RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
Update 26
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दोस्तों अब कहानी को ले चलते हैं राकेश की ओर।
राकेश जो कि अभी जापान में था । वह दिन-रात यही सोचने लगा कि शालिनी ने उसे मारने की कोशिश क्यों की। वह अपनी बहन को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था ।
फिर उसी की बहन ने उसे क्यों मारना चाहा तभी राकेश के दिमाग में एक विचार आया कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि मैंने शालिनी को चोदने की कोशिश की और इसी वजह से गुस्से में आकर उसने मारा हो , लेकिन अगले ही पल यह भ्रम उसका दूर हो गया जब उसे याद आया कि किस तरह शालिनी अपनी गांड मटका मटका कर चोदने का आमंत्रण दे रही थी।
शालिनी तो लोड़े के आगे फैल गई गई थी लेकिन फिर चुदी क्यों नहीं ,चुदने के बदले उसने मुझे मार क्यों दिया । कुछ ऐसे ही विचारों में गुमसुम रहता था।
राकेश उसे पता लगाना था कि यह सब चल क्या रहा है आखिर यह सब हो क्या रहा है।
तभी उसे दिमाग में एक आईडिया आया आया और उसने अपने सबसे वफादार दोस्त को फोन किया ।
यह दोस्त राकेश की कंपनी में ही काम करता था लेकिन दोनों का व्यवहार और स्वभाव एक तरह से दोस्ताना ही था ।
इसका नाम दीपक था ।
दोस्तों दीपक के बारे में थोड़ा सा आपको बता दूं कि दीपक एक 6 फुट लंबा और तंदुरुस्त शरीर का मालिक था। तगड़ा और तंदुरुस्त शरीर होने के साथ-साथ इसका दिमाग किसी चालाक लोमड़ी से कम नहीं था ।
अगर दिमाग के बारे में बात करूं तो दीपक का दिमाग रावण की टक्कर का था । इसमें हंसने वाली बात नहीं है दोस्तों बहुत ही दिमाग और शातिर इंसान था दीपक।
जो कि राकेश का पक्का दोस्त था।
कुछ देर रिंग बचने के बाद दीपक ने फोन उठाया ।
राकेश की आवाज आई - कैसा है दीपक ?
दीपक- कौन अबे भूल गया क्या अपने बाप को। तेरा भाई राकेश बोल रहा हूं मैं । जिसे मैंने अपना भाई समझा वह दोस्त आज मुझे भूल गया ।
दीपक ने जैसे ही यह सुना उसका मुंह खुला का खुला रह गया हकलाते हुए उसके मुंह से इतना ही निकल सका- कक-क कौन दीपक।तुम जी-जिंदा हो। अभी कहां हो तुम और क्या कर रहे हो ।
राकेश - इतना जोर से बोलने की जरूरत नहीं है बस मेरी बात ध्यान से सुनो। मेरे साथ धोखा हुआ है और यह बात मैं तुम्हें अभी फोन पर नहीं बता सकता । किसी को कानों कान खबर नहीं होना चाहिए कि मैंने तुम्हें फोन किया है या मैं जिंदा हूं बस । मेरा काम है जो तुम्हें करना है मेरे लिए एक फ्लैट खरीदो जो मेरे घर से 10 किलोमीटर के दायरे में ही हो, एक गाड़ी खरीदो । मैं 1 हफ्ते में इंडिया आ जाऊंगा तब तक यह सारा काम करके रखना और दोस्त बहुत विश्वास के साथ मैंने तुम्हें फोन किया है । मेरे और तुम्हारे अलावा किसी तीसरे को यह बातें कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए कि मैं जिंदा हूं । बाकी सारी कहानी में आकर बताऊंगा। अभी वक्त नहीं है चलो ठीक है रखता हूं फोन । बाय मेरी जान ।
ऐसा कहकर राकेश ने फोन रख दिया दूसरी तरफ दीपक अभी भी अपना फोन कान पर लगाए हुए बैठा था उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि यह कोई सपना है या सच में उसे राकेश का फोन आया है । कुछ देर सोचने के बाद जब उसे विश्वास नहीं हुआ तो उसने अपने फोन में जल्दी से कॉल रिकॉर्डिंग वाला फोल्डर खोला और दोबारा से उसी कॉल को सुनने लगा तब जाकर फिर विश्वास हुआ कि सच में राकेष उसे कॉल किया है।
