RE: Antarvasnasex रीटा की तडपती जवानी
रीटा की ठरक
आज घर पर रीटा के इलावा कोई भी नही था। मम्मी डैडी आउट आफ सटेशन थे। जैसे तैसे रीटा ने अपनी मम्मी को पटा कर राजू भईया से कार चलाना सिखना शुरू कर रही थी।
रीटा बाथ-टब नहा कर पानी मे आग लगाने मे मगन थी। मल मल के नहाती रीटा के दौनो बावले चुच्चे गुलाबी गुबारो की तरह पानी के उपर तैर रहे थे। राजू के बारे सोचते ही ठरक के मारे रीटा ने अपनी चूत मे किंगा साईज साबून की टिकीया गपक ली। नौजवान राजू का लम्बा कद हैंडसम और समार्ट लडका था। राजू के चौडा चकला सीना और मसलस से भरपूर बाडी याद कर रीटा पानी मे पनीया गई। तीर सी तीखे शावर की तेज धार चूत पे पडने से रीटा की चूत और भी गुदगुदा गई। बदन मे तनाव व कसाव बढने से जवानी की दुखन और टीसन भी बढ गई।
आज ताजी़ ताजी़ नहाई रीटा ने राजू भईया को पटाने की कोई कसर नही छोडना चाहती थी। शरारती रीटा ने अपनी चार साल पुरानी स्कूल डरैस की ब्लैक शोर्ट सकर्ट और वाईट शर्ट फंसा कर पैरो मे हाई हील पहन ली।
रीटा ने अपनी मस्त जानलेवा कामुक जवानी को शीशे मे निहारते हुऐ पन्जो के बल उचक के गौरी गौरी बाहे उपर उठा शीशे को तडका देने वाली अंगडाई तोडी तो चटाक चटाक की आवाज से रीटा की टाईट टैरालीन की शर्ट के टिच्च बटन खुलते चले गये। उफऽऽऽ कया नजारा था। रीटा का जवान ठोस गोलाईयां बगावत पर उतर आई और दोनो शरारती कुंवांरे कबुतर शर्ट से दाये बाये बाहर झाक कर गुटर-गूं गुटर-गूं करने लगे। चुच्चौ ने रीटा की शर्ट को चौद कर "वी" गले को "यू" बना दिया था। चुच्चौ के श्यमल शिखर ऐसा लगते थे जैसे संगमरमर के चबुतरौ पर कच्नार की कच्ची गुलाबी कली चिपकी हो।
ठरकी रीटा ने अपने बगावत पे उतर आये चूच्चौ को बाहर खींच कर उसे बेरहमी से मसलने लगी चूच्चै मस्ती मे चीं चीं कर चिंघाड उठे। "हायऽऽऽऽ मां कित्त्ता मजा आ रहा है"। रीटा ने अपनी गुलाबी गुलाबी छौटी छौटी नीम सी नीमौलीयौ से निप्पलौ को अपनी थूक से सनी उगली और अंगुठे मे घुमाने से कमसीन बदन झनझना उठा और चूत पिनपीना उठी। मौनिका ने बताया था कि चूत और चुच्चौ का चोली दामन का साथ होता है।
रीटा की सैकसी सुडौल कैबरे डांसरो जैसी लम्बी व चिकनी टांगो ने तो हाय हाय कर रखी थी। हाई हील से रीटा की गौरी गुदाज कदली जाधे और सुडौल पिंडलीयां और भी उभर आई और जैसे "नमश्कार आईये और चौद डालिये" का आमन्त्रन देती लगती थी। गदराहट से मांसल घुटनो पर मादक बल पडे हुऐ थे, बेहद पतली और पिचकी हुई कमर के नीचे मस्त गौल गौल चूतड़ और चूतडो में दबी फसी कुंवारी गाँड में चींटीया सी रेंग रहीं थी। बैचारी नाम मात्र की बची सकर्ट रीटा की उफनती व उबलती शौला जवानी को ढकने में नाकाम थी।
अपनी स्कूल सकर्ट उपर उठा कर सुर्ख लाल नाईलोन की कच्छी में अपने कसमसाते योवन को निहारते ही रीटा की आखौं मै लाल डौरे खिंच गये और गाल तमतमा उठे। सारे बदन पप्पी फैट तौबा तौबा, कया हुसन था, कया शबाब था उस लौडिया का, बिलकुल ताजा ताजा खुली सौड़े की बोतल के समान। अपने जवालामुखी से सुलगते और फट़ पडने को तैयार यौवन को देखते हुऐ अपने निचले होंट के कोनें को दातो मे दबा कर, स्वयं को आख मार दी, और फिर अपनी ही बेशर्मी पर स्वयं ही लज्जा गई़।
लीर सी नामत्र टाईट कच्छी रीटा की रौम वहीन मलाई सी गौरी गदरायी फुद़दी और गुदाज कमर मे धंसी हुई थी और चलते समय रीटा को बुरी तरहा गुदगुदा देती थी। एकदम शीशे सी चिकनी और नादान चूत की गुलाबी फांके कच्छी से बाहर झाक रहीं थीं और चूत एकदम से पच्च पच्च गीली थी। ठरक के मारे रीटा की जवान फुद़दी छौटे फुलके की तरहा फूल गई। पनीयाई हुई चूत का चीरा झिलमिला ऊठा और रीटा का लिश लिश करता बदमाश किशमिश सा दाना हौले हौले अकड़ता चला गया। अब रीटा का कलीटौरीस किसी छोटे शरारती बच्चे की लुल्ली के समान चूत की बालकोनी से बाहर झाकने लगा।
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