RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
धर्मवीर ने कहा कि तुम्हारी नजरें कह रही है कि मेरे होठों को जी भर के चूसो।
उपासना बहुत ही धीरे से कह पायी- रोका किसने है बस इतना कह कर वह उसकी नजरों में देखने लगी।
फिर धर्मवीर ने अपने होठों को उसके होठों से लगा दिया जैसे ही दोनों के होठों का मिलन हुआ उपासना के अंदर सुरसुरी दौड़ गई ।
धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोल कर उसके दोनों होठों को मुंह में भर लिया ।
उपासना तो मानो पूरी गरमा गई । और उसके मुह से सिसकारी निकल गई sseeeeeesss.
फिर धर्मवीर ने इंतजार किया उसके होंठ थोड़े खुलने का और जैसे ही उपासना ने अपने होठों को थोड़ा सा खोला धर्मवीर ने उसके ऊपर वाले हॉट को मुंह में भर लिया और चूसने लगा अब धर्मवीर का नीचे वाला हॉट उपासना के मुंह में था ।
उपासना ने सोचा की शुरुआत तो ससुर जी ने कर ही दी है तो मुझे भी थोड़ा उनका साथ देना चाहिए । ऐसा सोचते हुए उसने अपने मुंह के अंदर से अपनी जीएफ को ससुर के नीचे वाले हॉट पर चलाने लगी ।धर्मवीर को यह बहुत ही मादक लगा ।
उसने बारी-बारी से उसके दोनों दोनों होठों को चूसना स्टार्ट कर दिया ।होठों की चुसाई के बाद जैसे ही धर्मवीर ने अपना चेहरा हटाया तो उपासना कहने लगी कि तुम्हारे होठों पर लिपस्टिक लग गई है ।
धर्मवीर ने देखा उपासना की लिपस्टिक उपासना होठों के चारों तरफ भी फैल गई है ।
फिर उसने उसके गालों को मुंह में भरकर चूसा और उपासना से कहा कि मेरी जान बिस्तर पर चलें ।
उपासना धीरे से खड़े होने लगी तो धर्मवीर ने उसकी बाजू को पकड़ लिया और बैठे-बैठे ही उपासना के चूतड़ों पर ग्रेट जोरदार थप्पड़ मारा ।
इसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी।
और उपासना के मुंह आउच की तेज आवाज निकल गई।
जैसे ही उपासना की गदरायी हुई गांड पर थप्पड़ पड़ा तो उपासना की गांड पूरी हिल गई ।
और धर्मवीर उपासना की गांड के हिलता देखकर कहने लगा आज मेरी जान के भारी भरकम चूतड़ों को अपने गालों से जी भर कर सहलाऊंगा।
उपासना यह सुनकर गर्म होती जा रही थी ।
धर्मवीर खड़ा हो गया उपासना जैसे ही हल्की सी आगे को चलने लगी एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर फिर पड़ा।
फिर से उसके मुंह से आउच की आवाज निकली ।
इस बार उपासना ने धीरे से कहा पापाजी आप मुझे पीटने आए हैं या प्यार करने ।
यह सुनकर हल्का सा मुस्कुराते हुए धर्मवीर बोला- तू कभी पिटते हुए नहीं चुदी है आज मेरी जान तुझे पीटते हुए चोदूंगा और इतनी गहराई तक चोदूंगा कि एक साथ दो दो बच्चे पैदा होंगे ।
यह सुनकर शर्मा गई उपासना और उपासना ने जैसे ही अपना घुटना बेड पर रखना चाहा धर्मवीर ने उसे रोक दिया और कहा कि यह कपड़े पहन कर बिस्तर पर जाओगी क्या।
उपासना कहने लगी बाबूजी लाइट्स ऑफ कर दीजिए।
धर्मवीर यह सुनकर गुस्सा करते हुए बोला की तुम मुझे ऊपर से ही प्यार जता रही हो दिल से तुम मुझे नहीं चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ यह सब करूं ।
उपासना यह सुनकर कहने लगी पापाजी ऐसा नहीं है यदि आप नहीं ऑफ करना चाहते हैं तो कोई बात नहीं।
मैं समझ रही हूं कि आप मुझे नंगी देखना चाहते हैं ।
लीजिये कर लीजिए अपनी दिल की पूरी।
उपासना ऐसा कहकर उसके सामने खड़ी हो गई दुपट्टे को पहले ही फेंक चुका था धर्मवीर उसके सर से निकालकर। अब उपासना टॉप और सलवार में फंसी हुई उसके आगे खड़ी थी ।
उपासना को अपनी तरफ घुमा कर धर्मवीर ने गले से लगाया और उसकी कमर पर अपने हाथ फेरने लगा ।
उपासना ने भी बड़े प्यार से अपने ससुर की छाती पर अपना चेहरा रखा और खड़ी हो गई उसकी बाहों में ।
धर्मवीर पीछे कमर से हाथ नीचे गांड पर ले गया और उसके चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाया ।
उपासना उसकी छाती से लगी हुई सिसकारी ले गई ।
