Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
09-17-2018, 01:17 PM,
#41
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
…” खाना बना लिया है आप ने….” राज ने लेटे -2 भाभी की ओर देखते हुए कहा….

भाभी: हां बन गया है…..(भाभी ने रूखे स्वर मे कहा)

राज: क्या हुआ नाराज़ हो आप मुझसे…

भाभी: क्यों मैं क्यों तुमसे नाराज़ होने लगी….

राज: तो फिर आप ऐसे रूखी-2 बात क्यों कर रही हैं….

भाभी: (राज के पास आकर चटाई पर बैठते हुए) कहाँ थे इतनी देर…

राज: बताया तो था कि अंकल के घर जा रहा हूँ…फिर रास्ते मे दोस्त मिल गया और उसके साथ उसके घर चला गया था….

भाभी: तुम्हे ज़रा भी फिकर है किसी चीज़ की….कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी…

राज: मेरा इंतजार वो क्यों…?

भाभी: देखो राज सर ने बड़ा भरोसा करके तुम्हे हमारे पास रहने के लिए भेजा है….इसलिए तुम्हारी चिंता हो रही थी और कुछ नही…

राज: पक्का ना और कुछ नही…..

भाभी: और क्या…? कम से कम बता तो देते कि लेट आउन्गा….

राज: भूल गया था….

भाभी: भूल गये थे…जाओ मुझसे बात ना करो…

राज: आप तो ऐसे नाराज़ हो रही है….जैसे कोई लड़की अपने बॉय फ्रेंड से होती है.. और इतने सवाल तो कोई पत्नी भी अपने पति से नही करती…

भाभी: (नाराज़गी का ढोंग करते हुए) बकवास बंद करो अपनी….कम से कम फोन तो कर ही सकते थे….आज के बाद ऐसा दोबारा नही होना चाहिए…जहाँ भी जाना हो मुझे बता कर जाना पड़ेगा….

राज: अच्छा मॅम एक बात बताओ…क्या आप मेरी गर्ल फ्रेंड है….

भाभी: नही क्यों….

राज: पत्नी हो मेरी….

भाभी: नही….

राज: हमारा कोई अफेयर है…?

भाभी: नही पर तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो….मैं नीचे जा रही हूँ…मुझे नही करनी तुमसे कोई भी बात….

राज: वो इसलिए ऐसा हक़ यही तीनो जमाती है अपने आशिक़ पर….और आप भी मुझ पर ऐसे ही हक़ जता रही हो….

भाभी: अब ना राज तुम पिटोगे मेरे हाथों से….(भाभी ने दूसरी तरफ फेस करके शरमा कर मुस्कुराते हुए कहा….)

राज: ठीक है फिर आगे से मुझे किसी काम के लिए टोकना मत…और अगर टोकना है तो मुझे कोई वजह देनी होगी कि तुम मुझ पर किस लिए ऐसे हक़ जता रही हो….

भाभी खड़ी हुई और सीडीयों की तरफ जाने लगी…..”कुछ तो बोलती जाओ मेडम जी…” 

भाभी ने पलट कर राज की तरफ देखा और फिर नीचे सर झुका कर मुस्कुराते हुए बोली. “रात को वजह भी बता दूँगी….” ये सुनते ही राज के बाबूराव ने उसके शॉर्ट मे ज़ोर से झटका खाया….

रात के 10 बजे सब खाना खा कर फ्री हो चुके थे…राज खाना खा कर फिर से ऊपेर छत पर आ चुका था….और चटाई पर लेटा हुआ था…नीचे भाभी अपने प्लान के आख़िरी पढ़ाव पर थी….भाभी ने भैया के लिए दूध एक ग्लास मे डाला उसमे ढेर सारा मीठा सरबत डाल दिया..और फिर एक टॅबलेट पीस कर उसमे मिला दी….और भैया को दूध देने के लिए उनके रूम मे चली गयी….भाभी ने भैया को दूध दिया..और उनके पास बैठते हुए उनसे बातें करने लगी….

जब तक भैया ने दूध का ग्लास खाली नही कर दिया…भाभी वहाँ से नही हिली…फिर भाभी ने ग्लास लिया और किचिन मे आ गयी….तभी राज भी नीचे आया…भाभी किचिन के विंडो से उसे देख रही थी…राज पहले अपने रूम मे गया और फिर अपना टवल लेकर बाथरूम मे चला गया…और शवर लेकर फ्रेश शॉर्ट्स और टीशर्ट डाल कर ऊपेर चला गया….

भाभी ने बर्तन सॉफ किए….और फिर शवर लेकर शॉर्ट नाइटी पहन ली…भाभी ने सभी डोर क्लोज़ किए….और मेरे रूम की चाबी लेकर ऊपेर आ गयी….भाभी ने आज ब्लॅक कलर की शॉर्ट नाइटी पहनी हुई थी…..जिसमे से उसके नेट के कपड़े से उसके 34 फ साइज़ के मम्मे ऊपेर से सॉफ दिखाई दे रहे थे….हालाँकि ऊपेर अंधेरा था….कोई लाइट ऑन नही थी….पर फिर भी भाभी का गोरा जिस्म चाँद की रोशनी मे चमक रहा था… राज की आँखे भाभी के इस रूप को देख कर खुली की खुली रह गयी….

भाभी ने ऊपेर आकर मेरे रूम का डोर खोला और अंदर की लाइट ऑन की, और फिर अंदर कीस रख कर बाहर आकर राज के पास चटाई पर बैठ गयी…”क्या बात है…आज ऊपेर सोने का इरादा है…? “ भाभी ने राज की ओर देखते हुए कहा….

.”हां सोच तो यही रहा हूँ….कि आज यही सो जाउ…..आप भी बाहर सोने वाले है….”

भाभी: नही मैं तो डॉली के रूम से कुछ समान लेने आई थी…..मैं तो नीचे जाकर ही सोउंगी…

राज: आज यही सो जाओ ना,……

भाभी: क्यों….?

राज: वैसे ही मैं कह रहा हूँ ना…..

भाभी: अच्छा मेरे ऊपेर हक़ जता रहे हो….और अपनी बार जब पूछा तो कि कहाँ गये थे….तब बड़ी-2 बातें बना रहे थे…….

राज: अच्छा तो मेरे इतना कहना का भी हक़ नही है….?

भाभी: नही…..

राज: तो फिर थोड़ा सा हक़ हमें भी दे दो आंटी जी….

भाभी: हक़ तो खुद बनाना पड़ता है……

राज: अच्छा अब मुझे अपना हक़ खुद साबित करना होगा इसका मतलब…..?

भाभी: हिम्मत है तो साबित करके दिखा दो…..

भाभी ने शरारती मुस्कान के साथ राज की तरफ देखा और फिर उठ कर मेरे रूम की तरफ जाने लगी….रूम के डोर पर पहुँच कर उसने एक बार फिर राज की तरफ देखा और फिर रूम के अंदर चली गयी…..राज के लिए भाभी की ये बात सीधे-2 एक चॅलेंज थी…राज जान चुका था कि, भाभी उसके साथ शब्दों का खेल खेल रही है. अब राज ने इस खेल को उसके अंज़ाम तक पहुँचाने का फैंसला कर लिया था….वो उठा और सीधा मेरे रूम की तरफ जाने लगा….रूम की तरफ बढ़ते कदमो की आहट सुन कर भाभी अलमारी खोल कर उसमे से कुछ ढूँढने का नाटक करने लगी…..
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