Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:33 PM,
#69
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
नवरीत कुछ देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखती रही और मैं समझने की कोशिश करता रहा कि वो क्या चाहती है, परन्तु कुछ समझ नहीं पाया।
मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या कहूं, कहते हुए नवरीत की आंखें नम हो गई।
हेहेहे, जब समझ ही नहीं आ रहा तो फिर कहने की जरूरत ही क्या है, मैंने हंसते हुए कहा।
नवरीत वैसे ही मेरी आंखों में देखती रही।
देखो मुझे पता है तुम क्या कहना चाहती हो, मैं अब उसे भूलने की कोशिश कर रहा हूं, अच्छा हुआ कि प्यार दो-तीन दिन का था, नहीं तो भूलने में बहुत तकलीफ होती, कहते हुए मेरी आंखें नम हो गई।
मुझे भी समझ नहीं आ रहा कि ऐसी क्या बात हो गई, जो दीदी ने शादी से मना कर दिया, आपके बीच कोई झगड़ा हुआ था क्या, नवरीत ने कहा।
तुम उसकी दीदी हो, तुम्हें पता होना चाहिए।
मैंने दीदी से पूछने की बहुत कोशिश की थी, पर किसी ने कुछ नहीं बताया, कहते हुए नवरीत मेरे कुछ नजदीक हो गई।
उस रात के बाद तो हमारी कोई बात ही नहीं हो पाई, कई बार फोन भी ट्राई किया था, परन्तु किसी ने नहीं उठाया, और जब वापिस आया तो ये सब, कहते कहते आंखों से आंसु टपकने लगे।
नवरीत ने मेरे गालों पर हाथ रख दिये और आंखों से निकलते आंसुओं को पौंछने लगी। आंसु पौंछते पौंछते उसने अपनी एक उंगली मेरे होंठों पर रख दी। वो लगातार मेरे चेहरे की तरफ ही देखे जा रही थी। उसके चेहरे पर उदासी थी, परन्तु उसकी आंखों में कुछ बैचेनी थी, शायद वो कुछ कहने के लिए आई थी, परन्तु कह नहीं पा रही थी।
मुझे लगता है कि तुम कुछ कहना चाहती हो, पर कह नहीं पा रही हो, मैंने अपने गाल पर रखे उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।
नहीं कुछ नहीं, नवरीत ने एक हाथ से अपने आंखों से आंसु पौंछते हुए कहा।
अगर कुछ कहना नहीं था तो, फिर यहां अकेले में क्यों लेकर आई।

मेरी समझ नहीं आ रहा है कि कैसे कहूं, नवरीत ने कहा।
अंदर चलो, वहां आराम से बैठ कर बातें करते हैं, मैंने कहा।
हम्मम, नवरीत ने कहा और हम अंदर आ गये। सोनल वहां पर नहीं थी, शायद नीचे चली गई।
अब बोलो क्या बात है, मैंने कहा। हम बेड पर आमने सामने बैठे हुये थे।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और सोनल बाहर निकली। दीदी का फोन आया है, उनके साथ जा रही हूं, तब तक तुम दोनों बातें करो, कहते हुए सोनल मेरे पास आई और माथे पर हाथ लगाकर चैक किया। अब बुखार नहीं है, पर फिर भी एकबार डॉक्टर के चलेंगे मेरे आने के बाद, सोनल ने कहा।
हम्मम, मैंने कहा। सोनल नीचे चली गई।
बुखार हो गया था, नवरीत ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए पूछा।
हां, कल बुखार था, आज तो ठीक है, मैंने कहा।
तुम क्या कहना चाह रही थी, अब बताओ।
मुझे पता है, दीदी ने आपके साथ सही नहीं किया, परन्तु क्या हम दोस्त रह सकते हैं, नवरीत ने मेरी आंखों में ही जवाब ढूंढते हुए कहा।
ये लो, ये भी कोई पूछने की बात है, हम पहले भी दोस्त थे, अब भी दोस्त हैं, अब धोखा तुम्हारी दीदी ने दिया है, इसमें तुम्हारी क्या गलती है।
मेरी बात सुनकर नवरीत के चेहरे पर खुशी छा गई। उसने दरवाजे की तरफ देखा और फिर एकदम से अपने घुटनों के बदल उठती हुई मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकडा और मेरे होंठों पर अपने गुलाब की पंखुडियों से मुलायम होंठ टिका दिये। मैं शॉक्ड था, मैंने सोचा भी नहीं था कि नवरीत ऐसा करेगी। पिछे गिरने से बचने के लिए मेरे हाथ पिछे की साइड टिक चुके थे। और नवरीत पागलों की तरह मेरे होंठों को चूूम रही थी। मेरी आंखें बंद हो गई। परंतु जैसी ही मेरी आंखें बंद हुई मैंने एक झटके से नवरीत को खुदसे अलग कर दिया। नवरीत ने हैरानी से मेरी तरफ देखती रह गई। मैं समझ नहीं पाया कि ये क्यों हुआ। जैसे ही मेरी आंखें बंद हुई थी अपूर्वा को उदास चेहरा मेरे सामने घूमने लगा था।
क्या हुआ, नवरीत ने मायूस होते हुए पूछा।
कुछ नहीं, हम कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रहे हैं, मैंने कहा।
क्यों, अच्छा नहीं लगा, नवरीत ने हांफते हुए कहा और मेरी आंखों में उतर ढूंढने लगी।
बात सिर्फ दोस्ती की हुई थी, मैंने मुस्कराते हुए कहा।

