Antarvasna kahani जुआरी
09-25-2018, 01:38 PM,
#21
RE: Antarvasna kahani जुआरी
दूसरी तरफ पायल की नज़रें जब विजय से मिली तो वो शरमा गयी...
शायद उसे सुबह वाली मसाज याद आ गयी थी...
अंदर से तो वो चाह रही थी की उनके लंड को पकड़े और उसपर भी तेल लगा कर उसे चमका दे
पर शर्म की वजह से वो नही कर पाई..

पर विजय तो यही करवाने के लिए इस गेम को खेल रहा था...

उसने पायल का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया...
वो बेचारी अपने मालिक की इस हरकत को देखकर काँप सी गयी....
उसने घबरा कर अपने पति कुणाल की तरफ देखा, जिसने लास्ट मूमेंट पर अपनी नज़रें घुमा कर कामिनी की तरफ कर ली, जैसे वो उन्हे देख ही नही रहा था...
कामिनी भी कुणाल को देखकर कुछ बात करने लगी जैसे उसे भी उनके खेल में कोई दिलचस्पी नही थी..

विजय के लंड को पकड़ कर पायल को भी कुछ-2 होने लगा था...
उसके जहन में एक बार फिर से सुबह वाली बातें घूमने लगी...
और वो सोच-सोचकर उसके हाथ विजय के लंड पर कसते चले गये.

पायल की आँखो में गुलाबीपन उतर आया...
उसकी साँसे तेज हो गयी...
छातियाँ उपर नीचे होने लगी..
छूट से पानी रिसने लगा...
होंठ फड़फड़ाने लगे...
और ये सब हुआ सिर्फ़ एक लंड पकड़कर.
मर्दों के लंड में कितनी ताक़त होती है, अपने लंड के दम पर वो औरत के शरीर में कैसे-2 बदलाव ले आते है, शायद ये उन्हे भी नही पता होता..

रह रहकर पायल तिरछी आँखे करके कुणाल को देख रही थी और उसकी तरफ से मिल रहे अनदेखेपन से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी...
उसने कस कर आँखे बंद कर ली पूरी लगन से अपने मालिक की सेवा करने लगी...
उसकी हालत इस वक़्त उस बिल्ली की तरह थी जो अपनी आँखे बंद करके ये सोचती है की उसे कोई नही देख रहा..
पर वो बोडम महिला कितनी ग़लत थी ये उस कमरे में मोजूद हर इंसान जानता था...

पायल की आँखे बंद होते देखकर कुणाल समझ गया की वो अब सब कुछ करके रहेगी...
अपनी ही बीबी को ऐसी हरकत करते देखकर उसे इस वक़्त बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा था, उसे तो मज़ा आ रहा था ये सोचकर की जब उसका नंबर आएगा तो कामिनी मेडम भी अपने पति के सामने उसके साथ ऐसा ही करेगी...

विजय ने अपने बॉक्सर को भी निकाल दिया...
हालाँकि इस वक़्त कुणाल भी उसी कमरे मे मोजूद था पर अब तक वो भी जान चुका था की कुणाल तो कामिनी के लालच में कुछ भी नही बोलेगा...
और पायल तो उसकी बोतल में पहले ही उतर चुकी थी...
अब तो बस पूरा नंगा होकर उसे इस खेल की अच्छे से शुरूवात करनी थी.

विजय का अंडरवीयर निकलते ही उसका कड़क लंड पायल के सामने पकी हुई फसल की तरह लहराने लगा...
पायल तो पहले ही अपने सपनो की रंगीन दुनिया में पहुँच चुकी थी...
उसने एक बार फिर से उस नंगे लंड पर कब्जा जमा लिया और उसपर तेल लगाकर उसकी मालिश करने लगी...



विजय भी अपनी बीबी कामिनी से नज़रें मिलाकर उसके दिल में चल रही उथल पुथल को जानने की कोशिश कर रहा था...
और उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर और कुणाल की तरफ प्यासी नज़रों से देखने के अंदाज से उसे पता चल गया था की वो भी इस खेल में सब कुछ करने को तैयार है.

इसलिए उसने अपने लंड को मसलवाते हुए कामिनी के बूब्स पर हाथ रख दिया...
वो कुछ ना बोली
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से सिसकारी निकलने से बचाई.
उसकी साड़ी का पल्लू खिसककर नीचे आ गया, विजय ने उसके पेटीकोट में फंसी साड़ी को बाहर निकाल कर नीचे गिरा दिया, और अब वो सिर्फ एक पेटीकोट और ब्लाउस में खड़ी थी

विजय के दिमाग़ में भी इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था..
उसे ये तो पता चल ही चुका था की जिस तरह की नंगी गेम वो खेलना चाहता है उसके लिए सभी तैयार है...
पर वो एक ही बार में उसे नंगा करके , चुदाई की शुरूवात करके, इस खेल की मर्यादा और मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था...
वो सब कुछ आराम से करने वालो में से था...

इसलिए उसने पायल के बूब्स को सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से दबाया, उसे नंगा नही किया...
हालाँकि विजय के हाथ लगाने से पायल के निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे, और उन्हे अब विजय के गीले होंठों और तेज दाँतों की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर विजय सिर्फ़ उन्हे उपर-2 से मसलता रहा...

विजय की इस हरकत से पायल बुरी तरह से उत्तेजित हो रही थी...
और उसके हाथ पहले से ज़्यादा तेज़ी से उसके लंड को मसाज कर उसका रस निकालने की तैयारी में लगे हुए थे... और करीब 2 मिनट की जोरदार मालिश के बाद विजय के लंड से तेल निकलकर उसी के पेट पर गिरने लगा.
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09-25-2018, 01:38 PM,
#22
RE: Antarvasna kahani जुआरी
विजय सिसकारी मारकर उसके बूब्स को मसलता रह गया..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स उम्म्म्ममममममममममम आआआआआआआहह''

पायल का मन तो बहुत कर रहा था की वो उस रस को उठाकर निगल जाए पर अपनी तरफ से कोई पहल करने की उसकी हिम्मत नही हुई..

कुणाल भी अपनी बीबी की कला को किसी दर्शक की तरह देखकर काफ़ी खुश हुआ...
उसने जिस अंदाज में अपने मालिक की मूठ मारी थी उसके बाद उसका रास्ता सॉफ हो चुका था.

अब तो उसे किसी भी हालत में अगली गेम जीतनी ही थी और इसके लिए वो अपने जुए की कला का पूरा इस्तेमाल करना चाहता था..

उसने जल्दी से ताश की गड्डी उठाई और उसमें से 3 पत्ते निकाल कर अपनी आस्तीन में छुपा लिए...
कामिनी ने जब देखा तो वो समझ गयी की वो क्या करना चाहता है...
और ऐसा करने से उसने भी नही रोका क्योंकि वो तो खुद चाहती थी की कुणाल अगली गेम जीते..

पायल ने अपने मालिक के पेट पर गिरे पानी को टावल से सॉफ करके उन्हे फिर से उनका बॉक्सर पहना दिया, उसके अलावा उन्होने कुछ और पहना ही नही...
पायल भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस में आकर वहां बैठ गयी...
अब उसे भी अपनी उभरी हुई छातियों का जलवा दिखाने में मज़ा आ रहा था...
और एक बार फिर से अगली गेम की शुरूवात हो गयी.



अगली गेम के लिए जब विजय ने पत्ते बाँटे तो उसने वही नियम दोहरा दिए, जो पिछली गेम में थे...
हालाँकि वो अभी-2 झड़ा था पर अगली बार में वो अपने लंड को पायल से चुस्वा कर मज़े लेना चाहता था...
और मर्द की फ़ितरत तो आप सभी जानते ही है, लंड चुसवाने के नाम से तो मरा हुआ आदमी भी उठकर बैठ जाता है ये तो फिर भी सिर्फ़ झड़ा हुआ था..

पिछली गेम जीतने के बाद वो थोड़ा जोश में भी था, उसे बस यही लग रहा था की उसका लक्क चल रहा है, और इस पूरी गेम में वही जीतेगा और वही पायल से हर तरह के मज़े भी लेता रहेगा...
पर ये तो तभी होता ना जब सामने कुणाल ना बैठा होता.

कुणाल तो अपनी चाल पहले ही चल चुका था, कुछ ख़ास पत्तों को अपनी आस्तीन में छुपा कर.

