Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:28 PM,
#61
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा- मैं जानता हूँ साहेब कि आप राधिका से बहुत प्यार करते हैं और आप उससे शादी करना चाहते हैं. राधिका ने मुझे सारी बातें बता दी हैं. मुझे इस बारें में कोई परेशानी नहीं हैं. बल्कि मुझे तो खुशी होगी कि आप जैसा काबिल ऑफीसर से मेरी बेहन की शादी होगी. आप जब चाहे मेरी बेहन से शादी कर सकते हैं.

निशा के लिए कृष्णा की एक एक बात किसी बॉम्ब के धमाके के समान थी. उसने तो कभी सोचा भी नहीं था की राहुल और राधिका का प्यार इस हद तक आगे बढ़ जाएगा कि वो शादी तक बात पहुँच जाएगी. आज उसके दिल पर एक गहरा धक्का लगा था. वो बहुत मुश्किल से आपने आँसुओ को रोके हुए थी.

राहुल- ठीक हैं मैं अगले महीने पंडितजी से बात करके कोई अच्छा सा डेट निकलवा देता हूँ. मैं सौभाग्य होगा कि राधिका जैसा लड़की मेरी बीवी बनेगी.

कृष्णा- ठीक हैं साहेब जैसी आपकी मर्ज़ी. अगर मेरी बेहन इसी में खुस हैं तो मुझे क्या परेशानी हो सकती हैं.

फिर कुछ देर में कृष्णा भी वहाँ से चला जाता हैं.

निशा- बहुत मुश्किल से आपने आप को संभालते हुए.- राहुल तुमने कभी बताया नहीं कि तुम राधिका से प्यार करते हो.

राहुल- आइ आम रियली सॉरी मैं तुम्हें बताने ही वाला था इस बारे में मगर........चलो कोई बात नही अब तो तुम जान ही गयी हो ना.

निशा बस रो ही नही पा रही थी मगर आज उसके दिल पर क्या बीत रही थी वो तो बस वही जानती थी.

निशा- अच्छा राहुल अब मैं चलती हूँ मुझे देर हो रही हैं........

फिर निशा जैसे ही बाहर निकलती हैं उसके आँखों से रुके हुए आँसू तुरंत फुट पड़ते हैं. राहुल की नज़र उसपर नही पड़ती वरना वो भी सोचने पर मज़बूर हो जाता.............

निशा वहाँ से अपने घर आती हैं और अपने कमरा बंद करके बिस्तेर पर धम्म से गिर पड़ती हैं और फिर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं. आज एक तरफ दो दिल मिल रहें थे तो एक दिल टूट गया था. शायद ये प्यार में अक्सर होता हैं. आज निशा भी खुल कर रोना चाहती थी आज वो अपना पूरा मन हल्का करना चाहती थी. 6 महीने से जिस प्यार को वो अपने दिल में सँजोकर रखी थी.... आज बताने का भी वक़्त आया तो .................

निशा - मेरे नसीब में किसी का प्यार नही हैं. मैने आज अपनी ज़िंदगी में किसी से प्यार भी किया तो वो भी अब मेरा नहीं हो सका. हे भगवान इससे अच्छा कि तू मुझे मौत दे दे.......... मैं सच में जीना नहीं चाहती....

निशा काफ़ी देर तक यूही रोती रही फिर वो बिना ख़ान खाए ही बिस्तेर पर सो गयी. और आने वाले वक़्त का इंतेज़ार करने लगी कि पता नहीं वक़्त उसके नसीब को कहाँ ले कर जाएगा..

हॉस्पिटल में..................

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!

राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान!! आओ मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था. उस ट्रक का कुछ पता चला क्या????

ख़ान- हां सर मिल गया. और उसके ड्राइवर को भी हम ने हिरासत में ले लिया हैं. सर वो दो लोग हैं.

राहुल- तो कुछ पता चला क्या,, कौन हैं वो लोग और उनका गॅंग लीडर.

ख़ान- सर वो एक कांट्रॅक्ट किल्लर हैं. हम ने उनलोगों पर थर्ड डिग्री भी यूज़ किया मगर वो लोग कुछ बताने का नाम ही नही ले रहे.और शायद उन्हें कुछ नही मालूम. ना नाम, ना पता , वो तो बस यही कह रहे हैं कि हम अगला पार्टी से पैसे लेते हैं और काम ख़तम होते ही हम अपना पैसा लेकर चले जाते हैं. ना हमे मालिक से किल्लिंग का वजह जानते हैं और ना उसके पीछे किल्लिंग का राज़. बस.............

राहुल- इसका मतलब हमलावर बहुत चालाक हैं. चलो कोई बात नही कब तक आख़िर बचेगा.आज नहीं तो कल ज़रूर पकड़ा जाएगा..
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04-05-2019, 12:28 PM,
#62
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राहुल- तो इसका मतलब जिन लोगों ने मुझपर हमला करवाया था और वो दोनो जो पोलीस मुठभेड़ में मारे गये थे हो ना हो इन सब के पीछे एक ही आदमी का हाथ है.

ख़ान- हां सर मुझे भी यही लगता हैं. खैर कोई सुराग मिलते ही वो ज़रूर पकड़ा जाएगा. और सर बताइए मेरे लायक कोई सेवा....

राहुल- क्यों शर्मिंदा करते हो ख़ान भाई!!!! बस आब तुम वापस पोलीस स्टेशन चले जाओ. फिलहाल कोई काम नहीं हैं. अगर कुछ होगा तो मैं तुम्हें इनफॉर्म करूँगा.

दोपहर में ..................

राधिका आज बहुत देर तक निशा को कॉलेज में ढूँढती हैं और उसके मोबाइल पर फोन भी करती हैं मगर निशा उसका फोन नही रिसेव करती हैं. ऐसा आज पहली बार हुआ था कि राधिका का फोन निशा ने रिसेव नही किया था.

फिर वो कुछ सोचकर वो निशा के घर चल देती हैं.

राधिका जैसे ही निशा के घर पहुँचती है उसकी मम्मी डोर ओपन करती हैं.

निशा की मम्मी सीता...

सीता- आओ राधिका बेटी कैसे आना हुआ.

राधिका- नमस्ते आंटी. कैसी हो आप............मैं ठीक हूँ.

सीता- आओ ना अंदर. निशा घर पर ही हैं. मैं उसे बुलाती हूँ.

राधिका वही पर सोफे पर बैठ जाती हैं. और निशा का इंतेज़ार करती हैं.

सीता- दरवाज़ा खोलो बेटी.. देखो राधिका तुमसे मिलने आई हैं...

निशा अपने आँखों से आँसू पोछते हुए..... आ रही हूँ मम्मी.

निशा फिर बाथरूम में जाती हैं और अपना मूह अच्छे से धोती हैं. उसकी आँखें पूरी लाल हो गयी थी. फिर वो आकर अपना मूह पोछती हैं और जाकर दरवाज़ा खोलती है और अपने मम्मी से बोलती है- मम्मी राधिका को मेरे रूम में ही भेज दो..

सीता नीचे जाती हैं और राधिका को निशा के रूम में जाने को कहती हैं. राधिका भी उठकर उपर निशा के रूम में जाती हैं...

राधिका जैसे ही निशा को देखती हैं वो बड़े गौर से उसे देखने लगती है.

राधिका- ये तूने अपना क्या हाल बना रखा हैं. और तेरी आँखें इतनी लाल क्यों हैं. और तू आज कॉलेज क्यों नही आई.

निशा- नही......वो मेरी तबीयात कुछ ठीक नही लग रही थी. इस वजह से......... निशा अपना सिर नीचे झुका कर बोली.

राधिका- पर मेरा फोन तो तू रिसेव कर ही सकती थी ना........ फिर............

