bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-24-2019, 11:58 PM,
#12
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
थोड़ी देर मे दोनो दोबारा पोज़िशन चेंज करते हैं क्यूंकी अरुण की पसलियों मे पेन होने लगता है. और इस बार सोनिया अपना सिर उसके सीने पर रख के उसे पकड़ कर लेट जाती है. अरुण को हल्के हल्के अंगूरों की माहेक आ रही थी सोनिया के बालों से. उसे ऐसे उसे पकड़कर लेटना बड़ा अच्छा लगता है. उसे ये एक्सपीरियेन्स ही बिल्कुल अलग तरीके का लगता है. जैसे वो खुद नही चाहता कि सोनिया उससे दूर हो. वो वहाँ लेटी उसकी बाहों बहुत ही मासूम सी लगती है. वो मन मे डिसाइड करता है चाहे कुछ भी हो जाए वो काफ़ी सोनिया को दुख नही पहुचाएगा. 

इधर सोनिया कितनी भी कोशिश कर रही है लेकिन उसे बुरा ही लग रहा है. उसे गिल्टी वाली फीलिंग आ रही है. उसने आज तक इतना इतना बुरा किया अरुण के साथ लेकिन फिर भी वो उसे बचाने आया. उसने तो कल उसे थप्पड़ तक मारा और बोला कि वो चाहती थी क़ि वो जिंदा ही ना होता. उसके कारण ही अरुण की ये कंडीशन है. वो अपने मन मे अपने आप को सज़ा देती रहती है. "मैं सब ठीक करूँगी भाई के लिए.." वो मन मे डिसाइड करती है और थोड़ा कस के अरुण से सट जाती है. उसे इस तरीके से अरुण के साथ जो प्रोटेक्टेड फीलिंग आती है वो बहुत अच्छी लग रही है. उपर से कल रात से वो बहुत ज़्यादा घबरा गयी थी. तो वो अकेले नही लेटना चाहती. वो सोचती है कि सुप्रिया दी ने भाई को आराम करने को कहा है लेकिन मैं दूर नही जाना चाहती भाई से. वो अपने आप को दूर ही नही कर पा रही अरुण से.

लगभग एक घंटे तक यूँ ही दोनो एक दूसरे को पकड़े लेटे रहे. फिर सोनिया ने बड़े धीरे से अरुण का हाथ सही किया और उठ के पहले उसके माथे पर फिर दोनो गालों पर किस किया और कहा "मैं उपर जा रही हूँ. आप आराम करो..ओके टेक केयर बाइ. लव यू.." और ये कहके वो एक बार अरुण की आँखों मे देखती है और फिर झटके से अपने होंठ अरुण के होंठो से रगड़ कर रूम से भाग जाती है. अरुण बिना कुछ कहे अचंभित ऐसे ही लेटा रहता है. उसे कुछ समझ मे ही नही आता कि अभी हुआ क्या. क्या सोनिया ने उसके लिप्स पर किस किया?? क्यूँ??

खैर सोनिया के वहाँ जाने से उसे भी ख़ालीपन महसूस होने लगता है लेकिन फिर ऐसे ही सोचते सोचते वो सो जाता है...

अरुण को फिर वही सपना आता है दूधो वाला. बहुत सारे दूध उसके पीछे अरुण अरुण चिल्ला कर भाग रहे हैं और वो भी उनसे दूर भागने की कोसिस कर रहा है. अरुण एक दम से बेड पर उठ बैठता और फिर वही दर्द आने लगता है. सिर मे दर्द पेट हर जगह दर्द. लेकिन वो लेटना भी नही चाहता तो उठकर ड्रेसिंग टेबल पर जाता है और लाइट ऑन करके मिरर मे अपनी कंडीशन देखता है तो हल्का सा डर जाता है. होंठ हल्के हल्के सूजे हुए हैं. माथा एक साइड से सूजा है. एक आँख हल्की हल्की सी काली है. खैर वो घड़ी की तरफ देखता है तो 10 बज रहे होते हैं. तो वो हल्के से दवाजा खोलता है लेकिन दरवाजे की आवाज़ से बाहर सोफे पर लेटी सुप्रिया एक दम से उठ कर बैठ जाती है और रूम की तरफ आके उसके हाथ पकड़ लेती है..

