04-09-2020, 03:42 PM,
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hotaks
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
राजनंदिनी—जा और कह दे अपने मालिक अजगर से कि राजनंदिनी अभी जीवित है..और उसके रहते यहाँ कोई अन्याय नही होगा अब.
वो सैनिक वहाँ से भाग खड़ा हुआ और मुखिया सहित पूरे गाओं वाले राजनंदिनी के पैरो मे गिर पड़े…मुखिया की वो बेटी भी उसके सामने झुक गयी.
मुखिया—आज तुमने फिर से हमारी लाज़ बचा ली…मैं कैसे तुम्हारा धन्यवाद करूँ..?
राजनंदिनी—इसकी कोई आवश्यकता नही है मुखिया जी….आज से आप सब मेरे मकान मे रहेंगे…जाइए आप सब जल्दी से अपना समान
लेकर मेरे मकान मे चलिए..इसके पहले की वो शैतान यहाँ आ जाए.
मुखिया—लेकिन इतने सारे लोग एक मकान मे कैसे आ पाएँगे…?
राजनंदिनी—मेरा मकान तिलिस्मि है…उसमे काफ़ी जगह है….उसके अंदर बिना मेरी इजाज़त के कोई प्रवेश नही कर सकता है…आप सब वहाँ सुरक्षित रहेंगे…जल्दी करिए, समय बहुत कम है..क्यों कि अगर खुद अजगर आ गया तो फिर शायद मैं भी आप लोगो को नही बचा सकूँगी उससे.
सब जल्दी जल्दी अपना अपना समान लेकर बीवी बच्चो सहित राजनंदिनी के साथ उसके मकान मे आ गये…इतने लोगो के रहने के हिसाब से जगह पर्याप्त तो नही थी किंतु फिर भी विपरीत परिस्थितियो के अनुसार काम चलाया जा सकता था.
राजनंदिनी—मैं जानती हूँ कि जगह की कुछ कमी है…लेकिन आप सब को इसमे ही कुछ दिन तक मिल जुल कर रहना होगा ये पूरी तरह से सुरक्षित है…कोई इस मकान के अंदर नही आ सकता है….हाँ बस एक बात का ध्यान रहे कि चाहे कुछ भी हो जाए कोई इसके बाहर ना निकले…जब तक आप अंदर हैं तब तक सुरक्षित हैं…सब के भोजन पानी का प्रबंध मैने कर दिया है कुछ दिनो तक किसी को दिक्कत नही होगी इसकी….मुझे अब जाना होगा, आप सब मेरी बातो का ध्यान रखना.
मुखिया—बेटी क्या अब भी तुम्हे लगता है कि वो आएगा, जो तुम रात दिन उसके लिए भटकती रहती हो…?
राजनंदिनी—मुखिया जी, जहा चाह है वही राह है…अच्छा नमस्कार
राजनंदिनी सब को कुछ हिदायतें देकर वहाँ से किसी अंजाने सफ़र पर निकल गयी….दूसरी तरफ गणपत राई ने जैसे ही आनंद और सब
को बताया कि ख़तरा आ गया है तो सभी तुरंत आशा की एक उम्मीद लिए उसके साथ साथ चल दिए.
सबसे ज़्यादा व्याकुलता तो श्री के हृदय मे हो रही थी…उसका दिल धक धक कर रहा था…वो मन ही मन यही प्रार्थना किए जा रही थी कि
आदी जिंदा हो…..गणपत उन्हे एक कक्ष मे ले गया जहाँ पर ख़तरा और चित्रा मानव रूप मे बैठे हुए थे.
गणपत—आनंद साब. इनसे मिलिए यही हैं आदी सर के दोस्त और ख़तरा जी, ये हैं आदी साहब के पिता जी.
ख़तरा (पैर छुते हुए)—वो भले ही मुझे अपना दोस्त मानते रहे हो लेकिन मैने हमेशा खुद को उनका मुलाज़िम ही समझा है.
आनंद (व्याकुल होकर)—क्या तुम बता सकते हो कि मेरा बेटा कहाँ है….? क्या हुआ था उसे…? मैने तुम्हे आज से पहले तो कभी नही देखा,
जबकि उसके सारे दोस्तो को मैं जानता हूँ.
