bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:08 AM,
#48
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा उसे मजाकिया नज़रो से देखती रही. उसके चेहरे पर लाल रंग के दर्जनो शेड्स आते जा रहे थे. थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन हिम्मत करके उसने दोनो हाथो से टॉवल खोल दिया और अपनी सुंदर बॉडी के दर्शन अपने छोटे भाई को करवाने लगी. लेकिन जल्दी ही उसने टॉवल को वापस बंद कर दिया तो अरुण ना मे अपना सिर हिलाने लगा.

"दी, ये चीटिंग है. मुझे ढंग से दिखाई भी नही दिया."

स्नेहा ने फिरसे हँस दिया फिर धीरे से टॉवल खोलकर शर्म के कारण हँसी रोकने लगी.

उसके निपल और चमकती चूत को देखकर अरुण का लंड दोबारा उसके शॉर्ट्स मे तंबू बनाने लगा.

अरुण ने एक बार नीचे देखा फिर उसकी आँखो मे देखने लगा. "अब देखो आपने क्या कर दिया," अरुण बोला.

स्नेहा अपनी आँखें गोल गोल घुमाने लगी और उसके पास से टवल लपेटकर बाथरूम के दरवाजे के पास जाने लगी. अरुण भी मुड़कर उसे जाते हुए देखने लगा लेकिन तुरंत ही उसे खुद पर कंट्रोल नही रहा.

अरुण ने जल्दी से आगे बढ़कर पीछे से पकड़ लिया और दरवाजे से सटा कर पूरी ताक़त से किस करने लगा. शॉर्ट्स की ज़िप बंद नही थी तो हिलने डुलने के कारण लंड शॉर्ट्स से बाहर आ गया और वो अपनी मंज़िल ढूढ़ने के लिए इधर उधर कूदने लगा.

उत्तेजना मे स्नेहा के दोनो हाथ अरुण के सिर को अपने सिर पर दबाने लगे तो उसकी टॉवल फिर से ज़मीन पर गिर पड़ी. स्नेहा ने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर रख दिया और उसकी पूरी गर्दन को जीभ से चाटने लगी. अरुण का हाथ अपने आप ही उसके नंगे दूध पर पहुच गया और वो उसे मसल्ने लगा. उधर उसका लंड स्नेहा की जाँघ पर अपना प्रेकुं लगा रहा था.

जब अरुण ने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया तो स्नेहा की आह निकलने लगी. वो आह और तेज होती गयी जब अरुण के होठ उसके निपल से टकराए. स्नेहा ने अरुण का मूह दोबारा उपर खिचा और अपने होंठो से उसके होठ को खाने लगी. इस बार लंड स्नेहा की दोनो टाँगो के बीच आ गया था और चूत की दीवारो पर रगड़ लगाए जा रहा था.

लंड के सुपाडे का अहसास अपनी चूत पर पाते ही स्नेहा की सास तेज होने लगी, उसकी आँखें फटती चली गयी, उत्तेजना मे उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरू कर दिया. उसके हाथ खूदबखुद उसकी कमर को पकड़कर अपने उपर खिचने लगे, वो बार बार उसकी कमर को पकड़कर आगे पीछे करने लगी और उसके लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी.

स्नेहा थोड़ा सा पंजो पर उठी और लंड को एक हाथ से अपनी चूत पर रगड़ने लगी. लंड का सुपाडा उसकी कुँवारी चूत पर दस्तक देने लगा तब जाके स्नेहा को पता चला कि आख़िर क्यूँ बाकी बहनें उसके लिए इतना तड़पति रहती हैं. अरुण का लंड उसकी क्लिट से होता हुआ उसके छेद मे जाने की कोशिश करने लगा.

सुपाडे के छेद से टकराते ही उसे जिंदगी मे पहली बार अपने अंदर कुछ बड़ा तूफान सा बनता महसूस हुआ, अगर इतना मज़ा बाकी सब को भी आता था तो ये सच मे दुनिया की सबसे खूबसूरत अहसास था.

अरुण धीरे धीरे मस्ती मे उपर धक्के लगाने लगा, जैसे ही लंड का सुपाडा उसकी चूत के थोड़ा सा अंदर गया तो स्नेहा की चीख निकल गयी.

"ओह....अरुण...बेबी...माइ गॉड, हिलना मत," वो विनती करने लगी, वो इस फीलिंग को अपने अंदर समेटना चाहती थी. उसके पैर अपने आप ही और खुलते चले गये.

