RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
दोनों भाई बहन गाडी में बैठ गए। घर की ओर रवाना हो गए, तनु जीन्स और टॉप में बेहद सुन्दर लग रही थी कोई नहीं कह
सकता था की वह गाँव की लड़की है ।
शहर की पढ़ी लिखी लड़की लग रही थी ।
हालांकि रेखा ने अपने तीनो बच्चों के लिए 12वीं तक पढ़ाया था । तीनो बच्चे स्कूल में
अच्छी पोजीसन में थे, स्कूल में हमेसा प्रथम ही आते थे लेकिन पैसे के अभाव में तीनो बच्चों की शिक्षा बीच में ही रोकनी पड़ी ।
रेखा स्वयं हाई स्कूल तक पढ़ी थी इसलिए उसने तीनो बच्चों के लिए पढ़ाया ।
तनु के इस नए रूप को सूरज निहार रहा था। सूरज को यकीन नहीं हो रहा था की
उसकी बहन इतनी सुंदर है की शहर की शहरी लड़की भी उसके सामने फ़ैल है ।
सूरज सोच रहा था की यदि तनु पुन: अपनी पढ़ाई पूरी कर ले तो शायद अच्छा परिवार मिल जाएगा और उसने जो सपने देखें हैं वह भी पुरे हो जाएंगे । गाँव में पैसो के कारण पढ़ न सकी लेकिन अब में तनु और पूनम दीदी को पढ़ा सकता हूँ अच्छे इंस्टिट्यूट में।
शहर में पढ़ाई करने से दो फायदे भी होंगे ।
एक तो शहर के माहोल को समझ लेंगी
और नोकारी भी कर सकती हैं ।
सूरज सोचता है एक बार बात करनी चाहिए
दोनों बहनो से ।
तनु सूरज से बोलती है ।
तनु-" सूरज क्या हुआ, क्या सोच रहे हो?
सूरज-" कुछ नहीं दीदी, में सोच रहा था की तुम और दीदी अपनी पढ़ाई फिर से सुरु कर दो ।में आप दोनों की पढ़ाई का बोझ उठा सकता हूँ ।आप पढ़ाई करोगी तो आपके सपने पुरे होंगे दीदी" तनु भी आगे पढ़ना चाहती थी,
तनु-" ठीक है सूरज में पढ़ाई के लिए तैयार हूँ ।
सूरज-" में किसी अच्छे स्कूल में आप दोनों का एड्मिसन करवा दूंगा" बात करते करते घर आ गया ।
सूरज और तनु गाडी से निकलते हैं ।
सूरज कपड़ो का बेग गाडी से निकालता है ।
कपड़ो का बेग पूरी तरह से भरा हुआ था,
सूरज ने जब कपडे उठाए तो शॉप वाली लड़की के द्वारा तनु को दिया गया गिफ्ट गाडी के सीट के निचे ही गिर गया ।
सूरज ने कपड़ो का बेग निकाल कर घर के अंदर लेकर गया ।
पूनम और रेखा दोनों बैठ कर सूरज की इस
तरक्की के गुणगान ही कर रही थी ।
जैसे ही पूनम ने तनु और सूरज को देखा तुरंत तनु के पास पहुंची।
पूनम ने तनु को जीन्स और टॉप में देखा तो
वह पहचान ही नहीं पाई की ये तनु है ।
तनु के इस शहरी रूप को देख कर उसे
बहुत अच्छा लगता है ।
पूनम-" अरे वाह्ह तनु तू तो इन कपड़ो में बहुत सुन्दर लग रही है,
बिलकुल शहरी लग रही है ।
तनु-" शर्मा कर! दीदी तुम्हारे लिए भी
सूरज ने जीन्स और टॉप ख़रीदे हैं ।
पूनम खुश हो जाती है ।
पास में खड़ी रेखा दोनों बेटियों को खुश
देख कर बहुत खुश होती है ।
पूनम-" मेरे कपडे दिखाओ? तनु पूनम के लिए लाए गए
सभी कपडे पूनम को देती है और माँ की
साडी निकाल कर देती है ।
रेखा इतनी सुन्दर साडी देख कर बहुत खुश
होती है और अपने बेटे को बहुत दुआएं देती है । सूरज लोन में पड़े सोफे पर बैठा देख रहा था, सबको खुश देख कर वह भी बहुत खुश था ।
तनु बेग से पेंटी और ब्रा लेकर रूम में लेकर जाती है ।पूनम भी उसके साथ जाती है ।
तनु-" दीदी इसमें पेंटी और ब्रा हैं अपनी और
मेरी निकाल लो । माँ की ब्रा और पेंटी भी इसी में है ।
पूनम-" तूने खरीदी कैसे, सूरज तो तेरे साथ में था ?
