Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:31 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:44 PM by sexstories.)
#81
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
डायरी के आखरी पन्नो पर जब उसकी नज़र पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं. निशा ने लाल अक्षरों से सॉफ सॉफ लिखा था कि अगर राहुल मेरा नहीं हो सका तो मैं अपने आप को हमेशा हमेशा के लिए मिटा दूँगी.

राधिका जब पूरा डायरी पढ़ लेती हैं तो उसका शक़ पूरा यकीन में बदल जाता हैं कि निशा का प्यार और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं. और उसे ऐसा लगने लगता हैं कि वो शायद निशा और राहुल के बीच में आ गयी हैं. आज राधिका की भी आँखें नम थी. आब उसके सामने केवल दो ही रास्ते बचे थे या तो दोस्ती के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर देना या फिर प्यार के लिए दोस्ती को. अब यहाँ पर फ़ैसला राधिका को लेना था कि वो कौन सा ऑप्षन चूज़ करती हैं.. दोस्ती...................या प्यार.

काफ़ी देर तक वो ऐसे ही गुम्सुम बैठी रहती हैं. आज वक़्त ने उसके सामने ऐसी परिस्थिती खड़ा कर दी थी कि वो चाह कर भी कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. बस वो एक टक राहुल के बारे में सोचने लगती हैं और उसकी आँखें फिर से नम हो जाती हैं...............

.........................................................

उधेर निशा भी राधिका के जाने के करीब 1/2 घंटे बाद घर आती हैं. और आज भी उसका मूड बहुत डिस्टर्ब था. वो कुछ बोलती नहीं बस चुप चाप सीधे अपने कमरे में आकर बिस्तेर पर लेट जाती हैं. थोड़े देर में सीता भी उसके रूम में आती हैं.

सीता- आ गयी तू. अभी तुझसे राधिका मिलने आई थी. थोड़ा देर इंतेज़ार किया फिर वो अपने घर निकल गयी.

निशा- क्या??? लेकिन ऐसा आचनक बिन बताए. कोई बात थी क्या ???

सीता- नहीं ज़्यादा कुछ कहा नहीं बस चाइ पी और इधेर उधेर की दो चार बातें की और बस......

निशा- ठीक हैं मा. मैं राधिका से बाद में बात कर लूँगी.

सीता फिर अपने कमरे में आ जाती हैं और घर के काम में जुट जाती हैं. और उधेर निशा जाकर अपनी डायरी ड्रॉयर से निकालती हैं मगर उसे अपनी डायरी कहीं नज़र नहीं आती. जब वो पूरा घर छान मारती हैं तो वो परेशान होकर अपनी मा को आवाज़ देती हैं..

निशा- मम्मी क्या आपने मेरे ड्रॉयर में मैने एक लाल कलर की डायरी रखी थी.क्या आपने वो डायरी देखी हैं???

सीता- पता नहीं . हां याद आया आज कबाड़ी वाला आया था तो मैने घर में रखा सारा पुराना कापी किताब सब बेच दिया. हो सकता हैं वो डायरी भी वो कबाड़ी वाला ले गया हो.

निशा अपने सिर पर हाथ रखते हुए- हे भगवान कम से कम आपको मुझसे एक बार पूछ तो लेना चाहिए था ना. आप जानती नहीं हैं वो डायरी मेरे लिए कितनी इंपॉर्टेंट थी.

सीता- पर तू भी अपनी सारे किताबें इधेर उधेर हमेशा फेंक कर रखती हैं तो मुझे क्या मालूम कि कौन से किताब तेरे लिए ज़रूरी हैं और कौन नहीं. और सीता फिर अपने कमरे में चली जाती हैं.

निशा भी उस डायरी के खो जाने से काफ़ी परेशान रहती हैं. मगर उसे मालूम था कि वो डायरी उसे अब कभी नहीं मिलेगी. गुस्सा तो उसे अपनी मम्मी पर बहुत आता हैं मगर वो कुछ कहती नहीं और जाकर बिस्तर पर चुप चाप लेट जाती हैं.

जिस तरह निशा को डायरी लिखने का शौक था उसी तरह राधिका की भी हॉबी थी. और ये प्रेणना उसे राधिका से ही मिली थी. तब से वो भी अपनी पर्सनल मॅटर डायरी में ही लिखती थी.

............................................................

इधेर मोनिका ने भी अपनी डील की शुरूवात की पहली पहल शुरू कर दी थी. वो तो बस यही चाहती ही कि वो कैसे भी विजय और बिहारी के चंगुल से बाहर निकले चाहे इसके बदले राधिका की ही बलि क्यों ना देनी पड़े. और वो ये बात भी अच्छे से जानती थी कि अगर एक बार राधिका उनके चंगुल में फँस गयी तो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह तबाह हो जाएगी. मगर स्वार्थ आदमी को कितना अँधा बना देता हैं. आज मोनिका अपने फ़ायदे के लिए राधिका को भी बर्बाद करने से पीछे नही हटने वाली थी.

थोड़ी देर के बाद राधिका के मोबाइल पर एक कॉल आता हैं. नंबर अननोन था.

राधिका- हेलो!!! कौन???

फोन मोनिका ने ही किया था.

मोनिका- क्या आप राधिका बोल रहीं हैं.

राधिका- हां कहिए क्या बात हैं. और आप कौन.???

मोनिका- कौन हूँ मैं ये बताने के लिए मैने फोन नहीं किया हैं. मैं जानती हूँ कि तुम इस वक़्त अपने घर पर बिल्कुल अकेली हो.

राधिका- देखिए आप बोल कौन रहीं हैं और आपको ये सब कैसे पता.

मोनिका- मेरी बात ध्यान से सुनो. तुम्हारे भाई का नाम कृष्णा हैं ना. और वो तुमसे यही बता कर घर से गया होगा कि वो आज काम पर जा रहा हैं. वो कोई काम पर नहीं गया हैं. मैने यही अभी थोड़े देर पहले उसे एक वेश्या के साथ देखा हैं.

राधिका- ज़ोर से चिल्लाते हुए- आप बोल कौन रहीं हैं और आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे भैया के बारे में ऐसे गंदी बातें बोलने की.

