RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
रात के 10 बजे,
रेखा अपने कमरे में गाँव जाने के लिए तैयार हो रही थी, आज रेखा ने नई बनारसी साडी पहनी थी, और आज लाए हुए गहने भी पहनती है, रेखा आज बहुत सुन्दर लग रही थी।तभी पूनम कमरे में आती है, अपनी माँ की सुंदरता देख कर हैरान रह जाती है।
पूनम-"वाह्ह्ह्ह् माँ आप तो महारानी लग रही हो" रेखा शरमाती हुई बोली ।
रेखा-"अच्छा,पूनम तू एक काम कर दे, एक बेग में मेरी नायटी रख दे,यदि रात में मुझे रुकना पड़ा तो कम से कम पहन कर तो सो जाउंगी,और ब्रा पेंटी भी"
पूनम-"ठीक है माँ,एक बेग में रख देती हूँ" पूनम एक बेग में नायटी और ब्रा पेंटी रख देती है।
रेखा-" बेटा मेरी दवाई भी रख देना" पूनम रेखा की सभी दवाई रख देती है, रेखा तैयार हो चुकी थी।
सूरज भी तैयार होकर नीचे आया,सूरज जैसे ही रेखा को देखता है तो चोंक जाता है,रेखा बहुत सुन्दर लग रही थी,बिलकुल बाहुबली की माहेष्मती जैसी, सूरज को इस तरह घूर कर देखने से रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"अब चलें सूरज" सूरज अपनी सोच से बाहर निकलता है।
सूरज-"हाँ माँ चलो" रेखा और सूरज गाडी में बैठ जाती है, पूनम और तनु बेग और जरुरत का सामन गाडी में रख देती हैं। रेखा सूरज के बगल बाली सीट पर बैठी थी, सूरज गाडी चलाता है। रात में हाईवे पर सूरज को बड़ा मजा आ रहा था गाडी चलाने में, सूरज शीशा लगा कर ए सी चला देता है। गाडी में लाइट जल रही थी ।
रेखा खामोशी से बैठी थी, सूरज एक दो बार रेखा के चेहरे को देखता, रेखा को पता थी की सूरज उसे देख रहा था,रेखा को आज बड़ा अच्छा भी लग रहा था सूरज भी आज अपनी माँ की सुंदरता में खो सा गया था, उसके मन में कोई गलत विचार नहीं था,अपनी माँ के प्रति,लेकिन आज दिन में मॉल में घटी घटना और पार्लर पर माँ के बूब्स का साइज़ बताना,उसके बाद नर्स के द्वारा अपनी माँ की मसाज बाली बात को सुनना उसे बड़ा अटपटा सा लगा, सूरज का ध्यान माँ के प्रति बढ़ गया था,सूरज हाईवे पर गाडी आराम आराम चला रहा था,तभी रेखा ख़ामोशी तोड़ती हुई बोली।
रेखा-"थेंक्स बेटा" सूरज रेखा की तरफ देखता है।
सूरज-"थेंक्स किस लिए माँ?"