अरुण भी रुक गया लेकिन स्नेहा हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाकर अपनी चूत पर उसके लंड के अहसास को महसूस करके रस छोड़ने लगी. ये उसकी जिंदगी का पहला सेक्षुयल एनकाउंटर था.

"ओह गॉड, अरून्न्ञणन्.." वो उसकी गर्दन को चूमती हुई बोलने की कोसिस करने लगी.."ये..आआहह."

"दी...," वो बोल ही रहा था कि स्नेहा काँपने लगी तो अरुण उसे गिरने से रोकने लगा.

जैसे ही स्नेहा का पहला ऑर्गॅज़म ख़त्म हुआ उस पल की सच्चाई दोनो के सामने आई तो दोनो के पैरो तले ज़मीन खिसक गयी. अरुण ने तुरंत ही पीछे हटकर अपना लंड वापस खीच लिया लेकिन स्नेहा को अपने सीने से चिपकाए रखा जिससे वो गिरे नही.

स्नेहा अपने होठ काटने लगी और उसकी आँखें तुरंत ही आसू से भरने लगी. "अरुण..मेरा ये .....करने का..तुम तो...हे भगवान...आइ..."

"आइ'म सॉरी दी," अरुण बोला. फिर उसे किस करके उसके आसू पोछने लगा, लेकिन उसके आँखो से आसू निकलते ही जा रहे थे. "दी, आइ रियली लव यू. और मैं आपसे सच मे प्यार करना चाहता हूँ. लेकिन मैं चाहता हूँ आपका फर्स्ट टाइम दर्द भरा बिल्कुल ना हो. मैं कसम खा कर कहता हूँ, यू अरे पर्फेक्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड आइ रियली लव यू." फिर वो उसे किस करने लगा.

कुछ देर बाद दोनो ने किस तोड़ा और एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे. उसकी आँखो मे देखने पर स्नेहा का दिल ख़ुसी से झूम उठा. उसने अपने आसू पोछे और उसे देख कर मुस्कुराने लगी. उसने अपने बदन पर टॉवल लपेटी और झुककर उसे किस करने लगी. फिर हल्का सा लड़खड़ाते हुए बाहर चली गयी.

"शाबाश, अब तो चिड़िया पूरे तरीके से हमारे कब्ज़े मे है. अब जल्दी से नहा कर तय्यार हो जा. दा फन ईज़ जस्ट बिगिनिंग बेब."

उस लाइन को सुनकर अरुण को रियलाइज़ हुआ कि वो खुद अब आगे का इंतजार कर रहा था.

****************************
अरुण ढंग से नहाया फिर अपने रूम से शर्ट और शॉर्ट्स पहेन कर किचन मे आ गया. सुप्रिया सींक मे कुछ धो रही थी.

"गूडमॉर्निंग, मेरे कुंभकारण," उसने हँसते हुए कहा. "मुझे लगा भी था कि कल की सारी हरकतों के बाद तुम्हे कुछ ज़्यादा देर सो लेने दिया जाए. थक गये होगे आख़िर."

अरुण भी इस बात पर हँस दिया. फिर उसके पीछे जाकर उसे गले से लगा लिया. सुप्रिया ने मुड़कर उसे किस कर लिया. "आराम के चक्कर मे हम लोगो को मत भूल जाना."

"दूध पकड़ फिर दूसरे हाथ को चूत दबाने पर लगा."

अरुण ने उसे वापस पीछे मुड़कर एक हाथ से दूध को पकड़ लिया और दूसरे हाथ को उसके लोवर मे ले जाकर चूत को सहलाने लगा. अपने मूह से वो उसकी गर्दन को चाटने और काटने लगा.

"सुबह सुबह?" सुप्रिया मस्त होकर बोली. उसके हाथ को चूत पर महसूस करके उसके पैर खुद ब खुद और खुल गये.

"अब उसे उठाकर ज़मीन पर पटक और फाड़ दे चूत को." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने उत्तेजित होते हुए कहा

"सीरियस्ली, ऐसे दी को चोट नही लगेगी क्या? पता चला आगे से कुछ करने भी ना दे." अरुण ने अपना पॉइंट रखा.

