Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:10 AM,
#36
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
एक दिन में और माँ मार्केट गए, तभी मैंने बहाँ पर मधु मौसी को देखा, और उन्होंर मुझे, मौसी मुझे देखकर खुश हो गई, माँ तो मार्केट में व्यस्त थी, मैंने मौका देखकर मौसी से बात करने चला गया ।
मधु-"अरे सूर्या तू यहाँ किसके साथ आया है?"
सूरज-" में माँ के साथ आया हूँ मौसी,आप कैसी हो"
मधु-"में तो ठीक हूँ,तूने तो एक बार भी मुझे फोन नहीं किया,पूछा भी नहीं में जिन्दा हूँ या मर गई" 
सूरज-"मौसी में जनता हूँ आप पर क्या बीती होगी,लेकिन मौसी जिस दिन घर से गई हो उसी दिन तान्या दीदी का एक्सिडेंट हो गया,उन्ही की बजह से में व्यस्त हो गया,मैंने भी आपको बहुत मिस किया मौसी" 
मधु-"ओह्ह कैसे हुआ,अब कैसी है तान्या?"
सूरज-"अब पहले से ठीक है, मौसी में आपसे मिलने आऊंगा कल, क्या आप कल मिल सकती हो" 
मधु-" तू कभी भी आ सकता है सूर्या, लेकिन में नहीं चाहती हूँ तू मेरे पास आ, अगर तेरी माँ को पता लग गया,तो में और बेज्जती सहन नहीं कर पाउंगी" 
सूरज-"मौसी आप टेंसन मत लो,में सब ठीक कर दूंगा" सूरज इतना ही बोल पाया था तभी संध्या आ जाती है। 
संध्या मधु को देखकर जल जाती है, और गुस्से में गाडी में बैठ जाती है,सूरज मौसी को बाय बोलकर गाडी में आ जाता है, 
संध्या अभी भी गुस्से में थी,सूरज की फिर से गांड फट जाती है, सूरज गाडी ड्राइब कर रहा था, संध्या बगल में बैठने की बजाय पिछली सीट पर बैठी थी।दोनों लोग खामौश थे, घर पहुँच कर सूरज अपने कमरे में पहुंचकर फ्रेस हुआ, और तान्या के कमरे में बैठ गया।थोड़ी देर बाद खाना खा पी कर सूरज अपने कमरे में लेट गया,रात के दस बज रहे थे तभी सूरज के कमरे का दरबाजा बजा,सूरज ने उठकर देखा तो संध्या खड़ी थी ।

संध्या माँ के रात में आने से में थोडा अचिम्भित था, माँ इतनी रात में क्यूँ आई है ये समझते मुझे देर नहीं लगी, मधु मौसी को आज मार्केट में मेरे साथ देखकर माँ थोड़ी नाराज थी, मधु मौसी के सम्बन्ध में ही माँ मुझसे बात करने आई है, दरबाजा खोलते ही माँ अंदर बेड पर बैठ गई ।
सूरज-" माँ क्या बात है,आप अभी तक सोई नहीं" 
संध्या-" जिसका बेटा गलत रास्ते पर चल रहा हो,उस माँ को कैसे नींद आ सकती है, 
माँ की नाराजगी को में समझ सकता था, माँ अत्यंत परेसान सी थी । में माँ के घुटनो के पास नीचे जमींन पर बैठ गया, माँ की नाराजगी मुझ पर सहन नहीं हो रही थी।
सूरज-"माँ आपका बेटा,कोई गलत रास्ते पर नहीं चल रहा है,में मानता हूँ मुझसे गलती हुई है, और आपको पूरा हक़ है मुझे डांटने का, बस माँ आप कभी नाराज मत होना मुझसे, आपसे दूर नहीं रह सकता में" 
संध्या-" मधु के साथ सबकुछ गलत करने के बाद तू कहता है की कुछ भी गलत नहीं है, और आज तू भी फिर से उसी नीच औरत से बात कर रहा था,ये जानते हुए भी वो मुझे अब बिलकुल पसंद नहीं है,बेटा में सिर्फ तुझे समझा रही हूँ,क्यूंकि तेरे बिना में भी नहीं रह सकती हूँ"
माँ की जलन भावना मधु के प्रति उभर कर सामने आई लेकिन मेरे प्रति प्यार भी उभर कर सामने आया।

सूरज-"माँ परिस्तिथियां इंसान को गलत कार्य करने पर मजबूर कर देता है,में मानता हूँ बिवाह से पहले यह कार्य गलत होता है भारतीय संस्कृति में, लेकिन माँ आज के बदलते परिवेश में क्या इससे कोई अछूता रह सकता है?" 
