Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 02:12 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
राहुल: “मुझे कुछ समय दो, अपने आप को तैयार करने के लिए।”
मैं फिर सीधा खड़ी हो इंतजार करने लगी। एक दो मिनट के बाद वो फिर बोला।
राहुल: “अगर तुम्हे कोई आपत्ति ना हो तो मेरी मदद कर दोगी तैयार करने में। ”
मैं सकपका गयी, उसके लंड को कैसे हाथ लगा सकती हूँ। मगर समय बचाना था, जल्दी से इस स्तिथि से बाहर आना था। तो मैंने बिना मुड़े अपना हाथ पीछे किया और टटोलने लगी उसका लंड कहाँ हैं। उसने मेरा हाथ पकड़ा और रास्ता दिखाते हुए अपने नरम पड़े लंड पर रख दिया।
हाथ से उसके लंड को छूते ही मुझे जैसे करंट लगा और मैंने झटके से हाथ फिर खींच लिया। मैंने एक बार फिर प्रयास किया और इस बार बिना उसकी मदद के अपना हाथ पीछे ले जाकर उसके एब्स पर रख दिया, फिर बिना हाथ उठाये उसके बदन पर खिसकाते हुए उसके लंड तक ले आयी और उसे पकड़ लिया।
उसका तीन चार इंच का जेली समान नरम लंड था। मैंने उस पर अपना हाथ रगड़ना शुरू किया। हाथ पीछे की तरफ था तो संतुलन नहीं बैठ रहा था।
राहुल: “तुम मेरी तरफ घूम जाओ, नहीं देखना हो तो नीचे मत देखना। ”
मुझे उसकी बात समझ में आ गयी, मैं नजरे सीधी सामने रखते हुए उसकी तरफ मुड़ गयी। हम दोनों अब एक दूसरे के चेहरे पर देख रहे थे।
मैं एक बार फिर अपना हाथ अंदाज़े से नीचे ले गयी और एक बार में उसके लंड पर हाथ रख उसको पकड़ रगड़ने लगी।
जैसे जैसे मैं उसका लंड रगड़ रही थी वो मेरी तरफ देख हल्का सा मुस्कुरा रहा था, तो मैं भी शर्म के मारे मुस्कुरा रही थी। कुछ ही देर में उसका लंड बड़ा और कड़क होने लगा था। उसका लंड अब हल्का गरम हो चुका था पर थोड़ी नरमी अभी बाकी थी। मैंने उसके चेहरे पर देखा तो कभी एक शिकन आ जाती तो कभी उसका मुँह हल्का सा खुल जैसे सिसकी निकलने को होती और वो दबा लेता। उसकी हंसी अब गायब थी।
उसका ये मजा लेता चेहरा देख मुझे भी कुछ कुछ होने लगा, पर शरम ज्यादा थी। वो मेरी तरफ देख रहा था और मैं अपना चेहरा कैसे छुपाती। मैं बीच बीच में इधर उधर देखने लगती। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे दबाने लगा। मुझे भी लगा कि उसका सामना करू उससे अच्छा हैं नीचे बैठ कर रगड़ू।
मैं अब नीचे बैठ गयी और उसका लंड मेरे सामने था। उसके लंड के अंदर की नसे थोड़ी तन गयी थी। ये मेरी चूत में जाने के लायक तो था पर गांड के लिए थोड़ा और कड़क होना जरुरी था। मैं पंजो पर बैठे अपना संतुलन नहीं बना पा रही थी तो उसकी एक जांघ को पीछे से पकड़ लिया। एक इच्छा हुई उसका लंड मुँह में ले लू ताकि जल्दी कड़क हो जाये। पर आगे बढ़कर कैसे करूँ, वो क्या सोचेगा।
उसने अपना हाथ मेरे सर के पीछे रखा और आगे की तरफ अपनी ओर लाने लगा। शायद वो भी मेरी तरह यही चाहता था। मैंने अपने हाथ में पकड़ा लंड अपने मुँह में रख दिया और उसकी एक स्पष्ट आह निकली।
मैंने अब अपना दूसरा हाथ भी फ्री कर उसकी दूसरी जांघ को पीछे से पकड़ लिया।
उसका आधा लंड मेरे मुँह में था और मैं आगे पीछे हो उसे रगड़ रही थी और उसस्की सिसकिया चालू थी। थोड़ी देर में उसने मुझे मुँह में ही जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया। मैं भी अपना मुँह आगे पीछे कर रही थी और वो भी आगे पीछे हो रहा था तो इससे गति ज्यादा हुई। उसका लंड अब स्टील की भांति कड़क हो चूका था।
उसके लंड का टेस्ट मुझे अच्छा लग रहा था और उस पर उसकी सिसकिया, मैं उनमे गुम हो रुकी नहीं। फिर अचानक गप्प की आवाज आयी और उसने अपना पूरा लंड मेरे मुँह में उतार दिया और वही रुक गया, उसका लंड मेरे गले तक उतर गया था । मेरी तो सांस ही रुक गयी, और मैंने जल्दी से उसका लंड बाहर उगल दिया।
मैं अब खांसते हुए खड़ी हुई क्यों कि उसका थोड़ा पानी मेरे गले में अटक गया था। मैं अब थोड़ा सामान्य हुई, वो मुझे अब पोजीशन में लाने लगा। उसने मुझे बेड के किनारे पर घोड़ी की तरह घुटनो और कोहनियो के बल लेटा दिया। मेरे घुटने बेड के किनारे पर थे और गांड का हिस्सा बेड के बाहर लटका था। जब कि मेरा धड़ और सर बिस्तर पर था।
इस पोजीशन में आते ही मेरी ड्रेस नीचे से थोड़ी सी ऊपर हो गयी और जाँघे बाहर आ गयी। वो मेरी गांड की तरफ बिस्तर के पास नीचे खड़ा था। उसने मेरी ड्रेस नीचे से पकड़ी और ऊपर उठा कर मेरी गांड को नंगा कर दिया। ड्रेस हटते ही मेरी गांड और चूत के छेद पर हवा पड़ने लगी। मैं अपने बॉस के सामने पहली बार नंगी थी।