फिर धर्मवीर ने उपासना की चूतड़ों पर दोनों हाथों से बारी-बारी 4, 5 थप्पड़ मारे और यह थप्पड़ इतनी तेज थी कि पटपट की आवाज पूरे कमरे में गूंज गई।
आउच आउच करती रही वह चुदक्कड़ घोड़ी ।
फिर धर्मवीर ने उसको घुमाया और उसकी गांड के पीछे खड़ा होकर उसकी छातियों पर अपने हाथ ले गया।
धर्मवीर ने जैसे ही उपासना की चुचियों को अपने हाथों में भरा तो वह हैरान रह गया क्योंकि उसकी चूचियां उसके हाथों में आ ही नहीं रही थी ।
धर्मवीर कहने लगा की उपासना बहू, मेरी संस्कारी बहु तुझे तो मेरे जैसे लंड की ही जरूरत है ।
उपासना के मुंह से आह निकल गई और धर्मवीर ने उसकी चुचियों को अपनी पूरी ताकत लगा कर भींचा । उपासना के मुंह से जोरदार चीख निकली।
फिर धर्मवीर ने उपासना के टॉप को आगे से पकड़ा और इतना जोरदार झटका मारा कि पूरा का पूरा टॉप फाड़ कर अलग कर दिया और उपासना की चूचियां आजाद होकर ऐसे खुल गई जैसे दो बड़े-बड़े पपीते हो ।
उन पपीतों को अपने हाथ से मसला धर्मवीर ने जी भरकर।
और फिर उसने उसको घुमा कर अपनी तरफ घुमाया तो वह देखता ही रह गया चूचियां तन कर खड़ी थी।
और उन चूचियों के निप्पल की चारों तरफ मेहंदी से बना हुआ वह सर्कल ।
धर्मवीर ने दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर लिया फिर उपासना की गर्दन पर चुंबन करते हुए अपने हाथ उपासना की भारी भरकम गांड पर ले गया और उसने उसकी सलवार में एक छेद करते हुए चर्र चर्र की आवाज से वह सलवार फाड़ दी जैसे ही सलवार फ़टी उसके चूतड़ बाहर निकलकर अपने पूरे फैलाव में आ गए ।
ऐसी चौड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए अपनी किस्मत पर नाज करने लगा धर्मवीर ।
और उन चूतड़ों पर जोरदार थप्पड़ों की बरसात कर दी ।
उपासना की सांसे चलने लगी लगी थी उधर धर्मवीर की सांसे भी तेज हो गई थी । और उसने उपासना की गांड के पीछे बैठकर उसकी सलवार को पूरी फाड़ दिया अब उपासना मादरजात नंगी खड़ी थी धर्मवीर के आगे।
उसने उपासना की के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा किया और उसमें अपना मुंह रखकर एक लंबी सांस खींची ।
यह बर्दाश्त ना कर सकी उपासना और उपासना ने ने अपने हाथ पीछे ले जाकर धर्मवीर के सर को अपनी गांड पर दबा लिया।
उसकी गांड की मादक महक लेते हुए धर्मवीर गांड को चूमने लगा ।
उसके चूतड़ों को अपने गालों से अपने होठों से सहलाने लगा ।
फिर धर्म भी खड़ा हुआ और अपनी शर्ट उतार उतार कर बेड पर लेट गया ।
उपासना खड़ी-खड़ी यह देखने लगी उसकी चौड़ी छाती नंगी आज उसने पहली बार देखी थी .
छाती पर हल्के हल्के काले बाल थे
धर्मवीर की बाजू पर कसरत करने की वजह से कट पड़े हुए थे ।
एक मजबूत सांड को बिस्तर पर इंतजार करते देख किसी घोड़े की तरह उपासना बेड पर चढ़ी ।
धर्मवीर कहने लगा कि तुम्हारा खजाना भी मेरी पैंट में है निकाल लो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई और बोली मुझे शर्म आती है।
आप ही उतार दो धर्मवीर कहने लगा अभी मेरे सर को पकड़ कर अपनी अपनी अपनी गांड में घुसाते हुए तुझे शर्म नहीं आई और अब तो शर्म आ रही है।
उपासना बोली पापा जी यह किस बदतमीजी से आप बात कर रहे हैं ।
धर्मवीर बोला कि अब नाटक बहुत हो गया है और तुम भी जानती हो कि तुम पूरी रात लंड खाने के लिए इस बिस्तर पर आई हो । तो फिर क्यों शर्म कर रही हो थोड़ी सी बेशर्म बनना , जिससे तुम्हें भी मजा आए, तुम भी इंजॉय कर सको खुलकर ।
ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी अगर मैंने शर्म छोड़ दी तो आप बर्दाश्त नहीं कर पाओगे पापा जी ।
यह सुनकर धर्मवीर बोला कि दिखा तो अपना बेशर्म पना ।
मैं भी तो देखूं कि मैंने अपने घर में किस तरह की रंडी रखी हुई है ।
यह कहकर धर्मवीर लेट गया
उपासना यह सुनकर धर्मवीर के पास आई उसकी पेंट को खोलने लगी ।
जैसे ही उसने उसके पेंट को नीचे किया उपासना डर गई और डरकर बैड से दूर जाकर खड़ी हो गई भागती हुई ।