ख़तरा—आप का कहना सही है…हालाँकि मैने कयि बार आप को देखा है….मैं साहब के बारे मे अभी कुछ नही जानता कि वो कहाँ
हैं..लेकिन जितना जानता हूँ उतना बता सकता हूँ.
श्री (हकलाते हुए)—ककक्ककयाअ…आदिइइ ज़िंदाअ है….? आदी ने मुझे तुम्हारे बारे मे बताया था.
ख़तरा—देखिए मालकिन बात दरअसल ये है कि….
फिर ख़तरा ने आदी के घर छोड़ने से लेकर उस पर हमला होने के बाद गंगा मे गिरने तक की बात को उन्हे बता दिया…जिसे सुनते ही सब
की आँखो से आँसू बहने लगे.
ख़तरा—देखिए निराश मत होइए…हमे पूरी उम्मीद है कि वो जिंदा हैं..लेकिन कहाँ और किन हालत मे हैं ये नही जानता….मैं और चित्रा इसलिए ही यहा आए हुए हैं, उनकी खोज करते हुए
मेघा—चित्रा…? कौन चित्रा…?
चित्रा—जी मेरा नाम चित्रा है…आदी मेरे भी दोस्त हैं
श्री (रोते हुए)—मेरा आदी गंगा मे डूब गया, फिर भी मैं जिंदा हूँ, लानत है मुझ पर...मुझे जीने का कोई हक़ नही है.
श्री वहाँ से रोते हुए बाहर की तरफ तेज़ी से भागी...सब उसको आवाज़ देते हुए उसके पीछे पीछे भागे लेकिन तब तक वो कार मे बैठ कर
वहाँ से निकल गयी.
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वही परी लोक मे महाराज और महारानी अपने सैनिको के साथ गुरुदेव के पास पहुचे जो कि ध्यान मे लीन थे...वो वही बैठ कर उनके ध्यान से उठने की प्रतीक्षा करने लगे.
जबकि कील्विष् सोनालिका को लेकर एक गुफा मे आ गया...सोनालिका इस समय कुछ भी बोलने मे असमर्थ थी..शायद कमज़ोरी या फिर कुछ और वजह से.
कील्विष्—हाहहाहा.....आज तुझे कोई बचाने नही आएगा....हाहहाहा
तभी वहाँ पर कोई आता है जिसे देख कर कील्विष् चौंक जाता है.
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04-09-2020, 03:43 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
कील्विष्—हाहहहाहा….अच्छा किया, तुम दोनो ने….हर जगह अंधेरा कायम होगा फिर से…धरती, आकाश, पाताल हर जगह सिर्फ़ और
सिर्फ़ अंधेरे का साम्राज्य होगा..हाहहाहा
अकाल—अंधेरा कायम रहेगा तमराज.
कील्विष्—वो राजकुमारी..ये देखो मेरी गिरफ़्त मे है इस समय…इसने मेरा विवाह प्रस्ताव ठुकराया था..अब मैं इसको हर किसी की रखैल
बनाउन्गा….हाहहहहाहा
बकाल (खुश)—ये तो बड़ी खुशी की बात है तमराज
कील्विष्—इसको लेकर मेरी पुरानी जगह पर आ जाओ…मैं तुम दोनो को वही मिलूँगा.
कील्विष् वहाँ से चला गया…अकाल और बकाल कील्विष् के जाते ही सोनालिका को ललचाई नज़रों से देखने लगे…आँखो ही आँखो से उसके
यौवन का रस्पान करने लगे जो कि इस समय अचेत हो चुकी थी.
दोनो सोनालिका को घसीट कर बाहर लाए और उठा कर कील्विष् की बताई जगह मे ले जाने लगे..सोनालिका को तब तक होश आ चुका था
और वो अपने बचाव मे हाथ पैर मार रही थी जबकि दोनो उसकी बेबसी पर हँसे जा रहे थे ज़ोर ज़ोर से.
तभी किसी की आवाज़ सुन कर दोनो के कदम सहसा रुक से गये..
"अगर जिंदा रहना चाहते हो तो लड़की को छोड़ दो" किसी ने दोनो से चिल्लाते हुए कहा
ये आवाज़ सुनते ही अकाल और बकाल तुरंत उसकी दिशा मे पलट गये और सामने वेल शख्स को देखते ही आश्चर्य चकित हो गये..तो वही हाल उस शख्स का भी हुआ, उसकी आँखे भी इन दोनो को और सोनालिका को देख कर हैरत से खुली रह गयी..और उसके मूह से अनायास ही निकल गया…
"सोनााआ..‼!"