हेहेहे, मेरी बात सुनकर नवरीत हंसने लगी।
मैंने कुछ गलत कहा, तुमने दोस्ती के लिए ही तो कहा था, मैंने हंसते हुए कहा।
हेहेहे, धीरे-धीरे तुम्हें पता चल जायेगा कि नवरीत से दोस्ती करने का क्या अंजाम होता है, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
लगता है तुमसे बचकर रहना पड़ेगा, पता नहीं कितना भयानक अंजाम करने वाली हो, मैंने डरा हुआ चेहरा बनाते हुए कहा।
हेहेहे, बच्चू अब नहीं बच सकते, अब तो मेरे जाल में फंस चुके हो, नवरीत ने खिलखिलाते हुए कहा।
मैं उसके साथ हंस तो रहा था, परन्तु अंदर ही अंदर बैचेनी बढ़ती जा रही थी। पता नहीं क्यों, नवरीत को देखते ही अपूर्वा की याद आनी शुरू हो जाती थी और फिर से दिल में वो टीस उठने लगती थी जो सोनल के प्यार से कुछ कम हो गई थी।
फंसा तो तुम्हारी दीदी के जाल में भी था, ऐसा हाल किया कि कहीं का नहीं छोड़़ा, मेरी आंखें नम हो गई थी, परन्तु मैंने किसी तरह चेहरे पर मुस्कराहट बनाए रखी। मेरी बात सुनते ही नवरीत एकदम से सीरियस हो गई।

तभी नवरीत का मोबाइल बजा।
हैल्लो मॉम, नवरीत ने कान से मोबाइल लगाते हुए कहा।
समीर के रूम पर हूं, ------- हां, अब क्या बताउं, ठीक ही है,,,,, हां----- फिर भी------ हां, बस थोड़ी देर में आउंगी,,,, बाये मॉम, लव यू,,,,।
बात करते हुए नवरीत की आवाज में उदासी झलक रही थी।
मैंने कोशिश तो बहुत की दीदी से पूछने की, पर वो कुछ बता ही नहीं रही हैं, नवरीत ने कहा।
बता तो दिया, और कैसे बतायेगी, मुझसे मजाक किया था, प्यार का नाटक किया था, बाकी ही क्या रह गया, जब इतना बोल दिया, कहते हुए आंखों से आंसु टपक पड़े।
मैं कभी सोच भी नहीं सकता था, मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया, एक बार दर्द उठा तो क्या का क्या मैं बोलता चला गया पता ही नहीं चला। नवरीत ने मुझे बांहों में भर लिया। जब कुछ नोर्मल हुआ तो मैं नवरीत की बांहों से अलग हुआ।
सॉरी, मैंने गालों पर से आंसु पौंछते हुए कहा।
तभी दरवाजा खुला तो मैंने दरवाजे की तरफ देखा। सोनल और प्रीत थी। प्रीत को देखते ही मैं एकदम से खडा हो गया और रसोई में जाकर पानी पिया और मुंह धोया ताकि उसे आंसुओं का पता ना चले।
वो आकर बेड पर बैठ गई।
हाय, मैंने रूमाल से मुंह पौंछते हुए कहा।
क्या बात हुई, तुम दोनों की आंखों में आंसु क्यों थे, प्रीत ने मेरी और फिर नवरीत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