विजय ने अपने पत्ते एक-2 करके उठाए....
पहला पत्ता उसके पास इक्का आया...वो बहुत खुश हो गया...
दूसरा उठाया तो वो बादशाह निकला....
अब तो उसे अंदर से गुदगुदी सी होने लगी थी और इस बात का पूरा भरोसा हो गया था की तीसरा पत्ता भी उसी के अनुसार ही निकलेगा...
तीसरा पत्ता उठाया तो वो खुशी से चिल्ला ही पड़ा...
वो बेगम आई थी उसके पास...
यानी इक्का बादशाह और बेगम की सीक़वेंस...
पिछली गेम के बाद इस बार भी सीक़वेंस...
और सबसे बड़ी सीक़वेंस थी ये तो.

अपने पत्ते देखकर वो ज़ोर से चिल्लाया.....येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स

पर इस बीच वो ये नही देख पाया की कुणाल ने बड़ी सफाई से अपनी आस्तीन के पत्तों को निकालकर अपने हाथ में पकड़े पत्तों से बदल लिया है...

विजय ने हंसते हुए कुणाल से कहा : "कुणाल, लगता है तेरा जादू आज मेरे सामने नही चलने वाला....ये देख, क्या आया है मेरे पास...''

इतना कहकर उसने एक-2 करते हुए अपने तीनो पत्ते उसके सामने फेंक दिए...

कुणाल भी मंत्री की किस्मत देखकर हैरान रह गया
हर बार उनके पास खेलने लायक पत्ते आ रहे थे...
और लगातार 2 बार से सीक़वेंस भी...
कोई और होता तो अपना माथा पीट लेता और अपनी बीबी को एक बार फिर से मंत्री जी की सेवा करने के लिए भेज देता...

पर इस बार ऐसा नही होने वाला था...

कुणाल ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते नीचे फेंकने शुरू कर दिए

पहला पत्ता 2 था...
दूसरा भी 2
और
तीसरा भी 2. 

यानी उसने 2 की ट्रेल बना कर अपनी आस्तीन में छुपाई थी...
और ट्रेल के सामने तो अच्छे से अच्छे पत्ते फैल हो जाते है.

विजय बेचारा कुणाल के पत्ते देखता रह गया...
उसे तो जैसे विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी सबसे बड़ी सीक़वेंस पिट गयी है..
वहीं दूसरी तरफ कामिनी के होंठों पर एक सेक्सी मुस्कान आ चुकी थी और चूत में रिसाव भी...
क्योंकि वो जानती थी की अब उस कमरे में क्या होने वाला है.

कुणाल मंद-2 मुस्कुराता हुआ लंबे वाले सोफे पर जाकर बैठ गया..

विजय ने बुझे मन से कामिनी को देखा और इशारा करके उसे कुणाल की तरफ जाने के लिए कहा...
ये वो मौका था जब उसके मन में हर तरह के विचार आ रहे थे...
वो सोच रहा था की खेल जाए भाड़ में, वो अपनी बीबी को ऐसे अपने नौकर के सामने क्यो नौकर बनने दे, क्यो उसकी मसाज करवाए ।
और उसे इस बात का भी पता था की उसके ऐसा करने से कोई आवाज़ भी नही उठाएगा
ना तो कुणाल और पायल में इतनी हिम्मत थी और ना ही उसकी बीबी कामिनी में ...
पर ना जाने क्या नशा सा था इस गेम का, पायल को पूरी तरह पाने का, की वो ये डिसीज़न ले ही नही पाया...

कामिनी अपनी कश्मीरी गांड मटकाते हुए कुणाल की तरफ चल दी...
कुणाल तो अपनी मालकिन को अपनी तरफ आते हुए देखकर ऐसा महसूस कर रहा था जैसे आज उसकी सुहागरात है और एक हूर परी उससे चुदवाने के लिए उसके पास आ रही है.

कामिनी उसके सामने आकर खड़ी हो गयी...
और उसने कुणाल की टी शर्ट को पकड़कर उपर खींच लिया...
कुणाल तो मंत्रमुगध सा होकर अपनी मालकिन के सामने खिलोना सा बन गया, जिसने एक-2 करके उसके सारे कपड़े उतार दिए..
अब वो सिर्फ़ अपने धारी वाले कच्छे में बैठा था...
और उसके कच्छे में से उफान मार रहे लंड की मोटाई देखकर दूर बैठा विजय समझ गया की अंदर का माल उसके लंड से डबल है...

कामिनी ने तेल की शीशी उठाई और उसके काले शरीर पर धार बनाकर डाली और अपने कोमल हाथों से उसकी मालिश करने लगी...
कामिनी को तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी काले और कठोर पत्थर पर तेल रगड़ रही है...
उसके शरीर की कसावट से वो उसके लंड की ताक़त का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी.

कामिनी लगभग उसके उपर झुक कर उसकी मालिश कर रही थी...
उसने अभी तक वही कपड़े पहने हुए थे जो वो बाहर पहन कर गयी थी...
वो एक डिज़ाईनर टॉप था, जिसे वो तेल के दाग लगाकर खराब नही करना चाहती थी...

इसलिए उसने एक ही झटके में अपना टॉप निकाल कर साइड में रख दिया...
और विजय से बोली : "डार्लिंग, आई होप यू डोंट माइंड, ये मेरा डिजाइनर पीस है, खराब ना हो जाए ये...''

विजय : "ओ या.... इट्स ओक डार्लिंग....''

बेचारा इसके अलावा और बोल भी क्या सकता था..

और कुणाल का तो बुरा हाल हो गया
कामिनी ने जाली वाली ब्रा पहनी हुई थी जिसमे उसके सफेद बूब्स किसी चाँद की तरहा लग रहे थे...
ब्रा की जाली ने उन्हे किसी बादल की तरह ढक रखा था...
और वो जाली इतनी पारदर्शी थी की उसमे से मेमसाहब के गुलाबी रंग के निप्पल्स सॉफ दिख रहे थे...



पर कामिनी वहीं नही रुकी, उसने खड़े होकर अपनी जीन्स भी निकाल दी और साइड में उछाल दी, अंदर उसने मेचिंग पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसकी गांड लगभग नंगी होकर और चूत सिर्फ़ हल्के पर्दे में छुप कर सबके सामने थी... 

विजय को शायद इसकी उम्मीद नही थी पर वो कुछ बोलने की हालत में ही नही था...

अपनी मॉडेल वाली बॉडी दिखाती हुई, इठलाती हुई कामिनी एकबार फिर से कुणाल की मालिश करने लगी...
विजय अब उस तरफ देख ही नही रहा था, उसे ये सब देखना अच्छा हि नहीं लग रहा था, उसने एक बार फिर से पायल के नमकीन बदन को देखकर अपना लंड मसलना शुरू कर दिया..

कुणाल तो अपनी लाइफ के सबसे हसीन पल जी रहा था इस वक़्त
संगमरमर जैसे शरीर की मालकिन उसके काले बदन की मालिश कर रही थी...

अचानक अपने तेल से सने हाथों को कामिनी ने कुणाल के कच्छे के अंदर डाल दिया...
कुणाल की तो साँसे उपर की उपर ओए नीचे की नीचे रह गयी
कुणाल के शेर को एक बार फिर से अपनी कोमल उंगलियों के पिंजरें में जकड़ कर उसने ज़ोर से मसल दिया..

कुणाल के मुँह से एक आह सी निकल गयी

''आआआआआआआआआआअहह........ मेंमसाआआआआआआब्ब...''

साला कमीना जान बूझकर मेंमसाब् बोल रहा था, जो उसके मन को एक अजीब तरह की ठंडक पहुँचा रहा था.
दूसरी तरफ विजय उन शब्दों को सुनकर भी अनसुना करने का प्रयत्न कर रहा था...
जो काम वो कुछ देर पहले पायल से करवा रहा था वही काम करने के लिए वो भला अब कामिनी को कैसे मना कर सकता था...

फ़र्क सिर्फ़ इतना था की पायल से वो काम करवाना पड़ रहा था और कामिनी वो काम खुद करने में लगी थी..
गाँव की भोली भाली औरत और शहर की हाइ सोसायटी में रहने वाली मेडम में कुछ तो फ़र्क होना स्वाभाविक ही था.

