antervasna चीख उठा हिमालय
03-25-2020, 12:36 PM,
#10
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
लोगों ने देखा…किसी मुर्दे जैसा चेहरा, चेहरे की हर हडडी उभरी हुई । गडृढों में धंसी छोटी-छोटी किन्तु बेहद चमकीली आखें । दोनों तरफ से होंठों पर झुकी मुंछें । दाढ़ी के ठोढ़ी पर कम बाल थे किन्तु वेहद लम्बे । सिर पर गिनती के ही बाल थे ।



… चेहरे की सम्पूर्ण खाल इस तरह झुलसी हुई थी मानो कि निचोढ़ने के लिए उमेठ हुआ कपडा ।



पतले-बेहद पतले होंठों पर मुस्कान थी ।




"‘गुरु अाप !" सिंगही को देखते ही श्रद्धापूर्वक वतन सिंहासन छोड़कर खड़ा हो गया ।।



-"अभी हम मरे नहीं हैं वतन बेटे ।" सिंगहीं की भयानक , आवाज राजमहल में सरसरा उठी ---" यह दूसरी बात थी कि राजा बनते ही तुम गुरू को भूल गए । "




" तुम उस वक्त तक एक पटृटा लिखवाकर आए हो चचा, जव तक साली ये दुनिया चलेगी ।" इससे पूर्व कि वतन कुछ जवाब दे, विज़य बोल पड़ा---"तुम साले नम्बर एक के बेशर्म 'भला मर कैसे सकते हो ?"



विजय को देखकर हल्के से मुस्कराया सिंगही, बोला---"बेटे तुम सबको मारने के बाद ही मरेंगे हम ।"




"मरने वाले हम भी नहीं हैं चचा ।"



इससे पहले कि सिंगही पुन: विजय के जवाब में कुछ कहता, वतन ने कहा…गुरु आओ, यह सिंहासन खाली , आपके लिए ।"

हल्के से मुस्कराया सिंगही कहने लगा----"उस सिंहासन पर बैठकर मुझें इस बूढी दादी मां की तरह मरना नहीं है ।। चमन का यह सिंहासन राजा के रूप में सिर्फ तुम्हें स्वीकार करता है कोई अन्य राजा बनना चाहेगा तो अंजाम तुम्हारी दादी मां जैसा होगा । हमें तो पता लगा था के अाज हमारा वतन चमन का राजा वनने जा रहा है, सोचा---शायद तुम्हें हमारे आशीर्वाद की जरूरत हो ।"



इस बीच सिंहासन की सीढियां तय करके वतन सिंगही के करीब अा गया था ।



पूर्ण श्रद्धा के साथ झुककर उसने सिंगहीं के चरण स्पर्श कर लिए । सिंगही ने प्यार से उसक सिर पर हाथ फेरा । उठाकर कलेजे से लगाया, बोला-"खुश रहो वतन ! मेरी तरफ से मुबारक हो कि आज तुम्हारी बचपन से संजोई इच्छा पूरी हुई ।"



'"आपके आशीर्वाद से ही यह संभव हो सका है, गुरु ।" वतन ने कहा----""गुरु अाप नाराज तो नहीं मुझसे ?"



"'क्यो ? किसलिए नाराज होना चाहिये मुझे ?"


“वो..हिचका वतन----"मैंने अापका अडडा नष्ट कर दिया । आपका अभियान बीच में ही असफल हो गया....."




" पगला !” सिंगही कह उठा…"इसमें नाराज़ होने जैसी क्या बात है ? मैं तो पहले ही जानता था कि तुम्हें हिंसा पसन्द नहीं, और अगर तुम्हें मेरे अभियान के बारे में भनक भी लगी तो तुम मेरा विरोध करोगे । इसीलिए तो वह सब कुछ तुमसे छूपाकर किया था । मगर, तुम वहां पहुच गए । जो हुअा वह मेरे लिए कोई नई बात नहीं । हां-इस बात की मुझे अपार खूशी है कि इस बार यह काम तुमने किया-----" मेरे शिष्य ... मेरे शागिर्द ने !”