संध्या-" में मानती हूँ इस युग में कोई ब्रह्मचर्य अपना नहीं सकता,लेकिन अपने आपको को शांत करने के और भी तो तरीके हो सकते हैं' माँ के मुह से यह जवाब सुनकर में स्तब्ध रह गया,खुद माँ भी अपने कहे गए शब्दों से शर्म महसूस कर रही थी।
माँ की लज्जाई अवस्था को में समझ रहा था, 
सूरज-" माँ आप क्या चाहती हो? आपका अंतिम फैसला ही मेरे लिए मान्य होगा" 

संध्या-' उस कामिनी मधु के पास मत जाना,में बस यही चाहती हूँ बेटा,वो मुझे पसंद नहीं है बेटा"
सूरज-" माँ जैसा आपने कहा है वैसा ही होगा,में आपको वचन देता हूँ,आज के बाद में कभी मधु मौसी से बात नहीं करूँगा,मेरी ख़ुशी आपसे है माँ,यदि आप खुश नहीं हो तो में भला कैसे खुश रह सकता हूँ" 
यह बात सुनकर माँ को ख़ुशी मिलती है।
संध्या-"बेटा काफी अरसे के बाद इस घर में खुशियाँ लौटी हैं,और ये खुशियाँ सिर्फ तेरे कारण ही आई हैं,तान्या भी आज कल बहुत खुश रहने लगी है, में चाहती हूँ ऐसे ही हम सब प्यार से रहें, इस घर की खुशियाँ तुझ पर निर्भर करती हैं" 
सूरज-" माँ आप चिंता मत करो,आज के बाद कभी आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा, हम सब लोग प्यार से ही रहेंगे" 
संध्या-' थेंक्स बेटा तूने मेरी बहुत बड़ी उलझन दूर कर दी" माँ ने इतना ही बोला तभी मेरे फोन पर शैली का फोन आ गया, एक टेंसन दूर कर पाया , दूसरी टेंसन फिर से होने लगी,मैंने फोन काट दिया,माँ भी सोच में पड़ गई की इतनी रात में किसका फोन आया है, लेकिन शैली कहाँ मानने बाली थी,फिर से फोन बजने लगा, मैंने फिर से फोन काटकर,फोन स्वीच ऑफ़ कर दिया,लेकिन माँ मुझे फिर से घूर कर देखने लगी।
संध्या-"किसका फोन है,उठा क्यूँ नहीं लेता है, तेरी कोई गर्ल फ्रेंड है या मधु का फोन है? 
