RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
बाजी का दुखी होता चेहरा देख कर मैंने फ़ौरन कहा- अच्छा बाजी अब रोना-वोना मत शुरू हो जाना.. हम देख नहीं सकते लेकिन रात को सोने से पहले सोच तो लेते हैं ना.. अब अगर मूड ऑफ हो गया तो सोच भी नहीं सकेंगे।
‘वसीम तुम सचमुच बहुत ही बड़े वाले कमीने हो!’ बाजी ने हँसते हुए कहा और हमें ‘शब्बा खैर’ कहती हुई कमरे से बाहर चली गईं।
अगले ही दिन मैं अपने दोस्त रफ़ीक के पास गया और उससे कहा- यार रफ़ीक हम अपने रुटीन सेक्स से उकता गए हैं.. तुम कुछ और ऐसा बताओ.. जो ज़रा एग्ज़ाइटेड सा हो..
मैंने अभी तक रफ़ीक को ये नहीं बताया था कि मेरा सेक्स पार्ट्नर मेरा अपना ही सगा भाई है।
रफ़ीक बोला- यार तुम लोग थ्री-सम ट्राई करो.. इसमें तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.. मैं कामरान से बात कर लेता हूँ.. वो वैसे भी मुझसे बहुत बार तुम्हारे बारे में पूछ चुका है।
मैंने कहा- नहीं यार.. मेरा दोस्त इस मामले में बहुत केयरफुल है.. वो किसी तीसरे बंदे को कभी क़बूल नहीं करेगा।
मेरी बात सुन कर रफ़ीक कुछ सोचने लगा और कुछ देर बाद बोला- यार वसीम, तुम शाम में मेरे पास चक्कर लगाना.. मैं तुम्हारे मसले का कुछ हल निकालता हूँ।
रफ़ीक के बुलाने के मुताबिक़ मैं शाम में जब रफ़ीक के घर गया.. वो घर से निकला तो उसके चेहरे पर अजीब सी शैतानी मुस्कुराहट थी।
रफ़ीक ने मुझे एक शॉपिंग बैग दिया और मेरे चेहरे पर नज़र जमाए हुए बोला- तेरी सोच से ज्यादा मज़ेदार चीज़ दे रहा हूँ तुझे.. जा मजे कर।
मैंने शॉपिंग बैग को खोला.. तो मुझे हैरत का शदीद झटका लगा.. शॉपिंग बैग में एक डिल्डो (प्लास्टिक का लण्ड) रखा हुआ था। मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं और बेसाख्ता मेरे मुँह से निकला- ओ बहनचोद.. ये तुझे कहाँ से मिल गया..
रफ़ीक ने मेरी हालत से लुत्फ़अंदोज़ होते हुए कहा- तू आम खा.. गुठलियाँ गिनने के चक्कर में क्यों पड़ता है।
मैंने मिन्नतें करते हुए कहा- बता ना यार.. प्लीज़.. हो सकता है वहाँ से और भी मज़ेदार चीजें मिल जाएँ?
रफ़ीक बोला- तेरा दिमाग खराब है.. तू क्या समझ रहा है कि यहाँ कोई ऐसी सेक्सशॉप है.. जहाँ ऐसी चीजें मिलती होंगी।
मैंने कहा- तो फिर ये कहाँ से लिया तुमने?
रफ़ीक ने जवाब दिया- मेरी जान जितना टाइम मुझे हो गया है इन चक्करों में.. इतना टाइम तुझे हो जाएगा तो रास्ते खुद ही नज़र आने लगेंगे.. तू मेरे कज़िन सलीम को तो जानता ही है ना.. मेरा उससे भी ऐसा रिश्ता है.. वो 2 महीने पहले इटली गया था.. तो मैंने उससे कहा था कि वहाँ से ये चीजें ले आए.. मैंने उससे सेक्स डॉल का भी कहा था लेकिन ऐसी चीजें लाना इतना आसान नहीं है। वो मुश्किल से 3-4 डिल्डो ही ला सका है बस..
