Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:10 AM,
#29
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज-" मौसी ऐसी कौनसी चाबी है आपके पास, मुझे भी बह चाबी दे दो, आपके जाने के बाद में माँ को हमेसा खुश रखूँगा" जैसे ही मैंने थ बात बोली, माँ का चेहरा एक दम लाल हो गया शर्म से, लेकिन मौसी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान दौड़ गई ।
मधु-" सूरज तेरे पास तो ऐसी चाबी है जिससे दुनिया के हर ताले ख़ुशी से खुल जाएगें" मौसी मेरी और ललचाई नज़र से देखती हुई बोली, संध्या माँ ने इन बातों को विराम देने के लिए जल्दी से मेरे लिए नास्ता लेकर आई ।
संध्या-" बेटा नास्ता कर ले पहले, यह मधु तो पुरे दिन बोल बोल कर तुझे पकाती रहेगी" 
मधु मौसी और में हँसने लगे, मैंने जल्दी से नास्ता किया तभी तान्या भी कंपनी जाने के लिए नीचे आई ।
माँ ने दीदी को नास्ता दिया ।
मधु-" तान्या बेटा कारोबार कैसा चल रहा है" 
तान्या-" मौसी जी अभी तक तो ठीक है,कल टेंडर की मीटिंग है अगर ये टेंडर नहीं मिला तो कंपनी का काफी नुक्सान होगा, हमारी कंपनी में माल काफी स्टॉक है, समझ नहीं आ रहा है कैसे ये टेंडर मिले" तान्या परेसान होकर बोली ।सूरज भी यह बात सुनकर परेसान हो जाता है, सोचने लगता है की यह टेंडर कैसे मिले, चूँकि प्रत्येक कंपनी टेंडर को प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाती है ।
मधु-" बेटा ऊपर बाले पर विस्वास रखो, सब ठीक हो जाएगा" 
सूरज-" कल इस टेंडर की मीटिंग में,मैं भी जाऊँगा, किसी भी हाल में यह टेंडर हांसिल करके रहूँगा" तान्या गुस्से से सूरज की ओर घूर कर देखने लगती है जैसे सूरज ने कोई विस्फोट कर दिया हो ।
तान्या-" माँ में इस टेंडर की मीटिंग में अकेली जाउंगी, किसी को मेरे साथ जाने की जरुरत नहीं है" इतना कह कर गुस्से में कंपनी चली गई ।
मधु-" संध्या क्या हुआ तान्या को,यह गुस्से में क्यूँ चली गई, सूर्या ने तो कुछ गलत भी नहीं बोला"" मधु हैरत में थी ।
संध्या-" ऐसा कुछ नहीं है मधु, कंपनी के काम के कारण थक जाती है जिससे थोड़ी चिड़चिड़ी हो गई है" 
सूरज-" हाँ मौसी तान्या दीदी बाकई पूरी कंपनी अकेले ही संभालती है इसलिए परेसान रहती है" दोनों माँ बेटो ने बात को स्थगित किया ।
सूरज भी जल्दी से तैयार होकर कंपनी के लिए निकल जाता है, अभी सूरज हाइवे पर गाडी दौडा ही रहा था तभी उसने देखा की एक कार किसी ट्रक से टकरा के उल्टी पड़ी हुई है ।
कार के अंदर से किसी महिला और बच्चे के चीखने की आवाज़ सुनकर सूरज जल्दी से अपनी गाडी साइड से लगा कर उस क्षतिग्रस्त कार के पास पहुँच कर शीशे को तोड़ कर एक महिला को बहार निकालता है, उसके बाद उस कार में दो 7-8वर्ष के दो बच्चे और फंसे थे, सूरज आनन फानन में दोनों बच्चों को निकाल कर दूर खड़ी अपनी गाडी में बैठाता है तभी क्षतिग्रस्त कार में एक तेज धामखे के साथ जल जाती है ।जख्मी महिला जब अपनी कार को जलते हुए देखती है तो सिहर जाती है, और मन ही मन सूरज का शुक्रिया अदा करती है ।
सूरज जल्दी से सिटी के बड़े हॉस्पिटल में तीनो को भर्ती कराता है । किसी को ज्यादा चोट नहीं आई थी । एक घंटे बाद
सूरज डॉक्टर से बोलता है ।
सूरज-" डॉक्टर साहब तीनो की कैसी तबियत है?" 
