RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
मधु-" चल ठीक है संध्या में यह बात किसी को नहीं बताउंगी,लेकिन यह बता तू बिना पति के कैसे अपने आपको शांत करती है"
संध्या-" जैसे शादी से पहले करती थी, वही तरीका आज भी करती हूँ,जब ज्यादा मन चलता है तब"
मधु-" मतलब तू आज भी अपनी चूत में ऊँगली करती है?
संध्या-" ओह्हो मधु तू बिदेश में रह कर और ज्यादा बिगड़ गई है, कैसे शब्दों का इस्तेमाल करती है, तुझे तो बिलकुल शर्म नहीं आती है"
मधु-" अब तेरे सामने क्या शर्माना संध्या, तूने तो मेरी हर चुदाई को देखा है"
दोनों की बातें सुनकर में हैरान था ऐसा लग रहा था की लण्ड की नशे फट जाएंगी, संध्या माँ की बातें अत्यधिक कामुकता पंहुचा रही थी मेरे लंड को ।
संध्या-" मुझे सब पता है मधु,तू तो हर लड़के को अपने जाल में फंसा कर सेक्स करवाती थी, अब तो तू अपने पति से ही सेक्स करवाती होगी?"
मधु-" मेरे पति अब बुड्ढे हो गए हैं, उनके लंड में जान नहीं है, अब तो में भी तेरी तरह ही हूँ संध्या"
संध्या-" मतलब तू भी ऊँगली से काम चलाती है"
मधु-" ऊँगली से तो नहीं, मेरे पास एक लंड है जो मेरी वासना को शांत करता है" हस्ते हुए बोली ।
संध्या-" मतलब तूने कोई आदमी फंसा रखा है जो तेरी वासना को शांत करता है" माँ चौकते हुए बोली ।
मधु-" नहीं मेरी जान आदमी नहीं, मेरे पास लंड है जो हमेसा मेरी आग बुझाता है"
संध्या-" यह कैसी बात कर रही है मधु,आदमी नहीं है तो लंड कहाँ से आ गया तेरे पास"
मधु-" हाँ मेरी जान संध्या, मेरे पास लंड है,रुक तुझे अभी दिखाती हूँ" मधु ने मेक्सी को निकाल दिया, जैसे ही मधु ने पेंटी को निकाला संध्या की आँखे फटी की फटी रह गई, मधु की चूत में डिडलो घुसा हुआ था, मधु ने चूत में घुसे डिडलो को निकाल कर संध्या को दिखाया, मधु पूरी तरह से नंगी थी ।पहली बार मधु मौसी का कामुक बदन देखा था, उनके बूब्स 38 साइज़ के मस्त फुले हुए थे, गांड की बनावट ऐसी थी जैसे दो मटके हो, चूत पर हलके बाल थे जो चूत की कामुकता को और बढ़ावा दे रहे थे ।
संध्या-"ओह माय गॉड मधु यह तो पुरुषो के लिंग जैसा है, तू तो बाकई में आज भी रंडी है मधु"
मधु-" संध्या क्या करू इस चूत में बड़ी आग है जिसे शांत करने के लिए रंडी बनना पड़ता है, देख इसे डिडलो बोलते है। ये बायब्रेट करता है" मधु ने डिडलो को चालु करके अपनी चूत में घुसा लिया, मधु के मुख से सिसकारी फूटने लगी, संध्या यह नज़ारा देख कर कामुक सी हो गई थी, उसका भी मन कर रहा था की एक बार इसे अपनी चूत में घुसा कर देखे, 18 साल से चूत सुखी थी कोई हल नहीं चला था, लेकिन आज संध्या की चूत हल के साथ साथ पानी भी मांग रही थी ।
इधर मधु अपनी चूत में डिडलो डालकर अंदर बाहर कर रही थी ।
मधु-" संध्या देख क्या रही है आपनी मेक्सी उतार दे, आज तेरी चूत की भी प्यास बुझा देती हूँ, मधु संध्या की जांघ पर हाँथ फेरते हुए बोली,