रेखा-" तूने मेरी गाँव जाने की इच्छा पूरी की इसलिए"
सूरज-"माँ यह तो मेरा फर्ज है, अपनी माँ के लिए में कुछ भी कर सकता हूँ"
रेखा-" तूने जितना मेरे लिए किया है उतना तो कोई भी बेटा अपनी माँ के लिए नहीं कर सकता है"
सूरज-"अरे माँ मैंने क्या किया है"
रेखा-" मुझे मेरा सुहाग तूने लौटा दिया,इससे बड़ी ख़ुशी मेरे लिए क्या होगी,अब बस तेरे पापा घर आ जाए"
सूरज-"माँ आप फिकर मत करो,पापा अगर नहीं आएँगे तो में आपको अमेरिका लेकर जाऊँगा"
रेखा-"थेंक्स बेटा, और हाँ आज के लिए भी थेंक्स" सूरज रेखा की तरफ हैरानी से देखता है।
सूरज-"आज के लिए थेंक्स,आज मैंने ऐसा क्या किया"
रेखा-" मेरे साथ मार्केट गया,शॉपिंग करवाई,और ब्यूटी पार्लर लेकर गया,गहने भी दिलवाए,इतना कुछ तूने किया मेरे लिए"
सूरज-" अरे माँ आज जो ड्रेस खरीदी थी,वो आपने पहन कर देख ली क्या"
रेखा-"अभी नहीं"
सूरज-'ओह्ह माँ एक बार पहन कर तो देख लेती,छोटे और टाइट निकले तो बदल तो सकते हैं"
रेखा-"हाँ यह बात तो ठीक है,घर पहुँच कर पहन कर देखूंगी, ये मॉल बाले गड़बड़ी कर देते हैं,साइज़ बदल देते हैं" रेखा को ब्रा बाली बात याद आ जाती है,जो आज मॉल में 38 की जगह 36 दे दी थी,सूरज भी समझ जाता है यह बात।
सूरज-'हाँ माँ सही बात है,वैसे माँ आप वो ड्रेस पहनोगी तो बहुत मोर्डन लगोगी"
रेखा-"कौनसी ड्रेस जो तूने दिलवाई है वो कपडे"
सूरज-"हाँ माँ,आप पहनोगी तो बहुत खूबसूरत लगोगी"रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-" पर मुझे तो बड़ी शर्म आएगी,मैंने ऐसे कपडे आज तक नहीं पहने"
सूरज-"अरे माँ आप जब अमेरिका जाओगी उन कपड़ो को पहन कर तो आपको शर्म नहीं आएगी,क्योंकि वहां सभी औरते ऐसे ही कपडे पहनती है"
रेखा-" हाँ ये बात तो ठीक है,तेरे पापा तो कह रहे थे मुझसे फोन पर की अमेरिका में लोग बहुत शार्ट कपडे पहनते हैं"
सूरज-" माँ आप भी अमेरिका जाकर शार्ट कपडे पहनोगी" रेखा सोचने लगती है ।
रेखा-"अगर तेरे पापा लाएंगे शार्ट कपडे तो पहनने पड़ेंगे" सूरज यह सुनकर उछल जाता है,और कल्पना करने लगता है की माँ हॉट ड्रेस में कैसी लगेगी।
सूरज-" वाह्ह्ह्ह् माँ मेरी तो उत्सुकता बढ़ गई"
रेखा-"मतलब?"
सूरज-" में भी देखूंगा आपको उन कपड़ो में,आप कैसी लगोगी" रेखा यह सुनकर चोंक जाती है,और शरमा जाती है।
रेखा-" तेरे सामने नहीं पहन पाउंगी में ऐसे कपडे,मुझे खुद शर्म आएगी उन्हें पहनने में" रेखा शरमा कर बोली।
सूरज-"अरे माँ इसमें शर्म कैसी,आखिर वो कपडे ही तो हैं"
रेखा-" जिन कपड़ो में आधे से ज्यादा तन दिखाई दे,वो कपडे पहनना,न पहनने के बराबर ही होते हैं"
सूरज-"लेकिन माँ आज उन्ही कपड़ो का चलन है"
रेखा-" हाँ चलन तो है लेकिन में अब लड़की नहीं हूँ, 44 वर्ष की औरत हूँ, क्या मुझ पर ऐसे कपडे अच्छे लगेंगें"
सूरज-"अरे माँ आप औरत लगती ही कहाँ हो,ऐसा लग रहा है जैसे पूनम दीदी की बड़ी बहन हो,औरआज तो आप वैसे भी बहुत सुन्दर लग रही हो" रेखा खुद की तारीफ़ सुन कर शरमा जाती है।
रेखा-"झूठा कही का,मेरा दिल रखने के लिए बोल रहा है तू"
सूरज-"अरे सच में माँ,आज आप बहुत सुन्दर लग रही हो,ऐसा लग रहा है जैसे नए नवेली दुल्हन हो, नई नई शादी हुई हो आपकी" रेखा आँखे फाड़े सूरज को देखती है।
रेखा-"चुप कर,शहर में आकर बहुत बड़ी बड़ी बातें सीख गया है तू"
सूरज-" सच बोल रहा हूँ माँ,में तो सोच रहा था पापा आएँगे तो आपकी दुबारा शादी करवाऊंगा,बहुत बड़ी पार्टी होती घर में"
रेखा-"क्या शादी मेरी,ओह्ह्ह सूरज तू पागल है"
सूरज-"सच में माँ,पापा आते तो शादी करवाता दुबारा,फिर आप अमेरिका जाती तो ज्यादा अच्छा लगता"
रेखा-" अच्छा शादी करके अमेरिका क्यूँ?"