"उम्म,,गुड पॉइंट...लेकिन अभी मेरे पास कोई आइडिया नही है. अभी कुछ देर मे कुछ सोचकर बताता हूँ." आवाज़ ने अरुण को कहा

"डोंट वरी, मुझे तुम पर पूरा भरोशा है." अरुण ने कहा

अरुण उसकी चूत मे उंगली करते हुए दूध को पूरी ताक़त से मसल्ने लगा.

"यस..उसके लोवर को नीचे कर." आवाज़ ने कहा

"हां अब थोड़ा ठीक है." उसने सोचा.

"तुम सच मे पागल हो गये हो," सुप्रिया उसकी हरकत देखकर कहने लगी, "कोई देख लेगा!! अरुण.." सुप्रिया उसे चेतावनी देने लगी लेकिन फिर हँसने भी लगी.

अरुण ने उसकी बातों पर कोई बिल्कुल ध्यान ना देते हुए लोवर को घुटनो के नीचे कर दिया. फिर नीचे बैठ कर पैंटी को साइड मे किया और पीछे से ही उसकी गीली चूत को चूसने लगा. सुप्रिया मस्ती मे आहें भरकर और झुक गयी और पीछे गर्दन मोड़ कर उसकी तरफ स्माइल देने लगी.

लेकिन तुरंत ही अरुण एक दम से सीधा खड़ा हो गया, क्यूकी सीढ़ियों पर से कदमो की आवाज़ आ रही थी. उसने जल्दी से खड़े होते होते सुप्रिया का लोवर भी उपर कर दिया तो सुप्रिया के चेहरे पर मायूसी के भाव आ गये. सुप्रिया उसे फ्रिड्ज की तरफ जाते हुए देखने लगी तब तक टेबल पर सब लोग आ गये थे.

सब लोग मिलकर नाश्ता करने लगे. अरुण का ध्यान सिर्फ़ स्नेहा पर था, जो उसे देख कर बार बार मुस्कुरा रही थी. नॉर्मली स्नेहा नाश्ते के वक़्त काफ़ी चुप रहती थी लेकिन आज वो गॉसिप मे बढ़चढ़कर कर हिस्सा ले रही थी. उनके जोक्स पर हँस रही थी. अरुण उन लोगो की बातें सुनकर मुस्कुराते हुए खाना खाए जा रहा था कि उसके कानो मे कुछ बातें पड़ी.

"...गर्ल्स पार्टी स्कूल शुरू होने से पहले..वाउ..." आरोही और सोनिया की मिलीजुली बातें हो रही थी.

"गर्ल्स पार्टी? मुझे गर्ल्स पार्टी सुनाई दिया, क्या तूने भी यही सुना? बता मुझे कि तूने यही सुना. ओह मॅन, क्या किस्मत है अपनी...ओये अगर तूने इस मे कुछ टाँग अड़ाई तो सीरियस्ली, जान ले लूँगा तेरी, फिर दोबारा जिंदा करके मारूँगा. ओह माइ गॉड, घर मे पार्टी, हर तरफ चूत. पूछ कब है कब..ईप्पपप्पीईए." अरुण के दिमाग़ मे उस आवाज़ ने एग्ज़ाइट होते हुए कहा

"रिलॅक्स..ओके" अरुण मन मे हँसते हुए कहने लगा. "हो सकता है वो मुझे बाहर भेज दे. सिर्फ़ लड़कियों की पार्टी है."

"ओह शिट..यार खड़े लंड पर धोका मत कर." आवाज़ ने कहा

तब तक सुप्रिया की आवाज़ आई.."प्लान तो अच्छा है!"

"मज़ा आएगा है ना दी. अपनी सभी खास फ्रेंड्स को बुलाएँगे, और भाई ने पूल तो सॉफ कर ही दिया है. इतने दिनो से कोई सेलेब्रेशन हुआ भी नही है घर मे. वही रोज रोज के रुटीन से थोड़ा बोर हो गयी हूँ." सोनिया एग्ज़ाइट होकर बोले जा रही थी.

"क्या बोली ये?? हमारी चुदाई के रुटीन से बोर हो गयी है?? इसकी माँ की..." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ ने थोड़ा उदास होते हुए कहा

ये सुनकर अरुण का चेहरा थोड़ा उतर गया लेकिन बाकी सब हल्के से हँसने लगे.

"तो, तुम लोग यहाँ पार्टी करने वाले हो" अरुण अपने चेहरे के भाव को बदलते हुए बोला. उसने ऐसे कहा जैसे उसे कोई इंटेरेस्ट ही नही हो उनकी पार्टी मे.
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