निशा- आइ आम रियली सॉरी.... राधिका मेरी आँख लग गयी थी.....

राधिका घूर कर निशा को फिर से देखती हैं- क्या बात हैं निशा!!!! मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या???

निशा- नही राधिका ऐसी कोई बात नही हैं. बस यूँही .................

राधिका ज़ोर से उसका हाथ को झटकते हुए और उसके एक हाथ को अपने सिर पर रखते हुए--- खा कसम मेरी की कोई बात नही है.. तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.

निशा- नही राधिका सच में कोई बात नही हैं. बस ऐसे ही............

राधिका- तो मेरी सिर की कसम खा कर कह दे ना कि .............कोई बात नहीं हैं.

निशा अपना हाथ झटकते हुए राधिका के सिर से हटा लेती हैं.. ये क्या कर रही है तू. हर बात के लिए कसम खाना ज़रूरी हैं क्या. मैने कहा ना................कोई बात नहीं हैं...

राधिका- तो फिर तेरी आँखो में ये आँसू कैसे हैं. क्यों तू रो.. रही हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका, .........मैं सच कह रही हूँ कोई बात नहीं हैं.......

राधिका- ठीक हैं निशा जैसी तेरी मर्ज़ी अगर तू नही बताना चाहती तो मैं तुझपर ज़्यादा दबाव नही डालूंगी पर एक बात कहना चाहती हूँ ..............जानती हैं निशा जब मैं छोटी थी तभी मैने अपनी मा को खो दिया था.फिर मैने अपनी मा के बगैर पूरे 11 साल ये दिन काटे हैं और आज भी काट रही हूँ. उस समय जब मैं 15 साल की थी तब मैं तुझसे पहली बार मिली थी. उस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत थी और जब से तू मुझे मिली मुझे मानो एक नयी ज़िंदगी मिल गयी.

मैने तुझे अपनी हर बात बताई हर एक राज़ को तेरे सामने खुली किताब की तरह रख दिया. हर सुख दुख में तू मेरे साथ रही. अगर आज भी मेरा कोई अपना हैं तो वो बस तू हैं. और आज भी मैं जब भी भागवान से कुछ मांगती हूँ तो बस यही कि तू जहाँ भी रहें हमेशा खुस रहें. मैने कभी अपने लिए कुछ भी नही चाहा ............

फिर आज ऐसी क्या बात हो गयी जो तू मुहसे छुपा रही हैं................................इतना कहते ही राधिका भी चुप हो जाती हैं.

निशा अपने आँसू नही रोक पाती और तुरंत वो राधिका से लिपटकर रोने लगती हैं. कुछ देर तक वो ऐसे ही राधिका से लिपटकर रोती रहती हैं.......

राधिका उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और चुप करती हैं- बता ना निशा किसी ने तुझसे कुछ कहा क्या....

निशा को तो कुछ समझ में नही आ रहा था कि वो कैसे बताए कि वो राहुल से प्यार करती हैं और राहुल राधिका से प्यार करता हैं. वो उसे कैसे कहे कि वो उसकी सहेली भी जिसे जान से ज़्यादा चाहती हैं वो भी राहुल को उतना ही चाहती हैं. और वो अच्छे से जानती थी कि अगर ये बात राधिका जान गयी तो वो अपने दोस्ती के आगे अपना प्यार को भी कुर्बान कर देगी....... और वो आब राधिका और राहुल के बीच में कभी नही आना चाहती थी.
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04-05-2019, 12:28 PM,
#63
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
ऐसे ही कई सवाल से उलझी निशा उन्ही खामोश रहती हैं और उसे तो कुछ समझ में नही आता कि वो क्या जवाब दे राधिका को.....और वो ये भी जानती थी कि राधिका जब तक उसके मूह से जवाब नही सुन लेगी उसका पीछा इतनी आसानी से नही छोड़ने वाली..

निशा बहुत सोचकर आख़िर में जवाब देती हैं- मुझे किसी से प्यार हो गया है. मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ मगर वो किसी और को चाहता हैं. इतना कहकर निशा चुप हो जाती हैं.........

राधिका- हां तो मेरी जान को भी आख़िर में कोई राजकुमार पसंद आ ही गया. लेकिन तू इतना विश्वास के साथ कैसे कह सकती हैं कि वो किसी और से प्यार करता हैं. जो भी होगा सच में स्पेशल ही होगा. बता ना निशा कौन हैं वो जो तेरा दिल ले गया...........

निशा- मैं तुझे अभी नहीं बता सकती. बस वक़्त आने पर तुझे सब पता चल जाएगा.

राधिका- ठीक हैं मत बता मगर बता देगी तो हो सकता है मैं तेरी कुछ मदद करू. आख़िर मेरी सहेली में क्या बुराई हैं जो वो किसी और के पीछे पड़ा हुआ हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे आब बस इस बारे में कोई भी बात नहीं करनी...

राधिका ये नहीं जानती थी कि वो और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं. मगर अब वक़्त जल्दी ही आने वाला था जो राधिका की ज़िंदगी का रुख़ हमेशा हमेशा के लिए मोड़ने वाला था.

थोड़े देर में वो भी नीचे आ जाती हैं और निशा बाथरूम में फ्रेश होने चली जाती हैं. राधिका नीचे आकर सीता आंटी के पास बैठ जाती हैं.

सीता- पता नहीं इस लड़की को क्या हो गया हैं. ना ठीक से खाना खा रही हैं, ना किसी से बोल रही हैं. बस चुप चाप एक कमरे में बैठ रहती हैं और ना जाने क्या क्या सोचती रहती हैं. अब तू ही समझा उसे वो तेरी बात तो कभी नहीं टालती.

राधिका- आप चिंता मत कीजिए आंटी जी. निशा एक दो दिन में पहले जैसे हो जाएगी..

सीता- मगर उसे हुआ क्या है. वो पूछने पर कुछ बताती भी नहीं. आज कॉलेज भी नही गयी थी. कह रही थी की उसके किसी दोस्त का आक्सिडेंट हो गया हैं. वो उससे मिलने हॉस्पिटल जा रही हैं. और जब से वहाँ से आई हैं तब से गुम्सुम सी हैं.

अब झटका लगने की बारी राधिका की थी. ये क्या कह रही हैं आप????

सीता- हां बेटा ये सच हैं. अगर तुझे यकीन नही होता तो तू खुद ही उससे पूछ ले...

राधिका का दिमाग़ एकदम से घूम जाता हैं और वो जल्दी से जल्दी वहाँ से निकल जाती हैं.....

रास्ते भर उसके दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. तो क्या निशा भी कहीं राहुल से प्यार तो नही करती.......ऐसा कभी नही हो सकता...फिर एकदम से उसे कुछ याद आती हैं और उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.............

हो सकता हैं. जब हम पहली बार कॉलेज के कॅंटीन में राहुल से मिले थे तब निशा ने राहुल को पहली ही नज़र में पसंद कर लिया था. वो उसे सच में चाहने लगी थी या मुझसे मज़ाक कर रही थी .पता नहीं...... ओह ............माइ...............गॉड ........ अगर ये सच हुआ तो......................राधिका के दिल में बेचैनी और घबराहट तुरंत बढ़ने लगती हैं.

वो कैसे भी घर पहुचती हैं, घर पर उसके भैया थे.

कृष्णा पीछे से जाकर राधिका की आँखों को अपने दोनो हाथों से मूंद लेता हैं और राधिका के करीब जाकर उससे एक दम चिपक जाता हैं.

राधिका- भैया.......... आप... आप कब आए..

कृष्णा- तुमने मुझे पहचान लिया.

राधिका- हां पहचानूँगी क्यों नहीं. अपने भैया को तो मैं बंद आँखों से भी पहचान सकती हूँ.