कामिनी ने एक बार फिर से उसके लंड पर कब्जा जमा लिया और कच्छे का नाडा खोलकर उसे पूरी तरह से बाहर निकाल लिया...
कुणाल कभी अपने आग उगलते लंड को और अभी कामिनी मेडम के सैक्सी चेहरे को देखता...
दोनो की आँखे एक दूसरे से जैसे कुछ कह रही थी और फिर उन आँखो की भाषा कामिनी ने समझ ली और अपना सिर धीरे-2 नीचे करना शुरू कर दिया

कुणाल का दिल धाड़-2 कर रहा था, ये सोचकर की उसकी सपनो की रानी, उसकी मालकिन, उसका काला भुसंड लंड चूसेगी ।

कामिनी ने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और वही सबसे पहले कुणाल के लंड से टच हुई...



वो सीसीया उठा...

''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.....मेंमसाआब...''

और उसने एक हाथ उपर करके कामिनी मेडम का बाँया मुम्मा पकड़ लिया...

और अब सीसीयाने की बारी कामिनी की थी...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... उम्म्म्मममममममममममममम...आआआआअहह''

उसके बूब्स उसकी बॉडी का सबसे वीक पॉइंट था, उन्हे दबाकर तो कोई रिक्शावाला भी उसे चोदने के लिए तैयार कर सकता था... 

कुणाल ने उसके सिर पर दबाव डालकर उसके मुँह में अपना लंड घुसेड़ दिया...
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09-25-2018, 01:38 PM,
#23
RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी के मुँह में वो पूरी तरह से जा भी नही रहा था फिर भी कुणाल ने नीचे से धक्का देकर और उसके सिर के पीछे हाथ लगाकर उसके मुँह में अपना घीस जैसा काला और मोटा लंड उतार दिया...

कामिनी को इसी तरह की ज़बरदस्ती पसंद थी
उसकी हमेशा से फेंटसी रही थी की उसका पार्ट्नर अलग-2 तरीके से उसे टॉर्चर करके उसकी मर्ज़ी के विपरीत उसकी चुदाई करे, पर वो खुद ही इतनी बड़ी चुदक़्कड़ थी की सामने वाले को ऐसा करने का मौका भी नही मिलता था ...
पर आज कुणाल के साथ वो अपनी जिंदगी की उन दबी हुई इच्छाओं को पूरा कर लेना चाहती थी..

सामने बैठा विजय अपनी बीबी के इश्स रूप को देखकर ज़्यादा हैरान नही हुआ, वो जानता था की एक बार शुरू होने के बाद कामिनी को रोक पाना मुश्किल होगा...
इसलिए वो हर गेम खुद ही जीतने की फिराक में था...
पर अब कुछ नही हो सकता था
कामिनी आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी
उसके मुँह में कुणाल का पूरा लंड था और कुणाल के हाथ में उसका पूरा मुम्मा..

पायल बेचारी अपने पति की रंगरेलियाँ देखकर शरमा रही थी
अचानक उसने महसूस किया की विजय साहब का पैर उसके पेटीकोट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है...
वो तो पहले से ही अपने पति और कामिनी मेडम के खेल को देखकर गर्म हो रही थी, अपने मालिक के पैरों को अपने पेटीकोट पर दस्तक देते देखकर उसने अपनी पूरी दरियादिली दिखाते हुए अपने दोनो पैर खोल दिए
विजय का पैर पेड़ के तने की तरह उसके पेटीकोट में घुसता चला गया और सीधा जाकर उसके ताजमहल के दरवाजे पर रुका...
उसने अंदर कच्छी नही पहनी हुई थी
चूत तो पहले से ही गीली थी, हल्के दबाव के साथ विजय का मोटा अंगूठा पायल की रिसती चूत में घुस गया और उसके मुँह से हल्की सी सिसक निकल गयी...

पर वो इतनी धीरे थी की वो सिसक कुणाल और कामिनी तक नही पहुँची
वैसे भी उनकी तरफ से आ रही सिसकारियाँ और आवाज़ें काफ़ी तेज थी और उन्हे इस तरफ देखने का टाइम ही नही था...



खेल अपने पुर शबाब पर आ चुका था
अब ये कोई मामूली जुए का खेल नही रह गया था
एक ऐसा ज़रिया बन चुका था जिसमे एक दूसरे का इस्तेमाल करके अपनी उत्तेजना को शांत करना था सभी को..

बस देखना ये था की सबसे ज़्यादा सेटिसफाई कौन होता है और कैसे..

कुणाल के सामने उसके सपनो की मल्लिका यानी उसकी मेमसाब उसका लंड चूस रही थी और वो भी अपने पति के सामने जो एक पति होने के साथ -2 देश का एक मंत्री भी था और उसका मालिक भी...

ऐसे में कुणाल अपना लंड कामिनी मेडम से चुस्वाते हुए अपने आप को काफ़ी बड़ा महसूस कर रहा था..

और उसी बड़प्पन के आवेश में आकर, उसने कामिनी के बालों को पकड़ा और अपना लंड धक्का देकर सीधा उसकी हलक में उतार दिया और बड़े ही गंदे तरीके से उससे बोला

''चूस साली ...कुतिया ...ऐसे लंड तूने सपने में ही देखे होंगे...चाट इसे अच्छे से....गोटियों को भी चमका दे चूस्कर ...साली हरामजादी....''



उसके इन शब्दों ने विजय को अंदर तक किलसा दिया
कुणाल इस वक़्त उसकी पत्नी से ठीक वैसे ही बर्ताव कर रहा था जैसे 2 दिन पहले वो अपने क्वार्टर में पायल के साथ कर रहा था जब विजय ने उन्हे छुपकर चुदाई करते देखा था...
उसकी ऊँचे रुतबे वाली बीबी के साथ वो गँवार एक रंडी जैसा बर्ताव कर रहा था
ऐसे उमें सका गुस्से में आना तो स्वाभाविक ही था...
और कामिनी का क्या हाल हो रहा होगा ये सब ज़िल्लत सहते हुए, ये जानने के लिए उसने कामिनी के चेहरे की तरफ देखा तो हैरान रह गया, वो तो दुगनी मस्ती में भरकर उसके लंड को चूस रही थी, ठीक वैसे ही जैसा कुणाल उसे चूसने के लिए कह रहा था, उसे ललचा रहा था, उसके मुँह में लंड ठूसकर अपने इशारो पर नचवा रहा था.

विजय समझ गया की उसकी बीबी पर कौन सा भूत चढ़ गया है...
वो उसे भी अक्सर इसी तरह का बर्ताव करने के लिए उकसाया करती थी, जिसमे विजय उसके साथ ज़बरदस्ती करके, उसे गालियां देकर उसकी चुदाई करे
पर शुरू से ही सभ्य समाज में रहने के कारण उसे ना तो इस तरह की संगत मिली थी और न ही इतना उँचा रुतबा होने की वजह से चुदाई में कोई मुश्किल आती थी...

पर उसे क्या पता था की ये कामिनी के मन की अंदरूनी फैंटेसी है जो आज कुणाल के माध्यम से पूरी होने जा रही थी..

विजय ने अब उस तरफ ध्यान देना सही ही नही समझा और उठकर अपने लिए एक और पेग बनाया और वापिस आकर बैठ गया...
पायल अपने मालिक की हालत देखकर उनके उपर बीत रही बात का अंदाज़ा लगा पा रही थी..
और उसे पता था की क्या करने से उसके मालिक का मूड ठीक होगा, वो अपनी जगह से उठी और विजय के सामने ज़मीन पर बैठ गयी और उनके पैर दबाने लगी...
विजय ने उसे उठाना चाहा पर पायल ने मना कर दिया और पैर दबाने में लगी रही...
और फिर धीरे-2 उसने विजय के पैरों को अपनी फेला रखी टाँगो के अंदर घुसा लिया...और अपनी चूत से एक बार फिर विजय के अंगूठे को ढक लिया

ये पहला मौका था जब पायल अपनी तरफ से कोई पहल कर रही थी...
इससे पहले तो वो सिर्फ़ अपने मालिक के इशारों पर नाच ही रही थी, विजय भी उसमे आए इस बदलाव को देखकर समझ गया की अब गेम का असली मज़ा आएगा...

