Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 05:00 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
मफ्क के साथ बैठने के चक्कर में जो मूड खराब हुआ था, उसको हवा कर दिया यह सोच के, कि मेरे फेव खिलाड़ी माइकल ओवन, राइयन टन्निक्लिफ, कार्लोस वेला, बेनिक अफोबी, इन सब को पहली बार सामने खेलते देख ज़्यादा मज़ा आएगा.. नज़र तो कुछ नहीं आ रहा था, लेकिन हर स्टॅंड पे कॉमेंटरी स्पीकर्स थे तो सब सुन सकते थे कि क्या चल रहा है फील्ड पे.. जैसे ही एमयू सिटी की टीम बाहर आई मैं खुशी से चिल्लाने और झूमने लगा, लेकिन मेरे आस पास सन्नाटा देख सारी खुशी गायब..


मैने सुना था कि इंग्लेंड में जब आप फुटबॉल देखें तो यह ज़रूर देख लें कि आप अपनी टीम के सपोर्टर्स के साथ हैं, क्यूँ कि अगर आपकी टीम जीतेगी तो कुछ नहीं होगा, लेकिन अगर विरोधी टीम के साथ बैठे और आपकी टीम जीती तो आपको भगवान ही बचा सकता है..




"आर्सेनल गॉना फक यू टुनाइट यू मदर फकर्स..." मेरी नज़रों से थोड़ी दूर एक गोरे ने दूसरे स्टॅंड के आदमी को जैसे ही यह कहा , वहाँ के सब लोगों ने उसे हाथ आगे कर पकड़ा और अपने स्टॅंड में खींचने लगे... एमयू सिटी और आर्सेनल के फॅन्स अलग अलग बैठे थे और एक दूसरे को खींच खींच के मार रहे थे




"मेरे तो लोड्‍े लग गये भाई.." मैने खुद से कहा और नज़र घुमा के देखा तो मेरे आस पास सब आर्सेनल के फँस ही थे..




"आर्सेनल गॉना किक युवर आस टुडे बिच.. जस्ट वेट न ., वी विल सी यू आउटसाइड दा स्टेडियम..." एक आर्सेनल के सपोर्टर ने चिल्ला के कहा और उसके साथी उसका साथ देने लगे.. इतने लोग, गोरे सब साले कम से कम 6 फुट के, उपर से सब साले हप्सी लग रहे थे, मेरी आवाज़ को ढूंढता हुआ मैं बोला




"नो नो.. आर्सेनल ईज़ वेरी गुड आइ मस्ट से.. बट एमयू सिटी ईज़ वेरी बॅलेन्स्ड यू सी... देयर टीम कॉंपोज़िशन.." मैं बेन्चोद उन्हे ज्ञान सिखाने लगा यह भूल के कि यह गेम उनका ही है,




"शट दा फक अप यू पुसी... यू वाना बेट, आर्सेनल टुनाइट.. इफ़ एमयू सिटी विन्स आइ पे यू 5 टाइम्स ऑफ युवर मनी.. बट यू हॅव टू प्लेस मिनिमम ऑफ 100 पाउंड्स.." एक बंदे ने तहेश में कहा और सब साथी उसके उसको शाबाशी देने लगे




"आइ आम सॉरी, आइ डॉन'ट हॅव मनी...." मैने कंधे झटक कहा




"सो ऑल दा बेगर्स आर कमिंग फ्रॉम इंडिया हाँ, यू शिट हेड.."




"तेरी माँ का बेन्चोद..." मैने ज़ोर से कहा और वॉलेट से 100 पाउंड्स निकाल के उसके सामने रखे..




