RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
अब उधर चलते है...
केविन: कुतिया मुझे पहले सोने दे... तू मेरे ऊपर आजा अपनी गांड में लंड लेकर बैठ जा... सचिन तेरी चूत में डालेगा...
भाभी: करना तो मुझे भी है पर डर लग रहा है... दो एकसाथ...
सचिन: भाई केविन तेरा घुसने के बाद चूत तो सुकड नहीं जायेगी इनकी? फिर मैं कैसे डालूँगा...
केविन: अबे चुत्ये ये चूत है चूत... और लड़की की है... गांड और चूत दोनों पैल दे... कोई फरक नहीं पड़ेगा...
भाभी: नहीं नहीं पड़ेगा आहिस्ता करना...
केविन: चुप मादरचोद... तू रंडी हो के बोल कैसे सकती है?
भाभी: अरे मालिक मैं तो बस थोडा घबरा रही हूँ... अभी ट्रिपल पेनेट्रेशन भी करना ही है... पर डर हो रहा है बता रही हूँ...
केविन: चल बक मत और आजा मेरे लौड़े पर...
भाभी मेरी चुदाई के बाद थकी हुई तो थी, पर ये आलम वो गुज़र ने नहीं देना चाहती थी... भाभी खड़ी हुई और केविन अपने पैर फैला कर लण्ड को हवा में ताने सो गया... भाभी का मुह केविन के और था...
केविन: अगर रंडी तू मेरी और देखेगी तो सबको मज़ा नहीं आएगा... घूम जा...
भाभी घूम गई और अपनी गांड को केविन के और कर के बैठ गई... केविन अपना लण्ड और भाभी अपनी गांड ठिकाने लगाने में व्यस्त थे और बाकि के भाभी के मम्मे मसले जा रहे थे... कुमार तो अपना लण्ड निकाले भाभी के मुह में अपना घुसाने में लग गया... पर भाभी इन सबका ख्याल रख रही थी अच्छे से... भाभी को गांड में लण्ड लेने में तकलीफ जरूर हो रही थी... पर एक उत्साह था मन में वो करने के लिए धीरे धीरे गांड में लंड समा लिये केविन पर अपनी गांड टिका के बैठ गई... अब पूरा लण्ड भाभी की गांड में था... और केविन ने भाभी को ऊपर खीच लिया.... भाभी की गांड थोड़ी स्ट्रेच हुई तो आउच करके केविन की छाती पर अपनी पीठ टिका दी... अब केविन हल्का हलका लण्ड अंदर बाहर कर रहा था और कुमार का तो लण्ड बाहर निकल जाने की वजह से गुस्सा होके भाभी के मुह पर चमात मारते हुए गाली बके जा रहा था...
कुमार: छिनाल कही की, तुजे डीप थ्रोट देना पड़ेगा...
कुमार तुरंत ही भाभी के मुह को पीछे से निचा कर दिया मतलब के केविन के कंधे से निचे और पीछे से भाभी के मुह में लण्ड घुसाने लगा... भाभी का मुह थोडा जैसे निचा गया के भाभी की छाती और ऊपर बड़े बड़े स्तन ऊपर उछल पड़े... राजू ने इसका फायदा उठाते हुए भाभी के मम्मे के बिच अपना रख के भाभी के स्तन से अपने लण्ड को भीच के निप्पल को पकडे हुए करने लगा... भाभी के ऊपर ही बैठ कर वो ऐसी चुदाई करने लगा... अब सचिन ये सब देख रहा था और उनके पास एज छेद पड़ा था घुसाने को... पर ये सब पहली बार हो रहा था सब के लिए...
केविन: मादरचोद मेरी रण्डी ज़रा एक लौड़े का इंतेज़ाम करना है... चूत को फैलाओ ज़रा सा...
भाभी के मुह में लण्ड ठूसा था तो वो तो जवाब देने से रही.... पर उनके हाथ राजू के पैरो के आसपास से निकाल के निचे गए और फिर भाभी ने अपनी चूत थोड़ी फैलाई... सचिन ने चूत पर अपना लण्ड रख्खा... और धीरे धीरे चूत के होठ पर लण्ड का टोपा रगड़ रहा था... भाभी से शायद रहा नहीं गया और लण्ड को पकड़े चूत के छेद पर लण्ड घुसा कर सचिन के पैरो को खिचने लगी... सचिन ने भी फिर हल्का धक्का मार के चूत में लंड का टोपा घुसा दिया...
सचिन: भाभी आपके लंड होने का अहसास हो रहा है...
केविन: देख जब हम इसे रगड़ना चालू करेगे तब हमारे इस लण्ड को जो प्रेशर मिलेगा... आह.. चल घुसाना अभी इनको रगड़ना भी है... भाइओ एकसाथ वीर्य निकालेंगे ओके?
सचिन ने जोर से और एक धक्का मार के लण्ड का चूत से मिलन करवाया... केविन भाभी को गले से पकड़ करके कुमार के लण्ड को महसूस कर रहा था शायद...