जब कुणाल उसकी बीबी के साथ अपने हिसाब से बर्ताव कर सकता है तो वो भी उसकी बीबी को अब अपने इशारो पर नचाएगा...

और फिर विजय ने एक ही झटके में अपना पयज़ामा उतार कर साइड मे फेंक दिया और अब वो पूरा नंगा था...
भले ही वो देश का मंत्री था पर इस वक़्त उसे कोई शर्म महसूस नही हो रही थी.
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09-25-2018, 01:38 PM,
#24
RE: Antarvasna kahani जुआरी
दूसरी तरफ कुणाल ने जब मंत्री जी को नंगा होते देखा तो वो भी समझ गया की कैसा खेल चलेगा वहां पर...
इसलिए उसने भी अपने हाथो की सफाई दिखाते हुए एक ही झटके में कामिनी मेडम की ब्रा के हुक्स को खोल दिया और वो ब्रा किसी समान से लदे जाल की तरह नीचे आ गिरी...
और फिर उभरकर आए कामिनी मेडम के मदमस्त यौवन...
जिन्हे देखने के लिए वो कब से मरा जा रहा था..



और जैसे ही वो गोरे-2 खरबूजे उसकी आँखो के सामने आए वो उनपर टूट पड़ा...
अपने दैत्याकार दांतो के साथ जब उसने उन रसीले फलों को काटना शुरू किया तो कामिनी की दर्दीली मस्ती से भरी सिसकारियाँ पूरी कोठी में गूँज उठी..

''आआआआआआआययययययीीईईईईईईईईईईईईई........... अहह........ फककककककककककककककक............ ढीईरए काट कुणाल......आआआआआआहह''

पर कुणाल अब कहां मानने वाला था, उसने तो उसके गोरे जिस्म पर दांतो से लाल-2 निशान इतने गहरे बना दिए की महीने से पहले वो उसके बदन से जाने ही नही वाले थे..

और उसके अंगूरी दानो को तो उसने छोड़ा ही नही
उसके निप्पल्स को चूसते हुए कुणाल को ऐसा लग रहा था जैसे उनमें से साक्षात शराब निकल कर उसके मुँह में जा रही है...
वो मन में सोचने लगा की काश वो उसकी बीबी होती तो रोज शराब के ठेकों पर लाइन लगाने के बदले वो उसी के मोम्मे चूस्कर मज़ा लेता रहता..

लेकिन आज के बाद तो शायद ऐसा ही होने वाला था, क्योंकि कुणाल को अपने लंड पर इतना भरोसा तो था की मेमसाब एक बार जब उसे अपनी फुददी में ले लेंगी तो रोज लेने के लिए मचला करेंगी..

इधर कुणाल अपने लंड का अभिमान कर रहा था और दूसरी तरफ़ विजय ने अपने खूँटे जैसे लंड को पायल के मुँह में ठूस दिया...
कुछ देर पहले जो पायल अपने मालिक की नीचे वाली टांगे दबा रही थी अब वो उनकी तीसरी टाँग की सेवा कर रही थी...




वो उनके लंड को बुरी तरह से चूस रही थी...

उसे अपने हाथों में लेकर नीचे तक जाकर उनकी गोटियों को भी मुँह में भरकर उनका नारियल पानी पी रही थी..

और फिर विजय ने वो किया जिसका शायद पायल को भी अंदाज़ा नही था...

विजय ने अपने हाथ मे पकड़े शराब के ग्लास से दारु को धार बनाकर अपने लंड पर गिराना शुरू कर दिया...
और वो शराब धार बनकर नीचे अपना मुँह लगाए पायल के मुँह तक जाने लगी...




पायल ने पीछे होना चाहा तो विजय ने उसे ज़बरदस्ती पकड़कर कहीं जाने ही नही दिया..
और बेचारी को ज़बरदस्ती, ना चाहते हुए भी, अपने मलिक के लंड से लिपटकर आती हुई शराब पीनी पड़ी...
और उसका असर भी जल्द दिख गया उसके उपर..

आँखे नशीली हो गयी
ज़बान फिसलने लगी
अदाओं में मस्ती आ गयी और झिझक तो पूरी मिट सी गयी...
अब उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उसका पति भी वहां है, मालिक की बीबी भी वही है...
उसे तो बस अब सिर्फ़ अपनी मस्ती से मतलब रह गया था
जो इस वक़्त उसके मालिक के लंड को चूसने से मिल रही थी.



उसने अपनी नागिन जैसी जीभ से उपर से नीचे तक अपने मालिक के लंड को चूस डाला और फिर खड़ी होकर उसने अपने ब्लाउस के हुक्स को तोड़ते हुए उसे भी निकाल दिया...
पेटीकोट का नाडा नही खुला तो उसकी भी भेंट चड़ा दी उसने...
और जब वो पेटीकोट गिरा तो सुंदरता की मूरत खड़ी थी विजय के सामने...
एकदम कसा हुआ शरीर, मस्त स्तन, मोटी जांगे, सपाट पेट और पूरी मस्ती से भरी जवानी...



वो उछलकर विजय के पास आई और उसकी गोद में बैठ गयी...
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09-25-2018, 01:38 PM,
#25
RE: Antarvasna kahani जुआरी
वो उछलकर विजय के पास आई और उसकी गोद में बैठ गयी...
विजय ने भी बिना कोई देरी किए उसकी चूत का निशाना बना कर अपना लंड उसके अंदर उतार दिया....
और वो फकफकाती हुई सी, उसके अमीरी से भरे लंड को अपनी गरीब पर रसीली चूत में लेकर , उसकी गोद में कूदने लगी..



''आआआआआआआआअहह माआाअलिक..... क्या मज़ा दे रहे हो आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज.... उफफफफफफफफफफ्फ़ इतनी मस्ती तो आज तक नही मिली....... डालो इस लौड़े को मेरे अंदर....चोदो मुझे मालिक ...चोदो ....''

उसकी इस चीख पुकार को कुणाल और कामिनी ने भी सुना पर इस वक़्त उस तरफ ध्यान देने का टाइम उनके पास भी नही था, क्योंकि कामिनी भी अपनी कच्छी उतार कर कुणाल के उपर चढ़ चुकी थी...

सोफे पर लेते हुए कुणाल के लंड को जब अपनी चूत में लेकर कामिनी ने नीचे उतरना शुरू किया तो उसे एहसास हुआ की वो क्या लेने जा रही है....
कुणाल के मोटे लंड ने उसकी चूत की मांसपेशियो को जब दोनो तरफ से फेला कर फाड़ना शुरू किया तो उसकी अभी तक की मस्ती चीखे बनकर बाहर निकलने लगी...
जो पायल की सिसकारियों को दबाने में पूरी तरह से सफल हो गयी..

**** वीमेन न टॉप

''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कुणाल........ क्या मोटा लंड है तुम्हारा....अहह फककककककक ...फाड़ दी मेरी चूत .....ओह्ह्ह माय गॉड ..... फाड़ डाली तुमने तो मेरी....''

पर वो कहते है ना उपर वाले ने औरत की चूत बनाई ही ऐसी है की बच्चा भी उसी में से बाहर निकलता है और वो अपने हिसाब से खिंच भी जाती है उस वक़्त...
बड़े से बड़ा लंड उसमें घुस सकता है
पर हर बार खिंचाव से दर्द होना भी स्वाभाविक ही है...
और वही हो रहा था इस वक़्त कामिनी को भी...
पर मज़ा भी बहुत मिल रहा था.

अंत मे जब उसने पूरा लंड अपने अंदर पिलवा लिया तो उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी जैसे उसने एवरेस्ट पर अपनी जवानी का झंडा फहरा दिया हो..

और फिर तो दोनो तरफ जो छलांगे लगी,उन्हे देखकर कोई कह ही नही सकता था की ये आपस में उन लोगो की पहली चुदाई है...

पायल अपनी जवानियो को अपने हाथों में लेकर उपर नीचे उछाल रही थी...
और वही कुणाल ने कामिनी की गांड को पकड़ कर अपना लंड उसकी टनल में पूरा उतार रखा था...



और जल्द ही दोनो तरफ से आ रही सिसकारियों में बढ़ोतरी होती चली गयी...
और अंत में आकर दोनो की बंदूको से निकली गोलियां पायल और कामिनी को अंदर तक ज़ख्मी करती हुई, उन्हें एक अलग ही ख़ुशी प्रदान कर गयी.

