RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
रात्रि के समय सूरज अपने रूम लेटने चला जाता है। आज पहला दिन था उसके लिए की किसी आलीसान कोठी के सुन्दर
सुबिधाओं से परिपूर्ण कमरे के नरम गद्दे पर लेटा था।एक ही दिन में उसकी कैसे जिंदगी
बदल गई इसी के बारे में सब सोच रहा था।
इस घर में सूर्या का रूप तो धारण कर लिया था सूरज ने
लेकिन अब सूर्या बनकर सारी समस्याओं को कैसे सुलझाया जाए
यही बाते सूरज के मन मस्तिक में दौड़ रही थी ।
सूरज अभी तक अनभिज्ञ था सूर्या के
परिवार के बारे में कोई जानकारी
हांसिल नहीं थी उसे।
सूरज सोचता है की कैसे सूर्या के बिजनेस को सम्भालू ?
जबकि में गाँव गंवार लकड़ी काटने वाला लकड़हारा इतने बड़े बिजनेस को कैसे
सम्भाल सकूँगा? मुझे सब सीखना होगा,
हालांकि 12वीं तक पढ़ा था सूरज, हिंदी अंग्रेजी और गणित में अव्वल था लेकिन
व्यवस्याय शिक्षा के बारे में जीरो था।
सूरज सोचता है क्यूँ न किसी अच्छे शिक्षक से व्यवस्याय और कम्प्यूटर तकनिकी की
शिक्षा ले ली जाए, बिना कम्प्यूटर ज्ञान के
अच्छा बिजनेस मेन नहीं बन सकता हूँ।
सूरज मन में ठान लेता है की कल से ही
शहरी जिंदगी जीने के लिए कम्प्यूटर और
कॉमर्स की ट्युन्सन लगा लूंगा ।
ज़िन्दगी बदलने के लिए खुद को बदलना
बहुत आवश्यक है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है । इसलिए धीरे-धीरे सब कुछ सीखना है और खुद की बहन पूनम और तनु के लिए भी आगे शिक्षा के लिए स्कूल में दाखिला करवा दूंगा ।
इधर रात्रि के 10 बजे तान्या घर आती है।
संध्या और तान्या आज की बिजनेस मीटिंग
के बारे में डिस्कसन कर रही थी।
संध्या का कपड़ो की फेक्ट्री थी, सभी कपडे विदेश जाते थे ।
तान्या खुश थी क्योंकि आज उसकी कंपनी को पचास करोङ का टेंडर मिला था ।
दोनों माँ बेटी बहुत खुश थी ।संध्या डायनिंग टेबल पर खाना खा रही थी ।
संध्या को आज दो ख़ुशी एक साथ मिली थी,
एक तो उसका बेटा घर आ गया था दूसरी ख़ुशी कंपनी के टेंडर की थी।
संध्या तान्या की ओर कुर्सी डाल कर बैठ जाती है
और तान्या से बोलती है
संध्या-" तान्या बेटा तुझ से सूर्या के बारे में बात करना चाहती हूँ ।
तान्या संध्या की ओर देखती है लेकिन
कुछ बोलती नहीं है, तान्या अब से पहले
सूर्या से बहुत नफरत किया करती थी,
बात करना तो दूर की बात उसकी
सकल भी देखना पसंद नहीं करती थी।
तान्या-" बोलो मोम क्या बात करनी है? बेटी के इस नरम रवैये से संध्या खुश थी।
संध्या-" बेटा सूर्या को कुछ याद नहीं है,
उसकी यादास्त वास्तव में चली गई है,
उसके चेहरे के भोलेपन को मैंने
महसूस किया है बेटा, आज से पहले मैंने
कभी सपने में भी नहीं सोचा था की
मुझे बेटा का प्यार नसीब होगा,
हमेसा यही सोचती थी की उसके
अंदर सुधार आए, वो अपनी जिम्मेदारी को
संभाले, बिजनेस और परिवार को ध्यान दे।
ऐसा लगता है जैसे मेरी मनोकामना पूरी हो
गई हो, में नहीं चाहती हूँ की उसे उसकी
पिछली ज़िन्दगी के बारे में कुछ पता चले और
वह फिर से उसी दुनिया में लौट जाए"" संध्या गंभीर होती हुई बोली, तान्या भी नहीं
चाहती थी की फिर से इस घर में कलेस हो इसलिए अपनी माँ को भरोसा दिलाती
है की वह उसे उसकी ज़िन्दगी के बारे में कुछ नहीं बताएगी।
तान्या-"माँ तुम बेफिक्र रहो हम उसे कुछ नहीं बताएंगे ।तान्या की बात सुनकर संध्या को सुकून मिलता है।
संध्या-" बेटी अब सो जाओ बहुत रात हो गई है, कल से तुम सूर्या का थोडा ध्यान रखना, उसे बिजनेस और कंपनी के
सभी काम सिखाओ"
तान्या-" ठीक है मोम, में प्रयास करुँगी,
अब आप भी सो जाओ.
