Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:10 AM,
#32
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज और पूनम दोनों केन्टीन की तरफ जाते हैं इधर उधर देखने पर सूरज को फिर से शिवानी दिखाई दे जाती है, 
शिवानी सूरज को देख कर फिर से उसके पास आती है।

शिवानी-" तू फिर से आ गया,रुक में अपने भाई को फोन करती हूँ" 
शिवानी गुस्से में अपने भाई शंकर को फोन करके सारी बात बता देती है की सूर्या जिन्दा है और मॉल में है, सूरज और पूनम केन्टीन में जाकर बैठ जाते हैं और दोनों उस लड़की का इंतज़ार करने लगते हैं अब उन दोनों को क्या पता जिस लड़की से मिलने आएं हैं बही लड़की मुसीबत बनेगी,10 मिनट के अंदर शंकर और उसके साथ 6-7गुंडे आ जाते हैं। 
शंकर जैसे ही सूर्या को देखता है बुरी तरह से मुह बनाता है गुस्से में उसकी आँखे लाल पड़ जाती हैं ।
पूनम घबरा जाती है ।सूरज शांत होकर पहली बार शंकर नाम के डॉन को देख रहा था ।
शंकर-"कमीने मैंने तो सोचा तू मर गया होगा,लेकिन तू फिर लौट आया,अब तेरी लाश यहां से जाएगी" शंकर और उसके आदमी सूरज को घेर लेते हैं ।
शंकर सूरज का गला पकड़ लेता है, 
शंकर-"पिटर,कालिया इसको गाडी में डालकर हवेली ले चलो" पूनम रोने लगती है, सभी गुंडे सूरज को पकड़ कर गाड़ी में डाल लेते हैं, शिवानी पूनम को भी गाडी में बिठाकर हवेली की तरफ ले जाते हैं ।
सूरज शांत होकर बैठा था, जैसे उसे ससुराल लेकर जा रहें हो ।
15 मिनट बाद शंकर के घर पहुचते हैं ।
सूरज और पूनम को गाडी से निकाल कर बहार खड़ा करते हैं ।
शंकर-" बन्दुक लाओ,आज इसकी लाश बिछा दूंगा में, इस लड़की के भी हाथ पैर तोड़ दो"
शिवानी-"नहीं भैया इस बेचारी लड़की को मारकर क्या मिलेगा,गलती तो इस सूर्या ने की है तो सज़ा तो इसी को मिलनी चाहिए" 
पूनम-"मेरे भैया को छोड़ दो,उन्होंने कुछ नहीं किया है" 
शंकर-" नहीं शिवानी पहले इस लड़की को मारो यह लड़की इसकी बहन है" शंकर जैसे ही पूनम की तरफ जाता है,तभी सूरज दहाड़ता हुआ चिल्लाता है ।
सूरज-" मेरी बहन को अगर छुआ तो ये सूर्या तुम्हे जला कर भष्म कर देगा,गलती मेरी है इस लिए में चुप हूँ,बरना तुम्हारी गर्दने काटकर ले जाता,शिवानी के साथ मैंने ज्यादती की है तो सज़ा मुझे दो मेरी बहन को गलती से भी मत छु लेना" जैसे ही सूरज बोलता है शंकर डर जाता है सूरज की आँखे और रोद्र रूप देखकर ।
शंकर-"मेरे सामने ही तू चेलेंज कर रहा है,तेरी लाश के टुकड़े कर दूंगा आज में" 
शंकर सूरज को तमाचा मारता है ।