इस पोजीशन में जरूर उसको मेरी चूत का छेद भी दिख रहा होगा ये सोच कर मुझे और भी शरम आ रही थी। गांड मारते हुए वो मेरी शक्ल नहीं देख पायेगा बस ये ही अच्छी बात थी। मैंने सोचा मैं खड़े हो कर गांड मरवा लेती हु ताकि वो मेरी चूत को ना देख पाए। मैं खड़े होने को हुई और उसने मेरी ड्रेस को और भी ऊपर खिसका कर कमर से ऊपर कर दिया। अब मेरी नंगी गांड के साथ नंगी कमर भी उसके सामने थी।

वो नीचे खड़ा था और अपने हाथ की उंगलिया मेरे गांड के छेद पर रगड़ने लगा, चूत का छेद एकदम उसके नजदीक ही था तो उसकीउंगलिया वहा भी छूने लगी। मेरा पानी निकलने लगा था उसकी उंगलिया भीग गयी थी और उसने वो पानी मेरी गांड के छेद पर लगा दिया। वो अपना उंगलिया मेरी चूत के छेद से शुरू करते हुए रगड़ता हुए गांड के छेद तक लाते हुए चिकनाई लगा रहा था।

अनायास ही उसकी उंगलियों की छुअन से मेरी चूत अपना थोड़ा पानी छोड़ रही थी। मुझे मेरी गांड पर भी उस सारे चिकने पानी के लगने से अब ठंडाई महसूस हो रही थी ।

तभी एक कड़क गरम लोहे की छड़ की तरह चीज मेरे गांड के छेद को छू गयी। उसका लंड अब मेरे अंदर प्रवेश को तैयार था। उसने अपने लंड की टोपी मेरे गांड के छेद में घुसा हल्का धक्का मारा और उसका दो इंच लंड मेरी गांड के अंदर घुस गया और मेरी एक आह निकली।
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 02:12 PM

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