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दूसरी तरफ धरती लोक मे गणपत राय की पार्टी मे शामिल होने गये सभी लोगो को जब ख़तरा ने आदी के विषय मे बताया तो श्री, आदी के
साथ हुई घटना के लिए खुद को ज़िम्मेदार मानते हुए वहाँ से रोते हुए बड़ी तेज़ी से गाड़ी लेकर निकल गयी.
मेघा (घबराते हुए)—कोई रोको उसे…वो पागल कुछ कर ना ले….उसे लगता है कि आदी के साथ जो भी उसके लिए वो ज़िम्मेदार है.. जल्दी से कोई जाओ उसके पीछे.
ख़तरा—आप चिंता ना करे..मैं अभी जाता हूँ…
चित्रा—चलो मैं भी चलती हूँ.
ख़तरा—ठीक है..चलो जल्दी
ख़तरा और चित्रा जल्दी से वहाँ से एक गाड़ी मे निकल गये.....उनके जाते ही बाकी सब भी एक गाड़ी मे चल पड़े उनके पीछे पीछे.
श्री रोते हुए गाड़ी बड़ी तेज़ी मे भगाए जा रही थी....उसका ध्यान इस समय रोड पर या सामने से आ रहे किसी मोड़ अथवा वाहनो पर कतयि नही था...वो तो अपनी ही धुन मे खोई हुई थी...उसके दिमाग़ मे बस ख़तरा की कही एक ही बात रह रह कर घूम रही थी कि "किसी ने पीछे से उनके उपर तलवार से प्रहार किया जिससे वो उफान पर चल रही गंगा मे गिर कर डूब गये"
श्री (रोते हुए मन मे)—ये सब मेरे कारण हुआ है….धिक्कार है मेरे प्यार पर…मैं चाहती तो मौसी को मना सकती थी…आदी को अपनी कसम देकर रोक सकती थी…मैने क्यो विश्वास नही किया उसकी बातों पर…मैं ही आदी की..अपने प्यार की कातिल हूँ..मुझे जीने का कोई
हक़ नही है..मुझे भी मर जाना चाहिए…मैं भी तुम्हारे पास आ रही हूँ आदी.
श्री स्पीड मे गाड़ी चलते हुए चली जा रही थी..उसकी गाड़ी इस समय पहाड़ी पहाड़ के घुमावदार रास्ते पर पहुच चुकी थी.
अचानक एक ख़तरनाक टर्निंग पर दूसरी तरफ से आ रही एक बस के हॉर्न की आवाज़ सुन कर श्री ने साइड देने के लिए जैसे ही किनारा लिया वैसे ही गाड़ी अनबॅलेन्स हो गयी और तेज़ी से गहरी खाई की तरफ बढ़ने लगी.
ख़तरा और चित्रा ये देख कर तेज़ी से उसकी तरफ भागे लेकिन उनके पहुचते पहुचते गाड़ी एक चट्टान से टकराकर खाई मे जा गिरी और
फिर बूंमम कर के ब्लास्ट हो गयी.
तब तक वहाँ आनंद और बाकी सब भी पहुच गये..उनकी आँखो से आँसुओं की अवीराल धारा बहने लगी…दुखो का एक और पहाड़ उनके उपर टूट पड़ा.
मेघा (चिल्लाते हुए)--श्रीईईईईई
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वही एक पागल खाने मे एक पागल लड़की हर किसी के पास जाकर किसी का पता पूछ रही थी….
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04-09-2020, 03:44 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट-87
श्री स्पीड मे गाड़ी चलाते हुए चली जा रही थी..उसकी गाड़ी इस समय पहाड़ी पहाड़ के घुमावदार रास्ते पर पहुच चुकी थी.
अचानक एक ख़तरनाक टर्निंग पर दूसरी तरफ से आ रही एक बस के हॉर्न की आवाज़ सुन कर श्री ने साइड देने के लिए जैसे ही किनारा लिया वैसे ही गाड़ी अनबॅलेन्स हो गयी और तेज़ी से गहरी खाई की तरफ बढ़ने लगी.