मोनिका- चिल्लाने से सच नहीं बदल जाएगा. अगर तुम्हें यकीन नही होता मेरी बात का तो मैं तुम्हें एक अड्रेस देती हूँ. तुम तुरंत वहाँ पर पहुँच जाओ और जाकर खुद ही अपनी आँखों से देख लो. अगर मेरी बात झूट निकले तो जो सज़ा दोगि मुझे मंज़ूर होगा. फिर मोनिका उसे एक अड्रेस देती हैं.
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#82
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
मोनिका- ज़्यादा दिमाग़ पर ज़ोर मत डालो कि मैं कौन हूँ और ये सब बातें तुम्हें क्यों बता रही हूँ बस जहाँ का अड्रेस दिया हैं वहाँ पर तुरंत पहुँच जाओ और अपने भैया के करेक्टर को अपनी आँखों से आकर देखो.और हां जो भी हूँ तुम्हारी शुभ चिंतक ही हूँ. और इतना बोलकर मोनिका फोन रख देती हैं.

राधिका की परेशानी दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी. उसे तो लगा था कि अब उसके भैया रंडी बाज़ी छोड़ चुके होंगे.और वो पूरी तरह से उसके लिए बदल गये होंगे. यह सब सोचकर वो तुरंत तैयार होती हैं और मोनिका के बताए जगह पर निकल पड़ती हैं. जिस एरिया में वो जाती हैं वो एक बहुत ही गंदी बस्ती थी. वहाँ पर एक भी पक्का मकान नही था. सब घरों के उपर छज्जे लगे हुए थे. और सभी घर टूटे फुट थे. जैसे जैसे उसके कदम आगे बढ़ रहें थे उसकी दिल की धड़कने भी वैसे वैसे तेज़ होती जा रही थी. वो तो यही भगवान से मना रही थी की ये बात झूट हो. पर कोई उससे क्यों इस तरह से मज़ाक करेगा.

वहाँ पर जितने भी लोग थे सब के सब राधिका को खा जाने वाली नजरो से देख रहे थे. लेकिन वो ये सब परवाह ना करते हुए आगे बढ़ती हैं और थोड़ी दूर के बाद उसे वो घर मिल जाता है जहाँ का उसके पास अड्रेस था. वो बहुत असमंजस में फँसी रहती हैं. हर तरफ गंदगी और नंगे बच्चे इधेर उधेर खेलते रहते हैं. चारों तरफ बदबू ही बदबू. उसे बहुत बुरा लगता हैं और वो जाकर उस घर के दरवाज़े के सामने खड़ी हो जाती हैं.

फिर एक हाथ आगे बढ़ाकर वो दरवाजा खटखटाती हैं और कुछ देर के बाद दरवाज़ा खुलता हैं और सामने जिस इंसान की शकल उसे दिखाई देता है उसे ऐसा लगता हैं कि उसके शरीर का पूरा खून किसी ने निकाल लिया हो और वो बुत बनकर एक टक उस शक्श को देखने लगती हैं.
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#83
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--24

सामने जो शक्श खड़ा था वो और कोई नहीं बल्कि कृष्णा था. और उस वक़्त उसके शरीर पर मात्र एक लूँगी थी. जैसे ही कृष्णा की नज़र राधिका पर पड़ती हैं कृष्णा की तो पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं. वो कभी सपने में भी अपनी बेहन को यहाँ पर होने की उम्मीद नही किया था. वो भी बस ऐसे ही खामोश होकर राधिका को हैरत से देखने लगता हैं.

राधिका- तो यहाँ पर ये काम आप कर रहें हैं. ठीक कह रही हूँ ना मैं.....

तभी अंदर से एक औरत की आवाज़ आती हैं..... कौन है ???

राधिका भी झट से अंदर आ जाती हैं. सामने एक औरत पूरी तरह से नंगी हालत में बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. जैसे ही उस औरत की नज़र राधिका पर पड़ती हैं वो तुरंत वहाँ रखा कंबल ओढ़ लेती हैं. कृशा भी राधिका के पीछे पीछे आ जाता हैं.

राधिका- शरम आती हैं भैया मुझे आप पर. मैने आप पर कितना भरोसा किया था और आपने मेरे भरोसे का ये सिला दिया.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी.

राधिका- बस.........अब बंद करो भैया ये सब ढोंगबाज़ी. सच तो ये हैं कि आप कभी सुधर ही नहीं सकते. मैने ही आपको पहचानने में भूल की थी. आज फिर अपने ये साबित कर दिया कि मैं......................

राधिका इससे आगे कुछ बोल पाती तभी वो औरत तुरंत बीच में बोल पड़ती हैं- वाह वाह क्या तेवर हैं इसके. साली जितनी मस्त हैं उतनी तेज़ इसकी ज़ुबान भी चलती हैं.अगर ये हमारे धंधे में आ जाए तो साला अपनी तो लॉटरी खुल जाए. इसको देखकर ही मूह माँगी रकम मिलेगी.

कृष्णा इतना सुनते ही आग बाबूला हो जाता हैं और जाकर उस औरत को एक थप्पड़ कस कर उसके गाल पर जड़ देता हैं.

राधिका- बस करो भैया. क्या यही सब अब बच गया था मुझे देखने और सुनने को. ये सब देखने से तो अच्छा था कि मैं मर गयी होती. और इतना कहकर राधिका की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

कृष्णा कुछ कह नही पाता और चुप चाप अपना सिर नीचे झुकाए खड़ा रहता हैं.

राधिका आगे कुछ नहीं कहती और चुप चाप वो भी वहाँ से बाहर निकलकर अपने घर की तरफ चल पड़ती हैं. आज उसके भैया की वजह से एक रंडी ने उसे ऐसे शब्द बोल दिए थे जिसकी वजह से उसका दिल आज पूरी तरह से टूट गया था. रास्ते भर वो यही सोच रही थी कि कौन हो सकती हैं वो जिसने मुझे फोन करके ये खबर दी थी. आख़िर क्या साबित करना चाहती हैं. पता नहीं वो एक दोस्त के नाते ये सब कर रही हैं या मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रही हैं.