कृष्णा उसके सामने आता हैं और उसके गालों पर बड़े ही प्यार से अपने दोनो हाथ लेजाता हैं और अपनी तरफ उठाता हैं.

कृष्णा- जानती हैं आज सुबह मैं हॉस्पिटल गया था राहुल से मिलने. वो मुझसे मिलकर बहुत खुस हुआ. और जानती हैं वहाँ पर तेरी सहेली निशा भी आई थी. और एक बात तो मैं बताना भूल ही गया. मैं अपनी बेहन का हाथ राहुल से माँग लिया हैं और वो भी तुझसे शादी करने के लिए तैयार हैं. उसने कहा हैं कि वो अगले महीने कोई अच्छा सा मुहूरत निकाल कर तुझसे ब्याह कर लेगा.

कृष्णा की बातों से जो बचा खुचा राधिका के मन में डाउट था वो भी आब क्लियर हो गया था.

राधिका- एक बात बताइए भैया कि आपने जब मेरी शादी की बात राहुल से की थी तब उस वक़्त क्या निशा भी वहाँ पर मौजूद थी...

कृष्णा- हां वो तो मुझसे पहले से ही वहाँ पर थी. और मैने तो उसके सामने ही ये सारी बातें की. और वो तो पहले हैरान हुई कि राहुल तुझसे प्यार करता हैं पर बाद में मुझे तेरी शादी की मुबाराक बाद भी दी. और फिर मुझे काम पर भी जाना था तो मैं वहाँ से चला आया.

राधिका को ऐसा लगा कि उसके शरीर से किसी ने पूरा खून निकाल लिया हो और वो तुरंत वहीं पर बेहोश होकर फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं.

कृष्णा भी तुरंत घबरा जाता हैं और वो उसे उठाकर अपनी गोद में लेकर बिस्तर पर जाकर उसे सुला देता हैं और राधिका के दोनो हाथों को अपने हाथ में लेकर मलने लगता हैं. मगर जब राधिका को कोई होश नही आता तो वो झट से जाकर वही पास के एक डॉक्टर को बुला लता हैं. .

डॉक्टर- क्या हुआ हैं इन्हें??

कृष्णा-अभी कुछ देर पहले ही घर आई थी. बस ना जाने क्या हुआ कि अचानक बेहोश हो गयी.

डॉक्टर फिर एक इंजेक्षन राधिका को लगाता हैं और कुछ दवाई भी देता हैं.

डॉक्टर- घबराने की कोई बात नहीं है. ऐसा होता हैं कभी कभी, आदमी इतना स्ट्रेस में होता हैं कि वो बेहोश भी हो जाता हैं. मैने इंजेक्षन लगा दिया हैं हो सके तो इन्हें आप सुबह तक डिस्टर्ब मत करना. और इन्हें पूरी नींद सोने देना. कल सुबह तक ये बिल्कुल ठीक हो जाएगी....

इतना कहकर डॉक्टर बाहर चला जाता हैं और कृष्णा भी दरवाज़ा बंद करके राधिका के एकदम करीब आता हैं और उसके बाजू में बैठ जाता हैं और अपना एक हाथ राधिका के बाल पर प्यार से फिराता हैं...

कृष्णा- मैं तो ये सोचकर खुस था कि ये खबर सुनकर तू खुशी से झूम उठेगी मगर ..............और इतना कहकर वो राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और उसका माथा चूम लेता हैं. आज वाकई में कृष्णा की आँखों में अपनी बेहन के लिए आँसू छलक पड़े थे. जिस भाई बेहन का प्यार को वो आज तक कभी समझ नही सका था आज उसने वो पहली बार महसूस किया था. आज वो राधिका के लिए सच में बेचैन था. और उसकी बेकरारी इस बात को ज़ाहिर कर रही थी कि आज उसके दिल में राधिका के लिए कितना प्यार , कितनी इज़्ज़त हैं......................................और ये सब सोचकर आज उसकी आँखें भी नम हो गयी थी. वो उसी हालत में राधिका को अपनी बाहों में लिए बस बैठा हुआ था..
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04-05-2019, 12:28 PM,
#64
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--20

कृष्णा काफ़ी देर तक राधिका को ऐसे ही अपनी बाहों में लिए रहता हैं जैसे कोई मा अपने बच्चे को अपनी गोद में रखती हैं. आज कृष्णा की आँखों से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे. वो तो बस राधिका को ऐसे ही एक टक देख रहा था. आज राधिका का दर्द भी उसे अपना दर्द महसूस हो रहा था.

रात में वो भी बिना खाना खाए ही राधिका को अपनी बाहों में लेकर सो जाता हैं..

सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो सामने उसके भैया बैठे हुए थे, और अपना हाथों से उसके बालों को प्यार से फिरा रहें थे.

राधिका की आँखो से आँसू तुरंत निकल पड़ते हैं और वो एक टक कृष्णा को देखने लगती हैं.

कृष्णा उसके आँखों से आँसू पोछते हुए- ऐसे क्या देख रही हो राधिका.

राधिका बिना कुछ बोले तुरंत अपना लब कृष्णा के लब पर रख देती है और उसे बड़े प्यार से चूम लेती हैं. आज राधिका के लब खामोश थे मगर आज उसकी आँखे सब कुछ बयान कर रही थी और कृष्णा भी कुछ पल के लिए राधिका की आँखों में खो सा जाता हैं.

फिर कुछ देर में राधिका उठकर फ्रेश होती हैं और जाकर नाश्ता बनाती हैं. कृष्णा भी आज चाह कर राधिका से कुछ नही बोल पा रहा था.और जाकर वो वही दूसरे रूम में चुप चाप बैठ जाता हैं.

थोड़ी देर में वो भी तैयार होकर काम पर निकलने लगता हैं तभी राधिका जाकर कृष्णा का हाथ पकड़ लेती हैं..

राधिका- भैया प्लीज़ आज आप कहीं मत जाओ ना... मैं आज आपके साथ कुछ पल बिताना चाहती हूँ. भला कृष्णा कैसे मना कर पता. और वो भी मुस्कुरा कर राधिका को अपने गले लगा लेता हैं.

पता नहीं क्यों पर आज कृष्णा भी देख रहा था कि राधिका के व्याहरार में काफ़ी बदलाव आया हैं. वो उसके बदले हुए रूप को नहीं समझ पा रहा था. उसे तो अब तक समझ नही आया था कि राधिका बेहोश कैसे हो गयी थी. उसके पीछे क्या थी वजह???

राधिका- भैया कहीं आपको बुरा तो नहीं लगा कि मैने आपको आज काम पर जाने से रोक लिया.

कृष्णा- अरे राधिका तू भी कैसी बातें करती हैं. तुझसे ज़रूरी थोड़ी ही हैं मेरे लिए काम.

राधिका- भैया मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ.

कृष्णा- हां बोल ना राधिका क्या बात हैं.

राधिका कुछ देर गहरी आहें भरती हैं फिर वो कृष्णा की आँखों में देखकर बोलती हैं- भैया........भैया वो मैं आज अपने आपको ................आपके हवाले करनी चाहती हूँ. आज आप शर्त जीत गये भैया आज मैं आपको किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी........आइए आज राधिका अपना बदन आपको सौपति हैं. कर लीजिए जो करना हैं अब इस बदन पर आपका पूरा हक़ हैं.....................

कृष्णा ने कभी राधिका से ऐसी उम्मीद नही की थी. जो वो चाहता था वो आज राधिका ने खुद अपने मूह से बोल दिया था.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हैं भैया.............यही तो आप चाहते थे ना की मैं खुद अपने मूह से ये सब बोलू...... आज मैं खुद ये बात बोल रही हूँ. आब किस बात की देर हैं............

कृष्णा धम्म से वही सोफे पर बैठ जाता हैं और एक गहरे विचारो में डूब जाता हैं.