धर्मवीर बोला क्या हुआ ।
उपासना बोले नहीं ऐसा नहीं हो सकता पापा जी ऐसा तो किसी का भी नहीं हो सकता ।
इतना बड़ा और इतना मोटा । मैंने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली है ।
धर्मवीर कहने लगा कि मुझ पर विश्वास रखो मैं बहुत प्यार से करूंगा और धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ आने को कहा।
उपासना धीरे-धीरे हिम्मत जुटाते हुए धर्मवीर के करीब आने लगी और आकर बैठ गयी।
धर्मवीर ने उपासना से कहा अपना लंड पकड़ाते हुए कि क्या हुआ पसंद नहीं आया क्या तुमको ।
उपासना डरते हुए कहने लगी कि आपका यह बहुत बड़ा है।
मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकती फिर धर्मवीर ने उसका हाथ पकड़कर लंड पर रखा ,जैसे ही इतने मोटे लंड को हाथ में भरा उपासना की चूत में बिजली की तरह चीटियां चलने लगीं ।
धर्मवीर ने उपासना को बेड पर खड़े होने को बोला उपासना जैसे ही बेड पर सामने से खड़ी हुई धर्मवीर यह नजारा देखकर अपनी किस्मत पर फक्र करने लगा ।
उसकी चूत पर लटकता हुआ छल्ला उसकी चूत पर चार चांद लगा रहा था ।
भरी हुई जांघों के बीच चूत ऐसी लग रही थी जैसे ये मोटी जांघे उसकी चूत की रक्षा करती हो ।
उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच रसीली चूत इस तरह शोभा दे रही थी जैसे कि गुलदस्ते में कोई फूल ।
उसकी गांड पर हाथ ले जाकर धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ दबाया अपना चेहरा उसकी चूत के करीब ले गया।
उपासना को उसकी सांसे अपनी चूत पर महसूस हुई तो उसकी चूत और गर्म हो गई ।
धर्मवीर ने उसकी सजी हुई चूत को गौर से देखा ।चूत के दाने पर लटकी हुई वह बाली चूत को और भी ज्यादा शानदार बना रही थी।
उसने अपनी नाक की चूत पर लगाई और एक तेज सांस खींची उपासना के मुंह से सिसकारी निकल गई aaaaahhhhh ।
और धर्मवीर तो मानो दूसरी दुनिया में चला गया हो ।
उसकी चूत से उसके मूत की भीनी भीनी खुशबू उसे पागल कर गई ।
धर्मवीर ने अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत पर जैसे ही लगाई उपासना की जान ही निकल गई ।
फिर धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोला पूरी चूत को मुंह में भर कर अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा ।
इसे बर्दाश्त नहीं कर पायी उपासना और एक ग़दरायी हुए जिस्म की रंडी की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी ।
जैसे ही वह बिस्तर पर गिरी धर्मवीर ने उसकी चेहरे के पास आकर उसके गालों को चूमा उसके होठों को चूसने लगा।
और हाथ उसकी चूत पर ले जाकर उसकी चूत की दरार के बीच में उंगली से सहलाने लगा ।
यह उपासना के लिए हाल बेहाल वाली हालत थी ।
उसने अपनी दोनों जांघों को आपस में भींच लिया अब धर्मवीर के लिए हाथ को चलाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।
लेकिन उसने मशक्कत करके अपनी एक ऊंगली उपासना की उपासना की चूत के छेद पर रख कर अंदर की तरफ दबाई ।
जैसे ही आधी उंगली चूत में गई उपासना एक साथ सिसक उठी आआआआआआईईईईईईई ।
धर्मवीर को उसकी चूत में बहुत ही गीला गीला पानी महसूस हुआ , पानी छोड़ता देख धर्मवीर उपासना से बोला चुदने के लिए तैयार हो रही है तुम्हारी ये चूत ।
उपासना भी अब शर्म छोड़ देना चाहती थी।
उपासना बोली आज आपकी ये रांड आपके बिस्तर पर आपसे चुदने के लिए फैली पड़ी है ।
अपनी इन मजबूत बाजू में जकड़ कर इस रांड की चूत को चोदिये पापा जी ।आपकी संस्कारी बहु की चूत आपके सामने है।
जब धर्मवीर ने ऐसा सुना तो उसके लंड में इतना कड़कपन आगया कि उसने अपनी पूरी उंगली उपासना की चूत में उतार दी ।
उपासना इसके लिए तैयार नहीं थी और उपासना उंगली चूत में घुसते ही ऊपर की तरफ सरकने लगी ।
धर्मवीर बोला कि मेरी जान अभी तो उंगली ही गई है लोड़ा भी ऐसी चूत में उतरेगा आज ।
|