Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:42 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
राजनंदिनी—जा और कह दे अपने मालिक अजगर से कि राजनंदिनी अभी जीवित है..और उसके रहते यहाँ कोई अन्याय नही होगा अब.

वो सैनिक वहाँ से भाग खड़ा हुआ और मुखिया सहित पूरे गाओं वाले राजनंदिनी के पैरो मे गिर पड़े…मुखिया की वो बेटी भी उसके सामने झुक गयी.

मुखिया—आज तुमने फिर से हमारी लाज़ बचा ली…मैं कैसे तुम्हारा धन्यवाद करूँ..?

राजनंदिनी—इसकी कोई आवश्यकता नही है मुखिया जी….आज से आप सब मेरे मकान मे रहेंगे…जाइए आप सब जल्दी से अपना समान
लेकर मेरे मकान मे चलिए..इसके पहले की वो शैतान यहाँ आ जाए.

मुखिया—लेकिन इतने सारे लोग एक मकान मे कैसे आ पाएँगे…?

राजनंदिनी—मेरा मकान तिलिस्मि है…उसमे काफ़ी जगह है….उसके अंदर बिना मेरी इजाज़त के कोई प्रवेश नही कर सकता है…आप सब वहाँ सुरक्षित रहेंगे…जल्दी करिए, समय बहुत कम है..क्यों कि अगर खुद अजगर आ गया तो फिर शायद मैं भी आप लोगो को नही बचा सकूँगी उससे.

सब जल्दी जल्दी अपना अपना समान लेकर बीवी बच्चो सहित राजनंदिनी के साथ उसके मकान मे आ गये…इतने लोगो के रहने के हिसाब से जगह पर्याप्त तो नही थी किंतु फिर भी विपरीत परिस्थितियो के अनुसार काम चलाया जा सकता था.

राजनंदिनी—मैं जानती हूँ कि जगह की कुछ कमी है…लेकिन आप सब को इसमे ही कुछ दिन तक मिल जुल कर रहना होगा ये पूरी तरह से सुरक्षित है…कोई इस मकान के अंदर नही आ सकता है….हाँ बस एक बात का ध्यान रहे कि चाहे कुछ भी हो जाए कोई इसके बाहर ना निकले…जब तक आप अंदर हैं तब तक सुरक्षित हैं…सब के भोजन पानी का प्रबंध मैने कर दिया है कुछ दिनो तक किसी को दिक्कत नही होगी इसकी….मुझे अब जाना होगा, आप सब मेरी बातो का ध्यान रखना.

मुखिया—बेटी क्या अब भी तुम्हे लगता है कि वो आएगा, जो तुम रात दिन उसके लिए भटकती रहती हो…?

राजनंदिनी—मुखिया जी, जहा चाह है वही राह है…अच्छा नमस्कार

राजनंदिनी सब को कुछ हिदायतें देकर वहाँ से किसी अंजाने सफ़र पर निकल गयी….दूसरी तरफ गणपत राई ने जैसे ही आनंद और सब
को बताया कि ख़तरा आ गया है तो सभी तुरंत आशा की एक उम्मीद लिए उसके साथ साथ चल दिए.

सबसे ज़्यादा व्याकुलता तो श्री के हृदय मे हो रही थी…उसका दिल धक धक कर रहा था…वो मन ही मन यही प्रार्थना किए जा रही थी कि
आदी जिंदा हो…..गणपत उन्हे एक कक्ष मे ले गया जहाँ पर ख़तरा और चित्रा मानव रूप मे बैठे हुए थे.

गणपत—आनंद साब. इनसे मिलिए यही हैं आदी सर के दोस्त और ख़तरा जी, ये हैं आदी साहब के पिता जी.

ख़तरा (पैर छुते हुए)—वो भले ही मुझे अपना दोस्त मानते रहे हो लेकिन मैने हमेशा खुद को उनका मुलाज़िम ही समझा है.

आनंद (व्याकुल होकर)—क्या तुम बता सकते हो कि मेरा बेटा कहाँ है….? क्या हुआ था उसे…? मैने तुम्हे आज से पहले तो कभी नही देखा,
जबकि उसके सारे दोस्तो को मैं जानता हूँ.

ख़तरा—आप का कहना सही है…हालाँकि मैने कयि बार आप को देखा है….मैं साहब के बारे मे अभी कुछ नही जानता कि वो कहाँ
हैं..लेकिन जितना जानता हूँ उतना बता सकता हूँ.

श्री (हकलाते हुए)—ककक्ककयाअ…आदिइइ ज़िंदाअ है….? आदी ने मुझे तुम्हारे बारे मे बताया था.

ख़तरा—देखिए मालकिन बात दरअसल ये है कि….

फिर ख़तरा ने आदी के घर छोड़ने से लेकर उस पर हमला होने के बाद गंगा मे गिरने तक की बात को उन्हे बता दिया…जिसे सुनते ही सब
की आँखो से आँसू बहने लगे.

ख़तरा—देखिए निराश मत होइए…हमे पूरी उम्मीद है कि वो जिंदा हैं..लेकिन कहाँ और किन हालत मे हैं ये नही जानता….मैं और चित्रा इसलिए ही यहा आए हुए हैं, उनकी खोज करते हुए

मेघा—चित्रा…? कौन चित्रा…?

चित्रा—जी मेरा नाम चित्रा है…आदी मेरे भी दोस्त हैं

श्री (रोते हुए)—मेरा आदी गंगा मे डूब गया, फिर भी मैं जिंदा हूँ, लानत है मुझ पर...मुझे जीने का कोई हक़ नही है.

श्री वहाँ से रोते हुए बाहर की तरफ तेज़ी से भागी...सब उसको आवाज़ देते हुए उसके पीछे पीछे भागे लेकिन तब तक वो कार मे बैठ कर
वहाँ से निकल गयी.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


वही परी लोक मे महाराज और महारानी अपने सैनिको के साथ गुरुदेव के पास पहुचे जो कि ध्यान मे लीन थे...वो वही बैठ कर उनके ध्यान से उठने की प्रतीक्षा करने लगे.

जबकि कील्विष् सोनालिका को लेकर एक गुफा मे आ गया...सोनालिका इस समय कुछ भी बोलने मे असमर्थ थी..शायद कमज़ोरी या फिर कुछ और वजह से.

कील्विष्—हाहहाहा.....आज तुझे कोई बचाने नही आएगा....हाहहाहा

तभी वहाँ पर कोई आता है जिसे देख कर कील्विष् चौंक जाता है.
Reply
04-09-2020, 03:43 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट—86

परी लोक के महाराज और महारानी गुरु देव के ध्यान से उठने का इंतज़ार कर रहे थे....जब उनका ध्यान नही भंग हुआ तो वो खुद ही उनके पैरो के पास बैठ कर दोनो हाथ जोड़ याचना करने लगे.

महाराज—गुरु देव ...आँखे खोलिए.....मेरी पुत्री संकट मे है.....उसकी जीवन रक्षा अब आपके हाथो मे है.

महारानी (रोते हुए)—मेरी बेटी को उस पापी के हाथो से बचा लीजिए गुरु देव...कृपया आँखे खोलिए...क्या एक माँ के दिल की करूँ पुकार भी आपके हृदय तक नही पहुच रही, गुरु देव... ?

दोनो के बारंबार विनती और करुन कृुंदन से गुरु देव की साधना भंग हो गयी और उन्होने अपनी आँखे खोल कर दोनो की ओर देखने लगे.

गुरुदेव—महाराज और महारानी, आप दोनो यहाँ... !

महारानी—एक औलाद की ममता हमे यहाँ खीच लाई गुरुदेव…अब आप ही हमारी अंतिम उम्मीद हैं.

गुरुदेव—महाराज..क्या बात है…? महारानी इतनी विचलित और दुखी क्यो हैं.... ?

महाराज—गुरुदेव..वो आ गया...वो आ गया.....और आते ही मेरी पुत्री ....

गुरुदेव—कौन आ गया, महाराज.... ? कृपया स्पष्ट बताए कि मेरे ध्यान मे लीन होने के पश्चात क्या हुआ…?

महाराज—गुरुदेव..वो शैतान ..कील्विष् फिर से आ गया…..और उसने आते ही मेरी पुत्री को ज़बरदस्ती अपने साथ ले गया है…..मेरी पुत्री को बचा लीजिए गुरुदेव….बचा लीजिए.