झनझना गया था दीपक का दिमाग सोचने लगा कि यह क्या है कि राकेश ने मुझे कुछ बताया भी नहीं । क्या राकेश को किसी ने मारने की कोशिश की थी । क्या राकेश की हत्या के पीछे जापान मैं किसी का हाथ था। यह सोच ही रहा था लेकिन तभी उससे हिम्मत मिली कि राकेश ने कहा है आकर सब कुछ बताएगा और जो काम राकेश ने दिया है उसे पूरा कर ले
दीपक तुरंत ऑफिस से निकला और चल दिया राकेश का काम करने ।
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अब चलते हैं दोस्तों उपासना , धर्मवीर ,सोमनाथ और पूजा की तरफ ।
जैसा कि आप जानते हैं सोमनाथ और उपासना एक दूसरे के सामने अपने लंड और चूत को खुल चुके थे।
लेकिन दूसरी तरफ पूजा को धर्मवीर के कमरे में दूध लेकर जाना था। दूध लेकर क्या जाना था दोस्तों अपनी आग को ठंडी करवाने जाना था । अपनी गर्मी निकलवाने जाना था ।
पूजा ने जाते हुए सोचा की पेटिकोट और ब्लाउज में मैं कैसे अकेली अपनी बहन के ससुर के सामने जाऊंगी ।
हां दोस्तों यह सोचना भी सही था पूजा का क्योंकि पूजा उपासना के मुकाबले ज्यादा शर्मीली थी । उपासना को देखकर वह थोड़ी बेशर्म हो जाती थी लेकिन अकेले में उसके लिए यह मुमकिन नहीं था कि वह अपने चूतड़ों पर अपना पेटिकोट कसकर अपनी बहन के ससुर के सामने जाए ।
इसलिए उसने सूट सलवार पहनने का निर्णय लिया उसने कसी हुई ब्रा पेंटी पहनी , उसके ऊपर समीज पहनी और फिर उसने सूट सलवार पहने ।
सलवार को अगर तंग पजामी कहूं तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि यह चूड़ीदार पजामी थी जोकि उसकी जांघों से चिपकी हुई थी और उसकी गांड उस तंग पजामी ने इस तरह बाहर को निकली हुई थी जब वह चलती तो उसके चूतड़ों पर से सूट जो उसने पहना हुआ था वह हवा में लहरा जाता और उसकी मोटी मोटी जांघे चलते हुए साफ देखी जा सकती थी ।
पूजा का बदन बिल्कुल ऐसा था कि ना तो वह ज्यादा लंबी लगती थी और ना ही ज्यादा छोटी लगती थी मतलब मीडियम साइज की हाइट थी उसकी ऊपर से भरा हुआ बदन मतलब चलते हुए बिल्कुल चुदाई की मूरत लगती थी ।
ऐसा लगता था इस जैसी लौंडिया को तो सड़क पर पटक कर भी चोदो तो भी चुदाई में पीछे नहीं हटेगी।
दूसरी तरफ धर्मवीर अपने कमरे में बैठा हुआ पूजा का इंतजार कर रहा था
।
पूजा के मन में डर , शर्म और लाज के भाव थे ।
वह जाते हुए डर रही थी । वह धर्मवीर के कमरे में जाते हुए सोच रही थी की चूत की गर्मी भी क्या चीज होती है आज मैं खुद ही चुदने जा रही हूं वह भी अपनी बहन के ससुर से , आज अपनी चूत खुलवाने जा रही हूं पता नहीं आज मेरी क्या हालत होगी । मेरी इस हिलती हुई और मटकती हुई गांड में लंड जाएगा लेकिन कैसे । कैसे मैं अपनी बहन के ससुर के सामने अपनी चूत खोल कर लेटूंगी मैं तो शर्म से मर ही जाऊंगी ।
कैसे में नंगी होकर अपनी बहन के ससुर के लोड़े का स्वागत करूंगी हाय मैं तो मर ही जाऊंगी शर्म से ।
इन्हीं बातों को सोचते हुए और गर्म होते हुए पूजा धर्मवीर के कमरे में पहुंची।
धर्मवीर ने जैसे ही पूजा को गेट पर देखा तो सूट और सलवार पहने हुए देखकर धर्मवीर का माथा ठनक गया ।
सोचने लगा कि अभी तो दोनों घोड़ियां पेटीकोट और चोली में अपनी जवानी को दिखा रही थी, और अब यह बहन की लोड़ी सती सावित्री बन कर मेरे पास आई है। जबकि यह भी जानती है कि धर्मवीर के पास जाना मतलब लोड़ा खाना है ।
पूजा ने गले में दुपट्टा लिया हुआ था जो उसकी चूचे नहीं देख पा रहे थे, लेकिन चूतड़ों पर कोई दुपट्टा नहीं था गांड तो बिल्कुल बाहर ही दिख रही थी।
