RE: Antarvasnasex ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-14
गतांक से आगे..............................
मैडम ने मुझे अपनी टांगों के बीच लिया और बड़े अधिकार से अपनी बुर मेरे मुंह से लगी दी. "तू भी स्वाद ले ले अनिल. तेरी दीदी को तो खूब चखाया मैंने अपना शहद पर आज उसकी भूख ही नहीं मिट रही है, जानता है क्यों?
मैडम की बुर में जीभ डालकर अंदर बाहर करते मैंने आंखों आंखों में पूछा कि क्यों मैडम! वे बोलीं "जब उसने सर के मूसल को तेरी जरा सी गांड में घुसते देखा तो पागल सी हो गयी. पहले कह रही थी कि मैडम, अनिल मर जायेगा. मैंने उसे समझाया कि अरे अनिल को मजा आयेगा देख. जब बाद में सर ने तेरी तरह तरह से मारी और तू भी मजे से मरवाता रहा तो वो चुप हो गयी. वैसे बता अनिल, दर्द हुआ था न बहुत?"
"हां मैडम, लग रहा था कि आज जरूर फ़ट जायेगी, अस्पताल ले जाना पड़ेगा. पर मैडम, बहुत मजा आया मैडम, क्या लंड है सर का, अंदर घुसता था तो इतनी गुदगुदी करता था कि जैसे .... कि जैसे ..."
"जैसे हमारी औरतों की चूत में होती है लंड लेकर. वैसे सर तेरी गांड के आशिक हो गये हैं. इतना खुश मैंने उन्हें नहीं देखा कभी" कहकर कस के उन्होंने मेरे मुंह पर अपनी चूत लगायी और पानी छोड़ दिया.
पानी पी कर मैं बोला "मैडम .... अब मैं आप को चोदूं?"
मैडम मेरे लंड को पकड़कर बोलीं "अरे ये फ़िर सिर उठाने लगा? सच में जवाब नहीं तुम दोनों भाई बहन का, क्या रसीले बच्चे हो तुम लोग! पर नहीं अनिल, आज नहीं, अभी सर का तेरे साथ का लेसन खतम नहीं हुआ है. मैं तो बस लीना की तकलीफ़ दूर करने आयी थी. देखो सर क्या हचक हचक कर चोद रहे हैं तेरी बहन को. वो ठंडी होने को है देख"
सर कस के दीदी को चोद रहे थे, अंदर तक लंड पेल रहे थे. दीदी अपने हाथों से उनके पीठ को नोंच रही थी. फ़िर दीदी चीखी और लस्त हो गयी. पर सर ने उसे नहीं छोड़ा. मेरी ओर मुड़कर बोले "अनिल, यहां ध्यान दो, ये आसन ध्यान से देखो" उन्होंने दीदी के पैर मोड़कर उसकी टांगें दीदी के सिर के इर्द गिर्द कर दीं और फ़िर उसे चोदने लगे.
"देखा? ऐसे मोड़ कर मस्त चोदा जा सकता है, फ़िर छेद कोई भी हो, समझे ना? चाहे चूत में डाल दो या गांड में, आसन यही रहता है. और आगे से मस्त चुम्मे ले लेकर प्यार करते हुए गांड भी चोद सकते हैं."
मैं बोला "हां सर"
दीदी कसमसा रही थी "बस सर ... हो गया .... अब नहीं ... प्लीज़ .... छोड़िये ना .... मत कीजिये सर ...... प्लीज़ ...... मैं झड गयी सर.... बस...." पर सर चोदते रहे. "अरे लीना रानी, ऐसे हथियार नहीं डालते. अब चुदा रही हो तो पूरा चुदाओ" दीदी हल्के हल्के चीखने लगी तो सर ने उसका मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया.
पांच मिनिट में दीदी निश्चल होकर लुढ़क गयी. सर ने लंड बाहर निकाला "लो, ये तो गयी काम से. वैसे बड़ी प्यारी बच्ची है, काफ़ी रसिक है, इसकी चूत क्या गीली थी आज, मैडम ये आपकी स्टूडेंट आपसे भी आगे जायेगी " लंड जब दीदी की चूत से निकला, तो दीदी के पानी से गीला था.
"हां बहुत प्यारी बच्ची है, वैसे तुम्हारा स्टूडेंट भी कम नहीं है. लीना को ले जाऊं या यहीं रहने दूं? और चोदेंगे क्या इसे बाद में? " मैडम उठते हुए बोलीं.
"मैडम, अब कहां ले जायेंगी इसे? आप को उठा कर ले जाना पड़ेगा. इसे यहीं सोने दो बाजू में, आप इसका भोग लगाओ और मुझे अनिल का लेसन पूरा करने दो. आओ अनिल, यहां लेटो बेटे" सर मुझे पास खींचते हुए बोले.
मैं दीदी के बाजू में पेट के बल लेटने लगा तो सर बोले "अरे वो आसन तो हो गया, अब सामने वाला, बिलकुल जैसे तेरी दीदी को चोदा ना, वैसे. इसलिये तो तुझे देखने को कहा था मूरख, भूल गया? सीधा लेटो. तू भूल जायेगा कि तेरी गांड मार रहा हूं, तुझे भी यही लगेगा कि तेरी चूत चोद रहा हूं. ये अपने पैर मोड़ो बेटे, और ऊपर ... उठा लो ऊपर ... और ऊपर .... अपने सिर तक .... हां अब ठीक है"
मैंने टांगें उठाईं. सर ने उन्हें मोड कर मेरे टखने मेरे कानों के इर्द गिर्द जमा दिये. कमर दुख रही थी. "अब इन्हें पकड़ो और मुझे अपना काम करने दो" कहकर सर मेरे सामने बैठ गये और लंड मेरी पूरी खुली गांड पर रखकर पेलने लगे. पक्क से लंड आधा अंदर गया. मैंने सिर्फ़ जरा सा सी सी किया, और कुछ नहीं बोला.
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