Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:18 PM,
#44
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--44
गतांक से आगे ...........
मैंने अपना हाथ उसके सिर के पिछे रखा और उसके चेहरे को अपनी तरफ खींचकर उसके तपते लबों पर अपने लब रख दिये।
कोमल जैसे नींद से जागी हो, उसने मुझे पीछे धक्का दिया और तेजी से उठकर बाहर भाग गई। उसके इस बिहेवियर से मैं हैरान रह गया। दो मिनट बाद मैं उठकर दरवाजे पर आया तो देखा कि वो बाहर दीवार के सहारे खड़ी है और जोर जोर से हांफ रही है, उसकी आंखों से आंसू बह रहे हैं।
मैं बहुत परेशान हो गया और जैसे ही मैंने आगे बढ़ने के लिए पैर उठाया मेरा पैर वहां पर गिरे पेड के पते पर पड़ा तो हलकी सी आवाज हुई। कोमल ने आंखें खोलकर जब मुझे देखा तो जल्दी से अंदर चली गई।
मुझे खुदपर बहुत गुस्सा आ रहा था कि क्यों मैंने ये हरकत की। मैं आकर अपनी चेयर पर बैठ गया और सिर को पिछे की तरफ टिका कर सोचने लगा।
उठिये, चाय पी लीजिए, आवाज सुनकर मेरी आंख खुली। कब मुझे नींद आ गई थी पता ही नहीं चला। कोई मुझे झकझोर कर उठा रहा था। मैंने आंखें खोल कर देखा, तो सामने कोमल थी। उसके हाथ में चाय की ट्रे थी।
जब उसने देखा कि मैं उठ गया हूं तो चाय का कप टेबल पर रख दिया।
सॉरी,,, मैंने उससे कहा।
वो जल्दी से चाय रखकर बिना कोई जवाब दिये, और बिना मेरी तरफ देखे वापिस चली गई। मैंने कप उठाने के हाथ आगे बढ़ाया तो हाथ में कुछ खिंचाव सा महसूस हुआ। मैंने देखा तो हथेली और उंगलियों पर पपड़ी सी थी। तब मुझे याद आया कि मैंने हाथ तो धोया ही नहीं कोमल के रस का।
मैं उठकर वासबेसिन पर हाथ-मुंह धोकर आया और बैठकर चाय पीने लगा। मैंने टाइम देखा तो साढ़े चार बज गये थे।
दस-पंद्रह मिनट मैं ऐसे ही चेयर पर बैठा रहा। फिर सभी चीजें ऑफ की और ऑफिस का दरवाजा लगाकर बाहर आ गया। तभी मुझे धयान आया कि मैम की तबीयत खराब थी तो मैंने बैल बजाई।
शकुंतला ने दरवाजा खोला, और मैं अंदर आ गया। मैम हॉल में बैठी टीवी देख रही थी।
अब आपकी तबीयत कैसी है मैम, मैंने अंदर आकर पूछा।
ठीक है, गोली ले ली थी तो अब आराम है, मैम ने कहा।
ठीक है मैम, मैं चलता हूं, टाइम हो गया, मैंने कहा।
वो कोमल भी जा रही थी ना साथ, दोपहर को कह रही थी कि शाम को तुम्हारे साथ ही जायेगी, उसकी सहेली का घर उधर ही है, मैम ने कहा।
जी मैम, मैंने कहा।

मैम ने कोमल को आवाज लगाई। कोमल मैम के रूम में थी। वो बाहर आई और सामने मुझे खड़े देखकर नजरें नीचे कर ली।
जी दीदी, उसने वहीं पर खड़े खड़े ही कहा।
‘जी दीदी’,,,,, ये ‘जी’ कब से लगाने लग गई, मैम ने कहा और हंसने लग गई।
वो समीर जा रहा है, तुझे जाना था ना अपनी सहेली के घर, मैम ने कहा।
हां, कोमल ने कहा।
हां की बच्ची, फिर कब जायेगी, ये जा रहा है, मैम ने कहा।
अभी आ रही हूं, कपड़े चेंज कर लेती हूं, कोमल ने कहा और अंदर चली गई।
मैं वहीं सोफे पर बैठकर इंतजार करने लगा। मैंने मैम की तरफ देखा, तो मैम मुझे ही घूर रही थी।
जैसे ही हमारी नजरें मिली, मैम ने एक कातिल मुस्कान पेश कर दी।
तभी कोमल कपड़े चेंज करके आ गई। उसने हरे कलर की कुर्ती और जींस पहनी हुई थी।
मैं मैम को गुड इवनिंग बोलकर बाहर आ गया। मैंने बाइक को स्टार्ट किया और कोमल का इंतजार करने लगा। तभी शुकंतला किसी काम से बाहर आई, तो मैंने उसे गेट खोलने के लिए कहा।