ये आज उसके साथ क्या हो रहा हैं. वो तो खुद यही चाहता था कि वो राधिका को सिड्यूस करे. आज खुद राधिका ने भी उसे अपनी तरफ से ग्रीन सिग्नल दे दी थी. लेकिन आज कृष्णा के कदम आगे नहीं बढ़ रहें थे. वो भी सोच रहा था कि एक तरफ तो वो अपनी बेहन की इज़्ज़त की लाज़ बचा रहा हैं तो दूसरी तरफ वो खुद उसे लूटने के पीछे पड़ा हुआ हैं. आज पहली बार कृष्णा के ज़हन में ये सारी बातें आ रही थी वो इसी उधेरबुन में फँसा हुआ था और चाह कर भी कोई फ़ैसला नही ले पा रहा था.

राधिका- अब क्या सोच रहे हो भैया आज मैं तैयार हूँ आपके साथ वो सब कुछ करने के लिए जो आप बहुत पहले से मुझसे चाहते थे. आज आपके कदम क्यों रुक रहे हैं. इतना कहकर राधिका अपना दुपट्टा नीचा फर्श पर गिरा देती हैं....
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04-05-2019, 12:29 PM,
#65
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा राधिका के करीब जाता हैं और नीचे गिरा उसका दुपट्टा उठाकर उसके सर पर उढा देता हैं. अब इस बार राधिका को झटका लगता हैं. उसने तो कभी नही सोचा था कि उसके भैया उसके रेस्पॉन्स का ऐसे जवाब उसे देंगे.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका मैं बहक गया था. अब मैं तेरे साथ वो सब नही कर सकता......

राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं..........................

राधिका- क्या कहूँ भैया इसे अपना नसीब या मेरी बदक़िस्मती. कितनी हैरानी की बात हैं ना भैया की इतने सालों से आप मुझे पाना चाहते थे तो मैं आपको हमेशा रोकती रही और आज मैने अपने आप को आपके हवाले करना चाहती हूँ तो आप भी मुझसे मूह फेर रहें हैं.

कृष्णा- मैं तो बस अपना फ़र्ज़ निभा रहा हूँ ........ये ग़लत हैं.......

राधिका- किस फ़र्ज़ की बात करते हो आप. वो फ़र्ज़ जो आपको बहुत पहले निभाना चाहिए था. उसे तो आपने कभी निभाया नहीं. कम से कम मुझे तो अपना भाई का फ़र्ज़ निभाने से मत रोको. आज ऐसा क्या हुआ है भैया कि आपको ये सब ग़लत लग रहा हैं. मैं आज जमाना पीछे छोड़कर बस आपके पास आई हूँ. आज मुझे ना ही इस दुनिया की फिक्र हैं ना ही इस दुनिया की परवाह. अब मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता कि ये दुनिया हमारे इस रिस्ते को क्या कहेगी. और वैसे भी कोई आप पर उंगली नही उठाएगा. जो कुछ भी लोग कहेगे वो मुझे कहेंगे. और मुझे इस बात की कोई परवाह नही हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हैं. हां मैं मानता हूँ कि मैं तेरे लिए दिन रात हमेशा बेचैन रहता था. मुझे बस तेरे जिस्म की भूक थी. मगर आज मैं भाई बेहन के इस रिश्ते को पहली बार महसूस किया हैं. और अब मैं तेरे साथ वो सब नही कर सकता. अब मैं जान चुका हूँ कि ये रिश्ता कितना पवित्र होता हैं.

राधिका- भैया मुझे तो लगता हैं कि बात कुछ और हैं. कल तक जो आदमी मेरे बदन को पाने के लिए दिन रात बेचैन रहता था आज मैं खुद उसके सामने अपना बदन को सौप रहीं हूँ तो आज आप मना कर रहे हैं. आख़िर क्या बुराई हैं मुझ में.

कृष्णा- राधिका प्लीज़ अब तुम इस बारे में मुझसे कोई भी बात ना ही करो तो बेहतर हैं. मैं अब इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता.

राधिका- आप ऐसे नही कर सकते भैया. आप आपने कदम बढ़कर वापस नही खीच सकते. मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा आपकी ज़रूरत हैं.

कृष्णा- होश में आओ राधिका. कल को तुम्हारी शादी होने वाली हैं राहुल से. आज उसे इस बात की भनक भी लग गयी तो तुम्हारी ज़िंदगी तबाह हो जाएगी. राहुल तुम्हें कभी नही आपनाएगा.

राधिका- मैने कहाँ ना मुझे दुनिया की कोई फिक्र नही हैं. मैं आपसे आखरी बार पूछती हूँ कि आप मेरे साथ सेक्स करेंगे या नहीं.

कृष्णा कुछ देर सोचकर - नही राधिका मैं अब तुम्हारे साथ सेक्स नही कर सकता. ये मेरा आखरी फ़ैसला हैं..

कृष्णा के मूह से ऐसा जवाब सुनकर राधिका का चेहरा गुस्से से एक दम लाल हो जाता हैं

राधिका- फिर ठीक हैं तो यही आपका फ़ैसला हैं तो अब मेरा फ़ैसला भी सुन लीजिए. अब मैं राहुल से शादी नही कर सकती. अब मैं उस बिहारी से ही शादी करूँगी. अगर वो मुझे अपनी बीवी बनाए तो ठीक ,नही तो मैं उसकी रखैल बनने को भी तैयार हूँ. कम से कम बीवी ना सही उसकी रंडी तो बनूँगी ही...........................

कृष्णा एक दम गुस्से से पागल हो जाता हैं और एक ज़ोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देता हैं. थप्पड़ इतना ज़ोरदार था कि राधिका का सिर घूम जाता हैं और उसके आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं.

आज पहली बार कृष्णा ने राधिका के उपर अपना हाथ उठाया था. वो किसी भी सूरत में नही चाहता था कि वो उसपर हाथ उठाए. मगर आज राधिका ने उसके सामने ऐसी बात कर दी थी कि वो अपना सब कुछ भूल गया था.. कमरे में बस राधिका के सिसकने की आवाज़ आ रही थी. कृष्णा का भी मूड खराब हो गया था. वो भी वहाँ से तुरंत घर से बाहर निकल जाता हैं..

फिर कुछ देर तक राधिका यू ही रोती रहती हैं और फिर बेडरूम में आकर बिस्तेर पर लेट जाती हैं. आज वाकई में राधिका बदल गयी थी.. ये बात कृष्णा ने भी नोटीस किया था. मगर वो राधिका के ऐसे बदलाव की वजह नही जान पा रहा था.
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04-05-2019, 12:29 PM,
#66
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका के इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण थी निशा. उसे लग रहा था कि वो शायद राहुल और निशा के बीच में आ गयी हैं. किस्मेत भी इंसान के साथ अजीब खेल खेलती हैं. जहाँ आज एक तरफ राधिका की 8 साल पुरानी दोस्ती थी वही दूसरी तरफ उसका नया नया प्यार था. आज वो ऐसे मझदार में फँसी हुई थी कि उसे कुछ समझ में नही आ रहा था कि वो क्या करे. मगर यहाँ पर अब फ़ैसले की घड़ी थी. उसे दोनो में से उसे किसी एक को चुनना था या........दोस्ती.......या.........प्यार.

यही वो वजह थी कि वो आज कृष्णा के साथ सोना चाहती थी ताकि वो खुद को राहुल की नज़रों में गिरा दे. मगर आज कृष्णा भी बदल गया था. ऐसे ही बहुत देर तक वो रोती रहती हैं और फिर वही पर सो... जाती हैं.