"तुम्हे आराम करने को कहा गया है..जाओ बेड पर..." सुप्रिया उसे जाने का इशारा करते हुए बोलती है..

"दी मैं थक गया हूँ लेटे लेटे..मुझसे और नही लेटा जाएगा.." अरुण अपना सिर हिलाते हुए बोलता है.

सुप्रिया बिना सुने उसे पीछे धकेल्ति हुई ले जाकर उसे बेड पर लिटा देती है और उसके सिर के नीचे तकिया रख देती है.."तुम्हे बहुत चोट आई है. हम लोग हैं ना तुम्हारा ख़याल रखने के लिए. जब तक तुम ठीक नही हो जाते तब तक मेरी बात सुनोगे समझे.." सुप्रिया उसके उपर चादर ऊढाते हुए बोलती है.

"दी.. मैं आपके रूम मे हूँ. आपको भी तो अपने रूम की ज़रूरत होगी. अटलिस्ट मुझे मेरे रूम मे तो जाने दीजिए.." अरुण बोलता है.

"मुझे कुछ नही सुनना.स्शह.."

"मैं दोबारा भागने की कोशिश करूँगा.."

"अच्छा.. तो मैं डोर लॉक कर देती हूँ फिर..हुन्ह.."

अरुण हल्के से हंस देता है..

"या फिर मैं तुम्हे मेरी बात मानने के लिए कन्विन्स कर सकती हूँ.." ये कहते कहते सुप्रिया की आँखों मे चमक और चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है...

अरुण को चादर हिलने का अहसास होने लगा और एक दम से उसे झटका लगा और उसकी रिब्स मे पेन हुआ जब सुप्रिया ने अपना मूह उसकी जाँघ पर रखा और अपने हाथों से उसके पेट को सहलाने लगी..

"दी ये क्या कर रही हो..कोई सुन लेगा.." अरुण हल्का सा छटपटाने लगा.

"ष्ह..कोई नही सुनेगा. कल तुम्हारी चोट के कारण कोई पूरी रात सो ही नही पाया तो सब इस समय सो रहे होंगे तुम टेन्षन मत लो..एंजाय इट.." सुप्रिया उसके बॉक्सर को पकड़कर नीचे उतारने लगी.

"दी फिर भी ये ग़लत लगता है उनके इस घर मे साथ मे होते हुए भी हम लोग ये करें.." अरुण अपने हिप्स बेड से उपर उठाते हुए बोला.

"वो लोग इस घर मे हैं..इस बात से तो मेरी वो और ज़्यादा गीली हो रही है..श्ह्ह्ह्ह" सुप्रिया चादर को साइड मे कर देती है और बॉक्सर्स को कंप्लीट्ली उसकी बॉडी से अलग करके साइड मे फेक देती है..

अरुण को यकीन ही नही होता कि उसकी दी इतनी इतनी डर्टी हो सकती हैं सेक्स को लेकर. इस बात को सोचते ही उसके लंड मे हल्का हल्का तनाव आने लगा..

"और वैसे भी हम लोगो की इतनी केयर करने के लिए किसी को तो तुम्हे गिफ्ट देना चाहिए..हां गिफ्ट से ध्यान आया वो वाला गिफ्ट तब मिलेगा जब तुम कंप्लीट्ली ठीक हो जाओगे. अब चुपचाप लेट जाओ आंड एंजाय बेबी.." सुप्रिया ये कहकर उसके लंड पर फुक मारती है जिसके कारण लंड बिल्कुल ही एरेक्ट हो जाता है..

"देखा ये अग्री करता है मेरी इस बात से.." और वो एक बार जड़ से लेकर लंड के सुपाडे तक जीभ बाहर निकाल कर लिक्क कर लेती है..