"शो मे 500 पाउंड्स नाउ..." मैने इतनी तेज़ी से कहा कि उसके साथी थोड़े खामोश हुए लेकिन सब चिल्ला चिल्ला के उससे पैसे निकलवाने लगे




"देयर वी आर.. इफ़ यू विन शिट हेड, यू गेट ऑल दिस.. बी रेडी टू सक माइ कॉक यू पुसी..." उसने फिर गाली दी और मन मार के भी मुझे अपने गुस्से को शांत करना पड़ा और मॅच देखने लगे.. यह मॅच तय करने वाली थी कि मेरा यहाँ क्या होगा, और कैसे होगा....

"टंगगगगग...... टंगग्ग......... टंगग्गग......" 4 बार चर्च के घंटे की आवाज़ सुनी तब जाके मुझे होश आया और मेरी आँखें हल्की सी खुली..




"आआ....... औकछ......." जैसे ही मैने उठने की कोशिश की, एक दर्द की लेहर पूरे शरीर में दौड़ उठी..पलकें इतनी भारी थी, उन्हे उठने की कोशिश की तो ऐसा लग रहा था कि कोई भारी सा पत्थर उठा रहा हूँ.. जैसे ही बॉय को फिर उठाने की कोशिश की, फिर से जाके ज़मीन पे गिर गया




"ओह्ह्ह्ह... फक्क....." फिर से दर्द के मारे एक चीख निकली जिसे सिर्फ़ मैने ही सुना.. आँखें खोल के सामने देखा तो खाली सड़क और अंधेरे के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था.. हाथ को थोड़ा सा फेलाया तो वो जाके मेरे बॅग पे पड़ा.. थोड़ा हाथ और मारा और साइड पॉकेट पे रखी पानी की बॉटल महसूस हुई.. मरते मरते हाथ पानी की बॉटल पे रखा और उसे खींच के बाहर निकालने लगा.. आज तक पानी की बॉटल निकालने में इतनी मेहनत कभी नहीं लगी.. बॉटल को खींचा तो ऐसा लगा जैसे किसी भारी चीज़ को अपने पास खींच रहा हूँ.. पानी की बॉटल हाथ में आते ही, जल्दी से कॅप निकाला और जितना पानी था उसे पूरे चेहरे पे गिराया और चेहरे से बह चुके सूखे खून को सॉफ करने लगा.. जैसे जैसे पानी की बूँदें चेहरे पे गिरती, आँखों के साइड से मैं मेरे बहते खून को देख रहा था.. पानी की बॉटल ख़तम हुई तो जिस्म में हल्की सी जान आई जिससे मैने मेरे शरीर को उँचा किया और सड़क पे बैठ के मेरे लाल हो चुके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और हिम्मत बटोरने लगा




समझ नहीं आ रहा था कि मैं यहाँ कैसे, आस पास कोई आदमी नहीं, कोई बिल्डिंग नहीं, कुछ भी नहीं.. बस हर साइड हरे हरे पेड़ और तेज़ बहती हवा.. दर्द के मारे आवाज़ भी नहीं निकल रही थी, और आवाज़ निकलती भी, तो देता किसे ? 15 मिनट तक वहीं बैठ कर जितनी हिम्मत बटोरी, उसकी मदद से मैं अपने पैरों पे खड़ा हुआ और कड़ी हुई कमर को सीधा कर फिर इधर उधर देखने लगा लेकिन फिर से वोही दृश्य.. बॅग को उठाने झुका ही था कि फिर से वोही दर्द उभरा और फिर नीचे झुक बैठ गया... सोचा थोड़ा सा रो लूँ लेकिन शरीर में आँसू नहीं, पानी नहीं, सिर्फ़ और सिर्फ़ खून दिख रहा था.. खून के आँसू थोड़ी रोने हैं, मैने खुद से कहा और सोचने लगा यह सब हुआ कैसे..




"वी आर इन हाफ टाइम आंड मॅनचेस्टर युनाइटेड ईज़ स्टिल ट्रेलिंग बाइ 0-2 टू आर्सेनल.." कॉमेंटेटर के यह शब्द सुन मैं सोचने लगा कि मेरे यह 100 पाउंड्स भी गये.. बाकी के बचे 59 पाउंड्स से क्या करूँगा, और कल हॉस्टिल भी जाके फीस भरनी है..