आज राधिका पूरी तरह से डिस्टर्ब थी. जैसे तैसे वो घर पहुँचती हैं और आकर धम्म से बिस्तेर पर गिर पड़ती हैं. और ना जाने कितने देर तक उसके आँखों से आँसू बहते रहते हैं.

इधेर कृष्णा भी जल्दी से अपने कपड़े पहनकर बाहर आज जाता हैं. वो आज किसी भी कीमत पर राधिका को अकेला नहीं छोड़ना चाहता था. उसे पता था कि आज उसकी वजह से राधिका को कितना बड़ा धक्का लगा हैं. आज उसका अपने भैया के प्रति जो विश्वास था वो आज पूरी तरह टूट कर बिखेर गया था. जो वो अब अपने भाई पर करने लगी थी. लेकिन कृष्णा के मन में ये बात बार बार परेशान कर रही थी कि आख़िर राधिका को ये सब बातें कैसे पता चली. किसने बताया उसे यहाँ का पता. मगर आज उसके अंदर थोड़ी भी हिम्मत नहीं बची थी कि वो राधिका से इस बारे में कोई सवाल जवाब करें.

ग़लती तो यहाँ पर कृष्णा की भी नहीं थी. आज सुबह राधिका ने उसके साथ जो हरकत की थी उससे उसका खून पहले से ही गरम हो गया था. आज बार बार राधिका के बूब्स उसकी नजरो के सामने घूम रहे थे.जब उसने आज पहली बार राधिका के बूब्स को अपने इन कठोर हाथों में महसूस किया था वो एहसास उसके दिमाग़ से नहीं निकल पा रहा था. वो तो हमेशा से ही राधिका के नाम की मूठ मारा करता था. मगर आज उसे ऐसा मौका भी नहीं मिला था कि वो आज फारिग हो पाता. इसलिए उसका आज काम में मन नहीं लग रहा था. इस वजह से वो आज सीधा एक रंडी के पास चला गया था अपनी प्यास को बुझाने मगर वहाँ भी निराशा ही उसके हाथ लगी.
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#84
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
इधेर राधिका का भी आत्म सम्मान और विश्वास पूरा टूट चुका था. वो बहुत देर तक ऐसे ही बिस्तेर पर रोती रहती हैं फिर अचानक से उठकर वो अपने भैया के कमरे में जाती हैं और जाकर उनके रूम की अलमारी खोलती हैं. और अलमारी में कुछ ढूँडने लगती हैं. और थोड़ी देर के बाद उसे वो चीज़ मिल जाती हैं.

करीब शाम को 6 बजे कृष्णा घर आता हैं. आज वो ये सोच कर आया था कि चाहे राधिका उसको कुछ भी बुरा भला कहे वो एक शब्द कुछ भी नहीं कहेगा. और उसकी मन की पूरी भडास निकाल लेने देगा. आख़िर सारी ग़लती उसकी की तो थी. जैसे ही वो अपने मेन डोर के पास पहुँचता हैं दरवाजा पहले से ही सटा हुआ था. वो भी चुप चाप दरवाजा बंद करके अंदर आ जाता हैं.

अंदर आकर जब उसकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो कृष्णा लगभग चीखता हुआ राधिका के पास दौड़ कर आता हैं. जिस अवस्था में राधिका बिस्तेर पर सोई हुई थी वो उस वक़्त वो शराब के नशे में थी. आज ज़िंदगी में पहली बार राधिका ने शारब को हाथ लगाया था.

कहते हैं ना इंसान को अगर गम भूलना हो तो उसे शराब का सहारा लेना पड़ता हैं. और राधिका ने भी आज अपना गम भूलने के लिए आज शराब का शहरा लिया था. वो आज बेसूध होकर बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. और साथ में उसके हाथ में एक विल्स सिगरेट का पॅकेट भी था.राधिका ने आज 2 पेग विस्की और साथ में 2 सिगरेटेस भी पी थी. ये सब देखकर तो कृष्णा के होश उड़ जाते हैं.

वो राधिका के एक दम करीब आता हैं और राधिका के गाल पर अपने हाथ रखकर उसे हिलाता हैं. थोड़ी देर के बाद राधिका अपनी आँखें खोलती हैं.

राधिका की ज़ुबान लड़खाड़े हुए निकलती हैं.

राधिका- भैया... आप ..आ गये .

कृष्णा- राधिका तूने शराब पी हैं.

राधिका- क्यों भैया...... नहीं.. पी सकती क्या..आख़िर क्या बुराई..... हैं... सब लोग ...तो पीते हैं...फिर.

कृष्णा- मुझे विश्वास नहीं होता राधिका कि तू ये सब..............

राधिका- किश विश्वास की बात कर रहे हो भैया.... वो विश्वास जो मैने आप पर अपने आप से ज़्यादा किया था..... वो विश्वास जो अबी अबी आप कुछ देर पहले उसकी धज़ियाँ उड़ा चुके हैं.

कृष्णा- तुझे जो कहना हैं कह ले. जो सज़ा मुझे देनी हैं दे दे. मुझे सब मंज़ूर हैं मगर तू अपने आप को इसकी सज़ा क्यों दे रही हैं. क्यों तू अपने आप को बर्बाद करने पर तुली हुई हैं.

राधिका- सब कुछ ख़तम हो गया भैया. सब कुछ..

कृष्णा- नहीं राधिका ऐसा मत बोल मैं तेरा गुनेहगार हूँ. तुझे जो भी सज़ा देनी हैं, मुझे दे. मैं उफ्फ तक नहीं करूँगा. लेकिन तू आपने आप को इसकी सज़ा क्यों दे रहीं हैं.

राधिका- भैया कितना आसान हैं ना किसी के विश्वास को पल भर में तोड़ कर बस सॉरी बोल देना. भैया मेरे माफ़ करने ना करने से क्या होगा. आपने तो ना सिर्फ़ मेरा विश्वास को तोड़ा हैं बल्कि आज मेरे आत्म सम्मान को भी चोट पहुँचाई हैं. आपकी वजह से एक रंडी ने मेरी तुलना आप आप से की. उसका भी कहना सही हैं. मैं हूँ ही इसी लायक.

