RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सुबह प्रात: ही घर की चहल पहल के कारण सूरज की आँख खुली।
लकड़ी काटने के लिए सुबह से लेकर देर शाम हो जाती है इसी कारण माँ बेटे घर से भोजन खा कर ही निकलते थे।
दोनों बहन पूनम और तनु प्रातः उठ कर माँ और अपने भाई के लिए भोजन बनाने में जुट जाती हैं । यह रोज की दिनचर्या में शामिल था।
सूरज उठ कर सबसे पहले दैनिक क्रिया से निपटारा कर काम पर जाने की तैयारी करने लगता है ।
वैसे तो सूरज और रेखा दोनों एक साथ ही लकड़ी काटने एक ही जंगल में जाते हैं लेकिन कभी कभी ज्यादा मोठे पेड़ काटने के लिए सूरज जंगल के एक कोने से दूसरे कोने तक चला जाता था ।रेखा गाँव के समीप ही लकड़ी काटती थी क्योंकि ज्यादा दूर लकड़ी का बोझ अपने सर पर उठाने में असमर्थ थी ।
जिंदगी बस ऐसे ही कठिन दौर से गुज़र रही थी ।
सूरज और रेखा दोनों एक साथ जंगल के लिए साथ साथ निकल चुके थे ।
दोनों माँ बेटे देर शाम तक लकड़ी को काट कर फिर गाँव के ही जमीदारों को बेचते थे ।
जो पैसा मिलता उससे चौधरी का उधार और घर का राशन ले आते थे ।
यही क्रम अब तक चलता आ रहा था।
इधर दोनों बहन घर में अकेली रह कर घर की साफ़ सफाई व् शाम के भोजन की तैयारी में जुट जाती थी ।
तनु की एक दो सहेलियां भी थी जिसके साथ एक दो घंटा उनके साथ गप्पे लड़ाने में बिता देती थी लेकिन बड़ी बहन पूनम घर से कम ही निकलती थी । ऐसा नहीं है की उसका बहार घूमने का मन नहीं करता था वो बहार लोगों के ताने से डरती थी । उसकी कुछ सहेलियां भी थी जिनकी अब शादी हो चुकी थी ।लगभग उसके साथ की सभी लड़कियों की शादी हो चुकी थी । पूनम भी 24 वर्ष की हो चुकी थी लेकिन उसके घर की माली हालात इतने खराब थे की उसकी शादी के दहेज़ और नगद रकम की व्यवस्था उनके पास नहीं थी । पूनम भी अपने घर के हालात को अच्छी तरह समझती थी इसलिए उसने भी बिना शादी के जीवन जीने की प्रतिज्ञा ले ली थी ।
हालांकि पूनम खुबसुरत थी उसका जिस्म ऐसा था की अच्छे अच्छे को मात देदे ।
गाँव के काफी लोग उसकी बुरी नियत से देखते हैं उसकी गरीबी का फायदा उठाने के षड्यंत्र भी रचते हैं लेकिन पूनम बहुत होशियार और समझदार प्रवर्ती की लड़की है उसने आज तक कोई गलत कदम नहीं उठाया । कई बार उसका भी मन चलता है की शादी हो बच्चे हों,पारवारिक जीवन का आनंद उठाए लेकिन उसने सभी इच्छाओ को अपने वश में कर लिया था ।
पूनम जब स्कूल में पढ़ती थी तब उसकी भी इच्छा थी एक नोकारी मिले और कार बंगाल अच्छा पति हो वर्तमान जीवन को खुल कर जिए।जैसे फिल्मो मे लड़कियों की जीवन शैली होती है लेकिन उसकी सभी इच्छाएं गरीबी की भेंट चढ़ गई ।
अब तो उसने अपने मन को उसी प्रकार ढाल लिया था ।
चोका चूल्हे को ही अपनी असल जिंदगी की वास्तविकता को स्वीकार कर चुकी थी । अपने सारे सपनो को आजीवन तलाक दे चुकी थी ।
गरीबी इस प्रकार छाई थी की उसके पास मात्र दो जोड़ी ही सलवार सूट थे उनमे भी कई जगह से फटे हुए थे जिन्हें सुई से टांका मार कर उन्ही को पहना करती थी। जब कभी एक दो साल में बाजार जाना होता था तो सिर्फ ब्रा और पेंटी ही खरीद कर ले आती थी ।कभी मेकअप का सामान ला कर पैसे का द्रुपयोग नहीं करती थी । लेकिन आज की स्थिति ये थी की उसके पास मात्र एक ही पेंटी बची थी उसका प्रयोग तभी करती थी जब उसको महावारी होती थी चूँकि महावारी के दौरान सलवार खराब न हो इसलिए पेंटी के अंदर कपडा लगाना पड़ता था । वाकी के दिनों में बिना पेंटी के ही सलवार पहन कर घर में रहती थी ।