फिर सुप्रिया अपने दोनो हाथों से उसके लंड को पकड़कर उपर नीचे करने लगती है और लगातार अरुण की आँखों मे मुस्कुरा कर देखने लगी..उसके कोमल हाथों का स्पर्श पाकर अरुण तो मस्ती मे खोता चला गया और उपर से उसके चेहरा अपना अलग जादू कर रहा था उस पर. उसने देखा कि फिर सुप्रिया बिल्कुल उसके लंड के उपर आकर देखती है फिर जीभ बाहर निकालकर सिर्फ़ सुपाडे को मूह मे भरने जा रही होती है..उसके मूह के स्पर्श के अंदेशे से ही उसके पूरे जिस्म मे सिहरन दौड़ जाती है और फिर जैसे ही वो सुपाडे को अपने नर्म और गरम होंठों की क़ैद मे जकड़ती है..अरुण के मूह से एक लंबी आअहह निकल जाती है..

"ओह माइ गॉड..." अरुण के मूह से यह सुन कर सोनिया सुपाडे को अपने होंठों मे क़ैद करे करे ही हल्का सा खिलखिला पड़ती है. अरुण फिर जीभ को महसूस करता है अपने सुपाडे पर..उसके छेद को चाट कर जीभ नीचे जाना शुरू करती है. सुप्रिया की चूत भी गीली होने लगी है और उसके दूधों के निपल तन गये हैं. अरुण को महसूस होता है सुप्रिया धीरे लंड को अपने गले के अंदर सक करने लगती है..

"मेरे भाई का लंड सच मे बहुत खूबसूरत है" सुप्रिया अपना मूह लंड से हटाकर बोलती है और हाथों से उसे उपर नीचे करना जारी रखती है..उसके इस तरीके से बात करने से अरुण के लंड मे एक झटका लगता है. लंड वाला हिस्सा तो उसे कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित करने लगता है. 

"मुझे अपने भाई का लंड चूसना बहुत अच्छा लगता है.." इतना कह कर सुप्रिया दोबारा लंड को अपने मूह मे भर कर चूसने लगती है. कमरे मे फिर से मस्ती भरी आहें भर जाती हैं..

अरुण को अपने लंड की टिप पर सुप्रिया के गले की दीवारें महसूस होती हैं फिर जीभ के चलने की आवाज़. इन सब चीज़ों से वो महसूस करने लगा की वो झड़ने के करीब है..

"मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ कि तुम्हे अंदाज़ा भी नही था कि तुम्हारी सीधी साधी सुप्रिया दी इतनी आचे तरीके से लंड चूसना भी जानती होगी..गोद ई जस्ट लोवे सकिंग युवर कॉक..." फिर वो अपनी जीभ निकालकर पूरे लंड को मूह मे प्रवेश करा देती है..

इन सब चीज़ों से अरुण बिल्कुल ही करीब पहुँच जाता है और अपने लंड को सुप्रिया के मूह से बाहर निकालकर "आइ'म क्लोज़.." कहता है. लेकिन सुप्रिया फिर भी दोबारा उसके लंड को मूह मे भर लेती है. उसके थूक से भरी जीभ का स्पर्श अपने सुपाडे पर होते ही अरुण का बाँध टूट जाता है और उसके लंड से सफेद गाढ़े चिपचिपे स्पर्म की बौछार सुप्रिया के मूह मे होने लगती है..इतने इनटेन्स ऑर्गॅज़म से अरुण का मस्तिष्क हल्का सा अंधेरे मे चला जाता है.."ओह फक...दी.." बस इतना ही उसके मूह से निकल पाता है..

सुप्रिया पूरा का पूरा स्पर्म पीने की कोशिश मे चार पाँच पर निगलती है. अरुण और सुप्रिया एक दूसरे की आँखों मे एकटक देखते हैं और अरुण को सॉफ सॉफ सुप्रिया के गले की हरकते दिखाई देती है. लगभग 15 सेकेंड्स के बाद सुप्रिया उसके लंड को मूह से बाहर निकालती है एक बार फिर उसे सॉफ करती है. फिर उसे देखते हुए अपने होंठों पर अपनी जीभ घुमा कर होंठों पर लगा स्पर्म सॉफ करती है. अरुण अपना सिर तकिये पर डाल देता है..