ख़तरा और चित्रा ये देख कर तेज़ी से उसकी तरफ भागे लेकिन उनके पहुचते पहुचते गाड़ी एक चट्टान से टकराकर खाई मे जा गिरी और
फिर बूंम कर के ब्लास्ट हो गयी.
तब तक वहाँ आनंद और बाकी सब भी पहुच गये..उनकी आँखो से आँसुओं की अवीराल धारा बहने लगी…दुखो का एक और पहाड़ उनके उपर टूट पड़ा.
मेघा (चिल्लाते हुए)--श्रीईईईईई
वही एक पागल खाने मे एक पागल लड़की हर किसी के पास जाकर किसी का पता पूछ रही थी….
अब आगे……
वो पागल लड़की कोई और नही बल्कि मारग्रेट थी जो पागल खाने मे क़ैद हर पागल के पास जा जा कर आदी का पता पूछ रही थी….बाल
पूरे बिखरे हुए थे उसके जैसे कि कयि दिन से उनमे कंघी का बालो पर स्पर्श तक ना हुआ हो.
मारग्रेट—ये तुझे आदी का पता मालूम है…बता ना मुझे.
1स्ट पागल—आधी…मैं आधी नही हूँ…मैं तो पूरी हूँ….देख उसको पता होगा…उसको पूछ..चल मैं भी तेरे साथ चलती हूँ.
मारग्रेट—क्यो तुझे आदी का अड्रेस पता है ना, चल बता मुझे.
2न्ड पागल—मैं क्यो बताऊ तुझे…
मारग्रेट (हाथ जोड़ कर)—देख मुझे आदी का पता बता दे, वो कहाँ मिलेगा... ?
3र्ड पागल—अरे उससे क्या पूछती है…वो तो पागल है…मेरे पास आ…मैं तुझे बताती हूँ.
2न्ड पागल—तू खुद पागल है और मुझे पागल कहती है.
1स्ट पागल—देख इसको आधी का पता बता दे...नही तो मैं तुझे बहुत मारूँगी.
3र्ड पागल (आधी रोटी दिखाते हुए)—मेरे पास भी तो आधी ही है…बाकी आधी तो मैने कब की खा लिया…ले आधी तू भी खा ले
मारग्रेट—ये तो रोटी है…मुझे रोटी नही चाहिए, मुझे मेरा आदी चाहिए…वो मुझसे बहुत गुस्सा हो गया है… और कहीं चला गया है…मुझे नही मिल रहा है…कब से मैं उसको ढूँढ रही हूँ.
इतना कहते हुए वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है…..उसको रोते देख बाकी पागल भी उसके पास आ कर वैसे ही रोने लगती हैं. उनके रोने की
आवाज़ सुन कर महिला जैल कर्मी उनके पास आ कर उन्हे वहाँ से भगाती हैं लेकिन मारग्रेट कहीं नही जाती.
कॉन्स्टेबल—इस लड़की ने नाक मे दम कर दिया है…जब देखो तब आदी..आदी की रट लगाए रहती है….कौन है ये आदी..?
मारग्रेट (रोते हुए)—मुझे आदी के पास जाना है….मुझे कोई मेरे आदी का पता बता दो प्लीज़.
कॉन्स्टेबल—कोई आदी वादी नही है यहाँ….मर गया होगा कहीं..चल उठ और कुछ काम कर अब...काम चोर कहीं की
मारग्रेट (सिसकते हुए)—मेरा आदी नही मर सकता…मेरे आदि को तूने ही छुपाया होगा कही…चल जल्दी से बता कि कहा छुपाया है तूने
मेरे आदी को.
कॉन्स्टेबल—मर गया वो साला आदी…चल भाग यहाँ से
मारग्रेट—मेरे आदी को गली देती है...रुक बताती हूँ
मारग्रेट ने पास मे पड़ा एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उस महिला कॉन्स्टेबल के सिर मे ज़ोर से मार दिया…वो अपना सिर पकड़ कर नीचे बैठ गयी और चिल्लाने लगी…माथे से खून बहने लगा.
उस कॉन्स्टेबल की चीख सुन कर बाकी महिला कॉन्स्टेबल डंडा लेकर उसकी तरफ भागी जहा मारग्रेट अभी भी उसके सिर मे पत्थर से वार किए जा रही थी.
