Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
09-17-2021, 12:09 PM,
#28
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-28)

और लबालब चुत को लंड के रस से भिगो दिया….चुत में लंड रस छोढ़ता रहा…और पसीने पसीने देवश फारिग होकर काकी मां से नंगा ही लिपट गया…दोनों पसीने पसीने कुछ देर तक पंखे की हवा खाते रहे…और कब नींद की आगोश में चले गये पता नहीं

अगले दिन दरवाजे पे दस्तक होती है…कोई दरवाजा ज़ोर से मर रहा था आवाज़ सुरीली थी शीतल कब से आवाज़ लगा रही थी….देवश अंगड़ाई लेकर काकी मां की तरफ देखता है उनके निवस्त्र बदन को देखकर फौरन ऊँपे चादर धकता है…काकी मां कोत्ोढहाज़ोर से जागता है पर काकी मां उठती नहीं….देवश उसी हालत में पजामा पहनकर दरवाजा खोलता है…शीतल बोलती है की दरवाजा क्यों नहीं खोल रहे थे?

और फिर ऊस्की निगाह अपनी मां पे पढ़ती है…हैरानी भाव तो थी ही…”अरे तू इतने जल्दी आ गयी?”……देवश ने बाल झधते हुए कहा….अपनी मां को नंगा देख बस सारी से ढकी चादर में सोई शीतल कुछ और नहीं कहीं

देवश : काकी मां कल रात को यही तहेर गयी थी
शीतल : हाँ मां बोली थी मां को मैं उठा देती हूँ
देवश : नहीं नहीं सोने दे उन्हें बहुत ताकि हुई थी तू बर्तन साफ कर दे मैं तैयार होने जा रहा हूँ और हाँ नाश्ता भी तैयार कर देना
शीतल : अच्छा (शीतल मुस्कराए अंदर चली जाती है)

देवश थोड़ा घबरा जाता है पर शीतल कोई पक्साफ़ लड़की तो थी नहीं अगर जान भी गयी तो क्या ? आज नहीं तो कल जानना ही पड़ेगा उसे…देवश गुसलखाने में घुस जाता है जब बाहर निकलता है तो काकी मां हप्पी छोढ़के मेरी ओर डरी निगाहों से देखती है मैंसब समझता हूँ शीतल नाश्ता तैयार कर रही है झटपट काकी मां चादर ही ओढ़े अंदर से ब्रा और ब्लाउज का हुक लगा रही है….

देवश : क्या हुआ काकी मां ? (मैंने धीमे स्वर में कहा)
अपर्णा : ये कब आई? मैं देखकर डर गयी पूछने लगी की आप ऐसे बिस्तर में भैया के साथ सोती हो तो मैंने कह दिया हाँ तू भी कुछ ज्यादा मत कहना शक हो जाएगा उसे मैं भी इतनी ज्यादा कल तक गयी की उठा ही नहीं गया
देवश : अच्छा ठीक है नाश्ता तो कर लो
अपर्णा : नहीं बेटा दो जगह घर का काम करने जाना है तू मुझे बस चाय दे दे

शीतल तब्टलाक़ आ गयी हाथ में चाय और नाश्ता का प्लेट था…अपर्णा काकी ने जल्दी जल्दी चाय पी और गुसलखाने में पेशाब करने गयी फिर अपने अलग थलग कपड़ों को ठीक किया सारी का पल्लू ढंग से पहना और शीतल को यह कहकर चली गयी की वो जा रही है भैईई का ख्याल रखना….अपर्णा के जाते ही शीतल ने दरवाजा लगा दिये और मेरे पास आई

शीतल : क्या भैईई कल रात लगता है मां के साथ बहुत छिपक्के सोए थे?
देवश : चल रे पगली तू मजे ले रही है मुझसे तैयार मां है वॉ
शीतल : हाँ हाँ सब जानती हूँ..तभी अपनी बेटी को देखकर काँप गयी तो इसमें डर की क्या बात मैं क्या जानती नहीं की यहां क्या होता है?
देवश : अच्छा तू ऐसा क्या जानती है?
शीतल : औरत सोते वक्त अपने कपड़े उतारके सोती तभी है जब उसे गर्मी लगती है मां को लगता है यहां कुछ ज्यादा गर्मी लगी है
देवश : चल चल अपना काम कर तेरी मां मेरी मां है समझिी
शीतल : आप गुस्सा मत हो मैं तो बस मज़ाक कर रही थी मैं तो जानती हूँ भैया मेरे मुझे और मेरी मां को कितना प्यार करते है

देवश ने फौरन शीतल का हाथ पकड़ लिया शीतल खुली हुई तो थी देवश से वो नजाकत से हाथ छुड़ाने लगी..पर देवश ने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसे गाओड़ी में उठा लिया….शीतल श मां आस मां चिल्लाने लगी…”और बोलेगी बोल?”….शीतल हस्सते हुए माँफी मागने लगी…..तब जाकर देवश ने उसे पलंग पे लेटा दिया…

देवश : चल पगली अब मैं लेट हो जाऊंगा मुज़ेः भी निकलना है
शीतल : हाँ तो जाओ ना किसने रोका है आप तो बस अपनी बहन के साथ मस्ती करने लगे
देवश : लगता है तेरी शादी जल्दी करनी पड़ेगी
शीतल : नहीं भाई मैं मां से और आपसे दूर नहीं जाना चाहती आप जैसा भाई कहाँ मिलेगा जो इतना घूमता है फहीरता है खिलता है महेंगे महेंगे कपड़े देता है पता है मेरी सहेलिया वो ड्रेस देखकर बोली ये तो महेंगा है बाय्फ्रेंड ने दिया क्या?
देवश : तो बोल देती की बाय्फ्रेंड ने ही दिया है
शीतल : च्िी पागल हो
देवश : ज्यादा शरमाया मत कर मुझसे मैं तेरा अपना ही तो हूँ अगर बोल भी दिया तो क्या हुआ? पर हाँ ये सब बात मां को मत बताना
शीतल : पागल समझे हो क्या

देवश ने फौरन शीतल का हाथ पकड़कर उसे अपने गाओड़ी में बिता दिया…शीतल उठने लगी…देवश ने उसके गाल पे ज़ोर का एक पप्पी लिया…तो शीतल अपने गाल मलते हुए देवश को हल्की छपात मारकर भाग गयी देवश मुस्कराने लगा उसका लंड फिर खड़ा हो चुका था….

उधर कर्राहेतीं भरता हुआ अंजर एकदम से भौक्लके उठ बैठा…और सामने देखकर कनपने लगा…उसके चेहरे पे एक जोरदार थप्पड़ ऊस शॅक्स ने रसिदा था…सामने बैठा शॅक्स कोई और नहीं काला साया था “टीटी…तुऊउ यहां पे?”…..काला साया तहाका लगते हुए उठ खड़ा हुआ…”क्यों आबे डर लग गया क्या?”……अंजर हक्का बका चुपचाप गाल पकड़े बस बैठा ही है
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