RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
बड़ी मुश्किल से में शांत हुआ... पर फिर भैया ने जब मेरे कंधे पर हाथ रखके मुझे सहलाया तो मुझे थोडा अच्छा लगा...
भैया: छोड़ ये सब बातो को... मज़े किये न?
मैं: ह्म्म्म
भैया: बस ह्म्म्म? के हा.. आखिर मेरी बीवी है...
मैं: हा हा हा... हा किये मजे...
भैया: तो और करना है, वो अब हमारा जॉइंट वेंचर है...
हम दोनों हस पड़े...
भैया: चल बाहर... और खुल के बात करे....
हम बाहर गए... भाभी बैठी थी और हम तीनो ने खुल के बात की...
भैया: देखो अब डरो मत, सबको सब पता है, और जो भी हुआ है मेरी मरज़ी से हुआ है...
मैं: ह्म्म्म पर गलत हुआ है...
भैया: नहीं नहीं गलत कुछ नहीं है... कीर्ति के लिए सोचो जिस दौर से गुज़र रही है, उसे हमारी ज़रूरत है... इसका मतलब वो बदचलन नहीं है... पर थोड़ी मुसीबत में है... जिसका हम साथ दे रहे है...
भाभी: थेंक यु राहुल.... (आँखों में नमी थी)
भैया: तुम्हें हररोज़ ऐसा होता है? या हरवख्त?
भाभी: वो....
भैया: (माहोल को हमारी बातो को के अनुसार बदला ता के हम थोडा खुल सके) देख डर मत अभी भी बोल रहा हूँ... तू डर रही है यही बता बता रहा है की, तुजे शरम है तू जानती है के गलत क्या है और सही क्या है... पर समीर ऑलरेडी तुजे चोद चूका है, तेरे बदन के साथ एकसाथ चार चार लोग ने मज़े किये है... तो फिर मैं के जो तेरा पति हु... और मुझे पता चल गया है, और मुझे तेरी फिकर है इसलिए मेरी मंजूरी भी है... तो फिर डर किस बात का? मैं तो मेरे होनेवाले पार्टनर को तेरा तौफा देने वाला था... पर तूने खुद इंतेज़ाम कर लिया... तो फिर वो नहीं हो पाया... केविन के एक दूसरे क्लाइंट को भी किसी जगह भेज दिया और मैंने भी अपने दोस्त को किसी और जगह भेज के बात निपटा दी... चल मेरी रानी तू तो भूखी ही रहेगी... पर हमे खाने की भूख लगी है... चल बाहर जाते है खाना खाने... तुम लोगो का डर हटाता हूँ... मुझे भारी भारी माहोल नहीं चाहिए... मुझे आप लोग मज़े किये है वैसे मज़े करने है... पर चल समीर पहले मीटिंग होकर आते है... आज है न?
भैया ने ही ये सब ऑर्गनाइज किया था अब, तो हमे भी पता था... मैं और भैया मीटिंग में गए और भैया ने भाभी को तैयार होने के लिए बोला...
भैया: चल हम दोनों मीटिंग हो के आते है, तब तक तू तैयार हो के आ... अगर कल की तरह नंगी आना चाहती है तो भी मुझे फरक नहीं पड़ता... जैसे तेरी मर्ज़ी... वैसे मैं कुछ कपड़े लाया हूँ तेरे लिए, मेरी बेग में है देख ले... अगर पहनने हे तो.... हा हा हा हा...
भैया और थोडा खुल के आगे जाकर भाभी के मम्मे को मस्त दबाया मेरे सामने.... ब्लाउस के ऊपर ही निप्पल के दाने को सहलाते हुए...
भैया: ये साली के मम्मे बहोत अच्छे है... निप्पल पर रिंग डलवाना चाहती थी... किया की नहीं?
भाभी: वो दरअसल...