सबने जल्दी से उसको पकड़ कर उसे अलग किया और बालो से घसीट कर अंदर ले जाने लगी….अंदर ले जाकर उसको बेड से बाँध दिया
गया…डॉक्टर ने आते ही उसको एलेक्ट्रिक शॉट देने शुरू कर दिए…आदी आदी के नाम की माला जप्ते हुए वो बेहोश हो गयी.
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04-09-2020, 03:45 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अगले ही पल वहाँ आग बिखेरती हुई एक शक्ति प्रकट हुई जिसको कि उस देव पुत्रा ने उंगली से आदी को ख़तम करने का इशारा कर दिया.
इशारा पाते ही वो शक्ति आदी की तरफ बड़ी तेज़ी से आग की लपटें निकालते हुए बढ़ी…जैसे ही वो आदी के समीप पहुचि तो आदी ने
उसको अपनी तलवार से रोक दिया…धीरे धीरे वो शक्ति आदी की तलवार मे ही समा कर गायब हो गयी.
अपनी शक्ति को निष्फल होते देख वो देव पुत्र क्रोधित हो गया और एक के बाद एक शक्तियो का प्रहार करने लगा लेकिन उसकी कोई भी शक्ति आदी की तलवार के सामने अधिक देर तक नही टिक सकी और तलवार मे ही समा जाती जिससे तलवार की ताक़त और भी बढ़ती चली गयी.
अपना हर वार विफल हो जाने पर वो देव पुत्र बिना सोचे समझे निहत्था ही आदी को क्रोध मे आ कर मारने के लिए दौड़ पड़ा….जैसे ही पास
आया तो आदि ने उसका एक हाथ पकड़ कर उसके हाथ की हड्डी तोड़ दी.
वो दर्द मे ज़ोर ज़ोर से चीखने लगा….आदी अपनी तलवार उठा कर जैसे ही उसके उपर वार करने को उधयत हुआ वैसे ही उसके कानो मे किसी लड़की के हँसने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो उसने उस देव पुत्र के पेट मे एक लात मार के उस आवाज़ की दिशा मे चला गया लेकिन जाते जाते..
आदी—दुबारा मुझसे भिड़ने से पहले किसी अच्छे गुरु से युद्ध शिक्षा ले लेना….जा मैने तुझे जीवन दान दिया
.....................................
उधर अंदर कार्य क्रम मे जब मुनीश को आदी कही नज़र नही आया तो वो हर जगह उसको तलाश करने लगा..ऐसे ही उसको खोजते हुए वो उस देव पुत्र के पास तक पहुच गया.
मुनीश (चौंक कर)—अरे आप की ये हालत कैसे हो गयी युवराज…..?
देव पुत्र—ये सब तुम्हारे उस दोस्त के कारण ही हुआ है.
मुनीश (शॉक्ड)—क्याआ….? मेरा दोस्त…‼..कहाँ है वो और क्या किया उसने…?
देव पुत्र—वो तुम्हारी बहन प्रियमबाड़ा के साथ बदतमीज़ी कर रहा था….मैने उसको रोका तो उसने मेरे उपर ही हमला कर दिया और मुझे घायल करने के बाद पता नही तुम्हारी बहन को कहाँ ले गया होगा अब….तुम्हारा दोस्त समझ कर मैने हाथ नही उठाया वरना आज तो उसकी मृत्यु निश्चित थी मेरे हाथो से…..
मुनीश—क्याआआआ…..? वो अब मेरी बहन के पीछे पड़ गया……हे गुरुदेव मैं बर्बाद हो गया….इस आदी ने मेरे पूरे परिवार का कल्याण
कर दिया….किधर गया है वो…आज मैं उसको जिंदा नही छोड़ूँगा…उसने मेरी दोस्ती के नाम पर धोखा दिया है मुझे…..कहाँ मिलेगा वो मुझे….?
देव पुत्र—आआआआ….इस तरफ गया है वो..तुम्हारी बहन को ज़बरदस्ती लेकर
मुनीश—मैं आ रहा हूँ बहन…तुम चिंता मत करो….आज इस हैवान को मैं जीवित नही रहने दूँगा….
मुनीश गुस्से मे आग बाबूला हो कर उस देव पुत्र के अनुसार बताई दिशा की ओर तेज़ी से बढ़ गया.