यह हाल सिर्फ पूनम का ही नहीं बल्कि उसकी माँ रेखा और तनु का भी था ।
ऐसा समझ लीजिए की यह परिवार सिर्फ जी रहा था । अपनी इच्छाओ को मारकर ।
कभी कभी अपने हालात पर रो भी लिया करती थी दोनों बहने और रेखा भी लेकिन किसी के सामने नहीं ।
पूनम और तनु दोनों बहने घर की साफ़ सफाई कर रहीं थी । रेखा और सूरज के जंगल जाने के पस्चात दोनों बहनो का रोज का कार्य था ।शाम को रेखा और सूरज थके हुए तथा भूके होते हैं इसलिए दोनों बहने उनके आने से पहले ही खाना तैयार रख लेती हैं ।
पूनम समझदार तथा कम बोलने वाली लड़की थी लेकिन तनु पुरे दिन चपड़ चपड़ कुछ न कुछ बोलटी ही रहती थी।हालांकि तनु वेहद समझदार थी । लेकिन थोड़ी चुलवली प्रवर्ती की थी । गरीबी की आंधी ने सपने तो तनु के भी ध्वस्त कर दिए थे परंतु वह दूसरों के सामने खुश रहने का नाटक करती थी । उसका भी बहुत मन था की दुनिया के ऐसोआराम मिले बड़े बड़े स्कूल में पढ़े।लेकिन आर्थिक तंगी के कारण बिच में ही पढ़ाई छोड़ना उसके लिए बहुत आघात पहुचाने जैसा था।परिवार के हालात और दो वक़्त की रोटी नसीब होती रहे इसलिए उसने भी अपने मन को समझा लिया था।
तनु और पूनम घर की सफाई कर थोड़ी देर के लिए आराम करने के लिए चारपाई पर लेट जाती हैं ।
तभी तनु पूनम से बोलती है ।
तनु-"दीदी अगर चौधरी का कर्जा नहीं उतरा तो क्या चौधरी भैया और माँ को मारेंगे?
तनु की मासूमियत में माँ और भैया के लिए भय दिखाई दिया।पूनम भी जानती थी की चौधरी बहुत हरामी और नालायक किस्म का व्यक्ति है । वह कुछ भी कर सकता है ।
पूनम-" तू क्यूं चिंता करती है पगली।माँ और सूरज दोनों मिल कर जल्दी ही चौधरी का कर्जा चुका देंगे फिर हमें कोई परेसानी नहीं होगी ।
तनु-"लेकिन दीदी बहार कई लड़कियां बोलती हैं की चौधरी बहुत मक्कार इंसान है ।कई लोगो को कर्जा न चुकाने के कारण मौत के घात उतार चुका है ।
पूनम-"ऐसा कुछ भी नहीं करेगा चौधरी । तू ये चिंता छोड़ दे तनु।
दोनों बहने असमय आने वाले इस डर से भयभीत थे । लेकिन एक दूसरे को चिंतामुक्त होने की सलाह दे कर ईश्वर पर छोड़ देते हैं ।
चौधरी का भय और उसकी क्रूरता का के बारे में पुरे गाँव जानता था। कर्जा तो वह जानबूझ कर देता था ताकि कर्जे की आढ़ में भोले भाले लोगों को डरा धमका कर उनकी औरतें और लड़कियों को भोगता था।इसी लालच में चौधरी सूरज की माँ रेखा और पूनम,तनु के जिस्म को भी पाना चाहता था । गाँव के लोग भी चौधरी के इस छिछोरेपन से परिचित थे । पूरा गाँव इस बात को भी जानता था की चौधरी की नियत रेखा और पूनम,तनु दोनों बहनो पर है । रेखा भी इस बात को भलीभात जानती थी की चौधरी उसको आँखे फाड़-फाड़ कर देखता है लेकिन रेखा उसको घास भी नहीं डालती थी।उसके सामने कितनी भी बड़ी समस्या क्यूं न हो लेकिन उसने आज तक अपनी अस्मत पर आंच नहीं आने दी ।
हालांकि रेखा भरे जवानी में विधवा हो गई थी। उसको भी अपने पति की कमी का अहसास होता था । लेकिन अपनी मान मर्यादा की हमेसा हिफाजत की ।
रेखा बहुत शांत स्वाभाव की महिला थी ।
कुछ हालात ने उसे शांत रहने पर मजबूर कर दिया था। गाँव की औरतो में कम उठना बैठना था उसका ।एक दो बार वह गाँव की औरतो में वैठी भी है तो गाँव की औरते अपने साडी और महंगे जेवर दिखा कर उसे जलाती थी। कई औरते उसकी फटी साडी का मजाक भी उड़ाती थी ।इसलिए शर्म और ह्या के कारण उसने अपने जीवन को जंगल और लकडियो के बीच ढाल लिया था।