पूरे वातावरण में एक ठंडक सी फैल गयी...
जो कुणाल और विजय के लंड से निकले पानी की थी शायद...

और ये ठंडक अभी कुछ और दिन तक रहने वाली थी इस घर में ..
क्योंकि एक बार शेर के मुँह खून लग जाए तो उसका बार -2 शिकार करने का मन करता है...
और यहाँ तो चारों के मुँह खून लग चुका था.

दो दिन बाद दीवाली थी, यानी पटाखे जोरदार तरीके से फटने वाले थे हर तरफ.


अगले दिन जब कामिनी की नींद खुली तो उसने पाया की वो अपने बिस्तर पर नंगी सो रही है



रात को पीने के बाद और कुणाल से अपनी चूत मरवाकर उसे पता ही नहीं चला की वो कैसे अपने बिस्तर पर पहुँच गयी.. विजय भी नहीं था
उसे याद आया की आज विजय को दिवाली देने के लिए चीफ मिनिस्टर के घर जाना था, वो शायद वही गया होगा..
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09-25-2018, 01:38 PM,
#26
RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी ने टाइम देखा तो 11 बज रहे थे
उसका पूरा बदन दुःख रहा था
उसके बूब्स पर लाल निशान थे जो कल कुणाल के दांतो के काटने से बने थे
उन निशानों को देखकर उसे एक बार फिर से उस जंगली कुणाल के झटके याद आ गए और उसका हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ चला गया, जो पहले के मुकाबले ज्यादा चौड़ी हो चुकी थी कुणाल के लंड के अंदर जाने के बाद..
वो मुस्कुरा उठी, अपनी चूत की किस्मत पर, जो उसे ऐसा लंड मिला जो उसे अंदर तक तृप्त कर गया था

वो उठकर बालकनी के पास आ गयी.
अभी भी उसके शरीर पर कोई कपडा नहीं था,
एकदम नंगी थी वो,
सिर्फ हाई हील के सेंडल पहने हुए थे
खिड़की से आती धुप में उसका सुनहरा बदन लश्कारे मार रहा था.



अपने कड़क बूब्स को खुद ही दबा कर उसकी नजरें कुणाल को ढूंढने लगी, खिड़की से उसे वो दिखाई नहीं दिया तो वो अंदर आयी और अपने मोबाइल से उसे फ़ोन किया...

उसने उंघती हुई सी आवाज में फ़ोन उठाया : "उम्म्मममममम कौन है.... ''

कामिनी समझ गयी की उसने बिना देखे ही फ़ोन उठा लिया है वर्ना उसकी इतनी हिम्मत नहीं थी की वो कामिनी से ये सवाल पूछता

वो बोली : "कुणाल, मैं बोल रही हूँ , कामिनी ''

कामिनी की सेक्सी आवाज और नाम सुनकर वो उछलकर बैठ गया..
वो भी इस वक़्त नंगा ही सो रहा था, पायल वहां नहीं थी, वो शायद कोठी में नाश्ता बनाने तैयारी कर रही थी

कुणाल : "ओह्ह मेडम, सॉरी मैंने देखा नहीं था फ़ोन , कहिये मेडम, कैसे याद किया, कही जाना है क्या ? ''

कामिनी : "नहीं, मुझे कही नहीं जाना, साहब कहीं गए हुए है आज तो वो शाम तक ही आएंगे, और दोपहर तक वो मेरी फ्रेंड इन्द्राणी आएगी , जिनके पास हम लोग कल गए थे...''

कामिनी ने एक ही सांस में पूरे दिन का शेड्यूल अपने ड्राइवर को बता डाला..

कुणाल की समझ में भी नहीं आया की ये सब बताने के लिए फ़ोन किया है क्या मेडम ने ?

फिर वो असली बात पर आयी : "अच्छा सुनो, मुझे नहाने जाना है, और बाथटब का स्टॉपर नहीं मिल रहा है, तुम आकर देखो की क्या हो सकता है '

कुणाल के बदन के सारे रोंये खड़े हो गए ये सुनकर 

वो खुली आँखों से आने वाली संभावनाओ के बारे में सोचकर सपने देखने लगा
वैसे भी सुबह-२ उठकर उसका लंड बुरी तरह से दर्द कर रहा था
उसे हमेशा से ही आदत थी की सुबह उठकर वो सबसे पहले पायल की चूत मारता था
उसका मन हो या न हो
वो उसकी चूत में लंड पेलकर अपना सारा रस उसमें निकालकर ही नहाने जाता था
अब ये रस उसे कामिनी मेडम के लिए संभालकर रखना था
इसलिए जल्दी से अपनी पेंट शर्ट पहन कर वो मेडम के रूम की तरफ चल दिया

ऊपर पहुंचकर उसने देखा की कामिनी मेडम अपनी अलमारी के आगे खड़ी होकर अपने अंडरगारमेंट्स निकाल रही है, कामिनी ने तब तक एक लंबी सी टी शर्ट पेहेन ली थी, जो उसकी जांघो तक आ रही थी, नीचे वो अभी भी नंगी ही थी
हाई हील की सेंडल पहन कर वो अलमारी के आगे खड़ी होकर झुक के खड़ी थी तो कुणाल का मन किया की उसके पीछे जाए और अपना लंड पेल दे उसकी गांड में
पर अपनी औकात का पता था उसे
कल की चुदाई के बाद भी अब तक उसमे इतनी हिम्मत नहीं आ पायी थी की वो ऐसी गुस्ताखी कर सके..

कामिनी ने मुड़कर उसे देखा और फिर उसकी नजर सीधा उसके लंड पर गयी, जो अभी तक तम्बू बनाकर खड़ा था, वो बोली : "उठ गए, लगता है कल रात काफी गहरी नींद आयी तुम्हे .. ''

कुणाल मुस्कुरा दिया, बोलना तो वो चाहता था की चुदाई करके उसे अच्छी ही नींद आती है पर बोल नहीं पाया

कामिनी : "जाओ देखो जरा बाथरूम में, फिर मुझे नहाना भी है''

कुणाल अंदर चला गया, कामिनी भी मुस्कुराती हुई सी, अपने हाथ में पकड़ी ब्रा पेंटी को बेड पर फेंककर बाथरूम में आ गयी.

अंदर आकर कुणाल ने काफी कोशिश की स्टॉपर को ढूंढने की पर वो मिला नहीं
मिलता भी कैसे, कामिनी ने उसे अलमारी में जो छुपा दिया था
फिर उसने सोचा की कुछ और रखकर वो पानी रोक दिया जाए पर ऐसा कुछ मिला ही नहीं जो वहां फिट हो पाता ...

अंत में उसने कामिनी से कहा : "मेडम, ऐसा तो कुछ मिल ही नहीं रहा, मैं मार्किट से जाकर नया ले आता हूँ ''

पर वो जानता था की ये सब तो नाटक ही चल रहा था
वो जाने के लिए मुड़ा तो कामिनी बोली : "रहने दो, मुझे फिर नहाने में देर हो जाएगी और इंद्राणी के आने का भी टाइम हो रहा है, तुम ऐसा करो अपने पैर का अंगूठा रखकर बैठ जाओ, मैं आज ऐसे ही मैनेज कर लुंगी ''
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09-25-2018, 01:39 PM,
#27
RE: Antarvasna kahani जुआरी
वो जाने के लिए मुड़ा तो कामिनी बोली : "रहने दो, मुझे फिर नहाने में देर हो जाएगी और इंद्राणी के आने का भी टाइम हो रहा है, तुम ऐसा करो अपने पैर का अंगूठा रखकर बैठ जाओ, मैं आज ऐसे ही मैनेज कर लुंगी ''

कुणाल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी ये सुनकर
ये साली अमीर औरतें भी कितने ड्रामे करती है
कल की चुदाई के बाद तो उसे सीधा नंगा होकर बिस्तर पर लेट जाना चाहिए था
पर साला ऐसे नाटक करके चुदवाने में ज्यादा मजा मिलता है इन्हें
खैर कुणाल को क्या प्रोब्लेमम होनी थी
उसका तो एक तरह से मनोरंजन ही हो रहा था
अंत में उसे चूत तो मिलनी ही थी.

