने बेडरूम में चलने के लिए कहा...

ये सुनते ही विजय समझ गया की कामिनी के मन में क्या चल रहा है...
उसने कुछ तरकीबे पहले से सोच रखी थी, और उनमें से एक पर अमल करने का वक़्त अब आ चुका था...

उसने कामिनी को रोकते हुए कहा : "अरे, बैठो डार्लिंग, अभी मॉर्निंग में ही तो मसाज करवाई थी तुमने, इतनी जल्दी -2 कारवाओगी तो ये पायल तो थक ही जाएगी... है ना पायल ..''

पायल बेचारी अपने मालिक की बात का अर्थ समझ कर शर्माकर रह गयी..

विजय आगे बोला : "देखो भाई, मेरे दिमाग़ में एक खेल आ रहा है, ये जो ताश का खेल है, इसे थोड़ा इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए हम कुछ एक्टिविटीस करेंगे...और जो जीतेगा, उसे इनाम में वो मिलेगा जो गेम से पहले हम डिसाईड करेंगे...ओके ...''

सभी के दिमाग़ की घंटी बज उठी...
कुणाल की तो बाँछे ही खिल गयी उस बात का मतलब समझकर...
और कामिनी थोड़ी कन्फ्यूज़ सी हो गयी, क्योंकि उसे विश्वास ही नही हो रहा था की विजय जैसा,उँचे रुतबे का आदमी, इस तरह की गेम अपने नौकरों के साथ खेलेगा, जिसमें अगर वो नौकर जीत गये तो कुछ भी करवा लेंगे वो तो...

और पायल के तो उपर से ही निकल गयी वो सारी बातें..
.इसलिए बिना कुछ बोले वो चुपचाप बैठी रही..
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09-25-2018, 01:37 PM,
#19
RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी : "विजय, सॉफ-2 कहो, क्या करना होगा गेम जीतने वाले के लिए...''

उसकी लड़खड़ाती आवाज़ बता रही थी की उसे चढ़ चुकी है..

विजय : " देखो भाई, कुणाल और मैं ये गेम खेलेंगे...तीन पत्ती का.. और पैसो के बदले हम कुछ सर्वीसेज़ रखेंगे... जैसे अभी तुम पायल से बॉडी मसाज करवाने जा रही थी, वो गेम में रखेंगे.. गेम में अगर कुणाल जीत गया तो पायल जीती हुई मानी जाएगी, और मैं जीता तो तुम जितोगी, और जो हारेगा, वो दूसरे की मसाज करेगा...''

कामिनी को पूरा विश्वास हो गया की आज विजय का दिमाग़ खराब हो गया है...
एक नौकरानी की मालिश वो क्यो करेगी...
पर विजय के सामने कुछ बोलने का मतलब था उससे डांट खाना, इसलिए वो चुप रही..

विजय : "और इस तरह से हम हर गेम से पहले कुछ डिसाईड कर लिया करेंगे की हारने वाली टीम क्या करेगी...ओके ..''

इतना कहकर उसने पत्ते बाँट दिए...
अब ब्लाइंड या चाल चलने वाली गेम तो थी नही ये, इसलिए दोनो ने अपने-2 पत्ते उठा लिए..

विजय के पास 6 का पैयर आया था...
उसने मुस्कुराते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए...
जवाब में कुणाल भी मुस्कुराया और उसने 6 के पेयर पर अपना 8 का पेयर खींच कर दे मारा...

यानी पहली बाजी कुणाल जीत गया...
और परिणाम स्वरूप कामिनी को अब पायल की मसाज करनी थी..

पर अब सवाल ये था की कैसे.. और कहाँ...

इसका भी जवाब विजय ने ही दिया...

वो बोला : "और जो भी होगा, यहीं ड्रॉयिंग रूम में, किसी भी चीज़ के लिए कोई अंदर या बाहर नही जाएगा...''

विजय की बात सुनकर कामिनी के साथ-2 पायल भी शर्मा कर रह गयी...
यानी पायल को अपने पति और मालिक के सामने ही अपनी मालकिन से मसाज करवानी पड़ेगी..

पर कोई कुछ बोल ही नही पाया...
मंत्री जी के सामने किसी और के बोलने की हिम्मत ही नही थी...

कुणाल भी इस गेम से होने वाले फायदे और नुकसान का हिसाब लगाने लगा, और जल्द ही उसे भी पता चल गया की इस गेम में भले ही पैसे नही मिलेंगे पर मज़ा बहुत मिलने वाला था...

कामिनी ने अपना पेग एक ही बार मे खाली कर दिया, और पायल को पकड़कर लंबे सोफे पर ले आई और उसे लेटने को कहा...

पायल बेचारी डरते-2 सोफे पर लेट गयी...
उसने कुणाल की तरफ देखा तो उसने निश्चिन्त होकर वैसा ही करने का इशारा किया...
अपने पति की स्वीकृति मिलने के बाद उसमे थोड़ी हिम्मत आई और वो लेट गयी..

कामिनी ने एक बॉडी लोशन निकाला और पायल की साड़ी खोलकर उसने निकाल दी...
और नीचे झुककर वो पायल के नंगे पेट, बाजू और गले की मालिश करने लगी...