गुरुदेव (हैरान)—क्या कील्विष्…..? कील्विष् तो मर चुका था फिर वो कब्र से जीवित कैसे हो सकता है….? कहीं इसका मतलब……..ओह्ह्ह्ह अगर ऐसा हो गया तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी.

महारानी—मेरी पुत्री को वो दुष्ट उठा ले गया जबरन...पूरा परी लोक अंधकार और दहशत के साए मे जी रहा है..और इससे बड़ी मुसीबत और क्या हो सकती है….?

गुरुदेव—महारानी सच कहूँ तो आपकी पुत्री मे परिलोक की महारानी बनने के कोई गुण ही नही हैं….आज परी लोक की जो दुर्दशा है उसके लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी पुत्री राजकुमारी सोनालिका ही ज़िम्मेदार है….अगर उसने हमारे महाराज पर भरोसा दिखाया होता तो अब तक
उनका राज तिलक हो चुका होता और ना ही परी लोक अंधकार मे डूबता….उसकी नादानी की वजह से सिंघासन और मुकुट की शक्तियो ने परी लोक का साथ छोड़ दिया…ग़लती सोनालिका ने की किंतु सज़ा समुचा परी लोक भोग रहा है उसकी बेवकूफी की.

महाराज—अब जो हो गया उसको बदला तो नही जा सकता ना गुरुदेव…अभी हमे किसी भी तरह से सोनालिका को कील्विष् के नापाक हाथो से बचाने का उपाय करना चाहिए…और आप किस संकट की बात कर रहे हैं गुरुदेव….?

गुरुदेव—अगर कील्विष् कब्र से बाहर आ गया है तो इसका मतलब यही हुआ कि वो शैतान अजगर भी बरसो की क़ैद से आज़ाद हो गया होगा…..और अगर ऐसा हो गया तो फिर बहुत बड़ी परेशानी की बात होगी महाराज…..अगर सोनालिका ने आदी के साथ ऐसा सलूक ना
किया होता तो कदाचित् हम इन दोनो का सामना भी कर सकते थे किंतु हमारी विडंबना यही है की उनके अलावा कील्विष् और अजगर को कोई नही रोक सकता…कोई नही रोक सकता, महाराज.

महारानी (रोते हुए)—ऐसा ना कहे गुरुदेव…अगर आप भी कोई उपाय नही करेंगे तो मेरी पुत्री का क्या होगा…?

गुरुदेव—अब सब कुछ उसके भाग्य पर निर्भर है महारानी….हम कुछ भी कर सकने मे सक्षम नही हैं. फिर भी आप धैर्य रखे और ईश्वर पर विश्वश बनाए रखे…अगर प्रभु ने चाहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा..अब आप दोनो प्रस्थान करे.

दोनो गुरदेव को प्रणाम करके उदास मन से वापिस राज महल लौट गये…

.उधर अकाल और बकाल परी लोक पर आक्रमण करने के उद्देश्य से उसकी सीमा मे प्रवेश कर के राज भवन पहुच गये.

किंतु वहाँ पर उन्हे सोनालिका कहीं नही नज़र आई...वो बाहर निकल कर उसकी तलाश करने लगे...इधर कील्विष् सोनालिका को लेकर एक गुफा मे पहुच गया था.

कील्विष् सोनालिका की मजबूरी का कोई फ़ायदा उठाता कि किसी की आहट से वो चौंक गया….उसने चौंक कर पलटते हुए जैसे ही उस
आगंतुक की ओर देखा तो उसके चेहरे पर आश्चर्य और खुशी के भाव उमड़ आए.

कील्विष्—अकाल और बिकाल…? यहाँ…

अकाल—तमराज कील्विष् की जय हो..

बकाल—अंधेरा कायम रहे..तमराज कील्विष्

कील्विष्—अंधेरा कायम रहेगा….अकाल और बकाल, तुम दोनो यहाँ कैसे….?

अकाल—हम दोनो परी लोक मे हमला करने और उस मगरूर राजकुमारी को ले जाने आए थे

बकाल—किंतु जब हमने पूरे परी लोक मे अंधेरे का साम्राज्य देखा तो समझ गये आप उस कब्र की क़ैद से आज़ाद हो गये हैं तो हम आपके
दर्शन करने यहाँ चले आए.
Reply
04-09-2020, 03:43 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
कील्विष्—हाहहहाहा….अच्छा किया, तुम दोनो ने….हर जगह अंधेरा कायम होगा फिर से…धरती, आकाश, पाताल हर जगह सिर्फ़ और
सिर्फ़ अंधेरे का साम्राज्य होगा..हाहहाहा

अकाल—अंधेरा कायम रहेगा तमराज.

कील्विष्—वो राजकुमारी..ये देखो मेरी गिरफ़्त मे है इस समय…इसने मेरा विवाह प्रस्ताव ठुकराया था..अब मैं इसको हर किसी की रखैल
बनाउन्गा….हाहहहहाहा

बकाल (खुश)—ये तो बड़ी खुशी की बात है तमराज

कील्विष्—इसको लेकर मेरी पुरानी जगह पर आ जाओ…मैं तुम दोनो को वही मिलूँगा.

कील्विष् वहाँ से चला गया…अकाल और बकाल कील्विष् के जाते ही सोनालिका को ललचाई नज़रों से देखने लगे…आँखो ही आँखो से उसके
यौवन का रस्पान करने लगे जो कि इस समय अचेत हो चुकी थी.

दोनो सोनालिका को घसीट कर बाहर लाए और उठा कर कील्विष् की बताई जगह मे ले जाने लगे..सोनालिका को तब तक होश आ चुका था
और वो अपने बचाव मे हाथ पैर मार रही थी जबकि दोनो उसकी बेबसी पर हँसे जा रहे थे ज़ोर ज़ोर से.

तभी किसी की आवाज़ सुन कर दोनो के कदम सहसा रुक से गये..

"अगर जिंदा रहना चाहते हो तो लड़की को छोड़ दो" किसी ने दोनो से चिल्लाते हुए कहा

ये आवाज़ सुनते ही अकाल और बकाल तुरंत उसकी दिशा मे पलट गये और सामने वेल शख्स को देखते ही आश्चर्य चकित हो गये..तो वही हाल उस शख्स का भी हुआ, उसकी आँखे भी इन दोनो को और सोनालिका को देख कर हैरत से खुली रह गयी..और उसके मूह से अनायास ही निकल गया…

"सोनााआ..‼!"

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दूसरी तरफ धरती लोक मे गणपत राय की पार्टी मे शामिल होने गये सभी लोगो को जब ख़तरा ने आदी के विषय मे बताया तो श्री, आदी के
साथ हुई घटना के लिए खुद को ज़िम्मेदार मानते हुए वहाँ से रोते हुए बड़ी तेज़ी से गाड़ी लेकर निकल गयी.

मेघा (घबराते हुए)—कोई रोको उसे…वो पागल कुछ कर ना ले….उसे लगता है कि आदी के साथ जो भी उसके लिए वो ज़िम्मेदार है.. जल्दी से कोई जाओ उसके पीछे.

ख़तरा—आप चिंता ना करे..मैं अभी जाता हूँ…

चित्रा—चलो मैं भी चलती हूँ.

ख़तरा—ठीक है..चलो जल्दी

ख़तरा और चित्रा जल्दी से वहाँ से एक गाड़ी मे निकल गये.....उनके जाते ही बाकी सब भी एक गाड़ी मे चल पड़े उनके पीछे पीछे.

श्री रोते हुए गाड़ी बड़ी तेज़ी मे भगाए जा रही थी....उसका ध्यान इस समय रोड पर या सामने से आ रहे किसी मोड़ अथवा वाहनो पर कतयि नही था...वो तो अपनी ही धुन मे खोई हुई थी...उसके दिमाग़ मे बस ख़तरा की कही एक ही बात रह रह कर घूम रही थी कि "किसी ने पीछे से उनके उपर तलवार से प्रहार किया जिससे वो उफान पर चल रही गंगा मे गिर कर डूब गये"

श्री (रोते हुए मन मे)—ये सब मेरे कारण हुआ है….धिक्कार है मेरे प्यार पर…मैं चाहती तो मौसी को मना सकती थी…आदी को अपनी कसम देकर रोक सकती थी…मैने क्यो विश्वास नही किया उसकी बातों पर…मैं ही आदी की..अपने प्यार की कातिल हूँ..मुझे जीने का कोई
हक़ नही है..मुझे भी मर जाना चाहिए…मैं भी तुम्हारे पास आ रही हूँ आदी.