इसलिए वो अपना एक पैर बाथटब के अंदर लटकाकर बैठ गया और उसने अपने अंगूठे से छेद बंद कर दिया

कामिनी : "ऐसे बैठोगे तो पानी भरने पर तुम्हारी पेंट गीली हो जाएगी...''

कुणाल उसका इशारा समझ गया, उसने अपनी पेंट उतार दी, अब वो सिर्फ अपने अंडरवेयर में बैठा था टांग लटकाकर

कामिनी ने उसे सेक्सी नजरों से देखते हुए एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार दी



अंदर से जब उसके पके हुए आम झूलते हुए दिखे तो कुणाल का मन ललचा गया
एक औरत को हर बार नंगा देखकर मर्द अपना आप खो देता है
यही हाल कुणाल का भी हो रहा था...
कामिनी ने अपनी गांड का रुख उसकी तरफ किया और झुककर उसने जब पानी को ऑन किया तो कुणाल को उसकी गांड का गोल्डन छेद साफ़ दिखाई दिया
गांड के नीचे उसे चूत का दरवाजा भी अपनी तरफ बुलाता हुआ दिखा



उसका तो मन किया की टब के छेद को अंगूठी से बंद करने के बजाये वो उसकी गांड और चूत का छेद अपने लंड से बंद कर दे
पर उसे कामिनी मेडम के हुक्म का इन्तजार था,
चूत तो मिल ही जानी थी उसे , 

कामिनी मेडम गर्म हो चुके पानी में जाकर बैठ गयी,
पानी उनके मुम्मो से थोड़ा नीचे तक था, और उस पानी में उनकी चुचिया ऐसी लग रही थी जैसे पानी में फुटबॉल तैर रही हो



कुणाल का लंड पूरा खड़ा हो चूका था,
कामिनी ने सैक्सी नजरों से उसे देखा और फिर उसके कड़क लंड को...

और फिर बोली : "तुम भी अंदर ही आकर बैठ जाओ और मेरे पैरों की मसाज करो...''

कुणाल ने अपने कपड़ों की तरफ देखा तो कामिनी ने कहा की उन्हें उतार दो

बस फिर क्या था, कुणाल ने एक ही झटके में सारे कपडे निकाल फेंके और टब में अंदर आकर बैठ गया, छेद पर उसने अपनी गांड टिका दी

एक झुग्गी में रहने वाले ऐय्याश नौकर के लिए ये बहुत बड़ी बात थी की वो अपनी मालकिन के साथ उन्ही के बाथटब में बैठकर नहा रहा था

कामिनी ने अपनी सिल्की टांग उठाकर कुणाल की तरफ कर दी...
गर्म पानी में डूबकर वो किसी बंगाली रसगुल्ले की तरह रसीली लग रही थी.

कामिनी ने अपने पैरों को उसके सीने पर रखा और अपनी उंगलियो से उसके सीने के बालों से खेलने लगी...

कुणाल ने अपने हाथ उसके पेट पर रखे और ऊपर तक लेजाकर उसे सहलाने लगा



दूर बैठकर कामिनी, पानी में डंडे की तरह खड़े हुए कुणाल के लंड को देख पा रही थी...
जिसका सूपाड़ा पानी से थोड़ा बाहर निकल कर अपने गुलाबजामुन जैसे रंग की छठा बिखेर रहा था

कुणाल के हाथ उसकी चूत पर आकर रुक से गए और वो अपने हाथ के अंगूठे से उसकी चूत के दाने को मसलने लगा,



कामिनी ने अपने होंठों को दांतो तले दबाकर खुद ही उनका रस पी लिया

कुणाल ने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में उतार दी थी, और वो उन्हें अंदर बाहर करते हुए कामिनी मेडम को एक अलग ही दुनिया का मजा देने लगा



वो आँखे बंद करके चीखे मारने लगी

''आआह्ह्ह्ह्ह कुणाल मममममममम यस्स्सस्स ऐसे ही करो, अंदर तक घुसाओ.... अह्ह्ह्ह ''

और जब उसने आँखे खोली तो उसके चेहरे पर हंसी आ गयी क्योंकि कुणाल ने काम ही ऐसा किया था

कुणाल ने कामिनी मेडम की रसीली चूत से निकली अपनी उँगलियों को अपने मुंह में लेजाकर चूस लिया और उसका सारा रस पी गया
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09-25-2018, 01:39 PM,
#28
RE: Antarvasna kahani जुआरी
कामिनी अपने पैरों को धीरे-२ नीचे लाने लगी, जैसे-२ वो पैर कुणाल के लंड की तरफ बढ़ रहे थे, उसका लंड पानी में झटके मार रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे बाथटब में कोई शार्क है, जिसे कामिनी अपने पैरों से पकड़ने जा रही है

और अंत में आकर उसने जब अपने कोमल पैर उसके सुपाड़े पर रखे तो कुणाल ने आँखे बंद कर ली

और किसी राजा की तरह टब में बैठकर वो कामिनी मेडम के पैरों को अपने लंड पर फील करने लगा

कामिनी ने अपने पैरों का फंदा उसके लंड पर लगाया और उसे दोहने लगी
कुणाल को ये सब फील करके परम आनंद की अनुभूति हो रही थी



कामिनी बड़े आराम से अपने पैरों की मसाज उसे दे रही थी, कुणाल को कड़क काम पसंद था इसलिए उससे सब्र नहीं हुआ और उसने कामिनी के पैरों को जोर से पकड़ कर उसे अपने लंड पर रगड़ दिया

कामिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली और उसके जंगली बर्ताव और लंड का मजा लेने लगी...
ऐसा लग रहा था जैसे उसका पैर किसी बड़े से कैक्टस में उलझ गया है,
झांटो से भरे उसके लंड पर उसका पैर जब घिसाई कर रहा था तो उसे थोड़ी तकलीफ भी हो रही थी,पर उसने उस दर्द को सह लिया,

कुणाल ने अपनी मालकिन के पैरों को लंड पर रगड़ा और फिर उन्हें ऊपर लाकर अपनी जीभ लगा दी उसपर...
एक पल के लिए तो कामिनी भी अपनी जगह से उठ खड़ी हुई,
कुणाल ने उसके पैरों की उंगलियों को अपने मुंह में लिया और उसे ऐसे चूसने लगा जैसे उनमे से दूध निकल रहा हो...

कामिनी के लिए भी ये पहला मौका था जब कोई उसके पैरों को कुत्ते की तरह चाट रहा था
पर उसे मजा बहुत आ रहा था..

अचानक कामिनी को अपनी चूत पर कुणाल के पैरों का एहसास हुआ,
कुणाल ने अपनी टांग सीधी करके अपना अंगूठा उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया था...
कामिनी ने अपनी जाँघे थोड़ी और चौड़ी कर ली और उसके लंड जैसे अंगूठे को अपने इंडिया गेट के अंदर घुस लिया

''ससससससsssssssssssssssss आआआआअह्ह्ह ''

वो सिसिया उठी , और उसके लंड को महसूस करते हुए अपनी आँखे बंद करके उस एहसास का मजा लेने लगी.

कुणाल भी कामिनी मेडम के अंगूठे को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहा था जैसे वो उनकी क्लीट को चूस रहा हो...

माहौल बड़ा ही गर्म हो चूका था...
कामिनी की चूत अब कुछ बड़ा मांग रही थी...
वो अपनी जगह से उठी और एक ही झटके में उछलकर कुणाल की गोद में आकर बैठ गयी...
टब का आधे से ज्यादा पानी उछलकर बाहर गिर गया...
और उसके होंठों पर अपने होंठ लगाकर उसे चूसने लगी...
कुणाल भी कामिनी मेडम के मुम्मो को दिवाली के लड्डू समझ कर मसलने लगा..
और फिर उसने भी उनपर मुंह लगा दिया...
ऐसे अमीरी से भरे मोम्मे रोज-२ थोड़े ही मिलते है
और नीचे हाथ करके उसने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को अपने खड़े हुए लंड पर लाकर सजा दिया

कामिनी भी कसमसाती हुई सी उसके लंड को चूत पर महसूस करके गुनगुना उठी और किलकारियां मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती हुई नीचे आने लगी..