दोनो मर्द एक दूसरे की बिबीयों को घूर-2 कर देख रहे थे...
कुणाल तो झुकी हुई कामिनी की बाहर निकली हुई गांड को देखकर सिसकारियाँ भरने लगा..
और विजय सोफे पर लेटी पायल के उतार चढ़ाव देखकर उत्तेजित हो रहा था..

कामिनी अपनी लाइफ में पहली बार शायद ऐसा काम कर रही थी, आज तक वो खुद मसाज करवाती आई थी पर आज उसे जब वो करनी पड़ रही थी तो वो थोड़ा सकुचा रही थी.

विजय समझ गया की कामिनी ऐसे ही करती रही तो खेल का मज़ा किरकिरा हो जाएगा..

इसलिए वो थोड़ी कड़क आवाज़ में कामिनी से बोला : "कामिनी बैबी, थोड़ा मन से करो... इसे खेल की तरह लो, ज़्यादा सोचो मत...''

कामिनी मंत्री जी की सख़्त आवाज़ का मतलब समझ गयी, इसलिए वो अपने को भूलकर पायल की मसाज करने लगी..

अचानक कामिनी के हाथ सरककर पायल के पेटीकोट में घुस गये और वो उसकी टाँगों और जांघों को मसलने लगी...
वो हाथ धीरे-2 उसकी चूत की तरफ जा रहे थे, और कामिनी के हाथों के अंदरूनी एहसास को महसूस करके पायल की टांगे काँप रही थी..

पर ऐसे सबके सामने वो कुछ शो नही करना चाहती थी, इसलिए उसने कस के आँखे बंद कर ली...

अब जो भी होगा देखा जाएगा

कामिनी पर भी अब मस्ती सवार हो चुकी थी, उसने जान बूझकर अपने हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत से टच करवा दी, हालाँकि वो टचिंग पेटीकोट के अंदर हुई थी, पर उसका एहसास सभी ने महसूस किया...
और पायल के लाख कोशिशों के बाद भी, उसके मुँह से चीख निकलने से ना रुक सकी..

''आआआआआआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... म्*म्म्मममममममममम''

वो तो अपनी ही दुनिया में दोबारा खो सी गयी...
इस बात को भूलकर की उस कमरे में और भी लोग बैठे है, उसने कामिनी के हाथ को पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया....
और कामिनी की नुकीली उंगली को अपनी चूत के अंदर लेकर जोरदार आवाज़ में बड़बड़ाने लगी..

''आआआआआआआअहह बीबीजी............... यही करो........ अंदर से करो.........''

कुणाल का पति भी अपनी पत्नी के इस अवतार को देखकर हैरान था, हालाँकि उसे कोई प्राब्लम नही थी 

वहीं दूसरी तरफ विजय के मुँह से लार टपक कर ज़मीन पर जा गिरी
अब वो सोच ही ऐसे रहा था की पायल की रसीली चूत को वो चाट रहा है इसलिए लार निकलनी स्वाभाविक ही थी..

कामिनी भी मस्ती में आ चुकी थी...उसके हाथ तेज़ी से चलने लगे... और जल्द ही पायल का पूरा शरीर नागिन की तरह हिचकोले खाते हुए झड़ने लगा...

''आआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममम बीबिजीीइईईईईईईईईईईईई''

और जब वो शांत हुई तो कमरे में सभी के चेहरों पर शैतानी मुस्कान देखकर बेचारी शरमा कर रह गयी...

पहली ही गेम में माहौल खुल सा चुका था...
आने वाली गेम्स कितनी ख़तरनाक होने वाली थी, इसी का अंदाज़ा लगाने में सभी के दिमाग़ लगे थे.



विजय और कुणाल के तो कानों और आँखो में से धुँआ निकल गया ऐसा सीन देखकर..
जहाँ दोनो की बीबियाँ, मालकिन-नौकरानी के बीच का भेदभाव भूलकर, एक दूसरे को मज़ा दे गयी थी...

पर सबसे ज़्यादा मज़ा तो उन्हे मिला था
हालाँकि वो सिर्फ़ देख ही पाए थे
पर उन्हे ऐसे खुल्ले आम करते देखना भी करने से कम नही था...

और उन्हे अच्छी तरह से पता था की आने वाली गेम्स में ये रहे-सहे पर्दे भी गिर जाएँगे..

अब अगली गेम की बारी थी...
Reply
09-25-2018, 01:38 PM,
#20
RE: Antarvasna kahani जुआरी
हालाँकि वो सिर्फ़ देख ही पाए थे
पर उन्हे ऐसे खुल्ले आम करते देखना भी करने से कम नही था...

और उन्हे अच्छी तरह से पता था की आने वाली गेम्स में ये रहे-सहे पर्दे भी गिर जाएँगे..

अब अगली गेम की बारी थी...

और उससे पहले उन्हे ये भी डिसाईड करना था की उसमें हार-जीत होने पर क्या होगा..

विजय ने पत्ते बाँटे , सभी की नज़रें और कान विजय की तरफ ही थे...