"दट..वाज़ ..अमेज़िंग.." अरुण बोलता है इधर सुप्रिया उसके छोटे हो चुके लंड को अब भी चाटे जा रही है और उसके टट्टों को भी मूह मे भरकर चूसने लगी..

"दी..अब हो गया..यू कॅन स्टॉप नाउ.."

"आइ डोंट वान्ट टू.." सुप्रिया बोलती है लेकिन थोड़ी देर बाद उठकर टेबल पर रखा पानी का ग्लास मूह पर लगाकर पानी पीने लगी. पानी को अंदर दो तीन बार घूमाकर वो पानी को निगल लेती है..

"मैं कुछ भी वेस्ट नही करना चाहती.." वो आँख मार कर कहती है.

"दी जिस तरीके से आज आप बात कर रही थी..जो जो आप बोल रही थी..गॉड इट वाज़ हॉट..ऐसा लग रहा था जैसे अब मेरे बारे मे सब जानती हो कि किस चीज़ से मुझे ज़्यादा अच्छा फील होगा..यू वर अमेज़िंग..आइ लव यू.." अरुण उससे कुछ पूछने के लिए देखता है लेकिन उसे लगता है कहीं सुप्रिया को बुरा ना लगे..

"क्या हुआ..कुछ पूछना है!?" सुप्रिया उसका चेहरा देख कर पूछती है..

"हां लेकिन.."

"पूछो ना क्या हुआ.."

"मैं नही चाहता कि आपको बुरा लगे मेरे क्वेस्चन से.."

"स्वीतू..तुम मुझे कभी भी बुरा फील नही करवा सकते.." सुप्रिया इतना बोलकर उसके होंठो पर किस स्टार्ट करके अपनी जीभ भर निकाल कर उसके होंठ फिर गला..सीना..पेट..नाभि और अंत मे उसके लंड को चाट कर बोलती है..
"गॉड इट टेस्ट्स सो गुड.." सुप्रिया ये बोलकर दोबारा पूरा लंड मूह मे भर लेती है. और उसकी आँखों मे देखने लगी..

"मुझे पता नही था कि आप इतनी अग्रेसिव होगी सेक्स मे.." 

" नॉर्मली नही लेकिन तुम्हारे साथ मैं अपने आप हो जाती हूँ अब पूछो क्या पूछना है.." सुप्रिया उसके टेस्टेस को चूसने लगी..

"क्या आप सभी लड़कों के साथ ऐसे ही बात करती हो..??"

अरुण के मन मे आवाज़ मे अपने सिर पर हाथ मारा..
"भेन के...ये पूछना ज़रूरी था..??"

सुप्रिया अरुण को ऐसे देख रही है जैसे पूछ रही हो सच मे आर यू आस्किंग मी दिस?? अरुण तुरंत ही सफाई देने लगा.

"मेरा मतलब उस सेन्स मे नही था दी..आइ जस्ट..क्या आप पहली बार या हमेशा से ही ऐसी बातें करती थी सेक्स के टाइम??" 

सुप्रिया हल्की सी हँसने लगी और उसके लंड को एक बार मूह मे लिया.."नही मैने कभी किसी के साथ इस तरीके से बात नही करी..लेकिन तुम्हारे साथ मुझे इतना मज़ा आया कि ये अपने आप हो गया.." 

अरुण के पूरे शरीर मे एक उत्तेजना की लहर दौड़ गयी और उसका लंड दोबारा अपना सिर उठाने लगा..

"ओह.देखो किसी को ऐसी बातें काफ़ी अच्छी लगती हैं" सुप्रिया अपने हाथो से उसे पकड़कर बोलती है फिर उस पर 2 3 किस जड़ देती है...

"लग रहा है कि मुझे दोबारा मेरा जूस मिलने वाला है.." सुप्रिया ये कहकर उसके सुपाडे को सक करने लगी..

"ये टेस्ट मे..बेकार नही लगता??" अरुण पूछता है.. वो नही चाहता कि उसकी वजह से सुप्रिया को कोई दिक्कत हो..

"सच बताऊ तो पहली बार मे बेकार लगा.." सुप्रिया उसके लंड को अपने मूह मे फूलते हुए महसूस करने लगी और उसके छेद पर जीभ घुमाने लगी...