कृष्णा की आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं.
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#85
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका-आप क्यों आपना आँसू बहा रहें हैं भैया. आपने तो सब कुछ एक ही पल में ख़तम कर दिया. मैं तो अब आप पर विश्वास करने लगी थी. शायद यही मेरी ग़लती थी...........

कृष्णा- आज तेरे दिल में मेरे लिए जितने शिकवे गीले हैं सब कह दे राधिका मैं तुझे आज नहीं रोकुंगा. ग़लती मेरी ही हैं. नहीं करना चाहिए था मुझे ये सब.

राधिका- भैया जिस तरह एक औरत की इज़्ज़त एक बार लूट जाने पर उसकी इज़्ज़त उसे दुबारा नहीं मिलती उसी तरह अगर आदमी का विश्वास अगर एक बार टूट जाए तो वो दुबारा नहीं जोड़ा जा सकता. देखिए ना भैया मेरे नसीब में सब कुछ होकर भी अब मेरे पास कुछ नहीं हैं.

कृष्णा- बस कर राधिका क्यों तू इन सब बातों को अपना पाप का भागीदार अपने आप को बना रही हैं. इसमें तेरा कोई दोष नहीं हैं. सारा कसूर मेरा हैं............बस मेरा.

राधिका- भैया क्या बुराई हैं मुझ में कि आपको मेरे होते हुए आपको उस रंडी के पास जाना पड़ा. अगर इतना ही आपका खून गरम था तो एक बार मुझसे कह दिया होता. राधिका आपकी खुशी के लिए आपने आपको आपके कदमों में बिछा देती. मगर आपने तो मुझे उस रंडी के बारबार भी नहीं समझा. आज जान गयी हूँ कि मेरी औकात आपकी नज़र में क्या हैं. और इतना कहते कहते राधिका की आँखें बंद हो जाती हैं और वो नशे में फिर से बेहोश हो जाती हैं..............

कृष्णा आज दिल खोल कर रोना चाहता था. आज उसकी वजह से ही राधिका की ये हालत हुई थी. आज इन सब बातों का ज़िम्मेदार भी वो ही था. और वो राधिका को अपनी बाहों में लेकर उसे बड़े प्यार से अपने सीने से लगा लेता हैं.

कृष्णा के मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे....... कैसे समझाऊ राधिका कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ. अरे तू नहीं जानती कि जब तक मैं तुझे एक नज़र देख नहीं लेता मुझे चैन ही नहीं मिलता हैं. आज जिस प्यार का एहसास मैने किया हैं वो बस सिर्फ़ तेरी वजह से. तूने ही मुझे जीना सिखाया हैं. मेरे इस बदलाव का सबसे बड़ी वजह भी तू हैं. मैं कसम ख़ाता हूँ राधिका कि आज के बाद मैं तुझे किसी भी तरह का कोई दुख नहीं दूँगा. आज से मेरी जिंदगी का मकसद हैं तेरी खुशी. अगर तेरी खुशी के लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं पीछे नहीं हटूँगा.तेरी खुशी के लिए वो सब करूँगा जो तू मुझसे उमीद करती हैं. मैं दूँगा तुझे वो प्यार , वो खुशी. सब कुछ राधिका ..................सब कुछ.......और कृष्णा की आँखों से भी आँसू फुट पड़ते हैं.....................

घंटों वो भी बस राधिका को ऐसे ही अपनी गोद में लिए रहता हैं और फिर उसे अपने बाहों में लेकर सो जाता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह नशे में थी.उसे तो कोई भी होश नहीं था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी राधिका के बगल में सो जाता हैं.

सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा उसके बगल में सोया रहता हैं. वो अपना दुपट्टा सही करती हैं और उठकर बाथरूम में जाती हैं. रात के नशे से अभी भी उसकी चाल में लड़खड़ाहट थी और उसका सिर भी थोड़ा घूम रहा था. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी उठ जाता हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो उसे राधिका वहाँ नहीं दिखती हैं. वो तुरंत घबराकर पूरे घर में उसे ढूँडने लगता हैं. आख़िर कर किचन में राधिका उसे दिख ही जाती हैं. और उसकी जान में जान आती हैं.

कृष्णा फिर धीरे से जाकर राधिका को अपनी बाहों में पीछे से पकड़ लेता हैं. और बड़े प्यार से उसकी गर्देन को चूम लेता हैं. राधिका की तो जैसे साँसें रुक जाती हैं. कृष्णा का ऐसा बदलाव देखकर उसे हैरानी भी होती हैं और खुशी भी.

राधिका- भैया आप यहाँ पर इस वक़्त किचन में क्या कर रहें हैं.???

कृष्णा- देख नहीं रही हो अपनी बेहन को प्यार कर रहा हूँ.

राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा- कल जो भी हुआ राधिका वो तो सच में मुझे माफी के लायक नहीं हैं मगर मैं तेरे सर की कसम खाकर कहता हूँ कि मैं आज के बाद ये सब कभी नहीं करूँगा. अगर तुझे थोडा भी यकीन हो मुझपर तो....

राधिका एक टक कृष्णा की आँखों में देखती हैं- ठीक हैं भैया मैं आपको माफ़ कर देती हूँ. जाओ आप भी क्या याद करोगे. और राधिका भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कृष्णा उसे तुरंत अपने गोद में उठा लेता हैं और अपना लब राधिका के लब पर रख देता हैं और बड़े प्यार से उसके होंठो को चूसने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और वो भी कृष्णा के होंठ को धीरे धीरे चूसने लगती हैं. आज जो एहसास और मज़ा होंठ चूसने में राधिका को मिल रहा था वो मज़ा उसे अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं मिला था. पता नहीं क्या था उसके भैया में कि जब भी वो उनके करीब आती थी वो मदहोश होने लगती थी. आज राधिका भी पूरी तरह से बहकना चाहती थी.

करीब पाँच मिनिट के बाद राधिका कृष्णा को अपने से दूर करती हैं और कृष्णा भी उसे नीचे ज़मीन पर रख देता हैं.