में घबरा गया था,अब माँ को कैसे बोलू की यह गर्ल फ्रेंड हैं मेरी,सबसे पहले इसी के साथ सम्भोग का सुख प्राप्त हुआ था।
सूरज-" मममधु मौसी कका फोन नहीं है माँ" मैंने घबराते हुए बोला,शब्द मुह से निकल नहीं पा रहे थे,डर लग रहा था की कहीं माँ फिर से बुरा न मान जाए।
संध्या-"इतना घबरा क्यूँ रहा है सूर्या, ओह्ह तो फिर तेरी गर्ल फ्रेंड भी है, उसी का फोन है, इतनी रात में गर्ल फ्रेंड का ही फोन हो सकता है, गर्ल फ्रेंड ही है न?" माँ साधारण लहजे में बोली,इस लिए मुझे घबराहट थोड़ी कम हुई, लेकिन अब माँ को कैसे समझाऊ, माँ मेरी तरफ ही देख रही थी इसलिए घबराहट के कारण कोई बहाना भी नहीं ढूंढ पा रहा था,झूठ बोलने या मनघडन्त कहानी बनाने के लिए समय नहीं था मेरे पास।
सूरज-"माँ दोस्त है मेरी" मैंने घबराते हुए बोला। इस बार माँ के चेहरे पर हलकी मुस्कान थी ।
संध्या-" दोस्त है तो बात क्यूँ नहीं की, मेरे सामने बात कर सकता है, फोन से पूछ ले हो सकता है किसी दुविधा में हो,इसलिए इतनी रात में फोन किया हो, फोन को ओन करके पूछ ले,मेरे सामने बात करने में डर क्यूँ रहा है" माँ ने मुझे हर तरफ से सवालो के घेरे में घेर लिया था,अब झूठ बोलने के लिए कुछ बचा भी नहीं था,मैंने डरते हुए फोन ओन किया, फोन ओन करते ही शैली की कॉल फिर से आ गई,घबराहट के कारण मेरे माथे पर पसीना आ चूका था। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई बात करने की,मैंने फोन सायलेंट कर दिया।
संध्या-" सूर्या सच बोल,तेरी गर्ल फ्रेंड ही है न, तेरे चेहरे की घबराहट और पसीना बता रहा है, मुझे पहले से ही शक हो गया था,इस लिए तेरे मुह से ही सुनना चाहती थी" 
मेरी हालात ख़राब थी,माँ को सच बताने के सिबा और कोई रास्ता नहीं था मेरे पास।
सूरज-"हाँ माँ गर्ल फ्रेंड ही है"मैंने सर झुका कर बोला,
संध्या-'ओह्ह्हो सुर्या इसमें इतना घबराने की क्या जरुरत है, में माँ हूँ तेरी दुश्मन नहीं हूँ,में चाहती हूँ मेरे बच्चे मुझसे कुछ छिपाए नहीं,गर्ल फ्रेंड बनाना गुनाह थोड़े ही है,बेटा यह उम्र ऐसी ही होती है,में मानती हूँ आजकल हर लड़के की गर्ल फ्रेंड होती है, मुझे तेरी गर्ल फ्रेंड से कोई आपत्ति नहीं है,लेकिन तू मुझसे खुल कर बता तो सकता है" माँ हँसते हुए बोली,मुझे बड़ी हेरत दी हुई, में तो माँ की नाराजगी से डरता हूँ इसलिए सच बताने में घबराहट हो रही थी।मेरा डर कुछ कम हुआ।
सूरज-"माँ मुझे डर था की कहीं आप नाराज न हो जाओ,मुझे आपकी नाराजगी से डर लगता है" 
संध्या-" बेटा में तो सिर्फ मधु की बजह से नाराज थी, तू नहीं जानता है मधु कैसी औरत है उसे तो सिर्फ नए जवान लड़को की तलाश रहती है, और क्या बताऊँ तुझे, मुझे तो बताते हुए भी शर्म आ रही है बेटा लेकिन तुझे बताना भी जरुरी है, उसे तो हर दिन नए मर्द की तलाश रहती है,स्कूल के समय में भी उसने किसी लड़के को नहीं छोड़ा,अब बता कोई माँ कैसे चाहेगी की उसका बेटा ऐसी औरत के चंगुल में फंसे" 
