Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:12 PM,
#11
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--11
गतांक से आगे ...........
सोनल: हाय पिंकु।
पिंकु: हाय सोनी, कहां है तू। (ये आवाज किसी लडकी की थी।)
सोनल: घर पर ही हूं।
पिंकु: घर पर तो मैं हूं, तू तो यहां पर कहीं नहीं है।
सोनल: अरे वो उपर आ गई थी थोड़ा टहलने के लिए।
पिंकु: ठीक है, मैं भी उपर आ रही हूं।
सोनल: अरे नहीं, मैं नीचे ही आ रही हूं।
पिंकु: ठीक है, जल्दी आ जा।
और सोनल ने फोन कट कर दिया।
फोन पर हुई बात सुनकर मेैं बैड पर लेट गया था। सोनल ने जल्दी से अपनी टी-शर्ट उठाई और पहन ली और बैड पर से नीचे उतर गई।
उसने मेरे माथे पर एक किस की।
सोनल: रात को आउंगी, तैयार रहना सील तुडवाने के लिए।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और सोनल नीचे चली गई।
मैं रिलीव होने के कारण थक गया था और मेरी आंखें भााी हो गई थी।
मुझे नींद आ रही थी। मैं ऐसे ही बैड पर लेटा रहा और पता ही नहीं चला कब मुझे नींद आ गई।
जब मेरी आंख खुली तो सोनल मेरे सामने खड़ी हुई मुझे झकझोर रही थी।

मैंने एक बार अपनी आंखें खोलकर वापिस से बंद कर ली, क्योंकि मुझे नींद आ रही थी। मुझे उठता न देखकर सोनल मेरे पास ही बैड पर बैठ गई और मेरे गालों पर अपने हाथ रखकर सहलाने लगी। मेरी नींद तो खुल ही गई थी, पर मैं थोड़ी देर और लेटा रहना चाहता था, क्योंकि बहुत थकावट महसूस हो रही थी।
सोनल: उठो ना! अभी से सो गये। ऐसे ही नंगे पड़े हो। अगर मम्मी उपर आ जाती तो। खाना भी नहीं खाया। चलो अब उठो मैं खाना लेकर आई हूं, खाना खा लो।
खाना का नाम सुनते ही मेरी नींद गायब हो गई क्योंकि मुझे बहुत जोरो से भूख लगी हुई थी।
मैं अपनी आंखों को मलते हुए उठकर बैठ गया। मेरे उठते ही सोनल ने अपना एक हाथ मेरे उपर से दूसरी तरफ बैड पर रख दिया और मेरे सामने अपना चेहरा लाकर मेरी आंखों में देखने लगी। उसे बाल खुले हुए थे जो मेरी जांघों पर गुदगुदी कर रहे थे।
जब मेरी नींद थोड़ी खुल गई तो कुछ देर पहले वहां घटित हुए घटनाएं मेरे जेहन में पिक्चर की तरह चलने लगी और मैं सोनल की तरफ देखकर मुस्करा दिया।
मैंने टाइम देखा तो 10 बजने वाले थे। मैंने सोनल का चेहरा अपने हाथों मे पकड़ा और उसके होठों पर प्यारी सी पप्पी दे दी।
सोनल मुस्कराई और बोली।
सोनल: उठो पहले खाना खा लो, और कुछ बाद में करना। मैं खाना लगाती हूं, तब तक फ्रेश हो जाओ। ऐसे ही पढे सो रहे हो।
मैं उठा और तौलिया लपेट कर बाथरूम में घुस गया। थोड़ी देर में मैं फ्रेश होकर बाहर निकला तो देखा कि सोनल ने खाना टेबल पर खाना लगा दिया था और मेरा ही इंतजार कर रही थी।
मैंने रूम में आकर टी-शर्ट और शॉर्ट पहन ली।
सोनल: अब जल्दी से आ जाओ, नही ंतो ठंडा हो जायेगा।
मैं आकर चेयर पर बैठ गया और सोनल से पूछा।
मैं: तुमने खा लिया।
सोनल: हां, आपने लगाकर दिया था जो खा लिया होगा।
मैं: तो अभी तक क्यों नहीं खाया। मैं तो सो गया था, कम से कम तुम तो खा लेती।
सोनल: चलो अब शुरू करो, मुझे बहुत भूख लगी है।
मैं: तो तुमने अपना तो लगाया ही नहीं, खाओगी क्या मुझे।
सोनल: ये लगा तो रखा है, आपके साथ ही खाउंगी, एक ही थाली में।
मैं (थाली को उससे थोड़ा दूर करते हुए): मैं नहीं खाउं तेरे साथ, अभी कुछ देर पहले तो मेरा सारा जूस पीया था।
सोनल (गुस्सा होते हुए): तो, पिया था तो। ज्यादा स्याना बनने की जरूरत नहीं है, चुपचाप थोड़ी को इधर करो।
सोनल: ज्यादा बन रहे हो। अभी मेरा जूस पीना है, ज्यादा नखरे दिखा रहे हो।
मैं: मैं तो कभी नहीं पीउं। मैं तो अपना मुंह ही वहां पर ना लगाउं।
सोनल: ज्यादा बकबक मत करो। थाली इधर करो। वो तो मैं अपने आप पीला दूंगी।