जंगल का दृश्य
सूरज और सूरज की माँ एक सूखे पेड़ के तने को काटने का बलपूर्वक रूप से प्रयास कर रहे थे।दोनों माँ-बेटे लगन और कड़ी मेहनत से लकड़ी काटने में मगन हैं । और क्यूँ न हो जब इतने बड़े परिवार की खुशियाँ चंद पैसे से कमाई जाने लगे तो माँ और बेटे इन खुशियों के लिए अपना जीवन इन जंगलों की वियावान ख़ौफ़नाक स्थान पर भी अपने परिवार के लिए कड़ी मेहनत करने में मगशूल थे ।चौधरी का कर्जा पूनम और तनु की शादी ये बहुत बड़ी चुनौती इन दोनों माँ बेटे ने स्वीकार कर ली थी । लेकिन सोचना ये था की क्या ये माँ बेटे चंद पैसे कमा कर चौधरी का कर्जा और दोनों बेटियो की शादी करने में सक्षम हो पाएगा।
पिता की मृत्यु के पश्चात् ही रेखा कई सालो से 100-100 रुपए कर्ज की व्याज के रूप में चौधरी को अब तक देती आई है । लेकिन व्याज का पैसा टस से मस नहीं हुआ है ज्यो का त्यों ही बना हुआ है ।
इस प्रकार लकड़ी काट कर न तो चौधरी की व्याज का भुगतान होगा और न ही पूनम और तनु की शादी सम्भव है ।
इस चुनौती से कैसे छुटकारा मिले और परिवार खुश रहे इसी सोच में सूरज भी पुरे डूबा रहता था।बहुत कुछ सोचता लेकिन कोई और रास्ता उसे नहीं सूझता ।यही हाल रेखा का भी था । करे तो क्या करे??
दोनों माँ- बेटे लकड़ी काटने में मगन थे
तभी सूरज अपनी कुल्हाड़ी को रोक कर नीचे घास पर वैठ गया । सुबह से ही कड़ी मेहनत के कारण बहुत थक सा जाता था।
सूरज-"माँ थोड़ी देर आराम कर लो । थोडा पानी पी लो ।
रेखा-" ठीक है बेटा में भी थोडा सुस्ता लेती हूँ । लकड़ी काटना इस दुनिया का सबसे मेहनत का काम है"रैखा सूरज के पास ही घास पर लेटती हुई बोली
सूरज-"माँ ये लकड़ी काट कर क्या चौधरी का कर्जा उतर जाएगा।कितने सालो से हम लकड़ी काट रहें हैं लेकिन अभी तक उस चौधरी का कर्जा ज्यो का त्यों हैं । मुझे तो ऐसा लगता है चौधरी जानबूझ कर हमें परेसान कर रहा है,जब पूछो तब 80 हजार कर्जा बता कर धमकाता रहता है, ऐसे कब तक हम गुलामी में अपना जीवन काटते रहेंगे । और पूनम और तनु दीदी की शादी कब होगी । कहाँ से आएँगे शादी के लिए पैसे? क्या हमारी बहने जीवन भर ऐसे ही अपनी इक्षाओं को मारकर जीती रहेंगी? चौधरी से हिसाब किताब लेना होगा । अब बहुत मुर्ख बना लिया चौधारी ने ""सूरज चिंतित होते हुए बोला । रेखा भी सूरज की बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी । मन ही मन सोच रही थी की सूरज कितना बड़ा और समझदार हो गया था । पारवारिक जीवन को समझने लगा था।रेखा भयभीत भी थी कहीं सूरज चौधरी से बगाबत न कर बैठे ।
रेखा-"बेटा तू परेसान मत हो में खुद ही चौधरी से कर्जमाफी के लिए बात कर लुंगी।बुरा समय ज्यादा दिन के लिए नहीं आता है । एक दिन देखना सब ठीक हो जाएगा। तू चौधरी से बात मत करना । वो बहुत क्रूर और जालिम किस्म का हैवान है ।
मैंने अपने पति को तो खो दिया तुझे खोना नहीं चाहती हूँ मेरे लाल"" रेखा का गला भर्रा गया । रोआंसु हो गई थी।
सूरज जानता था की माँ का ह्रदय बहुत कोमल होता है । माँ कभी नहीं चाहेगी की में चौधरी से बात करू ।
ऐसे ही दिन गुजरते चले गए । रेखा रोजाना चौधरी का ब्याज का पैसा हरिया के पास जमा कर देती थी। ये सील सिला एक महीने तक चलता रहा । एक दिन रेखा ने पूछ लिया हरिया इस लेखा जोखा रजिस्टर में देख कर बताओ मैंने अब तक कितना पैसा जमा कर दिया?