राधिका- आज इतना मस्का किस लिए. बहुत प्यार आ रहा हैं मुझपर बात क्या हैं.कहीं आज मेरी इज़्ज़त तो लूटने वाले नहीं हो ना.............

कृष्णा- हाँ इरादा तो कुछ ऐसा ही हैं. आज तो सोच ही रहा हूँ कि आज मैं अपनी बेहन को चोद कर बेहन्चोद बन ही जाउ.
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#86
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--25

राधिका हैरत से कृष्णा की तरफ देखने लगती हैं.कृष्णा ने आज पहली बार उसके सामने इतना ओपन्ली वर्ड यूज़ किया था.

राधिका- आप सच में बहुत बेशरम हो.आपको थोड़ी भी शरम नहीं हैं कि एक जवान बेहन के सामने आपको क्या बोलना चाहिए.

कृष्णा हंसते हुए- अरे बेहन को चोदुन्गा तो बेहन्चोद ही कहलाउँगा ना. इसमें शरम की क्या बात हैं.

राधिका का चेहरा शरम से एक दम लाल पड़ जाता हैं- आप तो हो ही बेशरम और लगता हैं अब साथ साथ मुझे भी अपनी तरह बनाने वाले हो. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती.

कृष्णा- नाराज़ क्यों होती हो मेरी जान. मैं तो बस मज़ाक कर रहा था. एक बात कहूँ राधिका मेरा बहुत मन कर रहा हैं तुझे प्यार करने को.......अगर तुझे कोई आपत्ति ना हो तो मैं.......................

राधिका- नहीं भैया इस वक़्त नहीं. आज शाम को जो आप कहेंगे मैं वो करूँगी. अक्सर बापू भी इस वक़्त घर पर आते रहते हैं. अगर उन्होने हमे ऐसी हालत में देख लिया तो बेवजह बात बिगड़ जाएगी. और तो आप जानते हो ना बापू का गुस्सा. मुझे तो बहुत डर लगता हैं उनसे..

कृष्णा- ठीक हैं जैसे इतने दिन इंतेज़ार किया वैसे आज शाम तक ही सही. मुझे आज शाम का बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.

राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और थोड़ी देर के बाद उसका पिताजी भी घर पर आ जाते हैं. राधिका का भी कॉलेज का आज आखरी दिन था. क्यों कि कल से उसका कॉलेज बंद होने वाला था एग्ज़ॅम्स की प्रेप्रेशन की वजह से. अगले महीने उसके भी पेपर शुरू होने वाले था. इस वजह से एक महीना का एग्ज़ॅम्स की प्रिपेशन के लिए छुट्टी थी. वो तो बस कॉलेज आज निशा से मिलने जाने वाली थी.

करीब 10 बजे उसके पिताजी भी घर से निकल जाते हैं. और राधिका भी कॉलेज चली जाती हैं. आज कितने दिनों के बाद उसके चेहरे पर खुशी लौटी थी. और इन खुशियों के पीछे कृष्णा का उसके प्रति बदलाव था. थोड़ी देर के बाद वो भी कॉलेज पहुचती हैं तो सामने उसे निशा बैठी मिलती हैं.

निशा- आ गयी राधिका. मुझे लगा कि तू नहीं आएगी.

राधिका- मेरी जान मुझे याद करेगी और मैं ना आऊँ. ऐसा हो ही नहीं सकता. बता मुझसे क्या ज़रूरी काम हैं.

निशा- वो सुबह राहुल का फोन आया था. वो कह रहा था कि कल मुझे उसके ऑफीस जाना है. कल उसका प्रमोशन जो होने वाला हैं.

राधिका को भी तुरंत याद आ जाता हैं. हां तो ठीक तो हैं चली जाना. तेरे जाने से राहुल के डिपार्टमेंट की शोभा और बढ़ जाएगी....... और इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं...

निशा- जा मैं तुझसे बात नहीं करती. हर वक़्त तू मुझे सिर्फ़ ताने मारती रहती हैं.

राधिका- अच्छा बाबा आइ आम सॉरी. नही बोलूँगी बस...............

एक्सक्यूस मी........इतने देर में एक मधुर आवाज़ राधिका और निशा के कानों में पड़ती हैं.एक औरत पिंक कलर की साड़ी में उन्दोनो के करीब आती हैं ये औरत और कोई नहीं बल्कि मोनिका ही थी.

मोनिका- कॅन आइ सीट हियर.. मोनिका ने राधिका की ओर इशारा करते हुए पूछा.

राधिका- यस शुवर ... बैठिए. प्लीज़.

मोनिका- थॅंक्स फॉर जाय्निंग मे. मेरा नाम तान्या हैं. और मैं एक ग़रीब अनाथ बच्चो के लिए काम करती हूँ. मैं एक ट्रस्ट चलाती हूँ जिसमें कुछ सरकार की तरफ से ये बच्चे अपनी जीवन बसर करते हैं.

राधिका- ये तो बहुत अच्छी बात हैं. कहिए मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूँ. फिर राधिका अपने पर्स में से एक 100 का नोट निकालकर मोनिका को थमा देती हैं.

मोनिका- मुझे आपके पैसे नहीं चाहिए. आप मुझे ग़लत समझ रहीं हैं. आइ आम ऑलरेडी आ गवर्नमेंट एंप्लायी. बस आपसे मुझे मिलना था बस.

राधिका चौुक्ते हुए- मुझसे मिलना था. मतलब??? क्या आप मुझे जानती हैं.

मोनिका- हां आप ही राधिका हैं ना.??? और आप बी.कॉम 2न्ड एअर की स्टूडेंट हैं और आप इसी कॉलेज में पढ़ती हैं.

राधिका- मगर आपको कैसे ये सब मालूम. क्या हम पहले भी मिल चुके हैं??
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#87
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
मोनिका- नहीं आप मुझसे आज पहली बार ही मिल रहीं हैं. वही पास बैठी निशा को मोनिका कुछ ठीक नहीं लगती और वो डाइरेक्ट्ली उसके मूह पर बोल देती हैं.