तान्या ने संध्या को गुड नाईट किस्स किया और ऊपर सूर्या के
बगल बाले अपने कमरे में चली गई
अब सूर्या के परिवार के बारे में थोडा जान लेते हैं -
संध्या सिंह- अपने पिता की एकलौती संतान थी, इनके पिता की 2 फेक्ट्री थी,
अमीर घर की लड़की होने के कारण
इनका विवाह एक रहीश परिवार में हुआ
लेकिन शादी के दो साल बाद इनके पति की मृत्य हो गई। संध्या उस समय तान्या को
जन्म दे चुकी थी ।
संध्या के विधवा होने का दुःख संध्या के पिता बहुत हुआ ।
इसलिए उन्होंने अपने फेक्ट्री में काम करने वाले एक बफादार नोकर BP Singh से करवा दी। सूर्याप्रताप इन्ही से पैदा है ये बात सिर्फ संध्या और BP Singh ही जानते हैं। (झगडे का खुलाशा कहानी के अंत में ही होगा)
संध्या पढ़ी लिखी लड़की थी, अपने पिता का पूरा बिजनेस खुद ही सम्भाला ।
सूर्या के पिता-B.P.Singh
संध्या के पिता की फेक्ट्री में मजदूरी करते थे,
संध्या से शादी कर ली क्योंकि संध्या के पिता बहुत बड़े बिजनेस मैन थे। संध्या के पिता के मारने के पस्चात सभी फेक्ट्री के मालिक बन गए।
अमेरिका में रह कर बिजनेस सँभालते हैं।
15 वर्ष पहले अमेरिका चले गए।
संध्या और इनके बीच किसी बात को लेकर
झगड़ा हो गया, झगड़ा किस बात पर हुआ ये बात सिर्फ संध्या ही जानती है।
तान्या-" 24 वर्षीय खूबसूरत लड़की थी
MBA की पढ़ाई करने के बाद अपनी माँ के साथ खुद की फेक्ट्री और बिजनेस को संभालती है ।
बिजनेस के चक्कर में अपनी असल जिंदगी
को भूल गई। तान्या किसी मोडल से कम नहीं लगती थी।
लेकिन आज तक उसने कभी अपना bf नहीं बनाया।
थोड़ी सख्त मिजाज और चीड़ चिड़ी स्वभाव की हो गई थी ।
सूर्या से हमेसा इसका झगड़ा रहता था ।
सूर्यप्रताप सिंह- 21 वर्षीय था। BBA करने के लिए मुम्बई होस्टल में पढ़ा,
गलत सांगत में पड़ कर शराब सिगरेट और
अय्यासी सीख गया ।लड़ाई झगड़ा करना दोस्तों के साथ देर रात तक घूमना
इसका सबसे बड़ा शोक था ।
जब होस्टल से वापिस घर आया तो घर की
नोकरानी के साथ जबरदस्ती शराब के नशे
में बलात्कार कर दिया तब से तान्या इससे बहुत नफरत करने लगी।सूर्या और तान्या का झगड़ा युद्ध स्तर तक बढ़ गया ।
संध्या सूर्या की हरकतों को लेकर बहुत
परेसान रहती । कई बार शराब के नशे में
तान्या पर हाथ भी छोड़ देता था और गाली गलोच भी करता था ।
पैसा इंसान को बिगाड़ देता है इसका सही
उदाहरण सूर्या था ।
शहर के सबसे बड़े डॉन शंकर की बहन शिवानी को
इसने अपने प्यार के जाल में फसां कर उसके साथ सेक्स किया और फिर उसको छोड़ दिया।
जब ये बात शंकर को पता चली तो उसने सूर्या पर हमला कर दिया सूर्या का आजतक पता नहीं चला लेकिन जब संध्या को
इस बात का पता चला तो संध्या ने शंकर के
खिलाफ पुलिस की मदद से शंकर को जेल भिजबा दिया ।
शंकर के आदमी संध्या के दुश्मन बन गए ।
आज मंदिर पर उन्होंने संध्या पर हमला भी
किया लेकिन सूरज ने उन्हें बचा लिया।
शंकर के आदमी सूरज को सूर्या समझ बैठे
और ये बात शंकर को जेल में जाकर
बता दिया । शंकर सूर्या के जिन्दा होने की
खबर सुनकर आग बबूला हो जाता है ।
और मौके का इंतज़ार करता है ।
इधर शंकर डॉन की बहन शिवानी को भी पता चल जाता है की सूर्या जिन्दा है तो
वह भी अपना बदला लेने के लिए मौके
का इंतज़ार करने लगती हैं।
अब आगे देखते हैं की सूरज की ज़िन्दगी
में क्या होगा ।
सूरज अपनी असली हकीकत को छुपा पाएगा, कब तक अपनी असली पहचान को छुपा रख सकता है ।
1- क्या सूरज अपनी बहन पूनम और तनु को शहर की ज़िन्दगी और खुशियाँ दे पाएगा?
2-अपनी माँ रेखा के दुखो को कैसे दूर कर पाएगा ।
3- बिजनेस और फेक्ट्री को संभाल पाएगा
4- तान्या का दिल जित पाएगा
5-संध्या को एक माँ के रूप में उसे खुश रख पाएगा ।
6-शंकर डॉन से लड़ पाएगा
7- शिवानी को न्याय दिला पाएगा
8-"संध्या और BPsingh की लड़ाई झगडे की बजह क्या थी।
9- गाँव का चौधरी हरिया की मौत का बदला कैसे लेगा सूरज से।
सूरज के सामने सूर्या की ज़िन्दगी एक चुनौती की तरह थी जिसे स्वीकार कर लिया था सूरज ने । ये सूरज के लिए एक संघर्ष था जिसमे उसे कामयाबी हांसिल करनी है ।
सुबह के सूरज की पहली किरण सूरज की नई ज़िन्दगी के लिए अहम् थी।
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