Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:40 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
अशोक थोड़ी चिंता में पड़ गए. कही रंजन बीच रास्ते में ही कल रात वाली मांग ना रख दे. पर मैं खुश थी, इसलिए नहीं की रंजन मेरे साथ कुछ कर सकता था पर इसलिए कि मुझे इल्जाम डालने वाला एक बकरा मिल गया था.

अशोक के पास और कुछ विकल्प तो था नहीं तो उसको मानना पड़ा. हम लोग इंतजार करने लगे कि रंजन नाश्ता कर तैयार हो जाये. उसके तैयार होते ही हम गाड़ी से निकल पड़े.

वहा पर आपस में लगी हुई दो पहाड़िया थी, दूसरी पहाड़ी पर स्तिथ मंदिर तक पहुंचने के लिए उन पर से एक सीढ़ियों का घुमावदार रास्ता बनाया गया था. सोमवार का दिन था तो मंदिर पर कोई था ही नहीं. हम तीनो दर्शन कर वापिस नीचे उतरने लगे.

मंदिर वाली पहाड़ी पार कर ली थी और दूसरी वाली पहाड़ी से नीचे उतरने लगे. एक जगह आकर रंजन सीढ़ियों पर रुक गया. उसे देख हम दोनों भी रुक गए और उसकी तरफ देखने लगे.

रंजन: “अशोक मेरा अभी मूड बन गया हैं, मैं और प्रतिमा उन झाड़ियों के पीछे जाकर कर लेंगे तुम यही निगरानी रखो और कोई आये तो हमें सचेत कर देना.”

उसने सीढ़ियों के रास्ते से बीस कदम दूर एक झाड़ियों की तरफ इशारा किया. वो छोटा सा घना झाड़ था. इससे पहले कि मेरे पति कुछ बोलते, रंजन मेरी कलाई पकड़ कर मुझे उन झाड़ियों की तरफ ले जाने लगा.

रंजन आगे आगे और मैं उसके पीछे पीछे खींचते हुए चली जा रही थी. पीछे मुड़ कर अशोक को देखा, उसके चेहरे पर एक मज़बूरी थी और वो हमें उन झाड़ियों के पीछे जाता देखता ही रह गया.

वो झाड़ पांच फ़ीट ऊँचा और सात फ़ीट चौड़ा था. हम दोनों झाड़ के पीछे बैठ गए. उस झाड़ के पीछे से पत्तो के बीच की जगह से ऊपर जाने की सीढिया बड़ी मुश्किल से दिखाई दे रही थी.

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रंजन ने मुझे नीचे घास पर लिटा दिया और मेरी साड़ी को मेरे पेट और कमर से हटा दिया. अब वो मेरे शरीर के मध्य भाग को चूमने लगा, जिसको इतनी देर से साड़ी के बीच से देखना चाह रहा था.

कल रात की तरह काम पूरा होने से पहले ही कही झड़ ना जाए इसलिए वो आज कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था. उसने मेरी साड़ी नीचे से पेटीकोट सहित ऊपर उठा दी. आगे से मेरे पाँव, फिर जाँघे और फिर मेरी पैंटी दिखने लगी थी.

उसने अब अपने दोनों हाथों से मेरी पैंटी पकड़ कर पैरो से निकाल दी. वो मेरी दोनों टांगे चौड़ी कर बीच में घुटनो के बल बैठ गया. उसने अपनी पैंट और अंडरवियर घुटनो तक नीचे कर दी.

उसका लंड तो मुझको चोदने के ख्याल से पहले से ही तैयार था, फिर भी थोड़ा सा और रगड़ कर उसको लंबा और कठोर करने लगा, जैसे कोई कारीगर अपने औजार इस्तेमाल से पहले तीखे करता हैं.

जब उसे लगा कि उसका सामान तैयार हैं, तो उसने अपना हाथ मेरी चूत पर रख मेरी खुली दरारों में अपनी ऊँगली रगड़ कर वहा चिकना करने लगा.

कुछ सेकंड में ही मेरी चूत के वहा अच्छा ख़ासा गीला हो चूका था. उसके ऊँगली करने से मेरी हलकी आहें भी निकलने लगी थी.
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 01:40 PM

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