"और आज?" अरुण पूछता है..

"आज??" सुप्रिया फिर उसके लंड को चूसने लगी और एक हाथ अपने पेट के नीचे से लोवर मे डाल कर अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी..उसकी चूत बिल्कुल गीली हो गयी थी..अपने ही रूम मे अपने भाई का लंड चूस्ते चूसते वो खुद काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी..

"आज काफ़ी अच्छा था..पता नही शायद ये इसलिए था क्यूंकी तुम मेरे भाई हो और मैं तुमसे प्यार करती हूँ..मुझे कन्फर्म नही है..रूको मैं इसके बाद बताती हूँ.." इतना कह के सुप्रिया बहुत ही तेज़ी से लंड को सक करने लगी और उतनी ही तेज़ी से अपनी चूत रगड़ने लगी..

उसकी उंगलियाँ पूरी तरह से उसके चूत रस से भीग गयी..लेकिीन उसने अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल ली जब उसे रीयलाइज़ हुआ कि उसे अरुण से ज़्यादा टाइम लगेगा झड़ने मे और उसकी तरफ उंगलियाँ दिखाकर उन्हे चाटते चाटते कहनी लगी.."देख लो तुम्हारी वजह से मेरी चूत कितनी गीली है..तुम्हे कल इसका खुद ही कुछ करना होगा.." अरुण की उत्तेजना मे आह निकालने लगी. फिर सुप्रिया ने अपना ध्यान अरुण को झडाने पर लगाया. वो एक हाथ से लंड को पकड़कर जीभ से सुपाडे को चाटने लगी.."तुम्हे मज़ा आया जब मैने तुम्हे बिल्कुल अंदर लिया था??" अरुण का सिर हां मे हिलते देख सुप्रिया ने अपने दोनो हाथ अरुण के चुतड़ों के नीचे करके उसकी कमर को उपर उठा लिया और उसका लंड गले की दीवार से टकराने लगा. लंड पर गले की दीवारे अपना प्रेशर डालने लगी. सुप्रिया ने कुछ सेकेंड्स के बाद उसे थोड़ा नीचे किया और एक गहरी साँस लेकर दोबारा पूरा लंड अंदर ले लिया जितना पहले लिया और हल्के हल्के प्रेशर के साथ उसे और अंदर धकेलने की कोशिश करने लगी. थोड़ी ही देर मे लंड और अंदर जाने लगा और सुप्रिया की नाक बिल्कुल अरुण की जड़ मे लगने लगी. सुप्रिया ने इस बार जब लंड मूह से बाहर निकाला तो लड और होंठों के बीच थूक की एक लाइन बनी हुई थी और तुरंत ही उसे दोबारा अंदर ले लिया. और वैसे ही चूसने लगी. लंड पर गले की दीवारों से आता प्रेशर..उसके थूक की सरसराहट अरुण को उसके चरम तक ले गयी..

"दी मेरा निकलने वाला है.." 

तो सुप्रिया ने उसे बेड पर रख दिया और अपना मूह उपर उठा कर हाथों से उपर नीचे करने लगी. जैसे ही पहला झटका लंड मे लगा सुप्रिया ने अपना मूह लंड पर रख दिया और उसके रस को अपने गले से नीचे उतारने लगी.अरुण की तो आँखें ही बंद हो गयी. इस बार पहले से काफ़ी कम स्पर्म निकला और कुछ ही देर मे सुप्रिया ने उसके लंड लो चूस चूस कर छोटा कर दिया फिर उठकर बोली" अगली बार तुम्हे ये फ्री मे नही मिलने वाला" और अपने कपड़े ठीक करने लगी..

