RE: bahan sex kahani बहन की कुँवारी चूत का उद्...
वो समझ गयी कि मेरे दिमाग़ मे क्या चल रहा है… वो मेरे सामने अपने हाथों और पैर के पंजों पर ओंधी होकर पुश अप मारने की पोज़िशन मे आ गयी.. और लगभग उसी वक़्त मैं सामने पड़ी एक चेयर पर जाकर बैठ गया जहाँ से मुझे वो नज़ारा सॉफ दिख रहा था जिसके लिए मैने उन्हे ये सज़ा दी थी…यानी उनके खुले गले से झाँकते अमरूद देखने का नज़ारा..
वो धीरे-2 पुश-अप्स लगाने लगी… मेरी नज़रें गले को भेदती हुई अंदर की छातियों से चिपकी हुई थी… कोशिश तो मेरी यही थी कि दीदी के निप्पल्स के दर्शन हो जाए, पर ब्रा की फिटिंग इस तरह की बनी हुई थी की उनके निप्पल्स का बाहर निकलना संभव होता दिख नही रहा था… पर जो भी मुझे दिख रहा था वो भी कम नही था.
उनकी गोलाइयाँ और कठोर पन देख कर मेरे लंड मे एक बार फिर से कठोरता भरती जा रही थी… और मैं अपने लंड को अपनी दीदी के सामने ही पेंट मे अड्जस्ट करने लगा.. मैं तो दीदी के बूब्स को देख रहा था पर मैं ये नही देख पाया कि दीदी की नज़रें भी मेरे हाथ और अड्जस्ट हो रहे लंड पर थी.
कुछ ही देर मे उन्होने अपनी सज़ा के 10 पुशप्स पुर कर लिए और वो उठ खड़ी हुई. मैं वही का वही बूत बनकर बैठा रहा, अब तक मुझे इस बात का ज्ञान भी हो चुका था कि अपने खड़े लंड के साथ अगर मैं अपनी जगह से उठा तो मेरी दीदी उस उभार को सॉफ देख लेगी, इसलिए मैं बैठ ही रहा..
दीदी ये सब देख कर मंद-2 मुस्कुरा रही थी. और शायद अब उनके दिमाग़ मे भी मेरी तरह कोई प्लानिंग चल रही थी.
थोड़ी देर मे जब मेरा लंड थोड़ा ढीला हुआ तो मैं बाहर निकल कर अपने रूम मे आ गया और जल्दी से अपनी पेंट उतार कर एक तरफ उछाल दी और अपने अंडरवेर को घुटनो तक सरकाकर अपना लंड बाहर निकाल लिया और शीशे के सामने खड़ा होकर मैं अपने लंड को बुरी तरह से मसल्ने लगा…
और तभी मेरे दरवाजे पर कुछ आहट हुई, मैने तुरंत अपना अंडरवेर उपर खींच लिया और ठीक उसी वक़्त मेरी सिस्टर मेरे रूम मे दाखिल हुई…जल्दबाज़ी मे मैने दरवाजा खुल्ला ही छोड़ दिया था.
मैने पलटकर अपनी पेंट उठानी चाही पर उससे पहले ही दीदी ज़ोर से चीखी स्टाचु और मैं जहाँ का तहाँ खड़ा रह गया.
अब मेरी हालत ये थी कि मैं सिर्फ़ एक टी शर्ट और अंडरवेर मे खड़ा था और मेरा लंड पूरा खड़ा होकर बंदूक की नोक बनाकर मेरे अंडरवेर के अंदर था.
मैं समझ गया कि मैं बुरी तरह से फँस चुका हूँ… और दूसरी तरफ अपनी इस चाल पर मुस्कुराती हुई मेरी सिस्टर पायल धीरे-2 चलती हुई मेरे पास आकर खड़ी हो गयी.
पहली बार इस गेम मे फंसकर मुझे दर लग रहा था, पर जो भी था , मज़ा बहुत आने वाला था अब.
दीदी मेरे पास आई और बोली : “अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे, बच्चू मुझे स्टाचु बोलकर तुमने बहुत सताया है, अब मैं मज़ा चखाती हूँ तुम्हे…”
उन्हे शायद पता था कि उनके रूम से आने के बाद मैं क्या कर रहा होऊँगा,
और मेरे हिसाब से तो ये सब पता होने के बाद उन्हे मेरे रूम मे आना ही नही चाहिए था और अगर आ भी गयी थी तो मेरी हालत देख कर वापिस चले जाना चाहिए था.. पर उन्होने ऐसा नही किया..
पायल दीदी ने मुझे स्टाचु बनाकर मेरी हालत का मज़ाक सा बना दिया था.
पर उनकी बातें सुनकर मुझे लग रहा था कि अब कुछ ऐसा होने वाला है जिससे उनके मन मे जो चल रहा है वो सब बाहर आ जाएगा, इसलिए मैं भी स्टाचु बनकर वैसे ही खड़ा रहा, मैं देखना चाहता था कि आज ये खेल किस हद तक आगे जाता है.
वो मुझे बड़े गोर से देख रही थी, ख़ासकर मेरे अंडरवेर को और उसमे खड़े मेरे लंड को…
वो मेरे चेहरे के बिल्कुल करीब आई और बोली : “ओले ओले, लगता है मैं ग़लत टाइम पर आ गयी, मेरे बेबी को रेलीव होना था शायद…पर वो तो तभी होगा ना जब मैं तुम्हे रिलीस करूँगी…”
मैं उनकी इस बात को सुनकर समझ गया कि वो अच्छे से जानती थी कि मैं मूठ मार रहा था.
फिर वो बोली : “मैं भी तो देखु, मेरे भाई को कितना कंट्रोल है अपने आप पर…तुम कितनी देर तक ऐसे रह पाओगे…”
इतना कह कर उन्होने अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और मेरे बहुत करीब आ गयी, इतने करीब की पायल दीदी की साँसे मेरे चेहरे से टकरा रही थी, उनके बूब्स मेरी छातियो से और मेरा खड़ा हुआ लंड उनके पेट से… मैने जिस अंदाज मे उन्हे पीछे से हग किया था, वो मेरे सामने से कर रही थी.
मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था कि वो ऐसी हरकत कर रही है, और वो भी अपने खुद के सगे भाई के साथ…
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