उधेर आज राहुल भी हॉस्पिटल से डिसचार्ज हो गया था. आज वो भी घर पर ही था. वो बहुत देर से राधिका को कॉंटॅक्ट कर रहा था मगर उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था. उधेर निशा भी राधिका के लिए परेशान थी. उसका फोन भी नही मिल रहा था. राधिका ने जान बूझ कर अपना फोन स्विच ऑफ कर रखा था...................

वहाँ से दूर बिहारी के गेस्ट हाउस में...........

विजय और बिहारी दोनो आपस में बातें कर रहे थे..

विजय- मैने कहा था ना कि अगर वो ट्रक और उसका ड्राइवर अगर पकड़े भी गये तो भी पोलीस हमारा कुछ नहीं बिगड़ पाएगी..

बिहारी- हां मानना पड़ेगा तेरे पास सच में दिमाग़ हैं. अच्छा वो लड़की का क्या हुआ.

विजय- तू कहे तो अभी बुला लेता हूँ. फिर हम दोनो पूरी रात मज़े करेंगे.

बिहारी- अगर कहीं पकड़ा गया या किसी ने हमे देख लिया तो???

विजय- यार तू इतना डरता क्यों हैं. वैसे यहाँ पर कोई नही आता.

बिहारी भी उसे हां में इशारा कर देता हैं और विजय फिर एक नंबर पर फोन करता हैं.........

विजय ने फोन मोनिका के पास ही किया था.यही वो लड़की थी जो विजय बिहारी से उसे चुदवाना चाहता था.वो भी यहाँ पर डबल गेम खेल रहा था. एक तो वो बिहारी से अपना काम निकलवाना चाहता था और दूसरा वो राधिका से भी बदला लेना चाहता था. और यहाँ पर तो अब बिहारी भी राधिका की दुश्मन बन गयी थी. तो देखना ये था कि वो दोनो किस हद्द तक राधिका को पाने के लिए गिर सकते थे. और आने वाला वक़्त ही बता सकता था कि उनका मकसद क्या हैं....

विजय- कैसी हैं मेरी रांड़!!!

मोनिका ना चाहते हुए भी विजय का फोन रिसेव करती हैं.

मोनिका- बोलो कैसे याद किया???

विजय- चल आ जा मेरे पास. लेकिन आज मेरे घर पर नहीं तुझे कहीं और आना हैं.

मोनिका- कहाँ ???

विजय- डर मूत मेरी जान अगर तू मेरे चंगुल से सच में आज़ाद होना चाहती हैं तो तेरे लिए ये आखरी मौका हैं. नही तो काजीरी हैं ना तेरे लिए दूसरी ऑप्षन. और विजय हँसने लगता हैं.

मोनिका- इस बात का क्या सबूत हैं कि तुम मुझे आखरी बार बुला रहे हो.

विजय- सारी बातें फोन पर ही करेगी क्या. अगर तुझे विश्वास है तो चली आ. फिर बाद में ना कहना कि मैने तुझे कोई मौका नहीं दिया. और विजय उसको अड्रेस बता देता हैं.

करीब 2 घंटे के बाद मोनिका भी बिहारी के फार्म हाउस में आ जाती हैं. जैसे ही बिहारी की नज़र मोनिका पर पड़ती हैं उसके लंड में हलचल होना शुरू हो जाती हैं. अब मोनिका भी वहाँ पर बिहारी को देखकर लगभग चौंक जाती हैं. वो तो ये जानती थी कि आज फिर से उसके साथ वाइल्ड सेक्स होना हैं मगर आज विजय उसको किसी गैर मर्द से चुदवायेगा उसने कभी इस बात की कल्पना नहीं की थी.

विजय- आख़िर आ ही गयी मेरी रंडी.???? मैं जानता था कि तू ज़रूर आएगी. आख़िर तेरी चूत भी तो प्यासी रहती हैं और बस उसकी प्यास तो सिर्फ़ मेरा लंड ही भुजा सकता हैं.

मोनिका- ये क्या तमाशा हैं विजय. अगर मुझे पता होता कि तुम मुझे इस आदमी के साथ भी ...........तो मैं यहाँ कभी नही आती.

विजय- तू क्या जाने ये चूत होती हैं ऐसी. एक लंड जाए चाहे दस लंड इसको कोई फरक नही पड़ता.

मोनिका- लेकिन मैं कोई रंडी नहीं हूँ कि तुम जब चाहे जिससे चाहो ..............

विजय- चल कोई बात नही लेकिन तू बस आज के लिए हमारी रांड़ बन जा. इसके बाद मैं तुझसे वादा करता हूँ कि मैं तुझे हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा.

मोनिका- इस बात की क्या गारंटी हैं कि तुम मुझे ये सब करने के बाद आज़ाद कर दोगे???

विजय- याद हैं मैने तुझसे एक बार डील की बात की थी. विजय मोनिका को कुछ याद दिलाते हुए बोला.

मोनिका को भी वो बात याद आ जाती है और वो हैरत से विजय की ओर देखती हैं.

मोनिका- हां मुझे याद हैं .

विजय- तो अब समय आ चुका हैं इस डील को पूरा करने का. और मैं तुझसे यही उमीद करूँगा कि तू ये काम बखूबी निभाएगी. अगर ऐसा नही हुआ तो तू कजरी के यहाँ पर रंडी का धंधा करेगी. अब तुझे फ़ैसला करना हैं कि तू कौन सा ऑप्षन चूज़ करती हैं.

मोनिका- लेकिन इस बात की क्या गॅरेंटी हैं कि जब मैं ये डील पूरा कर लूँगी तब तुम मुझे आज़ाद कर दोगे.
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04-05-2019, 12:29 PM,
#67
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
विजय पास ही रखी एक अलमारी में से कुछ फाइल्स निकालता हैं और मोनिका को देता हैं. ये लो अग्रीमेंट पेपर्स. मैं जानता था कि तू मुझपर बिल्कुल भी विश्वास नही करेगी. इस लिए मैं भी पूरी तैयारी के साथ आया हूँ.

विजय फिर वो पेपर्स मोनिका को पकड़ा देता हैं.

मोनिका- अगरेमेंट..........कैसा अग्रीमेंट...............मैं कुछ समझी नहीं.???

विजय- नहीं समझी ना, कोई बात नहीं मैं समझा देता हूँ. फिर विजय बोलना शुरू करता हैं...............

विजय- याद हैं जब मैं एक बार तेरी चुदाई कर रहा था तब मेरे मूह से राधिका शब्द निकल गया था. तूने मुझसे पूछा भी था कि ये राधिका कौन हैं लेकिन मैने तुझे उसके बारे में कुछ नहीं बताया था. तभी तुझे मुझपर शक़ भी हो गया था. आज मैं तुझे बताता हूँ कि ये राधिका कौन हैं..

मोनिका- हैरत से कौन हैं????

विजय- राधिका वो बला हैं जिसको पाने के लिए मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. जब से मैने उसे देखा हैं बस मैं उसे अपने ख़यालों से नहीं निकाल पा रहा हूँ. जानती हैं राधिका उस हरामज़ादे इनस्पेक्टर राहुल की गर्लफ्रेंड हैं. और कुछ ही दिनों में वो उसकी बीवी बनने वाली हैं. और ये मैं नही चाहता कि वो किसी और की बीवी बने. इस लिए मुझे तेरी मदद चाहिए.

मोनिका- तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ.

विजय- तू चाहे तो सब कुछ कर सकती हैं.

मोनिका- देखो विजय मेरे साथ पहेलियाँ मूत भुजाओ. जो भी बात हैं सॉफ सॉफ कहो.

बिहारी- देख मोनिका. हम तो बस यही चाहते हैं कि तू हमारी मदद करे. राधिका को बस कैसे भी करके हमारे कदमों के नीचे झुका दे बस. उसे इतना मज़बूर कर दे कि वो हमसे चुदवाने के लिए हमसे भीक माँगे.अगर ऐसा हुआ तो समझ ले तू हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद हो जाएगी वरना....................