निशा- देखिए आप सीधा काम की बात कीजिए. कहिए आपको राधिका से क्या काम हैं और आप इसे कैसे जानती हैं.

मोनिका-जी आप दोनो की दोस्ती के बारे में काफ़ी सुना हैं. काफ़ी लोग आपकी दोस्ती की मिसाल देते हैं. बस इससे अंदाज़ा लगाया कि ...

राधिका- ठीक हैं कोई बात नहीं. मुझे आप से मिलकर बहुत खुशी हुई. अगर मेरी लायक कोई सेवा हो तो ज़रूर बताइयेगा. मुझसे जो बन पाएगा मैं करूँगी.

मोनिका- ठीक हैं मुझे अभी बहुत सारे काम हैं. मैं आपसे बाद में मिलती हूँ और मोनिका वहाँ से निकल जाती हैं.

मोनिका के जाने के बाद निशा आख़िर बोल पड़ती हैं.

निशा- यार मुझे तो ये औरत कोई फ्रॉड लग रहीं हैं. इसे तो तेरे बारे में सब कुछ पता हैं. कहीं ये कोई तेरी रिश्तेदार तो नहीं हैं ना ये.

राधिका- तू भी कैसी बात करती हैं. लगता हैं कि तू मेरे खानदान के बारे में नहीं जानती.

निशा- एक बात कहूँगी राधिका किसी पर भी आँख मूंद कर तुरंत विश्वास मत कर लेना. आज कल के लोगों का कोई भरोसा नहीं. पता नहीं भेड़ की खाल में कहीं भेड़िया हो..

राधिका- मुझे अपनी चिंता करने की क्या ज़रूरत हैं. जब तू हैं ही मेरी फिकर करने वाली.

निशा- आइ आम सीरीयस राधिका. हर बात तू मज़ाक में मत लिया कर. कभी कभी तो मुझे ना जाने किसी आंजान ख़तरे से डर लगा रहता हैं. कहीं तुझे कुछ हो गया तो..............

राधिका बड़े प्यार से निशा की बाहों में अपनी बाहें डाल देती हैं. यार तू तो बिल्कुल सीरीयस हो गयी. घबरा मत मुझे कुछ नहीं होगा.

निशा- यार वैसे तू आज बहुत जच रहीं हैं. आज किस पर ये बिजलियाँ गिराने का इरादा है.

राधिका बस जवाब में मुस्कुरा देती हैं वो जानती थी कि आज वो किस पर अपनी बिजलियाँ गिराएगी. फिर वो निशा से विदा लेकर अपने घर की ओर चल देती हैं. वैसे आज राधिका सच में किसी अप्सरा से कम नहीं लग रहीं थी. उपर नीला सूट और नीचे वाइट कलर की शलवार. शलवार पूरा उसके बदन से चिपका हुआ था. और उसका बदन का हर कटाव उसमें सॉफ सॉफ छलक रहा था. कोई अगर राधिका को बस एक नज़र देख लेता तो वो सच में घायल हो जाता. और उपर से हल्का मेकप. कुल मिलकर वो बस एक कयामत लग रही थी.

जैसे जैसे घर उसका नज़दीक आता हैं उसकी धड़कनें वैसे वैसे बढ़ने लगती हैं. करीब 3 बजे वो अपने घर पहुँची हैं. घर पर कोई नहीं था. वो अपने घर का लॉक खोलती हैं और अंदर आ जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद वो बाथरूम में जाती हैं और जाकर फ्रेश होती हैं. फिर एक रॅज़र लेकर अपने जिस्म के पूरे बालों को सॉफ करने लगती हैं. कुछ देर में वो अपने जिस्म के पूरे बाल एक दम सॉफ कर देती हैं. आर्म्पाइट्स से लेकर अपनी चूत तक के सारे बाल पूरी तरह से सॉफ हो जाते हैं. उसके बाद वो बाथ लेती हैं और कुछ देर के बाद वो अपने रूम में आकर अपने भैया की लाई हुए लाल कलर की साड़ी को निकालकर पहनने लगती है. फिर हल्का सा मेकप और थोड़ा सिंगार करके वो अपने भैया के आने का इंतेज़ार करती हैं. फिर किचन में जाकर कुछ खाना भी तैयार करती हैं. आज उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.

करीब 5 बजे उसकी इंतेज़ार की घड़ियाँ ख़तम हो जाती हैं और उसके भैया घर पर आ जाते हैं. कल की तरह आज भी मेन डोर सटा हुआ था. कृष्णा को फिर ऐसा लगने लगता हैं कि आज राधिका ने फिर से शराब तो नहीं पी रखी हैं. उसका दिल भी ज़ोरों से धड़कने लगता हैं और वो धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाकर अंदर कमरें में आता हैं. और सामने जो नज़ारा उसकी आँखों के सामने पड़ता हैं वो हैरत से उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हैं.
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04-05-2019, 12:32 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:45 PM by sexstories.)
#88
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका इस वक़्त घूँघट ओढ़े बिल्कुल जैसे सुहागरात में कोई दुल्हन अपने पति के आने का इंतेज़ार करती हैं उसी तरह राधिका भी बिस्तेर पर बैठी हुई अपने भैया के आने का इंतेज़ार कर रही थी.आज कमरा भी पूरा सज़ा हुआ था.हर तरफ पर्फ्यूम की खुसबू और साथ में बिस्तेर पर कुछ गुलाब के फूल भी बिखरे पड़े थे. कृष्णा ने तो ऐसा नज़ारा कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं मगर राधिका का चेहरा नहीं देख पाता हैं.

बढ़ते कदमों से वो एकदम धीरे धीरे वो राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं.

कृष्णा- ये सब क्या हैं राधिका.???

राधिका- भैया आओ ना मेरे करीब और आज अपनी दुल्हन को अपना बना लो. मैं आज के बाद आपकी बेहन नहीं बस आपकी दुल्हन हूँ.

