Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
09-17-2021, 01:07 PM,
#59
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-63)

वो अपने हाथों से खलनायक को धकेलने लगी पर सब नाकामयाब….खलनायक ने उसके दोनों हाथ को क़ास्सके पकड़ा और उसके महेकते बदन पे मुँह फहीराने लगा….और फिर धीरे उसके छातियो से हाथों को हटा कर देखने लगा ऊसने उसके सख्त निपल्स को मुँह में भर लिया..रोज़ एकदम पत्थर सी बन गयी…खलान्यक बारे फहुराती से छातियो को दबा रहा था…अपनी टाँग रोज़ के टांगों के बीच फहीरा रहा था….रोज़ चुट्त नहीं सकती थी…वो बस खलनायक के बदन से लिपटी हुई थी…खलनायक ने रोज़ के छातियो को दबाते हुए उसके पेंट पे मुँह लगाया और वहां एक चुम्मा लिया…रोज़ एकदम सिसक उठी वो अपने बदन को हवा में उठाने लगी

खलनायक ने थोड़ा सा मास्क उठाया और अपने होठों से निकलती लपलपाती जुबान और होंठ दोनों पेंट पे रखक्के चुम्मने लगा..नाभी को चाटने लगा…रोज़ का बदन गोरी होने से अंधेरे में भी चमक रहा था….खलनायक पागलों की तरह पेंट को किस करता हुआ नीचे होने लगा

फिर ऊसने दोनों टांगों को हाथ से अपने फैलाया…और फिर बीच के सूजी चुत के भाग पे अपना मास्क आधा उठाते हुए अपने मुँह को रख दिया…रोज़ चौंक उठी…वो खलनायक के सर पे हाथ रखने लगी उसके मास्क को भी उठाने की कोशिश करने लगी…पर खलनायक इतना चूतिया नहीं था ऊसने क़ास्सके रोज़ के हाथ को अपने सर पे ही पकड़े रखा…और उसके सूजी चुत के नमकीन रस को पीने लगा

रोज़ की सूजी चुत के भीतर मुँह लगाकर ऊस्की महक को सूंघते ही जैसे वो पागल हो गया और बारे ही फुरती से रोज़ के हाथों को पकड़े पकड़े वो रोज़ के चुत के भीतर मुँह लगाए जबान चलता रहा उसके दाने को भी चुस्सता रहा…रोज़ कसमसाने लगी आहें भरने लगी…अपने छातियो पे ना चाहते हुए भी दबाने लगी…आजतक ऊसने ये बदन क्सिी को अँहि सौंपा था सिवाय अपने बाय्फ्रेंड और फिर अपने होने वाले प्यार देवश को लेकिन आज उसे समझ नहीं आ रहा था ऊसने ये क्या निर्णय लिया था

रोज़ के टांगों के बीच मुँह लगाए करीब कुछ देर तक खलनायक चुत को चाँटता रहा…और ऊसपे मुँह लगाए एक बार रोज़ की तरफ देख पढ़ता…ऊसने देखा की रोज़ एकदम लाल हो गयी है…तो फौरन चुत के मुआने पे दो उंगली डाली…फकच से उंगली अंदर धंस गयी…खलनेयक ज़ोर से चुत में उंगली करने लगा…बीच बीच में आहें भरती कार्रहती इधर उधर रगड़ती रोज़ को देखकर मजे भी लेने लगा….

रोज़ कुछ नहीं कह पा रही थी लेकिन ऊस्की चुत पे होती उंगली ने उसे रस छोढ़ने को मज़बूर कर दिया और वो कुछ ही पल में झड़ गयी खलनेयक ने नमकीन रस भारी चुत में फिर मुँह लगाकर उसे छूसा…और उसका स्वाद चक्खा…फिर ऊसने उठके रोज़ के छातियो को भी चूसना शुरू किया….इस बीच रोज़ के चुत पे लंड घिस्स रहा था…जब ये बात खलनायक ने नोटिस की तो ऊसने रोज़ को कांपता पाया…उसे लगा शायद रोज़ भी चुद ने को बेक़रार है अब घोड़ी की लगाम उसके हाथ में आ चुकी है