फिर उसे किस करके लाइट बंद करके बाहर चली गयी. और अरुण आराम से सपनो की दुनिया मे खो गया..
अरुण की आँख 12 बजे खुली तो उसके पेट मे चूहे कूद रहे थे तो उसने अपना बॉक्सर ठीक किया और किचन मे चला गया. किचन मे जाते टाइम उसे सुप्रिया उसी सोफे पर सोते दिखी तो ज़्यादा शोर नही किया उसने. फिर किचन मे जाके बचा हुआ खाना माइक्रोवेव मे गर्म करके खाने लगा. वापस रूम मे जाने से पहले वो सुप्रिया के पास गया और उसको ढंग से चादर से ढक दिया और उसके माथे पर किस करके रूम की तरफ जाने लगा. तभी उसे सीढ़ियों पर कदमो की आवाज़ आई तो पलटकर देखा तो सोनिया अपने वही कस्टमरी सोने के कपड़े यानी कि स्पोर्ट्स ब्रा और शॉर्ट्स मे नीचे आ रही थी. वो किचन मे गयी तो अरुण भी वहाँ चला गया और देखा तो वो पानी पी रही थी. दोनो ने एक दूसरे को हाई बोला..

"भूक लगी हो तो कुछ बना दूं??" सोनिया पास आके पूछती है..

"बनाना आता है??" अरुण ने हल्का सा हँस के कहा..

तो सोनिया का मूह उतर गया..

"अरे..बचा हुआ गर्म कर के खा लिया टेन्षन ना लो..अच्छा ठीक मैं सोने जा रहा हूँ तुम भी जाओ.." अरुण बिना मुड़े ही कहता है..वो ध्यान से सोनिया को देखने लगा तो उसे लगा जैसे सोनिया की आँखों से आँसू बस छलकने ही वाले हैं तो..अरुण ने सोनिया का हाथ अपने हाथ मे लिया.."क्या हुआ नींद नही आ रही??" उसने बहुत धीरे से पूछा..

"कुछ नही बस..वो..क्या.."

"कुछ चाहिए क्या..बोल ना गुड़िया" अरुण ने उसके चेहरे को उठाकर कहा.

"भाई वो..क्या मैं आपके साथ सो सकती हूँ.." उसने बड़े डरते डरते पूछा..

अरुण के पेट मे ये बात सुनके गुदगुदी होने लगी और उसने कहा.."अरे क्यू नही और तुमने दी के बेड का साइज़ देखा है अपने जैसे 3 4 समा जाएँ.."अरुण ने हंसकर कहा..

फिर सोनिया उसे सहारा देकर रूम के अंदर ले गयी और दोनो ने मिलकर बिस्तर ठीक किया और अरुण एक किनारे पर और सोनिया दूसरे किनारे पर लेट गयी. अरुण को अब जाके रीयलाइज़ हुआ कि उस टाइम तो दोनो एमोशनल थे तो साथ मे लेटना ऑड नही लगा लेकिन अब उसे ये बात भी अजीब लग रही थी एक बहेन के साथ तो वो सेक्षुयली आक्टिव था तो दूसरी के साथ लेटने मे बड़ा अजीब लग रहा था. एक तरीके से दो भाई बहेन के थोड़ा पास लेटने मे कोई दिक्कत नही थी लेकिन अरुण को थोड़ा अजीब तो लग ही रहा था. तो वो दोनो बेड के छोरो पर लेटे हुए थे. उपर से उसे ख़ासकर सोनिया के इतने करीब लेटकर बड़ा अजीब लग रहा था..वो सोनिया जिसके पास जाने की उसकी इच्छा क्या हिम्मत तक नही होती थी. वो सोनिया जो उसकी जानी दुश्मन थी. और आज वही सोनिया उसके पास ना होने के कारण सो नही पा रही थी.

उसकी जिंदगी ने एक अजीब मोड़ ले लिया था. अरुण की भी इच्छा थी कि वो किसी तरीके से सोनिया को सेफ फील करवा सके. उसे ये बता सके कि चाहे कुछ भी हो जाए वो हमेशा उसके आगे खड़ा रहेगा. उसे कभी कोई नुकसान नही पहुँचने देगा. जब भी उसे उसकी ज़रूरत होगी वो हमेशा वहाँ मौजूद रहेगा. उसे उन दोनो के बीच बदले हुए रिश्ते से थोड़ी सी खुशी भी हो रही थी..वो खुशी जो उसने कभी महसूस नही करी थी पहले. 
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