"हे व्हाट ईज़ इट पुसी.. फक्ड युवरसेल्फ़ हाँ यू मदर फकर.." आर्सेनल के उस फॅन की आवाज़ थी जिसने मेरे साथ बेट लगाई थी.. अब एक तो मैं अकेला और उपर से पैसे भी नहीं थे, और हालत को बिगाड़ने में मॅनचेस्टर युनाइटेड ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी.. मैने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस अपनी टाँगें फोल्ड कर बैठ के सोचने लगा कि बाबा से मदद लूँ पैसों की या नहीं.. अगर बाबा से मदद नहीं लेता हूँ तो फिर यहाँ क्या करूँगा, यहाँ रहने के लिए नौकरी करूँगा, पर वो भी जब तक मिले तब तक क्या.. और नौकरी से थोड़ी सब खर्चे निकलेंगे, सिर्फ़ फीस निकाल के क्या करूँगा.. और यहाँ मज़दूरी थोड़ी करने आया हूँ, चूतिया ही होगा कोई जो इंडिया में अपना सब छोड़ के यहाँ मज़दूर बनेगा.. तो फिर क्या करूँ, बाबा ही आखरी ऑप्षन है.. लेकिन फिर खुद से किया हुआ वादा, कि मैं सब खुद करूँगा, उसका क्या होगा..




"भाई, अब आप ही बचा सकते हो.." मैं अपनी चेर से पीछे घुमा और एमयू के लगे पोस्टर को देख कहा




"देयर कम्ज़ युवर टीम अगेन पुसी.. बी रेडी टू गेट फक्ड बाइ अस टुनाइट.. हाहहहाआ.." उस बंदे ने फिर कहा और साथ ही पूरा स्टॅंड उसका साथ देने लगा.. बाजू वाले स्टॅंड में बैठे मॅनचेस्टर युनाइटेड के फँस भी यह सब देख रहे थे लेकिन कोई कुछ कर नहीं रहा था.. कोई करेगा भी क्यूँ, एक तो टीम हार रही थी और उपर से वो मुझे जानते भी नहीं थे, मैं उनका साथी नहीं था..




"देयर वी स्टार्ट आफ्टर हाफ टाइम.." कॉमेंटेटर ने यह कहा और हम सब फिर से गेम देखने लगे...




"देयर'स देयर फर्स्ट गोल.. यू कन्नोट अनडरएस्टीमेट एमयू अट देयर होम..." जैसे ही गोल हुआ, कॉमेंटेटर के साथ एमयू का होम ग्राउंड भी उनकी आवाज़ों से गूँज उठा.. मेरी ऐसी स्थिति थी कि मैं ना तो खुश हो सकता था और ना ही उदास.. आर्सेनल गोल करे तो भी शांत, एमयू गोल करे तो भी शांत... एमयू के पहले गोल से दिल में कोई खुशी नहीं हुई, दिमाग़ अब भी सोच रहा था कि पैसे कहाँ से करूँगा..




"डॉन'ट बी सो हॅपी पुसी.." उस फॅन ने फिर मुझे देख कहा और खुन्नस से देखने लगा.. मैं कहाँ खुश हुआ भोसड़ी के, मैं तो पैसों का हिसाब लगा रहा हूँ, तुम साले ना तो खुश होने देते हो, ना ही उदास.. कसम से, ऐसा माँ चोदुन्गा किसी दिन के सालों याद रखोगे.. "भाई, ठंड रख, वो साले 7 फूटिए, तू 5 11.. उपर से उनकी बॉडी देख, तू साला सिंगल पसली है, क्या खाक करेगा कुछ.." मेरे अंदर से फिर आवाज़ आई तो मैने सोचा सही है, शांत रहने में ही भलाई है.. स्टॉप . देखी तो अभी भी 30 मिनिट बाकी थे खेल के..




