bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 05:51 PM,
#22
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
अगली सुबह सबसे पहले जागने वालो मे बिहारी था बाकी दोनो तो नींद की गोलियो के असर से अभी भी सपनो की दुनिया में खोए हुए थे. जहाँ वीरेंदर पिल्लो को अपने साथ ऐसे चिपकाए सोया था जैसे कि वो किसी लड़की को अपने बदन के अंदर समा लेना चाहता हो वहीं आशना ने भी एक पिल्लो अपनी टाँगों के दरमियाँ ऐसे जाकड़ रखा था जैसे वो उसे अपना सारा रस पिला देना चाहती हो. सुबह के करीब 7:00 बजे बिहारी की नींद खुली. घड़ी की तरफ देखते ही वो हड़बड़ा कर उठा और नंगा ही बाथरूम में जाकर अपने सुबह के कृत्य करने मे मसरूफ़ हो गया. करीब 20 मिनिट मे वो नहा धो कर बाथरूम से बाहर निकला और कपड़े पहन कर कमरे को अस्त-व्यस्त छोड़ कर किचन की तरफ चल दिया चाइ बनाने.

बिहारी के कमरे मे कोई जाता नहीं था सो इसलिए उसने कमरे की हालत सुधारने का नहीं सोचा. चाइ को गॅस पर रखने के बाद वो उपर की तरफ पहुँचा वीरेंदर को जगाने. 

जैसे ही वो वीरेंदर के दरवाज़े को नॉक करने को हुआ, उसे एक झटका लगा. उसने देखा कि आशना का दरवाज़ा हल्का सा खुला है (आपने पढ़ा ही होगा कि रात को जब आशना अपने कमरे मे आई तो वो सीधा आकर बेड पर लेट गई थी. वो दरवाज़ा लॉक करना भूल गई थी). बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई और वो दबे पावं वहाँ पहुँचा. उसने धीरे से दरवाज़े को धकेला तो दरवाज़ा खुलता चला गया. बिहारी ने झाँक कर देखा तो पाया कि आशना बेसूध होकर सोई है.

उसका पूरा शरीर रज़ाई से ढका है और वो काफ़ी सिकुड कर सो रही है. शायद ठंड के कारण वो ऐसी हालत मे सोई थी. बिहारी के दिमाग़ मे रात को बीना के द्वारा बताया हुआ प्लान दौड़ गया और वो फॉरन कमरे मे प्रवेश कर गया. तेज़ी से आगे बढ़ते हुए उसके पैर किसी चीज़ मे फँसे और वो मूह के बल गिरते गिरते बचा. लेकिन फिर भी वो हाथो के बल नीचे गिर ही गया .गिरते ही उसके हाथो मे किसी चीज़ का एहसाह हुआ.रूम मे हल्की हल्की रोशनी थी, उसने अपने हाथ से उस चीज़ को पकड़ा तो उसके हाथो मे एक ऐसी चीज़ लगी जिस से उसकी आँखें चमक उठी और उसने उस चीज़ को पास ले जा कर उसे चूम लिया. जी हां, वो आशना की ब्रा थी जो रात को उसने उतार कर फैंक दी थी. काफ़ी देर उसे चूसने के बाद उसे ध्यान आया कि वो गिरा कैसे.

तेज़ी से उठ कर देखा तो उसके लंड मे करेंट दौड़ गया. उसके पैरों मे पड़ी आशना की पैंटी चीख चीख पर गवाही दे रही थी कि आशना रज़ाई के अंदर बिल्कुल नंगी सोई है. बिहारी के दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया. उसका मन हुआ कि अभी रज़ाई मे घुस कर आशना से लिपट जाए और उस कमसिन कली को फूल बनाकर उसके जिस्म पर अपनी पहली मोहर लगा दे पर किसी तरह उसने अपने आप पर काबू पाया. पहले वो काम तो कर ले जो वो करने आया है. 