विजय : "अब अगली गेम के लिए थोड़ा चेंज करना होगा.... यानी, जो मसाज तुम दोनो ने एक दूसरे को दी है, वही अब एक दूसरे के हसबैंड्स को देनी होगी...''

यानी, विजय हारा तो उसकी बीबी कामिनी, कुणाल को मसाज देगी
और
कुणाल हारा तो पायल को विजय के पास एक बार फिर से मसाज देने आना होगा..

विजय के हरामी दिमाग़ में हर तरह के ख़याल और संभावनाए आ रही थी, जिन्हे वो इस जुए के खेल के मध्यम से साकार करना चाहता था.

और वो ये भी जानता था की उसकी कही बात को ना मानने की किसी में भी हिम्मत नही है...
एक तरह से देखा जाए तो वो अपनी दबी हुई कुंठस्त भावनाओ को इस खेल के माध्यम से बाहर निकाल रहा था.

पर वो ये नही जानता था की उसके अलावा उसकी बीबी और कुणाल के बीच भी कुछ ख़ास चल रहा है, शायद इसलिए वो उसकी किसी भी बात का विरोध नही कर रहे थे...
पायल तो उसके लंड का स्वाद चख ही चुकी थी.

पत्ते तो ऑलरेडी बंट ही चुके थे, इसलिए उसने उपर वाले का नाम विजय ने अपने पत्ते उठा लिए...
इस गेम में वो जीतना चाहता था ताकि कुणाल की बीबी उसकी मसाज कर सके..

और हुआ भी ऐसा ही..

उसके पास सीक़वेंस आया था..... 8,9, 10 का.

उसने जोरदार तरीके से हंसते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए...
कुणाल के पास इस बार भी पेयर आया था, 10 का...
पर सीक़वेंस के सामने वो बेकार था.

कुणाल ने पायल की तरफ देखा और धीरे से बोला : "चल जा....साब की मालिश कर दे...''

ये एक ऐसी लाइन थी जिसमें वो एक तरह से अपनी बीबी को ये कह रहा था की जा,साहब को खुश कर दे...

पायल भी एक बार फिर अपने मालिक को मालिश करने के नाम से तप सी गयी....
उसके हाथ पैर फूल से गये...
हालाँकि ऐसा उसके साथ पहली बार नही हुआ था, पर अब इसलिए हो रहा था क्योंकि उसका पति और मालिक की बीबी सामने बैठकर वो नज़ारा देखने वाले थे...

विजय उठकर उसी सोफे पर जाकर लेट गया जहाँ कुछ देर पहले आधी नंगी होकर पायल अपना बदन मसलवा रही थी ..

और पायल से बोला : "चल, आजा जल्दी से...''

पायल धीरे-2 चलती हुई वहां आ गयी...
कामिनी वहां से हटकर कुणाल के साथ वाली चेयर पर आकर बैठ गयी...
जहां से दोनो पूरे सीन को सॉफ तरह से देख पा रहे थे.

विजय ने देखा की पायल अभी तक हिचकिचा रही है...
वो थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : "सुना नही....जल्दी आओ यहाँ और शुरू करो...''

अपने मालिक की वही सुबह वाली डांट सुनकर उसके बदन में फिर से तेज़ी आ गयी....
उसने आनन-फानन मे तेल की शीशी उठाई और उनके करीब जाकर खड़ी हो गयी...

विजय ने एक बार फिर से घूर कर देखा तो उसने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए...
पहले कुर्ता..
फिर पयज़ामा और फिर बनियान भी.

अब विजय सिर्फ़ एक बॉक्सर में लेटा हुआ था.

कमरे में मौजूद दोनो औरतें अच्छे से जानती थी की उस बॉक्सर के नीचे की चीज़ कैसी है...

कामिनी तो बरसों से चुदती आई थी उस लंड से...
इसलिए उसे कुछ ख़ास दिलचस्पी नही रह गयी थी इस खेल में.

वो तो बस यही सोच रही थी की काश कुणाल जीत जाता ये गेम...
वो उसके काले कलूटे बदन को अपनी नर्म उंगलियों से मसलकर मसाज करती..
ठीक वैसे ही जैसे उसने जंगल की झाड़ियों में उसके लंड को पकड़ कर मूठ मारी थी उसकी...

भले ही अभी के लिए ये नही हो रहा था पर वो जान चुकी थी की आने वाली गेम्स में ऐसा मौका उसे ज़रूर मिलेगा...
इसलिए वो बड़ी ही प्यासी नज़रों से कुणाल को देख रही थी, जो उससे सिर्फ़ 2 फीट की दूरी पर बैठा अपने लंड को मसल रहा था.
इस वक़्त कुणाल का ध्यान अपनी बीबी पायल पर था
वो शायद देखना चाहता था की वो गाँव की भोली भाली औरत आज अपने पति के सामने किस हद्द तक खेलने की हिम्मत रखती है...

पर उसे ये नही पता था की वो सारी हदें तो सुबह ही पार कर चुकी थी, अपने मालिक को ऐसी ही मसाज देकर और उनके लंड को पीकर..
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