सूरज-" माँ जब आपको पता है मधु मौसी गलत आचरण की हैं तो आप उसके साथ क्यूँ रहती थी" 
मैंने माँ से उल्टा सवाल थोप दिया,पहले तो माँ थोड़ी संकुचित हुई लेकिन फिर वो बोल पड़ी।
संध्या-" बेटा वो गलत कार्य करती थी लेकिन उसका असर कभी मुझ पर नहीं हुआ, में कभी उसके जैसे गलत रास्ते पर नहीं चली, लेकिन वो एक दिन के लिए इस घर में आई उसका असर और जादू तुझ पर हो गया, पता नहीं ऐसा क्या जादू किया तेरे ऊपर और तू उस पर लट्टू हो गया, कमसे कम उसकी उम्र तो देख लेता,मेरी ही उम्र की है वो,तेरी माँ की ही उम्र की" माँ की बात सुनकर में लज्जित हो गया,माँ अब बड़े प्यार से मुझे समझा रही थी।
सूरज-"ओह्ह्ह माँ अब और कितना मुझे शर्मिंदा करोगी" 
संध्या-"अच्छा ठीक है,अब मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड का फोटो तो दिखा दे,कैसी लड़की है? क्या नाम है उसका" 
सूरज-"माँ मेरे पास उसका कोई फोटो नहीं है,उसका नाम शैली है,लेकिन माँ वो मुझे पसंद नहीं है,वो खुद ही मेरे पीछे पड़ी हुई है" 
संध्या-"ओह्ह ये शैली बही लड़की है जिससे तूने कंपनी के टेंडर के लिए विनती की थी,गीता ने बोला था" 
सूरज-"हाँ माँ ये वहीँ लड़की है,इसी की बजह से हमें टेंडर मिला" 
संध्या-" फिर तो मुझे भी उसे एक बार देखना है,एक बार उसे घर पर बुला ले, उसके व्हाट्सअप पर प्रोफायल फोटो तो जरूर लगा होगा,एक बार बही दिखा दे" 
माँ ने जिद पकड़ ली थी,मुझे मजबूरन माँ को अपने मोबाइल में व्हाट्सअप फोटो दिखाना पड़ा, मैंने नेट ओन किया ताकि व्हाट्सअप फोटो क्लियर हो जाए, माँ मेरे फोन को लेकर फोटो देखने लगी, तभी अचानक व्हाट्सअप पर शैली के बहुत सारे मेसेज आने लगे" 
संध्या-"wowww सूर्या लड़की तो सुन्दर है,देखकर ही लगता है की अच्छे खानदान की लड़की है,लेकिन सूर्या मुझे ऐसा लग रहा है की ये तुझसे उम्र में बड़ी है, तुझे अपने से बड़ी उम्र की लड़कियां औरत पसंद है क्या" 
माँ के इस सवाल से में हिल गया,चुकीं यह सत्यता भी थी,मुझे बड़े चूचियों और बड़े चूतड़ बाली औरते और लड़कियां पसंद थी।
मेरे पास कोई जवाब नहीं था। माँ का सोचना गलत नहीं था,सूर्या ने अब तक घर की नोकरानी और तान्या दीदी की फ्रेंड सोनिया और मधु मौसी को चौदा था जो सूर्या से उम्र में बड़ी ही थी।
सूरज-"माँ ऐसा नहीं है,में आपको कैसे समझाऊ" माँ मेरी बात पर हँसाने लगी।
संध्या-"चल कोई बात नहीं, ये तेरा अपना निजी मामला है,बेटा लगता है शैली ने फोटो भेजे हैं,एक बार कोई साफ सा फोटो देख" माँ ने तुरंत शैली के व्हाट्सअप नम्बर को खोला और मेसेज और फोटो को देखा तो एक दम हैरान हो गई,और फोन मेरी तरफ फेंक दिया......

संध्या माँ ने मेरे मोबाइल पर शैली के व्हाट्सअप पर ऐसा क्या देखा की माँ एक दम चोंक गई,और मोबाइल मेरी तरफ फेंक दिया, माँ की साँसे और तेज धड़कन इस बात का सबूत दे रही थी की जरूर कुछ गलत देखा है, में कभी माँ को देखता तो कभी बेड पर पड़े मोबाइल को देखता,
सूरज-"क्या हुआ माँ? 
