RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
तीसरा दिन:
शायद मैंने राज पर भरोसा कर ये गलती कर दी थी. सुबह उठते ही पायल मुझे यकीन दिलाने लगी कि राज ने प्रतिमा को भी बेवफाई में शामिल कर लिया हैं. मैं ये मानने को तैयार नहीं था. प्रतिमा से बात करके भी मुझे ये बात साफ़ हो गयी थी कि ये भ्रम हैं.
पायल ने मुझे उकसा कर एक बार फिर वही खेल खेला. चादर लगने के बाद मैं और सब्र नहीं कर सका. मैंने पायल की चूत में लंड डाल ही दिया, क्युकी मुझे पता था कि वो मुझे मना कर भी नहीं सकती थी क्युकि सामने राज था.
पर मैं गलत था, उसने राज को अपनी मदद को पुकारा पर राज को ये सब एक जाल लगा और मदद को नहीं आया. कही न कही पायल को भी मजा आने लगा था. मैंने बिना आवाज किये जितना कर सकता था उतना उसको चोदने के मजे लिए.
पर ये खेल शायद मुझ पर ही भारी पड़ा, राज को एक बार फिर मौका मिला प्रतिमा के साथ सोने का. जैसे ही उसका लंड प्रतिमा की चूत के पास आया मुझे बुरा लगा, ये राज भरोसे के काबिल नहीं. पायल ने उन पर चादर डाला फिर तो माहौल बिलकुल ही बदल गया.
मैं मन ही मन जल रहा था कि कही राज कुछ गलत ना कर बैठे. पर प्रतिमा के चेहरे पर चढ़ी मस्ती को देख कर मेरा मन हल्का भी हुआ.
पायल तो उनका चादर खींचने वाली थी. मैं निर्णय नहीं कर पा रहा था कि पायल वो चादर खींचे या ना, अगर खींच दिया और सच में राज प्रतिमा को चोद रहा होगा तो क्या होगा. मैं इसी सच को मान कर आगे बढ़ा कि चादर में कुछ नहीं हुआ था.
कार में जब सजा के बारे में पता चला तो एक बार तो सदमे में आ गया. फिर लगा कही ये मेरा सपना सच होने जैसा तो नहीं. मेरा सदा सपना रहा कि मैं और प्रतिमा किसी ओर जोडे के साथ मिलकर एक दूसरे के पार्टनर को चोदे. दो दो मिनट के लिए ही सही वो सपना कही न कही सच होने जा रहा था.
प्रतिमा जब राज का लंड अपने मुँह में ले चूस रही थी तो मुझे पहले थोड़ी जलन हुई. उसने अपने मुँह में जमा राज का वीर्य थुंका तो मुझे अच्छा लगा कि उसके लिए ये मजा नहीं सच में सजा हैं.
फिर जब राज ने प्रतिमा को चोदना शुरू किया, तो प्रतिमा ने अपना चेहरा मुझसे छुपा लिया. मुझे उसकी नारी लज्जा पर गर्व हुआ.
एक मर्द और औरत की कमजोरी उसके नाजुक अंग होते हैं, जब उसके साथ वो सब कुछ हो रहा था फिर भी उसे मेरा ख्याल था.
उसने अपना शरीर जरूर कुछ मिनटों के लिए राज को दे दिया था पर मन से वो मेरी ही थी. मगर कही न कही मेरा वो एक ओर सपना पूरा कर रही थी. मैं हमेशा उसको किसी ओर के साथ चुदता देखना चाहता था.
राज ने जब प्रतिमा की गांड मारना शुरू किया तो मुझसे उसका दर्द नहीं देखा गया. वो मुझे भी कभी कभार ही अपने पीछे से करने देती थी पर यहाँ तो मज़बूरी थी. राज पर गुस्सा भी आया कि उसने ज़रा भी नरमी नहीं बरती.
यहाँ तक कि वो प्रतिमा की गांड में ही झड़ गया. उन छह मिनटों में मेरा लंड कड़क हो गया था. मैं राज से अपना बदला निकालने के लिए पायल को निशाना बनाना चाहता था.