''आआआआय्य्यीइइइइइइ शेरअअअअअअअअ aahhhhhhhhhh मर्रर्रर्र गयीईईईई उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ''



रात को दारु के नशे में उसके लंड को लेकर इतनी तकलीफ नहीं हुई थी जितनी अभी हो रही थी
पर मजा दुगना मिल रहा था उसे अभी 

और फिर कुणाल ने उसके मुम्मो और होंठों को चूसते हुए, नीचे से उसकी गांड पर हाथ लगाकर , ऐसे झटके लगाए की टब का रहा सहा पानी भी कब निकल गया उन्हें पता ही नहीं चला

और हर झटके से कामिनी अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच रही थी



और अंत में आकर जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो वो कुणाल के बालों को पकड़कर, ऊपर मुंह करके इतनी जोर से चीखी की किचन में काम कर रही पायल को भी वो चीख सुनाई दे गयी...
पर वो बेचारी उसे सुनने के अलावा कुछ और कर ही नहीं सकती थी..

और कामिनी के पीछे-२ कुणाल ने भी अपना पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया...

कामिनी उसके सीने पर हांफती हुई सी गिर पड़ी...

कुणाल ने पानी दोबारा चला कर टब को फिर से भर लिया और उसके बाद काफी देर तक वो अपनी मालकिन के हर अंग को झाग वाले पानी से साफ़ करता रहा..अब उसे एक नया एहसास मिल रहा था.



बाहर निकलकर कुणाल ने कामिनी को अपनी गोद में उठाकर बेड पर जाकर लिटा दिया..
और अपने हाथो से उसे ब्रा और पेंटी पहनाई , ऐसा करते हुए वो मन में सोच रहा था की काश ये काम वो रोज कर पाए

उसके बाद कुणाल ने भी कपडे पहन लिए और जब वो नीचे जाने लगा तो कामिनी ने उसे पीछे से आवाज देकर कहा : "सुनो कुणाल, वो इन्द्राणी को भी तुम्हारी ताश वाली ट्रिक्स सीखनी है, कही जाकर सो मत जाना, वो आने ही वाली है ''

कुणाल समझ गया की ये ताश का खेल तो एक बहाना है, जरूर कामिनी ने अपनी सहेली को उसके हरियाणवी लंड के बारे में कुछ ख़ास बताया होगा, जिसका मजा लेने वो आ रही है

वो मुस्कुराता हुआ, सर हाँ में हिलाकर नीचे चला आया

अब उसकी आँखों के सामने इन्द्राणी मेडम का चेहरा नाच रहा था 

कामिनी मेडम की बाथरूम में जबरदस्त चुदाई करने के बाद कुणाल अपने कमरे में आ गया
थोड़ी देर में पायल उसके लिए नाश्ता ले आई पर उसकी हिम्मत नही हुई की वो अपने पति से ये पूछ ले की कामिनी मेडम के साथ क्या कर रहे थे...
आज कई सालो के बाद वो इस वक़्त चुदने से भी बच गयी थी वरना अपने पति को सुबह उठाने का मतलब होता था की पहले अपनी चूत मरवाओ और फिर उसे नाश्ता कारवाओ.

वैसे भी पायल खुद कौन सा दूध की धूलि रह गयी थी अब...
अपने मालिक से चुदाई करवाकर और वो भी अपने पति के सामने, वो भी उसी रंग मे रंग चुकी थी जिसमे रंगकर कुणाल इतने सालो से अपनी जिंदगी के मज़े ले रहा था..

वैसे होना भी यही चाहिए, पति-पत्नी को एक दूसरे पर ज़्यादा रोक-टोक नही रखनी चाहिए, जहाँ जिसकी मर्ज़ी हो , वो वहां जाकर अपनी जवानी के मज़े लूट ले..

नाश्ता करके कुणाल फिर से सो गया, उसे दोपहर के लिए अपनी एनर्जी भी तो सेव करनी थी.

जब वो उठा तो 1 बजने वाला था, पायल भी वहां नही थी..वो उठा और शेव बनाकर, सॉफ सुथरे कपड़े पहनकर कोठी में आ गया..

वहां ड्रॉयिंग रूम में कामिनी और पायल बैठकर बाते कर रहे थे...
वो शायद अभी कुछ देर पहले ही आई थी..पायल उनके लिए किचन में चाय बना रही थी..

कामिनी उसे देखकर बोली : "आओ कुणाल, इन्हे तो तुम जानते ही हो, ये आज ख़ास तौर पर तुमसे वो ताश की ट्रिक्स सीखने आई है...ताकि दीवाली पर कुछ स्पेशल जलवा दिखा सके...''

जलवे वाली बात पर दोनो खिलखिलाकर हंस दी..कुणाल भी मुस्कुरा दिया..
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09-25-2018, 01:39 PM,
#29
RE: Antarvasna kahani जुआरी
तभी कामिनी उनके लिए चाय लेकर आ गयी

इंद्राणी : "क्या यार कामिनी, इतना बढ़िया मूड बनाकर आई हूँ और तुम चाय पीला रही हो...''

वो समझ गयी और कामिनी को चाय वापिस ले जाने के लिए कहा..

और कुणाल को कहा की फ्रिज में से ठंडी बियर्स निकाल कर ऊपर ले आए...

और वो दोनो उठकर उपर चल दी, कामिनी के बेडरूम की तरफ.

कुणाल भी बियर निकाल कर, उनकी मटक रही गांडो को देखता हुआ उपर आ गया...

दोनो को ठंडी बियर के ग्लास देता हुआ कुणाल जब जाने लगा तो कामिनी ने उसे भी बियर लेने को कहा और ताश भी लाने के लिए बोला.

और फिर अगले 15 मिनट तक कुणाल वहां बैठकर इंद्राणी को अलग-2 ट्रिक्स बताने लगा...
कामिनी ने तो कल रात वाली वो ट्रिक भी इंद्राणी को बताई जिसमे कुणाल ने ट्रेल बनाकर अपनी आस्तीन में छुपा ली थी...पर ये नही बताया की उस खेल की आड़ में वहां क्या-2 चल रहा था.

इसी बीच 2-3 बियर भी ख़त्म हो गयी...
हल्का-2 सरूर भी चड़ने लगा..
कामिनी की ज़बान और इंद्राणी की नज़रें भी बहकने लगी थी..

इसलिए कामिनी को मुद्दे की बात पर आते ज़्यादा देर नही लगी...

वो इंद्राणी को देखते हुए बोली : "और तुम्हे पता है इंद्राणी, ये मसाज भी काफ़ी अच्छी करता है...ही इस सो स्ट्रॉंग...''

इंद्राणी ने अपनी नशीली आँखो से कुणाल की बाजुओ को नापते हुए कहा : "ओ या, आई केन सी इट... तुम कितनी लक्की हो, जो कुणाल के हाथो की मसाज तुम्हे मिलती है...''

कामिनी : "अरे , इसमे क्या प्राब्लम है, ये तुम्हे भी मसाज दे सकता है... क्यो कुणाल...दोगे ना..मसाज..''

कुणाल हंस दिया, उसका लंड उनकी बकचोदी सुनकर पहले ही खड़ा हो चुका था...
वो बड़ी बेशर्मी से अपने लंड को अड्जस्ट करता हुआ बोला : "क्यू नही मेडम जी...आप जैसा कहेंगे, वैसी सेवा कर देंगे इंद्राणी मेडम की ...हम तो आपके हुक्म के गुलाम है...''

कामिनी इस वक़्त अपने आप को महारानी जैसा समझ रही थी जिसके पास कुणाल जैसा गुलाम था जो उसके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था.

और कामिनी के कहने मात्र से ही वो मसाज टेबल को तैयार करने लगा...
कामिनी एक कोने में रानी बनकर बैठ गयी और इंद्राणी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

इस तरह से किसी अजनबी के सामने अपने कपड़े उतारने में , और वो भी एक नौकर टाइप के इंसान के सामने, उस हाई सोसायटी की औरत को थोड़ी बहुत झिझक तो हो रही थी, पर बियर का सरूर और कामिनी ने जो बाते उसे बताई थी, उन्हे सोचकर इंद्राणी ने अपने कपड़े उतार दिए...
और कुछ ही देर में वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में उनके सामने खड़ी थी..



कुणाल ने देखा की उसका बदन तो कामिनी मेडम से भी ज़्यादा रसीला और गदराया हुआ था..
पता नही ये मंत्रियो की बीबियाँ किस चक्की का आता खाती है जो ऐसा जिस्म मेन्टेन करके रखती है.