मैंने अपना मोबाइल उठाया तो देखा शैली ने अपने कई नंग्न फोटो भेजें हैं,जिसमे वो अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी, 
एक मेसेज भेज था उसमे लिखा था" 
'तेरे मोटे लंड की चाहत में आज फिर से मेरी चूत गीली है,कब मेरी प्यास बुझाएगा" 
जैसे ही मैंने मेसेज पढ़ा और फोटो देखा मेरी गांड फट गई,आज फिर से शैली के कारण माँ के सामने मुझे बेज्जत होना पड़ेगा,हो सकता है माँ मुझसे नाराज़ भी हो जाए,में मन ही मन शैली को कोसने लगा,ये क्या किया शैली, अब माँ को कैसे समझाऊ में,
इधर 
माँ अपनी साँसे थमने का इंतज़ार कर रही थी, थोड़ी देर बाद अपनी साँसों को अपने बस में करती हुईं बोली।
संध्या-" सूर्या ये तो बहुत बत्तमीज लड़की है, तू इस तरह की लड़की को पसंद करता है, कितनी गन्दी गन्दी तस्वीर तुझे भेजती है, ओह्ह्हो आजकल की लड़कियो को भी पता नहीं क्या हो गया है" माँ ने अपने दोनों हाँथ अपने सीने पर रख कर जोर से सांस लेते हुए कहा।
सूरज-"सॉरी माँ मुझे नहीं पता था वो इस तरह मेसेज भेजेगी, यदि मुझे पता होता वो इस प्रकार के नग्न फोटो और अश्लील मेसेज भेजेगी तो में आपके हाँथ में मोबाइल देता ही नहीं" मैंने सफाई देते हुए बोला।
संध्या-" मुझे भी नहीं पता था आजकल की लाडकियां व्हाट्सअप पर नग्न फोटो भेजती हैं बरना में भी तेरे मोबाइल को नहीं छूती"में नज़रे नीचे करके सुन रहा था, माँ अपनी गलती का अहसास करती हुई बोली,माँ का रवैया जिस प्रकार में सोच रहा था उस तरह का नहीं था, माँ के शांत और लचीले लहजे में बोलने के कारण मेरा डर भी कम हो गया था लेकिन में माँ से नज़रे नहीं मिला पा रहा था और ये बात माँ भी समझ गई थी।
संध्या-" सूर्या क्या हुआ नज़रे नहीं मिला प् रहा है मुझसे, तू ऐसा काम ही क्यूँ करता है, अच्छा अब एक बात बता सच सच, तूने शैली के साथ भी किया है" माँ का इशारा सेक्स की तरफ था, माँ से कैसे बोलू, समझ नहीं आ रहा था,सच बोलने से डर नहीं लगता है,कहीं माँ नाराज़ न हो जाए इस बात से डर लगता है ।
सूरज-"माँ आप किसकी बात कर रही हो,शैली के साथ क्या?" मैंने अपना संदेह दूर करने के लिए पूछ लिया,लेकिन इस बार माँ बुरी तरह झेंप गई, लेकिन माँ तो मुझसे ज्यादा बुद्धुमान थी ।
संध्या-" ओह्ह्ह सूरज ज्यादा भोला मत बन, जो तूने मधु के साथ किया था क्या वही काम तूने शैली के साथ भी किया है?" मेरे लिए सबसे कठिन सवाल था ये, इसका जवाब देने के लिए वास्तविक छप्पन इंच का सीना होना चाहिए यदि सवाल आपके परिवार का सदस्य करता है तो ।
सूर्या-"हाँ माँ किया है,लेकिन इसमें एक कंडीसन थी? माँ एक दम चोंकि आखिर सेक्स में कैसी कंडीसन।
संध्या-"क्या कंडीसन,कैसी कंडीसन थी सूर्या,साफ़ साफ़ बोल" 
माँ हैरानी से मुझे देखते हुए बोली ।