पायल भी जिस तरह से मेरा लंड मुँह में डाल अच्छे तरीके से हिला रही थी वो कला तो प्रतिमा के पास भी नहीं हैं. मेरा तो पानी वही निकलना शुरू हो गया था और जिस तरह से पायल ने मेरा वीर्य अपने गले के नीचे उतार दिया मुझे लगा कि वो मुझे स्वीकार कर चुकी हैं.
उसके बाद मैंने उसकी चूत को जमकर चोद प्रतिमा का बदला भी लिया. मैं तो उसकी चूत में ही झड़ने वाला था पर कोई बात नहीं मैंने अपना बाकि का काम उसकी गांड में कर के हिसाब चुकता कर दिया.
बाद में सोचा, अच्छा ही हुआ जो सजा का टास्क हुआ, इस बहाने छह मिनट के लिए ही सही, मेरा एक सपना पूरा हुआ पार्टनर की अदला बदली का.
ये भी ठीक ही हुआ की हम चारो के मन में अब कोई गुस्सा या बदले वाली भावना नहीं रही थी. कही ना कही हम चारो ने इसको अच्छे तरीके से निभाया था.
बरसो बाद नदी में नंगे नहाने का आनंद मिला. प्रतिमा को सामान्य होते देख मुझे ख़ुशी हुई. उसे राज से कोई शिकायत नहीं थी और उस घटना को भूल वो एक अच्छे दोस्त की तरह पेश आ रही थी. मेरे कहने पर वो उसकी गोद में भी बैठ गयी.
जब पायल बिना कपड़ो के मेरी गोद में आकर बैठ गयी, तो मेरी शरीर में फिर तरंगे पैदा होने लगी थी. चोदने की इच्छा तो बहुत हो रही थी पर प्रतिमा और राज के सामने कैसे मुमकिन था.
एक बार सोचा वो सजा फिर शुरू हो जाए, और इस बार दो मिनट की लिमिट ना हो.
दोस्तों देसी कहानी पर आपके लिए हजारों देसी इन्सेस्ट स्टोरीज मोजूद है. जिन्हें पढ़ कर आप पूरा लुफ्त उठा सकते है.
राज और प्रतिमा जब पायल के मम्मो को चाट रहे थे तो मेरी भी बड़ी इच्छा हुई और दूसरे आमंत्रण के बाद तो जैसे मैं पायल पर टूट ही पड़ा.
जिसके शरीर को आप पसंद करते हो उसको इस तरह छूने का मौका मिले तो कौन छोड़ेगा. खास तौर से पायल की कोक भरी चूत को चाटने का स्वाद मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाउँगा.
जब राज ने प्रतिमा के चूत पर कोक डाल चाटना शुरू किया, तो मुझे उसकी मंसा समझ में आयी कि मुझे पायल के साथ लगा कर वो प्रतिमा के मजे लूटने चाहता था.
शायद मैं भी उससे यही बात काफी समय पहले कहना चाहता था पर कभी कह नहीं पाया. मैंने उसका बुरा नहीं माना बल्कि अच्छा लगा जिस तरह प्रतिमा सिसकिया निकालते हुए मजे ले रही थी.
औरतो के अंगो को चाटने तक ठीक था पर राज ने मेरा लंड भी पायल के मुँह में डालने को बोल दिया. मुझे लगा सब लोगो का मूड वैसे भी तैयार हैं तो मैं ज्यादा झिझका नहीं.
जब मामला चोदने तक पहुंच गया तो मैं ठिठक गया. मन में चाहता था कि प्रतिमा भी पास में लेटे लेटे मेरी आँखों के सामने चुदवाये.
पर राज ने बोला उसका ऐसा कोई इरादा नहीं और प्रतिमा भी इस बात से खुश थी तो मैं ज्यादा जोर नहीं देना चाहता था.
मैंने पायल को चोदना शुरू कर दिया वो भी राज और प्रतिमा के आँखों के सामने. थोड़ी घबराहट भी थी कि वो दोनों क्या सोचेंगे पर पायल का लाल चेहरा देख कर मैं सब भूल गया.