मोनिका- भला ऐसे कैसे हो सकता हैं. वो क्यों तुमसे वो सब करने को कहेगी. ये काम मुझसे नहीं होगा.

विजय- फिर ठीक हैं मैं अभी कजरी को यहाँ पर बुला लेता हूँ फिर तू जाने और तेरा काम......... और विजय झट से अपना मोबाइल निकालता हैं और काजीरी का नंबर डाइयल करने लगता हैं.

मोनिका दौड़ कर उसके कदमों में गिर जाती हैं... भगवान के लिए रुक जाओ विजय. मुझे सोचने के लिए कुछ वक़्त तो दो.

मोनिका को ऐसे नीचा अपने कदमों में देखकर विजय वही रुक जाता हैं और उसके मूह पर थूक देता हैं.....

विजय- तू हैं ही इसी लायक. तेरी औकात भी एक मामूली रंडी से ज़्यादा कुछ नहीं हैं. मेरे ख़याल से तो तुझे अब रंडी का ही धंधा करना चाहिए... और एक ज़ोरदार लात विजय मोनिका के पेट पर मार देता हैं और मोनिका दर्द से वही ज़मीन पर लेट जाती हैं.

फिर बिहारी आगे बढ़ता हैं और उसके बाल को कसकर पकड़कर अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. मोनिका फिर से दर्द से चीख पड़ती हैं और जैसे ही मोनिका दुबारा चीखने के लिए अपना मूह खोलती हैं बिहारी वही उसके मूह में थूक देता हैं....

आज वाकई में मोनिका के आँखों से आँसू निकल गये थे. उसे इतना शरमांदगी महसूस होती हैं कि उसका जी करता हैं वो कहीं जा कर अपनी जान दे दे.

बिहारी- देख आखरी बार कह रहा हूँ अब हम दोनो में से तुझे कोई भी नही समझाएगा. आगे तू खुद समझदार हैं. आगे तेरी मर्ज़ी............

मोनिका भी आब उनके सामने सरेंडर करना बेहतर समझती है और वो भी हालात से समझौता करने को तैयार हो जाती हैं.

मोनिका- ठीक हैं जैसा तुम चाहते हो मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ. मोनिका कुछ ज़्यादा टेन्षन और परेशान होकर बोली.

बिहारी- देख मोनिका कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है.तू क्यों उस राधिका की इतनी चिंता करती हैं. आख़िर वो तेरी लगती कौन हैं.?? अरे इस दुनिया का यही दस्तूर है यहाँ पर कोई किसी का नही हैं. सब अपने मतलब के लिए एक दूसरे को पूछते हैं. सब इंसान बस अपना अपना स्वार्थ एक दूसरे से निकालते हैं. अरे जब खाली हाथ ही आए हैं इस दुनिया में तो तेरा मेरा , अपना पराया. ये सब तो बस मोह-माया की बातें हैं. मरने के बाद इंसान सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए दूसरों पर आँसू बहाता हैं. ना कि मरने वाले के लिए.
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04-05-2019, 12:29 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:40 PM by sexstories.)
#68
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
अब तू ही बता जब तू उसे जानती नहीं है ना ही तेरे उससे कोई नाता हैं, ना रिश्ता हैं तो तू क्यों उसके बारे में इतना सब कुछ सोचती हैं. आख़िर वो तेरी लगती कौन हैं????

मोनिका- हां मैं मानती हूँ कि वो मेरी कोई नही लगती पर एक इंसानियत भी कोई चीज़ होती हैं. ये कौन सी बात हुई की मैं अपने फ़ायदे के लिए दूसरे की ज़िंदगी तबाह करूँ.

विजय एक ज़ोरदार थप्पड़ मोनिका के गाल पर जड़ देता हैं- वाह मेरी रंडी. आज तू इंसानियत का पाठ हमे पढ़ा रही हैं. तेरी तो मैं साली आज ऐसी मा चोदुन्गा कि तू भी क्या याद करेगी. और इतना कहकर वो अपने दोनो हाथों से मोनिका के बूब्स को कसकर मसल देता हैं. और मोनिका के मूह से एक बार फिर से चीख निकल पड़ती हैं.

मोनिका- मैं मान तो रही हूँ ना तुम्हारी बात. फिर तुम मुझसे ऐसे क्यों पेश आ रहे हो.बस मुझे एक बात बता दो कि आपका राधिका से क्या दुश्मनी हैं.

बिहारी- तू बस आम खा. पेड़ गिनना हमारा काम हैं. तुझे बस जितना बोला जाए उतना ही करना हैं. और हां अगर हमसे कोई होशियारी करने की कोशिश की तो तेरा अंजाम बहुत बुरा होगा. बाकी तू खुद समझदार हैं.

मोनिका- ठीक हैं मैं तैयार हूँ. करना क्या होगा मुझे???

विजय फिर वो अग्रीमेंट पेपर लेकर मोनिका को थमा देता हैं और एक कॉपी अपने पास रख लेता हैं.

मोनिका- ये कैसा अग्रीमेंट हैं???

विजय- इसमें लिखा हैं कि हम तुझे एक कॉंटॅक्ट के तौर पर हम तुझसे कोई भी काम करवा सकते हैं.. और वो कॉंटॅक्ट सिर्फ़ एक महीने का हैं. और जैसे ही एक महीना पूरा होता हैं तू अगर हमारा काम ख़तम कर देगी तो तू सच में आज़ाद हो जाएगी नहीं तो तू खुद काजीरी से बोलकर उसके रंडी के धंधे में अपनी मर्ज़ी से शामिल हो जाएगी. और इसके पीछे ना किसी का तुझपर कोई दबाव रहेगा ना किसी से तुझे शिकायत रहेगी. सब कुछ तू अपनी मर्ज़ी से करेगी.

मोनिका ये सब सुनकर उसके होश उड़ जाते हैं. वो समझ चुकी थी कि अगर वो सच में ये काम को नही अंजाम दिया तो ज़िंदगी भर के लिए रंडी बनकर बस रह जाएगी. विजय ने तो उसे फसाने का पूरा खेल रच लिया था.

बिहारी- चल इस पेपर पर साइन कर दे. और आज से ही तेरा ये कांट्रॅक्ट शुरू हो जाएगा. और जितना जल्दी तू उस राधिका को हमारे पास लाएगी उसकी सारी इनफॉर्मशन हमे देगी उतना ही तेरे लिए भला होगा. आगे तेरी मर्ज़ी.

मोनिका भी आख़िरकार उस अग्रीमेंट पेपर पर साइन कर देती हैं. मगर उसका दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था.

विजय- अब इस कांट्रॅक्ट के मुताबिक आज से तू बस हमारे लिए ही काम करेगी. राधिका से जुड़ी सारी इन्फर्मेशन हमको पल पल देगी. समझ गयी ना सब कुछ .................

मोनिका- ठीक हैं जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. मगर इस काम में कहीं भी मेरा नाम नहीं आना चाहिए. बस इस बात का पूरा ख्याल रखना.

बिहारी- उसकी चिंता मत कर. तेरा नाम कभी नही आएगा....

विजय- चल आब बातें ही करेगी या जिसके लिए मैने तुझे यहाँ पर बुलाया हैं वो भी करेगी. चल अपनी साड़ी और ब्लाउस उतार कर नंगी हो जा.

बिहारी- अरे विजय पहले इसे थोड़ा गरम तो करो. फिर देखना ये अपने कपड़े अपने आप उतारेगी. और बिहारी उसके नज़दीक जाता हैं और पीछे से जाकर अपने दोनो हाथों से मोनिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल देता हैं. मोनिका के मूह से फिर से चीख निकल पड़ती हैं.