कृष्णा की धड़कने एक दम तेज़ हो जाती हैं. और वो भी झट से रूम के बाहर जाता हैं और करीब 5 मिनिट के बाद वापस राधिका के पास आता हैं. और आते वक़्त वो मेन डोर का दरवाज़ा बंद कर देता हैं. फिर रूम में आकर सारे खिड़की दरवाजे सब बंद कर देता हैं. और ज़ीरो वॉट का बल्ब ऑन कर देता हैं. हल्की नीली रोशनी में कमरा एक दम रोमॅंटिक जैसे लगने लगता हैं. फिर अपना हाथ बढ़ाकर वो राधिका के घूँघट की तरफ ले जाता है. फिर एकदम धीरे धीरे वो उसका घूँघट हटाने लगता हैं. और जब उसकी नज़र राधिका के चेहरे पर पड़ती हैं तो वो भी बस एक टक देखता रह जाता हैं.

राधिका बिल्कुल किसी अप्सरा सी लग रही थी. आँखों में काजल. हल्का लिपस्टिक. चेहरे पर हल्की लालिमा.और एक लंबी बिंदी. कुल मिलकर वो किसी नयी नवेली दुल्हन सी लग रही थी. कृष्णा भी उसके खूबसूरत चेहरे को एक टक देखने लगता हैं. राधिका अपना चेहरा झुकाए और नज़रें नीचे झुकाए बैठी हुई थी. फिर कृष्णा अपने हाथ में गुलाब का फूल राधिका के चेहरे पर ले जाता हैं और उसके होंठ और चेहरे पर बड़े प्यार से फिराने लगता हैं.

कृष्णा- मुझे विश्वास नही होता राधिका कि तू मेरे लिए ये सब कर सकती हैं. इतना तू मुझसे प्यार करती हैं और मैं पागल आज तक तेरे प्यार को कभी समझ ही नही सका. मेरी किस्मेत हैं कि तू आज मेरे पास हैं मगर तू मेरी बीवी होती तो इस दुनिया में मुझसे बड़ा ख़ुसनसीब और कोई नहीं होता.

राधिका- भैया मैं आपकी बीवी बनने को भी तैयार हूँ.मैं आज अपना बदन अपनी आत्मा सब कुछ आपके हवाले करती हूँ. आइए आपका जो दिल करे जैसे दिल करे मेरे बदन को आप इस्तेमाल कर सकते हैं. मैं आज अपना बदन आपको सौपति हूँ. आइए भैया आज अपने राधिका को हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लीजिए. मेरे जिस्म का हर एक अंग अंग को अपने प्यार से सीच दीजिए.मैं तैयार हूँ...................

कृष्णा भी झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और बड़े प्यार से अपनी उंगली राधिका के लिप्स पर रख देता हैं.

कृष्णा-मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका जिसके लिए तू इतने दिनों से तडपी थी. आज तुझे एक औरत के सुख का एहसास भी मैं दूँगा.आज तेरी सारी प्यास को मैं शांत करूँगा. मैं करूँगा राधिका......................मैं.

फिर कृष्णा अपने उंगली को राधिका के लिप्स पर धीरे धीरे फिराते हुए उसके गाल तक घूमने लगता हैं और राधिका धीरे धीरे मदहोश होने लगती हैं. उसकी आँखें बंद होने लगती हैं. और धड़कने बहुत तेज़ हो जाती हैं. फिर कृष्णा आगे बढ़कर अपने जलते हुए होंठ राधिका के होंठों पर रख देता हैं और बड़े ही प्यार से उसे चूसने लगता हैं. और करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के होंठो को चूस्ता हैं. फिर अपने दाँतों से राधिका के नीचे होन्ट को धीरे धीरे कुरेदने लगता हैं. और राधिका की सिसकारी एक दम धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं.

उसके बाद कृष्णा अपना हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए वो राधिका के हाथों में दे देता है और फिर अपने होंठ राधिका की गर्देन पर रखकर उसको हल्के दाँतों से काटने लगता हैं. राधिका की आँखें पूरी तरह से नसीली हो चुकी थी वो भी अब आने वाले सुख में पूरी तरह से डूबना चाहती थी..............................................

राधिका और कृष्णा का मिलन अभी बाकी है साथ बने रहिएगा.......
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#89
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--26

राधिका अब धीरे धीरे मदहोश हो रही थी और उसके जिस्म से उसका पूरा कंट्रोल भी ख़तम हो रहा था. और उधेर कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी कानों से लेकर गर्देन तक लगातार अपना जीभ फिरा रहा था. फिर वो एकदम से कृष्णा को अपने आप से दूर कर देती हैं जिससे कृष्णा एक दम चौंक जाता हैं. और हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- क्या हुआ राधिका??? मुझसे कोई खता हो गयी क्या.??

राधिका- नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस मुझे घबराहट हो रही हैं. समझ में नहीं आ रहा कि मैं ये सब आपके साथ .............इतना बोलकर राधिका खामोश हो जाती हैं.

कृष्णा- अगर ऐसी बात हैं तो मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाउन्गा. आख़िर तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं.

राधिका- नहीं भैया मैं तो बस इतना कहना चाहती हूँ कि मैं होश में रहकर ये सब नहीं कर सकती.

कृष्णा राधिका को बड़े गौर से देखने लगता हैं और वो राधिका का इशारा भी समझ जाता हैं कि राधिका उससे क्या डिमॅंड कर रही हैं.

कृष्णा- नहीं राधिका तू अब शराब को हाथ भी नहीं लगाएगी. तुझे मेरी कसम. मैं तेरी सर की कसम ख़ाता हूँ कि मैं आज के बाद कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाउन्गा. मैं तेरे लिए ये ज़हर पीना हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दूँगा.

राधिका- नहीं भैया अब बहुत देर हो चुकी हैं. अब मैं अपने बढ़ते कदम को वापस नहीं खीच सकती. इसके बदले चाहे मुझे कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े मुझे सब मंजूर हैं.

कृष्णा भी कुछ बोल नहीं पाता और चुप चाप राधिका को एक टक देखने लगता हैं. राधिका तुरंत बिस्तेर से उतरकर अपने भैया के कमरे में जाती हैं और जाकर शराब की एक बॉटल ले आती हैं.

