bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 05:59 PM,
#70
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना: करना तो मैं भी नहीं चाहती थी, तू खुद ही सोच क्या कोई लड़की अपने भाई के लिए ऐसा सोच सकती है भला. उस वक्त हालत ऐसे बन गये और फिर वीरेंदर का मेरे सिवा कोई अपना था भी तो नहीं तो मैं कैसे किसी पर यकीन कर लेती. 

प्रिया:शायद मैं इस बात पर तुझे कोई राय दे सकूँ मगर मुझे लगता है कि जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था. 

आशना: सोचा तो मैने भी यही था कि भैया के ठीक होते ही उनसे दूर चली जाउन्गी लेकिन अब उनकी हालत देख कर लगता है कि वो मेरे बिना शायद ही रह पाएँगे. 

प्रिया: लगता तो मुझे भी कुछ ऐसा ही है, तो अब तूने क्या सोचा है. 

आशना: रात भर सोच कर ही तो यह एक ही बात मेरे दिमाग़ मे आई है. देख चाहे तू मुझे ग़लत समझ लेकिन मैं उस इंसान का साथ कभी नहीं छोड़ सकती जिसको मेरी इस वक्त सबसे ज़्यादा ज़रूरत है और जो मेरे लिए अपने घर-बिज़्नेस की परवाह किया बिना मेरे पीछे यहाँ तक आ पहुँचा. 

प्रिया: मैं तेरा मतलब नहीं समझी. 

तब तक हॉस्पिटल भी नज़दीक आ गया था और सड़को पर ट्रॅफिक के शोर से वो एक दूसरे को ज़्यादा सुन भी नहीं पा रही थी तो आशना बोली: चल हॉस्पिटल चल सब समझाती हूँ.

हॉस्पिटल पहुँच कर सबसे पहले आशना ने डॉक्टर. से वीरेंदर की हालत के बारे मे पूछा तो डॉक्टर. ने कहा कि एवेरितिंग ईज़ नॉर्मल, अभी 2-3 घंटे मे उन्हे होश आ जाएगा. फिर आप उन्हे मिल सकती हैं. हां एक बात का ख़याल रखे कि इस दौरान कोई ऐसा बात ना हो कि उनके दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर पड़े. 

आशना: ओके डॉक्टर. थॅंक यू.

आशना और प्रिया डॉक्टर. के रूम से बाहर निकली और प्रिया ने आशना से पूछा: अब तू क्या करने वाली है, यह भी बता दे. 

आशना:चल कॅंटीन मे चलते हैं, सुबह सुबह स्कूटी चलाने से पूरा शरीर ठंडा हो गया है, एक एक कॉफी पीते हैं. प्रिया ने दो कॉफी का ऑर्डर दिया और वो दोनो दूर एक टेबल पर बैठ गई. 

आशना: देख प्रिया अगर तू मेरी जगह होती तो तू क्या करती. 

प्रिया: मेरा तो दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा यार. 

आशना: ठीक मेरे साथ भी कुछ दिन पहले ऐसा ही हुआ था, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. तू तो सिर्फ़ उस स्थिती को सोच कर इतना परेशान है लेकिन मैने तो सब देखा है और फील किया है. देख मैं जानती हूँ कि मुझसे ग़लती हो गई है, तो क्या इस ग़लती की सज़ा मैं वीरेंदर को दूं. 

प्रिया ने गर्दन झुका कर ना मे जवाब दिया. 

आशना ग़लती मैने की है तो सज़ा भी मुझे ही मिलेगी. 

प्रिया: मतलब??

आशना: मतलब यह कि मेरी ग़लती के कारण वीरेंदर यहाँ तक पहुँचे हैं तो अब "वीरेंदर का ख़याल भी मैं ही रखूँगी". 

प्रिया: कैसे??? बहन बनकर.???? 

आशना: कॉन बेहन? किसकी बेहन?
प्रिया: मुझे तेरी कोई भी बात समझ नहीं आ रही. 

आशना: प्रिया बड़ा सिंपल सा है, देख वीरेंदर ने आशना यानी मुझे बचपन मे देखा था, अब वो कैसी दिखती है वो नहीं जानता. अब तक वो मुझे मेडिकल स्टूडेंट समझता था जो कि बॅंगलॉर मे एमबीबीएस कर रही है. 

प्रिया:तो??? 

आशना: तो हम उसे किसी भी लड़की से मिला सकते हैं आशना यानी कि उसकी बेहन बना कर और मैं उसे यह आइ-कार्ड दिखाकर यकीन दिला दूँगी कि मैं उसकी बेहन आशना नहीं हूँ.

प्रिया: लेकिन इस से फ़ायदा क्या होगा.


आशना: डॉक्टर. ने अभी क्या कहा, यही कि अभी वीरेंदर मेंटली काफ़ी स्ट्रेस्ड है तो उसे और ज़्यादा टेन्षन ना दी जाए. इसलिए मैं चाहती हूँ कि उसके दिमाग़ से टेन्षन हटा दूं चाहे मूज़े झूठ का सहारा लेना पड़े.

प्रिया: चल मान लेती हूँ कि मैं किसी भी लड़की को उसकी बेहन आशना बनने के लिए मना लेती हूँ, लेकिन प्राब्लम तो फिर से वहीं की वहीं ही रहेगी ना. 

आशना: क्या???? 

प्रिया: वो तुझ से प्यार करता है. 

आशना: प्यार, यह प्यार क्या होता है प्रिया? क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है, मेरी बात मानो तो प्रिया प्यार का दूसरा नाम हवस है और जब इंसान की हवस पूरी हो जाए तो प्यार ख़तम.वीरेंदर की ज़रूरत प्यार नहीं हवस है और उसकी वो ज़रूरत पूरी करने का मैं कोई ना कोई तरीका ढूँढ ही लूँगी. आख़िर बेहन हूँ उसकी, उसे नहीं पता तो क्या हुआ लेकिन मैं तो अपना फ़र्ज़ निभा कर ही चैन लूँगी. अपने लिए भाभी कहीं ना कहीं से ढूँढ ही लूँगी.

आशना की बात सुनकर प्रिया बोली: आशना सच मे आज मुझे गर्व है कि तू मेरी दोस्त है और यह कह कर उसने आशना को गले लगा लिया. प्रिया के गले लगते ही आशना की आँख से एक आँसू टपक गया. उसके दिमाग़ मे अब फिर से वही सवाल उठ रहे थे "उसका सिम, उसके डाकुमेन्त्स और जो एक बात प्रिया ने उसके दिमाग़ मे अभी अभी डाली कि बीना ने उसे ऐसा करने से रोका क्यूँ नही".

उसके बाद आशना ने प्रिया को समझा दिया कि वीरेंदर के सामने क्या कहना है और आशना ने भी शायद सोच लिया था कि अब देल्ही जाकर क्या करना है. 

सुबह करीब 10:15-10:30 बजे वीरेंदर को होश आ गया था लेकिन उसने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली, काफ़ी कमज़ोरी महसूस कर रह था वो. उसे याद नहीं था कि उसे हॉस्पिटल कॉन लाया लेकिन उसे धुन्द्ला धुन्द्ला आशना का चेहरा याद आ रहा था. आशना का ख़याल आते ही उसे आशना की हक़ीकत याद आ गई और उसके दिल मे एक टीस उठी. उसके दिल से आवाज़ निकली "आशना तुमने ऐसा क्यूँ किया मेरे साथ". 
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