वो मेरी तरफ देखकर मुस्कराई और जाकर गेट खोल दिया। मैं बाइक लेकर बाहर आ गया और कोमल का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद कोमल आई। उसने गले में चुन्नी भी डाल ली थी। चुन्नी डालने के बाद तो वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उसने एकबार मेरी तरफ देखा और फिर नजरें नीची कर ली।
आकर वो बाइक पर बैठ गई। वो थोड़ा पिछे होकर बैठी थी। वैसे मैं भी थोड़ा आगे सरक गया था। उसके बैठते ही मैंने बाइक को धीरे से सड़क पर बढ़ा दिया। उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख लिया।
सॉरी,,, मैंने उससे कहा।
जी,,,, कोमल ने कहा, शायद उसे ठीक से सुना नहीं होगा।
जी---- वो दोपहर के लिए सॉरी, मैंने कहा।
कोमल चुप रही, कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने भी ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं समझा, इसलिए चुपचाप बाइक चलाता रहा। पंद्रह मिनट में हम घर पहुंच गये।
घर के सामने आकर मैंने बाइक रोक दी।
क्या हुआ, कोमल ने पूछा।
कुछ नहीं, घर आ गया, मैंने कहा।
मेरी बात सुनते ही कोमल बाइक से उतर गई। मैंने बाइक को बाहर ही खड़ी कर दिया और हम उपर आ गये।
मैंने बैल बजाइ तो सोनल ने दरवाजा खोला।
आइये, आइये,,, आपका ही इंतजार हो रहा था, सोनल ने कहा।
क्यों, ऐसा क्या प्रोग्राम बना रखा है जो मेरा इंतजार हो रहा था।
अंदर आओ अभी बताती हूं, कहकर वो साइड में हो गई।
मैं अंदर आ गया। उसने कोमल को गले लगाया और उसका हाथ पकड़े पकड़े अंदर ले आई। रूपाली और नवरीत वहीं पर थी।
आज कुछ स्पेशल है क्या, जो नवरीत भी यहीं पर है, रूपाली भी यहीं पर है, मैंने उनको देखकर पूछा।
हां, बहुत स्पेशल है, मेरी दोस्त आई है, तो स्पेशल तो होगा ही, रूपाली ने कहा।
मैं कपड़े चेंज करने के लिए वापिस जाने लगा।
हे, कहां जा रहे हो, नवरीत की आवाज आई।
बस अभी आया, एक बार उपर तक जा रहा हूं, मैंने कहा और बाहर निकल आया।
मैंने उपर आकर लॉक खोला, अभी मैं दरवाजा खोल ही रहा था कि नवरीत भी उपर आ गई।
हाय,,,, मैंने उसे देखकर कहा।
हाय,,,, पोर्शन तो काफी अच्छा है, इतनी बड़ी खुली छत है सामने, ऐसी जगह मुश्किल से ही मिलती है, नवरीत ने कहा।
हां, ये तो है, और पौर्शन ही नहीं, पोर्शन देने वाले भी अच्छे हैं, मैंने कहा।
मेरी बात सुनकर नवरीत हंसने लगी।
ऐसे मकान मालिक पूरे जयपुर में नहीं मिलेंगे, ढूंढने से, नवरीत ने कहा।
बिल्कुल, मैं कौनसा कह रहा हूं कि मिल जायेंगे,,, मैंने हंसते हुए कहा।
दरवाजा खोलकर हम अंदर आ गये।
वॉव, एक लड़के के हिसाब से रूम बहुत ही शानदार सजा रखा है, नवरीत ने कहा और बेड पर आकर बैठ गई।
जी कुछ लेंगी आप, कोल्ड ड्रिंक, हॉट ड्रिंक, मैंने नवरीत की तरफ मुस्कराते हुए कहा।
हूंहहहह,,, कुछ नहीं, नवरीत ने कहा।
आपने अभी तक बताया नहीं कि अपूर्वा के साथ आपका चक्कर चल रहा है या नहीं, नवरीत ने आंखें नचाते हुए कहा।
हम बहुत अच्छे दोस्त हैं, एक-दूसरे के काफी करीब भी हैं, बस इतना ही, मैंने शर्ट निकालते हुए कहा।
नवरीत की आंखें मुझ पर ही जम गई।
कितने करीब,,, नवरीत ने फिर चंचलता से कहा।
उसकी आंखों और चेहरे से चंचलता साफ झलक रही थी।
कितना तो अब कैसे बताउं, पर काफी करीब हैं, एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं, साथ घूमने भी जाते हैं, एक दूसरे को झप्पी भी पाते हैं, मैंने टी-शर्ट पहनते हुए कहा।
कभी एक-दूसरे को किश किया है, नवरीत ने चहकते हुए कहा।
क्या, तुम्हें क्यों इतना इंट्रेस आ रहा है, अपूर्वा में, मैंने कहा।
बताओ ना, नवरीत ने थोड़ा सा नाराज होते हुए कहा।

नहीं, मैंने बेल्ट खोलते हुए कहा।