विजय वही पर रखा ड्रग्स का एक इंजेक्षन उठाता है और अपने हाथ में लगाने लगता हैं. बिहारी भी वहाँ रखा दूसरा इंजेक्षन वो भी अपने हाथ में लगाता हैं. ये नज़ारा देखकर मोनिका के दिल में एक अजीब सा डर बैठ जाता हैं. वो आज जान गयी थी कि आज ये दोनो मिलकर उसकी बहुत बुरी चुदाई करने वाले हैं. उसके लिए तो अकेला विजय ही भारी पड़ता था मगर आज साथ में बिहारी भी ड्रग्स के नशे में था. पता नहीं आज उसके साथ क्या होने वाला था.

बिहारी फिर से मोनिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके दोनो बूब्स को अपनी दोनो मुट्ठी में लेकर कसकर मसल देता हैं. मोनिका की सिसकारी फिर से निकल जाती हैं.

बिहारी- वैसे तो ये तेरे दूध बहुत मस्त हैं. कसम से जी कर रहा हैं कि इन्हें ऐसे ही मसलता रहूं.

विजय- अरे बिहारी ज़रा प्यार से इसकी मारना अभी तो साला पूरी रात बाकी हैं. कहीं बेचारी की .......... इतनी बोलकर विजय हँसने लगता हैं.

बिहारी- तू इसकी चिंता मत कर एक बार अगर ये मेरे लंड से चुद गयी तो दुबारा मेरे को छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाली. वैसे बिहारी का लंड करीब 8 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा था.और वो किसी भी लड़की को पूरी तरह से बेशरम बनाकर चोदने में उसे अलग ही मज़ा आता था. पहले तो वो किसी भी लड़की को इतना तड़पाता की वो खुद उसके लंड के लिए पागल हो जाती. फिर वो जैसे चाहे उसके साथ सेक्स का खेल खेलता था.

विजय और बिहारी पर भी अब ड्रग्स का खुमार छाने लगा था.

बिहारी फिर मोनिका के करीब जाता हैं और अपना होंठ मोनिका के होंठ से सटा देता हैं और अपना एक हाथ लेजाकर उसकी गान्ड को कसकर मसल्ने लगता हैं. मोनिका भी आब धीरे धीरे गरम होने लगी थी. काफ़ी देर तक बिहारी उसके होंठों को ऐसे ही चूस्ता हैं फिर उसके नीचे होंठ को कसकर अपने दाँतों से काट लेता हैं. और मोनिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

विजय- चिंता मत कर मेरी रंडी आज तो तुझे हम दोनो मिलकर असली जन्नत का मज़ा देंगे. आज तेरी ऐसी चुदाई होगी कि तू भी कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. और वो भी मोनिका के करीब जाता हैं और उसके दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं.

मोनिका के मूह से आ...........ह .........एयेए......हह. की तेज़्ज़ सिसकारी लगातार निकलती रहती हैं.

फिर विजय उसके साड़ी के पल्लू को उसके सीने से हटा देता हैं और उसके साड़ी को अपने हाथों में लेकर खीचने लगता हैं और कुछ देर में उसकी साड़ी उसके जिस्म से अलग हो जाती हैं. मोनिका का भी शरम से चेहरा लाल पद जाता हैं. आज वो दो मर्दों के बीचा में नंगा होने वाली थी. इस वक़्त वो सिर्फ़ ब्लाउस और पेटीकोआट में उन दोनो के सामने थी.

फिर विजय मोनिका के पास जाता हैं और अपना होंठ उसके होंठ पर रख देता हैं और अपने दोनो हाथों से कसकर मोनिका के दोनो बूब्स को मसलने लगता हैं.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस.

मोनिका भी अपना हाथ बढ़ाकर उसका पेंट का ज़िप खोलती हैं और फिर उसके पेंट को उसके बदन से अलग कर देती हैं. फिर वही पर बिहारी भी उसके नज़दीक खड़ा हो जाता हैं. मोनिका भी समझ जाती हैं कि बिहारी क्या चाहता हैं. फिर वो भी अपना हाथ बढ़ाकर उसका पायजामा खोलने लगती हैं. कुछ देर में दोनो बस अंडरवेर में उसके सामने थे. फिर विजय अपना शर्ट और बिहारी अपना कुर्ता और बनियान निकाल देते हैं. अब दोनो बस अंडरवेर में थे.

मोनिका भी आगे बढ़कर विजय के अंडरवेर को निकाल कर उसके बदन से अलग कर देती हैं. अब विजय मोनिका के सामने पूरा नंगा था.

विजय- ऐसे क्या देख रही हैं. चल अब इसे अपने मूह में पूरा ले. और इतना कहकर वो उसके मूह में अपना लंड पेलना सुरू कर देता हैं.

मोनिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं और ना चाहते हुए भी विजय का मूसल को अपने हलक में उतारने लगती हैं. विजय उसी तरह बिना रुके अपने लंड पर ऐसे ही प्रेशर बनाए रखता हैं. जैसे जैसे मोनिका के मूह में विजय का लंड जाने लगता हैं मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और उसका दम भी घुटना शुरू हो जाता हैं.

करीब 6 इंच तक वो अपना लंड को मोनिका के मूह में डाल देता हैं. फिर तुरंत वो उसे बाहर निकालता हैं और बिना रुके अपना लंड को उतनी ही तेज़ी से फिर से मोनिका के मूह में डाल देता हैं. अब उसका लंड करीब 8 इंच तक मोनिका के मूह में चला जाता हैं. और मोनिका की हालत खराब होनी शुरू हो जाती हैं. मगर मोनिका इस बात को अच्छे से जानती थी कि आज कुछ भी उसकी मर्ज़ी से नही होने वाला. इसलिए वो भी आपने आप को उन्दोनो के हवाला कर देती हैं.
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04-05-2019, 12:29 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:40 PM by sexstories.)
#69
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
विजय फिर अपना लंड बाहर निकालता हैं और इस बार फिर से वो मोनिका का सिर को पकड़कर अपना लंड पूरी गति से उसके मूह में पूरा पेल देता हैं. इस बार मोनिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं और उसकी आँखें बाहर को आने लगती हैं. अब विजय का लंड पूरा मोनिका के हलक में जा चुका था. वो ऐसे ही कुछ देर तक अपने लंड को मोनिका के हलक में रहने देता हैं. मगर मोनिका की बेचैनी लगातार बढ़ने लगती हैं. उसे ऐसे लगता हैं कि उसका दम घूट जाएगा. और वो भी अपना दोनो हाथ विजय के पैर पर मारने लगती हैं. ये नज़ारा देखकर बिहारी भी मुस्कुरा पड़ता हैं.

बिहारी- अरे विजय रहने दे साली मर जाएगी. देख कैसे मछली की तरह तड़प रही हैं. निकाल ले अपना लंड.

विजय भी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं और मोनिका ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं.

मोनिका- लगता हैं कि तुम मुझे आज मार ही डालोगे. मोनिका घूर कर विजय को देखते हुए बोली.

अब बिहारी उसके पास जाता हैं और मोनिका आब उसका अंडरवेर भी निकाल देती हैं. जब वो बिहारी का लंड देखती हैं तो उसकी हालत खराब हो जाती हैं. बिहारी का लंड विजय से तो छोटा था मगर उससे कहीं ज़्यादा मोटा था. फिर बिहारी उसके बाल को कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड को मोनिका के मूह में डालने लगता हैं. बिहारी का सूपड़ा वाकई में काफ़ी मोटा था. मोनिका बड़े मुश्किल से उसे अपने मूह में ले पाती हैं.. फिर वो कुछ देर तक उसका सूपड़ा को चाटती हैं. बिहारी के मूह से भी सिसकारी निकल पड़ती हैं.

बिहारी- चल अब इसे भी अपने मूह में पूरा ले.