" गुरू ।" वतन ने विनती-सी की----'' यह हिंसा छोड क्यों नहीं देते ...."




…"'वतन ।" उसकी बात बीच में ही काटकर सिगहीं ने कहा---" तुम अाज भी शागिर्द हो न मेरे ?"


" कैसी बात करते हैं गुरू ! हमेशा रहूगां । "



"हमारी एक वात मानोगे ?"



" अाप कहकर तो देखिए ।" वतन ने कहा---"'हां, किसी निर्दोष की हत्या का अादेश न देना ।"



"जाकर चुपचाप सिंहासन पर बैठ जाओ। सिंगही ने कहा…"इघर-उधर की बातों में समय जाया मत करों सं आज तुम्हारा राजतिलक होना है । हमें तो बुलाया नहीं तुमने, लेकिन हम खुद ही चले अाए । सोचा…शिष्य नालायक हो जाए तो गुरु को उसका अनुकरण करना नहीं चाहिए ।"

वतन कुछ नहीं बोला । चुपचाप गर्दन झुकाकर मुड़ा । आहिस्ता-अाहिस्ता चलता हुआ वह सिंहासन के नजदीक पहुंचा, फिर उस पर बैठ गया । इधर विजय सिंगही से कह रहा था---"चचा, हो तुम पूरे बेशर्म ।"




" मेरी नहीं वतन की बात करो विजय बेटे !"



सिंगही ने कहा---"बोलो, गलत तो नहीं कहा था हमने? है ना मेरा बतन----शेर का बच्चा ?"




"अवे जाओ चचा, तुम गधे के बच्चे भी नहीं !"



इधर विजय की बात पर सिंगही ने जैसे कोई ध्यान ही नहीं दिया । वह तो विकास को देख रहा था, बोला…"क्यों विजय बेटे ! आज तुम्हारा यह दुनिया का सबसे खतरनाक लड़का क्यों चुप है ?"




"‘ये सोचकर दादाजान' कि मुकद्दर भी ऊपर वाले ने क्या चीज बनाईं है !" विकास ने कहा----"वतन जैसे चन्द्रमा पर यह ग्रहण लगाया था कि उसके गुरु अाप हैं । सो लग गया उस पर गुरु, शुक्र मनाओ कि वतन आपकी इज्जत करता है ।”



-"'हा...हा...हा !" अचानक बहुत जोर से हस पड़ा सिंगही ।



ऐसी भयानक हंसी जैसे अचानक कब्र में दबा कोई मुर्दा खनखनाकर हंस पड़ा हो । चमन के नागरिकों के जिस्मों में आंतक की लहर दौड़ गई । रीढ की हडिडयां कांप उठी, फिर सिंगही की सर्द अवाज---" मान गए तुम कि मेरा वतन शेर का बच्चा है ।"



"प्यारे सिंगही ।" एकाएक अलफांसे बोला----"दुख है तुम अपने चेले को भी अपने नापाक ईरादों से सहमत न का सके ।"




"मुझे किसी को अपने ‘इरादों' से सहमत करने की जरूरत नहीं है मिस्टर अलफांसे !" सिगहीँ ने कहा-------"अपने इरादे का मैं अकेला ही काफी हूं । एक दिन मैं अकेला ही इस सारी दुनिया का, जिसमें तुम भी होगे-सम्राट बनकर दिखाऊँगा ।"



" कम से कम उस वक्त तक तो ऐसा हो नहीं सकता, जब तक कि अलफांसे जिन्दा है ।"




"'खैर ।" सिंगही ने वतन की तरफ देखते हुए कहा, जो उसके अादेश के मुताबिक सिंहासन पर जाकर बैठ गया था---"इस वक्त हम किसी से कोई बहस करने नहीं बल्कि अपने वतन` का राजतिलक करने आए है ।"

कहने के साथ ही सिंगही सिंहासन की तरफ बढ गया । सिंहासन के समीप ही एक स्टूल पर रोली और चावल की थाली रखी थी । करीब पहुंच कर सिंगही ने रोली में अंगुल डुबोया । वतन की तरफ देखकर वह मुस्कराया--- पहली बार---हां, देखने बालों के लिए शायद यह पहला ही मोका था जब सिगहीँ के होंठों पर ऐसी प्यारी मुस्कान उभरी थी । आंखों में चमक, खतरनाक नहीं, खुशी की चमक !