ये सोचते ही ऊसने अपने लंड को चुत पे घिस्सते हुए रस भारी चिकनी छेद में एक ही धक्के में पेल दिया…लंड अंदर घुस्सते ही रोज़ दहढ़ उठी…खलनायक ने एक हाथ से रोज़ के मुँह पे रख दिया..रोज़ फिर लाइट गयी ऊसने बारे ही आहिस्ते आहिस्ते लंड को करार धक्को से अंदर तक घुसेड़ दिया…रोज़ इस धक्को से बीच बीच में तड़प उठती…अब जो होना था वो हो चुका था…रोज़ की चुत में खलनायक का लंड धंस चुका था…

कुछ देर खलनायक वैसे ही रोज़ को देखते हुए दोनों पंजों को धंस को पाकड़े ही एक करारा धक्का लगता है…रोज़ फिर चीख उठती है….खलनायक रोज़ को तड़पते देखकर फिर चुदाई शुरू करता है…और फिर धक्के तेजी से बढ़ता है लंड चुत से अंदर बाहर धीरे धीरे होते होते राजधानी एक्सप्रेस की तरह एकदम ज़ोर की रफ्तार से अंदर बाहर होने लगता है…फचक पकच करके रोज़ की गीली चुत पानी छोढ़ने लगती है और फवारे की तरह चुत से निकालने लगती है लंड के चारों ओर से…लंड इतना चिकना था की चुत में आराम से प्रवेश करते गया

रोज़ की आंखों में आँसू देखकर खलनायक उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा रखकर उससे नज़र मिलता है “तेरे आंखों के आँसू बता रहे है की तू मज़बूर है…और मैं तेरे मज़बूरी का फायदा उठा नहीं रहा बल्कि मैं इस रात का फायदा यू था रहा हूँ हालत का फायदा उठा रहा हूँ”………खलनायक रोज़ के होठों पे होंठ रखकर उसे किस करने लगता है…अब रोज़ भी धक्को से सिहरने लगती है

दोनों के बदन आपस में मिलने लगते है रोज़ आंखें मुंडें रहती है…और खलनायक बड़ी ही धीमी आवाज़ में आहें भरते हुए रोज़ की चुत में लंड अंदर बाहर कर रहा होता है…वो रोज़ की छातियो को दबाए हुए रोज़ के गाल और होठों पे चूमने लगता है…कुछ ही देर में ऊस्की रफ्तार बेहद तेज हो जाती है और फिर वो झधने की कगार पे पहुंचने लगता है…दोनों की मीठी मीठी सिसकियां पूरे माहौल में गुणंज़े लगती है

कुछ ही देर में खलनायक अपना लंड रोज़ की चुत से निकल लेता है और उसके मुँह पे रखकर मूठ मारने लगता है….रोज़ को ना चाहते हुए भी ये काम तो करना ही था वो खलनायक के मोटे लंड को चुस्सने लगती है…ताकि वो अपने प्लान को अंजाम दे सके….रोज़ अओउ ुआओउ करके बेधधक बेसवार जलती आग में तारक की खलनायक के सिसकियों को सुनते हुए उसके लंड को चुस्सती है…..और कुछ ही पल में खलनायक लंड को रोज़ के मुँह से बाहर निकलकर उसके चेहरे पे ही झधने लगता है

रोज़ का पूरा चेहरे और मुखहोते पे सफेद गाढ़ा रस लगने लगता है…खलनायक भी हापसने लगता है पसीने पसीने होते हुए भी वो घुटनों के बाल बैठा नंगा नंगी रोज़ के चेहरे पे लंड फहीराते हुए अपने रस को निचोड़ रहा था…

रोज़ का चेहरा रस से गीला था…और उसके होठों पे लंड लगते के साथ ही रोज़ ने फौरन एक मुक्का उसके अंडकोष पे झड़ दिया…खलनायक गिर पड़ा…वो बहुत तक गया था…रोज़ ने फौरन ऊसपे न्नंगी चढ़ते हुए उसके मास्क को उतारना चाहा…पर नाकमााबी टूर से खलनायक ने उसे एक ही लात में हवा में फ़ेक दिया रोज़ दूर जाकर थोड़ा गिर पड़ी…खलनायक हंसते हुए उठा और काँपते हुए अपनी जीन्स पहनने लगा