जब वो मसाज टेबल पर लेटी तो कुणाल ने कामिनी की तरफ देखा, जैसे आगे बढ़ने के लिए उसकी परमिशन माँग रहा हो...
कामिनी ने मुस्कुराते हुए अपनी पेरमिशन दे दी...
वो अपनी सहेली को आज पूरी तरह से खुश करके भेजना चाहती थी.

कुणाल ने उन्हे लेटने को कहा, वो टेबल पर उल्टी होकर लेट गयी...

कुणाल जैसे ही स्पेशल तेल इंद्राणी के बदन पर लगाने के लिए आगे बड़ा, कामिनी बोल उठी

"कुणाल, पहले इनके अंडरगार्मेंट्स तो निकाल दे, कही ऐसा ना हो की खराब हो जाए...''

कुणाल तो कब से यही बोलना चाह रहा था...
उसने आगे बढ़कर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए...
उसके स्ट्रेप्स छिटककर अलग हो गये...
और शरमाती हुई इंद्राणी ने अपनी ब्रा निकाल कर साइड में रख दी..

और जब कुणाल उसकी पेंटी को उतारने लगा तो कामिनी फिर बोली : "इतने सिंपल तरीके से क्यो कर रहे हो कुणाल...बिना हाथ लगाए करो ना...''

कुणाल उसका मतलब समझ गया और इंद्राणी भी...
और उसका तो शरीर काम्प सा गया कामिनी की बात सुनकर...
साली दूर बैठकर मज़े ले रही थी...

कुणाल थोड़ा झुका और उसने अपने दांतो से उसकी कछी का कामिनीस्टिक अपने दांतो में दबा लिया..
और उसे धीरे-2 नीचे खींचना शुरू कर दिया...

कुणाल ने आज से पहले इतना एरॉटिक काम नहीं किया था और ना ही ऐसा दृश्य उसने अपनी आँखो के इतने करीब देखा था...
जैसे-2 वो उसके नितंबो से पेंटी को खींच कर उतार रहा था, उसका दरार वाला दूधिया चाँद उसकी आँखो के बिल्कुल करीब नंगा होकर प्रकट हो रहा था...
लोगो ने दूर आकाश में चाँद को निकलते हुए अक्सर देखा है पर कुणाल ने आज 2 इंच की दूरी से वो कारनामा देख लिया...
और इस चाँद को देखने का तो कोई मुकाबला ही नही था..बेदाग़ था ये वाला चाँद



और साथ ही साथ उसके नथुनों से एक चिर-परिचित सी गंध भी आ टकराई..
वो थी इंद्राणी की चूत से रिस रहे रस की...
वैसे तो हर चूत के रस की गंध अलग ही होती है पर कुणाल को इनकी अच्छे से पहचान थी...
वो तो गंध सूँघकर ही समझ गया की इसके रस का स्वाद खट्टा-मीठा होगा..
इतने सालो का एक्सपीरियेन्स जो था उसे चूत चाटने का..
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09-25-2018, 01:39 PM,
#30
RE: Antarvasna kahani जुआरी
इसी बीच कामिनी ने अपनी टांगे उपर कर ली, उसने इस वक़्त सिर्फ़ नेट वाला टॉप और लंबी सी स्कर्ट पहनी हुई थी, जिसके अंदर कुछ भी नही था...उसने अपना टॉप नीचे करके अपने कड़क बूब्स बाहर निकाल लिए और अपनी टांगे उठा कर उसने अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी और उसे मसलने लगी..



इस बीच कुणाल ने इंद्राणी की पेंटी पूरी उतार दी और फिर ढेर सारा तेल उसके नंगे बदन पर डालकर वो उसे मसलने लगा..
कुणाल जैसे ताकतवर हाथ उसने आज तक महसूस नही किए थे, उसके हाथो की ताक़त से वो उसके लंड की अकड़ का अंदाज़ा लगाने लगी... 

कुणाल ने धार बनाकर उसकी गांड में जब तेल डाला तो इंद्राणी ने सिसकारी मारते हुए अपनी चूतड़ हवा में उठा दी... मतलब सॉफ था की वो अंदर से उत्तेजित हो चुकी थी, कुलबुला रही थी वो कुछ करवाने के लिए..

कुणाल ने उसकी उभरी हुई गांड में अपनी मोटी-2उंगलियाँ उतार दी...
3 उंगलियाँ सीधा उसकी चूत में घुसती चली गयी और अंगूठा उसने उसकी गांड के छेद में डाल दिया..

वो कराह उठी...
उसकी मोटी उंगलियाँ मिलकर और अंगूठा अकेला ही , उसके पति के लंड से मोटे जो थे...

''आआआआआआआआआआआहह ....... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.... मररर गयी.....''

कामिनी बोली : "शाबाश कुणाल, ऐसे ही अंदर तक वाली मसाज करो मेडम की.... मेडम खुश हुई तो शायद तुम्हारी भी मसाज कर दे ...''

उसका इशारा कुणाल के लंड चूसने से था.

इंद्राणी से अपने लंड को चुसवाने की बात सुनकर वो दुगनी लगन से उसकी चूत और गांड को अपने हाथ की उंगलियो से चोदने लगा...

कुछ ही देर मे वो झड़ गयी....
सुबह से उसके जिस्म में जो सैक्सुअल टेन्षन बन रही थी वो सिर्फ़ एक मिनट में ही निकल गयी...

पर वो भी जानती थी की ऐसी टेंशन तो अभी कई बार निकलेगी उसके बदन से..

कुणाल ने उसे पलट कर सीधा कर दिया और पहली बार उसने उसके सैक्सी बूब्स को देखा...
वो काफ़ी बड़े थे...
करीब 38 साइज़ था उनका...
पर एकदम कड़क और उपर की तरफ मुँह था उनका...
कही से भी ढलक नही रहे थे वो...
लेटे होने के बावजूद वो काफ़ी मोटे लग रहे थे...
कुणाल ने जब तेल उसके शरीर पर डालना चाहा तो कामिनी एक बार फिर से बोली



''कुणाल, यहाँ भी हाथो का इस्तेमाल करे बिना मसाज करो ना... इंद्राणी को अच्छा लगेगा...''

बिना हाथ के मसाज तो सिर्फ़ होंठों और जीभ से ही हो सकती है....
कुणाल के साथ-2 इंद्राणी भी सुलग उठी ये सुनकर...

कुणाल ने मुस्कुराते हुए अपना चेहरा नीचे किया और अपनी मर्दो वाली आदत के अनुसार सीधा उसने अपना मुँह उसके निप्पल्स पर लगा दिया...

इंद्राणी ने जोरदार चीख मारते हुए अपना सीना हवा मे उठा लिया और उसके सिर को पकड़ कर अपने अंदर खींच लिया...

''आआआआआआआआआआययययययययययीीईईईईईई ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... फकककककककक''

शायद हर औरत की तरह उसके बूब्स ही उसका वीक पॉइंट थे...
कुणाल ने उसके निप्पल्स को जी भरकर चुभलाया और फिर दूसरे का भी उसने वही हाल किया.

फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उसके जिस्म की मसाज करता हुआ वो नीचे आने लगा और अंत में आकर जब उसने अपने खुरदुरे होंठ उसकी चिकनी चूत पर लगाए तो उसने किलकिलाते हुए उसका सिर ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबा लिया, जैसे चूत वाले होंठों के ज़रिए उसे अंदर निगल जाएगी...



कुणाल भी उसकी खट्टी-मीठी चूत को चूस्कर काफ़ी उत्तेजित हो गया और उसने अपनी पेंट और कच्छा एक ही झटके में उतार फेंका...

और चुदाई के लिए उसने कामिनी मेडम की परमिशन लेना भी सही नहीं समझा...
मौका ही ऐसा था की उससे सब्र नही हो रहा था अब...
कुणाल ने उसकी दोनो जांघे पकड़ कर टेबल के किनारे कर ली और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया...



''आआआआआआआआआआअहह ओह फकककककककककककककक..... मॅर गयी...''

इतना मोटा लंड जब अंदर जाता है तो ऐसी ही आवाज निकलती है...

इंद्राणी का भी यही हाल था...
उसने आज से पहले इतना मोटा और जंगली लंड अपनी चूत में नही लिया था...
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