संध्या-" तू तो बेशरम है मधु, में तेरे सामने कुछ नहीं करुँगी" मधु कहाँ मानने बाली थी उसने संध्या की मेक्सी में हाथ डालकर उसकी चूत को मसल दिया,आग भड़काने के लिए इतना ही काफी था ।
इधर सूरज लेपटोप में दोनों की रासलीला देख कर बहुत ही भड़क सा गया था,उसका लंड पानी छोड़ रहा था । संध्या उसकी माँ थी । सूरज भी संध्या को इस तरह देख कर बड़ा ही शर्मा रहा था लेकिन इस समय हवस उसके ऊपर सवार थी ।
मधु संध्या की मेक्सी के अंदर ही हाथ डाल कर चूत में ऊँगली करने लगती है ।संध्या की चूत भड़काने लगती है । मधु अपनी चूत से डिडलो निकाल कर रख देती है और संध्या की मेक्सी को निकाल कर नंगा कर देती है । संध्या हवस की आग में कोई विरोध नहीं करती है ।इधर सूरज ने जैसे ही संध्या के बूब्स को देखा तो उसका लंड फड़कने लगता है ।संध्या का जिस्म एक दम स्लिम और सेक्सी था ।संध्या रात में सोते समय मेक्सी के अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनती थी । संध्या जैसे ही नग्न होती है सूरज संध्या की चूत को देखता है जिस पर बहुत सारे बाल उग आए थे, बालो के झुण्ड के कारण संध्या की चूत का छेद दिखाई नहीं दे रहा था ।
मधु-' संध्या तेरी चूत पर तो बहुत बाल है, चूत को साफ़ रखा कर" मधु चूत में ऊँगली घुसाते हुए बोली, संध्या तड़प उठी, उसकी सिसकारी फूटने लगी ।
संध्या-" अह्ह्ह्ह्ह मधु किसके लिए चूत साफ़ रखु, मेरे सिवा और कोई नहीं देखता है इसे"
मधु-" संध्या तेरी चूत का छेद तो बहुत छोटा है,इसमें ये डिडलो कैसे घुसेगा, रुक में तेरी चूत को जीव्ह से चाटकर सांत कर देती हूँ" मधु 69 की पोजीसन में आकर संध्या की चूत को चाटने लगती है, संध्या तड़पती है, उसकी चीख निकल रही थी, मधु अपनी जीव्ह को संध्या की चूत में घुसाने लगती है।
संध्या-" ओह्ह्ह्ह्ह मधु तूने ये कैसी आग लगा दी है मेरे जिस्म में, 18 वर्ष से इस चूत में लंड नहीं घुसा है इसलिए छेद सिकुड़ गया है मधु" मधु संध्या की चूत को जीव्ह से रगड़ती है । संध्या भी मधु की चूत में तेजी से ऊँगली डालकर अंदर बहार करने लगती है, मधु की आग भड़क जाती है, मधु डिडलो लेकर संध्या की चूत में घुसाने लगती है, मधु संध्या की चूत में थूकती है ताकि गीलापन रहे ।
जैसे ही डिडलो का अग्रभाग संध्या की चूत में घुसता है संध्या तड़पने लगती है ।
संध्या-" आआह्ह्ह्ह्ह्ह् मधु दर्द हो रहा है आराम से घुसा" मधु डिडलो को निकाल कर पुनः तेजी के साथ चूत में घुसेड़ देती है, संध्या की चीख निकलती है ।
सूरज यह देख कर झड़ जाता है, पहली बार इतना कामुक दृश्य देख रहा था ।
मधु डिडलो को अंदर बहार चलाने लगती है।
थोड़ी देर बाद संध्या को मजा आने लगता है।
मधु-"अह्ह्ह्ह्ह संध्या में अगर लड़का होती तो अपने लंड से तुझे रौज चोदती,तेरा जिस्म बहुत ही नसीला और कामुक है, तेरी गांड तो मेरी गांड से भी गठीली है,
संध्या-" तू भी कुछ कम नहीं है मधु,तुझे देख कर आज भी लड़को का लंड खड़ा हो जाता होगा, काश तू लड़का ही होती तो आज तो में तुझसे जी भर के चुदती मधु" यह सुनकर सूरज का लंड पुनः झटके मारकर खड़ा हो जाता है । संध्या की चूत में डिडलो को चलता हुआ देख कर सूरज का मन कर रहा था की कमरे में जाकर दोनों की प्यास बुझा दू।