श्री स्पीड मे गाड़ी चलते हुए चली जा रही थी..उसकी गाड़ी इस समय पहाड़ी पहाड़ के घुमावदार रास्ते पर पहुच चुकी थी.

अचानक एक ख़तरनाक टर्निंग पर दूसरी तरफ से आ रही एक बस के हॉर्न की आवाज़ सुन कर श्री ने साइड देने के लिए जैसे ही किनारा लिया वैसे ही गाड़ी अनबॅलेन्स हो गयी और तेज़ी से गहरी खाई की तरफ बढ़ने लगी.

ख़तरा और चित्रा ये देख कर तेज़ी से उसकी तरफ भागे लेकिन उनके पहुचते पहुचते गाड़ी एक चट्टान से टकराकर खाई मे जा गिरी और
फिर बूंमम कर के ब्लास्ट हो गयी.

तब तक वहाँ आनंद और बाकी सब भी पहुच गये..उनकी आँखो से आँसुओं की अवीराल धारा बहने लगी…दुखो का एक और पहाड़ उनके उपर टूट पड़ा.

मेघा (चिल्लाते हुए)--श्रीईईईईई
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वही एक पागल खाने मे एक पागल लड़की हर किसी के पास जाकर किसी का पता पूछ रही थी….
Reply
04-09-2020, 03:44 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट-87

श्री स्पीड मे गाड़ी चलाते हुए चली जा रही थी..उसकी गाड़ी इस समय पहाड़ी पहाड़ के घुमावदार रास्ते पर पहुच चुकी थी.

अचानक एक ख़तरनाक टर्निंग पर दूसरी तरफ से आ रही एक बस के हॉर्न की आवाज़ सुन कर श्री ने साइड देने के लिए जैसे ही किनारा लिया वैसे ही गाड़ी अनबॅलेन्स हो गयी और तेज़ी से गहरी खाई की तरफ बढ़ने लगी.

ख़तरा और चित्रा ये देख कर तेज़ी से उसकी तरफ भागे लेकिन उनके पहुचते पहुचते गाड़ी एक चट्टान से टकराकर खाई मे जा गिरी और
फिर बूंम कर के ब्लास्ट हो गयी.

तब तक वहाँ आनंद और बाकी सब भी पहुच गये..उनकी आँखो से आँसुओं की अवीराल धारा बहने लगी…दुखो का एक और पहाड़ उनके उपर टूट पड़ा.

मेघा (चिल्लाते हुए)--श्रीईईईईई

वही एक पागल खाने मे एक पागल लड़की हर किसी के पास जाकर किसी का पता पूछ रही थी….

अब आगे……

वो पागल लड़की कोई और नही बल्कि मारग्रेट थी जो पागल खाने मे क़ैद हर पागल के पास जा जा कर आदी का पता पूछ रही थी….बाल
पूरे बिखरे हुए थे उसके जैसे कि कयि दिन से उनमे कंघी का बालो पर स्पर्श तक ना हुआ हो.

मारग्रेट—ये तुझे आदी का पता मालूम है…बता ना मुझे.

1स्ट पागल—आधी…मैं आधी नही हूँ…मैं तो पूरी हूँ….देख उसको पता होगा…उसको पूछ..चल मैं भी तेरे साथ चलती हूँ.

मारग्रेट—क्यो तुझे आदी का अड्रेस पता है ना, चल बता मुझे.

2न्ड पागल—मैं क्यो बताऊ तुझे…

मारग्रेट (हाथ जोड़ कर)—देख मुझे आदी का पता बता दे, वो कहाँ मिलेगा... ?

3र्ड पागल—अरे उससे क्या पूछती है…वो तो पागल है…मेरे पास आ…मैं तुझे बताती हूँ.

2न्ड पागल—तू खुद पागल है और मुझे पागल कहती है.

1स्‍ट पागल—देख इसको आधी का पता बता दे...नही तो मैं तुझे बहुत मारूँगी.

3र्ड पागल (आधी रोटी दिखाते हुए)—मेरे पास भी तो आधी ही है…बाकी आधी तो मैने कब की खा लिया…ले आधी तू भी खा ले

मारग्रेट—ये तो रोटी है…मुझे रोटी नही चाहिए, मुझे मेरा आदी चाहिए…वो मुझसे बहुत गुस्सा हो गया है… और कहीं चला गया है…मुझे नही मिल रहा है…कब से मैं उसको ढूँढ रही हूँ.

इतना कहते हुए वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है…..उसको रोते देख बाकी पागल भी उसके पास आ कर वैसे ही रोने लगती हैं. उनके रोने की
आवाज़ सुन कर महिला जैल कर्मी उनके पास आ कर उन्हे वहाँ से भगाती हैं लेकिन मारग्रेट कहीं नही जाती.

कॉन्स्टेबल—इस लड़की ने नाक मे दम कर दिया है…जब देखो तब आदी..आदी की रट लगाए रहती है….कौन है ये आदी..?

मारग्रेट (रोते हुए)—मुझे आदी के पास जाना है….मुझे कोई मेरे आदी का पता बता दो प्लीज़.

कॉन्स्टेबल—कोई आदी वादी नही है यहाँ….मर गया होगा कहीं..चल उठ और कुछ काम कर अब...काम चोर कहीं की

मारग्रेट (सिसकते हुए)—मेरा आदी नही मर सकता…मेरे आदि को तूने ही छुपाया होगा कही…चल जल्दी से बता कि कहा छुपाया है तूने
मेरे आदी को.

कॉन्स्टेबल—मर गया वो साला आदी…चल भाग यहाँ से

मारग्रेट—मेरे आदी को गली देती है...रुक बताती हूँ

मारग्रेट ने पास मे पड़ा एक बड़ा सा पत्थर उठा कर उस महिला कॉन्स्टेबल के सिर मे ज़ोर से मार दिया…वो अपना सिर पकड़ कर नीचे बैठ गयी और चिल्लाने लगी…माथे से खून बहने लगा.

उस कॉन्स्टेबल की चीख सुन कर बाकी महिला कॉन्स्टेबल डंडा लेकर उसकी तरफ भागी जहा मारग्रेट अभी भी उसके सिर मे पत्थर से वार किए जा रही थी.

सबने जल्दी से उसको पकड़ कर उसे अलग किया और बालो से घसीट कर अंदर ले जाने लगी….अंदर ले जाकर उसको बेड से बाँध दिया
गया…डॉक्टर ने आते ही उसको एलेक्ट्रिक शॉट देने शुरू कर दिए…आदी आदी के नाम की माला जप्ते हुए वो बेहोश हो गयी.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply
04-09-2020, 03:44 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
दूसरी तरफ ख़तरा, चित्रा, आनंद और बाकी सब श्री की गाड़ी को जलते हुए देख रहे थे…मेघा की हालत बहुत खराब होती जा रही थी…अजीत उसको संभालने का असफल प्रयास करने मे लगा हुआ था किंतु वो लगातार ज़ोर ज़ोर से दहाड़ मार कर रोए जा रही थी.

ख़तरा और चित्रा नीचे खाई मे उतर गये किंतु उन्हे कही भी श्री की डेड बॉडी नही मिली…जिससे वो भी परेशान हो गये..उन्होने बहुत तलाश किया लेकिन उनके हाथ कोई सुराग नही लगा…नतीज़तन दोनो मायूष हो कर सब के पास लौट आए.

मेघा (रोते हुए)—मुझे मेरी बेटी ला दो…हे भगवान कैसा ये न्याय है तेरा….? पहले मेरा बेटा मुझसे छीन लिया और अब बेटी भी…..जब
छीनना ही था तो दिया ही क्यो था…? मुझे भी नीचे कूद जाने दो..छोड़ दो मुझे.

आनंद—ये सब मेरे ही पापों का दंड है…पहले उर्मि और अब श्री..दोनो को मेरे ही पाप का दंड भोगना पड़ा है…मैं तुम सब का गुनहगार हूँ.