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वही धरती पर आनंद के द्वारा सारी सच्चाई जान कर मेघा के दिल मे दर्द अब और भी गहरा हो चुका था… रह रह कर उसके हृदय मे एक टीस सी उठ रही थी.
ख़तरा और चित्रा इस बात को लेकर परेशान थे कि आख़िर श्री की बॉडी गयी कहाँ….लाख सोचने के पश्चात भी उन्हे कुछ भी समझ नही आ रहा था.
श्री के साथ ये दुर्घटना होने से कुछ समय पहले……..
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04-09-2020, 03:45 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट—90
मुनीश उस देव पुत्र की बात सुन कर आग बाबूला हो उठा और क्रोध के वशी भूत हो कर आदी को सबक सिखाने के उद्देश्य से निकल पड़ा.
इधर आदी उस आवाज़ की दिशा मे आगे बढ़ा तो कुछ दूर जाने के पश्चात ही उसकी नज़र एक सुंदर नव यौवना पर गयी जो अपनी कुछ सहेलियो के साथ जल विहार करते हुए हसी तिठोली कर रही थी.
आदी उस नव युवती के रूप सौंदर्य को देख कर उसकी ओर आकर्षित होने लगा और वही छुप कर उनकी जल क्रीड़ा को देखने का आनंद लेने लगा.
मुनीश की बहन प्रियंवदा अठखेलिया करती हुई जल विहार करने मे मग्न थी उन्हे इस बात का कोई आभास नही था कि कोई चोरी छुपे उसके इस मादक सौंदर्य के रस को अपने नेत्रो से टकटकी लगाए हुए रस्पान कर रहा था.
प्रियंवदा के इस अप्रतिम रूप सौंदर्य को देखते ही आदी का मन विचलित सा होने लगा…..नहाते हुए प्रियंवदा का ध्यान अपने वस्त्रो की तरफ बिल्कुल भी नही था…जो कि इस समय फटने को हो रहे थे…वो तो एक अल्हड़ किशोरी की भाँति जल क्रीड़ा मे मगन थी….वह ऐसी
निश्छल लग रही है कि वो अपनी आयु मे परिवर्तन के इस चिन्ह को भी पहचान नही पा रही है और इस दशा मे अपने शरीर की भाव
भंगिमा को नियंत्रित नही कर पा रही है…उसके स्वाभाव मे एक विचलन आ गया है जो कि उम्र की वय संधि की वजह से है.
आदी प्रियंवदा के इस रूप को देखने की अभिलासा मे ऐसा विचलित हो कर पीछे पड़ा जैसे आशा मे चूर हुआ भिखारी करपण का भी पीछा नही छोड़ता है…प्रियंवदा जहाँ जहाँ पैर रखती है वहाँ वहाँ सरोवर बन जाता है जैसे ही उसके शरीर का कोई अंग झलकता है तो लगता है की बिजली दमक रही हो…
आदी बहुत देर तक उसके रूप के दर्शन बिना पलक झपकाए करता रहा…उसको पता ही नही चला कि कब उनकी जल क्रीड़ा समाप्त हो गयी और वो पानी से बाहर निकल आई.
पानी से बाहर आते ही आदी पर तो जैसे बिजली ही टूट पड़ी…गीले वस्त्रो मे प्रियंवदा का गोरा मांसल मादक जिस्म और भी खूबसूरत लग रहा था…आदी तब तक उसको देखता रहा जब तक कि नहाने के पश्चात वहाँ से जाने नही लगी. उसको जाते देख आदी भी उसके पीछे पीछे चलने लगा.
अचानक चलते हुए प्रियंवदा का पैर किसी चीज़ से टकराया जिसके कारण वो अपने आपको नियंत्रित ना कर पाने से नीचे गिरने लगी…ये देख कर आदी तुरंत उसके पास पहुच कर उसको अपनी बाहो मे थाम लिया और नीचे गिरने से बचा लिया.
प्रियंवदा चौंकते हुए जैसे ही पलटी तो वो आदी के सौन्दर्य के अद्भुत प्रभाव से उसका हृदय सम्मोहित हो गया….वह आदी को देखते हुए अपनी सुध बुध खोने लगी….इस समय भी वो आदी की बाहो के घेरे मे झूल रही थी. उसकी सहेलिया भी दोनो को एक टक देखे जा रही थी
और एक दूसरे की ओर देखते हुए मंद मंद मुश्कुरा रही थी.