डॉक्टर-" तीनो लोग खतरे से बाहर हैं, जल्दी ही होश आ जाएगा, आप इनके घर बालो को फोन करके बुला लीजिए" सूरज असमंजस में पड जाता है की इनके घर बालो को कैसे सुचना दें, तभी सूरज को ध्यान आता है की दोनों बच्चे स्कूल ड्रेस में थे, और उनके गले में पहचान पत्र पड़ा हुआ है, उसमे जरूर फोन नम्बर होगा ।सूरज जल्दी से बच्चों के पास जाता है और पहचान पत्र में पड़े नम्बर पर फोन करता है।
फोन पर किसी लड़की ने बात की, सूरज ने पूरी बात बता दी । सूरज कंपनी के लिए देर हो रही थी इसलिए डाक्टर साहब से इजाजत लेकर कंपनी चला गया ।
कार में जख्मी औरत और बच्चे किसी ओर के नहीं शंकर डॉन के ही हैं ।
शंकर को को फोन से किसी ने बताया की उसकी कार का एक्सिडेंट हो गया है, कार पूरी तरह जल कर ख़ाक हो चुकी है, शंकर डर जाता है की कहीं उसके पत्नी और दोनों बच्चे तो नहीं जल गए । शंकर भागता हूँ गाडी के पास जाता है तब तक काफी पुलिस फ़ोर्स आ चूका था । शंकर पोलिस बालो से पूछता है ।
शंकर-" गाडी में मेरी बीबी और बच्चे कहाँ है इन्स्पेक्टर?" 
इन्स्पेक्टर-' शंकर जी धीरज रखिए, आग इतनी भयंकर थी की सबकुछ जलकर राख हो चुका है, हम छानबीन कर रहें है,हो सकता है आपका परिवार इसी गाडी में जल गया हो" शंकर जैसे ही यह सुनता है दहाड़ कर रोने लगता है, आज एक पल में ही उसकी बनाई हुई दुनिया जैसे ख़ाक में मिल गई हो, बीबी और बच्चों में शंकर की जान बसती है । 
इधर शंकर की बहन शिवानी को जैसे ही हॉस्पिटल से सुचना मिलती है की उसकी भावी और दोनों बच्चे एक्सिसडेन्ट होने के कारण भर्ती है वह तुरंत अपने भाई शंकर को फोन करती है ।
शिवानी-" भैया हॉस्पिटल से किसी अनजान व्यक्ति का फोन आया उसने बताया की भावी और बच्चे हॉस्पिटल में भर्ती है, आप जल्दी से हॉस्पिटल आ जाओ, में निकल चुकी हूँ" शंकर जैसे ही यह सुनता है उसकी जान में जान आ गई, बचाने बाले व्यक्ति का शुक्रिया अदा करता है और अपने आदमियो के साथ हॉस्पिटल पहुँच कर अपनी बीबी और बच्चों से मिलता है, सभी को होश आ चूका था, शंकर की बीबी सारी बात बता देती है,जिस लडके ने जान बचाई उसके बारे में बताती है ।
शंकर की बीबी ने कभी सूर्या को नहीं देखा था ।
शंकर की बीबी-" एक फरिस्ते ने हमें बचा लिया बरना उस कार में ही हम तीनो जल जाते" 
शिवानी-" वो फरिस्ता कहाँ है भावी?" डॉक्टर से पूछती है ।
डाक्टर-" वो किसी काम की बजह से जल्दी चला गया, बाकई में वो फरिस्ता ही था' 
शंकर-" शिवानी पता लगाओ की वो फरिस्ता कौन था,जो हमपर उपकार कर गया,उस फरिस्ते से हम मिलना चाहते हैं" 
शिवानी-" भैया उसका नम्बर है मेरे पास, में उनको फोन करके घर पर बुला लूँगी" 
शंकर-" उनसे कहो की आज शाम को हमारे घर पर भोजन पर बुलाओ,उस फरिस्ते ने बहुत बड़ा उपकार किया है हम पर" 
कोई नहीं जानता था की जिस फरिस्ते की बात कर रहें हैं वो सूर्या का हमसकल सूरज ही है । शिवानी फोन मिला देती है ।
शिवानी-' हेलो जी! 
सूरज-" हेलो मेडम बोलिए क्या बात है, आपकी भावी और बच्चे ठीक तो हैं अब,माफ़ कीजिए में जल्दी में था इसलिए रुक न सका" 
शिवानी-" सर हम आपका सुक्रिया अदा करना चाहते हैं,आपने भावी और बचचो की जान बचा कर बहुत बड़ा उपकार किया है हम पर, आप आज शाम को घर आ सकते हैं डिनर पर? 