नहीं ऐसा तो कुछ नहीं-----
मैंने सब देख लिया है, ज्यादा चालाक बनने की जरूरत नहीं है, हां नहीं बताना चाहते वो अलग बात है, प्रीत ने मेरी बात को बीच में ही काटते हुए कहा।
मुझे हैरानी थी आज हम पहली बार ही एक दूसरे से मिले हैं और वो इस तरह से बात कर रही है जैसे हम काफी अच्छे दोस्त हैं।
ऐसा कुछ नहीं है, वो तो बस ऐसे ही आ गये थे, मैंने कहा और चेयर लेकर बैठ गया।
डॉक्टर को दिखाने चलें, सोनल ने उठते हुए कहा।
क्या हो रखा है, प्रीत ने आश्चर्य से पूछा।
वो कल से बुखार है, आज तो वैसे आराम है, पर फिर भी,,, सोनल ने कहा।

मैं भी खड़ा हो गया।
तब तक आप बतियाओ, हम आते हैं, सोनल ने दोनों से कहा और हम नीेचे आ गये।
डॉक्टर के पहुंचे तो डॉक्टर एक मरीज को देख रही थी। हम बाहर बैठकर इंतजार करने लगे। उसके देखने के बाद डॉक्टर ने हमें बुलाया।
अब कैसी है तबीयत, डॉक्टर ने मुस्कराते हुए पूछा।
आराम है अब तो, मैंने बैठते हुए कहा।
डॉक्टर ने मेरी छाती में स्टेथोस्कोप और मुंह में थर्मामीटर लगाकर बुखार चैक किया। सब कुछ नोर्मल मिला। फिर भी डॉक्टर ने एतिहायत के तौर पर एक इंजेक्शन और लगा दिया कुल्हे पर।
दवाई लेकर हम वापिस रूम पर आ गये। नवरीत और प्रीत बाहर चेयर डालकर बैठे हुए थे। हम भी उनके साथ ही बैठ गये। कुछ देर तक हम बतियाते रहे। प्रीत यू-एस- के बारे में बताती रही। फिर मेरे बारे में पूछने लगी। मैं तो शर्मा ही गया जब उसने मुझसे गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा। अब ये कैसे बताउं कि उसकी बहन ही मेरी गर्लफ्रेंड है और वो भी दुनिया कि सबसे बेस्ट गर्लफ्रेंड।
देखो, कैसे लड़कियों की तरह शरमा रहा है, ऐसे लड़के भी बचे हुए हैं मुझे तो पता ही नहीं था, मैं तो सोच रही थी लड़का तो कोई शरमाने वाला बचा ही नहीं होगा दुनिया में, प्रीत ने चुटकी लेते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर मैं झेंप गया। वो तीनों हंसने लगी। काफी देर तक ऐसे ही हंसी मजाक चलता रहा।
ओके अब मैं चलती हूं, मम्मी इंतजार कर रही होगी, नवरीत ने उठते हुए कहा।
सोनल और प्रीत ने उसे गले लगाया। तुम गले नहीं लगोगे, नवरीत ने मेरे पास आकर कहा। मैंने उसे गले लगाया। नवरीत ने कसके मुझे अपनी बांहों में भींच लिया। मेरे मुंह से हल्की सी मजे की आह निकल गई।
बदमाश, देखों कैसे आहें निकाल रहा है, प्रीत ने हंसते हुए कहा।
अब छोड़ दे, नहीं तो तेरी भी आहें निकलनी शुरू हो जायेंगी, प्रीत ने नवरीत से कहा।
हेहेहे, नवरीत ने मुझसे अलग होते हुए कहा और फिर बायें बोलती हुई चली गई।
चलो यार हम भी चलते हैं, ठण्ड लगने लग गई और फिर डिनर भी तैयार करना है, प्रीत ने उठते हुए कहा।
दीदी आप चलो, मैं कुछ देर में आती हूं, सोनल ने प्रीत से कहा।
प्रीत ने शक भरी निगाहों से सोनल की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कराते हुए नीचे चली गई।