अजीत—ये आप क्या कह रहे हैं भाई साहब….? भला आपने कौन सा पाप किया है….हम सब जानते हैं कि आप तो एक देवता हैं जो दूसरो की मदद करते रहते हैं.

आनंद—नही अजीत..मैं कोई देवता नही हूँ बल्कि मैं तो वो अपराधी हूँ जिसने अपने स्वार्थ के लिए कयि लोगो की ज़िंदगी मे अंधेरा कर दिया.

अजीत—भाई साहब….

आनंद (बीच मे ही रोक कर)—आज मुझे कह लेने दो अजीत….मैं बरसो से इस अपराध बोध की आग मे अंदर ही अंदर जल रहा हूँ..आज
मत रोको मुझे…अगर आज नही कह पाया तो शायद फिर कभी नही कह पाउन्गा…इसलिए आज मुझे कह लेने दो अपने गुनाहो की दास्तान.

आनंद—मेघा मैं सबसे ज़्यादा तुम्हारा गुनहगार हूँ….तुम्हारा ऋषि कहीं नही खोया था…

आनंद के मूह से ऋषि का नाम सुनते ही सब के कान खड़े हो गये….सबसे ज़्यादा शॉक मेघा को ही लगा.. अचानक उसका रोना कम हो गया…किंतु उसके दिल की धड़कन अचानक से बहुत तेज़ हो गयी.

मेघा (सिसकते हुए)—क्या आप मेरे ऋषि के बारे मे जानते हैं…? बताइए ना कहाँ है मेरा बेटा, कैसा है वो..? आप कुछ बोलते क्यो नही….?

आनंद (हिच किचाते हुए)—मेघा उूओ…वू….आदी ही तुम्हारा ऋषि है

आनंद ने ये कह कर जैसे आटम बॉम्ब फोड़ दिया…..सभी को 440 वॉल्ट का जबरदस्त झटका लगा…..किसी को भी आनंद से ऐसे वक्तव्य की आशा नही थी.

इसके बाद तो जैसे वहाँ सब कुछ शांत हो गया था…किसी के भी मूह से कुछ भी शब्द नही निकल रहे थे… बात ही ऐसी कह दी आनंद ने की उनकी ज़ुबान को लकवा मार गया था.

अजीत (शॉक्ड)—ये आप क्या कह रहे हैं भाई साहब….? आदी तो आपका और उर्मिला भाभी का बेटा है.

आनंद—नही अजीत…सच वो नही है जो सब जानते हैं बल्कि दर असल बात ये है कि…

फिर आनंद ने शुरू से लेकर अब तक की पूरी दास्तान हिम्मत कर के बिना रुके एक ही साँस मे कह डाली…ये सोचे बिना कि उनके उपर
सच्चाई जानने के बाद क्या गुज़रेगी..खास कर के मेघा के उपर…ये सुनते ही वो धडाम से नीचे गिर गयी.

मेघा को बहुत गहरा सदमा लगा…नीचे गिरते ही वो बेहोश हो गयी…चित्रा ने जल्दी से गाड़ी से पानी की बॉटल ला कर उसके चेहरे पर डाला तब कही उसको होश आया…मगर होश मे आते ही उसका करुन कृुंदन चालू हो गया.

मेघा की रुलाई जोरो से फूट पड़ी….बरसो से सीने मे दबा हुआ दुख का गुब्बार फॅट पड़ा…अब उसको संभालना मुश्किल था…उसने रोते हुए ही आनंद की कॉलर पकड़ ली.

मेघा (रोते हुए)—तुम मेरे बेटे और श्री के कातिल हो….मैं तुम्हे कभी क्षमा नही करूँगी…मैं आज तक अपने बेटे के लिए तड़पति रही और तुमने मुझे बताया तक नही….तुम आस्तीन के वो साँप हो जो अपने ही बच्चो को निगल जाता है….मुझे मेरा ऋषि ला कर दो..चाहे जैसे भी
हो..मुझे मेरा बेटा मेरा ऋषि चाहिए…जाओ दूर हो जाओ मेरी नज़रों से…आज के बाद मैं तुम्हारी शकल भी नही देखना चाहती…अपनी
दौलत, गाड़ी, बंग्लॉ जो भी तुमने दिया है वो सब लेलो बस मेरा ऋषि मुझे लौटा दो.

मेघा (रोते हुए)—हाए..मैं कैसी अभागिन माँ हूँ..मेरा बेटा मेरे सामने भी आया लेकिन मैं उसको पहचान नही सकी…धिक्कार है मेरी ममता पर…जाने वो उफनती नदी मे बह के कहाँ गया होगा…? मेरा ऋषि मुझे लौटा दो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ….सारी ज़िंदगी तुम्हारी नौकरानी बनके रहूंगी…बस मेरा बेटा मुझे दे दो.

मेघा की हालत बेहद नाज़ुक हो गयी थी…रोते रोते ही वो फिर से बेहोश हो कर नीचे गिर गयी…ऐसा लग रहा था कि गंगा का सारा पानी आज मेघा की आँखो के ज़रिए हो कर बह रहा हो और सब को उसमे डुबो देना चाहता हो.

मेघा की मानसिक अवस्था का अंदाज़ा लगा पाना या फिर उसके दर्द का वर्णन कर पाना इस समय बहुत मुश्किल था.. उसकी इस समय की
हालत को तो सिर्फ़ कोई पुत्र शोक से पीड़ित माँ ही लगा सकती थी.
.........................................

वही परी लोक मे अकाल और बकाल सोनालिका को घसीटते हुए कील्विष् की बताई हुई जगह पर ले जा रहे थे…. सोनालिका को तब तक
होश आ चुका था और वो अपने बचाव मे हाथ पैर मार रही थी जबकि दोनो उसकी बेबसी पर हँसे जा रहे थे ज़ोर ज़ोर से.

तभी किसी की आवाज़ सुन कर दोनो के कदम सहसा रुक से गये..

"अगर जिंदा रहना चाहते हो तो लड़की को छोड़ दो" किसी ने दोनो से चिल्लाते हुए कहा.

ये आवाज़ सुनते ही अकाल और बकाल तुरंत उसकी दिशा मे पलट गये और सामने वाले शख्स को देखते ही आश्चर्य चकित हो गये..तो वही हाल उस शख्स का भी हुआ, उसकी आँखे भी इन दोनो को और सोनालिका को देख कर हैरत से खुली रह गयी..और उसके मूह से अनायास ही निकल गया…

"सोनााआ..‼!".

अकाल और बकाल ने जैसे ही पलट कर देखा तो वो भी सामने खड़े शख्स को यहाँ देख कर हैरत मे पड़ गये किंतु जल्दी ही दोनो ने खुद के मनोभाव पर नियंत्रण पा लिया.

अकाल (हैरान)—राजनंदिनिि…और यहाँ….पर कैसे…..?

बकाल—ओह्ह्ह्ह...राजनंदिनिि...तुम यहाँ भी आ गयी...अच्छा किया...अब दोनो को पकड़ने के लिए हमे परेशान नही होना पड़ेगा.

राजनंदिनी (ज़ोर से)—कभी सूअर की औलाद को किसी शेरनी का शिकार करते हुए देखा है..... ? उल्टा शेरनी ही उनका शिकार करती है और आज भी वही होगा.

अकाल—बहुत घमंड है तुझे अपनी जवानी पर ना...चल बकाल आज पहले इसकी जवानी का ही रस निचोड़ते हैं.

अकाल तेज़ी से राजनंदिनी की तरफ बढ़ा उसको पकड़ने के लिए..किंतु राजनंदिनी तो इसके लिए पहले से ही तैयार खड़ी थी अकाल के पास
मे आते ही उसने तेज़ी से घूम कर एक ज़ोर की लात अकाल के मैं पॉइंट पर ही मार दी.

अकाल को ऐसे हमले की कतयि उम्मीद नही थी...वो दर्द से तड़प्ते हुए नीचे ज़मीन चाटने लगा...अपने भाई अकाल को ऐसे दर्द मे बिलखते देख कर बकाल गुस्से से अपना आपा खो बैठा और उसने तुरंत राजनंदिनी के उपर आग के गोले बरसाने चालू कर दिए.

राजनंदिनी दाए बाए हो कर उसके आग के गोलो से खुद को बचाती रही...अपना हर वार निष्फल जाते देख बकाल और भी गुस्सा हो गया.