सूरज-" कंडीसन यह है माँ 'मैंने उसके साथ नहीं किया,उसने मेरे साथ किया था,मुझे मजबूर किया था"जैसे ही मैंने यह बोला माँ आँखे फाड़े देखने लगी मुझे, मैंने अपना बचाव करते हुए बोला ।
संध्या-" ओह्ह्हो सूर्या तेरा मतलब है की सब कुछ उसी ने किया तूने कुछ नही किया" 
सुरज-" हाँ माँ, जब उसने किया तो मजबूरन मुझे भी........" मैंने अधूरी बात छोड़ दी लेकिन माँ समझ गई ।
संध्या-" इसका मतलब ये है की घर में आग पहले से लगी थी तू सिर्फ बुझाता है" इस बार माँ के चेहरे पर हलकी मुस्कान थी।
सूरज-" हाँ माँ शायद" 
संध्या-"शायद!? ओह्हो सूर्या तू भी पागल है पूरा,और मुझे भी पागल करके छोड़ेगा, आग तो पुरे शहर में लगी है तो क्या पुरे शहर की आग बुझाने का ठेका ले लिया है तूने,भला ऐसी भी क्या मज़बूरी"इस बार मेरी बोलती बंद।
सूरज-"सॉरी माँ अब गलती नहीं करूँगा" मेरे पास अपनी बकालत करने के लिए अब शब्द नहीं थे इसलिए मैंने मागी मागना ही उचित समझा, 
तभी मेरे फोन पर तान्या दीदी की कोल आई, मैने माँ को बताया की दीदी मुझे बुला रही हैं।
संध्या-"बेटा मेरी बात का बुरा मत मानना, में तेरी भलाई के लिए समझाती हूँ, तू अभी नादान है,न समझ है,तेरी नादानी का लोग फायदा उठाते हैं, अब से तू वादा कर कोई बात तू मुझसे छुपाएगा नहीं, में अगर तुझसे कुछ कहूँगी तो तेरे भले के लिए कहूँगी, अब तू तान्या के पास जा बेटा,और अब सो जाना,रात भी बहुत हो चुकी है"माँ ने खड़े होकर बोला,और जाते जाते मुझे गले लगा कर मेरे माथे पर चूम लिया,माँ के इस बदलाव को देख कर मुझे अत्यंत ख़ुशी थी की माँ नाराज नहीं है।माँ के नीचे जाने के बाद में तान्या दीदी के कमरे में गया,दीदी मेरा ही इंतज़ार कर रही थी।
तान्या-"आ गया मेरा भाई,मुझे नींद नहीं आ रही है सूर्या,मेरे पास सो जा" 
सूरज-" दीदी दवाई खाने के कारण आपको बैचेनी सी रहती होगी, इसलिए नींद नहीं आती है,आप चिंता न करो,में आपको अभी लोरी गा कर सुला देता हूँ" मैंने हँसते हुए बोला,दीदी के बगल में लेट गया और एक हाँथ से दीदी की पीठ पर थपकी देने लगा।
तान्या-"आह्ह्ह मेरे भाई तेरे आते ही मुझे बड़ा सुकून सा मिलता है,कितनी अभागिन थी अब तक अपने ही प्यारे भाई से अलग रही" तान्या सूरज के सीने पर हाँथ रखकर लेट जाती है, 
सूरज-" कोई नहीं दीदी,अब से में हमेसा तुम्हारे साथ हूँ,अब सो जाओ दीदी" तान्या आँखे बंद करके सो जाती है लेकिन सूरज की आँखों में नींद नहीं थी,संध्या के बारे में सोच रहा था और अब तक की बातचीत की समीक्षा कर रहा था। माँ के मृदुल व्यवहार और उनके सबालो से निष्कर्ष निकल रहा था की माँ भी सूरज के साथ दोस्ताना व्यवहार की चाहत रखती है,उन्हें डर है की कहीं सूर्या उनसे दूर न हो जाए इसलिए सूर्या के करीब रहकर उससे समझाने में ही उन्होंने भलाई समझी।