लंड मांगती हुई गांड को आखिर कैसे छुपा पाती पूजा ।
धीरे धीरे चलते हुए वह धर्मवीर के पास आकर बोली।
पूजा- लीजिए दूध पी लीजिए ।
धर्मवीर ने उसके हाथ से से दूध ले लिया और एक ही सांस में सारा दूध खत्म कर दिया और दूध पीने के बाद धर्मवीर ने गिलास वापस पूजा को दे दिया।
अब तो पूजा के लिए बहुत परेशानी वाली बात हो गई क्योंकि जो दूध लेकर वह धर्मवीर के पास आई थी उसे तो पी चुका था धर्मवीर ।
अब उसके पास रुकने का कोई बहाना नहीं था ।
अब वह कैसे कहती कि मुझे तुम्हारे साथ ही सोना है आज ।
एक तो शर्मीली थी पूजा ऊपर से उसे कोई बहाना भी नजर नहीं आ रहा था कि वह धर्मवीर के पास रुके क्योंकि धर्मवीर गिलास खाली करके उसके हाथ में पकड़ा चुका था ।
अब तो पूजा को वापस उपासना के पास ही जाना था यही सोच कर पूजा की शक्ल पर परेशानियों के भाव उभर आए , जिन्हें धर्मवीर ने पढ़ लिया ।
धर्मवीर के बारे में जैसा आप जानते हैं दोस्तों एक मंझा हुआ खिलाड़ी था धर्मवीर वह सोमनाथ की तरह चोदने के लिए तड़पता नहीं था वह तो चुदने के लिए तड़पाता था और इसी तरह खड़ी हुई चुदने के लिए तड़पती हुई पूजा को देख रहा था धर्मवीर।
अब जब पूजा को लगा कि अब तो कोई बहाना ही नहीं बचा है कि मैं यहां रुकूं और यह मैं कह नहीं सकती कि आप मुझे चोदो , नंगी करो , लंड दो मुझे तो मैं क्या करूं ।
फिर पूजा वापस जाने के लिए गेट की तरफ मुड़ी लेकिन मुड़कर वह धर्मवीर की तरफ अपनी गांड करके और अपने हाथ से गिलास फर्श पर छोड़ दिया। लेकिन गिलास को इस तरह से छोड़ा गया की धर्मवीर को लगे कि पूजा के हाथ से गिलास छूट गया है ।
जबकि पूजा ने गिलास को जान पूछ कर फर्श पर गिराया था।
अब गिरे हुए गिलास को फर्श पर से उठाने के लिए झुकना था पूजा को और झुकने के लिए ही उसने गिलास को गिराया था ।
एक बार उसने अपनी गर्दन पीछे की तरफ मोड़ कर कर धर्मवीर को देखा जोकि उसे ही देख रहा था ।
पूजा ने अपनी प्यासी नजरों से धर्मवीर को देखते हुए हल्की सी मुस्कुराहट दी और फिर गर्दन आगे करके गिलास उठाने लगी ।
झुक कर अपने पूरे पिछवाड़े को बाहर निकाल कर गिलास उठाने लगी पूजा।
पूजा की उफान मारती इस गांड को देखकर धर्मवीर का लोड़ा टाइट हो गया, लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल किए हुआ था ।
पूजा ने गिलास हाथ में पकड़ा लेकिन उठी नहीं झुकी ही रही कुछ पलों तक और झुके झुके ही अपनी गांड को थोड़ा सा हिला दिया और फिर सीधी खड़ी हो गई ।
पूजा समझ गई थी कि उसके चौड़े चौड़े चूतड़ों ने क्या कहर बरपाया होगा धर्मवीर के लंड पर और कुछ पल ठहर कर गेट की तरफ बढ़ने लगी पूजा।
लेकिन तभी उसके कानों में आवाज गूंजी ।
धर्मवीर - पूजा नीचे जाकर क्या करोगी ।
पूजा मानो इसी का इंतजार कर रही थी कि धर्मवीर उसे रोके । कोई एक बात धर्मवीर के मुंह से निकले और पूजा रुक जाए धर्मवीर के कमरे में ।
यही तो चाह रही थी पूजा और ऐसा सुनते ही पूजा में कहा ।
पूजा - नीचे पापा जी और दीदी टीवी देख रहे हैं वहीं पर जाकर बैठूंगी। वैसे टीवी देखना तो मुझे पसंद नहीं है लेकिन क्या करूं बैठना तो पड़ेगा ही उनके पास ।
अभी तक पूजा धर्मवीर की तरफ नहीं मुड़ी थी अपनी गांड धर्मवीर की तरफ करके गेट की तरह अपना मुंह करके ही जवाब दे रही थी पूजा ।
धर्मवीर- जब तुम्हें टीवी देखना पसंद नहीं है तो फिर क्यों जा रही हो वैसे भी मेरा टीवी नहीं चल रहा है । मैं भी अकेला बोर हो रहा हूं चलो दोनों कुछ देर छत पर टहल कर आते हैं ।