वो अपनी माया रचने लगा लेकिन वो पूरी तरह से इसमे कामयाब हो पता उसके पहले ही राजनंदिनी ने फुर्ती दिखाते हुए उच्छल कर उसके
सीने मे लात और घूँसो की बरसात कर दी साथ ही उसके मैन पॉइंट मे भी एक लात जमा दी.

बकाल भी अपने भाई की तरह ज़मीन मे लोट कर दर्द से तड़पने लगा...सही मौका समझ कर राजनंदिनी सोना को उठा कर वहाँ से गायब
हो गयी. और सीधे परी लोक की सीमा मे पहुच गयी...अभी उसने अपना पहला कदम परी लोक मे रखा ही था कि तभी अचानक......
Reply
04-09-2020, 03:44 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट-88

अकाल को ऐसे हमले की कतयि उम्मीद नही थी...वो दर्द से तड़प्ते हुए नीचे ज़मीन चाटने लगा...अपने भाई अकाल को ऐसे दर्द मे बिलखते देख कर बकाल गुस्से से अपना आपा खो बैठा और उसने तुरंत राजनंदिनी के उपर आग के गोले बरसाने चालू कर दिए.

राजनंदिनी दाए बाए हो कर उसके आग के गोलो से खुद को बचाती रही...अपना हर वार निष्फल जाते देख बकाल और भी गुस्सा हो गया.

वो अपनी माया रचने लगा लेकिन वो पूरी तरह से इसमे कामयाब हो पाता उसके पहले ही राजनंदिनी ने फुर्ती दिखाते हुए उछल कर उसके
सीने मे लात और घूँसो की बरसात कर दी साथ ही उसके मैन पॉइंट मे भी एक लात जमा दी.

बकाल भी अपने भाई की तरह ज़मीन मे लोट कर दर्द से तड़पने लगा...सही मौका समझ कर राजनंदिनी सोना को उठा कर वहाँ से गायब
हो गयी. और सीधे परी लोक की सीमा मे पहुच गयी...अभी उसने अपना पहला कदम परी लोक मे रखा ही था कि तभी अचानक......

अब आगे......

परी लोक की सीमा मे पैर रखते ही पूरे परी लोक मे व्याप्त अनंत अंधकार अचानक दूर हो गया….पूरे लोक मे हर जगह पर रोशनी ही रोशनी फैल गयी.

महल मे बैठे महाराज और महारानी के साथ गुरुदेव भी चौंक कर अपनी जगह से खड़े हो गये...हर किसी के मंन मे हैरानी और कयि प्रकार की शंका के भाव उमड़ आए.

महाराज—गुरुदेव...ये प्रकाश कैसा है.... ? क्या हमारे लोक के बुरे दिन समाप्त हो गये हैं.... ?

गुरुदेव—अभी कुछ भी कहना संभव नही है….मैं खुद भी हैरान हो गया हूँ इस रोशनी को देख कर.

इधर राजनंदिनी सोनालिका को अपने कंधे का सहारा देते हुए किसी तरह महल तक पहुच गयी....सभी सैनिक राजकुमारी सोनालिका को किसी के साथ देख कर उसको गिरफ्तार करने के उद्देश्य से आगे बढ़े किंतु जैसे ही उनकी नज़र राजनंदिनी पर पड़ी तो सभी के पैर वही
जम गये और चेहरो पर घोर हैरानी छा गयी.

इधर महाराज और महारानी के पास एक सैनिक भागता हुआ गया और उन्हे राजकुमारी के आने की सूचना दी...किंतु महाराज और महारानी उस सैनिक की पूरी बात सुने बिना ही अधूरी बात सुन कर महल से बाहर की तरफ भागे.. उनको ऐसे भागते देख गुरु जी भी उनके पीछे हो लिए.

महाराज और महारानी जैसे ही महल के बाहर आए तो उन्हे भी बेहद हैरानी हुई ये देख कर कि सभी सैनिक ज़मीन पर घुटनो के बल सिर झुका कर बैठे हुए हैं.

वो अभी उनको कुछ कहने ही जा रहे थे कि तभी सामने से आती हुई अपनी पुत्री सोनालिका को देख कर चौंक गये उनके साथ गुरु जी भी हैरान रह गये...आश्चर्य से उनकी आँखे खुली की खुली रह गयी...उन्हे अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हो रहा था कि वो जो कुछ देख रही हैं
वो सत्य है.

सभी हैरान और आश्चर्य चकित सोनालिका को देख कर नही बल्कि उसके साथ राजनंदिनी को देख कर हो रहे थे.... गुरुदेव और बाकी सब के मूह से अपने आप ही निकल गया.

"महारणििइ.....राजनंदिनिईीईई"

राजनंदिनी के पास मे आते ही महाराज और महारानी के साथ साथ गुरुदेव भी घुटनो पर बैठ गये और राजनंदिनी को दोनो हाथ जोड़ कर प्रणाम किया.

महाराज—प्रणाम महारानी

गुरुदेव—मेरा भी प्रणाम स्वीकार करे महारानी राजनंदिनी.

राजनंदिनी—आप मुझे प्रणाम कर के अपने पद की गरिमा का अपमान मत कीजिए राज गुरु.....आप खड़े हो जाइए...और महाराज और महारानी आप भी उठिए और अपनी पुत्री को संभालिए.

महारानी—जी महारानी

महाराज—महल मे पधारिए महारानी.

महल के अंदर प्रवेश करते ही राजनंदिनी के उपर फूलो की वर्षा होने लगी....ऐसा लगने लगा जैसे वर्षो से मृतपराय परी लोक पुनः पुनर जीवित हो उठा हो.
Reply
04-09-2020, 03:44 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
महल के अंदर राजनंदिनी ऐसे चल रही थी जैसे कि यहाँ की हर चीज़, हर कक्ष से भली भाँति परिचित हो...ऐसे ही चलते हुए उसके कदम एक जगह पहुच कर रुक गये.

ये राज सभा थी जहाँ की एक दीवार पर आदिरीशि की विशाल तस्वीर शोभायमान हो रही थी....उस तस्वीर के पास पहुचते ही राजनंदिनी ने
आदिरीशि के पैरो मे अपना सिर टीका दिया और उसकी आँखो से अश्रु धारा प्रवाहित होने लगी.

दूसरी तरफ स्वर्ग लोक मे मुनीश अब आदी को बिल्कुल भी अकेला नही छोड़ रहा था....हर समय उसके साथ रहता था एक दिन उसके किसी मित्र के यहाँ पर कोई उत्सव का कार्य क्रम था तो वो अपने साथ आदी को भी ले गया.....हालाँकि आदि के जेहन मे उस समय ऋषि की यादे थी.

कार्य क्रम के दौरान उन देव पुत्रो की नज़र ऋषि पर पड़ गयी जिन्हे आदी ने मारा था और वो भी इस उत्सव मे भाग लेने आए हुए थे.

1स्ट देव पुत्र—मित्र वो देखो...वो मानव यहाँ भी आ गया.

2न्ड देव पुत्र—अच्छा हुआ...आज सही मौका है....अपने उस अपमान का बदला लेने का...चलो उसको ऐसा सबक आज सिखाएँगे कि वो फिर कभी किसी देव पुत्र से उलझना तो दूर देव लोक की तरफ आएगा भी नही.


1स्‍ट देव पुत्र—तुम सही कहते हो...चलो सब.

सभी जो की लगभग 10 से 15 लोग थे अपने साथ कुछ देव सेना लेकर ऋषि के बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगे… जब काफ़ी देर तक ऋषि बाहर नही आया तो उन्होने अपने एक साथी को अंदर किसी बहाने से उसको बाहर बुलाने के लिए भेज दिया.

देव पुत्र—सुनिए…आप से मिलने के लिए धरती लोक से कोई आपका मित्र आया हुआ है…बाहर आपकी प्रतीक्षा कर रहा है.

ऋषि—मेरा मित्र…? और धरती लोक से…? लेकिन धरती लोक मे तो मेरा कोई मित्र है ही नही…और मैं तो धरती लोक मे रहता भी नही, फिर कौन आ गया धरती लोक से मुझ से मिलने…?

देव पुत्र—पता नही…आप एक बार उससे मिल तो लीजिए….बेचारा इतनी दूर से आया है.