इधर जब संध्या अपने कमरे में जाती है तो जोर की सांस लेती है,शैली के भेजे गए नंग्न फोटो और उसके मेसेज में लिखे गए शब्द को याद कर संध्या को यह पता लग गया था की शैली सूर्या के लंड की तड़प में जल रही है,उसे बड़ा अजीब लग रहा था,शैली ने लिखा था की "तेरे मोटे लंड को याद करके मेरी चूत गीली है" संध्या मन ही मन सोचती है क्या बाकई में सूर्या का लंड बहुत मोटा है, 
संध्या को याद आता है की उसने जब मधु की चूत चाटी तो उसमे सूर्या का वीर्य भरा हुआ था, उसने पहले तो बड़े प्यार से सूर्या का पानी चाटा था,जाने अनजाने में ही सही लेकिन अपने बेटे के लंड का पानी तो चखा था, संध्या खड़े खड़े ही अपनी मेक्सी के अंदर हाथ डालकर पेंटी के ऊपर अपनी चूत को सहलाती है उसे एक जोर का झटका लगता है उसकी पेंटी उसके चूत रस से पूरी भीगी हुई थी जिसका उसे अहसास तक नहीं था, संध्या को इस बात से अपने ऊपर बड़ी ग्लानि सी महसूस होती है,
संध्या-"यह क्या हो गया मुझे,सूर्या से बात करते करते मेरी पेंटी कैसे भीग गई,क्या में भी सूर्या से आकर्षित हूँ,नहीं यह गलत है वो मेरा बेटा है" संध्या अपनी गीली पेंटी उतार कर देखती है तो उसकी चूत पर बहुत सारा चूतरस लगा हुआ था,जिससे उसकी चूत चिपचिपा रही थी, संध्या अपनी चूत साफ़ करने के लिए अपनी पेंटी झुक कर फर्स से उठाती है तभी बेड के नीचे उसे मधु का दिया हुआ डिडलो दिखाई देता है,मधु उसे लेजाना भूल गई, संध्या डिडलो के प्रति आकर्षित हो जाती है उसकी चूत में खुजली मचने लगती है, डिडलो को उठाकर बेड पर चित्त लेट जाती है और डिडलो को चूत के मुख पर रगड़ने लगती है, उसकी साँसे और धड़कन तेजी से चलने लगती है ,संध्या डिडलो का बटन ओन करती है, वाइब्रेट डिडलो को चूत में घुसेड़ते ही उसकी चीख फुटने लगती है,मुह से सिसकारी फुट जाती है, चूत के छेद में कभी आधा डिडलो तो कभी पूरा डालने का प्रयास करती, संध्या सोचती है की सूर्या को औरते ज्यादा पसंद होंगी इसलिए तो उसने मेरी ही उम्र की मधु की चूत की सुलगती आग को ठंठा कर दिया, मधु में तो बहुत आग है,कैसे शांत किया होगा सूर्या ने उसे, संध्या तेज तेज हाँथ चलाने लगती है, एक हाँथ से अपबि चूचियों को मसलती है,तो कभी निप्पल को मसलती है, चूत से हल्का हल्का पानी रिसने से चूत गीली हो गई थी,डिडलो अब आराम से अंदर बहार हो रहा था,संध्या जैसे डिडलो को चूत में घुसेड़ती उसकी आनंद की सीमा नहीं रहती,स्वर्ग का अहसास उसे चूत की रगड़ाई में महसूस हो रहा था, संध्या सूर्या के लंड की कल्पना करने लगती है, वो सोचती है की नकली लंड से इतना मजा आ रहा है तो असली लंड से कितना मजा आएगा,22 साल हो गए उसे लंड से चुदवाए हुए, आज फिर से लंड की चाहत और कामवासना उसकी जाग चुकी थी।
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RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है - by sexstories - 12-25-2018, 01:10 AM

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