सूरज-" हनी......? सूरज बोलते हुए रुक जाता है,चूँकि अचानक गलती से ही बोल जाता है। रेखा समझ जाती है सूरज हनीमून बोलने बाला था।
रेखा-"क्या हनी... समझी नहीं में,साफ़ साफ़ बोल,रुक क्यूँ गया" रेखा अनजान बनती हुई बोली।
सूरज-"हनीमून" सूरज डरते हुए बोल ही देता है।
रेखा-"ओह्ह्ह सूरज, तू पागल है,कुछ भी बोल देता है" रेखा शर्म से पानी पानी हो रही थी।
सूरज-"सॉरी माँ"
रेखा-"चल कोई बात नहीं" रेखा हसते हुए बोली, रेखा को बहुत तेज पिसाब लगती है, लेकिन शर्म के कारण सूरज से बोल नहीं पाई थी,लेकिन अब ज्यादा तेज लगती है तो सूरज से गाडी रोकने के लिए बोलती है।
रेखा-"सूरज थोड़ी देर के लिए गाडी रोकना"
सूरज-'क्या हुआ माँ,कोई परेसानी है क्या"
रेखा-"मुझे पिसाब लगी है" सूरज गाडी रोकता है, रेखा गाडी के साइड में ही मूतने लगती है, एक तेज सिटी की आवाज़ आती है,सूरज के कान खड़े हो जाते हैं,सूरज खिड़की के साइड शीशे में देखता है तो उसे माँ बैठी हुई दिखाई देती है, सूरज अपनी नज़र घुमा लेता है । थोड़ी देर बाद रेखा आती है।
रेखा-"सूरज मुझे नींद आ रही है अब"
सूरज-'माँ आप पीछे बाली सीट पर जाकर सो जाओ" रेखा पीछे बाली सीट पर जाकर लेट जाती है, लेकिन नींद नहीं आती है,चूँकि बनारसी साडी पहनने के कारण चुभ सी रही थी,ऊपर से बहुत सारे गहने पहने हुए थी, रेखा सीट पर बैठ जाती है, सूरज फ्रंट शीशे से देखता है।
सूरज-" क्या हुआ माँ,आप लेटी नहीं"
रेखा-"इस साडी में नीद नहीं आ रही है"
सूरज-"कोई मेक्सी पहन लो,इस साडी को उतार कर रख दो,गाँव पहुँचने में 7 घंटे लगेंगे,तब तक आप सो जाओ" सूरज की बात रेखा को सही लगती है,लेकिन साडी उतार कर मेक्सी पहने कैसे,यही सोच रही थी, रेखा पीछे सीट से अपना बेग उठाती है,और अपनी मेक्सी निकालने लगती है,लेकिन मेक्सी की जगह उसे नायटी मिल जाती है जो आज सूरज ने दिलाई थी,रेखा बेग में फिर हाँथ डालकर देखती है तो नई बाली शार्ट ब्रा पेंटी निकल आती हैं,जो जालीदार ब्रा पेंटी थी,शायद पूनम ने धोखे से रख दी थी। सूरज फ्रंट शीशे से सब देख रहा था । सूरज की धड़कन बढ़ गई थी यह देख कर। इधर रेखा सोचती है की सूरज के सामने यह नायटी कैसे पहने।
सूरज-"क्या हुआ माँ,मेक्सी पहन लो" सूरज पीछे मुड़ कर देखता है, रेखा ब्रा पेंटी बेग में रख देती है।
रेखा-"पूनम ने धोखे से मेक्सी की जगह ये नायटी रख दी,अब इसको कैसे पहनू"