ऐसा सुनकर पूजा मुस्कुराते हुए धर्मवीर की तरफ आने लगी ।
धर्मवीर समझ गया कि उसने उसका उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है
पूजा ने गिलास को बेड के सिरहाने पर रखा और खड़ी हो गई धर्मवीर के सामने ।
अब बारी थी धर्मवीर की कि वह कुछ करे।
धर्मवीर भी खड़ा हुआ और बोला चलो ऊपर चलते हैं और दोनों घर की छत पर पहुंच गए ।
ठंडी ठंडी हवा चल हवा चल रही थी बड़ा ही रोमांचित मौसम था ।
बादल गरज रहे थे और बारिश शुरू ही होने वाली थी । बारिश की कोई कोई बूंद गिर भी रही थी जमीन रही थी जमीन भी रही थी जमीन भी रही थी जमीन । बादल ज्यादा घने थे जिन्हें देखकर लग रहा था कि आज रात मूसलाधार बारिश होने वाली है ।और धीरे-धीरे टपकती हुई कोई कोई बूंद दोनों के जिस्म पर गिर रही थी। लेकिन बारिश शुरू नहीं हुई थी जिससे वह दोनों भीग जाए कोई-कोई बूंद ही गिर रही थी।
दोनों छत पर टहलने लगे लेकिन एक दूसरे से कोई बातचीत नहीं हो रही थी।
धर्मवीर जब छत पर टहल रहा था तो पूजा जानपूछकर उसके सामने चलती और अपनी गांड को इस तरह से मटकाती कि मानो धर्मवीर के लंड पर चाकू चल रहे हो ।
इस तरह चल रही थी पूजा जैसे फैशन शो में कैटवॉक कर रही हो ।
अपने चूतड़ों की थिरकन में मादकता लाते हुए बड़ी ही मस्तानी चाल से उसके सामने चूतड़ों को मटका मटका कर चल रही थी पूजा ।
धर्मवीर समझ तो सब रहा था यह सब लंड की भूख है लेकिन पहल कैसे करें यही सोच रहा था ।
उधर पूजा कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी ।
उस चांदनी रात में किसी चूत की देवी या चूत की रानी की तरह मादकता बिखेरते हुए अपने भरे हुए और गदरआए हुए बदन को हिलाते हुए हिचकोले खाते हुए धर्मवीर की आंखों के सामने एक तरह से वासना से भरा नृत्य कर रही थी पूजा।
दोस्तों छत पर दोनों इस तरह से टहल रहे थे की पूजा आगे आगे चलती और धर्मवीर उसके पीछे पीछे पीछे चलती और धर्मवीर उसके पीछे पीछे पीछे उसके पीछे पीछे ।
वह दूसरी तरफ मुड़ती धर्मवीर भी उसकी गांड को निहारते हुए पूजा के पीछे पीछे मुड़ जाता।
मतलब देखकर कहा जा सकता था जैसे किसी चुदासी कुत्तिया के पीछे उसे भभोड़ने लिए कोई कुत्ता घूम रहा हो ।
तभी पूजा के पीछे चलते हुए धर्मवीर ने गाना गुनगुनाना शुरू किया धर्मवीर यह गाना कुछ तेज आवाज में जा रहा था जा रहा था जिसे पूजा साफ-साफ सुन सकती थी ।
धर्मवीर गाना गाने लगा -
एक भीगी हसीना क्या कहना,
यौवन का नगीना क्या कहना ।
सावन का महीना क्या कहना ,
बारिश में पसीना क्या कहना।।
इतना गाना गाकर धर्मवीर चुप हो गया दूसरी तरफ पूजा ने इस गाने को एक इशारा समझा और उसने देर ना करते हुए करते हुए यह गाना आगे शुरू किया ।
पूजा भी इतनी तेजी से गा रही थी कि धर्मवीर साफ सुन सके ।
बहुत ही तेज आवाज में गाना गाने लगी पूजा --
मेरे होठों पे यह अंगूर का जो पानी है,
मेरे महबूब तेरे प्यास की कहानी है ।
जब घटाओं से बूंद जोर से बरसती से,
तुझसे मिलने को तेरी जानेमन तरसती है ।
इतना गाना गाकर पूजा भी चुप हो गई ।
फिर कोई एक दो मिनट पूजा धर्मवीर के आगे आगे आगे आगे आगे चलती रही और धर्मवीर उसकी गांड को देख कर मजा लेता रहा रहा मजा लेता रहा रहा ।
जब कुछ देर तक दोनों के बीच फिर कोई बातचीत नहीं हुई तो धर्मवीर ने फिर से गाना स्टार्ट किया ।
इस बार धर्मवीर की आवाज पहले से भी ज्यादा तेज थी ।
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