तनु-"क्या बताऊँ दीदी अपना सूरज तो
बहुत समझदार है"
पूनम-" क्या सूरज ने खरीदी हैं ये" पूनम चोंकते हुए बोली
तनु-" नहीं दीदी सूरज तो बहार चला गया था " तनु शॉपिंग की सारी बातें पूनम को बता देती है । पूनम को बड़ा गर्व होता है
भाई की इस समझदारी पर ।
पूनम-" बाकई ये तो सूरज ने बड़ी समझदारी दिखाई है ।
कितना समझदार है अपना भाई ।
तनु-" हाँ दीदी
पूनम-" ब्रा और पेंटी दिखा" तनु बेग खोल कर पूनम की 34 साइज़ की ब्रा और पेंटी देती है । जैसे ही पूनम ब्रा और पेंटी खोल कर देखती है उसकी आँखे फट जाती है ।
बहुत ही फेसनेवल ब्रा और पेंटी थी ।
पूनम-" तनु ये तो बहुत महंगी आई होंगी ।
इस तरह की तो मैंने आज तक नहीं देखि है । तनु भी अपनी ब्रा पेंटी देखती है,
उसकी ब्रा पेंटी भी पूनम की तरह फेसनेवल
थी । रेखा की ब्रा पेंटी भी वैसी ही थी ।
तनु-" दीदी पहन कर चेक कर लो कैसी है।
और अपनी जीन्स और टॉप पहन कर देख लो ।
पूनम-" ठीक है अभी बाथरूम में पहन कर देखती हूँ" पूनम तुरंत वाथरूम में एक ब्रा और पेंटी
लेकर कर जाती है ।अपनी सलवार सूट निकाल कर बाथरूम में लगे शीशे से अपने बदन को देखती है ।
पूनम सलवार सूट के अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी ।
अपने आपको शीशे में निहार कर उसे बड़ी शर्म सी आ रही थी।
आज तक उसने शीशे में कभी अपना संगमरमर जैसा बदन नहीं देखा था ।
अपने दूधिया उभारो को देख कर उसे शर्म सी आ रही थी ।
पूनम तुरंत नई ब्रा लेकर पहन कर शीशे में देखती है और अपने बूब्स को ब्रा के
ऊपर से ही हाथ स्पर्श करके देखती है ।
ऐसा लग रहा था जैसे अपने बूब्स का मापन कर रही हो उनकी गोलाईयां का ।
पूनम के जिस्म में सिरहन सी दौड़ गई आज से पहले शीशे में देख कर
अपने बूब्स को दवा कर कभी नहीं देखा था।
पूनम की आँखे किसी झील की तरह बहुत सेक्सी थी ।
उसका गोरा बदन नितम्ब बहार की ओर निकले हुए उसके जिस्म को
बहुत बहुत सेक्सी बना रहे थे ।दोनों बेटियां
रेखा पर गए थे ।
रेखा का जिस्म और सुंदरता के दीवाने उसके गाँव में लगभग सभी थे ।
पूनम पेंटी उठाकर पहनने लगती है, पेंटी का अग्र भाग जालीदार होता है और नितंम्ब की तरफ एक मात्र लेश थी जो नितंम्ब की
दरार में छुप जाती है ।
पूनम पेंटी पहन कर शीशे में खुद के जिस्म का मुयायना करती है ।
सर से लेकर पाँव तक अपने आपको निहारने के पस्चात उसकी नज़र पेंटी के अग्र भाग योनी पर ठहर गई।
पेंटी जालीदार होने के कारण उसकी योनी के बाल जाली से झाँक रहे थे ।
पूनम ने अपनी योनी पर हाथ फेराया,
उसके बालो के कारण पेंटी की शोभा बिगाड़ रहे थे ।
पूनम ने लगभग 6 महीने से योनी के बाल साफ़ नहीं किए
जिसके कारण बाल दो इंच के हो गए थे ।
पूनम शीशे के सामने अपने जिस्म को मात्र दो कपड़ो में देख कर शर्माती है,
आज से पहले उसने अपने जिश्म को पहले कभी इस तरह घूरा नहीं था ।
पूनम 24 वर्ष की हो चुकी थी, उसकी इच्छाएं उसके जिस्म से निकलने लगी थी।
पति और परिवार की चाह हर लड़की को होती है
लेकिन पूनम की बदनसीबी उसकी गरीबी थी,
जिसके कारण उसका विवाह अभी तक नहीं हो पाया था। दिन तो जैसे तैसे काट लेती लेकिन रात की तन्हाई उसे बहुत तड़पाती थी।