सूरज-" अरे मेडम जी यह तो मेरा फर्ज था, इंसान ही इंसान की मदद नहीं करेगा तो कौन करेगा, और हाँ में बच्चों से मिलने जरूर आऊँगा लेकिन आज नहीं कल" 
शिवानी-" आप बाकई में फरिस्ते हैं,में कल आपका इंतज़ार करुँगी" फोन कट जाता है ।
शिवानी शंकर को बता देती है की वो फरिस्ता कल घर आएगा ।
डॉक्टर तीनो को छुट्टी दे देता है, तीनो लोग स्वस्थ थे । शंकर अपने परिवार को लेकर घर चला जाता है । शिवानी सूरज से बात करके बहुत आकर्षित हो चुकी थी, वो कल मिलना चाहती थी सूरज से ।
इधर कंपनी में सूरज कल टेंडर कैसे मिले इसी बात की चर्चा अपने सीनियर कर्मचारी से कर रहा था । सूरज किसी भी तरह यह टेंडर लेना चाहता था, काफी देर चर्चा और विचार करता है । 
तभी सूरज के मोबाइल पर तनु दीदी का फोन आता है,
तनु-" सूरज कैसा है तू, आज शाम को घर आजा,सब लोग बहुत याद कर रहें है तुझे" 
सूरज-" दीदी कंपनी के काम में बहुत व्यस्त हूँ, एक दो दिन में फ्री होते ही आपके पास आ जाऊंगा कुछ दिन रहने के लिए" 
तनु-" माँ और पूनम दीदी भी बहुत याद कर रहीं है तुझे" 
सूरज-" दीदी आप माँ और पूनम दीदी का ख्याल रखना, बस कुछ दिन की परेसानी और है फिर आप लोगों के साथ ही समय बिताऊंगा" 
तनु-"कोई नहीं सूरज,तू चिंता न कर"तनु फोन काट देती है ।
शाम होते ही सूरज घर की और निकल जाता है ।
मधु मौसी और संध्या माँ में बहुत घुट रही थी, जैसे ही घर पहुंचा मधु मेरी तरफ देख कर कामुक मुस्कान देती है ।
में अपने कमरे में जाकर फ्रेस होकर आराम करने लगता हूँ । 
थोड़ी देर बाद फिर से मोबाइल बजता है सूरज ने मोबाइल देखा तो शिवानी की कोल थी ।
शिवानी-" हेलो सर जी क्या में आपसे कुछ देर बात कर सकती हूँ" 
सूरज-" हाँ जी बोलिए मेडम" 
शिवानी-" सर जी आपका नाम पूछना भूल गई थी में" 
सूरज-" ओह्ह्ह में तो अपना नाम बताना ही भूल गया था मेरा नाम सूरज है"(सूरज के मुह से सूरज ही नाम निकल गया जल्दबाजी में, जबकि वो अपना नाम सूर्या ही बताता है हर किसी को।
शिवानी-" बहुत प्यारा नाम है आपका, आपके विचार बहुत अच्छे हैं इसलिए आपसे बात करने का मन हुआ" 
सूरज-" थेंक्स मेडम आप भी बहुत अच्छी हो इसलिए अच्छे विचार सुनना पसंद करती हो" 
शिवानी-"यह तो आपका नजरिया है सूरज जी,इस फरेबी दुनिया में आप जैसे अच्छे व्यक्ति बहुत कम ही होते हैं" 
सूरज-' मेडम ये जिंदगी चार दिन की है या तो ख़ुशी से काट लो या रो रो कर ये इंसान पर डिपेंड करता है, नजरिया अच्छा हो तो सामने बाला हर व्यक्ति अच्छा होता है" 
शिवानी-" हाँ यह बात आपने बहुत अच्छी कही है" तभी सूरज के कमरे में मधु का आगमन होता है, 
सूरज-" मेडम में कल बात करूँगा आपसे"यह कह कर फोन काट देता है ।
मधु को लगता है की सूर्या अपनी गर्ल फ्रेण्ड से बात कर रहा है ।
मधु-"अरे क्या हुआ सूर्या, फोन क्यूँ काट दिया, गर्ल फ्रेंड से बात कर रहे थे क्या?" 
सूरज-"अरे नहीं मौसी गर्ल फ्रेंड मेरे नसीब में कहाँ हैं" 
मधु-"क्या तेरी अभी तक कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है?" 
सूरज-"नहीं मौसी अभी तक नहीं है' सूरज मासुमियात से बोलता है ।
मधु-' फिर तो बड़ी दिक्कत होती होगी तुझे" 
सुरज-" कैसी दिक्कत मौसी? 
मधु-" फिर तो तू भी अपने हाँथ से ही......" 
अधूरी बात छोड़ देती है,लेकिन सूरज समझ जाता है मौसी मुठ मारने की कह रही हैं ।
सूरज-" हाँथ से क्या मौसी?" 