पहली बार पायल को आगे से चोद कर मजा आने लगा. वो मुझे ओर उत्तेजित कर रही थी.
ज़िन्दगी में पहली बार बिना मज़बूरी के मैं प्रतिमा के सामने किसी और औरत को चोद रहा था. ये सोच कर ही मेरे शरीर में खून तेजी से दौड़ रहा था.
मैं ज्यादा जोर लगाने के लिए बैठ कर चोदने लगा ताकि मैं प्रतिमा का चेहरा भी पढ़ पाता कि उसको कैसा लग रहा हैं. प्रतिमा मेरा साथ देते हुए पायल के मम्मे चूसने लगी. मुझे लगा उसकी भी इसमें रजा हैं और शायद उसकी भी इच्छा हो रही होगी.
मैंने राज को इशारा कर दिया कि वो प्रतिमा को चोद सकता हैं. राज तो मेरे इशारे का ही इंतजार कर रहा था, उसने जल्दी से प्रतिमा को पीछे से ही चोदना शुरू कर दिया.
प्रतिमा थोड़ा विरोध करने लगी पर मुझे लगा वो शर्म के मारे नखरे दिखा रही होगी. पर उसकी चिंता शायद गर्भवती हो जाने की थी. मैंने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज को इशारे से रोका. तब तक प्रतिमा हमसे नाराज हो चुकी थी.
मुझे लगा हमारा खेल बर्बाद हो गया, प्रतिमा अभी इन सब चीजों के लिए तैयार नहीं हुई हैं. हमने शायद जल्दबाजी कर दी. हम दोनों उसको मनाने गए. राज ने आगे बढ़ कर वो जिम्मेदारी संभाली और मुझको फिर पायल के पास भेज दिया.
मैं भी पायल को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था. वापस पायल के पास आकर मैंने उसको फिर से चोदना शुरू कर दिया था. अब पता नहीं हम दोनों कितने समय बाद मिले इसलिए मुझे अगले काफी समय के लिए एक साथ चोदना था.
खुले आसमान के नीचे किसी दूसरे की बीवी को उसी की इजाजत से चोदने का क्या मजा हैं वो मुझे पता चला. जिसको चोदने के सपने खुली आँखों से देखते हैं अगर उसी को हकीकत में चोदने का मौका मिल जाये तो फिर क्या कहना.
मैं अपना एक सपना जी रहा था. मुझे नहीं पता मेरे लंड ने इतना सारा पानी कभी एक साथ निकाला हो. पायल की पूरी चूत अंदर बाहर से मेरे और उसके पानी से भर चुकी थी.
हम दोनों उठ कर एक साथ नदी में कूद पड़े और एक दूसरे को रगड़ कर नहलाने लगे. मैं तो भूल ही गया कि प्रतिमा नाराज हुए बैठी हैं. पायल उसको लेने गयी और खाली हाथ लौट आयी. पर उसने दिलासा दिया कि वो अब ठीक हैं और थोड़ी देर में आ जाएगी.
राज जब उसको लेकर आया तो प्रतिमा अपनी मदमस्त चाल में चलती हुई आ रही थी. उसके मम्मे चलने के साथ ही उछलते हुए आ रहे हैं थे. उसे देख कर मुझे लग गया कि वो अब मुझसे नाराज नहीं होगी.
उसने आकर मुझे गले लगा कर माफ़ कर दिया. उसने मेरे गुनाह माफ़ कर दिए, वो भी ऐसा गुनाह करती तो शायद मैं भी उसे बड़ा दिल रखते हुए माफ़ कर देता.
जाते जाते मैंने राज को धन्यवाद दिया कि उसने मुझे अपनी बीवी को चोदने का मौका दिया, उसने भी मुझसे वादा लिया कि अगली बार जब हम फिर घूमने जायेंगे तब मैं उसका ये अहसान चुका दू.
मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब हम चारो फिर से एक साथ घूमने जायेंगे, इस बार मैं प्रतिमा को पहले ही इन सब चीजों के लिए तैयार कर लूंगा. मेरा अदला बदली कर चोदने का सपना शायद अगली बार पूरा हो जाये.
डायरी समाप्त
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|