RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
ऑफिस आने पर पापाजी उतर गये और वो ड्राइवर बड़े ही सम्मान के साथ मुझे अपने बॉस के केबिन में ले गया। रास्ते में हर मर्द मेरी चूत को देखने के लिये मेरे स्कर्ट के अन्दर झांकने की कोशिश कर रहा था।
जैसे ही मैंने केबिन का दरवाजा खोला तो॰॰॰
अरे यह क्या? जीवन!!! जो कल शाम पूल के पास मिला था और मुझे देख कर बोला था कि रात में मुझे अपने सपने में देखेगा और मुठ मारेगा।
मुझे देखते ही जीवन ने भी अपनी सीट छोड़ दी और मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुये बोला- आप यहाँ?
मैं जिस वर्क के लिये आई थी उस प्रोजेक्ट का इंचार्ज वही थी।
मेरे हाथ को वो अपने ही हाथ में लिये हुए बड़े ही बेशर्मी से,
जीवन बोला- वास्तव में कल आपको पूल पर देखकर मेरा लंड अकड़ गया और ढीला होने के लिये तैयार ही नहीं हो रहा था, बड़ी मुश्किल से जाकर शांत हुआ, इसको शांत कराने के लिये दो बजे रात तक मैं जागा हूँ।
मैं- 'क्यों? सड़का नहीं मारे?'
जीवन- 'नहीं, मैं सड़का मारने पर विश्वास नहीं करता।'
मैं- 'तो फिर मुझसे क्यों कहा?' मैं भी उसके साथ उसी बेशर्मी से जवाब दे रही थी।
जीवन- 'वो तो आपको देखने के बाद मेरे मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था तो मैंने कह दिया। मेरा तो केवल चूत चोदने का विश्वास है।'
मैं- 'इसका मतलब अपने लंड की अकड़ को तुम मेरी चूत से निकालना चाहते हो?'
जीवन - 'हां अगर तुम हामी भर दो।'
मैं - 'मैं तुमको तो अपनी चूत तुम्हें दे तो दूं पर मुझे क्या फायदा होगा?'
जीवन- 'फायदा जो तुम चाहो?'
मैं- 'नहीं, तुम्ही ही बताओ।'
जीवन- 'जितने रूपये तुम चाहोगी मैं उतने देने को तैयार हूँ।'
मैं- 'नहीं रूपये तो नहीं चाहियें'
जीवन- 'तो ठीक है, यह प्रोजेक्ट मैं तैयार करूंगा और इसका जितना भी प्रोफिट होगा, वो सब तुम्हारा होगा और तुम अपने बॉस की बॉस हो जाओगी।'
मैं- 'और अगर इससे लॉस हुआ तो?' मैं बोली।
जीवन- 'वो मेरा!' छूटते ही बोला।
मैं - 'तुम अपने वायदे से मुकर तो नहीं जाओगे?' मैंने अपने को कन्फर्म करने के लिये बोला।
जीवन- 'बिल्कुल नहीं!! मुझ पर विश्वास करो।'
कह कर वो मेरे और करीब आया और मुझे अपने से चिपका लिया और मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा।
सहलाते हुए जीवन बोला- तुम बहुत मस्त हो, आज मुझे मजा दे दो।
मैं- 'तुम जो कहोगे, वो मैं करूंगी।'
मेरे कहने के बाद उसने मुझे अपने से अलग किया और बठने के लिये कुर्सी ऑफर की, फिर सरवेन्ट को बुला कर चाय वगैरह मंगवाई और फिर अपने पीए को बुला कर मेरा परिचय कराया और उसको ऑफिस की हिदायत देते हुए बोला कि प्रोजेक्ट के सिलसिले में मैं मेम साहब के साथ बाहर जा रहा हूँ, दो-तीन घंट लगेगे।
फिर वो मुझे लेकर ऑफिस से बाहर आ गये और उसी गाड़ी में बैठ गये जिस गाड़ी से मैं अभी-अभी ऑफिस आई थी।
हम दोनों को देखते ही उस ड्राइवर ने बड़े ही अदब के साथ दरवाजा खोला। पहले जीवन कार में गया और सीट पर बैठ गया पर उसने अपने बांयें हाथ को सीट पर टिका दिया। मैं कार के अन्दर हुई और जीवन के हथेली के ही ऊपर अपने चूतड़ों को रख दिया, मैंने अपनी स्कर्ट भी थोड़ी ऊँची कर ली थी ताकि उसको मेरी गांड की गर्माहट का अहसास हो जाये। ड्राइवर ने दरवाजा बन्द किया और अपनी सीट की तरफ बढ़ने लगा, तब तक मैंने अपनी पैन्टी भी उतार कर मैंने अपने बैग में रख ली। उसी समय जीवन की उंगली मेरी चूत के अन्दर घुसने का रास्ता ढ़ूंढ रही थी। जैसे ही जीवन की उंगली ने मेरी चूत को स्पर्श किया,
जीवन बोल उठा- यू वेट?
मैं बोली- याह, थिन्किंग अबाउट यू! मजा तब है कि इस रस का स्वाद लो।
जीवन मुस्कुराया और फिर मेरी गीली चूत के अन्दर उसने दो से तीन मिनट तक उंगली घुमाई और फिर बाहर निकाल कर बड़े ही स्टाईल से ड्राइवर की नजर बचाकर अपनी उंगली को चाटने के साथ कमेन्ट भी किया- वेरी स्वीट!
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