सूरज-'मेक्सी और नायटी में ज्यादा फर्क नही है माँ, आप पहन लो, में गाडी की लाइट बंद कर देता हूँ" सूरज लाइट बंद कर देता है, रेखा को सुकून मिलता है,रेखा साडी और गहने उतार कर पीछे बाली सीट पर रख देती है, अब रेखा ब्लाउज और पेटीकोट में थी,रेखा का ब्लाउज बहुत टाइट था इसलिए ब्लाउज उतारने लगती है,रेखा की नज़र सूरज की तरफ थी,लेकिन अँधेरे में उसे कुछ दिखाई नही दे रहा था। रेखा ब्लाउज उतार कर नायटी पहन लेती है,और फिर एक हाँथ कमर पर ले जाकर पेटीकोट भी उतार देती है । रेखा ने नायटी पहन तो ली थी लेकिन उसे खुद पता नहीं चल रहा था,की नायटी में वो कैसी लग रही है ।
रेखा ने चलती गाडी के अँधेरे में नायटी पहन तो ली,लेकिन नायटी पहन कर कैसी लगती है,यह इच्छा उसके मन में प्रवल हो रही थी, अँधेरे में ही रेखा अपने बदन पर हाँथ फिरा कर नायटी को महसूस कर रही थी, नायटी का कपडा बहुत कोमल और हल्का था,ऐसा लग रहा था जैसे उसका समूचा जिस्म नग्न हो,इतना आरामदायक कपडा पहने के बाद उसको बड़ा सुकून मिल रहा था, रेखा हाँथ से जिस्म को मुयायना करते करते दोनों जांघो के बीच हाँथ चला जाता है,चूत के ऊपर स्पर्श करते ही उसे याद आता है की आज उसे मालिस करनी थी,और टेबलेट भी खानी थी। लेकिन सूरज के होने के कारण मालिस कैसे करे यह चिंता का विषय उसके मन में प्रश्नवाचक की तरह चल रहा था, डॉक्टर के कहे अनुसार यदी योनी से पानी नहीं निकला तो गंभीर परिणाम का सामना उसे करना पड़ेगा,इसलिए यह इलाज जरूर करना है, तभी रेखा सोचती है की गाडी में इतना अँधेरा है,जब मुझे ही अपना बदन दिखाई नहीं दे रहा है तो भला सूरज कैसे देख सकता है मुझे।
रेखा निश्चय कर लेती है की कुछ भी हो जाए मालिस तो करनी पड़ेगी और उससे पहले दवाई खानी पड़ेगी। रेखा काफी सोच विचार करने के पश्चात फैसला ले पाती है, रेखा की पेंटी बहुत टाइट थी इसलिए रेखा पेंटी को उतार देती है ताकि आसानी से मालिस कर सके। रेखा को दुबारा पिसाब भी लग आई थी,रेखा सोचती है पहले पिसाब कर लू उसके बाद दवाई खाऊँगी और मालिस करुँगी । रेखा अपने मोबाइल में समय देखती है जिसमे 11:30 बज रहे थे । गाडी में मोबाइल के जलते ही रौशनी हो जाती है तो सूरज बोलता है ।
सूरज-" क्या हुआ माँ,नायटी पहन ली क्या,आपने बढ़ी देर लगा दी पहनने में"
रेखा-'नायटी तो बहुत पहले ही पहन चुकी में,बस तू थोड़ी देर के लिए गाडी रोक दे" सूरज समझ जाता है माँ के लिए पिसाब लगी है। सूरज गाडी रोकता है हाइवे की साइड पर ।
सूरज-"क्या हुआ माँ,फिर से पिसाब लगी है?" सूरज के मुह से पिसाब शब्द सुन कर रेखा के तनबदन में हलचल सी होती है, रेखा शर्मा जाती है।