ऋषि—ह्म…ठीक है चलो…देखते हैं…पर पहले मैं अपने दोस्त मुनीश को तो बता दूं नही तो वो बेवजह परेशान होगा.

देव पुत्र (झूठ)—मैने उनको बता दिया है….उन्होने ही मुझे आपके पास बताने को भेजा है.

ऋषि—ठीक है चलो.

ऋषि उसके साथ बाहर आ गया…वो ऋषि को उस जगह ले गया जहाँ सभी बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे थे… ऋषि को आते हुए
देख कर उन सभी के चेहरे पर कुटिल मुश्कं फैल गयी.

ऋषि—कौन आया है मुझसे मिलने….? यहाँ तो धरती लोक का कोई भी नही दिख रहा है.

1स्ट देव पुत्र—पहले हमसे तो मिल लो.

2न्ड देव पुत्र—उस दिन बड़ा उच्छल रहा था ना…आज दिखा अपनी बहादुरी.

3र्ड देव पुत्र—सब मिल कर मारो इसको….इसको पता चलना चाहिए कि देवताओ से भिड़ने का क्या अंज़ाम होता है.

4थ देव पुत्र—तूने हम पर हाथ उठा कर बहुत बड़ी ग़लती की है…..आज तुझे बचाने कोई नही आएगा.

ऋषि—देखिए…पहली बात तो मैं आपको जानता तक नही…तो हाथ उठाने का तो प्रश्न ही पैदा नही होता… ज़रूर ही आप लोगो को कोई वहाँ हुआ होगा.

1स्ट देव पुत्रा—वहाँ….देखा साथियो…..अब मार खाने के डर से ये हमे झूठा कह रहा है…कहता है कि हमे जानता तक नही.

2न्ड देव पुत्र—अभी जान जाएगा….चलो सब मिल कर मारो इसको….अभी याद आ जाएगा सब कुछ.

3र्ड देव पुत्र—वैसे तेरी जानकारी के लिए बता दे कि हमने ही तुझे बाहर बुलाया है…तेरी मरम्मत करने के लिए…. अब तुझे मार मार के अध
मरा कर के यही से धरती लोक मे फेंक देंगे.

ऋषि—आप लोगो ने इसका मतलब झूठ बोल कर मुझे यहाँ बुलाया है जबकि मैं हक़ीक़त मे आप लोगो को आज पहली बार देख रहा हूँ.

4थ देव पुत्र—कितना बड़ा झूठा है ये….मारो इसको सब.

सब ऋषि के उपर कोई ना कोई हथियार ले कर टूट पड़े….ऋषि उन्हे बार बार समझाने का प्रयास करता रहा लेकिन वो कुछ सुनने को
तैय्यार ही नही थे.

सब के सब मिल कर ऋषि के उपर लात घूँसो की बरसात करने लगे…..ऋषि बार बार खुद को बचाने और समझने की कोशिश करता रहा…तभी किसी ने उसके सिर पर पीछे से किसी भारी भरकम चीज़ से प्रहार कर दिया जिससे वो लहू लुहान हो कर नीचे गिर पड़ा और बेहोश हो गया.

1स्ट देव पुत्रा—अब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिली है….सही पिटाई हुई है इसकी.

2न्ड देव पुत्र—कहो तो जान से ही मार देते हैं.

3र्ड देव पुत्र—मेरा भी यही ख्याल है.

4थ देव पुत्र—ठीक है मार दो…जो होगा देखा जाएगा बाद मे.

सभी अपनी अपनी तलवार लेकर ऋषि की तरफ बढ़ने लगे…..उधर ऋषि के बेहोश होते ही उसके अंदर आदी की याद दाश्त जीवंत हो उठी.
Reply
04-09-2020, 03:45 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट—89

सभी देव पुत्रो ने धोखे से ऋषि के सिर पर वार कर दिया जिससे ऋषि बेहोश हो गया….ऋषि के बेहोश होते ही उसके जिस्म मे आदी की चेतना जागृत हो गयी…और सभी घाव अपने आप तेज़ी से भरने लगे.

1स्‍ट देव पुत्र—अब जा कर हमारे हृदय को सुकून मिला है.

2न्ड देव पुत्र—सही कहा दोस्त….उस दिन तो बहुत अकड़ रहा था…आज चूहा बन गया…हाहाहा

3र्ड देव पुत्र—इस चूहे को धरती मे फेंक दो यही से

सभी उसको उठा कर धरती मे फेंकने के लिए जैसे ही उसके पास पहुचे वैसे ही आदी एक झटके मे उठ कर खड़ा हो गया…उसको ऐसे
खड़े होते देख एक तो सभी डर कर थोड़ा पीछे हट गये लेकिन जल्दी ही खुद को संयत कर लिया.

4त देव पुत्र—ओह्ह्ह…ये तो फिर से खड़ा हो गया….और घूरता क्या है बे…..अभी की मार कम पड़ गयी क्या…?

1स्ट देव पुत्र—लगता है कि आज इसका मरण दिन ही आ गया है.

3र्ड देव पुत्र—तो फिर इंतज़ार किस बात का…..मारो फिर से इसको.

सभी एक साथ फिर से हाथो मे तलवार लेकर आदी की तरफ बढ़ने लगे तेज़ी से…जैसे ही एक देव पुत्र ने उसके उपर तलवार से वार किया तो आदी ने बीच मे ही उसकी तलवार को पकड़ लिया और एक लात उसके सीने मे ज़ोर से मार दी.. जिससे वो देव पुत्र दर्द से चिल्लाते हुए
बहुत दूर तक फिसलते हुए जा गिरा.

आदी (ज़ोर से)—मैने उस दिन तुम लोगो को समझाया था ना, कि मुझे बदतमीज़ लोग बिल्कुल भी पसंद नही हैं और दुबारा मैं समझाता नही
हूँ.

2न्ड देव पुत्र—ये तो फिर से अकड़ने लगा.

3र्ड देव पुत्र—मारो सब इसको.

सब के सब एक साथ आदी के उपर टूट पड़े….आदी ने तुरंत अपनी तिलिस्मि तलवार को याद किया तो तलवार रोशनी बिखेरती हुई आदी के हाथो मे आ गयी….अब इन देव पुत्रो को तो इस तलवार की ताक़त का अंदाज़ा था नही….सो सभी भिड़ गये आदी से.

लेकिन अगले ही पल वहाँ उन देव पुत्रो की दर्द भरी चीख पुकार से वहाँ का वातावरण गूँजायमान होने लगा...जो भी आदी के सामने आता, वो
आदी के एक ही वार से घायल हो कर दूर जा गिरता.

अपने साथियो की ऐसी बुरी हालत देख उन देव पुत्रो ने आदी को चारो तरफ से घेर कर उसके उपर घातक जान लेवा प्रहार करने लगे.

मगर आदी बिना डरे उनके घातक प्रहारो को अपनी तलवार से रोक कर उन्हे लहू लुहान करने लगा….किसी को तलवार के वार से तो किसी
को लात और घूँसो के प्रहार से कुछ ही पल मे उन अभिमानी देव पुत्रो के गुरूर को खाक मे मिलाने लग गया.

आदी का ऐसा विकराल रूप देख कर कयि देव पुत्रो के पसीने छूट गये…..उनके साथ जितने भी देव सेना के सैनिक आए थे आदी ने उनको यमलोक पहुचा दिया.

कई देव पुत्र घायल होने के बाद वहाँ से भाग खड़े हुए….उनका लीडर अब भी मैदान मे डटा हुआ था…लेकिन उसका कोई पैंतरा अब आदी के उपर काम नही कर रहा था.

लीडर देव पुत्र (मन मे)—कोई इंसान इतना शक्तिशाली कैसे हो सकता है….? इसने तो मेरे सभी साथियो को पल भर मे ही धूल चटा दी….अगर इसको जल्दी ही नही मारा गया तो ये देव लोक के लिए बड़ा ख़तरा बन सकता है…मुझे अब शक्ति प्रयोग ही करना पड़ेगा…यही एक उपाय शेष है अब.

ये मन मे सोच कर उसने अपनी आँखे बंद कर के एक शक्ति का आह्वहन करने लगा….उसको शक्ति का आह्वहन करते देख आदी उसके
हाव भाव से उस शक्ति का अनुमान लगाने लगा.
Reply
04-09-2020, 03:45 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अगले ही पल वहाँ आग बिखेरती हुई एक शक्ति प्रकट हुई जिसको कि उस देव पुत्रा ने उंगली से आदी को ख़तम करने का इशारा कर दिया.