मधु-"ओह्हो बड़ा भोला बन रहा है,बातें तो बड़ी बड़ी करता है, तू भी अपने हाँथ से हिलाता है क्या? मधु साफ़ साफ़ बोलती है ।
सूरज-" नहीं मौसी, हाँथ से नहीं करता हूँ' 
मधु-" में सब जानती हूँ, खा मेरी कसम कभी नहीं हिलाया तूने" अब तो सूरज कसम के जाल में फंस गया था ।
सूरज-" हाँ मौसी किया है दो तीन बार ही बस' 
मधु-" इसमें शर्माने की क्या बात है सब करते हैं, में भी करती हूँ" 
सूरज-" मौसी क्या अभी भी वो डिडलो अंदर घुसा है" सूरज मधु की चूत की तरफ इशारा करता हुआ बोला, मधु लाल रंग की नायटी पहनी हुई थी जिसमे उसका जिस्म क़यामत लग रहा था ।
मधु-" अरे नहीं सूरज तुझे क्या लगता है पुरे दिन उसे घुसा कर रखती हूँ, वो तो जब ज्यादा मन चलता है सेक्स का तभी उस से आग शांत कर लेती हूँ"मधु कामुकता के साथ सूरज से खुलती जा रही थी,सूरज का लंड लोअर में खड़ा हो जाता है, मधु की नज़र खड़े लंड पर पड़ती है ।उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर जाती है ।
मधु-" मुझे लगता है तेरा शेर जाग गया, बाथरूम चला जा और इसे शांत कर ले, बरना रात भर नींद नहीं आएगी तुझे" हँसते हुए बोली ।
सूरज-" मौसी आपके पास तो डिडलो है जिससे आपको पुरुस के पेनिस जैसा अनुभव मिल जाता है, लड़को के लिए कोई चूत जैसा रबड़ का आयटम नहीं आता है क्या,मेरा भी काम चल जाता'" सूरज के मुह से चूत शब्द सुनकर मधु शर्मा जाती है उसकी चूत में खुजली मचने लगती है ।
मधु-'कोई लड़की पटा ले बेटा, जो मजा लड़की दे सकती है वो मजा रबड़ का खिलौना नहीं" 
सूरज-" मौसी क्या डिडलो आपको पूरा मजा नहीं दे पाता है क्या" मधु कामुक हो चुकी थी मन कर रहा था की बस अब सूरज से चुदबा ले,इधर सूरज का मोटा और तगड़ा लंड जिसे महसूस करके ही चूत गीली हो रही थी ।
मधु-" अब तुझे क्या बताऊँ सूरज, जब जिस्म से जिस्म रगड़ता है उसकी बात ही कुछ ओर होती है,डिडलो तो बस कुछ देर के तूफ़ान को शांत कर देता है आग नहीं बुझा पाता है" मधु ने मेक्सी के ऊपर से ही चूत को मसलते हुए बोला। यह हरक़त सूरज देख लेता है उसका लंड झटके मारने लगता है ।
सूरज-" हाँ मौसी यह बात तो ठीक है आपकी, मौसी में लड़की को पटाना नहीं चाहता हूँ, मेरा पेनिस इतना बडा है की लड़की उसको झेल नहीं पाएगी,मेरे पेनिस को तो आप जैसी ही कोई भरे बदन की महिला झेल पाएगी'
मधु-'हाँ यह बात तो तेरी सही है तेरा पेनिस तो घोड़े जैसा है,नई लड़की की तो चूत फट जाएगी" दोनो लोग काफी खुल चुके थे,और दोनों ही तरफ आग भड़क चुकी थी । 
सूरज-" मौसी कोई आप जैसी महिला की चूत ही मेरे लंड की आग बुझा सकती है,कोई आप जैसी सुन्दर महिला से दोस्ती करबा दो मेरी,मधु की चूत से आग का सैलाब भड़क गया ।
मधु-"ओह्ह्ह्हो सूरज तेरी इन बातों को सुनकर अब मुझ पर रहा नहीं जा रहा है, में अभी ऊँगली करके आती हूँ" मधु चूत मसलती हुई बोली ।
सूरज-" मौसी ऊँगली कैसे करती हो यहीं कर लो मेरे सामने ही" सूरज ने जैसे ही बोला मधु की तो मन की मुराद ही पूरी हो गई हो ।
मधु-"एक शर्त पर ऊँगली करुँगी,अगर तू भी मेरे सामने मुठ मारे तो...."
Reply


Messages In This Thread
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है - by sexstories - 12-25-2018, 01:10 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 9,664 Yesterday, 01:31 PM
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 6,848 Yesterday, 01:04 PM
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 18,127 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 8,705 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 6,024 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,763,969 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 578,394 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,347,111 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,031,344 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,810,385 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 6 Guest(s)