उसने इधर उधर नज़र घुमाई और जल्द ही उसे अपनी मंज़िल मिल गई. एक मेज़ पर पड़े आशना के बॅग की तरफ वो लपका और उसके पास पड़े हॅंडबॅग को उठा कर उसने उसकी ज़िप खोली और उसके अंदर से एक छोटा सा हॅंड बॅग निकाल कर अपने कुर्ते की जेब मे रख लिया. बॅग की ज़िप बंद करके उसने वो बॅग दोबारा वही उसी जगह रख दिया. काम हो जाने के बाद बिहारी आशना के बेड की ओर मुड़ा तो उसे झटका सा लगा. आशना ने रज़ाई से अपनी गोरी बाजुए बाहर निकाल ली थी, कंधे से थोड़ा से नीचे तक उसका मखमली शरीर बिहारी की आँखों के सामने था. ऐसा पहली बार हो रहा था कि बिहारी के सामने एक खूबसूरत लड़की रज़ाई के अंदर बिल्कुल नंगी पड़ी थी पर वो हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था आगे बढ़ने की. बिहारी का पूरा शरीर काँपने लगा और इस से पहले कि वो अपने होश खो देता उसने तेज़ी से आशना की ब्रा और पैंटी उठाई और झट से कमरे के बाहर आकर धीरे से कमरे का दरवाज़ा वैसे ही बंद कर दिया जैसे वो पहले था. वो जानता था कि सुबह की ठंडी हवा मे आशना अब ज़्यादा देर तक सो नहीं सकेगी. दरवाज़ा बंद करके वो नीचे किचन मे आया तो चाइ तैयार थी. उसने गॅस बंद की और अपने कमरे मे जाकर अपनी अलमारी की सेफ मे वो हॅंड बॅग रख दिया और साथ ही अपने साथ लाई हुई आशना की पिंक जालीदार पैंटी और ब्रा भी रख दी.

अलमारी को बंद करके उसने सेफ की चाबी छुपा दी और दो कप मे चाइ डाल कर, कप को ट्रे मे रखकर वो उपर की तरफ चल पड़ा. वीरेंदर के दरवाज़े की ओर जाकर उसने वीरेंदर को आवाज़ लगाई. 

बिहारी: छोटे मलिक उठिए चाइ तैयार है. कुछ देर वहाँ खड़े रहने के बाद उसने फिर आवाज़ लगाई और फिर धीरे से दरवाज़े पर नॉक की पर उसे कोई हलचल महसूस नहीं हुई. उसने इस बार ज़ोर से दरवाज़ा पीटा तो वीरेंदर की अलसाई भरी आवाज़ आई, काका "एक मिनिट अभी खोलता हूँ". इतना कहकर जब वीरेंदर उठा तो एक बार तो सर्द लहर से वो वहीं तिठुर कर रह गया. फिर उसे ख़याल आया कि रात को बाथरूम से आके तो वो बिल्कुल नंगा ही सो गया था. उसने झट से अलमारी से एक पॅंट और टी-शर्ट निकाली और उसे पहन कर दरवाज़ा खोल दिया. 

वीरेंदर: आइए काका, वो आज नींद बहुत गहरी आई थी इस लिए आपकी आवाज़ सुन नही पाया. 

बिहारी: कोई बात नहीं मालिक, यह लीजिए चाइ पीजिए मैं आशना बिटिया को भी जगा कर आता हूँ. 

वीरेंदर: काका तुम ट्रे मुझे दे दो आशना को चाइ मैं दे देता हूँ.

इतना सुनते हे बिहारी को जैसे साँप सूंघ गया. उसने तो सोचा था कि वीरेंदर चाइ पीने के बाद बाथरूम चला जाएगा और वो आशना के कमरे मे जाके पहले तो उसके रूप को निहारेगा और फिर उसे जगा कर उसके नंगे शरीर का मुयायना करेगा पर यहाँ तो सारा खेल ही उलट गया. 

वीरेंदर: क्या हुआ काका? 

बिहारी (वर्तमान मे आते हुए): कुछ नहीं मालिक, जैसा आपको ठीक लगे और यह कह कर उसने चाइ की ट्रे वीरेंदर को थम दी. 

वीरेंदर ने ट्रे साइड मे रखी और जल्दी से बाथरूम मे घुस गया. जैसे ही वीरेंदर बाथरूम मे घुसा, बिहारी मन मार कर नीचे जाने को हुआ तो एक बार फिर वो लड़खड़ाते हुए नीचे गिरने ही वाला था के उसने अपने आप को संभाल लिया. उसने सीधे खड़ा होकर देखा तो वीरेंदर के अंडरवेर मे उसका पैर फँसा हुआ था. बिहारी ने झल्ला कर अपने पैर को हवा मे उछाल दिया जिससे वीरेंदर का अंडरवेर सीधा एक मेज़ के उपर जाकर गिरा, आधा मेज़ पर आधा हवा मे झूलने लगा. बिहारी (मन में): साले दोनो रात को अंडरवेर उतार कर सोते हैं, क्या भाई -बेहन की जोड़ी है? बाथरूम मे पानी की आवाज़ बंद हुई ही थी कि बिहारी लपक कर कमरे से बाहर आ गया और चुपके से सीडीयो के पास बने एक छोटे से स्टोर मे जाकर वीरेंदर का आशना के कमरे मे घुसने का इंतज़ार करने लगा. वो देखना चाहता था कि वीरेंदर कैसा रिएक्ट करता है जब वो आशना को नंगी सोते हुए देखेगा