इशारा पाते ही वो शक्ति आदी की तरफ बड़ी तेज़ी से आग की लपटें निकालते हुए बढ़ी…जैसे ही वो आदी के समीप पहुचि तो आदी ने
उसको अपनी तलवार से रोक दिया…धीरे धीरे वो शक्ति आदी की तलवार मे ही समा कर गायब हो गयी.

अपनी शक्ति को निष्फल होते देख वो देव पुत्र क्रोधित हो गया और एक के बाद एक शक्तियो का प्रहार करने लगा लेकिन उसकी कोई भी शक्ति आदी की तलवार के सामने अधिक देर तक नही टिक सकी और तलवार मे ही समा जाती जिससे तलवार की ताक़त और भी बढ़ती चली गयी.

अपना हर वार विफल हो जाने पर वो देव पुत्र बिना सोचे समझे निहत्था ही आदी को क्रोध मे आ कर मारने के लिए दौड़ पड़ा….जैसे ही पास
आया तो आदि ने उसका एक हाथ पकड़ कर उसके हाथ की हड्डी तोड़ दी.

वो दर्द मे ज़ोर ज़ोर से चीखने लगा….आदी अपनी तलवार उठा कर जैसे ही उसके उपर वार करने को उधयत हुआ वैसे ही उसके कानो मे किसी लड़की के हँसने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो उसने उस देव पुत्र के पेट मे एक लात मार के उस आवाज़ की दिशा मे चला गया लेकिन जाते जाते..

आदी—दुबारा मुझसे भिड़ने से पहले किसी अच्छे गुरु से युद्ध शिक्षा ले लेना….जा मैने तुझे जीवन दान दिया
.....................................

उधर अंदर कार्य क्रम मे जब मुनीश को आदी कही नज़र नही आया तो वो हर जगह उसको तलाश करने लगा..ऐसे ही उसको खोजते हुए वो उस देव पुत्र के पास तक पहुच गया.

मुनीश (चौंक कर)—अरे आप की ये हालत कैसे हो गयी युवराज…..?

देव पुत्र—ये सब तुम्हारे उस दोस्त के कारण ही हुआ है.

मुनीश (शॉक्ड)—क्याआ….? मेरा दोस्त…‼..कहाँ है वो और क्या किया उसने…?

देव पुत्र—वो तुम्हारी बहन प्रियमबाड़ा के साथ बदतमीज़ी कर रहा था….मैने उसको रोका तो उसने मेरे उपर ही हमला कर दिया और मुझे घायल करने के बाद पता नही तुम्हारी बहन को कहाँ ले गया होगा अब….तुम्हारा दोस्त समझ कर मैने हाथ नही उठाया वरना आज तो उसकी मृत्यु निश्चित थी मेरे हाथो से…..

मुनीश—क्याआआआ…..? वो अब मेरी बहन के पीछे पड़ गया……हे गुरुदेव मैं बर्बाद हो गया….इस आदी ने मेरे पूरे परिवार का कल्याण
कर दिया….किधर गया है वो…आज मैं उसको जिंदा नही छोड़ूँगा…उसने मेरी दोस्ती के नाम पर धोखा दिया है मुझे…..कहाँ मिलेगा वो मुझे….?

देव पुत्र—आआआआ….इस तरफ गया है वो..तुम्हारी बहन को ज़बरदस्ती लेकर

मुनीश—मैं आ रहा हूँ बहन…तुम चिंता मत करो….आज इस हैवान को मैं जीवित नही रहने दूँगा….

मुनीश गुस्से मे आग बाबूला हो कर उस देव पुत्र के अनुसार बताई दिशा की ओर तेज़ी से बढ़ गया.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

वही धरती पर आनंद के द्वारा सारी सच्चाई जान कर मेघा के दिल मे दर्द अब और भी गहरा हो चुका था… रह रह कर उसके हृदय मे एक टीस सी उठ रही थी.

ख़तरा और चित्रा इस बात को लेकर परेशान थे कि आख़िर श्री की बॉडी गयी कहाँ….लाख सोचने के पश्चात भी उन्हे कुछ भी समझ नही आ रहा था.

श्री के साथ ये दुर्घटना होने से कुछ समय पहले……..
Reply
04-09-2020, 03:45 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट—90

मुनीश उस देव पुत्र की बात सुन कर आग बाबूला हो उठा और क्रोध के वशी भूत हो कर आदी को सबक सिखाने के उद्देश्य से निकल पड़ा.

इधर आदी उस आवाज़ की दिशा मे आगे बढ़ा तो कुछ दूर जाने के पश्चात ही उसकी नज़र एक सुंदर नव यौवना पर गयी जो अपनी कुछ सहेलियो के साथ जल विहार करते हुए हसी तिठोली कर रही थी.

आदी उस नव युवती के रूप सौंदर्य को देख कर उसकी ओर आकर्षित होने लगा और वही छुप कर उनकी जल क्रीड़ा को देखने का आनंद लेने लगा.

मुनीश की बहन प्रियंवदा अठखेलिया करती हुई जल विहार करने मे मग्न थी उन्हे इस बात का कोई आभास नही था कि कोई चोरी छुपे उसके इस मादक सौंदर्य के रस को अपने नेत्रो से टकटकी लगाए हुए रस्पान कर रहा था.

प्रियंवदा के इस अप्रतिम रूप सौंदर्य को देखते ही आदी का मन विचलित सा होने लगा…..नहाते हुए प्रियंवदा का ध्यान अपने वस्त्रो की तरफ बिल्कुल भी नही था…जो कि इस समय फटने को हो रहे थे…वो तो एक अल्हड़ किशोरी की भाँति जल क्रीड़ा मे मगन थी….वह ऐसी
निश्छल लग रही है कि वो अपनी आयु मे परिवर्तन के इस चिन्ह को भी पहचान नही पा रही है और इस दशा मे अपने शरीर की भाव
भंगिमा को नियंत्रित नही कर पा रही है…उसके स्वाभाव मे एक विचलन आ गया है जो कि उम्र की वय संधि की वजह से है.

आदी प्रियंवदा के इस रूप को देखने की अभिलासा मे ऐसा विचलित हो कर पीछे पड़ा जैसे आशा मे चूर हुआ भिखारी करपण का भी पीछा नही छोड़ता है…प्रियंवदा जहाँ जहाँ पैर रखती है वहाँ वहाँ सरोवर बन जाता है जैसे ही उसके शरीर का कोई अंग झलकता है तो लगता है की बिजली दमक रही हो…

आदी बहुत देर तक उसके रूप के दर्शन बिना पलक झपकाए करता रहा…उसको पता ही नही चला कि कब उनकी जल क्रीड़ा समाप्त हो गयी और वो पानी से बाहर निकल आई.

पानी से बाहर आते ही आदी पर तो जैसे बिजली ही टूट पड़ी…गीले वस्त्रो मे प्रियंवदा का गोरा मांसल मादक जिस्म और भी खूबसूरत लग रहा था…आदी तब तक उसको देखता रहा जब तक कि नहाने के पश्चात वहाँ से जाने नही लगी. उसको जाते देख आदी भी उसके पीछे पीछे चलने लगा.

अचानक चलते हुए प्रियंवदा का पैर किसी चीज़ से टकराया जिसके कारण वो अपने आपको नियंत्रित ना कर पाने से नीचे गिरने लगी…ये देख कर आदी तुरंत उसके पास पहुच कर उसको अपनी बाहो मे थाम लिया और नीचे गिरने से बचा लिया.

प्रियंवदा चौंकते हुए जैसे ही पलटी तो वो आदी के सौन्दर्य के अद्भुत प्रभाव से उसका हृदय सम्मोहित हो गया….वह आदी को देखते हुए अपनी सुध बुध खोने लगी….इस समय भी वो आदी की बाहो के घेरे मे झूल रही थी. उसकी सहेलिया भी दोनो को एक टक देखे जा रही थी
और एक दूसरे की ओर देखते हुए मंद मंद मुश्कुरा रही थी.