मैंने बहुत जज़्बाती लहजे में पूछा- तो बाक़ी और कहाँ हैं?
रफ़ीक बोला- वो सोलो एक्शन के लिए हैं तुम लोगों को इसकी जरूरत है.. ये तुम लोगों को ज्यादा मज़ा देगा।
रफ़ीक ने जो डिल्डो मुझे दिया था तकरीबन 17 इंच लंबा था। सेंटर में एक इंच की बेस थी और दोनों साइड्स तकरीबन 8-8 इंच लंबी थीं.. जिनके सिरे बिल्कुल लण्ड की टोपी से मुशबाह थे और मोटाई एक नॉर्मल लण्ड जितनी ही थी।
मैंने उससे अपने बैग में रखा तो रफ़ीक ने मुझे कुछ सीडीज़ भी दीं और मज़े लेते हुए कहा- जब इससे दिल भर जाए तो आकर मुझसे दूसरे ले जाना.. वो इससे ज़रा मोटे भी हैं.. और लंबे भी..
मैं वो लेकर घर आया और ज़ुबैर को दिखाया.. वो भी इससे देख कर बहुत हैरान हुआ और बहुत खुश भी हुआ।
हम दोनों ही ने कितनी मूवीज में ये देखा ही था और दोनों जानते थे कि इसको कैसे इस्तेमाल किया जाता है।
मैंने उसे अपनी अल्मारी में लॉक किया और हम दोनों ही बहुत बेताबी से रात होने का इन्तजार करने लगे।
रात को डेली रुटीन की तरह बाजी हमारे कमरे में आईं और अपनी बड़ी सी चादर.. स्कार्फ और क़मीज़ उतार कर सोफे के साथ रखी टेबल पर रखीं.. और सोफे पर बैठ गईं।
मैं और ज़ुबैर दोनों ही बाजी के सामने खड़े उनके चेहरे पर नज़र जमाए मुस्कुराए जा रहे थे।
बाजी ने हैरानी से हमें देखा और बोलीं- क्या बात है.. तुम दोनों यहाँ खड़े हो के क्यूँ दाँत निकाल रहे हो?
मेरे कुछ कहने से पहले ही ज़ुबैर बोल पड़ा- बाजी आज हमारे पास आपके लिए एक सरर्प्राइज़ है।
ज़ुबैर की बात खत्म होने पर मैंने कहा- बाजी आप चाहती थीं ना.. कुछ अलग सा हो.. जो हमारे खेल में कुछ एग्ज़ाइट्मेंट पैदा करे।
‘हाँ तो..?’ बाजी ने कुछ ना समझ आने वाले अंदाज़ में कहा।
मैं अपनी अल्मारी की तरफ गया और वहाँ से शॉपिंग बैग से डिल्डो निकाला और बाजी को दिखाते हुए कहा- तो ये है कुछ अलग सा..
जैसे ही बाजी की नज़र डिल्डो पर पड़ी उनका मुँह खुला का खुला रह गया। उनके मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकल रही थी। बस उनकी नजरें उस डार्क ब्राउन 17 इंच लंबे टू साइडेड डिल्डो पर ही चिपक कर रह गई थीं। बाजी भी अच्छी तरह से जानती थीं कि ये क्या चीज़ है.. क्योंकि हमारी तकरीबन सब ही मूवीज उन्होंने भी देखी ही हुई थीं।
चंद लम्हें इसी तरह बाजी डिल्डो को देखती रहीं और हम बाजी के खूबसूरत चेहरे के बदलते रंग देखते रहे.. फिर बाजी ने फंसी-फंसी आवाज़ में कहा- ये.. ये.. कहाँ से ले लिया तुमने वसीम..??
बाजी ने पूछा मुझसे था लेकिन नज़र डिल्डो से नहीं हटाई..