सब अब अपनी जगह पर सैट हो चुके थे... अब टाइम था... गाडी को पटरी में लेके पैल ना... अब स्लो मोशन का टाइम गया.. सब ने रफतार बढ़ा दी... भाभी के मुह में कुमार का लण्ड, कुमार के हाथ भाभी के सर पर ताके अच्छे से सेट कर के लण्ड को गले के अंदर तक पैल सके... भाभी में मम्मे राजू चोद रहा था... निप्पल को राजू खिचे हुए लण्ड को छाती पर चला रहा था... भाभी की गांड में केविन का लण्ड और भाभी के हाथो में उनके हाथ फंसे थे... सचिन का लण्ड भाभी की चूत में और भाभी के पैरो उनके हाथ में थे... तकरीबन ऐसे ही चारो जन अलग अलग जगह बदलते हुए बिस मिनिट तक चोद चोद कर थक गए पर भाभी के चहेरे पर सिर्फ ख़ुशी... सब एक के बाद एक करके चूत में ही जड़े क्योकि सबको चूत मैं ही जड़ना था...
सब भाभी के इर्द गिर्द पड़े हुए थे... भाभी पसीने से लथपथ थी... पर चहेरे की ख़ुशी कुछ अलग ही बयान कर रही थी... साली की चूत में इतनी गर्मी? के अभी भी थकी नहीं थी... चारो पे वो भारी पड़ी थी... चारो लोग थक गए थे... पर भाभी... बिच में खड़ी हुई...
भाभी: समीर, तू आ रहा है क्या?
मैं: नहीं भाभी अब खाना खाने के बाद...
भाभी: तो मैं किचन जाती हूँ इन दोनों को लेकर... हम लोगो अब मस्ती मारेंगे... हम? आएंगे ने आप?
भाभी मादक अदाओ से रामपाल और तेजसिंह को बुला रही थी... दोनों जीभ बाहर निकाले कुत्तो की तरह देख रहे थे... भाभी गांड मटकाती हुई बाहर निकली और वो दोनों पीछे पीछे उनके निकल गए... मेरे दोस्त पलंग पर पड़े थे और मैं किचन में गया देखने के क्या पक रहा है वहा...
भाभी: रामपाल जी और तेजसिंह जी ... आप खाना बना लिए हो?
रामपाल: आप आप मत करिए न... तू से ही बुलाइए न? मुझे रामु...
तेजसिंह: और मुझे तेज...
भाभी: हा हा हा ठीक है... तो मुझे भी आप आप मत करिएगा... भाभी ही बुलाना, गाली देने का मन करे तो दे देना... मन में कुछ मत रखना...
तेज: जी भाभी.... वैसे हमारी बारी कब आएगी?
रामु: फिर तो आप थक जाएगी...
भाभी: हा हा हा ... टेंशन मत लो... मैं थकाने में माहिर हूँ... थकती नहीं... नहीं देखा क्या मुझे पलंग पर... चार चार जवान लंड कैसे चित कर दिए....
भाभी पसीने से पथपथ थी... भाभी किचन में जाके पहले अपने हाथ धोए... और फिर खाने का सामान देखने लगी... सब रेड़ी हो कर ही भाभी की चुदाई देखने आए थे... वो तो भाभी चुदने मिलने वाली थी इसीलिए नंगी खड़ी थी फिर भी दोनों चुपचाप देख रहे थे...
भाभी: सब रेड़ी तो है... तो मेरा क्या काम है?
रामु: भाभी वो थोडा मस्ती करनी थी...
तेज: ज़रा हलके होने में मदद करो ना...
भाभी: हा हा हा... इसीलिए कहूँ के मामला क्या है.... पर मैं तुम लोगो के साथ कुछ अलग करना चाहती हूँ... क्या बस ठुकाई ही करना चाहते हो? शादी हुई है किसी की?
तेज: अरे शादी नहीं हुई है हम में से किसी की पर शादी मनाई काफी बार है... पर ऐसी शादी नहीं कभी नहीं मनाई जो सामने खड़ी है...
रामु: अब रहा नहीं जा रहा थोडा तो रहम कर दो... क्या अलग करने वाली है तू?
भाभी: वो सिर्फ मुझे पता है... चलो अभी खाना परोसना है...
तेज: कुछ कपडे पहन लो... वर्ना तुजे कोई खाने नहीं देगा...
भाभी: पहन तो लूँ... पर नंगी ही करेंगे बाद में... खाना खाने के टाइम ये कोई वैसे भी शांति से नहीं बैठेगा...
सब हँसने लगे... पर भाभी को एक मस्त एप्रन ये दोनों नौकरो ने दिया... जो लाल रंग का था... भाभी के गोर बदन पर जच रहा था... भाभी ने पहन लिया... तो पीछे से पूरी नंगी... और आगे से मम्मे ढके हुए थे...
रामु: भाभी मम्मे बाहर रख्खो न...
भाभी: तूम लोग को जो करना है आके कर दो... कभी ये कभी वो...
एप्रन से हलके से एक मम्मा बाहर निकाल लिया... भाभी के मम्मे को हल्का सा दबा के निप्पल को चुपके से छु लिए... दोनों भाभी को छूने का कोई भी चांस नहीं छोड़ रहे थे...
भाभी: नंगी ही तो रख्खी हे मुझे... क्या ढका है इसमें? अब ठीक है? खाना गरम करू? सब छुने के बहाने है... जानती हु... आएगी सब की बारी आएगी सबर करो...
और सब हँसने लगे... गरम भाभी खाना गरम कर रही थी, और वो भी सबके बिस्तर गरम करते हुए... कुछ नज़ारा ऐसे दिख रहा था...
|