उसने टीका वतन के गोरे माथे पर लगाया, साथ ही बोला-"मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है बेटे । दुनिया कहती है, मैं भी मानता हू कि सिंगही ने किसी का सगा होकर नहीं रहा । मोका मिलते ही सबसे पहले मैं अपने साथियों को मारता हू। बेशक तुमसे मिलने से पहले सिंगही के पास सिर्फ दिमाग था, दिल नहीं, लेंकिन...लेकिन... तुम मिले तो मैंने जाना कि मेरे सीने में कहीं-न-कहीं दिल भी है । तुमसे मिलने से पहले सोचता था कि लोगों को एक दूसरे से प्यार क्यों हो जाता है ? तुमसे मिला तो जाना-प्यार मुझे भी हो गया है । मेने अपने ईलावा किसी के बारे में कभी यह नहीं सोचा कि वह ऊंचा 'उठे-कुछ बने, किंतु न जाने क्यों, दिल चाहता है कि तुम ऊंचे बनो ! मेरा आशीर्वाद तुम्हरे साथ है । इस छोटे से मुल्क की यह राजगद्दी तुम्हें मुबारक हो ।"


फिर…उसने रोली पर चावल भी चिपका दिए।


एक बार पुन: श्रद्धापूर्वक वतन ने झुककर' सिंगही के पैर छए ।


चरणों से उठाकर सिंगही ने उसे सीने से चिपका लिया ।।


" मेरा बच्चा होकर काम तो तुमने दुश्मनों वाला किया था वतन, गुस्सा , भी अाया था । सोचा था तुम्हें उस गुनाह की सजा दूं जो तुमने किया। मगर न 'जाने क्यों माफ कर दिया तुम्हें ।"



वतन को सिंहासन पर बैठाकर सिंगही नीचे उतर आया । फिर राजतिलक का दौर चला ।

अलफासे ने किया, विजय ने क्रिया, तो बोला---"याद है बेटे एक महीने के बाद ही राजा बने हो ।"


वतन धीमे से मुस्कराकर रह गया ।
पिचासनाथ के बाद विकास ने किया ।


अपोलो औंर धनुषटंकार के बाद, बागारोफ ने तिलक लगाते हुए कहा…"साले गुलाब की दुम, तुम शायद पहले मुजरिम हो, जो एक ऐसे आजाद देश का राजा बने हो जिसे धीरे-धीरे करके दुनिया के सभी राष्ट्र मान्यता दे रहे हैं ।"

"सब अाप, जैसे बुजुर्गों का आशिर्बाद है चचा !" वतन ने कहा था ।"


तिलक करने के खाद बागारोफ अभी सिंहासन से नीचे उतरा ही था ।




-"उपस्थित्त सज्जनों को प्रणाम !" दरबार में एक ऐसी आबाज गूंजी जैसे आचानक फुल साऊंड पर चलता हुअा रेडियों खराब हो गया हो !


अन्य सब तो चोंकें लेकिन जानकारों के मुंह से निकला--------टुम्बकटू..टुम्बकटू..!
Reply


Messages In This Thread
RE: antervasna चीख उठा हिमालय - by sexstories - 03-25-2020, 12:36 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 2,198 10 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 1,065 11 hours ago
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 880 11 hours ago
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,743,112 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 575,017 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,337,345 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,020,673 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,795,172 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,198,701 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,155,075 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)