रेखा भी 8वीं तक पढ़ी थी उसे भी थोडा बहुत गणित आता था ।
हरिया ये बात सुनकर रेखा पर क्रोधित हो जाता है और रेखा को गंवार पागल कह कर दुत्कार देता है ।
हरिया-"तेरी हिम्मत कैसे हुई लेखा जोखा देखने की तू मालिक पर शक कर रही है ? अभी रुक मालिक से कह कर तेरी लेखागिरि निकलवाता हूँ"
रेखा-" मैंने सिर्फ हिसाब किताब देखने की बात कही है,इसमें इतना उल्टा सीधा बोलने की क्या जरुरत है । क्या अपना हिसाब किताब देखना भी गुनाह है? जाओ चौधरी साहब से जाकर कह दो की पहले लेखा झोका दिखाओ फिर कर्जा की क़िस्त जमां करुँगी।
हरिया का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। हरिया-" देख रेखा तू अपनी हद में रह बरना तेरे लिए अच्छा नहीं होगा । कहीं मुह दिखाने के लायक नहीं रहेगी" रेखा का चेहरा भी गुस्से से लाल हो जाता है तभी रेखा एक जोर का तमाचा हरिया के मुह पर मारती है । हरिया तिलमिला जाता है । लकड़ी काटते-काटते उसके हाथ पत्थर जैसे हो गए थे।
रेखा-" तेरी हिम्मत कैसे हुई । अब कोई कर्जा नहीं मिलेगा बहुत लूट लिया तुमने जाकर कह दो चौधरी से ।
इतना बोलकर रेखा गुस्से में तंम तमाती घर की ओर चल देती है। हरिया अपने गाल को सहलाता हुआ गुस्से से बडबडाता है ।
हरिया-" साली तुझे और तेरी बेटियो को अगर टांगों के नीचे न रगड़ा तो मेरा नाम भी हरिया नहीं, रंडी बना दूंगा। पूरे गाँव की रखैल बनेगी तू। हरिया बुदबुदाता है । रेखा के जाने के बाद । हरिया हर हाल में रेखा और उसकी दोनों बेटियो को भोगना चाहता था । हरिया अपनी बेज्जती का बदला जरूर लेगा ।हरिया अपने काम को अंजाम देने के लिए समय का इन्तजार करता है ।
दो तीन दिन बाद हरिया चौधरी साहब के बंगले पर जाता है ।
इधर चौधरी अपने आलिशान बंगले में अपने पालतू आदमियों के साथ बैठा शराब पी रहां था ।
तभी हरिया चौधरी से बोला-" मालिक वो सूरज की माँ रेखा ने चार दिन से व्याज का पैसा नहीं दिया है, आप कहो तो साली को पकड़ कर आपके पास ले आऊँ?
बहुत बिलबिला रही है ।कर्जे का लेखा जोखा मांग रही थी। हरिया सारी बात चौधरी को बता देता है ।
चौधरी भी गुस्से से लाल हो जाता है ।
चौधरी-"उस रेखा की इतनी हिम्मत हमसे बगावत करेगी । बहुत दिन से किसी को रगडा नहीं है । साली के नितम्ब(गांड) देख कर उसे चोदने का मन करता है ।और उसकी दोनों लड़कियों को । हरिया गाडी निकाल साली के घर पर ही चलते हैं ।
हरिया गाडी निकालता है ।
चौधरी और उसके दो पालतू पहलवान भी गाडी में बैठ जाते हैं । हरिया गाडी को चलाता है ।
इधर आज सूरज आज अकेला ही लकड़ी काटने जंगल गया हुआ था । रेखा के सर में दर्द था इसलिए घर पर ही रुक जाती है ।
अब देखते हैं क्या अनहोनी होती है सूरज के परिवार के साथ...
|