कहकर मैं कैपरी उठाकर बाथरूम में आ गया और जींस निकालकर कैपरी पहनकर वापिस आया।
नवरीत बैड पर ही बैठी बैठी पैर हिला रही थी। उसकी एक उंगली उसके गाल पर थी, लग रहा था कि कुछ गहरी सोच में है।
क्या सोच रही हो, मैंने उसे इस तरह सोचते देखकर कहा।
सोच रही हूं कि----- कहकर वो रूक गई।
मैं आगे की बात सुनने के लिए चुपचाप खड़ा रहा।
क्या सोच रही हो----- जब कुछ देर तक उसने कुछ नहीं बोला तो मैंने फिर से पूछा।
कुछ नहीं---- टाइम आने पर पता चल जायेगा, नवरीत ने कहा।
तभी कोमल, रूपाली और सोनल भी उपर आ गई।
क्या चल रहा है, अकेले अकेले में, सोनल ने अंदर आते हुए कहा।
कुछ नहीं, मैंने कहा और रसोई की तरफ चल दिया। सभी आकर बेड पर बैठ गई। बस कोमल खड़ी थी। मैंने फ्रीज से पानी निकाल कर पिया।
मुझे भी देना, सोनल की आवाज आई।
मैं एक गिलास और बोतल लेकर आ गया। गिलास में पानी डालकर सोनल को दिया। फिर कोमल से पानी के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया।
आप खड़ी क्यों है, बैठिये ना, कोमल को खड़े देखकर मैंने कहा।
वो कुछ करती या कहती उससे पहले ही नवरीत ने उसका हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया। कोमल लगभग गिरते हुए बेड पर बैठ गई।
मैं अपना मोब उठाकर बाहर आ गया। काफी कोशिश की पर फोन मिल ही नहीं रहा था, बस कवरेज से बाहर ही आ रहा था।
मैं परेशान होकर वापिस अंदर आ गया।
क्या हुआ, कुछ परेशान लग रहे हो, सोनल ने कहा।
अपूर्वा की तबीयत खराब थी, पूछने के लिए फोन कर रहा था कि अब कैसी है, पर फोन ही नहीं मिल रहा, मैंने मायूसी से कहा।
क्या, अपूर्वा की तबीयत खराब है, क्या हुआ उसे, नवरीत ने चौंकते हुए कहा और अपना सैल निकालकर फोन मिलाने लगी।
सुबह फोन किया था मैंने, बुखार था, अभी मिल ही नहीं रहा, कवरेज से बाहर आ रहा है।
मिल ही नहीं रहा, नवरीत ने फोन मिलाने की कोशिश करने के बाद कहा।
तुम्हें तो उसका घर पता है ना, मैंने नवरीत से कहा।
हां, मालूम है, पर क्यों, नवरीत ने कहा।
उसके घर चलते हैं, मैं कहकर सबसे चेहरे के एक्सप्रेशन देखने की कोशिश करने लगा।
चलो, नवरीत ने बिना किसी की राय जाने ही अपना फैसला सुना दिया और बेड से उतर कर खड़ी हो गई।
मैंने उसकी तरफ देखा और फिर सभी की तरफ देखा।
क्या हुआ, अब चलो, नवरीत ने मचलते हुए कहा।
यार हम तो उसे जानते भी नहीं हैं, हम क्या करेंगे, रूपाली ने कहा।
तो अब जान जाओगी, चलो उठो, नवरीत ने कहा।
और नहीं जाना तो ठीक है तुम इधर ही रूको, हम जा रहे हैं, नवरीत ने फिर कहा।
मैं भी चल रही हूं, सोनल ने बेड से उतरते हुए कहा।
आप यहीं पर रूकेंगी या फिर आप भी चलेंगी मैम,,,, मैंने कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
मुझे लगा कि जैसे कोमल एकदम से हड़बड़ा सी गई है।
हां---- हां--- मैं---- मैं---- चल रही हूं, कोमल ने हड़बड़ाते हुए कहा।
फिर मैं अकेली यहां पर क्या करूंगी, चलो मैं भी चल रही हूं, रूपाली ने भी कहा।
हम सभी नीचे आ गये। सोनल ने आंटी को बोल दिया कि हम बाहर जा रहे हैं।
सोनल की स्कूटी पर नवरीत और रूपाली की स्कूटी पर कोमल बैठ गई। मैं अपनी बाईक पर।
दस मिनट में हम राजापार्क में थे। सोनल आगे नवरीत से रास्ता पूछकर चल रही थी।
एक कोठी के सामने जाकर सोनल की ने स्कूटी साइड में खड़ी कर दी। हमने भी अपनी बाइक और स्कूटी साइड में लगा दी और नवरीत बिना बैल बजाये सीधे गेट खोलकर अंदर, उसके पिछे पिछे हम।
क्रमशः.....................
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