ठीक उसी वक़्त मुनीश भी वहाँ पहुच गया….अपनी बहन प्रियंवदा को आदी की बाहो मे देख कर उसने समझा कि आदी उसकी बहन के साथ ज़बरदस्ती करने का प्रयास कर रहा है…ये विचार मन मे आते ही उसका क्रोध और भी बढ़ गया और इस क्रोध ने उसकी सोचने समझने की शक्ति का हनन कर दिया.

मुनीश (चिल्लाते हुए)—आदिइईईईईईईईईई….छोड़ मेरी बहन को…..मैं कहता हूँ कि छोड़ दे मेरी बहन को…आदिइईईईईईईई

लेकिन मुनीश की आवाज़ का दोनो के उपर कोई प्रभाव नही पड़ा जैसे कि उन्होने उसकी आवाज़ सुनी ही ना हो या सुन कर भी अनसुना कर दिया हो…अब मुनीश इसे अपनी अवहेलना समझ कर आदी को सबक सिखाने के उद्देश्य से एक प्राण घातक शक्ति का आवाहन करने लगा.

“रुक जाओ मुनीश…ये क्या अनर्थ करने जा रहे हो….? क्यो अपनी मृत्यु को निमंत्रण दे रहे हो….?” उसे शक्ति आवाहन करते देख अचानक
वहाँ ब्रम्‍हरषी विश्वामित्र ने प्रकट होते हुए कहा.

विश्वामित्र के प्रकट होते ही वहाँ मौजूद सहेलिया भयभीत हो कर भाग निकली जबकि प्रियंवदा और आदी के आचरण मे कोई प्रभाव नही
पड़ा…वो दोनो अब भी एक दूसरे मे सम्मोहित हुए खड़े थे….अपने सामने ऋषि विश्वामित्र को देख कर मुनीश का क्रोध कुछ कम हुआ.

मुनीश—गुरुदेव….इसने मित्रता जैसे शब्द को अपमानित और लज़्ज़ित किया है….इसे दंड मिलना ही चाहिए…आज मैं इस व्यभिचारी का अंत कर दूँगा…कृपया आज मुझे मत रोकिए…

विश्वामित्र—कौन व्यभिचारी है…? आदी…? तुमने किसके साथ उसे व्यभिचार करते हुए देखा है….? और रहा उसके अंत करने का सवाल तो क्या तुझमे इतनी शक्ति है की तुम उसका सामना कर सको….?

मुनीश—ये आप क्या कह रहे हैं गुरुदेव….धरती लोक मे इसने कयि स्त्रियो के साथ व्यभिचार किया है… मुनि अष्टवकरा के कहने पर मैं इसको अपने पास ले आया लेकिन यहाँ आ कर भी ये नही सुधरा…इसने मेरी पत्नी और मेरी माँ को ही अपनी हवस का शिकार बना डाला
और आज इसकी नियत मेरी बहन पर भी बिगड़ गयी है…मैं इसे जीवित नही रहने दूँगा.

विश्वामित्र—क्या तुमने आदी को अपनी पत्नी और माँ के साथ कुछ ग़लत करते हुए देखा है….? क्या तुमने कभी अपनी पत्नी और माँ से सच
जानने की चेस्टा की है….? और धरती लोक मे जो कुछ हुआ उसका असली गुनहगार कौन है... ? आदी या फिर खुद तुम..... ?

मुनीश—आप ये क्या कह रहे हैं गुरुदेव... ? मैने खुद आदी को अपनी पत्नी और माँ के साथ पसीने मे लथपथ होते हुए देखा है…..धरती लोक मे जो हुआ उसका अपराधी मैं कैसे हो गया…? जो कुछ भी हुआ वो सब आदी के ही करमो का प्रति फल है.

विश्वामित्र—ज़रा सोचो कि अगर आदि व्यभिचारी होता तो क्या मारग्रेट, सोनालिका, चित्रा, अग्नि, अलीज़ा और श्री कुवारि रह पाती..अब तक वो लड़की से औरत बन चुकी होती....क्या तुमने आदी को लड़कियो से दूर भागते हुए नही देखा .. ? फिर तुमने सिर्फ़ पसीने मे लथपथ होने की
वजह से ही ये निष्कर्ष कैसे निकल लिया कि उसने तुम्हारी माँ, और पत्नी के साथ कोई ग़लत काम किया है, वो भी बिना कुछ देखे ही.... ?

मुनीश—लेकिन गुरुदेव.....मैने आदी को अपनी पत्नी और माँ, के साथ संभोग करते हुए महसूस किया है और धरती लोक मे भी उसने....

विश्वामित्र—तुमने अपनी माँ और पत्नी के साथ जो भी आदी को करते हुए महसूस किया है वो सिर्फ़ तुम्हारे मन का वहम है....ये सत्य है कि वो दोनो आदी की तरफ आकर्षित हुई थी किंतु सत्य यही है कि आदी और उनके बीच ऐसा कुछ भी नही हुआ कि जिससे आदी को तुम्हारे
सामने शर्मशार होना पड़े....बंद कमरे के अंदर उनके बीच वास्तव मे क्या हुआ था ये तुम अपनी पत्नी और माँ से ही पूछना तो अधिक बेहतर होगा.

विश्वामित्र—आदी को इतनी शक्तिया दी गयी....स्वयं भगवान शिव ने उसको अपना आशीर्वाद प्रदान किया...अगर आदी एक व्यभिचारी होता तो क्या ये होना संभव था.... ? धरती लोक मे आदी के साथ जो हुआ वो तुम्हारी ग़लतियो का नतीज़ा है….ऋषि अष्टवकरा ने तुम्हे आदी को प्रेम का महत्व समझाने का जिम्मा दिया था जबकि तुमने उसके दिमाग़ मे काम वासना की शक्ति भर दी...फिर भी वो खुद से लड़ता रहा....उसने
तुम्हे श्राप मुक्त किया और तुमने क्या किया उसके साथ.... ? मित्रता मे धोखा किसने दिया..तुमने या आदी ने... ?

मुनीश—मुझे क्षमा करे गुरुदेव....जब ऋषि अष्टवकरा ने मुझसे आदी को शक्तिया देने की बात कही तो मुझे मेरे एक देव पुत्र के होते हुए भी एक मानव को इतनी शक्तिया देना सही नही लगा..मेरे मन मे आदी के प्रति ईर्ष्या ने जनम ले लिया था....और इसके चलते ही मैं हर किसी से
आदी को अपमानित कराना चाहता था और ये सिद्ध करना चाहता था कि मानव हम देवताओ से श्रेष्ठ कभी नही हो सकते.....मैने ही ईर्ष्या मे
अँधा हो कर अजगर को उसके धरती लोक मे होने की बात बताई थी...मुझे क्षमा कर दे गुरुदेव.

विश्वामित्र—तुमने अपनी पत्नी और माँ के साथ आदी का जो संभोग दृश्य देखा है वो तुम्हारी उसी शक्ति के कारण है...जिसे ऋषि अष्टवकरा ने तुम्हे सही मार्ग दिखाने के लिए अपनी शक्ति से रचा था...बाकी सत्य अपनी पत्नी और माँ से जान लेना....और हां कल आदी को मेरे पास ले
आना...अब आगे उसकी शिक्षा दीक्षा देने का काम मेरा होगा.

मुनीश—गुरुदेव...मैं बहुत लज्जित हूँ अपने कृत्य पर....मैं अपनी बहन का विवाह आदी के साथ करना चाहता हूँ अब...क्या ये संभव है.. ? क्यों कि आदी एक मानव है और मेरी बहन एक देव कन्या……

विश्वामित्र—तुम्हारा विचार अति उत्तम है....आदिरीशि की सात निर्धारित पत्नियो मे से एक प्रियंवदा का होना शुभ है.

मुनीश—लेकिन गुरुदेव…वो कभी आदी बन जाता है तो कभी ऋषि…ऐसे मे मैं अपनी बहन का विवाह किसके साथ करूँ….? क्या इसका कोई समाधान नही है….?

विश्वामित्र—इसका उपाय सिर्फ़ एक ही है और वो है राजनंदिनी…..केवल राजनंदिनी ही दोनो को एक कर सकती है… जिस दिन वो आदी या
ऋषि के सामने आ जाएगी उस दिन से ही आदिरीशि का उदय हो जाएगा.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,503,595 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,611 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,232,605 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 932,160 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,654,908 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,081,784 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,952,849 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,062,264 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,034,164 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 285,044 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)