शारीरिक इच्छाएं भड़काने के बावजूद भी पूनम ने कभी घर की मर्यादा को भंग नहीं हॉने दिया।
घर की इज्जत का हमेसा ध्यान रखा।
जब कभी ज्यादा ही जिश्म से आग भड़कने लगती तो खुद ही ऊँगली से अपने आपको शांत कर लेती थी ।
पूनम जालीदार पेंटी के ऊपर निकली झांटे को उंगलिओ से स्पर्श करती है। जिस्म में सिरहन दौड़ने लगती है तभी तनु की आवाज़ आती है ।
तनु-" दीदी जीन्स पहन ली क्या, बहुत देर लगा रही हो"' पूनम एक दम चोंकती हुई
अपने कपडे पहनती है ।जीन्स और टॉप पहनने के बाद पूनम एक दम सेक्सी बोम्ब जैसी लग रही थी ।
जिस्म ऐसा था की शायद उसको सनी लीओन भी देख ले तो शर्मा जाए ।
पूनम बॉथरूम से बहार निकलती है ।
तनु पूनम को देख कर खुश हो जाती है ।
पूनम जीन्स में बाकई बहुत मस्त लग रही थी ।
तनु-" wowwe दीदी आप तो बहुत सुन्दर लग रही हो"
पूनम बहुत शर्मा जाती है और कुछ बोल नहीं पाती है ।तनु पूनम का हाथ पकड़ कर
माँ के रूम में जाती है ।
रेखा भी पूनम का सुन्दर रूप देख कर खुश थी ।
इधर सूरज गाडी लेकर नए घर यानी की सूर्या के घर की तरफ निकल आया था।
संध्या और तान्या सूर्या की यादास्त चली
जाने से बहुत दुखी और परेसान थी।
और बहुत देर से उसके आने का इंतज़ार कर रही थी
तभी बहार सूरज की गाडी की आवाज़ सुनकर उसे सुकून मिलता है ।
सूरज के अंदर आते ही संध्या पूछती है।
संध्या-" बेटा मंदिर से लौटने बड़ी देर लगा दी, भूका प्यासा ही चला गया तू ।
सूरज-" मंदिर से आने के बाद घूमने चला गया था माँ"
संध्या-" चल बेटा खाना खा ले, सब तेरी पसंद का बनाया है" सूरज को भी बहुत तेज भूंक लगी थी इसलिए माँ और बेटा दोनों बैठ कर खाना खाने लगते हैं ।
सूरज-" माँ दीदी कहाँ है ? तान्या उसे दिखाई नहीं दी इसलिए माँ से पूछता है
संध्या-" कंपनी की जरुरी मीटिंग थी आज
इसलिए थोडा देर से आएगी।
तू जल्दी से ठीक हो जा फिर सारी जिम्मेदारी तुझे ही संभालनी है बेटा,
सूरज-" हाँ माँ अब में दीदी के साथ जाया करूँगा, जल्दी सीख जाऊँगा"
संध्या-" तूने मेरे मन की बात कह दी बेटा"
कितना बदल गया है तू, एक समय ऐसा था तू अपनी दीदी की सकल भी नहीं देखना पसंद करता था,
आज उसके साथ बिजनेस की जिम्मेदारी संभालने की बात कर रहा है ।
में बहुत खुश हूँ तेरे इस भोलेपन रवैये से।
सूरज-" माँ में पहले कैसा था?? मन में उमड़े सवालो के उत्तर के लिए सूरज चिंतित था और सूर्या की जीवन शैली उसका व्यवहार
अब जानना चाहता था सूरज ।
संध्या-' बेटा अपने अतीत के बारे में मत पूछ, आज तेरे इस भोलेपन के रूप से में बहुत प्रशन्न हूँ जो कमसे कम मेरे साथ बैठकर खाना तो खा रहा है, आज से पहले तो तूने कभी ढंग से बात भी नहीं की"
संध्या रुआंसी हो जाती है ।
सूरज माँ के पास जाता है और गले लगा लेता है संध्या सूरज को सीने से चुपका लेती है।
और बहुत सारी पुच्ची उसके गालो पर करने लगती है।
संध्या बहुत खुश थी आज कई सालो बाद उसने अपने बेटा को सीने से गले लगाया था
संध्या नहीं चाहती थी की सूरज की फिर से
यादास्त वापिस लौटे और वह फिर आवारा गर्दी और अय्यासी के दल दल में चला जाए ।
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