संध्या की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी,मधु भी उसकी चूत से बराबर खेल रही थी तभी संध्या का जिस्म एक दम अकड़ गया और एक तेज पिचकारी के साथ झड़ गई, संध्या भी मधु की चूत में तेजी से दो ऊँगली करने लगती है और दोनों सहेलियां एक साथ झड़ जाती हैं ।
मधु और संध्या दोनों एक दूसरे का पानी चाट कर पी जाती हैं ।
संध्या का जिस्म एक दम शांत पड जाता है ऐसा महसूस हो रहा था जैसे पहली बार उसकी चुदाई हुई थी ।संध्या की साँसे तेजी से चल रही थी ।कुछ ही देर में संध्या को आराम सा मिल गया था और नंगी ही सो गई ।
मधु संध्या की ओर देखती है तो संध्या को सोती हुई पाती है । मधु को बहुत तेज पिसाब लगती है तो मधु नंगी ही रूम से निकल कर लॉन में बने बाथरूम में घुस जाती है, सूरज यह सब लेपटोप में देख रहा था तभी सूरज भी पिसाब का बहाना बना कर मधु के जिस्म को निहारने के लिए नीचे बाथरूम में जाता है ।
सूर्या जैसे ही नीचे बाथरूम जाने के लिए दरबाजा खोलता है, तभी सूरज की नज़र तान्या पर पड़ती है,अपने कमरे से निकल कर बाहर टहल रही थी, सूरज की गांड फट जाती है और नीचे जाने का इरादा छोड़ कर पुनः मुठ मारकर सो जाता है ।
सुबह 7 बजे माँ की आवाज़ से मेरी नींद खुली, मै जल्दी से फ्रेश होकर नीचे गया ।
संध्या माँ और मधु मौसी आपस में हंस हंस कर बातें कर रही थी, काफी समय बाद आज मैंने माँ के चेहरे पर ख़ुशी के भाव देखे, यह ख़ुशी शायद रात के लेस्बियन सेक्स और डिडलो के द्वारा किए गए कृत्रिम सेक्स से आई हुई ख़ुशी के थे, मधु मौसी के आने से माँ जो ख़ुशी मिली थी उसके लिए में उन्हें मन ही मन धन्यवाद कर रहा था ।
एक तरफ मधु मौसी ने माँ की कामवासना को भड़का दिया था तो दूसरी तरफ मेरी हवस को भी जगा दिया था, अब तक में केवल मधु मौसी के जिस्म की भोगने की ही कल्पना कर रहा था लेकिन कल रात मोसी और माँ की कामलीला देख कर मेरा ध्यान संध्या माँ की तरफ आकर्षित होता जा रहा था । संध्या माँ के सुन्दर शिखरनुमा बूब्स और गोलाइदार गांड, हल्के बालों से घिरी रसभरी चूत मेरे मन में घर बना चुकी थी,
में संध्या माँ और मधु मौसी के पास डायनिंग टेवल पर बैठा तभी माँ और मौसी ने मुझे गुड़ मॉर्निंग विश् किया ।
सूरज-" क्या बात है माँ आज बहुत खुश लग रही हो"
संध्या-" बेटा ये ख़ुशी तेरी मधु मौसी के घर आने से मिली है,कितने वर्ष बाद मिली है मुझे ये" मधु की और इशारा करते हुए बोला।
मधु-" सूर्या मेरे पास ख़ुशी की एक चाबी है, ये उसी चाबी का कमाल है, अब देखना तेरी माँ कभी उदास नहीं रहा करेगी" में अच्छी तरह समझ रहा था की कौनसी चाबी है मौसी के पास, माँ भी समझ गई थी की मधु डिडलो नामक ख़ुशी की चाबी की बात कर रही है। माँ का चेहरा शर्म से लाल था ।
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