मुझे थाली को अपनी तरफ न करता देख सोनल चेयर पर से उठी और अपनी चेयर को मेरे साथ ही कर लिया और थाली में से खाना लेकर खाने लगी।
मैं आराम से बैठ गया। मुझे खाना न खाते देखकर उसने एक रोटी का टुकड़ा तोड़ा और सब्जी लगाकर मेरे मुंह के सामने कर दिया।
सोनल: मुंह खोलो। ज्यादा नखरे मत दिखाओ। नही ंतो मुझे गुस्सा आ जायेगा, बताए देती हूं हां।
और रोटी के कोर को मेरे होंठों से लगा दिया।
मुझे भी जोरो की भूख लगी हुई थी, इसलिए ज्यादा नखरा न करते हुए मैंने अपना मुंह खोला और जैसे ही सोनल ने रोटी मेरे मुंह में दी मैंने उसकी उंगली पर काट लिया।
सोनल (नाराज होते हुए): आउच! बच्चे हो क्या। उंगली काट ली। अब अपने आप खाओ।
मैं (हंसते हुए): सॉरी बाबा! (और मैंने एक रोटी का कोर तोड़ा और सब्जी लगाकर सोनल के मुंह के सामने कर दिया)।
सोनल ने तुरंत अपना मुंह खोला और मैंने जैसे ही रोटी का कोर उसके मुंह में दिया उसने मेरी उंगलियों को अपने होठों में दबा लिया।
मैंने अपनी उंगली उसके मुंह से बाहर निकाली।
फिर से सोनल ने एक रोटी का कोर लेकर सब्जी लगाकर मेरे मुंह के सामने कर दिया। मैंने अबकी बार फिर से उसकी उंगली पर दांत गड़ा दिये।
सोनल ने मेरी कमर में एक मुक्का मारा और -
सोनल: एकदम कमीने हो, बगैर काटे नहीं खा सकते। (और अपनी उंगली मुझे दिखाते हुए) देखो एकदम लाल हो गई।
मैंने उसकी उंगली को पकड़ा और अपने मुंह में ले लिया और अपनी जीभ उस पर फिराने लगा।
इसी तरह मैंने सोनल को और सोनल ने मुझे खाना खिलाया।
खाना खाकर हमने बर्तनों को रसोई में रखा और बाहर आकर थोड़ा टहलने लगे।
बाहर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और मौसम भी कुछ बारिश का हो गया था।
बहर आकर मैंने देखा कि पूनम अपनी छत पर ही टहल रही थी। मैंने उसे हाय बोला।
पूनम: हाय! हाय सोनल!
सोनल: ओहो तो पूनी तू भी मौसम का मजा ले रही है।
पूनम: क्यों मैं क्या इंसान नहीं हूं, जो इतने शानदार मौसम का मजा नहीं ले सकती।
सोनल: मैंने तो सोचा था कि बस तू पढ़ने का ही मजा लेती है और किसी चीज का नहीं।
और सोनल ने पूनम की तरफ आंख मार दी।
तभी बारिश होने लगी और तीनों भागकर अंदर घुस गये। (मैं और सोनल मेरे रूम में और पूनम अपने में। )
हमारे कपड़े थोड़े गीले हो गये थे। मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल कर टेबल पर डाल दी।
सोनल मेरे पास आई और मेरे सीने पर अपने हाथ रख दिये और धीरे धीरे सहलाने लगी।
मैंने सोनल को अपनी बांहों में भर लिया और उसके माथे पर चुम्मी लेने लगा। फिर मैंने थोडा झुककर उसके गले पर किस करनी शुरू कर दी।
सोनल भी अपने हाथ मेरी पीठ पर टिका कर मुझसे लिपट गई। मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर कसते हुए उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। मेरे जिस्म पर उसकी गीली टी-शर्ट के टच होने से शरीर में सिहरन सी दौड रही थी।
मैंने अपने हाथ नीचे करके उसके कुल्हों पर फिराने शुरू कर दिये। सोनल ने जो पजामी पहनी थी वो इतनी सॉफट और पतली थी कि मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उसके कुल्हों को नंगा ही पकड़ रखा है। मैंने उसके कुल्हों को अपने हाथों में भरकर भींच लिया। सोनल के मुंह से एक लम्बी आह निकली। और उसने मेरे होठों पर अपने होंठ टिका दिये।
तभी सोनल का फोन बजने लगा, उसने देखा तो आंटी का फोन था।
सोनल: मम्मी का फोन है। और उसने कॉल रिसीव की।
सोनल: हॉ मॉम।
सोनल: आ रही हूं मॉम, वो बाहर बारिश शुरू हो गई थी, इसलिए थोड़ी देर रूक गई।
(बारिश बंद हो चुकी थी, बस थोड़ी सी ही आई थी।)
सोनल: हां बस अभी आ रही हूं।
सोनल ने फोन कट किया और रसोई से बर्तन उठाते हुए -