कृष्णा- मत कर ऐसा राधिका. क्यों तू मेरी ग़लती की सज़ा अपने आप को दे रही हैं. मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ मेरी बात मान जा.

राधिका एक नज़र अपने भैया को देखती हैं फिर वो ग्लास में शराब और थोड़ा सोडा मिलाकर अपने होंठ पर लगाकर धीरे धीरे पीने लगती हैं. और देखते देखते तीन पेग कृष्णा के सामने पी जाती हैं. फिर वही सिगरेट निकालकर जलाती हैं और उसका धुवा भी अपने अंदर लेती हैं और एक तेज धुवा अपने भैया के चेहरे पर छोड़ती हैं.

कृष्णा- बस कर राधिका.................

राधिका एक टक कृष्णा को देखती हैं फिर धीरे से मुस्कुरा कर कृष्णा के एक दम करीब चली जाती हैं.

राधिका- भैया आज मैने आपके लिए आपकी फेवोवरिट डिश बनाई हैं......... चिकन. आपको बहुत पसंद हैं ना.

कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं क्यों कि हैरानी की बात तो थी ही राधिका कभी भी नोन-वेग नही खाती थी और ना ही घर पर बनाती थी. कृष्णा और उसके पिताजी को जब मन करता वो बाहर से खा कर आते थे.

कृष्णा को विश्वास नही होता और वो तुरंत किचन में चला जाता हैं और जब उसकी नज़र चिकन पर पड़ती हैं तो उसका माथा घूम जाता हैं. तभी पीछे से राधिका भी वहाँ आ जाती हैं.

राधिका- आज मैं अपने हाथों से अपने भैया को खाना खिलाउन्गि और आप मुझे अपने हाथों से खिलाना.

कृष्णा- लेकिन तू तो...........

राधिका- जानती हूँ कि मैं पूरे वैजेटियरन हूँ. क्या मैं अपने भैया के लिए इतना नहीं कर सकती.और राधिका कृष्णा के करीब आती हैं और उसके लब चूम लेती हैं.

राधिका- भैया मुझे प्यार करो ना. इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाऊ. मुझे कुछ भी याद ना रहे. बस आप मेरे में और मैं आपके में खो जाऊ. बस..................

कृष्णा फिर राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और फिर राधिका को अपने बेडरूम में ले जाता हैं और वही फूलों से सजे बिस्तेर पर राधिका को बड़े प्यार से सुला देता हैं.

कृष्णा- तू आख़िर ये सब क्यों कर रही हैं. मुझे बस इतना बता दे मैं तुझसे कोई भी सवाल नहीं पूछूँगा.

राधिका- बता दूँगी भैया मगर समय आने पर. अभी नहीं. इस वक़्त मुझे आपके प्यार की ज़रूरत हैं. आओ भैया आपकी राधिका आपका इंतेज़ार कर रही हैं. आओ मेरे पास और मुझे प्यार करो. अब मैं आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.
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04-05-2019, 12:32 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:45 PM by sexstories.)
#90
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
कृष्णा भी एक टक राधिका को बड़े प्यार से देखता हैं और राधिका के एक दम करीब जाकर उसका माथा चूम लेता हैं. फिर अपने होंठो को धीरे धीरे राधिका के गाल पर फिराते हुए उसके लिप्स पर रख देता हैं और बड़े हौले हौले उसे चूसने लगता हैं. राधिका की आँखें एक दम लाल हो जाती हैं फिर कृष्णा अपनी एक उंगली धीरे धीरे सरकाते हुए उसकी पीठ के पीछे ले जाता हैं और खुद भी राधिका के पीछे चला जाता हैं और उसकी नंगी पीठ पर अपने जलते होंठ रख देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.

फिर बहुत धीरे धीरे कृष्णा अपना जीभ निकाल कर राधिका की पीठ पर से उसकी गर्देन तक फिराने लगता हैं और राधिका की धड़कनें बढ़ने लगती हैं. वो भी अपने भैया को झट से अपनी बाहों में जाकड़ लेती हैं. फिर अपना एक हाथ पीछे लेजा कर वो राधिका के ब्लोज़ की डोरी को खोल देता हैं. राधिका की धड़कनें बहुत तेज़ हो जाती हैं.

राधिका- भैया आज राधिका अपने आप को पूरा समर्पण करती हैं.मुझे बस प्यार करो. इतना प्यार कि इस प्यार की कोई सीमा ना रहे.और तब तक करो जब तक आपकी प्यास ना भुज जाए. इतना बोलकर राधिका अपने लब कृष्णा के होंठो पर रख देती हैं................................

कृष्णा भी राधिका की गरम साँसों को महसूस कर रहा था.वो भी अपनी जीभ निकालकर राधिका के लिप्स पर फिराता हैं और थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपना जीभ बाहर निकालकर कृष्णा की जीभ को टच करती हैं. थोड़ी देर तक वो दोनो आपस में इसी तरह अपनी जीभ एक दूसरे का छुसाते हैं. कृष्णा फिर राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने सीने से चिपका लेता हैं.

कृष्णा फिर अपना एक हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए पहले उसके गालों पर फिराता हैं फिर अपना हाथ नीचे की ओर सरकाने लगता हैं. फिर गर्देन पर और कुछ देर में अपना हाथ को वो राधिका के राइट बूब्स पर लाकर पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

राधिका- आउच................................भैया भला कोई ऐसा मसलता हैं क्या इन्हें?

कृष्णा- क्या करूँ राधिका तेरा जिस्म एक कयामत हैं मुझे तो बिल्कुल सब्र नहीं होता . जी तो करता हैं कि............

राधिका- क्या??? आपका जी क्या करता हैं भैया.....

कृष्णा सवालियों नज़र से राधिका को देखने लगता हैं. उसे कभी भी आशा नहीं थी कि राधिका उससे ये सवाल पूछेगी.

कृष्णा- नहीं मैं तुझे नहीं बता सकता. आभी थोड़ी देर के बाद तुझे खुद ही पता चल जाएगा कि मैं क्या चाहता हूँ.

राधिका- करने में शरम नही आएगी और बताने में शरमा रहे हो.
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