ठीक उसी वक़्त मुनीश भी वहाँ पहुच गया….अपनी बहन प्रियंवदा को आदी की बाहो मे देख कर उसने समझा कि आदी उसकी बहन के साथ ज़बरदस्ती करने का प्रयास कर रहा है…ये विचार मन मे आते ही उसका क्रोध और भी बढ़ गया और इस क्रोध ने उसकी सोचने समझने की शक्ति का हनन कर दिया.
मुनीश (चिल्लाते हुए)—आदिइईईईईईईईईई….छोड़ मेरी बहन को…..मैं कहता हूँ कि छोड़ दे मेरी बहन को…आदिइईईईईईईई
लेकिन मुनीश की आवाज़ का दोनो के उपर कोई प्रभाव नही पड़ा जैसे कि उन्होने उसकी आवाज़ सुनी ही ना हो या सुन कर भी अनसुना कर दिया हो…अब मुनीश इसे अपनी अवहेलना समझ कर आदी को सबक सिखाने के उद्देश्य से एक प्राण घातक शक्ति का आवाहन करने लगा.
“रुक जाओ मुनीश…ये क्या अनर्थ करने जा रहे हो….? क्यो अपनी मृत्यु को निमंत्रण दे रहे हो….?” उसे शक्ति आवाहन करते देख अचानक
वहाँ ब्रम्हरषी विश्वामित्र ने प्रकट होते हुए कहा.
विश्वामित्र के प्रकट होते ही वहाँ मौजूद सहेलिया भयभीत हो कर भाग निकली जबकि प्रियंवदा और आदी के आचरण मे कोई प्रभाव नही
पड़ा…वो दोनो अब भी एक दूसरे मे सम्मोहित हुए खड़े थे….अपने सामने ऋषि विश्वामित्र को देख कर मुनीश का क्रोध कुछ कम हुआ.
मुनीश—गुरुदेव….इसने मित्रता जैसे शब्द को अपमानित और लज़्ज़ित किया है….इसे दंड मिलना ही चाहिए…आज मैं इस व्यभिचारी का अंत कर दूँगा…कृपया आज मुझे मत रोकिए…
विश्वामित्र—कौन व्यभिचारी है…? आदी…? तुमने किसके साथ उसे व्यभिचार करते हुए देखा है….? और रहा उसके अंत करने का सवाल तो क्या तुझमे इतनी शक्ति है की तुम उसका सामना कर सको….?
मुनीश—ये आप क्या कह रहे हैं गुरुदेव….धरती लोक मे इसने कयि स्त्रियो के साथ व्यभिचार किया है… मुनि अष्टवकरा के कहने पर मैं इसको अपने पास ले आया लेकिन यहाँ आ कर भी ये नही सुधरा…इसने मेरी पत्नी और मेरी माँ को ही अपनी हवस का शिकार बना डाला
और आज इसकी नियत मेरी बहन पर भी बिगड़ गयी है…मैं इसे जीवित नही रहने दूँगा.
विश्वामित्र—क्या तुमने आदी को अपनी पत्नी और माँ के साथ कुछ ग़लत करते हुए देखा है….? क्या तुमने कभी अपनी पत्नी और माँ से सच
जानने की चेस्टा की है….? और धरती लोक मे जो कुछ हुआ उसका असली गुनहगार कौन है... ? आदी या फिर खुद तुम..... ?
मुनीश—आप ये क्या कह रहे हैं गुरुदेव... ? मैने खुद आदी को अपनी पत्नी और माँ के साथ पसीने मे लथपथ होते हुए देखा है…..धरती लोक मे जो हुआ उसका अपराधी मैं कैसे हो गया…? जो कुछ भी हुआ वो सब आदी के ही करमो का प्रति फल है.
विश्वामित्र—ज़रा सोचो कि अगर आदि व्यभिचारी होता तो क्या मारग्रेट, सोनालिका, चित्रा, अग्नि, अलीज़ा और श्री कुवारि रह पाती..अब तक वो लड़की से औरत बन चुकी होती....क्या तुमने आदी को लड़कियो से दूर भागते हुए नही देखा .. ? फिर तुमने सिर्फ़ पसीने मे लथपथ होने की
वजह से ही ये निष्कर्ष कैसे निकल लिया कि उसने तुम्हारी माँ, और पत्नी के साथ कोई ग़लत काम किया है, वो भी बिना कुछ देखे ही.... ?