रेखा-"हाँ" रेखा गाडी से उतर कर बाहर आती जाती गाड़ियों की लाइट में अपनी नायटी देखती है तो हैरान रह जाती है, नायटी उसके जिस्म से चुपकी हुई थी,उसके 38 के बूब्स और चौड़ी गांड का उभार बना हुआ था, रेखा अपने बूब्स की तरफ देखती है जो आधे से ज्यादा बूब्स फुले हुए नंगे दिखाई दे रहे थे,लाल ब्रा भी साफ़ दिखाई दे रही थी, और निचे देखती तो नायटी सिर्फ उसके घुटनो तक ही थी,जिसमे उसकी टाँगे और पिंडलियां साफ़ गोरी गोरी चमक रही थी, रेखा खुद में एक हॉट सेक्सी और कामुक औरत को देख रही थी, इधर सूरज जब साइड के शीशे से अपनी माँ को देखता है तो हैरान रह जाता है, सूरज का लंड आज अपनी ही माँ को देख कर झटके मारने लगता है,सूरज के साथ आज ऐसा पहली बार हुआ था उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था, सूरज अपनी सोच और हवस को धिक्कारने क प्रयास करता है और अपनी नज़रे साइड के शीशे से हटा लेता है, लेकिन उसका लंड सूरज के मन पर हावी हो जाता है,किसी ने सच ही कहा है लोग हवस में अंधे हो जाते हैं,आज सूरज का भी यही हाल था, सूरज की नज़रे फिर से शीशे से जस टकराई लेकिन इस बार सूरज को तेज झटका लगता है । रेखा अपनी नायटी ऊपर कर रही थी, सूरज को रेखा की भारी भरकम गांड दिखाई देते हैं, ऐसा लग रहा था जैसे दो मटके आपस में जुड़े हो, रेखा मूतने बैठ जाती है,जिससे रेखा की गांड उभर कर बाहर आ जाती है,और एक तेज सिटी आवाज़ खुले शांत वातावरण में गूंजने लगती है। रेखा खुद अपनी ही चूत से निकली सिटी की आवाज़ सुन कर शर्मसार हो जाती है, चूँकि उसे इतना तो यकीं हो जाता है की सिटी की तेज आवाज़ सूरज के कानो तक जरूर गई होगी।
इधर सूरज अपनी नज़रे शीशे से हटा कर गाडी की लाइट जला देता है,तभी फ्रंट शीशे में उसे पीछे की सीट पर अपनी माँ की पेंटी दिखाई दी, सूरज पीछे मुड़ कर पेंटी को देखने लगता है,सूरज को फिर से एक बार झटका लगता है की उसकी माँ नायटी के अंदर नंगी है,सूरज का मन कर रहा था एक बार पेंटी को उठाकर देखे,लेकिन सूरज की मर्यादा उसे ऐसा करने नहीं देती है। रेखा पिसाब करके आती है और पानी की बोतल से अपने हाँथ धोती है,रेखा जैसे ही सीट पर पड़ी अपनी पेंटी देखती है तो फिर से शर्मा जाती है,भुलवस् छोड़ जाने की गलती स्वीकार करते हुए तुरंत उठाकर बेग में रख देती है,रेखा को यकीन था इस पर सूरज की नज़र जरूर गई होगी,चूँकि गाडी में लाइट जल रही थी।
रेखा-"सूरज लाइट क्यूँ जलाई तूने,लाइट बंद कर दे"
सूरज गाडी दौडा देता है हाइवे पर लेकिन लाइट बंद नहीं करता है ।
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