भैया: हां हा पता है पता है... समीर ने ही सब कार्यक्रम ख़राब कर दिया... पुर तू चीज़ भी तो है ऐसी की तुजसे मज़े करने के लिए मरे जा रहा है... चल समीर हम निकलते है...
हम मीटिंग में गए और भैया के प्यादों के अनुसार सब ने बबलू के काम की निंदा उनके कंपनी के मेनेजर के सामने की और और उनका तबादला करवा दिया किसी दूसरे ही शहर में... उसे सुबह सुबह ही जाने को बोल दिया गया.... मैं और भैया बाते करते हुए... वापस घर आने के बजाये भैया मुझे लेकर गए सैर पर
भैया: चल बाहर एक चक्कर लगा के आते है...
मैं: ठीक है भैया...
भैया: लिफ्ट में भी नंगी थी तो तब कुछ किया के नहीं?
मैं: में वो भैया...
भैया: देख अब प्लीज़ चुप होगा तू? बिंदास बोल...
मैं: ह्म्म्म ठीक है... हा लिफ्ट को ऊपर तक जाकर निचे तक आते थे और मज़े करते थे...
भैया: वाह, मुझे भी करना है ऐसा... आज करूँगा... मुझे भी बताना जो तुम लोगो ने किया है और मैंने नहीं किया...
मैं: ओके....
भैया: आज जो भी कुछ होगा... तेरी भाभी जो चाहेगी ऐसा ही होगा ठीक है? तू फिर भी मर्द है ये सब भूल जायेगा और तेरी भाभी के ऊपर चढ़ जायेगा... पर औरत थोडा ज्यादा सेंसिटिव होती है... तो उसे खोलना पड़ेगा... वैसे तो खुल ही चुकी है कई लोगो के सामने पर मेरे सामने उसे सबके साथ खुलते हुए देखना है... हा हा हा हा
मैं भी हस पड़ा....
मैं: भैया आपको बुरा नहीं लगा न मैं मेरे दोस्त और...
भैया: अनजाने ही सही तूने मदद ही की है... कीर्ति की मदद करना थोड़ी मुश्किल है... पर उसके लिए उनको मैं उन्ही की नज़रो से गिरा नहीं सकता...
मैं: ये सब रिपोर्ट आपको कैसे पता चले?
भैया: एक्चयूलि मैं कीर्ति को.... ह्म्म्म्म चल तुज से क्या छुपाना... कोई रिपोर्ट नहीं है... कीर्ति बेड पर जिस तरह मुझे उकसाती थी उसे कितनी भी बार ऑर्गेसम करवाओ वो थक जाए तो भी साथ नहीं छोड़ती थी... मुझे सच में अजीब लग रहा था... अपन का कैसा के एक बार हिला भी ले तो भी दो तिन घण्टा राहत मिल जाए... लड़की हो तो दो तिन घंटे में दो या तिन बार... आम ज़िन्दगी में यही होता है... दर्द होता है भाई... पर एक दिन मैंने गेलेरी में तुजे देख लिया... कीर्ति ने ही तुजे बुलाया था ये शक था क्योकि कीर्ति की नज़र भी बाल्कनी में गई थी मैंने देख लिया था... तुम दोनों के बिच कुछ चल रहा है पता चल गया था... कीर्ति ने पडदे बंद नहीं करवाए तब ही में समझ गया था के दाल में कुछ तो काला है... उसकी भूख मुझे थोड़ी अजीब लग रही थी... पहले लगा मर्दों के लिए वायेग्रा होती है ऐसी दवा वो भी लेती होगी... पर ये नहीं था... मुझे मेरे एक डॉक्टर फ्रेंड से मिलने का प्लान किया... मुझे बच्चे के लिए सोचना था... साथ साथ सब उनसे बात कर लूँ... चेकप के बाद मैं डॉक्टर को अकेले मिला... वो मेरा पुराना स्कुल मित्र है... अरे तू जानता है उसे डॉ. सुरेश...
मैं: हा हा हा सुरेश भैया...
