Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:56 PM,
#42
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"उः, अभी नीचे मेरी गाड़ी के पास आ जाओ, मुझे कुछ ज़रूरी काम है तुम से.. आंड मेक इट फास्ट, फॅशन परेड नहीं जाएँगे, ट्रस्ट मी.." रिकी ने कहके फोन कट कर दिया और जल्दी अपनी गाड़ी की तरफ पहुँच गया. शीना ने भी जल्दी से अपना हुलिया ठीक किया और रिकी के पास पहुँच गयी... गाड़ी के पास जाके उसने देखा तो

रिकी गाड़ी में बैठा उसका ही वेट कर रहा था.. बिना किसी सवाल के शीना अंदर बैईः गयी और दोनो वहाँ से निकल गये.. जाना कहाँ था वो दोनो नहीं जानते थे,

इसलिए रिकी ने सोचा कहीं गाड़ी रोकने से बेहतर है कि चलती गाड़ी में ही बात की जाए



"शीना, यू नो, मुझे ज्योति से ज़्यादा तुम पे विश्वास है... तुम सिर्फ़ मेरी बहेन ही नहीं, मेरी दोस्त भी हो.. भले तुम क्वालिफिकेशन में ज्योति की लेवेल पे नहीं हो,

लेकिन फिर भी मैं जानता हूँ कि मैं अगर तुम्हे कुछ काम समझाऊ और करने के लिए दूं तो तुम मुझे निराश नहीं करोगी... क्या मैने सही कहा" रिकी ने शीना की आँखों में देख के कहा



"भाई, सबसे पहली बात मुझे ज्योति या किसी और के साथ भी कंपेर मत कीजिए, दूसरी बात, यस.. भले ही मैं खुद को निराश करूँ, लेकिन आप को कभी निराश नहीं कर सकती.. जो भी काम, जैसा भी काम, आप साथ में होगे तो मैं बखूबी उसे करूँगी..." शीना की बातों से ऐसा लग रहा था कि शायद वो समझ गयी है रिकी क्या बात करने वाला था आगे



"ओके शीना, एक काम करो, पुणे खोपोली हाइवे पे नोवोटेल का रिज़ॉर्ट है, चेक इट आउट... अब्ज़र्व करो वहाँ की हर अमिनिटी को, वहाँ आ रहे लोगों के क्लास को, वहाँ के इंफ़्रा को.. आंड हमारा रिज़ॉर्ट कैसा होना चाहिए वैसा एक लेआउट तैयार करो.. उसमे ग्रॅफिक्स की मदद से मुझे एक डमी पीस दिखाओ कि रिज़ॉर्ट कैसा होगा, कहाँ से
एंट्री, कहाँ से एग्ज़िट, कितने रूम्स.. हर वो चीज़ जो आक्चुयल में होगी, मुझे वो कंप्यूटर में देखनी है... क्या तुम कर पाओगी..." रिकी का ध्यान अभी पूरा रोड पे ही था, उसने जैसा सोचा था वैसा बिल्कुल नहीं हुआ.. उसे लगा शायद शीना उसकी बात सुन के शॉक होगी और कहेगी कि मैं यह सब कैसे करूँगी, वगेरह वगेरह.. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ..



"कर पओगि कि नहीं, जवाब तो दो यार, खामोश क्यूँ हो.." रिकी ने 2 मिनिट बाद फिर उसे कहा



"कर पाउन्गी ? मैने पहले ही कहा था ना कि मैं ज्योति की कंपॅरिज़न में नहीं आती.. मैने यह ऑलरेडी कर दिया है..." शीना ने जैसे ही यह कहा रिकी को अपने कानो पे विश्वास नहीं हुआ और अब उसे एक झटका लगा.. साइड में गाड़ी रोक के उसने फिर शीना को देखा



"व्हाआटततटटतत्त..." रिकी को शब्द नहीं मिल रहे थे आगे कुछ कहने के लिए



"यस, यह सब कर चुकी हूँ मैं.. और उस दिन सुबह को मैं आप सब को यही बता रही थी जो मेरा सर्प्राइज़ था, लेकिन शायद.." कहते कहते शीना रुक गयी और फिर

कुछ देर बाद बोली.. "एनीवेस, आप को जो भी चाहिए मैं कर चुकी हूँ, अब बस आप को और पापा को दिखाना है.. जैसे ही पापा देखेंगे उन्हे यकीन हो जाएगा कि उनकी अपनी बेटी भी कुछ कर सकती है.."



"और यह सब कब किया तुमने.." आख़िरकार रिकी को कुछ शब्द मिल गये



"उस दिन रात को आपको याद है जब मैं घर पे नहीं थी, और आप ने मुझे कितने फोन किए, मैं वो पूरा एक दिन मेरी एक आर्किटेक्ट फरन्ड है उसके साथ लोनवाला में बने डेला रिज़ॉर्ट में थी.. सुबह को निकल के हम वहाँ पहुँच गये और वहाँ की हर एक चीज़ को अपनी कॅमरा में कॅप्चर किया.. वहाँ कैसे लोग आते हैं, कौन्से महीने में सबसे ज़्यादा आते हैं और लोग क्यूँ आते हैं.. उन सब की रिपोर्ट बना दी है मैने.. और मेरी वो फरन्ड की मदद से हम ने ग्रॅफिकल लेआउट भी बना दिया है.