सोनल: वो गिलास में दूध रखा है, पी लेना। और मैं मॉम के सो जाने के बाद आउंगी, दरवाजा खुला रखना।
मैं: ओके जी! इंतजार करूंगा।
और सोनल ने एक पप्पी मेरे गाल पे दी और बर्तन लेकर नीचे चली गई।
मैं फिर से बाहर आकर छत की मुंडेर के पास खड़ा हो गया।
मैंने साथ वाली छत पर देखा पर कोई नहीं था। शायद पूनम नीचे चली गई होगी। मैं थोड़ी देर और बाहर ही खड़ा रहा, तभी फिर से बारिश शुरू हो गई और मैं वापिस अंदर आ गया।
अब मैं सोनल का ही इंतजार कर रहा था। तभी मुझे धयान आया कि दूध रखा है तो मैंने दूध पीया और बैड पर आकर लेट गया। लेटने के बाद मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई। अचानक बाहर कुछ गिरने की आवाज सुनकर मेरी आंख खुल गई। थोड़ी देर तो मेरी समझ में नहीं आया कि मेरी नींद क्यों टूटी है, तभी फिर से बाहर से कुछ कदमों की आवाज आई।
मैं उठ कर बाहर आया तो मैंने किसी को अपनी छत पर से साथ वाली छत पर भागकर जाते हुए देखा तो मैं भागकर उस तरफ गया। पर कोई दिखाई नहीं दिया।
मैं हैरान रह गया कि इस वक्त कौन आया था? कहीं कोई चोर तो नहीं था। तभी मुझे फिर से तीसरी वाले छत पर कोई भागता हुआ दिखाई दिया।
मैंने जोर से आवाज देकर कहा ‘कौन है वहां’, ठहर जा मैं आ रहा हूं, देखता हूं तुझे कौन है तू।
मेरी आवाज सुनकर उसने मेरी तरफ देखा और जल्दी से भागकर अगली छत पर गया और वहां से अगली छत नीचे थी उस पर कूद गया और फिर उस छत पर से गली में कूद कर भाग गया।
मैं थोड़ी देर ओर बाहर ही खड़ा रहा और फिर अंदर आ गया। मैंने टाइम देखा तो साढ़े बारह बजे हुए थे। तभी मुझे धयान आया कि सोनल आने वाली थी पर आई नहीं।
मैंने उसे फोन मिलाया तो पूरी रिंग जाने के बाद भी उठाया नहीं, शायद सो रही थी। मैंने फिर से फोन मिलाया तो नहीं उठाया।
मैंने यही सोचकर कि सो रही होगी दोबारा नहीं मिलाया। और बैड पर लेट गया। मुझे प्यास लगी हुई थी तो उठकर किचन में गया और पानी पीया और वापिस आकर फिर से एकबार फोन मिलाया।
अबकि बार दो रिंग जाते ही सोनल ने फोन उठाया।
सोनल: आ रही हूं और फोन काट दिया।
मैं आकर बैड पर लेट गया और आने वाले पल को सोचकर ही मुस्कराने लगा।
पांच मिनट बाद हल्के से दरवाजा खुला और सोनल अंदर आ गई। मैंने उसे हाय कहा तो उसने भी हाय कहा। उसने नाइटी पहनी हुई थी जो बहुत ही पतली थी और उसका शरीर दिखाई दे रहा था। उसने ब्रा नहीं पहनी थी फिर भी उसके पर्वत एकदम सिर तान कर खड़े थे। उसके निप्पल बाहर निकलने को हो रहे थे। उसकी नाइटी जांघों से थोड़ी सी ही नीचे तक थी। उसने सफेद पेंटी पहनी थी जो नाइटी में से साफ दिखाई दे रही थी। उसे देखते ही मेरा पप्पू खड़ा हो गया। मैं केवल अंडरवियर और बनियान पहने हुए था। मेरे अंडरवयिर में बंबू बन गया।
क्रमशः.....................
Reply


Messages In This Thread
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:12 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 8,498 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 4,021 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 2,796 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,749,909 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 576,466 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,340,577 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,024,516 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,800,082 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,202,617 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,161,958 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)