शिवानी-" भाई जब तक तुम इसको मारो,में उस फरिस्ते को बुलाकर लाती हूँ,जिसने भावी और बच्चे की जान बचाई,इस सूर्या के चक्कर में मैं उस फरिस्ते से मिलना तो भूल ही गई" जैसे ही सूरज यह बात सुनता है तो हैरत में पड़ जाता है और सोचने लगता है की कहीं वो मेडम शिवानी ही तो नहीं है जिसकी भावी और बच्चे की जान मैंने बचाई है ।
शंकर-" हाँ शिवानी जाओ तुम उस फरिस्ते को बुला कर लाओ जबतक मैं इससे निपटता हूँ ।शिवानी जैसे ही फरिस्ते को फोन करती है सूरज का फोन बजने लगता है। सूरज जैसे ही फोन उठाता है तो एक दम शिवानी की आवाज़ सुनता है,शिवानी भी कभी फोन देखती तो कभी सूर्या को,शिवानी के चेहरे का रंग उड़ चूका था,सूरज भी हेरात में था यह देख कर।शिवानी सूर्या का मोबाइल लेकर अपना नम्बर देखती है ।
शिवानी-"तुमने मेरी भावी की जान बचाई थी कल" 
सूरज-"हाँ मैंने ही बचाई" जैसे ही सूरज यह बोलता है शिवानी रोने लगती है,इधर शंकर भी हैरानी से देखता है।ऐसा लग रहा था की पैरो तले जमीन खिसक गई हो ।

शंकर जब ये सुनता है की मेरी बीबी और बच्चों की जान बचाने वाला कोई और नहीं सूर्या ही है, वहीँ फरिस्ता है जिसके कारण उसकी बीवी और जान से प्यारे बच्चे जिन्दा है, शंकर के जिस्म में ऐसा लग रहा था की खून का संचार रुक गया हो,हर्ट के अलावा बाकी थम सा गया हो, मुह से कोई शब्द नहीं निकल पा रहा था,उसकी अकड़ और ख़ौफ़ हवा में छूमंतर हो गए हो, यही हाल शिवानी का भी था, सूर्या जिसने उसके साथ सम्भोग किया और फिर उसे छोड़ दिया, आज उसी सूर्या ने उसके परिवार की खुशियाँ विलुप्त होने से बचाई, उसके आँख से आँशु बहने लगे,इस स्तिथि में सूर्या से अपनी अस्मत लूटने की लड़ाई लड़े या परिवार को बचाने के लिए उसका आभार व्यक्त करे,ये सभी के दिमाग में एक प्र्शन की तरह घूम रहा था ।जब सब लोग खामोश हो जाते हैं तब सूरज बोलना सुरु करता है ।
सूरज-" शिवानी सूर्या तुम्हारा गुनहगार है उसे उसकी सज़ा मिल चुकी है, लड़ाई झगड़ा किसी समस्या का हल नहीं है, सूर्या अगर गुनहगार है तो कहीं न कहीं शिवानी तुम भी गुनहगार रही हो,फिर सज़ा एक को ही क्यूँ मिले, में मानता हूँ गलतियां हुई है तो क्या उन गलतियों की सजा सिर्फ मौत है? 
आपको यह जानकार बड़ी हैरानी होगी की में सूर्या नहीं हूँ, सूर्या का आप लोगों ने क्या किया,मार डाला या जिन्दा है,ये सिर्फ आपको पता होगा,लेकिन आज सूर्या की सारी मुसीबतों से में लड़ रहा हूँ"" जैसे ही सूर्या ये बात बोलता है सबकी आँखे फटी की फटी रह जाती हैं ।सबके जहन में सिर्फ एक ही सवाल था की यदि में सूर्या नहीं हूँ तो कौन हूँ।
शंकर-'क्या तुम सूर्या नहीं हो,फिर आप कौन हो? 
शिवानी-"सूर्या नहीं हो आप? 