इतने में पुलिस की साइरन की आवाज़ आने लगी…”तेरे पास भी वक्त नहीं और ना मेरे पास है पार्कसम से ये रात हमेशा याद आएगी चाहे तो अभी मेरा हाथ पकड़ और मेरा साथ निकल जा इस जगह से कहीं दूर..चोद ईमान को क्या रखा है इसमें सिर्फ़ दुख है दर्द और गरीबी”……….रोज़ के तरफ खलनायक हापसते हुए उसे हाथ देता है…रोज़ कीिस बैग की तरह न्नंगी घुर्रा रही थी जैसे अभी झपट पड़ेगी…पर पुलिस की साइरन को सुन वो भी काँप उठी

खलनायक अपने मास्क को ठीक करता हुआ..जीन्स और जॅकेट पहनने की कोशिश करने लगा ऊसने एक बार रोज़ की तरफ देखा और उसे उसके कपड़े फ़ेक के दिए….रोज़ ने ऊस हालत में जैसे तैसे कपड़े पहने…लेकिन ऊस्की फटी ब्रा खलनायक एह आठो एमिन थी उसे खलनायक सूंघ रहा था…रोज़ गुस्से से उबाल रही थी “तेरे लिए हमेशा मेरा दरवाजा खुला है मानता हूँ तू मुझे पुलिस के हवलए करना चाहती है लेकिन वो कभी नहीं होने वाला पर तेरे लिए मेरे घरके दरवाजे हमेशा खुला है कभी मिलना हो तो ढूँढ लेना मेरे आदमी बता देंगे तुझे हाहहहा”…….तहाका लगते हुए खलनायक भाग निकला

रोज़ को सख्त गुस्सा आ रहा था..आज वो इतना करीब होकर भी खलनायक को पकड़न आ सकी और ऊसने अपने बदन भी उसके हवाले कर दिया उसे खुद पे गुस्स्सा तो बहुत आया…लेकिन शर्मिंदगी के सिवाह और कोई चारा नहीं था…ऊसने जैसे तैसे अपने रूमाल से मुखहोते को उतारके पूरे चेहरे को पोंछा और वहां से फौरन दूसरी साइड से भाग निकली…जल्दी पुलिस को गाड़ी मिली खलनायक की और संग में घासो पे बिछी लाशें खलनायक ऊन में से कही नहीं था एक बार फिर पुलिस हाथ मलते रही गयी

रोज़ अपनी बाइक को तेजी से दौड़ा रही थी उसके ज़हन में खलनायक की बातें गूंज रही थी खलनायक ने उसे सिर्फ़ छुआ नहीं बल्कि उसे अपना साथी बनने का हाथ दे रहा था वो आदमी खतरनाक है चाहता तो गोली से मुझे मर देता पर ऊसने मुझे मारा क्यों नहीं? दूसरी ओर ऊसने अपने माथे को टांका की ये सब क्या किया मैंने? देवश के साथ धोखा ऊसपे क्या बीतेगी जब उसे पता चलेगा की मैंने खलनायक के साथ!….रोज़ को अपने ऊपर घिन्ना भी हो रही थी बेरहेआल ऊसने फैसला कर लिया की इस बारे में वो देवश को कुछ नहीं बनाएगी

सुबह 4 बजने से पहले ही..मैंने किसी तरह उठके अपनी पत्तियो के अंदर को ज़ख़्मो को टटोला..और फिर धीरे धीरे अपनी फटी वर्दी को किसी तरह पहनें…बिना कंचन को जगाए दरवाजे से निकल गया…ताकि उसके मोहल्ले वालो में किसी को मेरे यहां तहेरने की भनक ना लग जाए..एक तो ऐसे ही बेचारी विधवा है ऊपर से उसका कोई भी नहीं अब सब उसी पे उंगली उठाएँगे…मैंने जैसे तैसे एक नोट चोद दिया बांग्ला में…और वहां से निकल गया

पता चला जीप किनारे में ही वैसी की वैसी खड़ी है…चलो पुलिस को कुछ पता तो नहीं चला..मैंने जीप जैसे तैसे स्टार्ट की और अपने नये घर में आकर हॉर्न बजाई…दिव्या की नींद टूट गयी और ऊसने हप्पी छोढ़ते हुए दरवाजा खोला…मैंने फौरन गाड़ी अंदर कर ली…दिव्या मुझे अज़ीब तरीके से चलते देख पास आई

दिव्या : के..क्या हुआ तुम्हें?
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