उधर जिस वक्त बिहारी वीरेंदर के रूम का डोर नॉक कर रहा था, उसी वक्त आशना की नींद खुल गई थी. उसका सिर काफ़ी दर्द कर रहा था. नींद खुलते ही उसे कल रात वाले सारे वाक्यात याद आ गये. उसका दिल बिहारी के लिए नफ़रत से भर गया और फिर रात को अपने शरीर के साथ खेली प्रेम क्रीड़ा का ख़याल आते ही उसे एक झटका लगा. वो तो बिल्कुल नंगी ही सो गई थी. वो फॉरन बेड से उठी और अपने कपड़े ढूँडने लगी. जैसे ही उसकी नज़र दरवाज़े पर पड़ी. आशना के दिल ने धड़कना बंद कर दिया था, उसे याद आया कि कैसे वो रात को कमरे मे आते ही बिस्तर पर गिर पड़ी और फुट-फुट कर रोने लगी थी. वो इतनी लापरवाह कैसे हो गई कि उसे दरवाज़ा लॉक करने का ख़याल ही नहीं रहा. कहीं कोई आ जाता तो?. 

आशना ने झट से दरवाज़ा लॉक किया और अपने कपड़े ढूँडने लगी. सर्दी और शरम की वजह से वो कांप रही थी. आशना ने रात को उतारे कपड़ो पर ध्यान ना देते हुए जल्दी से बॅग से दो एक जोड़ी नये कपड़े और अंडरगार्मेंट्स का सेट निकाला और बाथरूम की तरफ भागी. बाथरूम मैं आकर उसने जल्दी से टवल लपेटा और चैन की सांस ली. आशना का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था. वो सोच रही थी कि आज ना जाने क्या हो जाता अगर वो टाइम पर ना जागती तो. अभी वो ब्रश करके टाय्लेट यूज़ करने ही वाली थी कि उसके दरवाज़े पर नॉक हुआ. 

आशना ने गुस्से से चिल्लाकर कहा: क्या है काका? 

एक पल के लिए तो वीरेंदर भी सहम गया, लेकिन फिर उसने कहा. आशना दरवाज़ा खोलो मैं हूँ "वीरेंदर", आओ दोनो चाइ पीते हैं. वीरेंदर की आवाज़ सुनते ही आशना का मन खिल उठा. आज वीरेंदर खुद उसके लिए चाइ लाया था. उसका चेहरा शरम से लाल हो उठा. उसने बड़े शर्मीले अंदाज़ मे कहा, " वीरेंदर मैं नहा रही हूँ थोड़ी देर मे तुम्हारे रूम मे ही आती हूँ. वीरेंदर उसे बाइ बोल कर अपने रूम मे चला गया. 

वहाँ बिहारी की हालत ना खुश होने लायक थी और ना दुखी होने लायक. खुश वो इसलिए नहीं था क्यूंकी आशना ने दरवाज़े पर वीरेंदर को बिहारी समझ कर काफ़ी गुस्से से बात की थी और दुखी वो इस लिए नहीं था क्यूंकी जो वो देखना चाहता था वो वीरेंदर भी नहीं देख पाया था क्यूंकी आशना नींद से जाग चुकी थी और उसने दरवाज़ा भी लॉक कर दिया था. 

बिहारी ने मन मे सोचा: फुदक ले साली अगर अपने लंड पर तुझे ना नचाया तो मेरा भी नाम बिहारी नहीं और वैसे भी कुछ दिन की बात ही रह गई है तब तक तो तेरी पैंटी मे ही मूठ मारूँगा और तेरे मम्मों से लगी तेरी अंगिया को चूस चूस कर खा जाउन्गा. बिहारी नीचे चला गया और थोड़ी देर बाद आशना भी तैयार होकर वीरेंदर के रूम मे चली आई.

आशना ने दरवाज़ा नॉक किया तो वीरेंदर ने उसे कहा कि " अंदर आ जाओ आशना, दरवाज़ा खुला है". आशना ने दरवाज़ा खोला और अंदर आ गई. आज वीरेंदर ने फुल स्लेव वाइट टी-शर्ट और ब्लॅक जीन्स पहनी थी और आशना भी एक टाइट वाइट टी-शर्ट और स्किन टाइट ब्लॅक जीन्स मे थी. दोनो एक दूसरे को देख कर चौंके और दोनो ही मुस्कुरा दिए. 

आशना: लगता है आज सनडे के दिन यह हमारा ड्रेस कोड है. 
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