सब मेरी और देखकर मेरे उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे थे ।
पूनम-"ये सूर्या नहीं हैं,ये मेरे भाई सूरज हैं,सूर्या के हमशकल हैं,सूर्या के परिवार को अब तक बचाते आ रहें है आपसे, और हाँ शंकर को जेल से छुड़ाने वाले मेरे भैया हैं" 
सबके चेहरे के रंग उड़ गए ।शिवानी तो बस रोये जा रही थी।
शिवानी-"क्या सूर्या वास्तव में मर चूका है" 
सूरज-"सूर्या को आपके भाई ने कबका मार दिया,सूर्या को मार कर क्या आपकी इज्जत वापिस आ गई, आपने यह नहीं सोचा की उसकी माँ और बहन का क्या होगा" शिवानी और शंकर की आँखों में आंसू छलक आए ।
शंकर-" सूर्या को में जान से मारना नहीं चाहता था,बस उसे डरा धमका कर शिवानी से शादी के लिए राजी करबाना चाहता था,में उस रात भी में सूर्या को पकड़ कर घर ला रहा था,गाडी जैसे ही नहर के पुल पर आई सूर्या ने गाडी से उतर कर छलांग लगा दी, सूर्या की माँ ने मुझे जेल भेज दिया ।सूर्या की मौत का में जिम्मेदार हूँ,लेकिन में जान से मारना नहीं चाहता था सूरज" 
शिवानी-" सब मेरी गलती है,मेरी नादानी की बजह से सब हुआ है,में जीते जी अपने आपको कभी माफ़ नहीं कर पाउंगी,मुझे माफ़ कर दो सूरज" 
काफी देर तक सब एक दूसरे के साथ गिला शिकबा दूर करते रहे। शंकर ने अपनी गलती की माफ़ी मांगी, सूरज भी यही चाहता था की सूर्या के परिवार से कोई दुश्मनी न हो ।
सूरज की एक सबसे बड़ी दुविधा दूर हो चुकी थी ।
शंकर और शिवानी सूरज और पूनम को घर में ले जाता है ।
इधर मॉल में जब शंकर सूरज और पूनम को पकड़ कर ले जा रहे थे तभी वहां के सिक्योरिटी गार्ड ने सूराज की गाड़ी जो मॉल के पार्किंग में खड़ी थी उसका नम्बर ट्रेस कर के फोन किया, फोन तान्या ने उठाया,
गार्ड-"हेलो मेडम ***0 इस नंबर की गाडी के लोगों को शंकर डॉन पकड़ कर ले गया है" 
तान्या-" आप कहाँ से बोल रहे हो,ये गाड़ी तो सूर्या के पास रहती है" 
गार्ड-"मेडम में डेल्टा मॉल की पार्किंग का गार्ड हूँ,आप गाडी ले जा सकती हैं" तान्या जब यह बात सुनती है तो कंपनी से सीधा अपने घर पहुंचति है ।और अपनी माँ संध्या को सारी बता देती है ।
संध्या-"ओह्ह्ह वो शंकर बहुत खतरनाक है सूर्या को मार देगा,उसे बचाना होगा मुझे" माँ का ह्रदय एक बार फिर से अपने लाल के लिए धड़क उठा,ये माँ की ममता होती ही ऐसी है ।
तान्या-"माँ वो इसी के लायक है, कोई न कोई मुसीबत खड़ी करता रहता है,आप क्यूँ उसके लिए परेसान होती हो,कब तक उसे बचाती रहोगी आप, जिस दिन उसकी यादास्त वापिस आ जाएगी उस दिन वो फिर से मुसीबतें खड़ी कर देगा" तान्या आग उगलते हुए बोली ।
संध्या-" में मानती हूँ की उसमे बहुत सी कमियां हैं लेकिन क्या करू बेटा है वो मेरा,कब सुधरेगा इसी उम्मीद में जीती आई हूँ अब तक" 
तान्या-"माँ में तो उससे तंग आ चुकी हूँ,मेरे लिए तो वो बहुत पहले ही मर चूका है,में उसे अपना भाई नहीं मानती हूँ,आप भी अपने मन को समझा लो" तान्या इतना बोलते ही कंपनी निकल गई ।
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