Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 01:11 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.



थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.



यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.




राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.



बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.



बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.



बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.



खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.



बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.



विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
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