भैया: हा वही... तो मैंने उनसे खुल के बात की... मैंने कीर्ति की भूख के बारे में बताया... तो उसने भी चेकप के दौरान हुए अनुभव के बारे में बताया के नॉर्मल चेकप के दौरान भी कीर्ति पानी पानी हो गई थी... तो उसने मुझे इसके बारे में बताया... कुछ दिन ऑब्सर्व किया तो मुझे उनकी बात सच लगी... मैं दुखी होते उनसे वापस मिला, और तलाक के बारे में बात की... पर उन्होंने ही रोक के रखा मुझे और समजाया के कोई लोग होते है जो इन सब चीज़ों से अनजान होते है और औरत की भूख को नज़र अंदाज़ करते है... औरत की नज़र से देखो.... चल उनको छोड़... नंगी औरत को देख के तेरा लण्ड नहीं खड़ा होता? कोई गोरी औरत देख हमारा दिमाग सुन्न हो जाता है... तो ये तो तेरे साथ भी तो होता है... तो तुजे भी पनिशमेंट मिलनी चाहिए...! पर हम मर्द लोग ये नहीं करते... तू अगर दूसरी औरत भी लाएगा तो क्या गैरंटी है की वो एकदम सुशिल होगी? औरत हो सकता है की बहोत धार्मिक निकल गई तो तुजे चूत नसीब भी नहीं होगी तो तू ही फिर उसे कोसेगा... जो हो रहा है होने दे... बदनाम होकर घर गृहस्थी उजाड़ ने अच्छा है के उसे बचा के घर को बेआबरू होने से बचा... और मुझे ये बात सही भी लगी...
मैं: चिंता मत करो हम सब आपके साथ है...
भैया: ह्म्म्म गलत हो भी रहा है और नहीं भी बस देखने के नज़रिए की बात है... अच्छा एक बात बता? कैसा लग रहा है?
मैं: सब सपने जैसा लग रहा है... आपसे थोडा डर भी लग रहा है और थोडा अच्छा होने का प्रयास कर रहा हूँ...
भैया: अभी तो हम बाहर जाएंगे और खूब मज़े करेंगे... दोनों भाई मिलके चुदाई करेंगे? क्या करेंगे?
मैं: मिलके...
भैया: मिलके क्या?
मैं: मिलके.... वो चुदाई करेंगे...
भैया: ह्म्म्म... डर मत.... गाली नहीं बोलता तू चुदाई के दौरान?
मैं: बोलता हूँ न...
भैया: तो बस आज से हम दोस्त है जब भी कीर्ति के साथ है हम बस दोस्त है... बाकी लोगो के लिए भले जो है पर हमारा राज़ हमारे पास ही है... ठीक?
मैं: ह्म्म्म्म चलो भैया रंडी हमारी राह देख रही होगी...
भैया: अय शाबाश... अब आया न लाइन पर...
मैं: वैसे भैया आज का क्या प्रोग्राम है?
भैया: आज का प्रोग्राम कुछ नहीं है... पर जो कीर्ति बोलेगी वही होगा... आज उसकी हर दबी वासनाओ को बाहर निकालना है... हमे भी तो पता चले के उसमे अभी कितनी वासना बची है? साली क्या क्या करती है? अब न मुझे भी थोडा थोडा मज़ा आ रहा है... उसको दुसरो से चुदवाने को देखने को उत्सुक हूँ...
मैं: हा हा हा भैया वो तो कुछ अलग ही मज़ा है... मैंने देखा है रंडी को... बिस्तर पर तो वो क्या मज़े देती है... चार चार जन को भी वो पूरा संभाल लेती है... वो अकेली को एक लण्ड काफी नहीं है...
भैया: ह्म्म्म सही कहा... चल वो मादरचोद रेड़ी हो गई होगी.... उसके जलवे देखते है... मस्त रात भर दोनों मिलके चुदाई करेंगे और कोई मिल गया तो चुदवा भी लेंगे....
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