हम दोनों अंदर आ गये।
तुम्हारी आंखों में आंसु क्यों थे, सोनल ने मुझसे अंदर आते ही पूछा।
कब, मैंने पूछा।
जब हम आई थी, तुम दोनों की आंखों में आंसु थे, तुम्हारी और रीत की।
वो तो बस, ऐसे ही, अपूर्वा की बात चल पड़ी थी, इसलिए, मैंने कहा।
क्या कह रही थी रीत अपूर्वा के बारे में, सोनल ने पूछा।
यही कर रही थी कि मैंने बहुत कोशिश की उससे पूछने की, पर उसने कुछ भी नहीं बताया।
किस बारे में, सोनल ने कहा।
इसी बारे में, उसने धोखा क्यों दिया, कहते हुए मेरी आंखें फिर से नम हो गई।
अब पूछने के लिए रह ही क्या गया जब उसने ही साफ साफ कह दिया, क्यों उसको बार-बार याद करके दुखी हो रहे हो, सोनल ने मेरे आंसु पौंछते हुए कहा और मेरा सिर अपनी छाती पर रख लिया।
सोनल की बांहों में जाते ही मैं बस टूट जाता था और आंखों से आंसु बहने लगते थे। उसके सीने से लगते ही सब्र का सारा बांध टूट जाता था और उसके आंचल को भीगो देता था। काफी देर तक मैं ऐसे ही सोनल के सीने पर सिर टिकाए उसे भिगोता रहा। जब कुछ नोर्मल हुआ तो मैं सीधा खड़ा हुआ, परन्तु फिर वही कमर में भयंकर दर्द, सीधा हुआ ही नहीं गया और मैं सहारा लेते हुए बेड पर बैठ गया। मेरे चेहरे के भावों से सोनल भी समझ गई थी। उसने सहारा देकर मुझे लेटाया। बहुत ही मुश्किल से कमर सीधी कर पाया। हां, एकबार सीधी होने पर आराम महसूस हुआ। सोनल ने पेन किलर दी। तभी नीचे से प्रीत ने सोनल को आवाज दी और सोनल कुछ देर में आने की कहकर चली गई।
अकेला होते ही अपूर्वा की बेवफाई की टीस उठने लगी। जब सहन नहीं हुई तो मैं उठकर बाहर आ गया। पेनकिलर ने असर दिखाया था, परन्तु दर्द फिर भी बना हुआ था। मैं आराम से सीढ़ियां उतरता हुआ नीचे आ गया और बाजार की तरफ निकल गया।

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तुम पीकर आये हो, सीढियों पर लड़खड़ा कर चढ़ते हुए देखकर सामने चेयर पर में बैठी प्रीत ने कहा। उसकी आवाज सुनकर सोनल बाहर आई और मुझे सहारा देकर उपर ले गई।
गड़गड़ हो गई यार, दीदी बहुत सख्त है इस मामले में, पता नहीं अब क्या होगा, सोनल ने मुझे बेड पर लिटाते हुए कहा।
सॉरी, वो बस अपने आप कदम मैखाने की तरफ बढ गये, आगे से नहीं पीउंगा, मैंने लड़खड़ाती आवाज में कहा।
हां, मैखाने की तरफ बढ गये, अंदाज तो देखो जनाब का, दारू का अड्डा कहते हैं उसे, सुबह बात करती हूं तुझसे तो, प्रीत ने अंदर आते हुए कहा।
सोनल ने जल्दी से मुझे ब्लैंकट ओढ़ाया और प्रीत के साथ नीचे चली गई। मैं नशे में कुछ का कुछ बड़बड़ाता रहा और कब सपनों की दुनिया में गायब हुआ कुछ होश न रहा।
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