मोनिका- नही ये बहुत मोटा हैं. मैं इसे नही ले पाउन्गि.

बिहारी- चिंता मत कर तुझे बहुत मज़ा आएगा.

मोनिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं और बिहारी भी धीरे धीरे अपना लंड मोनिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. इस बार मोनिका को वाकई में तकलीफ़ होती हैं. वो कैसे भी करके बस 4 इंच तक बिहारी का लंड को अपने मूह में ले पाती हैं.

बिहारी उसे बिस्तेर के पास नीचे बैठा देता हैं और फिर उसके सिर को पकड़कर अपने लंड पर फिर से प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और धीरे धीरे मोनिका के मूह में बिहारी का लंड जाना शुरू हो जाता हैं. जैसे जैसे लंड मोनिका के गले के नीचे जाने लगता हैं उसकी तकलीफें बढ़ने लगती हैं. वो बड़े मुश्किल से उसका पूरा लंड अपने मूह में लेने की कोशिश करती हैं उधेर बिहारी भी अपने लंड पर पूरा प्रेशर बनाता हैं. फिर वो एक झटके से अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर उतनी ही तेज़ी से अंदर डाल देता हैं. इस बार बिहारी का पूरा लंड मोनिका के हलक तक फिर से पहुच जाता है. फिर वो उसी तरह अपना लंड ऐसे ही कुछ देर तक रहने देता हैं. मोनिका की इतनी ही देर में हालत खराब हो जाती हैं.

जब मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं तो वो भी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. उसके लंड से एक डोर की तरह मोनिका के मूह से होते हुए बिहारी के लंड तक एक लकीर जैसी लाइन बन जाती हैं.

बिहारी- वाह सच में तू किसी रांड़ से कम नही हैं. अगर तू मार्केट में आ जाए तो बड़ी बड़ी रंडियों को पानी पिला देगी..

विजय- अब बस उसका ही लंड चूसेगी या मेरा भी. देख ना मेरा लंड तो पूरा सूख गया हैं. फिर विजय अपने मूह से ढेर सारा गाड़ा थूक निकाल देता हैं वो अपने लंड पर थूक गिरा देता हैं.

मोनिका भी बड़े गौर से उसे देखने लगती हैं.

विजय- ऐसे क्या देख रही हैं. चल आकर मेरा लंड चूस ना...

विजय आकर उसके बाल को कस कर पकड़ कर मोनिका के मूह में अपने लंड डाल देता हैं. अब उसका थूक से सना हुआ लंड मोनिका को ना चाहते हुए भी लेना पड़ता हैं. फिर वो ऐसे ही कुछ देर तक उसका लंड चुस्ती हैं. फिर बिहारी भी उसके पास आज जाता हैं और मोनिका का एक हाथ को अपने लंड पर रख देता हैं अब मोनिका एक तरफ विजय का लंड चूस रही थी वही दूसरी तरफ बिहारी का लंड को अपने हाथों से उपर नीचे कर रही थी.

आज मोनिका भी ज़िंदगी में पहली बार इस तरह से एक साथ दो लंड ले रही थी उसे ऐसा लग रहा थी वो सच में कोई बहुत बड़ी बाज़ारु रंडी हैं.फिर से विजय अपना पूरा लंड को मोनिका के गले के नीचे पहुचाने में कामयाब हो जाता है और ऐसे ही कुछ देर तक रहने देता हैं. फिर बिहारी मोनिका के गले को कसकर दबाता हैं और विजय का कंट्रोल ख़तम हो जाता हैं और वो अपना पूरा वीर्य मोनिका के गले के नीचे उतारने लगता हैं. मोनिका को तो लग रहा था कि उसका गला फट जाएगा.

उसकी आँखों से आँसू फिर से निकल पड़े थे. ऐसे ही जब तक विजय का पूरा माल नही निकल जाता तब तक वो मोनिका के गले में ही अपना लंड फँसाए रखता हैं. फिर वो तुरंत उसे बाहर निकाल देता हैं. अब बिहारी विजय की जगह ले लेता हैं. फिर वो भी उसकी पोज़िशन में अपना लंड मोनिका के हलक में पहुचा देता हैं और कुछ देर ऐसे ही आगे पीछे करने के बाद वो भी उसके हलक में अपना पूरा कम निकाल देता हैं. मोनिका भी ना चाहते हुए उसके वीर्य को पूरा पी जाती हैं.

थोड़े देर तक वो दोनो ऐसे ही शांत बैठे रहते हैं. मोनिका भी सोचने लगती हैं कि आज वाकई में वो किसी बाज़ारु रंडी से बिल्कुल कम नही हैं..
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04-05-2019, 12:29 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:40 PM by sexstories.)
#70
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
थोड़ी देर के बाद वो दोनो फिर से उठते हैं और मोनिका के पास जाकर उसके बदन से खेलना शुरू कर देते हैं.

विजय- अपने लंड की ओर इशारा करते हुए.. चल अब मेरे लंड को फिर से खड़ा कर.

मोनिका अच्छे से जानती थी कि विजय उससे क्या करवाना चाहता हैं. वो भी चुप चाप जाकर उसके गान्ड के पास अपना मूह करके बैठ जाती हैं.

विजय- अब क्या ऐसे ही बैठी रहेगी या मेरी गान्ड भी चाटेगी. चल शुरू हो जा और हां अच्छे से मेरे आँड भी चाटना. नही तो आज तेरी क्या हालत होगी वो तू सपने में भी नहीं सोच सकती.

मोनिका भी चुप चाप जाकर विजय की गान्ड को चाटना शुरू कर देती हैं. जैसे जैसे वो आगे बढ़ती हैं विजय को धीरे धीरे मज़ा आना शुरू हो जाता हैं. बिहारी भी वही बैठा ये नज़ारा देखता हैं फिर वो भी मोनिका के पास जाकर उसके पेटिकोट का नाडा खोल देता हैं और एक उंगली लेजा कर उसके पैंटी पर रख देता हैं. फिर वो उपर से ही मोनिका की चूत को मसल्ने लगता हैं.

अब वो अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके ब्लाउस के बटन्स को खोलना शुरू कर देता हैं. अब इस वक़्त मोनिका भी बस ब्रा और पैंटी में उन्दोनो के सामने थी. और उधर वो अपनी जीभ धीरे धीरे फिराते हुए विजय के बॉल्स पर लेजा कर उसे अपने मूह में लेकर चूस रही थी. विजय तो जैसे सातवे आसमान में था.

फिर बिहारी भी अपना लंड मोनिका के मूह के पास लेजाता हैं और उसे भी चूसने का इशारा करता हैं. अब एक बार वो बिहारी का लंड चुसती है तो फिर थोड़ी देर में वो विजय का लंड चुसती हैं. ऐसे ही वो दोनो कुछ देर तक अपनी गान्ड और अपने बॉल्स भी उससे चटवाते हैं और मोनिका के ना चाहते हुए भी उसे वो सब करना पड़ता हैं.

बिहारी फिर आगे बढ़ता हैं और उसकी ब्रा के हुक्स को खोल देता हैं और विजय भी एक हाथ लेजा कर उसकी पैंटी को नीचे खीच देता हैं. बिहारी की आँखों में तो जैसे चमक सी आ जाती हैं. मोनिका की वेल शेव्ड चूत उसकी आँखों के सामने थी. उसे बिल्कुल भी सब्र नही होता और वो अपनी एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं. मोनिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

इधेर विजय अपने दोनो हाथों से उसके दोनो बूब्स को कसकर मसलता हैं फिर उसे अपने मूह में लेकर बारी बारी चूसने लगता हैं. मोनिका को भी दोहरा मज़ा आने लगता हैं और उसके मूह से सिसकारी तेज़ होने लगती हैं.
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