मैंने मुस्कुराते हुए हाथ सीने पर रखा और आदाब बजा लाने वाले अंदाज़ में थोड़ा सा झुक कर कहा- मैं अपनी इतनी प्यारी और हसीन बहन के लिए आसमान से तारे भी तोड़ लाऊँ तो ये तो बहुत हक़ीर सी चीज़ है।
‘नहीं.. सीरियसली प्लीज़.. मैं नहीं समझती कि इस किस्म की कोई चीज़ हमारे मुल्क में कहीं से मिलती होगी..’ बाजी ने बहुत संजीदा लहजे में पूछा।
‘मेरी सोहनी सी बहना जी हमारा मुल्क अब बहुत अड्वान्स हो गया है.. आप तसब्बुर भी नहीं कर सकतीं कि यहाँ क्या-क्या हो रहा है.. इन बातों को छोड़ो और ये देखो..’
मैंने ये बोल कर आहिस्तगी से डिल्डो बाजी की तरफ उछाल दिया.. जो सीधा बाजी की गोद में उनकी टाँगों के बीच जाकर गिरा।
बाजी कुछ देर तक नज़र झुका कर डिल्डो को अपनी टाँगों के बीच पड़ा देखती रहीं और उन्होंने बेइख्त्यारी से अपनी टाँगों को थोड़ा सा खोल दिया। शायद बाजी उस डिल्डो के टच को अपनी टाँगों के बीच वाली जगह पर महसूस करना चाहती थीं।
बाजी ने खोए-खोए अंदाज़ में आहिस्ता से अपना हाथ डिल्डो की तरफ बढ़ाया और अपने लेफ्ट हैण्ड की मुट्ठी में उसे थाम लिया और उठा कर अपना राईट हैण्ड की नर्मी से डिल्डो की पूरी लंबाई पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फेरने लगीं।
…
अच्छी तरह से पूरे डिल्डो को महसूस कर लेने के बाद बाजी ने बायें हाथ से डिल्डो को सेंटर से पकड़ा और दायें हाथ से डिल्डो को इस अंदाज़ में थामा जैसे हम मुठ मारते हुए लण्ड को पकड़ते हैं। उन्होंने नज़र उठा कर हमारी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए डिल्डो पर हाथ ऊपर नीचे करते हुए बोलीं- तो ये तरीक़ा है.. तुम लोगों के मज़े लेने का.. तुम लोग ऐसे ही हस्तमैथुन करते हो ना??
‘जी ये ही तरीक़ा है.. लेकिन अगर आप चाहो तो डिल्डो को छोड़ो.. प्रैक्टिकल के लिए असली चीज़ हाज़िर है..’ मैंने अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
‘जी नहीं.. मुझे कोई जरूरत नहीं प्रैक्टिकल की.. बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब का..’ बाजी ने नखरीले अंदाज़ में कहा और डिल्डो मेरी तरफ़ फेंक दिया।
बाजी ने अपनी टाँगों को थोड़ा सा खोला और अपने बायें हाथ से अपनी बायीं निप्पल को 2 ऊँगलियों की चुटकी में पकड़ते हुए थोड़ी सी टाँगें खोलीं और राईट हाथ को अपनी टाँगों के बीच वाली जगह पर आहिस्ता से रगड़ते हुए कहा- चलो अब जल्दी से शुरू करो.. मुझसे अब मज़ीद सब्र नहीं हो रहा है।
मैंने डिल्डो को अपने हाथ में पकड़े रखा और अपनी जगह से हरकत किए बिना ही कहा- मेरी सोहनी बहना जी.. आज का शो ज़रा स्पेशल है.. तो इसका टिकट भी ज़रा क़ीमती ही होगा ना..
‘अब क्या तक़लीफ़ है कमीने..?’ बाजी ने ज़रा गुस्सैल लहजे में पूछा।
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