Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:39 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
मेरे अंदर एक बिजली सी दौड़ पड़ी. काफी समय के बाद उन्होंने किसी स्त्री के नाजुक अंगो को छुआ था, तो वो भी पूरा हिल चुके थे.

मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था और वो गाउन बहुत मुलायम और पतला था. वो मेरे अंगो को बिना वस्त्रो के जितना ही महसूस कर सकते थे.

जानिए आरती की कहानी की कैसे उसने अपनी सहेली की चुदाई देखी और खुद भी चुदाई करवाना सिख गयी.

अगले कुछ पलों में उनकी उंगलिया मेरे वक्षो पर अठखेलिया कर रही थी. तुरंत दया की देवी मुझ से बाहर आ गयी. मैं अपने होश में आ चुकी थी, और सोच रही थी की यह मैंने क्या अनर्थ कर दिया.

अपने आप को पर पुरुष के हवाले कर दिया. अब मैं क्या करूँ.

अब उन्होंने मेरे वक्षो को दबाना और मलना शुरू कर दिया था. एक औरत होने के नाते मुझे कुछ आनंद तो आ रहा था साथ ही डर भी लग रहा था.

मैं अब इस मुसीबत से कैसे बच सकती हूँ. मुझे कुछ उपाय सूझता उससे पहले ही उन्होंने मुझे पलट कर सोफे पर धकेल दिया. अब मैं घुटनो और हाथों के बल सोफे पर थी. उन्होंने मेरे गाउन को नीचे से उठाते हुए कमर के ऊपर तक उठा दिया.

अब मेरे नीचे का भाग पूरा नग्न था और उनकी तरफ खुला था. मुझे अहसास हो गया था कि आज मेरी इज्जत मेरे पति के अलावा किसी और के हाथों में भी जाने वाली थी.

मुझे कुछ और नहीं सूझ रहा था. मैं स्तब्ध हो उसी हालत में बैठी रही और सोच रही थी कि अब क्या करू.

तब तक उन्होंने अपने कपडे उतार लिए थे और अपने लिंग को मेरे नितंबो के बीच रगड़ने लगे.

क्या मैं चिल्लाऊं? मगर मैंने ही तो उनके हाथों को पकड़ कर यह सब करने की शुरुआत की थी. गलती तो सारी मेरी ही थी. वो तो विश्वामित्र बन के बैठा था. मैंने ही मेनका बनके उसकी तपस्या भंग की थी.

मेनका की तरह अब मुझे भी एक श्राप तो भुगतना ही था. ऐसा श्राप जो एक शादीशुदा औरत नहीं झेलना चाहेगी. मैं अपनी मूर्खता और किस्मत को कोसने के अलावा अब कुछ और नहीं कर सकती थी.

मैं अब तक सुन्न हो चुकी थी. अभी भी शायद कुछ नहीं बिगड़ा था. मैं कुछ हरकत करती उससे पहले ही वो मेरे पीछे आ चुके थे और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया. उनके मुँह से एक जोर की आह निकली.

भीग कर ठंड लगने की वजह से अब तक जो शरीर में कपकपी हो रही थी. अचानक अपनी चूत में उस गरमा गरम लंड के जाते ही मेरे शरीर में दौड़ता लहू गरम हो गया.

मेरी तो साँसे ही थम गयी उन कुछ सेकण्ड्स के लिए और मेरे मुँह से सिर्फ एक गहरी आहह्ह्ह निकली.

शायद काफी समय से यह सुख नहीं मिलने पर पुरुषो का यही हाल होता होगा. अब मुझे मेरे प्रतिरोध करने का कोई फायदा नजर नहीं आया. मैं अब सब कुछ लुटा चुकी थी. अब वह आगे पीछे होकर गति करने लगे धीरे धीरे यह गति बढ़ती जा रही थी.

वो प्रेमानंद में डूबते जा रहे थे और सिसकिया निकाले जा रहे थे. मैं इस बीच अपने पति के बारे में सोच रही थी. मेरी एक छोटी सी गलती की वजह से अब मैं उनको मुँह नहीं दिखा पाऊँगी.
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 01:39 PM

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