"आंड दे आर लेवेल नाउ... एमयू यू ब्यूटी..." कॉमेंटेटर फिर चीखा तो फिर से पूरा ओल्ड ट्रॅफर्ड गूँज उठा था.. इस गोल से दिल में एक उमीद पैदा हुई, कि बाकी एक और अभी भी खेल के 25 मिनिट हैं.. जैसे ही दूसरा गोल हुआ, पूरे ग्राउंड में एमयू के फन्स के गाने और शोर शराबा चालू हो गया, मेक्सिकन वेव्स, नाचना, झूमना, आर्सेनल के खिलाड़ियों के पोस्टर्स जला के उनकी मशाल बनाना, यह सब सीन्स बढ़ने लगे.. हाफ टाइम तक ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी शोक सभा में बैठा हूँ, लेकिन दो गोल्स ने जैसे एक अलग ही उर्जा पैदा कर दी थी पूरे स्टेडियम में.. मेक्सिकन वेव ज्यों ही हमारे स्टॅंड के नज़दीक आती, वो ख़तम हो जाती..




"जस्ट 10 मिनिट्स इंटो दा गेम आंड स्कोर्स आर लेवेल... आर वी हेयेडिंग फॉर आ शूट आउट हियर..." कॉमेंटेटर चिल्लाते रहे और स्टेडियम में बैठे एक एक आदमी की दिल की धड़कनें तेज़ होती.. हर एक खिलाड़ी जो गोल पोस्ट के नज़दीक पहुँचता वैसे वैसे फॅन्स की आवाज़ें भी तेज़ होती..




"स्टॉप इट.." हमारे स्टॅंड्स में लोग चीख उठे जब एमयू के खिलाड़ी गोल पोस्ट के नज़दीक पहुँचते.. गनीमत थी कि अगले 5 मिनिट में कुछ भी नहीं हुआ.. आखरी के 5 मिनिट और फँस ऐसे चीख रहे थे जैसे उनके किसी रिश्तेदार की जान दाव पे लगी हो..




"डॉन'ट लेट पुसीस विन यू शीत हेड्स...." आर्सेनल के फॅन्स मेरे बाजू वाले अपनी जान लगा के चिल्लाने लगे..




"दिस ईज़ गेटिंग क्लोज़ नाउ.. आलेक्स टू रूनी, रूनी टू गिग्ग्स... गिग्ग्स ईज़ मूविंग फॉरवर्ड नाउ, पास्ड टू रूनी अगेन.. स्किप्पर ड्रिब्बलिंग अराउंड, पास्ड टू आलेक्स अगेन.. आलेक्स ईज़ दा मॅन हियर फॉर एमयू, हियर'स रूनी अगेन.. नो मिड फील्डरर फ्रॉम आर्सेनल, दिस इस स्ट्रेंज, रूनी हॅज़ दा फील्ड एंप्टी.. ही किक्स इट आंड इट्स आ गूआलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल...." कॉमेंटेटर की यह चीख और फील्ड पे हो रही इस हरकत से एमयू के फँस की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.. हाफ टाइम के बाद 3-2 से लीड करना कोई छोटी बात नहीं थी, अब तक जो फॅन्स मार पीट में मचे हुए थे वो अब हाथ हिला हिला के नाच रहे थे , गा रहे थे और आर्सेनल के फॅन्स को गलियाँ.. वो तो बनती ही थी..




"एक्सट्रा टाइम..." कॉमेंटेटर ने कहा और खेल जारी रहा... 5 मिनिट से 4 मिनिट.. 4 से 2 और 2 मिनिट से 30 सेकेंड्स... जैसे जैसे घड़ी के काँटे आगे बढ़ रहे थे, हर एमयू के फॅन के दिल में बस एक ही आवाज़ थी... " नो गोल नाउ"...
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 05:00 PM

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