आंड चिंता नहीं करें भाई, डेला की कॉपी नहीं करेंगे हम.. जो हम ने सोचा है वो उससे भी अच्छा कॉन्सेप्ट है, जो बंदा रिलॅक्स होने आएगा वो रिलॅक्स होके आएगा और रिलॅक्स होके जाएगा.. बताइए, कैसी लगी मेरी प्लॅनिंग.." शीना ने अपनी बात ख़तम की, रिकी को उसपे यकीन नहीं हो रहा था.. रिकी उसे बस एक टक देखे जा रहा था



"सोचने के लिए किसी पढ़ाई की ज़रूरत नहीं है भाई, आंड ट्रस्ट मी.. आप से ज़्यादा मैं चाहती थी कि ज्योति इस प्रॉजेक्ट में ना रहे...' शीना ने फाइनली अपने ग्लासस चढ़ा लिए और खामोशी से आगे देखने लगी.. रिकी कुछ देर वहीं बैठे बैठे सोचने लगा और घर की तरफ गाड़ी मोड़ दी.. पूरे रास्ते में रिकी के दिमाग़ में सिर्फ़ दो वाक्य गूंजते रहे..



"जैसे ही पापा देखेंगे, उन्हे यकीन हो जाएगा कि उनकी बेटी भी कुछ कर सकती है..." और " आप से ज़्यादा मैं चाहती थी कि ज्योति इस प्रॉजेक्ट में ना रहे.."



औरत या लड़की, चाहे उपर उपर से कितना भी दिखाए कि वो बहुत अच्छी दोस्त हैं, या उनके मन में कोई ईर्षा की भावना नहीं है, लेकिन हक़ीक़त बिल्कुल विपरीत होती है.. रिकी को अब यह दिख रहा था, लेकिन इसमे दोष शीना का भी नहीं था, वो दरअसल अमर को दिखाना चाहती थी कि सिर्फ़ ज्योति में ही नहीं, उनकी अपनी बेटी में भी वो सब गुण है जो उसे सम्पुर्न बनाते हैं, लेकिन शीना कभी दिखा नहीं पाती.. इसलिए इससे अच्छा मौका उसे नहीं मिल सकता था, तभी तो उसने ज्योति से दो कदम आगे बढ़ के वो सब काम पहले ही कर लिया जो ज्योति खुद 2 महीने बाद करने वाली थी.. उसपर ना ज्योति और ना शीना को यह पता था कि अमर और रिकी की क्या बात हुई आज सुबह, इसलिए शीना को यह बहुत बड़ा अड्वॅंटेज था.. रास्ते में शीना बस यही सोचती रही कि अब ज्योति नहीं आएगी उसके और रिकी के बीच में,

लेकिन रिकी को डाउट था कि अमर मानेगा कि नहीं.. क्यूँ कि वो जानता था कि अमर ने एक बार कह दिया फिर वो खुद भी बदलता नहीं है.. कुछ देर में जब दोनो घर पहुँचे, रिकी ने शीना से उसका डाटा मँगवाया और अमर से मिलने चला गया जो अभी भी कान्फरेन्स रूम में बैठा था.. अमर के पास जाके रिकी ने उसे सब बता दिया

और उसे कन्विन्स कर लिया कि एक बार वो शीना की मेहनत भी देख ले... शीना जैसे ही रूम में आई, उसके हाथ में उसकी डिस्क थी.. अमर और रिकी के सामने आके शीना ने प्रोजेक्टर से अपनी डिस्क कनेक्ट की कि अमर ने उसे रुकने को कहा, और इंटरकम से सुहसनी, स्नेहा , राजवीर और ज्योति को भी बुला दिया.. करीब 5 मिनट में सब
आए और उन सब से अमर ने बात की.. सुहसनी काफ़ी खुश थी कि शीना ने बहुत ही अच्छे काम में अपना दिमाग़ लगाया, वहीं राजवीर और स्नेहा के चेहरे पे बिल्कुल भाव नहीं थे.. राजवीर को शायद इससे कोई फरक नहीं पड़ता क्यूँ कि अगर ज्योति यहाँ नहीं , तो कहीं और कुछ कर लेगी इतनी काबिल तो है वो.. स्नेहा उपर से नहीं दिखा रही थी लेकिन अंदर उसे एक बहुत बड़ा झटका लगा था, क्यूँ कि जो शीना ने उसे कहा वो उसने कर के दिखाया, और इसका मतलब अब आगे शीना स्नेहा के कहने पे नहीं चलेगी.. ज्योति एक कोने में खड़ी कुछ और सोच रही थी.. क्या, वो कोई नहीं जानता.. खैर, शीना ने जैसे ही प्रोजेक्टर ऑन किया, स्क्रीन पे जो आया वो देख के उसके साथ रिकी की आँखें भी फटी की फटी रह गयी.. शायद ही शीना और रिकी को कभी इतना बड़ा झटका लगा हो...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 03:56 PM

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