मुनीश—लेकिन गुरुदेव.....मैने आदी को अपनी पत्नी और माँ, के साथ संभोग करते हुए महसूस किया है और धरती लोक मे भी उसने....
विश्वामित्र—तुमने अपनी माँ और पत्नी के साथ जो भी आदी को करते हुए महसूस किया है वो सिर्फ़ तुम्हारे मन का वहम है....ये सत्य है कि वो दोनो आदी की तरफ आकर्षित हुई थी किंतु सत्य यही है कि आदी और उनके बीच ऐसा कुछ भी नही हुआ कि जिससे आदी को तुम्हारे
सामने शर्मशार होना पड़े....बंद कमरे के अंदर उनके बीच वास्तव मे क्या हुआ था ये तुम अपनी पत्नी और माँ से ही पूछना तो अधिक बेहतर होगा.
विश्वामित्र—आदी को इतनी शक्तिया दी गयी....स्वयं भगवान शिव ने उसको अपना आशीर्वाद प्रदान किया...अगर आदी एक व्यभिचारी होता तो क्या ये होना संभव था.... ? धरती लोक मे आदी के साथ जो हुआ वो तुम्हारी ग़लतियो का नतीज़ा है….ऋषि अष्टवकरा ने तुम्हे आदी को प्रेम का महत्व समझाने का जिम्मा दिया था जबकि तुमने उसके दिमाग़ मे काम वासना की शक्ति भर दी...फिर भी वो खुद से लड़ता रहा....उसने
तुम्हे श्राप मुक्त किया और तुमने क्या किया उसके साथ.... ? मित्रता मे धोखा किसने दिया..तुमने या आदी ने... ?
मुनीश—मुझे क्षमा करे गुरुदेव....जब ऋषि अष्टवकरा ने मुझसे आदी को शक्तिया देने की बात कही तो मुझे मेरे एक देव पुत्र के होते हुए भी एक मानव को इतनी शक्तिया देना सही नही लगा..मेरे मन मे आदी के प्रति ईर्ष्या ने जनम ले लिया था....और इसके चलते ही मैं हर किसी से
आदी को अपमानित कराना चाहता था और ये सिद्ध करना चाहता था कि मानव हम देवताओ से श्रेष्ठ कभी नही हो सकते.....मैने ही ईर्ष्या मे
अँधा हो कर अजगर को उसके धरती लोक मे होने की बात बताई थी...मुझे क्षमा कर दे गुरुदेव.
विश्वामित्र—तुमने अपनी पत्नी और माँ के साथ आदी का जो संभोग दृश्य देखा है वो तुम्हारी उसी शक्ति के कारण है...जिसे ऋषि अष्टवकरा ने तुम्हे सही मार्ग दिखाने के लिए अपनी शक्ति से रचा था...बाकी सत्य अपनी पत्नी और माँ से जान लेना....और हां कल आदी को मेरे पास ले
आना...अब आगे उसकी शिक्षा दीक्षा देने का काम मेरा होगा.
मुनीश—गुरुदेव...मैं बहुत लज्जित हूँ अपने कृत्य पर....मैं अपनी बहन का विवाह आदी के साथ करना चाहता हूँ अब...क्या ये संभव है.. ? क्यों कि आदी एक मानव है और मेरी बहन एक देव कन्या……
विश्वामित्र—तुम्हारा विचार अति उत्तम है....आदिरीशि की सात निर्धारित पत्नियो मे से एक प्रियंवदा का होना शुभ है.
मुनीश—लेकिन गुरुदेव…वो कभी आदी बन जाता है तो कभी ऋषि…ऐसे मे मैं अपनी बहन का विवाह किसके साथ करूँ….? क्या इसका कोई समाधान नही है….?
विश्वामित्र—इसका उपाय सिर्फ़ एक ही है और वो है राजनंदिनी…..केवल राजनंदिनी ही दोनो को एक कर सकती है… जिस दिन वो आदी या
ऋषि के सामने आ जाएगी उस दिन से ही आदिरीशि का उदय हो जाएगा.
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